ROMANS
Chapter 8
Roma | UrduGeoD | 8:2 | क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:3 | मूसवी शरीअत हमारी पुरानी फ़ितरत की कमज़ोर हालत की वजह से हमें न बचा सकी। इसलिए अल्लाह ने वह कुछ किया जो शरीअत के बस में न था। उसने अपना फ़रज़ंद भेज दिया ताकि वह गुनाहगार का-सा जिस्म इख़्तियार करके हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे। इस तरह अल्लाह ने पुरानी फ़ितरत में मौजूद गुनाह को मुजरिम ठहराया | |
Roma | UrduGeoD | 8:4 | ताकि हममें शरीअत का तक़ाज़ा पूरा हो जाए, हम जो पुरानी फ़ितरत के मुताबिक़ नहीं बल्कि रूह के मुताबिक़ चलते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:5 | जो पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में हैं वह पुरानी सोच रखते हैं जबकि जो रूह के इख़्तियार में हैं वह रूहानी सोच रखते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:6 | पुरानी फ़ितरत की सोच का अंजाम मौत है जबकि रूह की सोच ज़िंदगी और सलामती पैदा करती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:7 | पुरानी फ़ितरत की सोच अल्लाह से दुश्मनी रखती है। यह अपने आपको अल्लाह की शरीअत के ताबे नहीं रखती, न ही ऐसा कर सकती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:9 | लेकिन आप पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में नहीं बल्कि रूह के इख़्तियार में हैं। शर्त यह है कि रूहुल-क़ुद्स आपमें बसा हुआ हो। अगर किसी में मसीह का रूह नहीं तो वह मसीह का नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:10 | लेकिन अगर मसीह आपमें है तो फिर आपका बदन गुनाह की वजह से मुरदा है जबकि रूहुल-क़ुद्स आपको रास्तबाज़ ठहराने की वजह से आपके लिए ज़िंदगी का बाइस है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:11 | उसका रूह आपमें बसता है जिसने ईसा को मुरदों में से ज़िंदा किया। और चूँकि रूहुल-क़ुद्स आपमें बसता है इसलिए अल्लाह इसके ज़रीए आपके फ़ानी बदनों को भी मसीह की तरह ज़िंदा करेगा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:12 | चुनाँचे मेरे भाइयो, हमारी पुरानी फ़ितरत का कोई हक़ न रहा कि हमें अपने मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर करे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:13 | क्योंकि अगर आप अपनी पुरानी फ़ितरत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें तो आप हलाक हो जाएंगे। लेकिन अगर आप रूहुल-क़ुद्स की क़ुव्वत से अपनी पुरानी फ़ितरत के ग़लत कामों को नेस्तो-नाबूद करें तो फिर आप ज़िंदा रहेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:15 | क्योंकि अल्लाह ने जो रूह आपको दिया है उसने आपको ग़ुलाम बनाकर ख़ौफ़ज़दा हालत में नहीं रखा बल्कि आपको अल्लाह के फ़रज़ंद बना दिया है, और उसी के ज़रीए हम पुकारकर अल्लाह को “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कह सकते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:16 | रूहुल-क़ुद्स ख़ुद हमारी रूह के साथ मिलकर गवाही देता है कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:17 | और चूँकि हम उसके फ़रज़ंद हैं इसलिए हम वारिस हैं, अल्लाह के वारिस और मसीह के हममीरास। क्योंकि अगर हम मसीह के दुख में शरीक हों तो उसके जलाल में भी शरीक होंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:18 | मेरे ख़याल में हमारा मौजूदा दुख उस आनेवाले जलाल की निसबत कुछ भी नहीं जो हम पर ज़ाहिर होगा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:20 | क्योंकि कायनात अल्लाह की लानत के तहत आकर फ़ानी हो गई है। यह उस की अपनी नहीं बल्कि अल्लाह की मरज़ी थी जिसने उस पर यह लानत भेजी। तो भी यह उम्मीद दिलाई गई | |
Roma | UrduGeoD | 8:21 | कि एक दिन कायनात को ख़ुद उस की फ़ानी हालत की ग़ुलामी से छुड़ाया जाएगा। उस वक़्त वह अल्लाह के फ़रज़ंदों की जलाली आज़ादी में शरीक हो जाएगी। | |
Roma | UrduGeoD | 8:22 | क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक तमाम कायनात कराहती और दर्दे-ज़ह में तड़पती रहती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:23 | न सिर्फ़ कायनात बल्कि हम ख़ुद भी अंदर ही अंदर कराहते हैं, गो हमें आनेवाले जलाल का पहला फल रूहुल-क़ुद्स की सूरत में मिल चुका है। हम कराहते कराहते शिद्दत से इस इंतज़ार में हैं कि यह बात ज़ाहिर हो जाए कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं और हमारे बदनों को नजात मिले। | |
Roma | UrduGeoD | 8:24 | क्योंकि नजात पाते वक़्त हमें यह उम्मीद दिलाई गई। लेकिन अगर वह कुछ नज़र आ चुका होता जिसकी उम्मीद हम रखते तो यह दर-हक़ीक़त उम्मीद न होती। कौन उस की उम्मीद रखे जो उसे नज़र आ चुका है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:25 | लेकिन चूँकि हम उस की उम्मीद रखते हैं जो अभी नज़र नहीं आया तो लाज़िम है कि हम सब्र से उसका इंतज़ार करें। | |
Roma | UrduGeoD | 8:26 | इसी तरह रूहुल-क़ुद्स भी हमारी कमज़ोर हालत में हमारी मदद करता है, क्योंकि हम नहीं जानते कि किस तरह मुनासिब दुआ माँगें। लेकिन रूहुल-क़ुद्स ख़ुद नाक़ाबिले-बयान आहें भरते हुए हमारी शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:27 | और ख़ुदा बाप जो तमाम दिलों की तहक़ीक़ करता है रूहुल-क़ुद्स की सोच को जानता है, क्योंकि पाक रूह अल्लाह की मरज़ी के मुताबिक़ मुक़द्दसीन की शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:28 | और हम जानते हैं कि जो अल्लाह से मुहब्बत रखते हैं उनके लिए सब कुछ मिलकर भलाई का बाइस बनता है, उनके लिए जो उसके इरादे के मुताबिक़ बुलाए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:29 | क्योंकि अल्लाह ने पहले से अपने लोगों को चुन लिया, उसने पहले से उन्हें इसके लिए मुक़र्रर किया कि वह उसके फ़रज़ंद के हमशक्ल बन जाएँ और यों मसीह बहुत-से भाइयों में पहलौठा हो। | |
Roma | UrduGeoD | 8:30 | लेकिन जिन्हें उसने पहले से मुक़र्रर किया उन्हें उसने बुलाया भी, जिन्हें उसने बुलाया उन्हें उसने रास्तबाज़ भी ठहराया और जिन्हें उसने रास्तबाज़ ठहराया उन्हें उसने जलाल भी बख़्शा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:31 | इन तमाम बातों के जवाब में हम क्या कहें? अगर अल्लाह हमारे हक़ में है तो कौन हमारे ख़िलाफ़ हो सकता है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:32 | उसने अपने फ़रज़ंद को भी दरेग़ न किया बल्कि उसे हम सबके लिए दुश्मन के हवाले कर दिया। जिसने हमें अपने फ़रज़ंद को दे दिया क्या वह हमें उसके साथ सब कुछ मुफ़्त नहीं देगा? | |
Roma | UrduGeoD | 8:33 | अब कौन अल्लाह के चुने हुए लोगों पर इलज़ाम लगाएगा जब अल्लाह ख़ुद उन्हें रास्तबाज़ क़रार देता है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:34 | कौन हमें मुजरिम ठहराएगा जब मसीह ईसा ने हमारे लिए अपनी जान दी? बल्कि हमारी ख़ातिर इससे भी ज़्यादा हुआ। उसे ज़िंदा किया गया और वह अल्लाह के दहने हाथ बैठ गया, जहाँ वह हमारी शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:35 | ग़रज़ कौन हमें मसीह की मुहब्बत से जुदा करेगा? क्या कोई मुसीबत, तंगी, ईज़ारसानी, काल, नंगापन, ख़तरा या तलवार? | |
Roma | UrduGeoD | 8:36 | जैसे कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “तेरी ख़ातिर हमें दिन-भर मौत का सामना करना पड़ता है, लोग हमें ज़बह होनेवाली भेड़ों के बराबर समझते हैं।” | |
Roma | UrduGeoD | 8:37 | कोई बात नहीं, क्योंकि मसीह हमारे साथ है और हमसे मुहब्बत रखता है। उसके वसीले से हम इन सब ख़तरों के रूबरू ज़बरदस्त फ़तह पाते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:38 | क्योंकि मुझे यक़ीन है कि हमें उस की मुहब्बत से कोई चीज़ जुदा नहीं कर सकती : न मौत और न ज़िंदगी, न फ़रिश्ते और न हुक्मरान, न हाल और न मुस्तक़बिल, न ताक़तें, | |