Site uses cookies to provide basic functionality.

OK
GALATIANS
1 2 3 4 5 6
Prev Up Next
Chapter 3
Gala UrduGeoD 3:1  नासमझ गलतियो! किसने आप पर जादू कर दिया? आपकी आँखों के सामने ही ईसा मसीह और उस की सलीबी मौत को साफ़ साफ़ पेश किया गया।
Gala UrduGeoD 3:2  मुझे एक बात बताएँ, क्या आपको शरीअत की पैरवी करने से रूहुल-क़ुद्स मिला? हरगिज़ नहीं! वह आपको उस वक़्त मिला जब आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर उस पर ईमान लाए।
Gala UrduGeoD 3:3  क्या आप इतने बेसमझ हैं? आपकी रूहानी ज़िंदगी रूहुल-क़ुद्स के वसीले से शुरू हुई। तो अब आप यह काम अपनी इनसानी कोशिशों से किस तरह तकमील तक पहुँचाना चाहते हैं?
Gala UrduGeoD 3:4  आपको कई तरह के तजरबे हासिल हुए हैं। क्या यह सब बेफ़ायदा थे? यक़ीनन यह बेफ़ायदा नहीं थे।
Gala UrduGeoD 3:5  क्या अल्लाह इसलिए आपको अपना रूह देता और आपके दरमियान मोजिज़े करता है कि आप शरीअत की पैरवी करते हैं? हरगिज़ नहीं, बल्कि इसलिए कि आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर ईमान लाए हैं।
Gala UrduGeoD 3:6  इब्राहीम की मिसाल लें। उसने अल्लाह पर भरोसा किया और इस बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया।
Gala UrduGeoD 3:7  तो फिर आपको जान लेना चाहिए कि इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद वह लोग हैं जो ईमान रखते हैं।
Gala UrduGeoD 3:8  कलामे-मुक़द्दस ने इस बात की पेशगोई की कि अल्लाह ग़ैरयहूदियों को ईमान के ज़रीए रास्तबाज़ क़रार देगा। यों उसने इब्राहीम को यह ख़ुशख़बरी सुनाई, “तमाम क़ौमें तुझसे बरकत पाएँगी।”
Gala UrduGeoD 3:9  इब्राहीम ईमान लाया, इसलिए उसे बरकत मिली। इसी तरह सबको ईमान लाने पर इब्राहीम की-सी बरकत मिलती है।
Gala UrduGeoD 3:10  लेकिन जो भी इस पर तकिया करते हैं कि हमें शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ क़रार दिया जाएगा उन पर अल्लाह की लानत है। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “हर एक पर लानत जो शरीअत की किताब की तमाम बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।”
Gala UrduGeoD 3:11  यह बात तो साफ़ है कि अल्लाह किसी को भी शरीअत की पैरवी करने की बिना पर रास्तबाज़ नहीं ठहराता, क्योंकि कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।
Gala UrduGeoD 3:12  ईमान की यह राह शरीअत की राह से बिलकुल फ़रक़ है जो कहती है, “जो यों करेगा वह जीता रहेगा।”
Gala UrduGeoD 3:13  लेकिन मसीह ने हमारा फ़िद्या देकर हमें शरीअत की लानत से आज़ाद कर दिया है। यह उसने इस तरह किया कि वह हमारी ख़ातिर ख़ुद लानत बना। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है।”
Gala UrduGeoD 3:14  इसका मक़सद यह था कि जो बरकत इब्राहीम को हासिल हुई वह मसीह के वसीले से ग़ैरयहूदियों को भी मिले और यों हम ईमान लाकर वादा किया हुआ रूह पाएँ।
Gala UrduGeoD 3:15  भाइयो, इनसानी ज़िंदगी की एक मिसाल लें। जब दो पार्टियाँ किसी मामले में मुत्तफ़िक़ होकर मुआहदा करती हैं तो कोई इस मुआहदे को मनसूख़ या इसमें इज़ाफ़ा नहीं कर सकता।
Gala UrduGeoD 3:16  अब ग़ौर करें कि अल्लाह ने अपने वादे इब्राहीम और उस की औलाद से ही किए। लेकिन जो लफ़्ज़ इबरानी में औलाद के लिए इस्तेमाल हुआ है इससे मुराद बहुत-से अफ़राद नहीं बल्कि एक फ़रद है और वह है मसीह।
Gala UrduGeoD 3:17  कहने से मुराद यह है कि अल्लाह ने इब्राहीम से अहद बाँधकर उसे क़ायम रखने का वादा किया। शरीअत जो 430 साल के बाद दी गई इस अहद को रद्द करके अल्लाह का वादा मनसूख़ नहीं कर सकती।
Gala UrduGeoD 3:18  क्योंकि अगर इब्राहीम की मीरास शरीअत की पैरवी करने से मिलती तो फिर वह अल्लाह के वादे पर मुनहसिर न होती। लेकिन ऐसा नहीं था। अल्लाह ने इसे अपने वादे की बिना पर इब्राहीम को दे दिया।
Gala UrduGeoD 3:19  तो फिर शरीअत का क्या मक़सद था? उसे इसलिए वादे के अलावा दिया गया ताकि लोगों के गुनाहों को ज़ाहिर करे। और उसे उस वक़्त तक क़ायम रहना था जब तक इब्राहीम की वह औलाद न आ जाती जिससे वादा किया गया था। अल्लाह ने अपनी शरीअत फ़रिश्तों के वसीले से मूसा को दे दी जो अल्लाह और लोगों के बीच में दरमियानी रहा।
Gala UrduGeoD 3:20  अब दरमियानी उस वक़्त ज़रूरी होता है जब एक से ज़्यादा पार्टियों में इत्तफ़ाक़ कराने की ज़रूरत है। लेकिन अल्लाह जो एक ही है उसने दरमियानी इस्तेमाल न किया जब उसने इब्राहीम से वादा किया।
Gala UrduGeoD 3:21  तो क्या इसका मतलब यह है कि शरीअत अल्लाह के वादों के ख़िलाफ़ है? हरगिज़ नहीं! अगर इनसान को ऐसी शरीअत मिली होती जो ज़िंदगी दिला सकती तो फिर सब उस की पैरवी करने से रास्तबाज़ ठहरते।
Gala UrduGeoD 3:22  लेकिन कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है कि पूरी दुनिया गुनाह के क़ब्ज़े में है। चुनाँचे हमें अल्लाह का वादा सिर्फ़ ईसा मसीह पर ईमान लाने से हासिल होता है।
Gala UrduGeoD 3:23  इससे पहले कि ईमान की यह राह दस्तयाब हुई शरीअत ने हमें क़ैद करके महफ़ूज़ रखा था। इस क़ैद में हम उस वक़्त तक रहे जब तक ईमान की राह ज़ाहिर नहीं हुई थी।
Gala UrduGeoD 3:24  यों शरीअत को हमारी तरबियत करने की ज़िम्मादारी दी गई। उसे हमें मसीह तक पहुँचाना था ताकि हमें ईमान से रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।
Gala UrduGeoD 3:25  अब चूँकि ईमान की राह आ गई है इसलिए हम शरीअत की तरबियत के तहत नहीं रहे।
Gala UrduGeoD 3:26  क्योंकि मसीह ईसा पर ईमान लाने से आप सब अल्लाह के फ़रज़ंद बन गए हैं।
Gala UrduGeoD 3:27  आपमें से जितनों को मसीह में बपतिस्मा दिया गया उन्होंने मसीह को पहन लिया।
Gala UrduGeoD 3:28  अब न यहूदी रहा न ग़ैरयहूदी, न ग़ुलाम रहा न आज़ाद, न मर्द रहा न औरत। मसीह ईसा में आप सबके सब एक हैं।
Gala UrduGeoD 3:29  शर्त यह है कि आप मसीह के हों। तब आप इब्राहीम की औलाद और उन चीज़ों के वारिस हैं जिनका वादा अल्लाह ने किया है।