MARK
Chapter 7
| Mark | UrduGeoD | 7:2 | जब वह वहाँ थे तो उन्होंने देखा कि उसके कुछ शागिर्द अपने हाथ पाक-साफ़ किए बग़ैर यानी धोए बग़ैर खाना खा रहे हैं। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:3 | (क्योंकि यहूदी और ख़ासकर फ़रीसी फ़िरक़े के लोग इस मामले में अपने बापदादा की रिवायत को मानते हैं। वह अपने हाथ अच्छी तरह धोए बग़ैर खाना नहीं खाते। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:4 | इसी तरह जब वह कभी बाज़ार से आते हैं तो वह ग़ुस्ल करके ही खाना खाते हैं। वह बहुत-सी और रिवायतों पर भी अमल करते हैं, मसलन कप, जग और केतली को धोकर पाक-साफ़ करने की रस्म पर।) | |
| Mark | UrduGeoD | 7:5 | चुनाँचे फ़रीसियों और शरीअत के आलिमों ने ईसा से पूछा, “आपके शागिर्द बापदादा की रिवायतों के मुताबिक़ ज़िंदगी क्यों नहीं गुज़ारते बल्कि रोटी भी हाथ पाक-साफ़ किए बग़ैर खाते हैं?” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:6 | ईसा ने जवाब दिया, “यसायाह नबी ने तुम रियाकारों के बारे में ठीक कहा जब उसने यह नबुव्वत की, ‘यह क़ौम अपने होंटों से तो मेरा एहतराम करती है लेकिन उसका दिल मुझसे दूर है। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:7 | वह मेरी परस्तिश करते तो हैं, लेकिन बेफ़ायदा। क्योंकि वह सिर्फ़ इनसान ही के अहकाम सिखाते हैं।’ | |
| Mark | UrduGeoD | 7:9 | ईसा ने अपनी बात जारी रखी, “तुम कितने सलीक़े से अल्लाह का हुक्म मनसूख़ करते हो ताकि अपनी रिवायात को क़ायम रख सको। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:10 | मसलन मूसा ने फ़रमाया, ‘अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना’ और ‘जो अपने बाप या माँ पर लानत करे उसे सज़ाए-मौत दी जाए।’ | |
| Mark | UrduGeoD | 7:11 | लेकिन जब कोई अपने वालिदैन से कहे, ‘मैं आपकी मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मैंने मन्नत मानी है कि जो मुझे आपको देना था वह अल्लाह के लिए क़ुरबानी है’ तो तुम इसे जायज़ क़रार देते हो। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:13 | और इसी तरह तुम अल्लाह के कलाम को अपनी उस रिवायत से मनसूख़ कर लेते हो जो तुमने नसल-दर-नसल मुंतक़िल की है। तुम इस क़िस्म की बहुत-सी हरकतें करते हो।” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:14 | फिर ईसा ने दुबारा हुजूम को अपने पास बुलाया और कहा, “सब मेरी बात सुनो और इसे समझने की कोशिश करो। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:15 | कोई ऐसी चीज़ है नहीं जो इनसान में दाख़िल होकर उसे नापाक कर सके, बल्कि जो कुछ इनसान के अंदर से निकलता है वही उसे नापाक कर देता है।” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:17 | फिर वह हुजूम को छोड़कर किसी घर में दाख़िल हुआ। वहाँ उसके शागिर्दों ने पूछा, “इस तमसील का क्या मतलब है?” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:18 | उसने कहा, “क्या तुम भी इतने नासमझ हो? क्या तुम नहीं समझते कि जो कुछ बाहर से इनसान में दाख़िल होता है वह उसे नापाक नहीं कर सकता? | |
| Mark | UrduGeoD | 7:19 | वह तो उसके दिल में नहीं जाता बल्कि उसके मेदे में और वहाँ से निकलकर जाए-ज़रूरत में।” (यह कहकर ईसा ने हर क़िस्म का खाना पाक-साफ़ क़रार दिया।) | |
| Mark | UrduGeoD | 7:21 | क्योंकि लोगों के अंदर से, उनके दिलों ही से बुरे ख़यालात, हरामकारी, चोरी, क़त्लो-ग़ारत, | |
| Mark | UrduGeoD | 7:22 | ज़िनाकारी, लालच, बदकारी, धोका, शहवतपरस्ती, हसद, बुहतान, ग़ुरूर और हमाक़त निकलते हैं। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:24 | फिर ईसा गलील से रवाना होकर शिमाल में सूर के इलाक़े में आया। वहाँ वह किसी घर में दाख़िल हुआ। वह नहीं चाहता था कि किसी को पता चले, लेकिन वह पोशीदा न रह सका। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:25 | फ़ौरन एक औरत उसके पास आई जिसने उसके बारे में सुन रखा था। वह उसके पाँवों में गिर गई। उस की छोटी बेटी किसी नापाक रूह के क़ब्ज़े में थी, | |
| Mark | UrduGeoD | 7:26 | और उसने ईसा से गुज़ारिश की, “बदरूह को मेरी बेटी में से निकाल दें।” लेकिन वह औरत यूनानी थी और सूरुफ़ेनीके के इलाक़े में पैदा हुई थी, | |
| Mark | UrduGeoD | 7:27 | इसलिए ईसा ने उसे बताया, “पहले बच्चों को जी भरकर खाने दे, क्योंकि यह मुनासिब नहीं कि बच्चों से खाना लेकर कुत्तों के सामने फेंक दिया जाए।” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:28 | उसने जवाब दिया, “जी ख़ुदावंद, लेकिन मेज़ के नीचे के कुत्ते भी बच्चों के गिरे हुए टुकड़े खाते हैं।” | |
| Mark | UrduGeoD | 7:30 | औरत अपने घर वापस चली गई तो देखा कि लड़की बिस्तर पर पड़ी है और बदरूह उसमें से निकल चुकी है। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:31 | जब ईसा सूर से रवाना हुआ तो वह पहले शिमाल में वाक़े शहर सैदा को चला गया। फिर वहाँ से भी फ़ारिग़ होकर वह दुबारा गलील की झील के किनारे वाक़े दिकपुलिस के इलाक़े में पहुँच गया। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:32 | वहाँ उसके पास एक बहरा आदमी लाया गया जो मुश्किल ही से बोल सकता था। उन्होंने मिन्नत की कि वह अपना हाथ उस पर रखे। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:33 | ईसा उसे हुजूम से दूर ले गया। उसने अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डालीं और थूककर आदमी की ज़बान को छुआ। | |
| Mark | UrduGeoD | 7:34 | फिर आसमान की तरफ़ नज़र उठाकर उसने आह भरी और उससे कहा, “इफ़्फ़तह!” (इसका मतलब है “खुल जा!”) | |
| Mark | UrduGeoD | 7:36 | ईसा ने हाज़िरीन को हुक्म दिया कि वह किसी को यह बात न बताएँ। लेकिन जितना वह मना करता था उतना ही लोग इसकी ख़बर फैलाते थे। | |