ESTHER
Chapter 1
Esth | UrduGeoD | 1:2 | जिन वाक़ियात का ज़िक्र है वह उस वक़्त हुए जब वह सोसन शहर के क़िले से हुकूमत करता था। | |
Esth | UrduGeoD | 1:3 | अपनी हुकूमत के तीसरे साल में उसने अपने तमाम बुज़ुर्गों और अफ़सरों की ज़ियाफ़त की। फ़ारस और मादी के फ़ौजी अफ़सर और सूबों के शुरफ़ा और रईस सब शरीक हुए। | |
Esth | UrduGeoD | 1:4 | शहनशाह ने पूरे 180 दिन तक अपनी सलतनत की ज़बरदस्त दौलत और अपनी क़ुव्वत की शानो-शौकत का मुज़ाहरा किया। | |
Esth | UrduGeoD | 1:5 | इसके बाद उसने सोसन के क़िले में रहनेवाले तमाम लोगों की छोटे से लेकर बड़े तक ज़ियाफ़त की। यह जशन सात दिन तक शाही बाग़ के सहन में मनाया गया। | |
Esth | UrduGeoD | 1:6 | मरमर के सतूनों के दरमियान कतान के सफ़ेद और क़िरमिज़ी रंग के क़ीमती परदे लटकाए गए थे, और वह सफ़ेद और अरग़वानी रंग की डोरियों के ज़रीए सतूनों में लगे चाँदी के छल्लों के साथ बँधे हुए थे। मेहमानों के लिए सोने और चाँदी के सोफ़े पच्चीकारी के ऐसे फ़र्श पर रखे हुए थे जिसमें मरमर के अलावा मज़ीद तीन क़ीमती पत्थर इस्तेमाल हुए थे। | |
Esth | UrduGeoD | 1:7 | मै सोने के प्यालों में पिलाई गई। हर प्याला फ़रक़ और लासानी था, और बादशाह की फ़ैयाज़ी के मुताबिक़ शाही मै की कसरत थी। | |
Esth | UrduGeoD | 1:8 | हर कोई जितनी जी चाहे पी सकता था, क्योंकि बादशाह ने हुक्म दिया था कि साक़ी मेहमानों की हर ख़ाहिश पूरी करें। | |
Esth | UrduGeoD | 1:10 | सातवें दिन जब बादशाह का दिल मै पी पीकर बहल गया था तो उसने उन सात ख़्वाजासराओं को बुलाया जो ख़ास उस की ख़िदमत करते थे। उनके नाम महूमान, बिज़्ज़ता, ख़रबूना, बिगता, अबग्ता, ज़ितार और कर्कस थे। | |
Esth | UrduGeoD | 1:11 | उसने हुक्म दिया, “वशती मलिका को शाही ताज पहनाकर मेरे हुज़ूर ले आओ ताकि शुरफ़ा और बाक़ी मेहमानों को उस की ख़ूबसूरती मालूम हो जाए।” क्योंकि वशती निहायत ख़ूबसूरत थी। | |
Esth | UrduGeoD | 1:12 | लेकिन जब ख़्वाजासरा मलिका के पास गए तो उसने आने से इनकार कर दिया। यह सुनकर बादशाह आग-बगूला हो गया | |
Esth | UrduGeoD | 1:13 | और दानाओं से बात की जो औक़ात के आलिम थे, क्योंकि दस्तूर यह था कि बादशाह क़ानूनी मामलों में उलमा से मशवरा करे। | |
Esth | UrduGeoD | 1:14 | आलिमों के नाम कारशीना, सितार, अदमाता, तरसीस, मरस, मरसिना और ममूकान थे। फ़ारस और मादी के यह सात शुरफ़ा आज़ादी से बादशाह के हुज़ूर आ सकते थे और सलतनत में सबसे आला ओहदा रखते थे। | |
Esth | UrduGeoD | 1:15 | अख़स्वेरुस ने पूछा, “क़ानून के लिहाज़ से वशती मलिका के साथ क्या सुलूक किया जाए? क्योंकि उसने ख़्वाजासराओं के हाथ भेजे हुए शाही हुक्म को नहीं माना।” | |
Esth | UrduGeoD | 1:16 | ममूकान ने बादशाह और दीगर शुरफ़ा की मौजूदगी में जवाब दिया, “वशती मलिका ने इससे न सिर्फ़ बादशाह का बल्कि उसके तमाम शुरफ़ा और सलतनत के तमाम सूबों में रहनेवाली क़ौमों का भी गुनाह किया है। | |
Esth | UrduGeoD | 1:17 | क्योंकि जो कुछ उसने किया है वह तमाम ख़वातीन को मालूम हो जाएगा। फिर वह अपने शौहरों को हक़ीर जानकर कहेंगी, ‘गो बादशाह ने वशती मलिका को अपने हुज़ूर आने का हुक्म दिया तो भी उसने उसके हुज़ूर आने से इनकार किया।’ | |
Esth | UrduGeoD | 1:18 | आज ही फ़ारस और मादी के शुरफ़ा की बीवियाँ मलिका की यह बात सुनकर अपने शौहरों से ऐसा ही सुलूक करेंगी। तब हम ज़िल्लत और ग़ुस्से के जाल में उलझ जाएंगे। | |
Esth | UrduGeoD | 1:19 | अगर बादशाह को मंज़ूर हो तो वह एलान करें कि वशती मलिका को फिर कभी अख़स्वेरुस बादशाह के हुज़ूर आने की इजाज़त नहीं। और लाज़िम है कि यह एलान फ़ारस और मादी के क़वानीन में दर्ज किया जाए ताकि उसे मनसूख़ न किया जा सके। फिर बादशाह किसी और को मलिका का ओहदा दें, ऐसी औरत को जो ज़्यादा लायक़ हो। | |
Esth | UrduGeoD | 1:20 | जब एलान पूरी सलतनत में किया जाएगा तो तमाम औरतें अपने शौहरों की इज़्ज़त करेंगी, ख़ाह वह छोटे हों या बड़े।” | |