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Chapter 64
Psal UrduGeoD 64:1  दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। ऐ अल्लाह, सुन जब मैं अपनी आहो-ज़ारी पेश करता हूँ। मेरी ज़िंदगी दुश्मन की दहशत से महफ़ूज़ रख।
Psal UrduGeoD 64:2  मुझे बदमाशों की साज़िशों से छुपाए रख, उनकी हलचल से जो ग़लत काम करते हैं।
Psal UrduGeoD 64:3  वह अपनी ज़बान को तलवार की तरह तेज़ करते और अपने ज़हरीले अलफ़ाज़ को तीरों की तरह तैयार रखते हैं
Psal UrduGeoD 64:4  ताकि ताक में बैठकर उन्हें बेक़ुसूर पर चलाएँ। वह अचानक और बेबाकी से उन्हें उस पर बरसा देते हैं।
Psal UrduGeoD 64:5  वह बुरा काम करने में एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करते, एक दूसरे से मशवरा लेते हैं कि हम अपने फंदे किस तरह छुपाकर लगाएँ? वह कहते हैं, “यह किसी को भी नज़र नहीं आएँगे।”
Psal UrduGeoD 64:6  वह बड़ी बारीकी से बुरे मनसूबों की तैयारियाँ करते, फिर कहते हैं, “चलो, बात बन गई है, मनसूबा सोच-बिचार के बाद तैयार हुआ है।” यक़ीनन इनसान के बातिन और दिल की तह तक पहुँचना मुश्किल ही है।
Psal UrduGeoD 64:7  लेकिन अल्लाह उन पर तीर बरसाएगा, और अचानक ही वह ज़ख़मी हो जाएंगे।
Psal UrduGeoD 64:8  वह अपनी ही ज़बान से ठोकर खाकर गिर जाएंगे। जो भी उन्हें देखेगा वह “तौबा तौबा” कहेगा।
Psal UrduGeoD 64:9  तब तमाम लोग ख़ौफ़ खाकर कहेंगे, “अल्लाह ही ने यह किया!” उन्हें समझ आएगी कि यह उसी का काम है।
Psal UrduGeoD 64:10  रास्तबाज़ अल्लाह की ख़ुशी मनाकर उसमें पनाह लेगा, और जो दिल से दियानतदार हैं वह सब फ़ख़र करेंगे।