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Chapter 1
Hagg UrduGeoD 1:1  फ़ारस के बादशाह दारा की हुकूमत के दूसरे साल में हज्जी नबी पर रब का कलाम नाज़िल हुआ। छटे महीने का पहला दिन था। कलाम में अल्लाह यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल और इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ से मुख़ातिब हुआ।
Hagg UrduGeoD 1:2  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “यह क़ौम कहती है, ‘अभी रब के घर को दुबारा तामीर करने का वक़्त नहीं आया।’
Hagg UrduGeoD 1:3  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “यह क़ौम कहती है, ‘अभी रब के घर को दुबारा तामीर करने का वक़्त नहीं आया।’
Hagg UrduGeoD 1:4  क्या यह ठीक है कि तुम ख़ुद लकड़ी से सजे हुए घरों में रहते हो जबकि मेरा घर अब तक मलबे का ढेर है?”
Hagg UrduGeoD 1:5  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “अपने हाल पर ग़ौर करो।
Hagg UrduGeoD 1:6  तुमने बहुत बीज बोया लेकिन कम फ़सल काटी है। तुम खाना तो खाते हो लेकिन भूके रहते हो, पानी तो पीते हो लेकिन प्यासे रहते हो, कपड़े तो पहनते हो लेकिन सर्दी लगती है। और जब कोई पैसे कमाकर उन्हें अपने बटवे में डालता है तो उसमें सूराख़ हैं।”
Hagg UrduGeoD 1:7  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “अपने हाल पर ध्यान देकर उसका सहीह नतीजा निकालो!
Hagg UrduGeoD 1:8  पहाड़ों पर चढ़कर लकड़ी ले आओ और रब के घर की तामीर शुरू करो। ऐसा ही रवैया मुझे पसंद होगा, और इस तरह ही तुम मुझे जलाल दोगे।” यह रब का फ़रमान है।
Hagg UrduGeoD 1:9  “देखो, तुमने बहुत बरकत पाने की तवक़्क़ो की, लेकिन क्या हुआ? कम ही हासिल हुआ। और जो कुछ तुम अपने घर वापस लाए उसे मैंने हवा में उड़ा दिया। क्यों? मैं, रब्बुल-अफ़वाज तुम्हें इसकी असल वजह बताता हूँ। मेरा घर अब तक मलबे का ढेर है जबकि तुममें से हर एक अपना अपना घर मज़बूत करने के लिए भाग-दौड़ कर रहा है।
Hagg UrduGeoD 1:10  इसी लिए आसमान ने तुम्हें ओस से और ज़मीन ने तुम्हें फ़सलों से महरूम कर रखा है।
Hagg UrduGeoD 1:11  इसी लिए मैंने हुक्म दिया कि खेतों में और पहाड़ों पर काल पड़े, कि मुल्क का अनाज, अंगूर, ज़ैतून बल्कि ज़मीन की हर पैदावार उस की लपेट में आ जाए। इनसानो-हैवान उस की ज़द में आ गए हैं, और तुम्हारी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाया हो रही है।”
Hagg UrduGeoD 1:12  तब ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के पूरे बचे हुए हिस्से ने रब अपने ख़ुदा की सुनी। जो भी बात रब उनके ख़ुदा ने हज्जी नबी को सुनाने को कहा था उसे उन्होंने मान लिया। रब का ख़ौफ़ पूरी क़ौम पर तारी हुआ।
Hagg UrduGeoD 1:13  तब रब ने अपने पैग़ंबर हज्जी की मारिफ़त उन्हें यह पैग़ाम दिया, “रब फ़रमाता है, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
Hagg UrduGeoD 1:14  यों रब ने यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के बचे हुए हिस्से को रब के घर की तामीर करने की तहरीक दी। दारा बादशाह की हुकूमत के दूसरे साल में वह आकर रब्बुल-अफ़वाज अपने ख़ुदा के घर पर काम करने लगे। छटे महीने का 24वाँ दिन था।
Hagg UrduGeoD 1:15  यों रब ने यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के बचे हुए हिस्से को रब के घर की तामीर करने की तहरीक दी। दारा बादशाह की हुकूमत के दूसरे साल में वह आकर रब्बुल-अफ़वाज अपने ख़ुदा के घर पर काम करने लगे। छटे महीने का 24वाँ दिन था।
Chapter 2
Hagg UrduGeoD 2:1  उसी साल के सातवें महीने के 21वें दिन हज्जी नबी पर रब का कलाम नाज़िल हुआ,
Hagg UrduGeoD 2:2  “यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ और क़ौम के बचे हुए हिस्से को बता देना,
Hagg UrduGeoD 2:3  ‘तुममें से किस को याद है कि रब का घर तबाह होने से पहले कितना शानदार था? जो इस वक़्त उस की जगह तामीर हो रहा है वह तुम्हें कैसा लगता है? रब के पहले घर की निसबत यह कुछ भी नहीं लगता।
Hagg UrduGeoD 2:4  लेकिन रब फ़रमाता है कि ऐ ज़रुब्बाबल, हौसला रख! ऐ इमामे-आज़म यशुअ बिन यहूसदक़ हौसला रख! ऐ मुल्क के तमाम बाशिंदो, हौसला रखकर अपना काम जारी रखो। क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।
Hagg UrduGeoD 2:5  जो अहद मैंने मिसर से निकलते वक़्त तुमसे बाँधा था वह क़ायम रहेगा। मेरा रूह तुम्हारे दरमियान ही रहेगा। डरो मत!
Hagg UrduGeoD 2:6  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि थोड़ी देर के बाद मैं एक बार फिर आसमानो-ज़मीन और बहरो-बर्र को हिला दूँगा।
Hagg UrduGeoD 2:7  तब तमाम अक़वाम लरज़ उठेंगी, उनके बेशक़ीमत ख़ज़ाने इधर लाए जाएंगे, और मैं इस घर को अपने जलाल से भर दूँगा।
Hagg UrduGeoD 2:8  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि चाँदी मेरी है और सोना मेरा है।
Hagg UrduGeoD 2:9  नया घर पुराने घर से कहीं ज़्यादा शानदार होगा, और मैं इस जगह को सलामती अता करूँगा।’ यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।”
Hagg UrduGeoD 2:10  दारा बादशाह की हुकूमत के दूसरे साल में हज्जी पर रब का एक और कलाम नाज़िल हुआ। नवें महीने का 24वाँ दिन था।
Hagg UrduGeoD 2:11  “रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘इमामों से सवाल कर कि शरीअत ज़ैल के मामले के बारे में क्या फ़रमाती है,
Hagg UrduGeoD 2:12  अगर कोई शख़्स मख़सूसो-मुक़द्दस गोश्त अपनी झोली में डालकर कहीं ले जाए और रास्ते में झोली मै, ज़ैतून के तेल, रोटी या मज़ीद किसी खानेवाली चीज़ से लग जाए तो क्या खानेवाली यह चीज़ गोश्त से मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाती है’?” हज्जी ने इमामों को यह सवाल पेश किया तो उन्होंने जवाब दिया, “नहीं।”
Hagg UrduGeoD 2:13  तब उसने मज़ीद पूछा, “अगर कोई किसी लाश को छूने से नापाक होकर इन खानेवाली चीज़ों में से कुछ छुए तो क्या खानेवाली चीज़ उससे नापाक हो जाती है?” इमामों ने जवाब दिया, “जी हाँ।”
Hagg UrduGeoD 2:14  फिर हज्जी ने कहा, “रब फ़रमाता है कि मेरी नज़र में इस क़ौम का यही हाल है। जो कुछ भी यह करते और क़ुरबान करते हैं वह नापाक है।
Hagg UrduGeoD 2:15  लेकिन अब इस बात पर ध्यान दो कि आज से हालात कैसे होंगे। रब के घर की नए सिरे से बुनियाद रखने से पहले हालात कैसे थे?
Hagg UrduGeoD 2:16  जहाँ तुम फ़सल की 20 बोरियों की उम्मीद रखते थे वहाँ सिर्फ़ 10 हासिल हुईं। जहाँ तुम अंगूरों को कुचलकर रस के 100 लिटर की तवक़्क़ो रखते थे वहाँ सिर्फ़ 40 लिटर निकले।”
Hagg UrduGeoD 2:17  रब फ़रमाता है, “तेरी मेहनत-मशक़्क़त ज़ाया हुई, क्योंकि मैंने पतरोग, फफूँदी और ओलों से तुम्हारी पैदावार को नुक़सान पहुँचाया। तो भी तुमने तौबा करके मेरी तरफ़ रुजू न किया।
Hagg UrduGeoD 2:18  लेकिन अब तवज्जुह दो कि तुम्हारा हाल आज यानी नवें महीने के 24वें दिन से कैसा होगा। इस दिन रब के घर की बुनियाद रखी गई, इसलिए ग़ौर करो
Hagg UrduGeoD 2:19  कि क्या आइंदा भी गोदाम में जमाशुदा बीज ज़ाया हो जाएगा, कि क्या आइंदा भी अंगूर, अंजीर, अनार और ज़ैतून का फल न होने के बराबर होगा। क्योंकि आज से मैं तुम्हें बरकत दूँगा।”
Hagg UrduGeoD 2:20  उसी दिन हज्जी पर रब का एक और कलाम नाज़िल हुआ,
Hagg UrduGeoD 2:21  “यहूदाह के गवर्नर ज़रुब्बाबल को बता दे कि मैं आसमानो-ज़मीन को हिला दूँगा।
Hagg UrduGeoD 2:22  मैं शाही तख़्तों को उलटकर अजनबी सलतनतों की ताक़त तबाह कर दूँगा। मैं रथों को उनके रथबानों समेत उलट दूँगा, और घोड़े अपने सवारों समेत गिर जाएंगे। हर एक अपने भाई की तलवार से मरेगा।”
Hagg UrduGeoD 2:23  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “उस दिन मैं तुझे, अपने ख़ादिम ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल को लेकर मुहर की अंगूठी की मानिंद बना दूँगा, क्योंकि मैंने तुझे चुन लिया है।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।