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Chapter 104
Psal | UrduGeoD | 104:1 | ऐ मेरी जान, रब की सताइश कर! ऐ रब मेरे ख़ुदा, तू निहायत ही अज़ीम है, तू जाहो-जलाल से आरास्ता है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:3 | अपना बालाखाना उसके पानी के बीच में तामीर करता है। बादल तेरा रथ है, और तू हवा के परों पर सवार होता है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:8 | तब पहाड़ ऊँचे हुए और वादियाँ उन जगहों पर उतर आईं जो तूने उनके लिए मुक़र्रर की थीं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:9 | तूने एक हद बाँधी जिससे पानी बढ़ नहीं सकता। आइंदा वह कभी पूरी ज़मीन को नहीं ढाँकने का। | |
Psal | UrduGeoD | 104:11 | बहते बहते वह खुले मैदान के तमाम जानवरों को पानी पिलाते हैं। जंगली गधे आकर अपनी प्यास बुझाते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:12 | परिंदे उनके किनारों पर बसेरा करते, और उनकी चहचहाती आवाज़ें घने बेल-बूटों में से सुनाई देती हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:13 | तू अपने बालाख़ाने से पहाड़ों को तर करता है, और ज़मीन तेरे हाथ से सेर होकर हर तरह का फल लाती है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:14 | तू जानवरों के लिए घास फूटने और इनसान के लिए पौदे उगने देता है ताकि वह ज़मीन की काश्तकारी करके रोटी हासिल करे। | |
Psal | UrduGeoD | 104:15 | तेरी मै इनसान का दिल ख़ुश करती, तेरा तेल उसका चेहरा रौशन कर देता, तेरी रोटी उसका दिल मज़बूत करती है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:17 | परिंदे उनमें अपने घोंसले बना लेते हैं, और लक़लक़ जूनीपर के दरख़्त में अपना आशियाना। | |
Psal | UrduGeoD | 104:18 | पहाड़ों की बुलंदियों पर पहाड़ी बकरों का राज है, चटानों में बिज्जू पनाह लेते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:19 | तूने साल को महीनों में तक़सीम करने के लिए चाँद बनाया, और सूरज को ग़ुरूब होने के औक़ात मालूम हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:21 | जवान शेरबबर दहाड़कर शिकार के पीछे पड़ जाते और अल्लाह से अपनी ख़ुराक का मुतालबा करते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:24 | ऐ रब, तेरे अनगिनत काम कितने अज़ीम हैं! तूने हर एक को हिकमत से बनाया, और ज़मीन तेरी मख़लूक़ात से भरी पड़ी है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:25 | समुंदर को देखो, वह कितना बड़ा और वसी है। उसमें बेशुमार जानदार हैं, बड़े भी और छोटे भी। | |
Psal | UrduGeoD | 104:26 | उस की सतह पर जहाज़ इधर उधर सफ़र करते हैं, उस की गहराइयों में लिवियातान फिरता है, वह अज़दहा जिसे तूने उसमें उछलने कूदने के लिए तश्कील दिया था। | |
Psal | UrduGeoD | 104:28 | तू उनमें ख़ुराक तक़सीम करता है तो वह उसे इकट्ठा करते हैं। तू अपनी मुट्ठी खोलता है तो वह अच्छी चीज़ों से सेर हो जाते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:29 | जब तू अपना चेहरा छुपा लेता है तो उनके हवास गुम हो जाते हैं। जब तू उनका दम निकाल लेता है तो वह नेस्त होकर दुबारा ख़ाक में मिल जाते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:30 | तू अपना दम भेज देता है तो वह पैदा हो जाते हैं। तू ही रूए-ज़मीन को बहाल करता है। | |
Psal | UrduGeoD | 104:32 | वह ज़मीन पर नज़र डालता है तो वह लरज़ उठती है। वह पहाड़ों को छू देता है तो वह धुआँ छोड़ते हैं। | |
Psal | UrduGeoD | 104:33 | मैं उम्र-भर रब की तमजीद में गीत गाऊँगा, जब तक ज़िंदा हूँ अपने ख़ुदा की मद्हसराई करूँगा। | |