I KINGS
Chapter 7
I Ki | UrduGeoD | 7:2 | उस की एक इमारत का नाम ‘लुबनान का जंगल’ था। इमारत की लंबाई 150 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट थी। निचली मनज़िल एक बड़ा हाल था जिसके देवदार की लकड़ी के 45 सतून थे। पंद्रह पंद्रह सतूनों को तीन क़तारों में खड़ा किया गया था। सतूनों पर शहतीर थे जिन पर दूसरी मनज़िल के फ़र्श के लिए देवदार के तख़्ते लगाए गए थे। दूसरी मनज़िल के मुख़्तलिफ़ कमरे थे, और छत भी देवदार की लकड़ी से बनाई गई थी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:3 | उस की एक इमारत का नाम ‘लुबनान का जंगल’ था। इमारत की लंबाई 150 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट थी। निचली मनज़िल एक बड़ा हाल था जिसके देवदार की लकड़ी के 45 सतून थे। पंद्रह पंद्रह सतूनों को तीन क़तारों में खड़ा किया गया था। सतूनों पर शहतीर थे जिन पर दूसरी मनज़िल के फ़र्श के लिए देवदार के तख़्ते लगाए गए थे। दूसरी मनज़िल के मुख़्तलिफ़ कमरे थे, और छत भी देवदार की लकड़ी से बनाई गई थी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:4 | हाल की दोनों लंबी दीवारों में तीन तीन खिड़कियाँ थीं, और एक दीवार की खिड़कियाँ दूसरी दीवार की खिड़कियों के बिलकुल मुक़ाबिल थीं। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:5 | इन दीवारों के तीन तीन दरवाज़े भी एक दूसरे के मुक़ाबिल थे। उनकी चौखटों की लकड़ी के चार चार कोने थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:6 | इसके अलावा सुलेमान ने सतूनों का हाल बनवाया जिसकी लंबाई 75 फ़ुट और चौड़ाई 45 फ़ुट थी। हाल के सामने सतूनों का बरामदा था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:7 | उसने दीवान भी तामीर किया जो दीवाने-अदल कहलाता था। उसमें उसका तख़्त था, और वहाँ वह लोगों की अदालत करता था। दीवान की चारों दीवारों पर फ़र्श से लेकर छत तक देवदार के तख़्ते लगे हुए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:8 | दीवान के पीछे सहन था जिसमें बादशाह का रिहाइशी महल था। महल का डिज़ायन दीवान जैसा था। उस की मिसरी बीवी फ़िरौन की बेटी का महल भी डिज़ायन में दीवान से मुताबिक़त रखता था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:9 | यह तमाम इमारतें बुनियादों से लेकर छत तक और बाहर से लेकर बड़े सहन तक आला क़िस्म के पत्थरों से बनी हुई थीं, ऐसे पत्थरों से जो चारों तरफ़ आरी से नाप के ऐन मुताबिक़ काटे गए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:10 | बुनियादों के लिए उम्दा क़िस्म के बड़े बड़े पत्थर इस्तेमाल हुए। बाज़ की लंबाई 12 और बाज़ की 15 फ़ुट थी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:11 | इन पर आला क़िस्म के पत्थरों की दीवारें खड़ी की गईं। दीवारों में देवदार के शहतीर भी लगाए गए। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:12 | बड़े सहन की चारदीवारी यों बनाई गई कि पत्थरों के हर तीन रद्दों के बाद देवदार के शहतीरों का एक रद्दा लगाया गया था। जो अंदरूनी सहन रब के घर के इर्दगिर्द था उस की चारदीवारी भी इसी तरह ही बनाई गई, और इसी तरह रब के घर के बरामदे की दीवारें भी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:14 | उस की माँ इसराईली क़बीले नफ़ताली की बेवा थी जबकि उसका बाप सूर का रहनेवाला और पीतल का कारीगर था। हीराम बड़ी हिकमत, समझदारी और महारत से पीतल की हर चीज़ बना सकता था। इस क़िस्म का काम करने के लिए वह सुलेमान बादशाह के पास आया। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:16 | फिर उसने हर सतून के लिए पीतल का बालाई हिस्सा ढाल दिया जिसकी ऊँचाई साढ़े 7 फ़ुट थी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:17 | हर बालाई हिस्से को एक दूसरे के साथ ख़ूबसूरती से मिलाई गई सात ज़ंजीरों से आरास्ता किया गया। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:18 | इन ज़ंजीरों के ऊपर हीराम ने हर बालाई हिस्से को पीतल के 200 अनारों से सजाया जो दो क़तारों में लगाए गए। फिर बालाई हिस्से सतूनों पर लगाए गए। बालाई हिस्सों की सोसन के फूल की-सी शक्ल थी, और यह फूल 6 फ़ुट ऊँचे थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:19 | इन ज़ंजीरों के ऊपर हीराम ने हर बालाई हिस्से को पीतल के 200 अनारों से सजाया जो दो क़तारों में लगाए गए। फिर बालाई हिस्से सतूनों पर लगाए गए। बालाई हिस्सों की सोसन के फूल की-सी शक्ल थी, और यह फूल 6 फ़ुट ऊँचे थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:20 | इन ज़ंजीरों के ऊपर हीराम ने हर बालाई हिस्से को पीतल के 200 अनारों से सजाया जो दो क़तारों में लगाए गए। फिर बालाई हिस्से सतूनों पर लगाए गए। बालाई हिस्सों की सोसन के फूल की-सी शक्ल थी, और यह फूल 6 फ़ुट ऊँचे थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:21 | हीराम ने दोनों सतून रब के घर के बरामदे के सामने खड़े किए। दहने हाथ के सतून का नाम उसने ‘यकीन’ और बाएँ हाथ के सतून का नाम ‘बोअज़’ रखा। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:23 | इसके बाद हीराम ने पीतल का बड़ा गोल हौज़ ढाल दिया जिसका नाम ‘समुंदर’ रखा गया। उस की ऊँचाई साढ़े 7 फ़ुट, उसका मुँह 15 फ़ुट चौड़ा और उसका घेरा तक़रीबन 45 फ़ुट था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:24 | हौज़ के किनारे के नीचे तूँबों की दो क़तारें थीं। फ़ी फ़ुट तक़रीबन 6 तूँबे थे। तूँबे और हौज़ मिलकर ढाले गए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:25 | हौज़ को बैलों के 12 मुजस्समों पर रखा गया। तीन बैलों का रुख़ शिमाल की तरफ़, तीन का रुख़ मग़रिब की तरफ़, तीन का रुख़ जुनूब की तरफ़ और तीन का रुख़ मशरिक़ की तरफ़ था। उनके पिछले हिस्से हौज़ की तरफ़ थे, और हौज़ उनके कंधों पर पड़ा था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:26 | हौज़ का किनारा प्याले बल्कि सोसन के फूल की तरह बाहर की तरफ़ मुड़ा हुआ था। उस की दीवार तक़रीबन तीन इंच मोटी थी, और हौज़ में पानी के तक़रीबन 44,000 लिटर समा जाते थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:27 | फिर हीराम ने पानी के बासन उठाने के लिए पीतल की हथगाड़ियाँ बनाईं। हर गाड़ी की लंबाई 6 फ़ुट, चौड़ाई 6 फ़ुट और ऊँचाई साढ़े 4 फ़ुट थी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:29 | फ़्रेम के बैरूनी पहलू शेरबबरों, बैलों और करूबी फ़रिश्तों से सजे हुए थे। शेरों और बैलों के ऊपर और नीचे पीतल के सेहरे लगे हुए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:30 | हर गाड़ी के चार पहिये और दो धुरे थे। यह भी पीतल के थे। चारों कोनों पर पीतल के ऐसे टुकड़े लगे थे जिन पर बासन रखे जाते थे। यह टुकड़े भी सेहरों से सजे हुए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:31 | फ़्रेम के अंदर जिस जगह बासन को रखा जाता था वह गोल थी। उस की ऊँचाई डेढ़ फ़ुट थी, और उसका मुँह सवा दो फ़ुट चौड़ा था। उसके बैरूनी पहलू पर चीज़ें कंदा की गई थीं। गाड़ी का फ़्रेम गोल नहीं बल्कि चौरस था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:32 | गाड़ी के फ़्रेम के नीचे मज़कूरा चार पहिये थे जो धुरों से जुड़े थे। धुरे फ़्रेम के साथ ही ढल गए थे। हर पहिया सवा दो फ़ुट चौड़ा था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:33 | पहिये रथों के पहियों की मानिंद थे। उनके धुरे, किनारे, तार और नाभें सबके सब पीतल से ढाले गए थे। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:35 | हर गाड़ी के ऊपर का किनारा नौ इंच ऊँचा था। कोनों पर लगे दस्ते और फ़्रेम के पहलू हर जगह करूबी फ़रिश्तों, शेरबबरों और खजूर के दरख़्तों से सजे हुए थे। चारों तरफ़ सेहरे भी कंदा किए गए। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:36 | हर गाड़ी के ऊपर का किनारा नौ इंच ऊँचा था। कोनों पर लगे दस्ते और फ़्रेम के पहलू हर जगह करूबी फ़रिश्तों, शेरबबरों और खजूर के दरख़्तों से सजे हुए थे। चारों तरफ़ सेहरे भी कंदा किए गए। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:38 | हीराम ने हर गाड़ी के लिए पीतल का बासन ढाल दिया। हर बासन 6 फ़ुट चौड़ा था, और उसमें 880 लिटर पानी समा जाता था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:39 | उसने पाँच गाड़ियाँ रब के घर के दाएँ हाथ और पाँच उसके बाएँ हाथ खड़ी कीं। हौज़ बनाम समुंदर को उसने रब के घर के जुनूब-मशरिक़ में रख दिया। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:40 | हीराम ने बासन, बेलचे और छिड़काव के कटोरे भी बनाए। यों उसने रब के घर में वह सारा काम मुकम्मल किया जिसके लिए सुलेमान बादशाह ने उसे बुलाया था। उसने ज़ैल की चीज़ें बनाईं : | |
I Ki | UrduGeoD | 7:41 | दो सतून, सतूनों पर लगे प्यालानुमा बालाई हिस्से, बालाई हिस्सों पर लगी ज़ंजीरों का डिज़ायन, | |
I Ki | UrduGeoD | 7:45 | बालटियाँ, बेलचे और छिड़काव के कटोरे। यह तमाम सामान जो हीराम ने सुलेमान के हुक्म पर रब के घर के लिए बनाया पीतल से ढालकर पालिश किया गया था। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:46 | बादशाह ने उसे वादीए-यरदन में सुक्कात और ज़रतान के दरमियान ढलवाया। वहाँ एक फ़ौंडरी थी जहाँ हीराम ने गारे के साँचे बनाकर हर चीज़ ढाल दी। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:47 | इस सामान के लिए सुलेमान बादशाह ने इतना ज़्यादा पीतल इस्तेमाल किया कि उसका कुल वज़न मालूम न हो सका। | |
I Ki | UrduGeoD | 7:48 | रब के घर के अंदर के लिए सुलेमान ने दर्जे-ज़ैल सामान बनवाया : सोने की क़ुरबानगाह, सोने की वह मेज़ जिस पर रब के लिए मख़सूस रोटियाँ पड़ी रहती थीं, | |
I Ki | UrduGeoD | 7:49 | ख़ालिस सोने के 10 शमादान जो मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने रखे गए, पाँच दरवाज़े के दहने हाथ और पाँच उसके बाएँ हाथ, सोने के वह फूल जिनसे शमादान आरास्ता थे, सोने के चराग़ और बत्ती को बुझाने के औज़ार, | |
I Ki | UrduGeoD | 7:50 | ख़ालिस सोने के बासन, चराग़ को कतरने के औज़ार, छिड़काव के कटोरे और प्याले, जलते हुए कोयले के लिए ख़ालिस सोने के बरतन, मुक़द्दसतरीन कमरे और बड़े हाल के दरवाज़ों के क़ब्ज़े। | |