PROVERBS
Chapter 1
| Prov | UrduGeoD | 1:5 | जो दाना है वह सुनकर अपने इल्म में इज़ाफ़ा करे, जो समझदार है वह राहनुमाई करने का फ़न सीख ले। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:7 | हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। सिर्फ़ अहमक़ हिकमत और तरबियत को हक़ीर जानते हैं। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:11 | उनकी बात न मान जब वह कहें, “आ, हमारे साथ चल! हम ताक में बैठकर किसी को क़त्ल करें, बिलावजह किसी बेक़ुसूर की घात लगाएँ। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:12 | हम उन्हें पाताल की तरह ज़िंदा निगल लें, उन्हें मौत के गढ़े में उतरनेवालों की तरह एकदम हड़प कर लें। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:17 | जब चिड़ीमार अपना जाल लगाकर उस पर परिंदों को फाँसने के लिए रोटी के टुकड़े बिखेर देता है तो परिंदों की नज़र में यह बेमक़सद है। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:18 | यह लोग भी एक दिन फँस जाएंगे। जब ताक में बैठ जाते हैं तो अपने आपको तबाह करते हैं, जब दूसरों की घात लगाते हैं तो अपनी ही जान को नुक़सान पहुँचाते हैं। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:19 | यही उन सबका अंजाम है जो नारवा नफ़ा के पीछे भागते हैं। नाजायज़ नफ़ा अपने मालिक की जान छीन लेता है। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:21 | जहाँ सबसे ज़्यादा शोर-शराबा है वहाँ वह चिल्ला चिल्लाकर बोलती, शहर के दरवाज़ों पर ही अपनी तक़रीर करती है, | |
| Prov | UrduGeoD | 1:22 | “ऐ सादालौह लोगो, तुम कब तक अपनी सादालौही से मुहब्बत रखोगे? मज़ाक़ उड़ानेवाले कब तक अपने मज़ाक़ से लुत्फ़ उठाएँगे, अहमक़ कब तक इल्म से नफ़रत करेंगे? | |
| Prov | UrduGeoD | 1:23 | आओ, मेरी सरज़निश पर ध्यान दो। तब मैं अपनी रूह का चश्मा तुम पर फूटने दूँगी, तुम्हें अपनी बातें सुनाऊँगी। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:24 | लेकिन जब मैंने आवाज़ दी तो तुमने इनकार किया, जब मैंने अपना हाथ तुम्हारी तरफ़ बढ़ाया तो किसी ने भी तवज्जुह न दी। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:25 | तुमने मेरे किसी मशवरे की परवा न की, मेरी मलामत तुम्हारे नज़दीक क़ाबिले-क़बूल नहीं थी। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:26 | इसलिए जब तुम पर आफ़त आएगी तो मैं क़हक़हा लगाऊँगी, जब तुम हौलनाक मुसीबत में फँस जाओगे तो तुम्हारा मज़ाक़ उड़ाऊँगी। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:27 | उस वक़्त तुम पर दहशतनाक आँधी टूट पड़ेगी, आफ़त तूफ़ान की तरह तुम पर आएगी, और तुम मुसीबत और तकलीफ़ के सैलाब में डूब जाओगे। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:28 | तब वह मुझे आवाज़ देंगे, लेकिन मैं उनकी नहीं सुनूँगी, वह मुझे ढूँडेंगे पर पाएँगे नहीं। | |
| Prov | UrduGeoD | 1:32 | क्योंकि सहीह राह से दूर होने का अमल सादालौह को मार डालता है, और अहमक़ों की बेपरवाई उन्हें तबाह करती है। | |