EZEKIEL
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
Chapter 1
Ezek | UrduGeoD | 1:1 | जब मैं यानी इमाम हिज़क़ियेल बिन बूज़ी तीस साल का था तो मैं यहूदाह के जिलावतनों के साथ मुल्के-बाबल के दरिया किबार के किनारे ठहरा हुआ था। यहूयाकीन बादशाह को जिलावतन हुए पाँच साल हो गए थे। चौथे महीने के पाँचवें दिन आसमान खुल गया और अल्लाह ने मुझ पर मुख़्तलिफ़ रोयाएँ ज़ाहिर कीं। उस वक़्त रब मुझसे हमकलाम हुआ, और उसका हाथ मुझ पर आ ठहरा। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:2 | जब मैं यानी इमाम हिज़क़ियेल बिन बूज़ी तीस साल का था तो मैं यहूदाह के जिलावतनों के साथ मुल्के-बाबल के दरिया किबार के किनारे ठहरा हुआ था। यहूयाकीन बादशाह को जिलावतन हुए पाँच साल हो गए थे। चौथे महीने के पाँचवें दिन आसमान खुल गया और अल्लाह ने मुझ पर मुख़्तलिफ़ रोयाएँ ज़ाहिर कीं। उस वक़्त रब मुझसे हमकलाम हुआ, और उसका हाथ मुझ पर आ ठहरा। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:3 | जब मैं यानी इमाम हिज़क़ियेल बिन बूज़ी तीस साल का था तो मैं यहूदाह के जिलावतनों के साथ मुल्के-बाबल के दरिया किबार के किनारे ठहरा हुआ था। यहूयाकीन बादशाह को जिलावतन हुए पाँच साल हो गए थे। चौथे महीने के पाँचवें दिन आसमान खुल गया और अल्लाह ने मुझ पर मुख़्तलिफ़ रोयाएँ ज़ाहिर कीं। उस वक़्त रब मुझसे हमकलाम हुआ, और उसका हाथ मुझ पर आ ठहरा। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:4 | रोया में मैंने ज़बरदस्त आँधी देखी जिसने शिमाल से आकर बड़ा बादल मेरे पास पहुँचाया। बादल में चमकती-दमकती आग नज़र आई, और वह तेज़ रौशनी से घिरा हुआ था। आग का मरकज़ चमकदार धात की तरह तमतमा रहा था। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:7 | उनकी टाँगें इनसानों जैसी सीधी थीं, लेकिन पाँवों के तल्वे बछड़ों के-से खुर थे। वह पालिश किए हुए पीतल की तरह जगमगा रहे थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:9 | जानदार अपने परों से एक दूसरे को छू रहे थे। चलते वक़्त मुड़ने की ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि हर एक के चार चेहरे चारों तरफ़ देखते थे। जब कभी किसी सिम्त जाना होता तो उसी सिम्त का चेहरा चल पड़ता। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:10 | चारों के चेहरे एक जैसे थे। सामने का चेहरा इनसान का, दाईं तरफ़ का चेहरा शेरबबर का, बाईं तरफ़ का चेहरा बैल का और पीछे का चेहरा उक़ाब का था। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:11 | उनके पर ऊपर की तरफ़ फैले हुए थे। दो पर बाएँ और दाएँ हाथ के जानदारों से लगते थे, और दो पर उनके जिस्मों को ढाँपे रखते थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:12 | जहाँ भी अल्लाह का रूह जाना चाहता था वहाँ यह जानदार चल पड़ते। उन्हें मुड़ने की ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि वह हमेशा अपने चारों चेहरों में से एक का रुख़ इख़्तियार करते थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:13 | जानदारों के बीच में ऐसा लग रहा था जैसे कोयले दहक रहे हों, कि उनके दरमियान मशालें इधर उधर चल रही हों। झिलमिलाती आग में से बिजली भी चमककर निकलती थी। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:14 | जानदार ख़ुद इतनी तेज़ी से इधर उधर घूम रहे थे कि बादल की बिजली जैसे नज़र आ रहे थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:15 | जब मैंने ग़ौर से उन पर नज़र डाली तो देखा कि हर एक जानदार के पास पहिया है जो ज़मीन को छू रहा है। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:16 | लगता था कि चारों पहिये पुखराज से बने हुए हैं। चारों एक जैसे थे। हर पहिये के अंदर एक और पहिया ज़ावियाए-क़ायमा में घूम रहा था, | |
Ezek | UrduGeoD | 1:19 | जब चार जानदार चलते तो चारों पहिये भी साथ चलते, जब जानदार ज़मीन से उड़ते तो पहिये भी साथ उड़ते थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:20 | जहाँ भी अल्लाह का रूह जाता वहाँ जानदार भी जाते थे। पहिये भी उड़कर साथ साथ चलते थे, क्योंकि जानदारों की रूह पहियों में थी। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:21 | जब कभी जानदार चलते तो यह भी चलते, जब रुक जाते तो यह भी रुक जाते, जब उड़ते तो यह भी उड़ते। क्योंकि जानदारों की रूह पहियों में थी। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:22 | जानदारों के सरों के ऊपर गुंबद-सा फैला हुआ था जो साफ़-शफ़्फ़ाफ़ बिल्लौर जैसा लग रहा था। उसे देखकर इनसान घबरा जाता था। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:23 | चारों जानदार इस गुंबद के नीचे थे, और हर एक अपने परों को फैलाकर एक से बाईं तरफ़ के साथी और दूसरे से दाईं तरफ़ के साथी को छू रहा था। बाक़ी दो परों से वह अपने जिस्म को ढाँपे रखता था। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:24 | चलते वक़्त उनके परों का शोर मुझ तक पहुँचा। यों लग रहा था जैसे क़रीब ही ज़बरदस्त आबशार बह रही हो, कि क़ादिरे-मुतलक़ कोई बात फ़रमा रहा हो, या कि कोई लशकर हरकत में आ गया हो। रुकते वक़्त वह अपने परों को नीचे लटकने देते थे। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:25 | फिर गुंबद के ऊपर से आवाज़ सुनाई दी, और जानदारों ने रुककर अपने परों को लटकने दिया। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:26 | मैंने देखा कि उनके सरों के ऊपर के गुंबद पर संगे-लाजवर्द का तख़्त-सा नज़र आ रहा है जिस पर कोई बैठा था जिसकी शक्लो-सूरत इनसान की मानिंद है। | |
Ezek | UrduGeoD | 1:27 | लेकिन कमर से लेकर सर तक वह चमकदार धात की तरह तमतमा रहा था, जबकि कमर से लेकर पाँव तक आग की मानिंद भड़क रहा था। तेज़ रौशनी उसके इर्दगिर्द झिलमिला रही थी। | |