ZECHARIAH
Chapter 8
Zech | UrduGeoD | 8:2 | “रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि मैं बड़ी ग़ैरत से सिय्यून के लिए लड़ रहा हूँ, बड़े ग़ुस्से में उसके लिए जिद्दो-जहद कर रहा हूँ। | |
Zech | UrduGeoD | 8:3 | रब फ़रमाता है कि मैं सिय्यून के पास वापस आऊँगा, दुबारा यरूशलम के बीच में सुकूनत करूँगा। तब यरूशलम ‘वफ़ादारी का शहर’ और रब्बुल-अफ़वाज का पहाड़ ‘कोहे-मुक़द्दस’ कहलाएगा। | |
Zech | UrduGeoD | 8:4 | क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘बुज़ुर्ग मर्दो-ख़वातीन दुबारा यरूशलम के चौकों में बैठेंगे, और हर एक इतना उम्ररसीदा होगा कि उसे छड़ी का सहारा लेना पड़ेगा। | |
Zech | UrduGeoD | 8:6 | रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘शायद यह उस वक़्त बचे हुए इसराईलियों को नामुमकिन लगे। लेकिन क्या ऐसा काम मेरे लिए जो रब्बुल-अफ़वाज हूँ नामुमकिन है? हरगिज़ नहीं!’ | |
Zech | UrduGeoD | 8:8 | वापस लाऊँगा, और वह यरूशलम में बसेंगे। वहाँ वह मेरी क़ौम होंगे और मैं वफ़ादारी और इनसाफ़ के साथ उनका ख़ुदा हूँगा।’ | |
Zech | UrduGeoD | 8:9 | रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘हौसला रखकर तामीरी काम तकमील तक पहुँचाओ! आज भी तुम उन बातों पर एतमाद कर सकते हो जो नबियों ने रब्बुल-अफ़वाज के घर की बुनियाद डालते वक़्त सुनाई थीं। | |
Zech | UrduGeoD | 8:10 | याद रहे कि उस वक़्त से पहले न इनसान और न हैवान को मेहनत की मज़दूरी मिलती थी। आने जानेवाले कहीं भी दुश्मन के हमलों से महफ़ूज़ नहीं थे, क्योंकि मैंने हर आदमी को उसके हमसाय का दुश्मन बना दिया था।’ | |
Zech | UrduGeoD | 8:11 | लेकिन रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘अब से मैं तुमसे जो बचे हुए हो ऐसा सुलूक नहीं करूँगा। | |
Zech | UrduGeoD | 8:12 | लोग सलामती से बीज बोएँगे, अंगूर की बेल वक़्त पर अपना फल लाएगी, खेतों में फ़सलें पकेंगी और आसमान ओस पड़ने देगा। यह तमाम चीज़ें मैं यहूदाह के बचे हुओं को मीरास में दूँगा। | |
Zech | UrduGeoD | 8:13 | ऐ यहूदाह और इसराईल, पहले तुम दीगर अक़वाम में लानत का निशाना बन गए थे, लेकिन अब जब मैं तुम्हें रिहा करूँगा तो तुम बरकत का बाइस होगे। डरो मत! हौसला रखो!’ | |
Zech | UrduGeoD | 8:14 | रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘पहले जब तुम्हारे बापदादा ने मुझे तैश दिलाया तो मैंने तुम पर आफ़त लाने का मुसम्मम इरादा कर लिया था और कभी न पछताया। | |
Zech | UrduGeoD | 8:15 | लेकिन अब मैं यरूशलम और यहूदाह को बरकत देना चाहता हूँ। इसमें मेरा इरादा उतना ही पक्का है जितना पहले तुम्हें नुक़सान पहुँचाने में पक्का था। चुनाँचे डरो मत! | |
Zech | UrduGeoD | 8:16 | लेकिन इन बातों पर ध्यान दो, एक दूसरे से सच बात करो, अदालत में सच्चाई और सलामती पर मबनी फ़ैसले करो, | |
Zech | UrduGeoD | 8:17 | अपने पड़ोसी के ख़िलाफ़ बुरे मनसूबे मत बान्धो और झूटी क़सम खाने के शौक़ से बाज़ आओ। इन तमाम चीज़ों से मैं नफ़रत करता हूँ।’ यह रब का फ़रमान है।” | |
Zech | UrduGeoD | 8:19 | “रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि आज तक यहूदाह के लोग चौथे, पाँचवें, सातवें और दसवें महीने में रोज़ा रखकर मातम करते आए हैं। लेकिन अब से यह औक़ात ख़ुशीओ-शादमानी के मौक़े होंगे जिन पर जशन मनाओगे। लेकिन सच्चाई और सलामती को प्यार करो! | |
Zech | UrduGeoD | 8:20 | रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि ऐसा वक़्त आएगा जब दीगर अक़वाम और मुतअद्दिद शहरों के लोग यहाँ आएँगे। | |
Zech | UrduGeoD | 8:21 | एक शहर के बाशिंदे दूसरे शहर में जाकर कहेंगे, ‘आओ, हम यरूशलम जाकर रब से इलतमास करें, रब्बुल-अफ़वाज की मरज़ी दरियाफ़्त करें। हम भी जाएंगे।’ | |
Zech | UrduGeoD | 8:22 | हाँ, मुतअद्दिद अक़वाम और ताक़तवर उम्मतें यरूशलम आएँगी ताकि रब्बुल-अफ़वाज की मरज़ी मालूम करें और उससे इलतमास करें। | |