I SAMUEL
Chapter 20
I Sa | UrduGeoD | 20:1 | अब दाऊद रामा के नयोत से भी भाग गया। चुपके से वह यूनतन के पास आया और पूछा, “मुझसे क्या ग़लती हुई है? मेरा क्या क़ुसूर है? मुझसे आपके बाप के ख़िलाफ़ क्या जुर्म सरज़द हुआ है कि वह मुझे क़त्ल करना चाहते हैं?” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:2 | यूनतन ने एतराज़ किया, “यह कभी नहीं हो सकता! आप नहीं मरेंगे। मेरा बाप तो मुझे हमेशा सब कुछ बता देता है, ख़ाह बात बड़ी हो या छोटी। तो फिर वह ऐसा कोई मनसूबा मुझसे क्यों छुपाए? आपकी यह बात सरासर ग़लत है।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:3 | लेकिन दाऊद ने क़सम खाकर इसरार किया, “ज़ाहिर है कि आपको इसके बारे में इल्म नहीं। आपके बाप को साफ़ मालूम है कि मैं आपको पसंद हूँ। ‘वह तो सोचते होंगे, यूनतन को इस बात का इल्म न हो, वरना वह दुख महसूस करेगा।’ लेकिन रब की और आपकी जान की क़सम, मैं बड़े ख़तरे में हूँ, और मौत से बचना मुश्किल ही है।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:5 | तब दाऊद ने अपना मनसूबा पेश किया। “कल नए चाँद की ईद है, और बादशाह तवक़्क़ो करेंगे कि मैं उनकी ज़ियाफ़त में शरीक हूँ। लेकिन इस मरतबा मुझे परसों शाम तक बाहर खुले मैदान में छुपा रहने की इजाज़त दें। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:6 | अगर आपके बाप मेरा पता करें तो उन्हें कह देना, ‘दाऊद ने बड़े ज़ोर से मुझसे अपने शहर बैत-लहम को जाने की इजाज़त माँगी। उसे बड़ी जल्दी थी, क्योंकि उसका पूरा ख़ानदान अपनी सालाना क़ुरबानी चढ़ाना चाहता है।’ | |
I Sa | UrduGeoD | 20:7 | अगर आपके बाप जवाब दें कि ठीक है तो फिर मालूम होगा कि ख़तरा टल गया है। लेकिन अगर वह बड़े ग़ुस्से में आ जाएँ तो यक़ीन जानें कि वह मुझे नुक़सान पहुँचाने का इरादा रखते हैं। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:8 | बराहे-करम मुझ पर मेहरबानी करके याद रखें कि आपने रब के सामने अपने ख़ादिम से अहद बाँधा है। अगर मैं वाक़ई क़ुसूरवार ठहरूँ तो आप ख़ुद मुझे मार डालें। लेकिन किसी सूरत में भी मुझे अपने बाप के हवाले न करें।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:9 | यूनतन ने जवाब दिया, “फ़िकर न करें, मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा। जब भी मुझे इशारा मिल जाए कि मेरा बाप आपको क़त्ल करने का इरादा रखता है तो मैं ज़रूर आपको फ़ौरन इत्तला दूँगा।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:12 | तो यूनतन ने दाऊद से कहा, “रब इसराईल के ख़ुदा की क़सम, परसों इस वक़्त तक मैं अपने बाप से बात मालूम कर लूँगा। अगर वह आपके बारे में अच्छी सोच रखे और मैं आपको इत्तला न दूँ | |
I Sa | UrduGeoD | 20:13 | तो रब मुझे सख़्त सज़ा दे। लेकिन अगर मुझे पता चले कि मेरा बाप आपको मार देने पर तुला हुआ है तो मैं आपको इसकी इत्तला भी दूँगा। इस सूरत में मैं आपको नहीं रोकूँगा बल्कि आपको सलामती से जाने दूँगा। रब उसी तरह आपके साथ हो जिस तरह वह पहले मेरे बाप के साथ था। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:14 | लेकिन दरख़ास्त है कि मेरे जीते-जी मुझ पर रब की-सी मेहरबानी करें ताकि मैं मर न जाऊँ। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:15 | मेरे ख़ानदान पर भी हमेशा तक मेहरबानी करें। वह कभी भी आपकी मेहरबानी से महरूम न हो जाए, उस वक़्त भी नहीं जब रब ने आपके तमाम दुश्मनों को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया होगा।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:17 | वह बोला, “क़सम खाएँ कि आप यह अहद उतने पुख़्ता इरादे से क़ायम रखेंगे जितनी आप मुझसे मुहब्बत रखते हैं।” क्योंकि यूनतन दाऊद को अपनी जान के बराबर अज़ीज़ रखता था। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:18 | फिर यूनतन ने अपना मनसूबा पेश किया। “कल तो नए चाँद की ईद है। जल्दी से पता चलेगा कि आप नहीं आए, क्योंकि आपकी कुरसी ख़ाली रहेगी। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:19 | इसलिए परसों शाम के वक़्त खुले मैदान में वहाँ चले जाएँ जहाँ पहले छुप गए थे। पत्थर के ढेर के क़रीब बैठ जाएँ। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:20 | उस वक़्त मैं घर से निकलकर तीन तीर पत्थर के ढेर की तरफ़ चलाऊँगा गोया में किसी चीज़ को निशाना बनाकर मशक़ कर रहा हूँ। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:21 | फिर मैं लड़के को तीरों को ले आने के लिए भेज दूँगा। अगर मैं उसे बता दूँ, ‘तीर उरली तरफ़ पड़े हैं, उन्हें जाकर ले आओ’ तो आप ख़ौफ़ खाए बग़ैर छुपने की जगह से निकलकर मेरे पास आ सकेंगे। रब की हयात की क़सम, इस सूरत में कोई ख़तरा नहीं होगा। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:22 | लेकिन अगर मैं लड़के को बता दूँ, ‘तीर परली तरफ़ पड़े हैं’ तो आपको फ़ौरन हिजरत करनी पड़ेगी। इस सूरत में रब ख़ुद आपको यहाँ से भेज रहा होगा। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:24 | चुनाँचे दाऊद खुले मैदान में छुप गया। नए चाँद की ईद आई तो बादशाह ज़ियाफ़त के लिए बैठ गया। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:25 | मामूल के मुताबिक़ वह दीवार के पास बैठ गया। अबिनैर उसके साथ बैठा था और यूनतन उसके मुक़ाबिल। लेकिन दाऊद की जगह ख़ाली रही। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:26 | उस दिन साऊल ने बात न छेड़ी, क्योंकि उसने सोचा, “दाऊद किसी वजह से नापाक हो गया होगा, इसलिए नहीं आया।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:27 | लेकिन अगले दिन जब दाऊद की जगह फिर ख़ाली रही तो साऊल ने यूनतन से पूछा, “यस्सी का बेटा न तो कल, न आज ज़ियाफ़त में शरीक हुआ है। क्या वजह है?” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:29 | उसने कहा, ‘मेहरबानी करके मुझे जाने दें, क्योंकि मेरा ख़ानदान एक ख़ास क़ुरबानी चढ़ा रहा है, और मेरे भाई ने मुझे आने का हुक्म दिया है। अगर आपको मंज़ूर हो तो बराहे-करम मुझे अपने भाइयों के पास जाने की इजाज़त दें।’ यही वजह है कि वह बादशाह की ज़ियाफ़त में शरीक नहीं हुआ।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:30 | यह सुनकर साऊल आपे से बाहर हो गया। वह गरजा, “हरामज़ादे! मुझे ख़ूब मालूम है कि तूने दाऊद का साथ दिया है। शर्म की बात है, तेरे लिए और तेरी माँ के लिए। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:31 | जब तक यस्सी का बेटा ज़िंदा है तब तक न तू और न तेरी बादशाहत क़ायम रहेगी। अब जा, उसे ले आ, क्योंकि उसे मरना ही है।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:33 | जवाब में साऊल ने अपना नेज़ा ज़ोर से यूनतन की तरफ़ फेंक दिया ताकि उसे मार डाले। यह देखकर यूनतन ने जान लिया कि साऊल दाऊद को क़त्ल करने का पुख़्ता इरादा रखता है। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:34 | बड़े ग़ुस्से के आलम में वह खड़ा हुआ और चला गया। उस दिन उसने खाना खाने से इनकार किया। उसे बहुत दुख था कि मेरा बाप दाऊद की इतनी बेइज़्ज़ती कर रहा है। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:35 | अगले दिन यूनतन सुबह के वक़्त घर से निकलकर खुले मैदान में उस जगह आ गया जहाँ दाऊद से मिलना था। एक लड़का उसके साथ था। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:36 | उसने लड़के को हुक्म दिया, “चलो, उस तरफ़ भागना शुरू करो जिस तरफ़ मैं तीरों को चलाऊँगा ताकि तुझे मालूम हो कि वह कहाँ हैं।” चुनाँचे लड़का दौड़ने लगा, और यूनतन ने तीर इतने ज़ोर से चलाया कि वह उससे आगे कहीं दूर जा गिरा। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:38 | जल्दी करो, भागकर आगे निकलो और न रुको!” फिर लड़का तीर को उठाकर अपने मालिक के पास वापस आ गया। | |
I Sa | UrduGeoD | 20:40 | फिर यूनतन ने कमान और तीरों को लड़के के सुपुर्द करके उसे हुक्म दिया, “जाओ, सामान लेकर शहर में वापस चले जाओ।” | |
I Sa | UrduGeoD | 20:41 | लड़का चला गया तो दाऊद पत्थर के ढेर के जुनूब से निकलकर यूनतन के पास आया। तीन मरतबा वह यूनतन के सामने मुँह के बल झुक गया। एक दूसरे को चूमकर दोनों ख़ूब रोए, ख़ासकर दाऊद। | |