SONG OF SOLOMON
Chapter 3
Song | UrduGeoD | 3:1 | रात को जब मैं बिस्तर पर लेटी थी तो मैंने उसे ढूँडा जो मेरी जान का प्यारा है, मैंने उसे ढूँडा लेकिन न पाया। | |
Song | UrduGeoD | 3:2 | मैं बोली, “अब मैं उठकर शहर में घूमती, उस की गलियों और चौकों में फिरकर उसे तलाश करती हूँ जो मेरी जान का प्यारा है।” मैं ढूँडती रही लेकिन वह न मिला। | |
Song | UrduGeoD | 3:3 | जो चौकीदार शहर में गश्त करते हैं उन्होंने मुझे देखा। मैंने पूछा, “क्या आपने उसे देखा है जो मेरी जान का प्यारा है?” | |
Song | UrduGeoD | 3:4 | आगे निकलते ही मुझे वह मिल गया जो मेरी जान का प्यारा है। मैंने उसे पकड़ लिया। अब मैं उसे नहीं छोड़ूँगी जब तक उसे अपनी माँ के घर में न ले जाऊँ, उसके कमरे में न पहुँचाऊँ जिसने मुझे जन्म दिया था। | |
Song | UrduGeoD | 3:5 | ऐ यरूशलम की बेटियो, ग़ज़ालों और खुले मैदान की हिरनियों की क़सम खाओ कि जब तक मुहब्बत ख़ुद न चाहे तुम उसे न जगाओगी, न बेदार करोगी। | |
Song | UrduGeoD | 3:6 | यह कौन है जो धुएँ के सतून की तरह सीधा हमारे पास चला आ रहा है? उससे चारों तरफ़ मुर, बख़ूर और ताजिर की तमाम ख़ुशबुएँ फैल रही हैं। | |
Song | UrduGeoD | 3:8 | सब तलवार से लैस और तजरबाकार फ़ौजी हैं। हर एक ने अपनी तलवार को रात के हौलनाक ख़तरों का सामना करने के लिए तैयार कर रखा है। | |
Song | UrduGeoD | 3:10 | उसने उसके पाए चाँदी से, पुश्त सोने से, और निशस्त अरग़वानी रंग के कपड़े से बनवाई। यरूशलम की बेटियों ने बड़े प्यार से उसका अंदरूनी हिस्सा मुरस्साकारी से आरास्ता किया है। | |