JAMES
Chapter 5
Jame | UrduGeoD | 5:1 | दौलतमंदो, अब मेरी बात सुनें! ख़ूब रोएँ और गिर्याओ-ज़ारी करें, क्योंकि आप पर मुसीबत आनेवाली है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:3 | आपके सोने और चाँदी को ज़ंग लग गया है। और उनकी ज़ंगआलूदा हालत आपके ख़िलाफ़ गवाही देगी और आपके जिस्मों को आग की तरह खा जाएगी। क्योंकि आपने इन आख़िरी दिनों में अपने लिए ख़ज़ाने जमा कर लिए हैं। | |
Jame | UrduGeoD | 5:4 | देखें, जो मज़दूरी आपने फ़सल की कटाई करनेवालों से बाज़ रखी है वह आपके ख़िलाफ़ चिल्ला रही है। और आपकी फ़सल जमा करनेवालों की चीख़ें आसमानी लशकरों के रब के कानों तक पहुँच गई हैं। | |
Jame | UrduGeoD | 5:5 | आपने दुनिया में ऐयाशी और ऐशो-इशरत की ज़िंदगी गुज़ारी है। ज़बह के दिन आपने अपने आपको मोटा-ताज़ा कर दिया है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:7 | भाइयो, अब सब्र से ख़ुदावंद की आमद के इंतज़ार में रहें। किसान पर ग़ौर करें जो इस इंतज़ार में रहता है कि ज़मीन अपनी क़ीमती फ़सल पैदा करे। वह कितने सब्र से ख़रीफ़ और बहार की बारिशों का इंतज़ार करता है! | |
Jame | UrduGeoD | 5:8 | आप भी सब्र करें और अपने दिलों को मज़बूत रखें, क्योंकि ख़ुदावंद की आमद क़रीब आ गई है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:9 | भाइयो, एक दूसरे पर मत बुड़बुड़ाना, वरना आपकी अदालत की जाएगी। मुंसिफ़ तो दरवाज़े पर खड़ा है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:10 | भाइयो, उन नबियों के नमूने पर चलें जिन्होंने रब के नाम में कलाम पेश करके सब्र से दुख उठाया। | |
Jame | UrduGeoD | 5:11 | देखें, हम उन्हें मुबारक कहते हैं जो सब्र से दुख बरदाश्त करते थे। आपने अय्यूब की साबितक़दमी के बारे में सुना है और यह भी देख लिया कि रब ने आख़िर में क्या कुछ किया, क्योंकि रब बहुत मेहरबान और रहीम है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:12 | मेरे भाइयो, सबसे बढ़कर यह कि आप क़सम न खाएँ, न आसमान की क़सम, न ज़मीन की, न किसी और चीज़ की। जब आप “हाँ” कहना चाहते हैं तो बस “हाँ” ही काफ़ी है। और अगर इनकार करना चाहें तो बस “नहीं” कहना काफ़ी है, वरना आप मुजरिम ठहरेंगे। | |
Jame | UrduGeoD | 5:13 | क्या आपमें से कोई मुसीबत में फँसा हुआ है? वह दुआ करे। क्या कोई ख़ुश है? वह सताइश के गीत गाए। | |
Jame | UrduGeoD | 5:14 | क्या आपमें से कोई बीमार है? वह जमात के बुज़ुर्गों को बुलाए ताकि वह आकर उसके लिए दुआ करें और ख़ुदावंद के नाम में उस पर तेल मलें। | |
Jame | UrduGeoD | 5:15 | फिर ईमान से की गई दुआ मरीज़ को बचाएगी और ख़ुदावंद उसे उठा खड़ा करेगा। और अगर उसने गुनाह किया हो तो उसे मुआफ़ किया जाएगा। | |
Jame | UrduGeoD | 5:16 | चुनाँचे एक दूसरे के सामने अपने गुनाहों का इक़रार करें और एक दूसरे के लिए दुआ करें ताकि आप शफ़ा पाएँ। रास्त शख़्स की मुअस्सिर दुआ से बहुत कुछ हो सकता है। | |
Jame | UrduGeoD | 5:17 | इलियास हम जैसा इनसान था। लेकिन जब उसने ज़ोर से दुआ की कि बारिश न हो तो साढ़े तीन साल तक बारिश न हुई। | |
Jame | UrduGeoD | 5:18 | फिर उसने दुबारा दुआ की तो आसमान ने बारिश अता की और ज़मीन ने अपनी फ़सलें पैदा कीं। | |