PROVERBS
Chapter 5
Prov | UrduGeoD | 5:3 | क्योंकि ज़िनाकार औरत के होंटों से शहद टपकता है, उस की बातें तेल की तरह चिकनी-चुपड़ी होती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 5:6 | उसके रास्ते कभी इधर कभी इधर फिरते हैं ताकि तू ज़िंदगी की राह पर तवज्जुह न दे और उस की आवारगी को जान न ले। | |
Prov | UrduGeoD | 5:9 | ऐसा न हो कि तू अपनी ताक़त किसी और के लिए सर्फ़ करे और अपने साल ज़ालिम के लिए ज़ाया करे। | |
Prov | UrduGeoD | 5:10 | ऐसा न हो कि परदेसी तेरी मिलकियत से सेर हो जाएँ, कि जो कुछ तूने मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया वह किसी और के घर में आए। | |
Prov | UrduGeoD | 5:12 | कहेगा, “हाय, मैंने क्यों तरबियत से नफ़रत की, मेरे दिल ने क्यों सरज़निश को हक़ीर जाना? | |
Prov | UrduGeoD | 5:14 | जमात के दरमियान ही रहते हुए मुझ पर ऐसी आफ़त आई कि मैं तबाही के दहाने तक पहुँच गया हूँ।” | |
Prov | UrduGeoD | 5:19 | वही तेरी मनमोहन हिरनी और दिलरुबा ग़ज़ाल है। उसी का प्यार तुझे तरो-ताज़ा करे, उसी की मुहब्बत तुझे हमेशा मस्त रखे। | |
Prov | UrduGeoD | 5:20 | मेरे बेटे, तू अजनबी औरत से क्यों मस्त हो जाए, किसी दूसरे की बीवी से क्यों लिपट जाए? | |
Prov | UrduGeoD | 5:21 | ख़याल रख, इनसान की राहें रब को साफ़ दिखाई देती हैं, जहाँ भी वह चले उस पर वह तवज्जुह देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 5:22 | बेदीन की अपनी ही हरकतें उसे फँसा देती हैं, वह अपने ही गुनाह के रस्सों में जकड़ा रहता है। | |