Site uses cookies to provide basic functionality.

OK
SONG OF SOLOMON
1 2 3 4 5 6 7 8
Prev Up Next
Chapter 7
Song UrduGeoD 7:1  ऐ रईस की बेटी, जूतों में चलने का तेरा अंदाज़ कितना मनमोहन है! तेरी ख़ुशवज़ा रानें माहिर कारीगर के ज़ेवरात की मानिंद हैं।
Song UrduGeoD 7:2  तेरी नाफ़ प्याला है जो मै से कभी नहीं महरूम रहती। तेरा जिस्म गंदुम का ढेर है जिसका इहाता सोसन के फूलों से किया गया है।
Song UrduGeoD 7:3  तेरी छातियाँ ग़ज़ाल के जुड़वाँ बच्चों की मानिंद हैं।
Song UrduGeoD 7:4  तेरी गरदन हाथीदाँत का मीनार, तेरी आँखें हसबोन शहर के तालाब हैं, वह जो बत-रब्बीम के दरवाज़े के पास हैं। तेरी नाक मीनारे-लुबनान की मानिंद है जिसका मुँह दमिश्क़ की तरफ़ है।
Song UrduGeoD 7:5  तेरा सर कोहे-करमिल की मानिंद है, तेरे खुले बाल अरग़वान की तरह क़ीमती और दिलकश हैं। बादशाह तेरी ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीरों में जकड़ा रहता है।
Song UrduGeoD 7:6  ऐ ख़ुशियों से लबरेज़ मुहब्बत, तू कितनी हसीन है, कितनी दिलरुबा!
Song UrduGeoD 7:7  तेरा क़दो-क़ामत खजूर के दरख़्त सा, तेरी छातियाँ अंगूर के गुच्छों जैसी हैं।
Song UrduGeoD 7:8  मैं बोला, “मैं खजूर के दरख़्त पर चढ़कर उसके फूलदार गुच्छों पर हाथ लगाऊँगा।” तेरी छातियाँ अंगूर के गुच्छों की मानिंद हों, तेरे साँस की ख़ुशबू सेबों की ख़ुशबू जैसी हो।
Song UrduGeoD 7:9  तेरा मुँह बेहतरीन मै हो, ऐसी मै जो सीधी मेरे महबूब के मुँह में जाकर नरमी से होंटों और दाँतों में से गुज़र जाए।
Song UrduGeoD 7:10  मैं अपने महबूब की ही हूँ, और वह मुझे चाहता है।
Song UrduGeoD 7:11  आ, मेरे महबूब, हम शहर से निकलकर देहात में रात गुज़ारें।
Song UrduGeoD 7:12  आ, हम सुबह-सवेरे अंगूर के बाग़ों में जाकर मालूम करें कि क्या बेलों से कोंपलें निकल आई हैं और फूल लगे हैं, कि क्या अनार के दरख़्त खिल रहे हैं। वहाँ मैं तुझ पर अपनी मुहब्बत का इज़हार करूँगी।
Song UrduGeoD 7:13  मर्दुमगयाह की ख़ुशबू फैल रही, और हमारे दरवाज़े पर हर क़िस्म का लज़ीज़ फल है, नई फ़सल का भी और गुज़री का भी। क्योंकि मैंने यह चीज़ें तेरे लिए, अपने महबूब के लिए महफ़ूज़ रखी हैं।