JOHN
Chapter 5
| John | UrduGeoD | 5:2 | शहर में एक हौज़ था जिसका नाम अरामी ज़बान में बैत-हसदा था। उसके पाँच बड़े बरामदे थे और वह शहर के उस दरवाज़े के क़रीब था जिसका नाम ‘भेड़ों का दरवाज़ा’ है। | |
| John | UrduGeoD | 5:3 | इन बरामदों में बेशुमार माज़ूर लोग पड़े रहते थे। यह अंधे, लँगड़े और मफ़लूज पानी के हिलने के इंतज़ार में रहते थे। | |
| John | UrduGeoD | 5:4 | [क्योंकि गाहे बगाहे रब का फ़रिश्ता उतरकर पानी को हिला देता था। जो भी उस वक़्त उसमें पहले दाख़िल हो जाता उसे शफ़ा मिल जाती थी ख़ाह उस की बीमारी कोई भी क्यों न होती।] | |
| John | UrduGeoD | 5:6 | जब ईसा ने उसे वहाँ पड़ा देखा और उसे मालूम हुआ कि यह इतनी देर से इस हालत में है तो उसने पूछा, “क्या तू तनदुरुस्त होना चाहता है?” | |
| John | UrduGeoD | 5:7 | उसने जवाब दिया, “ख़ुदावंद, यह मुश्किल है। मेरा कोई साथी नहीं जो मुझे उठाकर पानी में जब उसे हिलाया जाता है ले जाए। इसलिए मेरे वहाँ पहुँचने में इतनी देर लग जाती है कि कोई और मुझसे पहले पानी में उतर जाता है।” | |
| John | UrduGeoD | 5:9 | वह आदमी फ़ौरन बहाल हो गया। उसने अपना बिस्तर उठाया और चलने-फिरने लगा। यह वाक़िया सबत के दिन हुआ। | |
| John | UrduGeoD | 5:10 | इसलिए यहूदियों ने शफ़ायाब आदमी को बताया, “आज सबत का दिन है। आज बिस्तर उठाना मना है।” | |
| John | UrduGeoD | 5:11 | लेकिन उसने जवाब दिया, “जिस आदमी ने मुझे शफ़ा दी उसने मुझे बताया, ‘अपना बिस्तर उठाकर चल-फिर’।” | |
| John | UrduGeoD | 5:13 | लेकिन शफ़ायाब आदमी को मालूम न था, क्योंकि ईसा हुजूम के सबब से चुपके से वहाँ से चला गया था। | |
| John | UrduGeoD | 5:14 | बाद में ईसा उसे बैतुल-मुक़द्दस में मिला। उसने कहा, “अब तू बहाल हो गया है। फिर गुनाह न करना, ऐसा न हो कि तेरा हाल पहले से भी बदतर हो जाए।” | |
| John | UrduGeoD | 5:17 | लेकिन ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “मेरा बाप आज तक काम करता आया है, और मैं भी ऐसा करता हूँ।” | |
| John | UrduGeoD | 5:18 | यह सुनकर यहूदी उसे क़त्ल करने की मज़ीद कोशिश करने लगे, क्योंकि उसने न सिर्फ़ सबत के दिन को मनसूख़ क़रार दिया था बल्कि अल्लाह को अपना बाप कहकर अपने आपको अल्लाह के बराबर ठहराया था। | |
| John | UrduGeoD | 5:19 | ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि फ़रज़ंद अपनी मरज़ी से कुछ नहीं कर सकता। वह सिर्फ़ वह कुछ करता है जो वह बाप को करते देखता है। जो कुछ बाप करता है वही फ़रज़ंद भी करता है, | |
| John | UrduGeoD | 5:20 | क्योंकि बाप फ़रज़ंद को प्यार करता और उसे सब कुछ दिखाता है जो वह ख़ुद करता है। हाँ, वह फ़रज़ंद को इनसे भी अज़ीम काम दिखाएगा। फिर तुम और भी ज़्यादा हैरतज़दा होगे। | |
| John | UrduGeoD | 5:21 | क्योंकि जिस तरह बाप मुरदों को ज़िंदा करता है उसी तरह फ़रज़ंद भी जिन्हें चाहता है ज़िंदा कर देता है। | |
| John | UrduGeoD | 5:22 | और बाप किसी की भी अदालत नहीं करता बल्कि उसने अदालत का पूरा इंतज़ाम फ़रज़ंद के सुपुर्द कर दिया है | |
| John | UrduGeoD | 5:23 | ताकि सब उसी तरह फ़रज़ंद की इज़्ज़त करें जिस तरह वह बाप की इज़्ज़त करते हैं। जो फ़रज़ंद की इज़्ज़त नहीं करता वह बाप की भी इज़्ज़त नहीं करता जिसने उसे भेजा है। | |
| John | UrduGeoD | 5:24 | मैं तुमको सच बताता हूँ, जो भी मेरी बात सुनकर उस पर ईमान लाता है जिसने मुझे भेजा है अबदी ज़िंदगी उस की है। उसे मुजरिम नहीं ठहराया जाएगा बल्कि वह मौत की गिरिफ़्त से निकलकर ज़िंदगी में दाख़िल हो गया है। | |
| John | UrduGeoD | 5:25 | मैं तुमको सच बताता हूँ कि एक वक़्त आनेवाला है बल्कि आ चुका है जब मुरदे अल्लाह के फ़रज़ंद की आवाज़ सुनेंगे। और जितने सुनेंगे वह ज़िंदा हो जाएंगे। | |
| John | UrduGeoD | 5:26 | क्योंकि जिस तरह बाप ज़िंदगी का मंबा है उसी तरह उसने अपने फ़रज़ंद को ज़िंदगी का मंबा बना दिया है। | |
| John | UrduGeoD | 5:29 | क़ब्रों में से निकल आएँगे। जिन्होंने नेक काम किया वह जी उठकर ज़िंदगी पाएँगे जबकि जिन्होंने बुरा काम किया वह जी तो उठेंगे लेकिन उनकी अदालत की जाएगी। | |
| John | UrduGeoD | 5:30 | मैं अपनी मरज़ी से कुछ नहीं कर सकता बल्कि जो कुछ बाप से सुनता हूँ उसके मुताबिक़ अदालत करता हूँ। और मेरी अदालत रास्त है क्योंकि मैं अपनी मरज़ी करने की कोशिश नहीं करता बल्कि उसी की जिसने मुझे भेजा है। | |
| John | UrduGeoD | 5:32 | लेकिन एक और है जो मेरे बारे में गवाही दे रहा है और मैं जानता हूँ कि मेरे बारे में उस की गवाही सच्ची और मोतबर है। | |
| John | UrduGeoD | 5:33 | तुमने पता करने के लिए अपने लोगों को यहया के पास भेजा है और उसने हक़ीक़त की तसदीक़ की है। | |
| John | UrduGeoD | 5:34 | बेशक मुझे किसी इनसानी गवाह की ज़रूरत नहीं है, लेकिन मैं यह इसलिए बता रहा हूँ ताकि तुमको नजात मिल जाए। | |
| John | UrduGeoD | 5:35 | यहया एक जलता हुआ चराग़ था जो रौशनी देता था, और कुछ देर के लिए तुमने उस की रौशनी में ख़ुशी मनाना पसंद किया। | |
| John | UrduGeoD | 5:36 | लेकिन मेरे पास एक और गवाह है जो यहया की निसबत ज़्यादा अहम है यानी वह काम जो बाप ने मुझे मुकम्मल करने के लिए दे दिया। यही काम जो मैं कर रहा हूँ मेरे बारे में गवाही देता है कि बाप ने मुझे भेजा है। | |
| John | UrduGeoD | 5:37 | इसके अलावा बाप ने ख़ुद जिसने मुझे भेजा है मेरे बारे में गवाही दी है। अफ़सोस, तुमने कभी उस की आवाज़ नहीं सुनी, न उस की शक्लो-सूरत देखी, | |
| John | UrduGeoD | 5:38 | और उसका कलाम तुम्हारे अंदर नहीं रहता, क्योंकि तुम उस पर ईमान नहीं रखते जिसे उसने भेजा है। | |
| John | UrduGeoD | 5:39 | तुम अपने सहीफ़ों में ढूँडते रहते हो क्योंकि समझते हो कि उनसे तुम्हें अबदी ज़िंदगी हासिल है। लेकिन यही मेरे बारे में गवाही देते हैं! | |
| John | UrduGeoD | 5:43 | अगरचे मैं अपने बाप के नाम में आया हूँ तो भी तुम मुझे क़बूल नहीं करते। इसके मुक़ाबले में अगर कोई अपने नाम में आएगा तो तुम उसे क़बूल करोगे। | |
| John | UrduGeoD | 5:44 | कोई अजब नहीं कि तुम ईमान नहीं ला सकते। क्योंकि तुम एक दूसरे से इज़्ज़त चाहते हो जबकि तुम वह इज़्ज़त पाने की कोशिश ही नहीं करते जो वाहिद ख़ुदा से मिलती है। | |
| John | UrduGeoD | 5:45 | लेकिन यह न समझो कि मैं बाप के सामने तुम पर इलज़ाम लगाऊँगा। एक और है जो तुम पर इलज़ाम लगा रहा है यानी मूसा, जिससे तुम उम्मीद रखते हो। | |
| John | UrduGeoD | 5:46 | अगर तुम वाक़ई मूसा पर ईमान रखते तो ज़रूर मुझ पर भी ईमान रखते, क्योंकि उसने मेरे ही बारे में लिखा। | |