HEBREWS
Chapter 11
Hebr | UrduGeoD | 11:1 | ईमान क्या है? यह कि हम उसमें क़ायम रहें जिस पर हम उम्मीद रखते हैं और कि हम उसका यक़ीन रखें जो हम नहीं देख सकते। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:3 | ईमान के ज़रीए हम जान लेते हैं कि कायनात को अल्लाह के कलाम से ख़लक़ किया गया, कि जो कुछ हम देख सकते हैं नज़र आनेवाली चीज़ों से नहीं बना। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:4 | यह ईमान का काम था कि हाबील ने अल्लाह को एक ऐसी क़ुरबानी पेश की जो क़ाबील की क़ुरबानी से बेहतर थी। इस ईमान की बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ ठहराकर उस की अच्छी गवाही दी, जब उसने उस की क़ुरबानियों को क़बूल किया। और ईमान के ज़रीए वह अब तक बोलता रहता है हालाँकि वह मुरदा है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:5 | यह ईमान का काम था कि हनूक न मरा बल्कि ज़िंदा हालत में आसमान पर उठाया गया। कोई भी उसे ढूँडकर पा न सका क्योंकि अल्लाह उसे आसमान पर उठा ले गया था। वजह यह थी कि उठाए जाने से पहले उसे यह गवाही मिली कि वह अल्लाह को पसंद आया। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:6 | और ईमान रखे बग़ैर हम अल्लाह को पसंद नहीं आ सकते। क्योंकि लाज़िम है कि अल्लाह के हुज़ूर आनेवाला ईमान रखे कि वह है और कि वह उन्हें अज्र देता है जो उसके तालिब हैं। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:7 | यह ईमान का काम था कि नूह ने अल्लाह की सुनी जब उसने उसे आनेवाली बातों के बारे में आगाह किया, ऐसी बातों के बारे में जो अभी देखने में नहीं आई थीं। नूह ने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर एक कश्ती बनाई ताकि उसका ख़ानदान बच जाए। यों उसने अपने ईमान के ज़रीए दुनिया को मुजरिम क़रार दिया और उस रास्तबाज़ी का वारिस बन गया जो ईमान से हासिल होती है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:8 | यह ईमान का काम था कि इब्राहीम ने अल्लाह की सुनी जब उसने उसे बुलाकर कहा कि वह एक ऐसे मुल्क में जाए जो उसे बाद में मीरास में मिलेगा। हाँ, वह अपने मुल्क को छोड़कर रवाना हुआ, हालाँकि उसे मालूम न था कि वह कहाँ जा रहा है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:9 | ईमान के ज़रीए वह वादा किए हुए मुल्क में अजनबी की हैसियत से रहने लगा। वह ख़ैमों में रहता था और इसी तरह इसहाक़ और याक़ूब भी जो उसके साथ उसी वादे के वारिस थे। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:10 | क्योंकि इब्राहीम उस शहर के इंतज़ार में था जिसकी मज़बूत बुनियाद है और जिसका नक़्श बनाने और तामीर करनेवाला ख़ुद अल्लाह है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:11 | यह ईमान का काम था कि इब्राहीम बाप बनने के क़ाबिल हो गया, हालाँकि वह बुढ़ापे की वजह से बाप नहीं बन सकता था। इसी तरह सारा भी बच्चे जन्म नहीं दे सकती थी। लेकिन इब्राहीम समझता था कि अल्लाह जिसने वादा किया है वफ़ादार है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:12 | गो इब्राहीम तक़रीबन मर चुका था तो भी उसी एक शख़्स से बेशुमार औलाद निकली, तादाद में आसमान पर के सितारों और साहिल पर की रेत के ज़र्रों के बराबर। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:13 | यह तमाम लोग ईमान रखते रखते मर गए। उन्हें वह कुछ न मिला जिसका वादा किया गया था। उन्होंने उसे सिर्फ़ दूर ही से देखकर ख़ुशआमदीद कहा। और उन्होंने तसलीम किया कि हम ज़मीन पर सिर्फ़ मेहमान और आरिज़ी तौर पर रहनेवाले अजनबी हैं। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:14 | जो इस क़िस्म की बातें करते हैं वह ज़ाहिर करते हैं कि हम अब तक अपने वतन की तलाश में हैं। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:15 | अगर उनके ज़हन में वह मुल्क होता जिससे वह निकल आए थे तो वह अब भी वापस जा सकते थे। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:16 | इसके बजाए वह एक बेहतर मुल्क यानी एक आसमानी मुल्क की आरज़ू कर रहे थे। इसलिए अल्लाह उनका ख़ुदा कहलाने से नहीं शर्माता, क्योंकि उसने उनके लिए एक शहर तैयार किया है। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:17 | यह ईमान का काम था कि इब्राहीम ने उस वक़्त इसहाक़ को क़ुरबानी के तौर पर पेश किया जब अल्लाह ने उसे आज़माया। हाँ, वह अपने इकलौते बेटे को क़ुरबान करने के लिए तैयार था अगरचे उसे अल्लाह के वादे मिल गए थे | |
Hebr | UrduGeoD | 11:19 | इब्राहीम ने सोचा, “अल्लाह मुरदों को भी ज़िंदा कर सकता है,” और मजाज़न उसे वाक़ई इसहाक़ मुरदों में से वापस मिल गया। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:20 | यह ईमान का काम था कि इसहाक़ ने आनेवाली चीज़ों के लिहाज़ से याक़ूब और एसौ को बरकत दी। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:21 | यह ईमान का काम था कि याक़ूब ने मरते वक़्त यूसुफ़ के दोनों बेटों को बरकत दी और अपनी लाठी के सिरे पर टेक लगाकर अल्लाह को सिजदा किया। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:22 | यह ईमान का काम था कि यूसुफ़ ने मरते वक़्त यह पेशगोई की कि इसराईली मिसर से निकलेंगे बल्कि यह भी कहा कि निकलते वक़्त मेरी हड्डियाँ भी अपने साथ ले जाओ। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:23 | यह ईमान का काम था कि मूसा के माँ-बाप ने उसे पैदाइश के बाद तीन माह तक छुपाए रखा, क्योंकि उन्होंने देखा कि वह ख़ूबसूरत है। वह बादशाह के हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी करने से न डरे। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:24 | यह ईमान का काम था कि मूसा ने परवान चढ़कर इनकार किया कि उसे फ़िरौन की बेटी का बेटा ठहराया जाए। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:25 | आरिज़ी तौर पर गुनाह से लुत्फ़अंदोज़ होने के बजाए उसने अल्लाह की क़ौम के साथ बदसुलूकी का निशाना बनने को तरजीह दी। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:26 | वह समझा कि जब मेरी मसीह की ख़ातिर रुसवाई की जाती है तो यह मिसर के तमाम ख़ज़ानों से ज़्यादा क़ीमती है, क्योंकि उस की आँखें आनेवाले अज्र पर लगी रहीं। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:27 | यह ईमान का काम था कि मूसा ने बादशाह के ग़ुस्से से डरे बग़ैर मिसर को छोड़ दिया, क्योंकि वह गोया अनदेखे ख़ुदा को मुसलसल अपनी आँखों के सामने रखता रहा। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:28 | यह ईमान का काम था कि उसने फ़सह की ईद मनाकर हुक्म दिया कि ख़ून को चौखटों पर लगाया जाए ताकि हलाक करनेवाला फ़रिश्ता उनके पहलौठे बेटों को न छुए। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:29 | यह ईमान का काम था कि इसराईली बहरे-क़ुलज़ुम में से यों गुज़र सके जैसे कि यह ख़ुश्क ज़मीन थी। जब मिसरियों ने यह करने की कोशिश की तो वह डूब गए। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:30 | यह ईमान का काम था कि सात दिन तक यरीहू शहर की फ़सील के गिर्द चक्कर लगाने के बाद पूरी दीवार गिर गई। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:31 | यह भी ईमान का काम था कि राहब फ़ाहिशा अपने शहर के बाक़ी नाफ़रमान बाशिंदों के साथ हलाक न हुई, क्योंकि उसने इसराईली जासूसों को सलामती के साथ ख़ुशआमदीद कहा था। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:32 | मैं मज़ीद क्या कुछ कहूँ? मेरे पास इतना वक़्त नहीं कि मैं जिदौन, बरक़, समसून, इफ़ताह, दाऊद, समुएल और नबियों के बारे में सुनाता रहूँ। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:33 | यह सब ईमान के सबब से ही कामयाब रहे। वह बादशाहियों पर ग़ालिब आए और इनसाफ़ करते रहे। उन्हें अल्लाह के वादे हासिल हुए। उन्होंने शेरबबरों के मुँह बंद कर दिए | |
Hebr | UrduGeoD | 11:34 | और आग के भड़कते शोलों को बुझा दिया। वह तलवार की ज़द से बच निकले। वह कमज़ोर थे लेकिन उन्हें क़ुव्वत हासिल हुई। जब जंग छिड़ गई तो वह इतने ताक़तवर साबित हुए कि उन्होंने ग़ैरमुल्की लशकरों को शिकस्त दी। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:35 | ईमान रखने के बाइस ख़वातीन को उनके मुरदा अज़ीज़ ज़िंदा हालत में वापस मिले। लेकिन ऐसे भी थे जिन्हें तशद्दुद बरदाश्त करना पड़ा और जिन्होंने आज़ाद हो जाने से इनकार किया ताकि उन्हें एक बेहतर चीज़ यानी जी उठने का तजरबा हासिल हो जाए। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:37 | उन्हें संगसार किया गया, उन्हें आरे से चीरा गया, उन्हें तलवार से मार डाला गया। बाज़ को भेड़-बकरियों की खालों में घूमना फिरना पड़ा। ज़रूरतमंद हालत में उन्हें दबाया और उन पर ज़ुल्म किया जाता रहा। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:38 | दुनिया उनके लायक़ नहीं थी! वह वीरान जगहों में, पहाड़ों पर, ग़ारों और गढ़ों में आवारा फिरते रहे। | |
Hebr | UrduGeoD | 11:39 | इन सबको ईमान की वजह से अच्छी गवाही मिली। तो भी इन्हें वह कुछ हासिल न हुआ जिसका वादा अल्लाह ने किया था। | |