ECCLESIASTES
Chapter 3
Eccl | UrduGeoD | 3:10 | मैंने वह तकलीफ़देह काम-काज देखा जो अल्लाह ने इनसान के सुपुर्द किया ताकि वह उसमें उलझा रहे। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:11 | उसने हर चीज़ को यों बनाया है कि वह अपने वक़्त के लिए ख़ूबसूरत और मुनासिब हो। उसने इनसान के दिल में जाविदानी भी डाली है, गो वह शुरू से लेकर आख़िर तक उस काम की तह तक नहीं पहुँच सकता जो अल्लाह ने किया है। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:12 | मैंने जान लिया कि इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह ख़ुश रहे और जीते-जी ज़िंदगी का मज़ा ले। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:13 | क्योंकि अगर कोई खाए पिए और तमाम मेहनत-मशक़्क़त के साथ साथ ख़ुशहाल भी हो तो यह अल्लाह की बख़्शिश है। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:14 | मुझे समझ आई कि जो कुछ अल्लाह करे वह अबद तक क़ायम रहेगा। उसमें न इज़ाफ़ा हो सकता है न कमी। अल्लाह यह सब कुछ इसलिए करता है कि इनसान उसका ख़ौफ़ माने। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:15 | जो हाल में पेश आ रहा है वह माज़ी में पेश आ चुका है, और जो मुस्तक़बिल में पेश आएगा वह भी पेश आ चुका है। हाँ, जो कुछ गुज़र चुका है उसे अल्लाह दुबारा वापस लाता है। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:16 | मैंने सूरज तले मज़ीद देखा, जहाँ अदालत करनी है वहाँ नाइनसाफ़ी है, जहाँ इनसाफ़ करना है वहाँ बेदीनी है। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:17 | लेकिन मैं दिल में बोला, “अल्लाह रास्तबाज़ और बेदीन दोनों की अदालत करेगा, क्योंकि हर मामले और काम का अपना वक़्त होता है।” | |
Eccl | UrduGeoD | 3:18 | मैंने यह भी सोचा, “जहाँ तक इनसानों का ताल्लुक़ है अल्लाह उनकी जाँच-पड़ताल करता है ताकि उन्हें पता चले कि वह जानवरों की मानिंद हैं। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:19 | क्योंकि इनसानो-हैवान का एक ही अंजाम है। दोनों दम छोड़ते, दोनों में एक-सा दम है, इसलिए इनसान को हैवान की निसबत ज़्यादा फ़ायदा हासिल नहीं होता। सब कुछ बातिल ही है। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:20 | सब कुछ एक ही जगह चला जाता है, सब कुछ ख़ाक से बना है और सब कुछ दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा। | |
Eccl | UrduGeoD | 3:21 | कौन यक़ीन से कह सकता है कि इनसान की रूह ऊपर की तरफ़ जाती और हैवान की रूह नीचे ज़मीन में उतरती है?” | |