JOB
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
Chapter 32
| Job | UrduGeoD | 32:1 | तब मज़कूरा तीनों आदमी अय्यूब को जवाब देने से बाज़ आए, क्योंकि वह अब तक समझता था कि मैं रास्तबाज़ हूँ। | |
| Job | UrduGeoD | 32:2 | यह देखकर इलीहू बिन बरकेल ग़ुस्से हो गया। बूज़ शहर के रहनेवाले इस आदमी का ख़ानदान राम था। एक तरफ़ तो वह अय्यूब से ख़फ़ा था, क्योंकि यह अपने आपको अल्लाह के सामने रास्तबाज़ ठहराता था। | |
| Job | UrduGeoD | 32:3 | दूसरी तरफ़ वह तीनों दोस्तों से भी नाराज़ था, क्योंकि न वह अय्यूब को सहीह जवाब दे सके, न साबित कर सके कि मुजरिम है। | |
| Job | UrduGeoD | 32:4 | इलीहू ने अब तक अय्यूब से बात नहीं की थी। जब तक दूसरों ने बात पूरी नहीं की थी वह ख़ामोश रहा, क्योंकि वह बुज़ुर्ग थे। | |
| Job | UrduGeoD | 32:6 | और जवाब में कहा, “मैं कमउम्र हूँ जबकि आप सब उम्ररसीदा हैं, इसलिए मैं कुछ शरमीला था, मैं आपको अपनी राय बताने से डरता था। | |
| Job | UrduGeoD | 32:7 | मैंने सोचा, चलो वह बोलें जिनके ज़्यादा दिन गुज़रे हैं, वह तालीम दें जिन्हें मुतअद्दिद सालों का तजरबा हासिल है। | |
| Job | UrduGeoD | 32:8 | लेकिन जो रूह इनसान में है यानी जो दम क़ादिरे-मुतलक़ ने उसमें फूँक दिया वही इनसान को समझ अता करता है। | |
| Job | UrduGeoD | 32:9 | न सिर्फ़ बूढ़े लोग दानिशमंद हैं, न सिर्फ़ वह इनसाफ़ समझते हैं जिनके बाल सफ़ेद हैं। | |
| Job | UrduGeoD | 32:10 | चुनाँचे मैं गुज़ारिश करता हूँ कि ज़रा मेरी बात सुनें, मुझे भी अपनी राय पेश करने दीजिए। | |
| Job | UrduGeoD | 32:11 | मैं आपके अलफ़ाज़ के इंतज़ार में रहा। जब आप मौज़ूँ जवाब तलाश कर रहे थे तो मैं आपकी दानिशमंद बातों पर ग़ौर करता रहा। | |
| Job | UrduGeoD | 32:12 | मैंने आप पर पूरी तवज्जुह दी, लेकिन आपमें से कोई अय्यूब को ग़लत साबित न कर सका, कोई उसके दलायल का मुनासिब जवाब न दे पाया। | |
| Job | UrduGeoD | 32:13 | अब ऐसा न हो कि आप कहें, ‘हमने अय्यूब में हिकमत पाई है, इनसान उसे शिकस्त देकर भगा नहीं सकता बल्कि सिर्फ़ अल्लाह ही।’ | |
| Job | UrduGeoD | 32:14 | क्योंकि अय्यूब ने अपने दलायल की तरतीब से मेरा मुक़ाबला नहीं किया, और जब मैं जवाब दूँगा तो आपकी बातें नहीं दोहराऊँगा। | |
| Job | UrduGeoD | 32:16 | क्या मैं मज़ीद इंतज़ार करूँ, गो आप ख़ामोश हो गए हैं, आप रुककर मज़ीद जवाब नहीं दे सकते? | |
| Job | UrduGeoD | 32:18 | क्योंकि मेरे अंदर से अलफ़ाज़ छलक रहे हैं, मेरी रूह मेरे अंदर मुझे मजबूर कर रही है। | |
| Job | UrduGeoD | 32:19 | हक़ीक़त में मैं अंदर से उस नई मै की मानिंद हूँ जो बंद रखी गई हो, मैं नई मै से भरी हुई नई मशकों की तरह फटने को हूँ। | |