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Chapter 39
Job | UrduGeoD | 39:1 | क्या तुझे मालूम है कि पहाड़ी बकरियों के बच्चे कब पैदा होते हैं? जब हिरनी अपना बच्चा जन्म देती है तो क्या तू इसको मुलाहज़ा करता है? | |
Job | UrduGeoD | 39:2 | क्या तू वह महीने गिनता रहता है जब बच्चे हिरनियों के पेट में हों? क्या तू जानता है कि किस वक़्त बच्चे जन्म देती हैं? | |
Job | UrduGeoD | 39:4 | उनके बच्चे ताक़तवर होकर खुले मैदान में फलते-फूलते, फिर एक दिन चले जाते हैं और अपनी माँ के पास वापस नहीं आते। | |
Job | UrduGeoD | 39:6 | मैं ही ने बयाबान उसका घर बना दिया, मैं ही ने मुक़र्रर किया कि बंजर ज़मीन उस की रिहाइशगाह हो। | |
Job | UrduGeoD | 39:9 | क्या जंगली बैल तेरी ख़िदमत करने के लिए तैयार होगा? क्या वह कभी रात को तेरी चरनी के पास गुज़ारेगा? | |
Job | UrduGeoD | 39:10 | क्या तू उसे बाँधकर हल चला सकता है? क्या वह वादी में तेरे पीछे चलकर सुहागा फेरेगा? | |
Job | UrduGeoD | 39:11 | क्या तू उस की बड़ी ताक़त देखकर उस पर एतमाद करेगा? क्या तू अपना सख़्त काम उसके सुपुर्द करेगा? | |
Job | UrduGeoD | 39:12 | क्या तू भरोसा कर सकता है कि वह तेरा अनाज जमा करके गाहने की जगह पर ले आए? हरगिज़ नहीं! | |
Job | UrduGeoD | 39:13 | शुतुरमुरग़ ख़ुशी से अपने परों को फड़फड़ाता है। लेकिन क्या उसका शाहपर लक़लक़ या बाज़ के शाहपर की मानिंद है? | |
Job | UrduGeoD | 39:15 | शुतुरमुरग़ को ख़याल तक नहीं आता कि कोई उन्हें पाँवों तले कुचल सकता या कोई जंगली जानवर उन्हें रौंद सकता है। | |
Job | UrduGeoD | 39:16 | लगता नहीं कि उसके अपने बच्चे हैं, क्योंकि उसका उनके साथ सुलूक इतना सख़्त है। अगर उस की मेहनत नाकाम निकले तो उसे परवा ही नहीं, | |
Job | UrduGeoD | 39:18 | तो भी वह इतनी तेज़ी से उछलकर भाग जाता है कि घोड़े और घुड़सवार की दौड़ देखकर हँसने लगता है। | |
Job | UrduGeoD | 39:20 | क्या तू ही उसे टिड्डी की तरह फलाँगने देता है? जब वह ज़ोर से अपने नथनों को फूलाकर आवाज़ निकालता है तो कितना रोबदार लगता है! | |
Job | UrduGeoD | 39:21 | वह वादी में सुम मार मारकर अपनी ताक़त की ख़ुशी मनाता, फिर भागकर मैदाने-जंग में आ जाता है। | |
Job | UrduGeoD | 39:22 | वह ख़ौफ़ का मज़ाक़ उड़ाता और किसी से भी नहीं डरता, तलवार के रूबरू भी पीछे नहीं हटता। | |
Job | UrduGeoD | 39:24 | वह बड़ा शोर मचाकर इतनी तेज़ी और जोशो-ख़ुरोश से दुश्मन पर हमला करता है कि बिगुल बजते वक़्त भी रोका नहीं जाता। | |
Job | UrduGeoD | 39:25 | जब भी बिगुल बजे वह ज़ोर से हिनहिनाता और दूर ही से मैदाने-जंग, कमाँडरों का शोर और जंग के नारे सूँघ लेता है। | |
Job | UrduGeoD | 39:26 | क्या बाज़ तेरी ही हिकमत के ज़रीए हवा में उड़कर अपने परों को जुनूब की जानिब फैला देता है? | |
Job | UrduGeoD | 39:27 | क्या उक़ाब तेरे ही हुक्म पर बुलंदियों पर मँडलाता और ऊँची ऊँची जगहों पर अपना घोंसला बना लेता है? | |