ECCLESIASTES
Chapter 1
| Eccl | UrduGeoD | 1:1 | ज़ैल में वाइज़ के अलफ़ाज़ क़लमबंद हैं, उसके जो दाऊद का बेटा और यरूशलम में बादशाह है, | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:5 | सूरज तुलू और ग़ुरूब हो जाता है, फिर सुरअत से उसी जगह वापस चला जाता है जहाँ से दुबारा तुलू होता है। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:6 | हवा जुनूब की तरफ़ चलती, फिर मुड़कर शिमाल की तरफ़ चलने लगती है। यों चक्कर काट काटकर वह बार बार नुक़ताए-आग़ाज़ पर वापस आती है। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:7 | तमाम दरिया समुंदर में जा मिलते हैं, तो भी समुंदर की सतह वही रहती है, क्योंकि दरियाओं का पानी मुसलसल उन सरचश्मों के पास वापस आता है जहाँ से बह निकला है। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:8 | इनसान बातें करते करते थक जाता है और सहीह तौर से कुछ बयान नहीं कर सकता। आँख कभी इतना नहीं देखती कि कहे, “अब बस करो, काफ़ी है।” कान कभी इतना नहीं सुनता कि और न सुनना चाहे। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:9 | जो कुछ पेश आया वही दुबारा पेश आएगा, जो कुछ किया गया वही दुबारा किया जाएगा। सूरज तले कोई भी बात नई नहीं। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:10 | क्या कोई बात है जिसके बारे में कहा जा सके, “देखो, यह नई है”? हरगिज़ नहीं, यह भी हमसे बहुत देर पहले ही मौजूद थी। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:11 | जो पहले ज़िंदा थे उन्हें कोई याद नहीं करता, और जो आनेवाले हैं उन्हें भी वह याद नहीं करेंगे जो उनके बाद आएँगे। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:13 | मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि जो कुछ आसमान तले किया जाता है उस की हिकमत के ज़रीए तफ़तीशो-तहक़ीक़ करूँ। यह काम ना-गवार है गो अल्लाह ने ख़ुद इनसान को इसमें मेहनत-मशक़्क़त करने की ज़िम्मादारी दी है। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:14 | मैंने तमाम कामों का मुलाहज़ा किया जो सूरज तले होते हैं, तो नतीजा यह निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:16 | मैंने दिल में कहा, “हिक्मत में मैंने इतना इज़ाफ़ा किया और इतनी तरक़्क़ी की कि उन सबसे सबक़त ले गया जो मुझसे पहले यरूशलम पर हुकूमत करते थे। मेरे दिल ने बहुत हिकमत और इल्म अपना लिया है।” | |
| Eccl | UrduGeoD | 1:17 | मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि हिकमत समझूँ, नीज़ कि मुझे दीवानगी और हमाक़त की समझ भी आए। लेकिन मुझे मालूम हुआ कि यह भी हवा को पकड़ने के बराबर है। | |