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SONG OF SOLOMON
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Chapter 2
Song UrduGeoD 2:1  मैं मैदाने-शारून का फूल और वादियों की सोसन हूँ।
Song UrduGeoD 2:2  लड़कियों के दरमियान मेरी महबूबा काँटेदार पौदों में सोसन की मानिंद है।
Song UrduGeoD 2:3  जवान आदमियों में मेरा महबूब जंगल में सेब के दरख़्त की मानिंद है। मैं उसके साय में बैठने की कितनी आरज़ूमंद हूँ, उसका फल मुझे कितना मीठा लगता है।
Song UrduGeoD 2:4  वह मुझे मैकदे में लाया है, मेरे ऊपर उसका झंडा मुहब्बत है।
Song UrduGeoD 2:5  किशमिश की टिक्कियों से मुझे तरो-ताज़ा करो, सेबों से मुझे तक़वियत दो, क्योंकि मैं इश्क़ के मारे बीमार हो गई हूँ।
Song UrduGeoD 2:6  उसका बायाँ बाज़ू मेरे सर के नीचे होता और दहना बाज़ू मुझे गले लगाता है।
Song UrduGeoD 2:7  ऐ यरूशलम की बेटियो, ग़ज़ालों और खुले मैदान की हिरनियों की क़सम खाओ कि जब तक मुहब्बत ख़ुद न चाहे तुम उसे न जगाओगी, न बेदार करोगी।
Song UrduGeoD 2:8  सुनो, मेरा महबूब आ रहा है। वह देखो, वह पहाड़ों पर फलाँगता और टीलों पर से उछलता-कूदता आ रहा है।
Song UrduGeoD 2:9  मेरा महबूब ग़ज़ाल या जवान हिरन की मानिंद है। अब वह हमारे घर की दीवार के सामने रुककर खिड़कियों में से झाँक रहा, जंगले में से तक रहा है।
Song UrduGeoD 2:10  वह मुझसे कहता है, “ऐ मेरी ख़ूबसूरत महबूबा, उठकर मेरे साथ चल!
Song UrduGeoD 2:11  देख, सर्दियों का मौसम गुज़र गया है, बारिशें भी ख़त्म हो गई हैं।
Song UrduGeoD 2:12  ज़मीन से फूल फूट निकले हैं और गीत का वक़्त आ गया है, कबूतरों की ग़ूँ ग़ूँ हमारे मुल्क में सुनाई देती है।
Song UrduGeoD 2:13  अंजीर के दरख़्तों पर पहली फ़सल का फल पक रहा है, और अंगूर की बेलों के फूल ख़ुशबू फैला रहे हैं। चुनाँचे आ मेरी हसीन महबूबा, उठकर आ जा!
Song UrduGeoD 2:14  ऐ मेरी कबूतरी, चटान की दराड़ों में छुपी न रह, पहाड़ी पत्थरों में पोशीदा न रह बल्कि मुझे अपनी शक्ल दिखा, मुझे अपनी आवाज़ सुनने दे, क्योंकि तेरी आवाज़ शीरीं, तेरी शक्ल ख़ूबसूरत है।”
Song UrduGeoD 2:15  हमारे लिए लोमड़ियों को पकड़ लो, उन छोटी लोमड़ियों को जो अंगूर के बाग़ों को तबाह करती हैं। क्योंकि हमारी बेलों से फूल फूट निकले हैं।
Song UrduGeoD 2:16  मेरा महबूब मेरा ही है, और मैं उसी की हूँ, उसी की जो सोसनों में चरता है।
Song UrduGeoD 2:17  ऐ मेरे महबूब, इससे पहले कि शाम की हवा चले और साय लंबे होकर फ़रार हो जाएँ ग़ज़ाल या जवान हिरन की तरह संगलाख़ पहाड़ों का रुख़ कर!