MATTHEW
Chapter 9
Matt | UrduGeoD | 9:2 | वहाँ एक मफ़लूज आदमी को चारपाई पर डालकर उसके पास लाया गया। उनका ईमान देखकर ईसा ने कहा, “बेटा, हौसला रख। तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:5 | “तुम दिल में बुरी बातें क्यों सोच रहे हो? क्या मफ़लूज से यह कहना ज़्यादा आसान है कि ‘तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं’ या यह कि ‘उठ और चल-फिर?’ | |
Matt | UrduGeoD | 9:6 | लेकिन मैं तुमको दिखाता हूँ कि इब्ने-आदम को वाक़ई दुनिया में गुनाह मुआफ़ करने का इख़्तियार है।” यह कहकर वह मफ़लूज से मुख़ातिब हुआ, “उठ, अपनी चारपाई उठाकर घर चला जा।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:8 | यह देखकर हुजूम पर अल्लाह का ख़ौफ़ तारी हो गया और वह अल्लाह की तमजीद करने लगे कि उसने इनसान को इस क़िस्म का इख़्तियार दिया है। | |
Matt | UrduGeoD | 9:9 | आगे जाकर ईसा ने एक आदमी को देखा जो टैक्स लेनेवालों की चौकी पर बैठा था। उसका नाम मत्ती था। ईसा ने उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और मत्ती उठकर उसके पीछे हो लिया। | |
Matt | UrduGeoD | 9:10 | बाद में ईसा मत्ती के घर में खाना खा रहा था। बहुत-से टैक्स लेनेवाले और गुनाहगार भी आकर ईसा और उसके शागिर्दों के साथ खाने में शरीक हुए। | |
Matt | UrduGeoD | 9:11 | यह देखकर फ़रीसियों ने उसके शागिर्दों से पूछा, “आपका उस्ताद टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों के साथ क्यों खाता है?” | |
Matt | UrduGeoD | 9:13 | पहले जाओ और कलामे-मुक़द्दस की इस बात का मतलब जान लो कि ‘मैं क़ुरबानी नहीं बल्कि रहम पसंद करता हूँ।’ क्योंकि मैं रास्तबाज़ों को नहीं बल्कि गुनाहगारों को बुलाने आया हूँ।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:14 | फिर यहया के शागिर्द उसके पास आए और पूछा, “आपके शागिर्द रोज़ा क्यों नहीं रखते जबकि हम और फ़रीसी रोज़ा रखते हैं?” | |
Matt | UrduGeoD | 9:15 | ईसा ने जवाब दिया, “शादी के मेहमान किस तरह मातम कर सकते हैं जब तक दूल्हा उनके दरमियान है? लेकिन एक दिन आएगा जब दूल्हा उनसे ले लिया जाएगा। उस वक़्त वह ज़रूर रोज़ा रखेंगे। | |
Matt | UrduGeoD | 9:16 | कोई भी नए कपड़े का टुकड़ा किसी पुराने लिबास में नहीं लगाता। अगर वह ऐसा करे तो नया टुकड़ा बाद में सुकड़कर पुराने लिबास से अलग हो जाएगा। यों पुराने लिबास की फटी हुई जगह पहले की निसबत ज़्यादा ख़राब हो जाएगी। | |
Matt | UrduGeoD | 9:17 | इसी तरह अंगूर का ताज़ा रस पुरानी और बे-लचक मशकों में नहीं डाला जाता। अगर ऐसा किया जाए तो पुरानी मशकें पैदा होनेवाली गैस के बाइस फट जाएँगी। नतीजे में मै और मशकें दोनों ज़ाया हो जाएँगी। इसलिए अंगूर का ताज़ा रस नई मशकों में डाला जाता है जो लचकदार होती हैं। यों रस और मशकें दोनों ही महफ़ूज़ रहते हैं।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:18 | ईसा अभी यह बयान कर रहा था कि एक यहूदी राहनुमा ने गिरकर उसे सिजदा किया और कहा, “मेरी बेटी अभी अभी मरी है। लेकिन आकर अपना हाथ उस पर रखें तो वह दुबारा ज़िंदा हो जाएगी।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:20 | चलते चलते एक औरत ने पीछे से आकर ईसा के लिबास का किनारा छुआ। यह औरत बारह साल से ख़ून बहने की मरीज़ा थी | |
Matt | UrduGeoD | 9:22 | ईसा ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “बेटी, हौसला रख! तेरे ईमान ने तुझे बचा लिया है।” और औरत को उसी वक़्त शफ़ा मिल गई। | |
Matt | UrduGeoD | 9:23 | फिर ईसा राहनुमा के घर में दाख़िल हुआ। बाँसरी बजानेवाले और बहुत-से लोग पहुँच चुके थे और बहुत शोर-शराबा था। यह देखकर | |
Matt | UrduGeoD | 9:24 | ईसा ने कहा, “निकल जाओ! लड़की मर नहीं गई बल्कि सो रही है।” लोग हँसकर उसका मज़ाक़ उड़ाने लगे। | |
Matt | UrduGeoD | 9:25 | लेकिन जब सबको निकाल दिया गया तो वह अंदर गया। उसने लड़की का हाथ पकड़ा तो वह उठ खड़ी हुई। | |
Matt | UrduGeoD | 9:27 | जब ईसा वहाँ से रवाना हुआ तो दो अंधे उसके पीछे चलकर चिल्लाने लगे, “इब्ने-दाऊद, हम पर रहम करें।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:28 | जब ईसा किसी के घर में दाख़िल हुआ तो वह उसके पास आए। ईसा ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारा ईमान है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने जवाब दिया, “जी, ख़ुदावंद।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:30 | उनकी आँखें बहाल हो गईं और ईसा ने सख़्ती से उन्हें कहा, “ख़बरदार, किसी को भी इसका पता न चले!” | |
Matt | UrduGeoD | 9:32 | जब वह निकल रहे थे तो एक गूँगा आदमी ईसा के पास लाया गया जो किसी बदरूह के क़ब्ज़े में था। | |
Matt | UrduGeoD | 9:33 | जब बदरूह को निकाला गया तो गूँगा बोलने लगा। हुजूम हैरान रह गया। उन्होंने कहा, “ऐसा काम इसराईल में कभी नहीं देखा गया।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:34 | लेकिन फ़रीसियों ने कहा, “वह बदरूहों के सरदार ही की मदद से बदरूहों को निकालता है।” | |
Matt | UrduGeoD | 9:35 | और ईसा सफ़र करते करते तमाम शहरों और गाँवों में से गुज़रा। जहाँ भी वह पहुँचा वहाँ उसने उनके इबादतख़ानों में तालीम दी, बादशाही की ख़ुशख़बरी सुनाई और हर क़िस्म के मरज़ और अलालत से शफ़ा दी। | |
Matt | UrduGeoD | 9:36 | हुजूम को देखकर उसे उन पर बड़ा तरस आया, क्योंकि वह पिसे हुए और बेबस थे, ऐसी भेड़ों की तरह जिनका चरवाहा न हो। | |