MATTHEW
Chapter 15
Matt | UrduGeoD | 15:2 | “आपके शागिर्द बापदादा की रिवायत क्यों तोड़ते हैं? क्योंकि वह हाथ धोए बग़ैर रोटी खाते हैं।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:3 | ईसा ने जवाब दिया, “और तुम अपनी रिवायात की ख़ातिर अल्लाह का हुक्म क्यों तोड़ते हो? | |
Matt | UrduGeoD | 15:4 | क्योंकि अल्लाह ने फ़रमाया, ‘अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना’ और ‘जो अपने बाप या माँ पर लानत करे उसे सज़ाए-मौत दी जाए।’ | |
Matt | UrduGeoD | 15:5 | लेकिन जब कोई अपने वालिदैन से कहे, ‘मैं आपकी मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मैंने मन्नत मानी है कि जो कुछ मुझे आपको देना था वह अल्लाह के लिए वक़्फ़ है’ तो तुम इसे जायज़ क़रार देते हो। | |
Matt | UrduGeoD | 15:6 | यों तुम कहते हो कि उसे अपने माँ-बाप की इज़्ज़त करने की ज़रूरत नहीं है। और इसी तरह तुम अल्लाह के कलाम को अपनी रिवायत की ख़ातिर मनसूख़ कर लेते हो। | |
Matt | UrduGeoD | 15:9 | वह मेरी परस्तिश करते तो हैं, लेकिन बेफ़ायदा। क्योंकि वह सिर्फ़ इनसान ही के अहकाम सिखाते हैं’।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:10 | फिर ईसा ने हुजूम को अपने पास बुलाकर कहा, “सब मेरी बात सुनो और इसे समझने की कोशिश करो। | |
Matt | UrduGeoD | 15:11 | कोई ऐसी चीज़ है नहीं जो इनसान के मुँह में दाख़िल होकर उसे नापाक कर सके, बल्कि जो कुछ इनसान के मुँह से निकलता है वही उसे नापाक कर देता है।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:12 | इस पर शागिर्दों ने उसके पास आकर पूछा, “क्या आपको मालूम है कि फ़रीसी यह बात सुनकर नाराज़ हुए हैं?” | |
Matt | UrduGeoD | 15:13 | उसने जवाब दिया, “जो भी पौदा मेरे आसमानी बाप ने नहीं लगाया उसे जड़ से उखाड़ा जाएगा। | |
Matt | UrduGeoD | 15:14 | उन्हें छोड़ दो, वह अंधे राह दिखानेवाले हैं। अगर एक अंधा दूसरे अंधे की राहनुमाई करे तो दोनों गढ़े में गिर जाएंगे।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:17 | क्या तुम नहीं समझ सकते कि जो कुछ इनसान के मुँह में दाख़िल हो जाता है वह उसके मेदे में जाता है और वहाँ से निकलकर जाए-ज़रूरत में? | |
Matt | UrduGeoD | 15:18 | लेकिन जो कुछ इनसान के मुँह से निकलता है वह दिल से आता है। वही इनसान को नापाक करता है। | |
Matt | UrduGeoD | 15:19 | दिल ही से बुरे ख़यालात, क़त्लो-ग़ारत, ज़िनाकारी, हरामकारी, चोरी, झूटी गवाही और बुहतान निकलते हैं। | |
Matt | UrduGeoD | 15:20 | यही कुछ इनसान को नापाक कर देता है, लेकिन हाथ धोए बग़ैर खाना खाने से वह नापाक नहीं होता।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:22 | इस इलाक़े की एक कनानी ख़ातून उसके पास आकर चिल्लाने लगी, “ख़ुदावंद, इब्ने-दाऊद, मुझ पर रहम करें। एक बदरूह मेरी बेटी को बहुत सताती है।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:23 | लेकिन ईसा ने जवाब में एक लफ़्ज़ भी न कहा। इस पर उसके शागिर्द उसके पास आकर उससे गुज़ारिश करने लगे, “उसे फ़ारिग़ कर दें, क्योंकि वह हमारे पीछे पीछे चीख़ती-चिल्लाती है।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:26 | उसने उसे बताया, “यह मुनासिब नहीं कि बच्चों से खाना लेकर कुत्तों के सामने फेंक दिया जाए।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:27 | उसने जवाब दिया, “जी ख़ुदावंद, लेकिन कुत्ते भी वह टुकड़े खाते हैं जो उनके मालिक की मेज़ पर से फ़र्श पर गिर जाते हैं।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:28 | ईसा ने कहा, “ऐ औरत, तेरा ईमान बड़ा है। तेरी दरख़ास्त पूरी हो जाए।” उसी लमहे औरत की बेटी को शफ़ा मिल गई। | |
Matt | UrduGeoD | 15:29 | फिर ईसा वहाँ से रवाना होकर गलील की झील के किनारे पहुँच गया। वहाँ वह पहाड़ पर चढ़कर बैठ गया। | |
Matt | UrduGeoD | 15:30 | लोगों की बड़ी तादाद उसके पास आई। वह अपने लँगड़े, अंधे, मफ़लूज, गूँगे और कई और क़िस्म के मरीज़ भी साथ ले आए। उन्होंने उन्हें ईसा के सामने रखा तो उसने उन्हें शफ़ा दी। | |
Matt | UrduGeoD | 15:31 | हुजूम हैरतज़दा हो गया। क्योंकि गूँगे बोल रहे थे, अपाहजों के आज़ा बहाल हो गए, लँगड़े चलने और अंधे देखने लगे थे। यह देखकर भीड़ ने इसराईल के ख़ुदा की तमजीद की। | |
Matt | UrduGeoD | 15:32 | फिर ईसा ने अपने शागिर्दों को बुलाकर उनसे कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। इन्हें मेरे साथ ठहरे तीन दिन हो चुके हैं और इनके पास खाने की कोई चीज़ नहीं है। लेकिन मैं इन्हें इस भूकी हालत में रुख़सत नहीं करना चाहता। ऐसा न हो कि वह रास्ते में थककर चूर हो जाएँ।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:33 | उसके शागिर्दों ने जवाब दिया, “इस वीरान इलाक़े में कहाँ से इतना खाना मिल सकेगा कि यह लोग खाकर सेर हो जाएँ?” | |
Matt | UrduGeoD | 15:34 | ईसा ने पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “सात, और चंद एक छोटी मछलियाँ।” | |
Matt | UrduGeoD | 15:36 | फिर सात रोटियों और मछलियों को लेकर उसने शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उन्हें तोड़ तोड़कर अपने शागिर्दों को तक़सीम करने के लिए दे दिया। | |
Matt | UrduGeoD | 15:37 | सबने जी भरकर खाया। बाद में जब खाने के बचे हुए टुकड़े जमा किए गए तो सात बड़े टोकरे भर गए। | |