JOB
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Chapter 23
Job | UrduGeoD | 23:2 | “बेशक आज मेरी शिकायत सरकशी का इज़हार है, हालाँकि मैं अपनी आहों पर क़ाबू पाने की कोशिश कर रहा हूँ। | |
Job | UrduGeoD | 23:6 | क्या वह अपनी अज़ीम क़ुव्वत मुझसे लड़ने पर सर्फ़ करता? हरगिज़ नहीं! वह यक़ीनन मुझ पर तवज्जुह देता। | |
Job | UrduGeoD | 23:7 | अगर मैं वहाँ उसके हुज़ूर आ सकता तो दियानतदार आदमी की तरह उसके साथ मुक़दमा लड़ता। तब मैं हमेशा के लिए अपने मुंसिफ़ से बच निकलता! | |
Job | UrduGeoD | 23:8 | लेकिन अफ़सोस, अगर मैं मशरिक़ की तरफ़ जाऊँ तो वह वहाँ नहीं होता, मग़रिब की जानिब बढ़ूँ तो वहाँ भी नहीं मिलता। | |
Job | UrduGeoD | 23:9 | शिमाल मैं उसे ढूँडूँ तो वह दिखाई नहीं देता, जुनूब की तरफ़ रुख़ करूँ तो वहाँ भी पोशीदा रहता है। | |
Job | UrduGeoD | 23:10 | क्योंकि वह मेरी राह को जानता है। अगर वह मेरी जाँच-पड़ताल करता तो मैं ख़ालिस सोना साबित होता। | |
Job | UrduGeoD | 23:11 | मेरे क़दम उस की राह में रहे हैं, मैं राह से न बाईं, न दाईं तरफ़ हटा बल्कि सीधा उस पर चलता रहा। | |
Job | UrduGeoD | 23:12 | मैं उसके होंटों के फ़रमान से बाज़ नहीं आया बल्कि अपने दिल में ही उसके मुँह की बातें महफ़ूज़ रखी हैं। | |
Job | UrduGeoD | 23:13 | अगर वह फ़ैसला करे तो कौन उसे रोक सकता है? जो कुछ भी वह करना चाहे उसे अमल में लाता है। | |
Job | UrduGeoD | 23:14 | जो भी मनसूबा उसने मेरे लिए बाँधा उसे वह ज़रूर पूरा करेगा। और उसके ज़हन में मज़ीद बहुत-से ऐसे मनसूबे हैं। | |
Job | UrduGeoD | 23:15 | इसी लिए मैं उसके हुज़ूर दहशतज़दा हूँ। जब भी मैं इन बातों पर ध्यान दूँ तो उससे डरता हूँ। | |