ROMANS
Chapter 9
Roma | UrduGeoD | 9:1 | मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूट नहीं बोलता, और मेरा ज़मीर भी रूहुल-क़ुद्स में इसकी गवाही देता है | |
Roma | UrduGeoD | 9:3 | काश मेरे भाई और ख़ूनी रिश्तेदार नजात पाएँ! इसके लिए मैं ख़ुद मलऊन और मसीह से जुदा होने के लिए भी तैयार हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 9:4 | अल्लाह ने उन्हीं को जो इसराईली हैं अपने फ़रज़ंद बनने के लिए मुक़र्रर किया था। उन्हीं पर उसने अपना जलाल ज़ाहिर किया, उन्हीं के साथ अपने अहद बाँधे और उन्हीं को शरीअत अता की। वही हक़ीक़ी इबादत और अल्लाह के वादों के हक़दार हैं, | |
Roma | UrduGeoD | 9:5 | वही इब्राहीम और याक़ूब की औलाद हैं और उन्हीं में से जिस्मानी लिहाज़ से मसीह आया। अल्लाह की तमजीदो-तारीफ़ अबद तक हो जो सब पर हुकूमत करता है! आमीन। | |
Roma | UrduGeoD | 9:6 | कहने का मतलब यह नहीं कि अल्लाह अपना वादा पूरा न कर सका। बात यह नहीं है बल्कि यह कि वह सब हक़ीक़ी इसराईली नहीं हैं जो इसराईली क़ौम से हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:7 | और सब इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद नहीं हैं जो उस की नसल से हैं। क्योंकि अल्लाह ने कलामे-मुक़द्दस में इब्राहीम से फ़रमाया, “तेरी नसल इसहाक़ ही से क़ायम रहेगी।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:8 | चुनाँचे लाज़िम नहीं कि इब्राहीम की तमाम फ़ितरती औलाद अल्लाह के फ़रज़ंद हों बल्कि सिर्फ़ वही इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद समझे जाते हैं जो अल्लाह के वादे के मुताबिक़ उसके फ़रज़ंद बन गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:10 | लेकिन न सिर्फ़ सारा के साथ ऐसा हुआ बल्कि इसहाक़ की बीवी रिबक़ा के साथ भी। एक ही मर्द यानी हमारे बाप इसहाक़ से उसके जुड़वाँ बच्चे पैदा हुए। | |
Roma | UrduGeoD | 9:11 | लेकिन बच्चे अभी पैदा नहीं हुए थे न उन्होंने कोई नेक या बुरा काम किया था कि माँ को अल्लाह से एक पैग़ाम मिला। इस पैग़ाम से ज़ाहिर होता है कि अल्लाह लोगों को अपने इरादे के मुताबिक़ चुन लेता है। | |
Roma | UrduGeoD | 9:12 | और उसका यह चुनाव उनके नेक आमाल पर मबनी नहीं होता बल्कि उसके बुलावे पर। पैग़ाम यह था, “बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:13 | यह भी कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “याक़ूब मुझे प्यारा था, जबकि एसौ से मैं मुतनफ़्फ़िर रहा।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:15 | क्योंकि उसने मूसा से कहा, “मैं जिस पर मेहरबान होना चाहूँ उस पर मेहरबान होता हूँ और जिस पर रहम करना चाहूँ उस पर रहम करता हूँ।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:16 | चुनाँचे सब कुछ अल्लाह के रहम पर ही मबनी है। इसमें इनसान की मरज़ी या कोशिश का कोई दख़ल नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:17 | यों अल्लाह अपने कलाम में मिसर के बादशाह फ़िरौन से मुख़ातिब होकर फ़रमाता है, “मैंने तुझे इसलिए बरपा किया है कि तुझमें अपनी क़ुदरत का इज़हार करूँ और यों तमाम दुनिया में मेरे नाम का प्रचार किया जाए।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:19 | शायद कोई कहे, “अगर यह बात है तो फिर अल्लाह किस तरह हम पर इलज़ाम लगा सकता है जब हमसे ग़लतियाँ होती हैं? हम तो उस की मरज़ी का मुक़ाबला नहीं कर सकते।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:20 | यह न कहें। आप इनसान होते हुए कौन हैं कि अल्लाह के साथ बहस-मुबाहसा करें? क्या जिसको तश्कील दिया गया है वह तश्कील देनेवाले से कहता है, “तूने मुझे इस तरह क्यों बना दिया?” | |
Roma | UrduGeoD | 9:21 | क्या कुम्हार का हक़ नहीं है कि गारे के एक ही लौंदे से मुख़्तलिफ़ क़िस्म के बरतन बनाए, कुछ बाइज़्ज़त इस्तेमाल के लिए और कुछ ज़िल्लतआमेज़ इस्तेमाल के लिए? | |
Roma | UrduGeoD | 9:22 | यह बात अल्लाह पर भी सादिक़ आती है। गो वह अपना ग़ज़ब नाज़िल करना और अपनी क़ुदरत ज़ाहिर करना चाहता था, लेकिन उसने बड़े सब्रो-तहम्मुल से वह बरतन बरदाश्त किए जिन पर उसका ग़ज़ब आना है और जो हलाकत के लिए तैयार किए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:23 | उसने यह इसलिए किया ताकि अपना जलाल कसरत से उन बरतनों पर ज़ाहिर करे जिन पर उसका फ़ज़ल है और जो पहले से जलाल पाने के लिए तैयार किए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:24 | और हम उनमें से हैं जिनको उसने चुन लिया है, न सिर्फ़ यहूदियों में से बल्कि ग़ैरयहूदियों में से भी। | |
Roma | UrduGeoD | 9:25 | यों वह ग़ैरयहूदियों के नाते से होसेअ की किताब में फ़रमाता है, “मैं उसे ‘मेरी क़ौम’ कहूँगा जो मेरी क़ौम न थी, और उसे ‘मेरी प्यारी’ कहूँगा जो मुझे प्यारी न थी।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:26 | और “जहाँ उन्हें बताया गया कि ‘तुम मेरी क़ौम नहीं’ वहाँ वह ‘ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद’ कहलाएँगे।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:27 | और यसायाह नबी इसराईल के बारे में पुकारता है, “गो इसराईली साहिल पर की रेत जैसे बेशुमार क्यों न हों तो भी सिर्फ़ एक बचे हुए हिस्से को नजात मिलेगी। | |
Roma | UrduGeoD | 9:29 | यसायाह ने यह बात एक और पेशगोई में भी की, “अगर रब्बुल-अफ़वाज हमारी कुछ औलाद ज़िंदा न छोड़ता तो हम सदूम की तरह मिट जाते, हमारा अमूरा जैसा सत्यानास हो जाता।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:30 | इससे हम क्या कहना चाहते हैं? यह कि गो ग़ैरयहूदी रास्तबाज़ी की तलाश में न थे तो भी उन्हें रास्तबाज़ी हासिल हुई, ऐसी रास्तबाज़ी जो ईमान से पैदा हुई। | |
Roma | UrduGeoD | 9:31 | इसके बरअक्स इसराईलियों को यह हासिल न हुई, हालाँकि वह ऐसी शरीअत की तलाश में रहे जो उन्हें रास्तबाज़ ठहराए। | |
Roma | UrduGeoD | 9:32 | इसकी क्या वजह थी? यह कि वह अपनी तमाम कोशिशों में ईमान पर इनहिसार नहीं करते थे बल्कि अपने नेक आमाल पर। उन्होंने राह में पड़े पत्थर से ठोकर खाई। | |