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JOB
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Chapter 24
Job UrduGeoD 24:1  क़ादिरे-मुतलक़ अदालत के औक़ात क्यों नहीं मुक़र्रर करता? जो उसे जानते हैं वह ऐसे दिन क्यों नहीं देखते?
Job UrduGeoD 24:2  बेदीन अपनी ज़मीनों की हुदूद को आगे पीछे करते और दूसरों के रेवड़ लूटकर अपनी चरागाहों में ले जाते हैं।
Job UrduGeoD 24:3  वह यतीमों का गधा हाँककर ले जाते और इस शर्त पर बेवा को क़र्ज़ देते हैं कि वह उन्हें ज़मानत के तौर पर अपना बैल दे।
Job UrduGeoD 24:4  वह ज़रूरतमंदों को रास्ते से हटाते हैं, चुनाँचे मुल्क के ग़रीबों को सरासर छुप जाना पड़ता है।
Job UrduGeoD 24:5  ज़रूरतमंद बयाबान में जंगली गधों की तरह काम करने के लिए निकलते हैं। ख़ुराक का खोज लगा लगाकर वह इधर उधर घुमते-फिरते हैं बल्कि रेगिस्तान ही उन्हें उनके बच्चों के लिए खाना मुहैया करता है।
Job UrduGeoD 24:6  जो खेत उनके अपने नहीं हैं उनमें वह फ़सल काटते हैं, और बेदीनों के अंगूर के बाग़ों में जाकर वह दो-चार अंगूर चुन लेते हैं जो फ़सल चुनने के बाद बाक़ी रह गए थे।
Job UrduGeoD 24:7  कपड़ों से महरूम रहकर वह रात को बरहना हालत में गुज़ारते हैं। सर्दी में उनके पास कम्बल तक नहीं होता।
Job UrduGeoD 24:8  पहाड़ों की बारिश से वह भीग जाते और पनाहगाह न होने के बाइस पत्थरों के साथ लिपट जाते हैं।
Job UrduGeoD 24:9  बेदीन बाप से महरूम बच्चे को माँ की गोद से छीन लेते हैं बल्कि इस शर्त पर मुसीबतज़दा को क़र्ज़ देते हैं कि वह उन्हें ज़मानत के तौर पर अपना शीरख़ार बच्चा दे।
Job UrduGeoD 24:10  ग़रीब बरहना हालत में और कपड़े पहने बग़ैर फिरते हैं, वह भूके होते हुए पूले उठाए चलते हैं।
Job UrduGeoD 24:11  ज़ैतून के जो दरख़्त बेदीनों ने सफ़-दर-सफ़ लगाए थे उनके दरमियान ग़रीब ज़ैतून का तेल निकालते हैं। प्यासी हालत में वह शरीरों के हौज़ों में अंगूर को पाँवों तले कुचलकर उसका रस निकालते हैं।
Job UrduGeoD 24:12  शहर से मरनेवालों की आहें निकलती हैं और ज़ख़मी लोग मदद के लिए चीख़ते-चिल्लाते हैं। इसके बावुजूद अल्लाह किसी को भी मुजरिम नहीं ठहराता।
Job UrduGeoD 24:13  यह बेदीन उनमें से हैं जो नूर से सरकश हो गए हैं। न वह उस की राहों से वाक़िफ़ हैं, न उनमें रहते हैं।
Job UrduGeoD 24:14  सुबह-सवेरे क़ातिल उठता है ताकि मुसीबतज़दा और ज़रूरतमंद को क़त्ल करे। रात को चोर चक्कर काटता है।
Job UrduGeoD 24:15  ज़िनाकार की आँखें शाम के धुँधलके के इंतज़ार में रहती हैं, यह सोचकर कि उस वक़्त मैं किसी को नज़र नहीं आऊँगा। निकलते वक़्त वह अपने मुँह को ढाँप लेता है।
Job UrduGeoD 24:16  डाकू अंधेरे में घरों में नक़ब लगाते जबकि दिन के वक़्त वह छुपकर अपने पीछे कुंडी लगा लेते हैं। नूर को वह जानते ही नहीं।
Job UrduGeoD 24:17  गहरी तारीकी ही उनकी सुबह होती है, क्योंकि उनकी घने अंधेरे की दहशतों से दोस्ती हो गई है।
Job UrduGeoD 24:18  लेकिन बेदीन पानी की सतह पर झाग हैं, मुल्क में उनका हिस्सा मलऊन है और उनके अंगूर के बाग़ों की तरफ़ कोई रुजू नहीं करता।
Job UrduGeoD 24:19  जिस तरह काल और झुलसती गरमी बर्फ़ का पानी छीन लेती हैं उसी तरह पाताल गुनाहगारों को छीन लेता है।
Job UrduGeoD 24:20  माँ का रहम उन्हें भूल जाता, कीड़ा उन्हें चूस लेता और उनकी याद जाती रहती है। यक़ीनन बेदीनी लकड़ी की तरह टूट जाती है।
Job UrduGeoD 24:21  बेदीन बाँझ औरत पर ज़ुल्म और बेवाओं से बदसुलूकी करते हैं,
Job UrduGeoD 24:22  लेकिन अल्लाह ज़बरदस्तों को अपनी क़ुदरत से घसीटकर ले जाता है। वह मज़बूती से खड़े भी हों तो भी कोई यक़ीन नहीं कि ज़िंदा रहेंगे।
Job UrduGeoD 24:23  अल्लाह उन्हें हिफ़ाज़त से आराम करने देता है, लेकिन उस की आँखें उनकी राहों की पहरादारी करती रहती हैं।
Job UrduGeoD 24:24  लमहा-भर के लिए वह सरफ़राज़ होते, लेकिन फिर नेस्तो-नाबूद हो जाते हैं। उन्हें ख़ाक में मिलाकर सबकी तरह जमा किया जाता है, वह गंदुम की कटी हुई बालों की तरह मुरझा जाते हैं।
Job UrduGeoD 24:25  क्या ऐसा नहीं है? अगर कोई मुत्तफ़िक़ नहीं तो वह साबित करे कि मैं ग़लती पर हूँ, वह दिखाए कि मेरे दलायल बातिल हैं।”