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NEHEMIAH
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Chapter 2
Nehe UrduGeoD 2:1  चार महीने गुज़र गए। नीसान के महीने के एक दिन जब मैं शहनशाह अर्तख़शस्ता को मै पिला रहा था तो मेरी मायूसी उसे नज़र आई। पहले उसने मुझे कभी उदास नहीं देखा था,
Nehe UrduGeoD 2:2  इसलिए उसने पूछा, “आप इतने ग़मगीन क्यों दिखाई दे रहे हैं? आप बीमार तो नहीं लगते बल्कि कोई बात आपके दिल को तंग कर रही है।” मैं सख़्त घबरा गया
Nehe UrduGeoD 2:3  और कहा, “शहनशाह अबद तक जीता रहे! मैं किस तरह ख़ुश हो सकता हूँ? जिस शहर में मेरे बापदादा को दफ़नाया गया है वह मलबे का ढेर है, और उसके दरवाज़े राख हो गए हैं।”
Nehe UrduGeoD 2:4  शहनशाह ने पूछा, “तो फिर मैं किस तरह आपकी मदद करूँ?” ख़ामोशी से आसमान के ख़ुदा से दुआ करके
Nehe UrduGeoD 2:5  मैंने शहनशाह से कहा, “अगर बात आपको मंज़ूर हो और आप अपने ख़ादिम से ख़ुश हों तो फिर बराहे-करम मुझे यहूदाह के उस शहर भेज दीजिए जिसमें मेरे बापदादा दफ़न हुए हैं ताकि मैं उसे दुबारा तामीर करूँ।”
Nehe UrduGeoD 2:6  उस वक़्त मलिका भी साथ बैठी थी। शहनशाह ने सवाल किया, “सफ़र के लिए कितना वक़्त दरकार है? आप कब तक वापस आ सकते हैं?” मैंने उसे बताया कि मैं कब तक वापस आऊँगा तो वह मुत्तफ़िक़ हुआ।
Nehe UrduGeoD 2:7  फिर मैंने गुज़ारिश की, “अगर बात आपको मंज़ूर हो तो मुझे दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नरों के लिए ख़त दीजिए ताकि वह मुझे अपने इलाक़ों में से गुज़रने दें और मैं सलामती से यहूदाह तक पहुँच सकूँ।
Nehe UrduGeoD 2:8  इसके अलावा शाही जंगलात के निगरान आसफ़ के लिए ख़त लिखवाएँ ताकि वह मुझे लकड़ी दे। जब मैं रब के घर के साथवाले क़िले के दरवाज़े, फ़सील और अपना घर बनाऊँगा तो मुझे शहतीरों की ज़रूरत होगी।” अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था, इसलिए शहनशाह ने मुझे यह ख़त दे दिए।
Nehe UrduGeoD 2:9  शहनशाह ने फ़ौजी अफ़सर और घुड़सवार भी मेरे साथ भेजे। यों रवाना होकर मैं दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नरों के पास पहुँचा और उन्हें शहनशाह के ख़त दिए।
Nehe UrduGeoD 2:10  जब गवर्नर संबल्लत हौरूनी और अम्मोनी अफ़सर तूबियाह को मालूम हुआ कि कोई इसराईलियों की बहबूदी के लिए आ गया है तो वह निहायत नाख़ुश हुए।
Nehe UrduGeoD 2:11  सफ़र करते करते मैं यरूशलम पहुँच गया। तीन दिन के बाद
Nehe UrduGeoD 2:12  मैं रात के वक़्त शहर से निकला। मेरे साथ चंद एक आदमी थे, और हमारे पास सिर्फ़ वही जानवर था जिस पर मैं सवार था। अब तक मैंने किसी को भी उस बोझ के बारे में नहीं बताया था जो मेरे ख़ुदा ने मेरे दिल पर यरूशलम के लिए डाल दिया था।
Nehe UrduGeoD 2:13  चुनाँचे मैं अंधेरे में वादी के दरवाज़े से शहर से निकला और जुनूब की तरफ़ अज़दहे के चश्मे से होकर कचरे के दरवाज़े तक पहुँचा। हर जगह मैंने गिरी हुई फ़सील और भस्म हुए दरवाज़ों का मुआयना किया।
Nehe UrduGeoD 2:14  फिर मैं शिमाल यानी चश्मे के दरवाज़े और शाही तालाब की तरफ़ बढ़ा, लेकिन मलबे की कसरत की वजह से मेरे जानवर को गुज़रने का रास्ता न मिला,
Nehe UrduGeoD 2:15  इसलिए मैं वादीए-क़िदरोन में से गुज़रा। अब तक अंधेरा ही अंधेरा था। वहाँ भी मैं फ़सील का मुआयना करता गया। फिर मैं मुड़ा और वादी के दरवाज़े में से दुबारा शहर में दाख़िल हुआ।
Nehe UrduGeoD 2:16  यरूशलम के अफ़सरों को मालूम नहीं था कि मैं कहाँ गया और क्या कर रहा था। अब तक मैंने न उन्हें और न इमामों या दीगर उन लोगों को अपने मनसूबे से आगाह किया था जिन्हें तामीर का यह काम करना था।
Nehe UrduGeoD 2:17  लेकिन अब मैं उनसे मुख़ातिब हुआ, “आपको ख़ुद हमारी मुसीबत नज़र आती है। यरूशलम मलबे का ढेर बन गया है, और उसके दरवाज़े राख हो गए हैं। आएँ, हम फ़सील को नए सिरे से तामीर करें ताकि हम दूसरों के मज़ाक़ का निशाना न बने रहें।”
Nehe UrduGeoD 2:18  मैंने उन्हें बताया कि अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ किस तरह मुझ पर रहा था और कि शहनशाह ने मुझसे किस क़िस्म का वादा किया था। यह सुनकर उन्होंने जवाब दिया, “ठीक है, आएँ हम तामीर का काम शुरू करें!” चुनाँचे वह इस अच्छे काम में लग गए।
Nehe UrduGeoD 2:19  जब संबल्लत हौरूनी, अम्मोनी अफ़सर तूबियाह और जशम अरबी को इसकी ख़बर मिली तो उन्होंने हमारा मज़ाक़ उड़ाकर हिक़ारतआमेज़ लहजे में कहा, “यह तुम लोग क्या कर रहे हो? क्या तुम शहनशाह से ग़द्दारी करना चाहते हो?”
Nehe UrduGeoD 2:20  मैंने जवाब दिया, “आसमान का ख़ुदा हमें कामयाबी अता करेगा। हम जो उसके ख़ादिम हैं तामीर का काम शुरू करेंगे। जहाँ तक यरूशलम का ताल्लुक़ है, न आज और न माज़ी में आपका कभी कोई हिस्सा या हक़ था।”