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II CORINTHIANS
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Chapter 11
II C UrduGeoD 11:1  ख़ुदा करे कि जब मैं अपनी हमाक़त का कुछ इज़हार करता हूँ तो आप मुझे बरदाश्त करें। हाँ, ज़रूर मुझे बरदाश्त करें,
II C UrduGeoD 11:2  क्योंकि मैं आपके लिए अल्लाह की-सी ग़ैरत रखता हूँ। मैंने आपका रिश्ता एक ही मर्द के साथ बाँधा, और मैं आपको पाकदामन कुँवारी की हैसियत से उस मर्द मसीह के हुज़ूर पेश करना चाहता था।
II C UrduGeoD 11:3  लेकिन अफ़सोस, मुझे डर है कि आप हव्वा की तरह गुनाह में गिर जाएंगे, कि जिस तरह साँप ने अपनी चालाकी से हव्वा को धोका दिया उसी तरह आपकी सोच भी बिगड़ जाएगी और वह ख़ुलूसदिली और पाक लग्न ख़त्म हो जाएगी जो आप मसीह के लिए महसूस करते हैं।
II C UrduGeoD 11:4  क्योंकि आप ख़ुशी से हर एक को बरदाश्त करते हैं जो आपके पास आकर एक फ़रक़ क़िस्म का ईसा पेश करता है, एक ऐसा ईसा जो हमने आपको पेश नहीं किया था। और आप एक ऐसी रूह और ऐसी “ख़ुशख़बरी” क़बूल करते हैं जो उस रूह और ख़ुशख़बरी से बिलकुल फ़रक़ है जो आपको हमसे मिली थी।
II C UrduGeoD 11:5  मेरा नहीं ख़याल कि मैं इन नाम-निहाद ‘ख़ास’ रसूलों की निसबत कम हूँ।
II C UrduGeoD 11:6  हो सकता है कि मैं बोलने में माहिर नहीं हूँ, लेकिन यह मेरे इल्म के बारे में नहीं कहा जा सकता। यह हमने आपको साफ़ साफ़ और हर लिहाज़ से दिखाया है।
II C UrduGeoD 11:7  मैंने अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए आपसे कोई भी मुआवज़ा न लिया। यों मैंने अपने आपको नीचा कर दिया ताकि आपको सरफ़राज़ कर दिया जाए। क्या इसमें मुझसे ग़लती हुई?
II C UrduGeoD 11:8  जब मैं आपकी ख़िदमत कर रहा था तो मुझे ख़ुदा की दीगर जमातों से पैसे मिल रहे थे, यानी आपकी मदद करने के लिए मैं उन्हें लूट रहा था।
II C UrduGeoD 11:9  और जब मैं आपके पास था और ज़रूरतमंद था तो मैं किसी पर बोझ न बना, क्योंकि जो भाई मकिदुनिया से आए उन्होंने मेरी ज़रूरियात पूरी कीं। माज़ी में मैं आप पर बोझ न बना और आइंदा भी नहीं बनूँगा।
II C UrduGeoD 11:10  मसीह की उस सच्चाई की क़सम जो मेरे अंदर है, अख़या के पूरे सूबे में कोई मुझे इस पर फ़ख़र करने से नहीं रोकेगा।
II C UrduGeoD 11:11  मैं यह क्यों कह रहा हूँ? इसलिए कि मैं आपसे मुहब्बत नहीं रखता? ख़ुदा ही जानता है कि मैं आपसे मुहब्बत रखता हूँ।
II C UrduGeoD 11:12  और जो कुछ मैं अब कर रहा हूँ वही करता रहूँगा, ताकि मैं नाम-निहाद रसूलों को वह मौक़ा न दूँ जो वह ढूँड रहे हैं। क्योंकि यही उनका मक़सद है कि वह फ़ख़र करके यह कह सकें कि वह हम जैसे हैं।
II C UrduGeoD 11:13  ऐसे लोग तो झूटे रसूल हैं, धोकेबाज़ मज़दूर जिन्होंने मसीह के रसूलों का रूप धार लिया है।
II C UrduGeoD 11:14  और क्या अजब, क्योंकि इबलीस भी नूर के फ़रिश्ते का रूप धारकर घुमता-फिरता है।
II C UrduGeoD 11:15  तो फिर यह बड़ी बात नहीं कि उसके चेले रास्तबाज़ी के ख़ादिम का रूप धारकर घुमते-फिरते हैं। उनका अंजाम उनके आमाल के मुताबिक़ ही होगा।
II C UrduGeoD 11:16  मैं दुबारा कहता हूँ कि कोई मुझे अहमक़ न समझे। लेकिन अगर आप यह सोचें भी तो कम अज़ कम मुझे अहमक़ की हैसियत से क़बूल करें ताकि मैं भी थोड़ा-बहुत अपने आप पर फ़ख़र करूँ।
II C UrduGeoD 11:17  असल में जो कुछ मैं अब बयान कर रहा हूँ वह ख़ुदावंद को पसंद नहीं है, बल्कि मैं अहमक़ की तरह बात कर रहा हूँ।
II C UrduGeoD 11:18  लेकिन चूँकि इतने लोग जिस्मानी तौर पर फ़ख़र कर रहे हैं इसलिए मैं भी फ़ख़र करूँगा।
II C UrduGeoD 11:19  बेशक आप ख़ुद इतने दानिशमंद हैं कि आप अहमक़ों को ख़ुशी से बरदाश्त करते हैं।
II C UrduGeoD 11:20  हाँ, बल्कि आप यह भी बरदाश्त करते हैं जब लोग आपको ग़ुलाम बनाते, आपको लूटते, आपसे ग़लत फ़ायदा उठाते, नख़रे करते और आपको थप्पड़ मारते हैं।
II C UrduGeoD 11:21  यह कहकर मुझे शर्म आती है कि हम इतने कमज़ोर थे कि हम ऐसा न कर सके। लेकिन अगर कोई किसी बात पर फ़ख़र करने की जुर्रत करे (मैं अहमक़ की-सी बात कर रहा हूँ) तो मैं भी उतनी ही जुर्रत करूँगा।
II C UrduGeoD 11:22  क्या वह इबरानी हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इसराईली हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इब्राहीम की औलाद हैं? मैं भी हूँ।
II C UrduGeoD 11:23  क्या वह मसीह के ख़ादिम हैं? (अब तो मैं गोया बेख़ुद हो गया हूँ कि इस तरह की बातें कर रहा हूँ!) मैं उनसे ज़्यादा मसीह की ख़िदमत करता हूँ। मैंने उनसे कहीं ज़्यादा मेहनत-मशक़्क़त की, ज़्यादा दफ़ा जेल में रहा, मेरे ज़्यादा सख़्ती से कोड़े लगाए गए और मैं बार बार मरने के ख़तरों में रहा हूँ।
II C UrduGeoD 11:24  मुझे यहूदियों से पाँच दफ़ा 39 कोड़ों की सज़ा मिली है।
II C UrduGeoD 11:25  तीन दफ़ा रोमियों ने मुझे लाठी से मारा। एक बार मुझे संगसार किया गया। जब मैं समुंदर में सफ़र कर रहा था तो तीन मरतबा मेरा जहाज़ तबाह हुआ। हाँ, एक दफ़ा मुझे जहाज़ के तबाह होने पर एक पूरी रात और दिन समुंदर में गुज़ारना पड़ा।
II C UrduGeoD 11:26  मेरे बेशुमार सफ़रों के दौरान मुझे कई तरह के ख़तरों का सामना करना पड़ा, दरियाओं और डाकुओं का ख़तरा, अपने हमवतनों और ग़ैरयहूदियों के हमलों का ख़तरा। जहाँ भी मैं गया हूँ वहाँ यह ख़तरे मौजूद रहे, ख़ाह मैं शहर में था, ख़ाह ग़ैरआबाद इलाक़े में या समुंदर में। झूटे भाइयों की तरफ़ से भी ख़तरे रहे हैं।
II C UrduGeoD 11:27  मैंने जाँफ़िशानी से सख़्त मेहनत-मशक़्क़त की है और कई रात जागता रहा हूँ, मैं भूका और प्यासा रहा हूँ, मैंने बहुत रोज़े रखे हैं। मुझे सर्दी और नंगेपन का तजरबा हुआ है।
II C UrduGeoD 11:28  और यह उन फ़िकरों के अलावा है जो मैं ख़ुदा की तमाम जमातों के लिए महसूस करता हूँ और जो मुझे दबाती रहती हैं।
II C UrduGeoD 11:29  जब कोई कमज़ोर है तो मैं अपने आपको भी कमज़ोर महसूस करता हूँ। जब किसी को ग़लत राह पर लाया जाता है तो मैं उसके लिए शदीद रंजिश महसूस करता हूँ।
II C UrduGeoD 11:30  अगर मुझे फ़ख़र करना पड़े तो मैं उन चीज़ों पर फ़ख़र करूँगा जो मेरी कमज़ोर हालत ज़ाहिर करती हैं।
II C UrduGeoD 11:31  हमारा ख़ुदा और ख़ुदावंद ईसा का बाप (उस की हम्दो-सना अबद तक हो) जानता है कि मैं झूट नहीं बोल रहा।
II C UrduGeoD 11:32  जब मैं दमिश्क़ शहर में था तो बादशाह अरितास के गवर्नर ने शहर के तमाम दरवाज़ों पर अपने पहरेदार मुक़र्रर किए ताकि वह मुझे गिरिफ़्तार करें।
II C UrduGeoD 11:33  लेकिन शहर की फ़सील में एक दरीचा था, और मुझे एक टोकरे में रखकर वहाँ से उतारा गया। यों मैं उसके हाथों से बच निकला।