ISAIAH
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Chapter 57
Isai | UrduGeoD | 57:1 | रास्तबाज़ हलाक हो जाता है, लेकिन किसी को परवा नहीं। दियानतदार दुनिया से छीन लिए जाते हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। कोई नहीं समझता कि रास्तबाज़ को बुराई से बचने के लिए छीन लिया जाता है। | |
Isai | UrduGeoD | 57:2 | क्योंकि उस की मनज़िले-मक़सूद सलामती है। सीधी राह पर चलनेवाले मरते वक़्त पाँव फैलाकर आराम करते हैं। | |
Isai | UrduGeoD | 57:4 | तुम किसका मज़ाक़ उड़ा रहे हो, किस पर ज़बान चलाकर मुँह चिड़ाते हो? तुम मुजरिमों और धोकेबाज़ों के ही बच्चे हो! | |
Isai | UrduGeoD | 57:5 | तुम बलूत बल्कि हर घने दरख़्त के साय में मस्ती में आ जाते हो, वादियों और चटानों के शिगाफ़ों में अपने बच्चों को ज़बह करते हो। | |
Isai | UrduGeoD | 57:6 | वादियों के रगड़े हुए पत्थर तेरा हिस्सा और तेरा मुक़द्दर बन गए हैं। क्योंकि उन्हीं को तूने मै और ग़ल्ला की नज़रें पेश कीं। इसके मद्दे-नज़र मैं अपना फ़ैसला क्यों बदलूँ? | |
Isai | UrduGeoD | 57:8 | अपने घर के दरवाज़े और चौखट के पीछे तूने अपनी बुतपरस्ती के निशान लगाए। मुझे तर्क करके तू अपना बिस्तर बिछाकर उस पर लेट गई। तूने उसे इतना बड़ा बना दिया कि दूसरे भी उस पर लेट सकें। फिर तूने इसमतफ़रोशी के पैसे मुक़र्रर किए। उनकी सोहबत तुझे कितनी प्यारी थी, उनकी बरहनगी से तू कितना लुत्फ़ उठाती थी! | |
Isai | UrduGeoD | 57:9 | तू कसरत का तेल और ख़ुशबूदार क्रीम लेकर मलिक देवता के पास गई। तूने अपने क़ासिदों को दूर दूर बल्कि पाताल तक भेज दिया। | |
Isai | UrduGeoD | 57:10 | गो तू सफ़र करते करते बहुत थक गई तो भी तूने कभी न कहा, ‘फ़ज़ूल है!’ अब तक तुझे तक़वियत मिलती रही, इसलिए तू निढाल न हुई। | |
Isai | UrduGeoD | 57:11 | तुझे किससे इतना ख़ौफ़ो-हिरास था कि तूने झूट बोलकर न मुझे याद किया, न परवा की? ऐसा ही है ना, तू इसलिए मेरा ख़ौफ़ नहीं मानती कि मैं ख़ामोश और छुपा रहा। | |
Isai | UrduGeoD | 57:12 | लेकिन मैं लोगों पर तेरी नाम-निहाद रास्तबाज़ी और तेरे काम ज़ाहिर करूँगा। यक़ीनन यह तेरे लिए मुफ़ीद नहीं होंगे। | |
Isai | UrduGeoD | 57:13 | आ, मदद के लिए आवाज़ दे! देखते हैं कि तेरे बुतों का मजमुआ तुझे बचा सकेगा कि नहीं। लेकिन ऐसा नहीं होगा बल्कि उन्हें हवा उठा ले जाएगी, एक फूँक उन्हें उड़ा देगी। लेकिन जो मुझ पर भरोसा रखे वह मुल्क को मीरास में पाएगा, मुक़द्दस पहाड़ उस की मौरूसी मिलकियत बनेगा।” | |
Isai | UrduGeoD | 57:14 | अल्लाह फ़रमाता है, “रास्ता बनाओ, रास्ता बनाओ! उसे साफ़-सुथरा करके हर रुकावट दूर करो ताकि मेरी क़ौम आ सके।” | |
Isai | UrduGeoD | 57:15 | क्योंकि जो अज़ीम और सरबुलंद है, जो अबद तक तख़्तनशीन और जिसका नाम क़ुद्दूस है वह फ़रमाता है, “मैं न सिर्फ़ बुलंदियों के मक़दिस में बल्कि शिकस्ताहाल और फ़रोतन रूह के साथ भी सुकूनत करता हूँ ताकि फ़रोतन की रूह और शिकस्ताहाल के दिल को नई ज़िंदगी बख़्शूँ। | |
Isai | UrduGeoD | 57:16 | क्योंकि मैं हमेशा तक उनके साथ नहीं झगड़ूँगा, अबद तक नाराज़ नहीं रहूँगा। वरना उनकी रूह मेरे हुज़ूर निढाल हो जाती, उन लोगों की जान जिन्हें मैंने ख़ुद ख़लक़ किया। | |
Isai | UrduGeoD | 57:17 | मैं इसराईल का नाजायज़ मनाफ़े देखकर तैश में आया और उसे सज़ा देकर अपना मुँह छुपाए रखा। तो भी वह अपने दिल की बरगश्ता राहों पर चलता रहा। | |
Isai | UrduGeoD | 57:18 | लेकिन गो मैं उसके चाल-चलन से वाक़िफ़ हूँ मैं उसे फिर भी शफ़ा दूँगा, उस की राहनुमाई करके उसे दुबारा तसल्ली दूँगा। और उसके जितने लोग मातम कर रहे हैं | |
Isai | UrduGeoD | 57:19 | उनके लिए मैं होंटों का फल पैदा करूँगा।” क्योंकि रब फ़रमाता है, “उनकी सलामती हो जो दूर हैं और उनकी जो क़रीब हैं। मैं ही उन्हें शफ़ा दूँगा।” | |
Isai | UrduGeoD | 57:20 | लेकिन बेदीन मुतलातिम समुंदर की मानिंद हैं जो थम नहीं सकता और जिसकी लहरें गंद और कीचड़ उछालती रहती हैं। | |