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Chapter 35
Job | UrduGeoD | 35:2 | “आप कहते हैं, ‘मैं अल्लाह से ज़्यादा रास्तबाज़ हूँ।’ क्या आप यह बात दुरुस्त समझते हैं | |
Job | UrduGeoD | 35:6 | अगर आपने गुनाह किया तो अल्लाह को क्या नुक़सान पहुँचा है? गो आपसे मुतअद्दिद जरायम भी सरज़द हुए हों ताहम वह मुतअस्सिर नहीं होगा। | |
Job | UrduGeoD | 35:7 | रास्तबाज़ ज़िंदगी गुज़ारने से आप उसे क्या दे सकते हैं? आपके हाथों से अल्लाह को क्या हासिल हो सकता है? कुछ भी नहीं! | |
Job | UrduGeoD | 35:8 | आपके हमजिंस इनसान ही आपकी बेदीनी से मुतअस्सिर होते हैं, और आदमज़ाद ही आपकी रास्तबाज़ी से फ़ायदा उठाते हैं। | |
Job | UrduGeoD | 35:9 | जब लोगों पर सख़्त ज़ुल्म होता है तो वह चीख़ते-चिल्लाते और बड़ों की ज़्यादती के बाइस मदद के लिए आवाज़ देते हैं। | |
Job | UrduGeoD | 35:10 | लेकिन कोई नहीं कहता, ‘अल्लाह, मेरा ख़ालिक़ कहाँ है? वह कहाँ है जो रात के दौरान नग़मे अता करता, | |
Job | UrduGeoD | 35:11 | जो हमें ज़मीन पर चलनेवाले जानवरों की निसबत ज़्यादा तालीम देता, हमें परिंदों से ज़्यादा दानिशमंद बनाता है?’ | |
Job | UrduGeoD | 35:13 | यक़ीनन अल्लाह ऐसी बातिल फ़रियाद नहीं सुनता, क़ादिरे-मुतलक़ उस पर ध्यान ही नहीं देता। | |
Job | UrduGeoD | 35:14 | तो फिर वह आप पर क्यों तवज्जुह दे जब आप दावा करते हैं, ‘मैं उसे नहीं देख सकता,’ और ‘मेरा मामला उसके सामने ही है, मैं अब तक उसका इंतज़ार कर रहा हूँ’? | |
Job | UrduGeoD | 35:15 | वह आपकी क्यों सुने जब आप कहते हैं, ‘अल्लाह का ग़ज़ब कभी सज़ा नहीं देता, उसे बुराई की परवा ही नहीं’? | |