ISAIAH
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
49
50
51
52
53
54
55
56
57
58
59
60
61
62
63
64
65
66
Chapter 40
Isai | UrduGeoD | 40:2 | नरमी से यरूशलम से बात करो, बुलंद आवाज़ से उसे बताओ कि तेरी ग़ुलामी के दिन पूरे हो गए हैं, तेरा क़ुसूर मुआफ़ हो गया है। क्योंकि तुझे रब के हाथ से तमाम गुनाहों की दुगनी सज़ा मिल गई है।” | |
Isai | UrduGeoD | 40:3 | एक आवाज़ पुकार रही है, “रेगिस्तान में रब की राह तैयार करो! बयाबान में हमारे ख़ुदा का रास्ता सीधा बनाओ। | |
Isai | UrduGeoD | 40:4 | लाज़िम है कि हर वादी भर दी जाए, ज़रूरी है कि हर पहाड़ और बुलंद जगह मैदान बन जाए। जो टेढ़ा है उसे सीधा किया जाए, जो नाहमवार है उसे हमवार किया जाए। | |
Isai | UrduGeoD | 40:5 | तब अल्लाह का जलाल ज़ाहिर हो जाएगा, और तमाम इनसान मिलकर उसे देखेंगे। यह रब के अपने मुँह का फ़रमान है।” | |
Isai | UrduGeoD | 40:6 | एक आवाज़ ने कहा, “ज़ोर से आवाज़ दे!” मैंने पूछा, “मैं क्या कहूँ?” “यह कि तमाम इनसान घास ही हैं, उनकी तमाम शानो-शौकत जंगली फूल की मानिंद है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:7 | जब रब का साँस उन पर से गुज़रे तो घास मुरझा जाती और फूल गिर जाता है, क्योंकि इनसान घास ही है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:8 | घास तो मुरझा जाती और फूल गिर जाता है, लेकिन हमारे ख़ुदा का कलाम अबद तक क़ायम रहता है।” | |
Isai | UrduGeoD | 40:9 | ऐ सिय्यून, ऐ ख़ुशख़बरी के पैग़ंबर, बुलंदियों पर चढ़ जा! ऐ यरूशलम, ऐ ख़ुशख़बरी के पैग़ंबर, ज़ोर से आवाज़ दे! पुकारकर कह और ख़ौफ़ मत खा। यहूदाह के शहरों को बता, “वह देखो, तुम्हारा ख़ुदा!” | |
Isai | UrduGeoD | 40:10 | देखो, रब क़ादिरे-मुतलक़ बड़ी क़ुदरत के साथ आ रहा है, वह बड़ी ताक़त के साथ हुकूमत करेगा। देखो, उसका अज्र उसके पास है, और उसका इनाम उसके आगे आगे चलता है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:11 | वह चरवाहे की तरह अपने गल्ले की गल्लाबानी करेगा। वह भेड़ के बच्चों को अपने बाज़ुओं में महफ़ूज़ रखकर सीने के साथ लगाए फिरेगा और उनकी माओं को बड़े ध्यान से अपने साथ ले चलेगा। | |
Isai | UrduGeoD | 40:12 | किसने अपने हाथ से दुनिया का पानी नाप लिया है? किसने अपने हाथ से आसमान की पैमाइश की है? किसने ज़मीन की मिट्टी की मिक़दार मालूम की या तराज़ू से पहाड़ों का कुल वज़न मुतैयिन किया है? | |
Isai | UrduGeoD | 40:14 | क्या उसे किसी से मशवरा लेने की ज़रूरत है ताकि उसे समझ आकर रास्त राह की तालीम मिल जाए? हरगिज़ नहीं! क्या किसी ने कभी उसे इल्मो-इरफ़ान या समझदार ज़िंदगी गुज़ारने का फ़न सिखाया है? हरगिज़ नहीं! | |
Isai | UrduGeoD | 40:15 | यक़ीनन तमाम अक़वाम रब के नज़दीक बालटी के एक क़तरे या तराज़ू में गर्द की मानिंद हैं। जज़ीरों को वह रेत के ज़र्रों की तरह उठा लेता है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:16 | ख़ाह लुबनान के तमाम दरख़्त और जानवर रब के लिए क़ुरबान क्यों न होते तो भी मुनासिब क़ुरबानी के लिए काफ़ी न होते। | |
Isai | UrduGeoD | 40:18 | अल्लाह का मुवाज़ना किससे हो सकता है? उसका मुक़ाबला किस तस्वीर या मुजस्समे से हो सकता है? | |
Isai | UrduGeoD | 40:19 | बुत तो यों बनता है कि पहले दस्तकार उसे ढाल देता है, फिर सुनार उस पर सोना चढ़ाकर उसे चाँदी की ज़ंजीरों से सजा देता है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:20 | जो ग़ुरबत के बाइस यह नहीं करवा सकता वह कम अज़ कम कोई ऐसी लकड़ी चुन लेता है जो गल-सड़ नहीं जाती। फिर वह किसी माहिर दस्तकार से बुत को यों बनवाता है कि वह अपनी जगह से न हिले। | |
Isai | UrduGeoD | 40:21 | क्या तुमको मालूम नहीं? क्या तुमने बात नहीं सुनी? क्या तुम्हें इब्तिदा से सुनाया नहीं गया? क्या तुम्हें दुनिया के क़ियाम से लेकर आज तक समझ नहीं आई? | |
Isai | UrduGeoD | 40:22 | रब रूए-ज़मीन के ऊपर बुलंदियों पर तख़्तनशीन है जहाँ से इनसान टिड्डियों जैसे लगते हैं। वह आसमान को परदे की तरह तानकर और हर तरफ़ खींचकर रहने के क़ाबिल ख़ैमा बना देता है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:24 | वह नए पौदों की मानिंद हैं जिनकी पनीरी अभी अभी लगी है, बीज अभी अभी बोए गए हैं, पौदों ने अभी अभी जड़ पकड़ी है कि रब उन पर फूँक मारता है और वह मुरझा जाते हैं। तब आँधी उन्हें भूसे की तरह उड़ा ले जाती है। | |
Isai | UrduGeoD | 40:25 | क़ुद्दूस ख़ुदा फ़रमाता है, “तुम मेरा मुवाज़ना किससे करना चाहते हो? कौन मेरे बराबर है?” | |
Isai | UrduGeoD | 40:26 | अपनी नज़र उठाकर आसमान की तरफ़ देखो। किसने यह सब कुछ ख़लक़ किया? वह जो आसमानी लशकर की पूरी तादाद बाहर लाकर हर एक को नाम लेकर बुलाता है। उस की क़ुदरत और ज़बरदस्त ताक़त इतनी अज़ीम है कि एक भी दूर नहीं रहता। | |
Isai | UrduGeoD | 40:27 | ऐ याक़ूब की क़ौम, तू क्यों कहती है कि मेरी राह रब की नज़र से छुपी रहती है? ऐ इसराईल, तू क्यों शिकायत करता है कि मेरा मामला मेरे ख़ुदा के इल्म में नहीं आता? | |
Isai | UrduGeoD | 40:28 | क्या तुझे मालूम नहीं, क्या तूने नहीं सुना कि रब लाज़वाल ख़ुदा और दुनिया की इंतहा तक का ख़ालिक़ है? वह कभी नहीं थकता, कभी निढाल नहीं होता। कोई भी उस की समझ की गहराइयों तक नहीं पहुँच सकता। | |