Site uses cookies to provide basic functionality.

OK
II CORINTHIANS
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13
Prev Up Next Toggle notes
Chapter 10
II C UrduGeoD 10:1  मैं आपसे अपील करता हूँ, मैं पौलुस जिसके बारे में कहा जाता है कि मैं आपके रूबरू आजिज़ होता हूँ और सिर्फ़ आपसे दूर होकर दिलेर होता हूँ। मसीह की हलीमी और नरमी के नाम में
II C UrduGeoD 10:2  मैं आपसे मिन्नत करता हूँ कि मुझे आपके पास आकर इतनी दिलेरी से उन लोगों से निपटना न पड़े जो समझते हैं कि हमारा चाल-चलन दुनियावी है। क्योंकि फ़िलहाल ऐसा लगता है कि इसकी ज़रूरत होगी।
II C UrduGeoD 10:3  बेशक हम इनसान ही हैं, लेकिन हम दुनिया की तरह जंग नहीं लड़ते।
II C UrduGeoD 10:4  और जो हथियार हम इस जंग में इस्तेमाल करते हैं वह इस दुनिया के नहीं हैं, बल्कि उन्हें अल्लाह की तरफ़ से क़िले ढा देने की क़ुव्वत हासिल है। इनसे हम ग़लत ख़यालात के ढाँचे
II C UrduGeoD 10:5  और हर ऊँची चीज़ ढा देते हैं जो अल्लाह के इल्मो-इरफ़ान के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाती है। और हम हर ख़याल को क़ैद करके मसीह के ताबे कर देते हैं।
II C UrduGeoD 10:6  हाँ, आपके पूरे तौर पर ताबे हो जाने पर हम हर नाफ़रमानी की सज़ा देने के लिए तैयार होंगे।
II C UrduGeoD 10:7  आप सिर्फ़ ज़ाहिरी बातों पर ग़ौर कर रहे हैं। अगर किसी को इस बात का एतमाद हो कि वह मसीह का है तो वह इसका भी ख़याल करे कि हम भी उसी की तरह मसीह के हैं।
II C UrduGeoD 10:8  क्योंकि अगर मैं उस इख़्तियार पर मज़ीद फ़ख़र भी करूँ जो ख़ुदावंद ने हमें दिया है तो भी मैं शरमिंदा नहीं हूँगा। ग़ौर करें कि उसने हमें आपको ढा देने का नहीं बल्कि आपकी रूहानी तामीर करने का इख़्तियार दिया है।
II C UrduGeoD 10:9  मैं नहीं चाहता कि ऐसा लगे जैसे मैं आपको अपने ख़तों से डराने की कोशिश कर रहा हूँ।
II C UrduGeoD 10:10  क्योंकि बाज़ कहते हैं, “पौलुस के ख़त ज़ोरदार और ज़बरदस्त हैं, लेकिन जब वह ख़ुद हाज़िर होता है तो वह कमज़ोर और उसके बोलने का तर्ज़ हिक़ारतआमेज़ है।”
II C UrduGeoD 10:11  ऐसे लोग इस बात का ख़याल करें कि जो बातें हम आपसे दूर होते हुए अपने ख़तों में पेश करते हैं उन्हीं बातों पर हम अमल करेंगे जब आपके पास आएँगे।
II C UrduGeoD 10:12  हम तो अपने आपको उनमें शुमार नहीं करते जो अपनी तारीफ़ करके अपनी सिफ़ारिश करते रहते हैं, न अपना उनके साथ मुवाज़ना करते हैं। वह कितने बेसमझ हैं जब वह अपने आपको मेयार बनाकर उसी पर अपने आपको जाँचते हैं और अपना मुवाज़ना अपने आपसे करते हैं।
II C UrduGeoD 10:13  लेकिन हम मुनासिब हद से ज़्यादा फ़ख़र नहीं करेंगे बल्कि सिर्फ़ उस हद तक जो अल्लाह ने हमारे लिए मुक़र्रर किया है। और आप भी इस हद के अंदर आ जाते हैं।
II C UrduGeoD 10:14  इसमें हम मुनासिब हद से ज़्यादा फ़ख़र नहीं कर रहे, क्योंकि हम तो मसीह की ख़ुशख़बरी लेकर आप तक पहुँच गए हैं। अगर ऐसा न होता तो फिर और बात होती।
II C UrduGeoD 10:15  हम ऐसे काम पर फ़ख़र नहीं करते जो दूसरों की मेहनत से सरंजाम दिया गया है। इसमें भी हम मुनासिब हद्दों के अंदर रहते हैं, बल्कि हम यह उम्मीद रखते हैं कि आपका ईमान बढ़ जाए और यों हमारी क़दरो-क़ीमत भी अल्लाह की मुक़र्ररा हद तक बढ़ जाए। ख़ुदा करे कि आपमें हमारा यह काम इतना बढ़ जाए
II C UrduGeoD 10:16  कि हम अल्लाह की ख़ुशख़बरी आपसे आगे जाकर भी सुना सकें। क्योंकि हम उस काम पर फ़ख़र नहीं करना चाहते जिसे दूसरे कर चुके हैं।
II C UrduGeoD 10:17  कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “फ़ख़र करनेवाला ख़ुदावंद ही पर फ़ख़र करे।”
II C UrduGeoD 10:18  जब लोग अपनी तारीफ़ करके अपनी सिफ़ारिश करते हैं तो इसमें क्या है! इससे वह सहीह साबित नहीं होते, बल्कि अहम बात यह है कि ख़ुदावंद ही इसकी तसदीक़ करे।