MATTHEW
Chapter 26
Matt | UrduGeoD | 26:2 | “तुम जानते हो कि दो दिन के बाद फ़सह की ईद शुरू होगी। उस वक़्त इब्ने-आदम को दुश्मन के हवाले किया जाएगा ताकि उसे मसलूब किया जाए।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:5 | उन्होंने कहा, “लेकिन यह ईद के दौरान नहीं होना चाहिए, ऐसा न हो कि अवाम में हलचल मच जाए।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:6 | इतने में ईसा बैत-अनियाह आकर एक आदमी के घर में दाख़िल हुआ जो किसी वक़्त कोढ़ का मरीज़ था। उसका नाम शमौन था। | |
Matt | UrduGeoD | 26:7 | ईसा खाना खाने के लिए बैठ गया तो एक औरत आई जिसके पास निहायत क़ीमती इत्र का इत्रदान था। उसने उसे ईसा के सर पर उंडेल दिया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:8 | शागिर्द यह देखकर नाराज़ हुए। उन्होंने कहा, “इतना क़ीमती इत्र ज़ाया करने की क्या ज़रूरत थी? | |
Matt | UrduGeoD | 26:9 | यह बहुत महँगी चीज़ है। अगर इसे बेचा जाता तो इसके पैसे ग़रीबों को दिए जा सकते थे।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:10 | लेकिन उनके ख़याल पहचानकर ईसा ने उनसे कहा, “तुम इसे क्यों तंग कर रहे हो? इसने तो मेरे लिए एक नेक काम किया है। | |
Matt | UrduGeoD | 26:11 | ग़रीब तो हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे, लेकिन मैं हमेशा तक तुम्हारे पास नहीं रहूँगा। | |
Matt | UrduGeoD | 26:13 | मैं तुमको सच बताता हूँ कि तमाम दुनिया में जहाँ भी अल्लाह की ख़ुशख़बरी का एलान किया जाएगा वहाँ लोग इस ख़ातून को याद करके वह कुछ सुनाएँगे जो इसने किया है।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:15 | उसने पूछा, “आप मुझे ईसा को आपके हवाले करने के एवज़ कितने पैसे देने के लिए तैयार हैं?” उन्होंने उसके लिए चाँदी के 30 सिक्के मुतैयिन किए। | |
Matt | UrduGeoD | 26:17 | बेख़मीरी रोटी की ईद आई। पहले दिन ईसा के शागिर्दों ने उसके पास आकर पूछा, “हम कहाँ आपके लिए फ़सह का खाना तैयार करें?” | |
Matt | UrduGeoD | 26:18 | उसने जवाब दिया, “यरूशलम शहर में फ़ुलाँ आदमी के पास जाओ और उसे बताओ, ‘उस्ताद ने कहा है कि मेरा मुक़र्ररा वक़्त क़रीब आ गया है। मैं अपने शागिर्दों के साथ फ़सह की ईद का खाना आपके घर में खाऊँगा’।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:19 | शागिर्दों ने वह कुछ किया जो ईसा ने उन्हें बताया था और फ़सह की ईद का खाना तैयार किया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:21 | जब वह खाना खा रहे थे तो उसने कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि तुममें से एक मुझे दुश्मन के हवाले कर देगा।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:22 | शागिर्द यह सुनकर निहायत ग़मगीन हुए। बारी बारी वह उससे पूछने लगे, “ख़ुदावंद, मैं तो नहीं हूँ?” | |
Matt | UrduGeoD | 26:23 | ईसा ने जवाब दिया, “जिसने मेरे साथ अपना हाथ सालन के बरतन में डाला है वही मुझे दुश्मन के हवाले करेगा। | |
Matt | UrduGeoD | 26:24 | इब्ने-आदम तो कूच कर जाएगा जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, लेकिन उस शख़्स पर अफ़सोस जिसके वसीले से उसे दुश्मन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके लिए बेहतर यह होता कि वह कभी पैदा ही न होता।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:25 | फिर यहूदा ने जो उसे दुश्मन के हवाले करने को था पूछा, “उस्ताद, मैं तो नहीं हूँ?” ईसा ने जवाब दिया, “जी, तुमने ख़ुद कहा है।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:26 | खाने के दौरान ईसा ने रोटी लेकर शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उसे टुकड़े करके शागिर्दों को दे दिया। उसने कहा, “यह लो और खाओ। यह मेरा बदन है।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:27 | फिर उसने मै का प्याला लेकर शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उसे उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पियो। | |
Matt | UrduGeoD | 26:28 | यह मेरा ख़ून है, नए अहद का वह ख़ून जो बहुतों के लिए बहाया जाता है ताकि उनके गुनाहों को मुआफ़ कर दिया जाए। | |
Matt | UrduGeoD | 26:29 | मैं तुमको सच बताता हूँ कि अब से मैं अंगूर का यह रस नहीं पियूँगा, क्योंकि अगली दफ़ा इसे तुम्हारे साथ अपने बाप की बादशाही में ही पियूँगा।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:31 | ईसा ने उन्हें बताया, “आज रात तुम सब मेरी बाबत बरगश्ता हो जाओगे, क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में अल्लाह फ़रमाता है, ‘मैं चरवाहे को मार डालूँगा और रेवड़ की भेड़ें तित्तर-बित्तर हो जाएँगी।’ | |
Matt | UrduGeoD | 26:33 | पतरस ने एतराज़ किया, “दूसरे बेशक सब आपकी बाबत बरगश्ता हो जाएँ, लेकिन मैं कभी नहीं हूँगा।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:34 | ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच बताता हूँ, इसी रात मुरग़ के बाँग देने से पहले पहले तू तीन बार मुझे जानने से इनकार कर चुका होगा।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:35 | पतरस ने कहा, “हरगिज़ नहीं! मैं आपको जानने से कभी इनकार नहीं करूँगा, चाहे मुझे आपके साथ मरना भी पड़े।” दूसरों ने भी यही कुछ कहा। | |
Matt | UrduGeoD | 26:36 | ईसा अपने शागिर्दों के साथ एक बाग़ में पहुँचा जिसका नाम गत्समनी था। उसने उनसे कहा, “यहाँ बैठकर मेरा इंतज़ार करो। मैं दुआ करने के लिए आगे जाता हूँ।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:37 | उसने पतरस और ज़बदी के दो बेटों याक़ूब और यूहन्ना को साथ लिया। वहाँ वह ग़मगीन और बेक़रार होने लगा। | |
Matt | UrduGeoD | 26:38 | उसने उनसे कहा, “मैं दुख से इतना दबा हुआ हूँ कि मरने को हूँ। यहाँ ठहरकर मेरे साथ जागते रहो।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:39 | कुछ आगे जाकर वह औंधे मुँह ज़मीन पर गिरकर यों दुआ करने लगा, “ऐ मेरे बाप, अगर मुमकिन हो तो दुख का यह प्याला मुझसे हट जाए। लेकिन मेरी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:40 | वह अपने शागिर्दों के पास वापस आया तो देखा कि वह सो रहे हैं। उसने पतरस से पूछा, “क्या तुम लोग एक घंटा भी मेरे साथ नहीं जाग सके? | |
Matt | UrduGeoD | 26:41 | जागते और दुआ करते रहो ताकि आज़माइश में न पड़ो। क्योंकि रूह तो तैयार है लेकिन जिस्म कमज़ोर।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:42 | एक बार फिर उसने जाकर दुआ की, “मेरे बाप, अगर यह प्याला मेरे पिए बग़ैर हट नहीं सकता तो फिर तेरी मरज़ी पूरी हो।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:43 | जब वह वापस आया तो दुबारा देखा कि वह सो रहे हैं, क्योंकि नींद की बदौलत उनकी आँखें बोझल थीं। | |
Matt | UrduGeoD | 26:45 | फिर ईसा शागिर्दों के पास वापस आया और उनसे कहा, “अभी तक सो और आराम कर रहे हो? देखो, वक़्त आ गया है कि इब्ने-आदम गुनाहगारों के हवाले किया जाए। | |
Matt | UrduGeoD | 26:47 | वह अभी यह बात कर ही रहा था कि यहूदा पहुँच गया, जो बारह शागिर्दों में से एक था। उसके साथ तलवारों और लाठियों से लैस आदमियों का बड़ा हुजूम था। उन्हें राहनुमा इमामों और क़ौम के बुज़ुर्गों ने भेजा था। | |
Matt | UrduGeoD | 26:48 | इस ग़द्दार यहूदा ने उन्हें एक इम्तियाज़ी निशान दिया था कि जिसको मैं बोसा दूँ वही ईसा है। उसे गिरिफ़्तार कर लेना। | |
Matt | UrduGeoD | 26:49 | ज्योंही वह पहुँचे यहूदा ईसा के पास गया और “उस्ताद, अस्सलामु अलैकुम!” कहकर उसे बोसा दिया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:50 | ईसा ने कहा, “दोस्त, क्या तू इसी मक़सद से आया है?” फिर उन्होंने उसे पकड़कर गिरिफ़्तार कर लिया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:51 | इस पर ईसा के एक साथी ने अपनी तलवार मियान से निकाली और इमामे-आज़म के ग़ुलाम को मारकर उसका कान उड़ा दिया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:52 | लेकिन ईसा ने कहा, “अपनी तलवार को मियान में रख, क्योंकि जो भी तलवार चलाता है उसे तलवार से मारा जाएगा। | |
Matt | UrduGeoD | 26:53 | या क्या तू नहीं समझता कि मेरा बाप मुझे हज़ारों फ़रिश्ते फ़ौरन भेज देगा अगर मैं उन्हें तलब करूँ? | |
Matt | UrduGeoD | 26:54 | लेकिन अगर मैं ऐसा करता तो फिर कलामे-मुक़द्दस की पेशगोइयाँ किस तरह पूरी होतीं जिनके मुताबिक़ यह ऐसा ही होना है?” | |
Matt | UrduGeoD | 26:55 | उस वक़्त ईसा ने हुजूम से कहा, “क्या मैं डाकू हूँ कि तुम तलवारें और लाठियाँ लिए मुझे गिरिफ़्तार करने निकले हो? मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में बैठकर तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया। | |
Matt | UrduGeoD | 26:56 | लेकिन यह सब कुछ इसलिए हो रहा है ताकि नबियों के सहीफ़ों में दर्ज पेशगोइयाँ पूरी हो जाएँ।” फिर तमाम शागिर्द उसे छोड़कर भाग गए। | |
Matt | UrduGeoD | 26:57 | जिन्होंने ईसा को गिरिफ़्तार किया था वह उसे कायफ़ा इमामे-आज़म के घर ले गए जहाँ शरीअत के तमाम उलमा और क़ौम के बुज़ुर्ग जमा थे। | |
Matt | UrduGeoD | 26:58 | इतने में पतरस कुछ फ़ासले पर ईसा के पीछे पीछे इमामे-आज़म के सहन तक पहुँच गया। उसमें दाख़िल होकर वह मुलाज़िमों के साथ आग के पास बैठ गया ताकि इस सिलसिले का अंजाम देख सके। | |
Matt | UrduGeoD | 26:59 | मकान के अंदर राहनुमा इमाम और यहूदी अदालते-आलिया के तमाम अफ़राद ईसा के ख़िलाफ़ झूटी गवाहियाँ ढूँड रहे थे ताकि उसे सज़ाए-मौत दिलवा सकें। | |
Matt | UrduGeoD | 26:60 | बहुत-से झूटे गवाह सामने आए, लेकिन कोई ऐसी गवाही न मिली। आख़िरकार दो आदमियों ने सामने आकर | |
Matt | UrduGeoD | 26:61 | यह बात पेश की, “इसने कहा है कि मैं अल्लाह के बैतुल-मुक़द्दस को ढाकर उसे तीन दिन के अंदर अंदर दुबारा तामीर कर सकता हूँ।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:62 | फिर इमामे-आज़म ने खड़े होकर ईसा से कहा, “क्या तू कोई जवाब नहीं देगा? यह क्या गवाहियाँ हैं जो यह लोग तेरे ख़िलाफ़ दे रहे हैं?” | |
Matt | UrduGeoD | 26:63 | लेकिन ईसा ख़ामोश रहा। इमामे-आज़म ने उससे एक और सवाल किया, “मैं तुझे ज़िंदा ख़ुदा की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या तू अल्लाह का फ़रज़ंद मसीह है?” | |
Matt | UrduGeoD | 26:64 | ईसा ने कहा, “जी, तूने ख़ुद कह दिया है। और मैं तुम सबको बताता हूँ कि आइंदा तुम इब्ने-आदम को क़ादिरे-मुतलक़ के दहने हाथ बैठे और आसमान के बादलों पर आते हुए देखोगे।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:65 | इमामे-आज़म ने रंजिश का इज़हार करके अपने कपड़े फाड़ लिए और कहा, “इसने कुफ़र बका है! हमें मज़ीद गवाहों की क्या ज़रूरत रही! आपने ख़ुद सुन लिया है कि इसने कुफ़र बका है। | |
Matt | UrduGeoD | 26:69 | इस दौरान पतरस बाहर सहन में बैठा था। एक नौकरानी उसके पास आई। उसने कहा, “तुम भी गलील के उस आदमी ईसा के साथ थे।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:70 | लेकिन पतरस ने उन सबके सामने इनकार किया, “मैं नहीं जानता कि तू क्या बात कर रही है।” यह कहकर | |
Matt | UrduGeoD | 26:71 | वह बाहर गेट तक गया। वहाँ एक और नौकरानी ने उसे देखा और पास खड़े लोगों से कहा, “यह आदमी ईसा नासरी के साथ था।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:72 | दुबारा पतरस ने इनकार किया। इस दफ़ा उसने क़सम खाकर कहा, “मैं इस आदमी को नहीं जानता।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:73 | थोड़ी देर के बाद वहाँ खड़े कुछ लोगों ने पतरस के पास आकर कहा, “तुम ज़रूर उनमें से हो क्योंकि तुम्हारी बोली से साफ़ पता चलता है।” | |
Matt | UrduGeoD | 26:74 | इस पर पतरस ने क़सम खाकर कहा, “मुझ पर लानत अगर मैं झूट बोल रहा हूँ। मैं इस आदमी को नहीं जानता!” फ़ौरन मुरग़ की बाँग सुनाई दी। | |