JOEL
Chapter 1
Joel | UrduGeoD | 1:2 | ऐ बुज़ुर्गो, सुनो! ऐ मुल्क के तमाम बाशिंदो, तवज्जुह दो! जो कुछ इन दिनों में तुम्हें पेश आया है क्या वह पहले कभी तुम्हें या तुम्हारे बापदादा को पेश आया? | |
Joel | UrduGeoD | 1:3 | अपने बच्चों को इसके बारे में बताओ, जो कुछ पेश आया है उस की याद नसल-दर-नसल ताज़ा रहे। | |
Joel | UrduGeoD | 1:4 | जो कुछ टिड्डी के लार्वे ने छोड़ दिया उसे बालिग़ टिड्डी खा गई, जो बालिग़ टिड्डी छोड़ गई उसे टिड्डी का बच्चा खा गया, और जो टिड्डी का बच्चा छोड़ गया उसे जवान टिड्डी खा गई। | |
Joel | UrduGeoD | 1:5 | ऐ नशे में धुत लोगो, जाग उठो और रो पड़ो! ऐ मै पीनेवालो, वावैला करो! क्योंकि नई मै तुम्हारे मुँह से छीन ली गई है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:6 | टिड्डियों की ज़बरदस्त और अनगिनत क़ौम मेरे मुल्क पर टूट पड़ी है। उनके शेर के-से दाँत और शेरनी का-सा जबड़ा है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:7 | नतीजे में मेरे अंगूर की बेलें तबाह, मेरे अंजीर के दरख़्त ज़ाया हो गए हैं। टिड्डियों ने छाल को भी उतार लिया, अब शाख़ें सफ़ेद सफ़ेद नज़र आती हैं। | |
Joel | UrduGeoD | 1:8 | आहो-ज़ारी करो, टाट से मुलब्बस उस कुँवारी की तरह गिर्या करो जिसका मंगेतर इंतक़ाल कर गया हो। | |
Joel | UrduGeoD | 1:9 | रब के घर में ग़ल्ला और मै की नज़रें बंद हो गई हैं। इमाम जो रब के ख़ादिम हैं मातम कर रहे हैं। | |
Joel | UrduGeoD | 1:11 | ऐ काश्तकारो, शर्मसार हो जाओ! ऐ अंगूर के बाग़बानो, आहो-बुका करो! क्योंकि खेत की फ़सल बरबाद हो गई है, गंदुम और जौ की फ़सल ख़त्म ही है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:12 | अंगूर की बेल सूख गई, अंजीर का दरख़्त मुरझा गया है। अनार, खजूर, सेब बल्कि फल लानेवाले तमाम दरख़्त पज़मुरदा हो गए हैं। इनसान की तमाम ख़ुशी ख़ाक में मिलाई गई है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:13 | ऐ इमामो, टाट का लिबास ओढ़कर मातम करो! ऐ क़ुरबानगाह के ख़ादिमो, वावैला करो! ऐ मेरे ख़ुदा के ख़ादिमो, आओ, रात को भी टाट ओढ़कर गुज़ारो! क्योंकि तुम्हारे ख़ुदा का घर ग़ल्ला और मै की नज़रों से महरूम हो गया है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:14 | मुक़द्दस रोज़े का एलान करो। लोगों को ख़ास इजतिमा के लिए बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को रब अपने ख़ुदा के घर में जमा करके बुलंद आवाज़ से रब से इल्तिजा करो। | |
Joel | UrduGeoD | 1:15 | उस दिन पर अफ़सोस! क्योंकि रब का वह दिन क़रीब ही है जब क़ादिरे-मुतलक़ हम पर तबाही नाज़िल करेगा। | |
Joel | UrduGeoD | 1:16 | क्या ऐसा नहीं हुआ कि हमारे देखते देखते हमसे ख़ुराक छीन ली गई, कि अल्लाह के घर में ख़ुशीओ-शादमानी बंद हो गई है? | |
Joel | UrduGeoD | 1:17 | ढेलों में छुपे बीज झुलस गए हैं, इसलिए ख़ाली गोदाम ख़स्ताहाल और अनाज को महफ़ूज़ रखने के मकान टूट फूट गए हैं। उनकी ज़रूरत नहीं रही, क्योंकि ग़ल्ला सूख गया है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:18 | हाय, मवेशी कैसी दर्दनाक आवाज़ निकाल रहे हैं! गाय-बैल परेशानी से इधर उधर फिर रहे हैं, क्योंकि कहीं भी चरागाह नहीं मिलती। भेड़-बकरियों को भी तकलीफ़ है। | |
Joel | UrduGeoD | 1:19 | ऐ रब, मैं तुझे पुकारता हूँ, क्योंकि खुले मैदान की चरागाहें नज़रे-आतिश हो गई हैं, तमाम दरख़्त भस्म हो गए हैं। | |