JEREMIAH
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
49
50
51
52
Chapter 37
Jere | UrduGeoD | 37:1 | यहूदाह के बादशाह यहूयाकीन बिन यहूयक़ीम को तख़्त से उतारने के बाद शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र ने सिदक़ियाह बिन यूसियाह को तख़्त पर बिठा दिया। | |
Jere | UrduGeoD | 37:2 | लेकिन न सिदक़ियाह, न उसके अफ़सरों या अवाम ने उन पैग़ामात पर ध्यान दिया जो रब ने यरमियाह नबी की मारिफ़त फ़रमाए थे। | |
Jere | UrduGeoD | 37:3 | एक दिन सिदक़ियाह बादशाह ने यहूकल बिन सलमियाह और इमाम सफ़नियाह बिन मासियाह को यरमियाह के पास भेजा ताकि वह गुज़ारिश करें, “मेहरबानी करके रब हमारे ख़ुदा से हमारी शफ़ाअत करें।” | |
Jere | UrduGeoD | 37:4 | यरमियाह को अब तक क़ैद में डाला नहीं गया था, इसलिए वह आज़ादी से लोगों में चल-फिर सकता था। | |
Jere | UrduGeoD | 37:5 | उस वक़्त फ़िरौन की फ़ौज मिसर से निकलकर इसराईल की तरफ़ बढ़ रही थी। जब यरूशलम का मुहासरा करनेवाली बाबल की फ़ौज को यह ख़बर मिली तो वह वहाँ से पीछे हट गई। | |
Jere | UrduGeoD | 37:7 | “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि शाहे-यहूदाह ने तुम्हें मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करने भेजा है। उसे जवाब दो कि फ़िरौन की जो फ़ौज तुम्हारी मदद करने के लिए निकल आई है वह अपने मुल्क वापस लौटने को है। | |
Jere | UrduGeoD | 37:8 | फिर बाबल के फ़ौजी वापस आकर यरूशलम पर हमला करेंगे। वह इसे अपने क़ब्ज़े में लेकर नज़रे-आतिश कर देंगे। | |
Jere | UrduGeoD | 37:9 | क्योंकि रब फ़रमाता है कि यह सोचकर धोका मत खाओ कि बाबल की फ़ौज ज़रूर हमें छोड़कर चली जाएगी। ऐसा कभी नहीं होगा! | |
Jere | UrduGeoD | 37:10 | ख़ाह तुम हमलाआवर पूरी बाबली फ़ौज को शिकस्त क्यों न देते और सिर्फ़ ज़ख़मी आदमी बचे रहते तो भी तुम नाकाम रहते, तो भी यह बाज़ एक आदमी अपने ख़ैमों में से निकलकर यरूशलम को नज़रे-आतिश करते।” | |
Jere | UrduGeoD | 37:11 | जब फ़िरौन की फ़ौज इसराईल की तरफ़ बढ़ने लगी तो बाबल के फ़ौजी यरूशलम को छोड़कर पीछे हट गए। | |
Jere | UrduGeoD | 37:12 | उन दिनों में यरमियाह बिनयमीन के क़बायली इलाक़े के लिए रवाना हुआ, क्योंकि वह अपने रिश्तेदारों के साथ कोई मौरूसी मिलकियत तक़सीम करना चाहता था। लेकिन जब वह शहर से निकलते हुए | |
Jere | UrduGeoD | 37:13 | बिनयमीन के दरवाज़े तक पहुँच गया तो पहरेदारों का एक अफ़सर उसे पकड़कर कहने लगा, “तुम भगोड़े हो! तुम बाबल की फ़ौज के पास जाना चाहते हो!” अफ़सर का नाम इरियाह बिन सलमियाह बिन हननियाह था। | |
Jere | UrduGeoD | 37:14 | यरमियाह ने एतराज़ किया, “यह झूट है, मैं भगोड़ा नहीं हूँ! मैं बाबल की फ़ौज के पास नहीं जा रहा।” लेकिन इरियाह न माना बल्कि उसे गिरिफ़्तार करके सरकारी अफ़सरों के पास ले गया। | |
Jere | UrduGeoD | 37:15 | उसे देखकर उन्हें यरमियाह पर ग़ुस्सा आया, और वह उस की पिटाई कराकर उसे शाही मुहर्रिर यूनतन के घर में लाए जिसे उन्होंने क़ैदख़ाना बनाया था। | |
Jere | UrduGeoD | 37:16 | वहाँ उसे एक ज़मीनदोज़ कमरे में डाल दिया गया जो पहले हौज़ था और जिसकी छत मेहराबदार थी। वह मुतअद्दिद दिन उसमें बंद रहा। | |
Jere | UrduGeoD | 37:17 | एक दिन सिदक़ियाह ने उसे महल में बुलाया। वहाँ अलहदगी में उससे पूछा, “क्या रब की तरफ़ से मेरे लिए कोई पैग़ाम है?” यरमियाह ने जवाब दिया, “जी हाँ। आपको शाहे-बाबल के हवाले किया जाएगा।” | |
Jere | UrduGeoD | 37:18 | तब यरमियाह ने सिदक़ियाह बादशाह से अपनी बात जारी रखकर कहा, “मुझसे क्या जुर्म हुआ है? मैंने आपके अफ़सरों और अवाम का क्या क़ुसूर किया है कि मुझे जेल में डलवा दिया? | |
Jere | UrduGeoD | 37:19 | आपके वह नबी कहाँ हैं जिन्होंने आपको पेशगोई सुनाई कि शाहे-बाबल न आप पर, न इस मुल्क पर हमला करेगा? | |
Jere | UrduGeoD | 37:20 | ऐ मेरे मालिक और बादशाह, मेहरबानी करके मेरी बात सुनें, मेरी गुज़ारिश पूरी करें! मुझे यूनतन मुहर्रिर के घर में वापस न भेजें, वरना मैं मर जाऊँगा।” | |