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Chapter 34
Job | UrduGeoD | 34:3 | क्योंकि कान यों अलफ़ाज़ की जाँच-पड़ताल करता है जिस तरह ज़बान ख़ुराक को चख लेती है। | |
Job | UrduGeoD | 34:4 | आएँ, हम अपने लिए वह कुछ चुन लें जो दुरुस्त है, आपस में जान लें कि क्या कुछ अच्छा है। | |
Job | UrduGeoD | 34:5 | अय्यूब ने कहा है, ‘गो मैं बेगुनाह हूँ तो भी अल्लाह ने मुझे मेरे हुक़ूक़ से महरूम कर रखा है। | |
Job | UrduGeoD | 34:6 | जो फ़ैसला मेरे बारे में किया गया है उसे मैं झूट क़रार देता हूँ। गो मैं बेक़ुसूर हूँ तो भी तीर ने मुझे यों ज़ख़मी कर दिया कि उसका इलाज मुमकिन ही नहीं।’ | |
Job | UrduGeoD | 34:7 | अब मुझे बताएँ, क्या कोई अय्यूब जैसा बुरा है? वह तो कुफ़र की बातें पानी की तरह पीते, | |
Job | UrduGeoD | 34:10 | चुनाँचे ऐ समझदार मर्दो, मेरी बात सुनें! यह कैसे हो सकता है कि अल्लाह शरीर काम करे? यह तो मुमकिन ही नहीं कि क़ादिरे-मुतलक़ नाइनसाफ़ी करे। | |
Job | UrduGeoD | 34:11 | यक़ीनन वह इनसान को उसके आमाल का मुनासिब अज्र देकर उस पर वह कुछ लाता है जिसका तक़ाज़ा उसका चाल-चलन करता है। | |
Job | UrduGeoD | 34:13 | किसने ज़मीन को अल्लाह के हवाले किया? किसने उसे पूरी दुनिया पर इख़्तियार दिया? कोई नहीं! | |
Job | UrduGeoD | 34:17 | जो इनसाफ़ से नफ़रत करे क्या वह हुकूमत कर सकता है? क्या आप उसे मुजरिम ठहराना चाहते हैं जो रास्तबाज़ और क़ादिरे-मुतलक़ है, | |
Job | UrduGeoD | 34:19 | वह तो न रईसों की जानिबदारी करता, न ओहदेदारों को पस्तहालों पर तरजीह देता है, क्योंकि सब ही को उसके हाथों ने बनाया है। | |
Job | UrduGeoD | 34:20 | वह पल-भर में, आधी रात ही मर जाते हैं। शुरफ़ा को हिलाया जाता है तो वह कूच कर जाते हैं, ताक़तवरों को बग़ैर किसी तगो-दौ के हटाया जाता है। | |
Job | UrduGeoD | 34:21 | क्योंकि अल्लाह की आँखें इनसान की राहों पर लगी रहती हैं, आदमज़ाद का हर क़दम उसे नज़र आता है। | |
Job | UrduGeoD | 34:23 | और अल्लाह किसी भी इनसान को उस वक़्त से आगाह नहीं करता जब उसे इलाही तख़्ते-अदालत के सामने आना है। | |
Job | UrduGeoD | 34:24 | उसे तहक़ीक़ात की ज़रूरत ही नहीं बल्कि वह ज़ोरावरों को पाश पाश करके दूसरों को उनकी जगह खड़ा कर देता है। | |
Job | UrduGeoD | 34:25 | वह तो उनकी हरकतों से वाक़िफ़ है और उन्हें रात के वक़्त यों तहो-बाला कर सकता है कि चूर चूर हो जाएँ। | |
Job | UrduGeoD | 34:28 | क्योंकि उनकी हरकतों के बाइस पस्तहालों की चीख़ें अल्लाह के सामने और मुसीबतज़दों की इल्तिजाएँ उसके कान तक पहुँचीं। | |
Job | UrduGeoD | 34:29 | लेकिन अगर वह ख़ामोश भी रहे तो कौन उसे मुजरिम क़रार दे सकता है? अगर वह अपने चेहरे को छुपाए रखे तो कौन उसे देख सकता है? वह तो क़ौम पर बल्कि हर फ़रद पर हुकूमत करता है | |
Job | UrduGeoD | 34:31 | बेहतर है कि आप अल्लाह से कहें, ‘मुझे ग़लत राह पर लाया गया है, आइंदा मैं दुबारा बुरा काम नहीं करूँगा। | |
Job | UrduGeoD | 34:32 | जो कुछ मुझे नज़र नहीं आता वह मुझे सिखा, अगर मुझसे नाइनसाफ़ी हुई है तो आइंदा ऐसा नहीं करूँगा।’ | |
Job | UrduGeoD | 34:33 | क्या अल्लाह को आपको वह अज्र देना चाहिए जो आपकी नज़र में मुनासिब है, गो आपने उसे रद्द कर दिया है? लाज़िम है कि आप ख़ुद ही फ़ैसला करें, न कि मैं। लेकिन ज़रा वह कुछ पेश करें जो कुछ आप सहीह समझते हैं। | |