Site uses cookies to provide basic functionality.

OK
PSALMS
Prev Up Next Toggle notes
Chapter 104
Psal UrduGeoD 104:1  ऐ मेरी जान, रब की सताइश कर! ऐ रब मेरे ख़ुदा, तू निहायत ही अज़ीम है, तू जाहो-जलाल से आरास्ता है।
Psal UrduGeoD 104:2  तेरी चादर नूर है जिसे तू ओढ़े रहता है। तू आसमान को ख़ैमे की तरह तानकर
Psal UrduGeoD 104:3  अपना बालाखाना उसके पानी के बीच में तामीर करता है। बादल तेरा रथ है, और तू हवा के परों पर सवार होता है।
Psal UrduGeoD 104:4  तू हवाओं को अपने क़ासिद और आग के शोलों को अपने ख़ादिम बना देता है।
Psal UrduGeoD 104:5  तूने ज़मीन को मज़बूत बुनियाद पर रखा ताकि वह कभी न डगमगाए।
Psal UrduGeoD 104:6  सैलाब ने उसे लिबास की तरह ढाँप दिया, और पानी पहाड़ों के ऊपर ही खड़ा हुआ।
Psal UrduGeoD 104:7  लेकिन तेरे डाँटने पर पानी फ़रार हुआ, तेरी गरजती आवाज़ सुनकर वह एकदम भाग गया।
Psal UrduGeoD 104:8  तब पहाड़ ऊँचे हुए और वादियाँ उन जगहों पर उतर आईं जो तूने उनके लिए मुक़र्रर की थीं।
Psal UrduGeoD 104:9  तूने एक हद बाँधी जिससे पानी बढ़ नहीं सकता। आइंदा वह कभी पूरी ज़मीन को नहीं ढाँकने का।
Psal UrduGeoD 104:10  तू वादियों में चश्मे फूटने देता है, और वह पहाड़ों में से बह निकलते हैं।
Psal UrduGeoD 104:11  बहते बहते वह खुले मैदान के तमाम जानवरों को पानी पिलाते हैं। जंगली गधे आकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
Psal UrduGeoD 104:12  परिंदे उनके किनारों पर बसेरा करते, और उनकी चहचहाती आवाज़ें घने बेल-बूटों में से सुनाई देती हैं।
Psal UrduGeoD 104:13  तू अपने बालाख़ाने से पहाड़ों को तर करता है, और ज़मीन तेरे हाथ से सेर होकर हर तरह का फल लाती है।
Psal UrduGeoD 104:14  तू जानवरों के लिए घास फूटने और इनसान के लिए पौदे उगने देता है ताकि वह ज़मीन की काश्तकारी करके रोटी हासिल करे।
Psal UrduGeoD 104:15  तेरी मै इनसान का दिल ख़ुश करती, तेरा तेल उसका चेहरा रौशन कर देता, तेरी रोटी उसका दिल मज़बूत करती है।
Psal UrduGeoD 104:16  रब के दरख़्त यानी लुबनान में उसके लगाए हुए देवदार के दरख़्त सेराब रहते हैं।
Psal UrduGeoD 104:17  परिंदे उनमें अपने घोंसले बना लेते हैं, और लक़लक़ जूनीपर के दरख़्त में अपना आशियाना।
Psal UrduGeoD 104:18  पहाड़ों की बुलंदियों पर पहाड़ी बकरों का राज है, चटानों में बिज्जू पनाह लेते हैं।
Psal UrduGeoD 104:19  तूने साल को महीनों में तक़सीम करने के लिए चाँद बनाया, और सूरज को ग़ुरूब होने के औक़ात मालूम हैं।
Psal UrduGeoD 104:20  तू अंधेरा फैलने देता है तो दिन ढल जाता है और जंगली जानवर हरकत में आ जाते हैं।
Psal UrduGeoD 104:21  जवान शेरबबर दहाड़कर शिकार के पीछे पड़ जाते और अल्लाह से अपनी ख़ुराक का मुतालबा करते हैं।
Psal UrduGeoD 104:22  फिर सूरज तुलू होने लगता है, और वह खिसककर अपने भटों में छुप जाते हैं।
Psal UrduGeoD 104:23  उस वक़्त इनसान घर से निकलकर अपने काम में लग जाता और शाम तक मसरूफ़ रहता है।
Psal UrduGeoD 104:24  ऐ रब, तेरे अनगिनत काम कितने अज़ीम हैं! तूने हर एक को हिकमत से बनाया, और ज़मीन तेरी मख़लूक़ात से भरी पड़ी है।
Psal UrduGeoD 104:25  समुंदर को देखो, वह कितना बड़ा और वसी है। उसमें बेशुमार जानदार हैं, बड़े भी और छोटे भी।
Psal UrduGeoD 104:26  उस की सतह पर जहाज़ इधर उधर सफ़र करते हैं, उस की गहराइयों में लिवियातान फिरता है, वह अज़दहा जिसे तूने उसमें उछलने कूदने के लिए तश्कील दिया था।
Psal UrduGeoD 104:27  सब तेरे इंतज़ार में रहते हैं कि तू उन्हें वक़्त पर खाना मुहैया करे।
Psal UrduGeoD 104:28  तू उनमें ख़ुराक तक़सीम करता है तो वह उसे इकट्ठा करते हैं। तू अपनी मुट्ठी खोलता है तो वह अच्छी चीज़ों से सेर हो जाते हैं।
Psal UrduGeoD 104:29  जब तू अपना चेहरा छुपा लेता है तो उनके हवास गुम हो जाते हैं। जब तू उनका दम निकाल लेता है तो वह नेस्त होकर दुबारा ख़ाक में मिल जाते हैं।
Psal UrduGeoD 104:30  तू अपना दम भेज देता है तो वह पैदा हो जाते हैं। तू ही रूए-ज़मीन को बहाल करता है।
Psal UrduGeoD 104:31  रब का जलाल अबद तक क़ायम रहे! रब अपने काम की ख़ुशी मनाए!
Psal UrduGeoD 104:32  वह ज़मीन पर नज़र डालता है तो वह लरज़ उठती है। वह पहाड़ों को छू देता है तो वह धुआँ छोड़ते हैं।
Psal UrduGeoD 104:33  मैं उम्र-भर रब की तमजीद में गीत गाऊँगा, जब तक ज़िंदा हूँ अपने ख़ुदा की मद्हसराई करूँगा।
Psal UrduGeoD 104:34  मेरी बात उसे पसंद आए! मैं रब से कितना ख़ुश हूँ!
Psal UrduGeoD 104:35  गुनाहगार ज़मीन से मिट जाएँ और बेदीन नेस्तो-नाबूद हो जाएँ। ऐ मेरी जान, रब की सताइश कर! रब की हम्द हो!