MARK
Chapter 6
Mark | UrduGeoD | 6:2 | सबत के दिन वह इबादतख़ाने में तालीम देने लगा। बेशतर लोग उस की बातें सुनकर हैरतज़दा हुए। उन्होंने पूछा, “इसे यह कहाँ से हासिल हुआ है? यह हिकमत जो इसे मिली है, और यह मोजिज़े जो इसके हाथों से होते हैं, यह क्या है? | |
Mark | UrduGeoD | 6:3 | क्या यह वह बढ़ई नहीं है जो मरियम का बेटा है और जिसके भाई याक़ूब, यूसुफ़, यहूदाह और शमौन हैं? और क्या इसकी बहनें यहीं नहीं रहतीं?” यों उन्होंने उससे ठोकर खाकर उसे क़बूल न किया। | |
Mark | UrduGeoD | 6:4 | ईसा ने उनसे कहा, “नबी की हर जगह इज़्ज़त होती है सिवाए उसके वतनी शहर, उसके रिश्तेदारों और उसके अपने ख़ानदान के।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:5 | वहाँ वह कोई मोजिज़ा न कर सका। उसने सिर्फ़ चंद एक मरीज़ों पर हाथ रखकर उनको शफ़ा दी। | |
Mark | UrduGeoD | 6:6 | और वह उनकी बेएतक़ादी के सबब से बहुत हैरान था। इसके बाद ईसा ने इर्दगिर्द के इलाक़े में गाँव गाँव जाकर लोगों को तालीम दी। | |
Mark | UrduGeoD | 6:7 | बारह शागिर्दों को बुलाकर वह उन्हें दो दो करके मुख़्तलिफ़ जगहों पर भेजने लगा। इसके लिए उसने उन्हें नापाक रूहों को निकालने का इख़्तियार देकर | |
Mark | UrduGeoD | 6:8 | यह हिदायत की, “सफ़र पर अपने साथ कुछ न लेना सिवाए एक लाठी के। न रोटी, न सामान के लिए कोई बैग, न कमरबंद में कोई पैसा, | |
Mark | UrduGeoD | 6:11 | और अगर कोई मक़ाम तुमको क़बूल न करे या तुम्हारी न सुने तो फिर रवाना होते वक़्त अपने पाँवों से गर्द झाड़ दो। यों तुम उनके ख़िलाफ़ गवाही दोगे।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:13 | उन्होंने बहुत-सी बदरूहें निकाल दीं और बहुत-से मरीज़ों पर ज़ैतून का तेल मलकर उन्हें शफ़ा दी। | |
Mark | UrduGeoD | 6:14 | बादशाह हेरोदेस अंतिपास ने ईसा के बारे में सुना, क्योंकि उसका नाम मशहूर हो गया था। कुछ कह रहे थे, “यहया बपतिस्मा देनेवाला मुरदों में से जी उठा है, इसलिए इस क़िस्म की मोजिज़ाना ताक़तें उसमें नज़र आती हैं।” औरों ने सोचा, “यह इलियास नबी है।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:16 | लेकिन जब हेरोदेस ने उसके बारे में सुना तो उसने कहा, “यहया जिसका मैंने सर क़लम करवाया है मुरदों में से जी उठा है।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:17 | वजह यह थी कि हेरोदेस के हुक्म पर ही यहया को गिरिफ़्तार करके जेल में डाला गया था। यह हेरोदियास की ख़ातिर हुआ था जो पहले हेरोदेस के भाई फ़िलिप्पुस की बीवी थी, लेकिन जिससे उसने अब ख़ुद शादी कर ली थी। | |
Mark | UrduGeoD | 6:19 | इस वजह से हेरोदियास उससे कीना रखती और उसे क़त्ल कराना चाहती थी। लेकिन इसमें वह नाकाम रही | |
Mark | UrduGeoD | 6:20 | क्योंकि हेरोदेस यहया से डरता था। वह जानता था कि यह आदमी रास्तबाज़ और मुक़द्दस है, इसलिए वह उस की हिफ़ाज़त करता था। जब भी उससे बात होती तो हेरोदेस सुन सुनकर बड़ी उलझन में पड़ जाता। तो भी वह उस की बातें सुनना पसंद करता था। | |
Mark | UrduGeoD | 6:21 | आख़िरकार हेरोदियास को हेरोदेस की सालगिरह पर अच्छा मौक़ा मिल गया। सालगिरह को मनाने के लिए हेरोदेस ने अपने बड़े सरकारी अफ़सरों, मिल्ट्री कमाँडरों और गलील के अव्वल दर्जे के शहरियों की ज़ियाफ़त की। | |
Mark | UrduGeoD | 6:22 | ज़ियाफ़त के दौरान हेरोदियास की बेटी अंदर आकर नाचने लगी। हेरोदेस और उसके मेहमानों को यह बहुत पसंद आया और उसने लड़की से कहा, “जो जी चाहे मुझसे माँग तो मैं वह तुझे दूँगा।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:23 | बल्कि उसने क़सम खाकर कहा, “जो भी तू माँगेगी मैं तुझे दूँगा, ख़ाह बादशाही का आधा हिस्सा ही क्यों न हो।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:24 | लड़की ने निकलकर अपनी माँ से पूछा, “मैं क्या माँगूँ?” माँ ने जवाब दिया, “यहया बपतिस्मा देनेवाले का सर।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:25 | लड़की फुरती से अंदर जाकर बादशाह के पास वापस आई और कहा, “मैं चाहती हूँ कि आप मुझे अभी अभी यहया बपतिस्मा देनेवाले का सर ट्रे में मँगवा दें।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:26 | यह सुनकर बादशाह को बहुत दुख हुआ। लेकिन अपनी क़समों और मेहमानों की मौजूदगी की वजह से वह इनकार करने के लिए भी तैयार नहीं था। | |
Mark | UrduGeoD | 6:27 | चुनाँचे उसने फ़ौरन जल्लाद को भेजकर हुक्म दिया कि वह यहया का सर ले आए। जल्लाद ने जेल में जाकर यहया का सर क़लम कर दिया। | |
Mark | UrduGeoD | 6:28 | फिर वह उसे ट्रे में रखकर ले आया और लड़की को दे दिया। लड़की ने उसे अपनी माँ के सुपुर्द किया। | |
Mark | UrduGeoD | 6:29 | जब यहया के शागिर्दों को यह ख़बर पहुँची तो वह आए और उस की लाश लेकर उसे क़ब्र में रख दिया। | |
Mark | UrduGeoD | 6:30 | रसूल वापस आकर ईसा के पास जमा हुए और उसे सब कुछ सुनाने लगे जो उन्होंने किया और सिखाया था। | |
Mark | UrduGeoD | 6:31 | इस दौरान इतने लोग आ और जा रहे थे कि उन्हें खाना खाने का मौक़ा भी न मिला। इसलिए ईसा ने बारह शागिर्दों से कहा, “आओ, हम लोगों से अलग होकर किसी ग़ैरआबाद जगह जाएँ और आराम करें।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:33 | लेकिन बहुत-से लोगों ने उन्हें जाते वक़्त पहचान लिया। वह पैदल चलकर तमाम शहरों से निकल आए और दौड़ दौड़कर उनसे पहले मनज़िले-मक़सूद तक पहुँच गए। | |
Mark | UrduGeoD | 6:34 | जब ईसा ने कश्ती पर से उतरकर बड़े हुजूम को देखा तो उसे लोगों पर तरस आया, क्योंकि वह उन भेड़ों की मानिंद थे जिनका कोई चरवाहा न हो। वहीं वह उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा। | |
Mark | UrduGeoD | 6:35 | जब दिन ढलने लगा तो उसके शागिर्द उसके पास आए और कहा, “यह जगह वीरान है और दिन ढलने लगा है। | |
Mark | UrduGeoD | 6:36 | इनको रुख़सत कर दें ताकि यह इर्दगिर्द की बस्तियों और देहातों में जाकर खाने के लिए कुछ ख़रीद लें।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:37 | लेकिन ईसा ने उन्हें कहा, “तुम ख़ुद इन्हें कुछ खाने को दो।” उन्होंने पूछा, “हम इसके लिए दरकार चाँदी के 200 सिक्के कहाँ से लेकर रोटी ख़रीदने जाएँ और इन्हें खिलाएँ?” | |
Mark | UrduGeoD | 6:38 | उसने कहा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं? जाकर पता करो!” उन्होंने मालूम किया। फिर दुबारा उसके पास आकर कहने लगे, “हमारे पास पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:41 | फिर ईसा ने उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर आसमान की तरफ़ देखा और शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसने रोटियों को तोड़ तोड़कर शागिर्दों को दिया ताकि वह लोगों में तक़सीम करें। उसने दो मछलियों को भी टुकड़े टुकड़े करके शागिर्दों के ज़रीए उनमें तक़सीम करवाया। | |
Mark | UrduGeoD | 6:43 | जब शागिर्दों ने रोटियों और मछलियों के बचे हुए टुकड़े जमा किए तो बारह टोकरे भर गए। | |
Mark | UrduGeoD | 6:45 | इसके ऐन बाद ईसा ने अपने शागिर्दों को मजबूर किया कि वह कश्ती पर सवार होकर आगे निकलें और झील के पार के शहर बैत-सैदा जाएँ। इतने में वह हुजूम को रुख़सत करना चाहता था। | |
Mark | UrduGeoD | 6:47 | शाम के वक़्त शागिर्दों की कश्ती झील के बीच तक पहुँच गई थी जबकि ईसा ख़ुद ख़ुश्की पर अकेला रह गया था। | |
Mark | UrduGeoD | 6:48 | वहाँ से उसने देखा कि शागिर्द कश्ती को खेने में बड़ी जिद्दो-जहद कर रहे हैं, क्योंकि हवा उनके ख़िलाफ़ चल रही थी। तक़रीबन तीन बजे रात के वक़्त ईसा पानी पर चलते हुए उनके पास आया। वह उनसे आगे निकलना चाहता था, | |
Mark | UrduGeoD | 6:49 | लेकिन जब उन्होंने उसे झील की सतह पर चलते हुए देखा तो सोचने लगे, “यह कोई भूत है” और चीख़ें मारने लगे। | |
Mark | UrduGeoD | 6:50 | क्योंकि सबने उसे देखकर दहशत खाई। लेकिन ईसा फ़ौरन उनसे मुख़ातिब होकर बोला, “हौसला रखो! मैं ही हूँ। मत घबराओ।” | |
Mark | UrduGeoD | 6:51 | फिर वह उनके पास आया और कश्ती में बैठ गया। उसी वक़्त हवा थम गई। शागिर्द निहायत ही हैरतज़दा हुए। | |
Mark | UrduGeoD | 6:52 | क्योंकि जब रोटियों का मोजिज़ा किया गया था तो वह इसका मतलब नहीं समझे थे बल्कि उनके दिल बेहिस हो गए थे। | |
Mark | UrduGeoD | 6:55 | वह भाग भागकर उस पूरे इलाक़े में से गुज़रे और मरीज़ों को चारपाइयों पर उठा उठाकर वहाँ ले आए जहाँ कहीं उन्हें ख़बर मिली कि वह ठहरा हुआ है। | |