GENESIS
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Chapter 24
Gene | UrduGeoD | 24:2 | एक दिन उसने अपने घर के सबसे बुज़ुर्ग नौकर से जो उस की जायदाद का पूरा इंतज़ाम चलाता था बात की। “क़सम के लिए अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखो। | |
Gene | UrduGeoD | 24:3 | रब की क़सम खाओ जो आसमानो-ज़मीन का ख़ुदा है कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे | |
Gene | UrduGeoD | 24:4 | बल्कि मेरे वतन में मेरे रिश्तेदारों के पास जाओगे और उन्हीं में से मेरे बेटे के लिए बीवी लाओगे।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:5 | उसके नौकर ने कहा, “शायद वह औरत मेरे साथ यहाँ आना न चाहे। क्या मैं इस सूरत में आपके बेटे को उस वतन में वापस ले जाऊँ जिससे आप निकले हैं?” | |
Gene | UrduGeoD | 24:7 | रब जो आसमान का ख़ुदा है अपना फ़रिश्ता तुम्हारे आगे भेजेगा, इसलिए तुम वहाँ मेरे बेटे के लिए बीवी चुनने में ज़रूर कामयाब होगे। क्योंकि वही मुझे मेरे बाप के घर और मेरे वतन से यहाँ ले आया है, और उसी ने क़सम खाकर मुझसे वादा किया है कि मैं कनान का यह मुल्क तेरी औलाद को दूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 24:8 | अगर वहाँ की औरत यहाँ आना न चाहे तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे। लेकिन किसी सूरत में भी मेरे बेटे को वहाँ वापस न ले जाना।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:9 | इब्राहीम के नौकर ने अपना हाथ उस की रान के नीचे रखकर क़सम खाई कि मैं सब कुछ ऐसा ही करूँगा। | |
Gene | UrduGeoD | 24:10 | फिर वह अपने आक़ा के दस ऊँटों पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतामिया की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के शहर पहुँच गया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:11 | उसने ऊँटों को शहर के बाहर कुएँ के पास बिठाया। शाम का वक़्त था जब औरतें कुएँ के पास आकर पानी भरती थीं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:12 | फिर उसने दुआ की, “ऐ रब मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा, मुझे आज कामयाबी बख़्श और मेरे आक़ा इब्राहीम पर मेहरबानी कर। | |
Gene | UrduGeoD | 24:14 | मैं उनमें से किसी से कहूँगा, ‘ज़रा अपना घड़ा नीचे करके मुझे पानी पिलाएँ।’ अगर वह जवाब दे, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिला देती हूँ,’ तो वह वही होगी जिसे तूने अपने ख़ादिम इसहाक़ के लिए चुन रखा है। अगर ऐसा हुआ तो मैं जान लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर मेहरबानी की है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:15 | वह अभी दुआ कर ही रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह बतुएल की बेटी थी (बतुएल इब्राहीम के भाई नहूर की बीवी मिलकाह का बेटा था)। | |
Gene | UrduGeoD | 24:16 | रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत जवान लड़की थी, और वह कुँवारी भी थी। वह चश्मे तक उतरी, अपना घड़ा भरा और फिर वापस ऊपर आई। | |
Gene | UrduGeoD | 24:17 | इब्राहीम का नौकर दौड़कर उससे मिला। उसने कहा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:18 | रिबक़ा ने कहा, “जनाब, पी लें।” जल्दी से उसने अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर हाथ में पकड़ा ताकि वह पी सके। | |
Gene | UrduGeoD | 24:19 | जब वह पीने से फ़ारिग़ हुआ तो रिबक़ा ने कहा, “मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आती हूँ। वह भी पूरे तौर पर अपनी प्यास बुझाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:20 | जल्दी से उसने अपने घड़े का पानी हौज़ में उंडेल दिया और फिर भागकर कुएँ से इतना पानी लाती रही कि तमाम ऊँटों की प्यास बुझ गई। | |
Gene | UrduGeoD | 24:21 | इतने में इब्राहीम का आदमी ख़ामोशी से उसे देखता रहा, क्योंकि वह जानना चाहता था कि क्या रब मुझे सफ़र की कामयाबी बख़्शेगा या नहीं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:22 | ऊँट पानी पीने से फ़ारिग़ हुए तो उसने रिबक़ा को सोने की एक नथ और दो कंगन दिए। नथ का वज़न तक़रीबन 6 ग्राम था और कंगनों का 120 ग्राम। | |
Gene | UrduGeoD | 24:23 | उसने पूछा, “आप किसकी बेटी हैं? क्या उसके हाँ इतनी जगह है कि हम वहाँ रात गुज़ार सकें?” | |
Gene | UrduGeoD | 24:27 | उसने कहा, “मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद हो जिसके करम और वफ़ादारी ने मेरे आक़ा को नहीं छोड़ा। रब ने मुझे सीधा मेरे मालिक के रिश्तेदारों तक पहुँचाया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:29 | जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:30 | जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:31 | लाबन ने कहा, “रब के मुबारक बंदे, मेरे साथ आएँ। आप यहाँ शहर के बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने अपने घर में आपके लिए सब कुछ तैयार किया है। आपके ऊँटों के लिए भी काफ़ी जगह है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:32 | वह नौकर को लेकर घर पहुँचा। ऊँटों से सामान उतारा गया, और उनको भूसा और चारा दिया गया। पानी भी लाया गया ताकि इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी अपने पाँव धोएँ। | |
Gene | UrduGeoD | 24:33 | लेकिन जब खाना आ गया तो इब्राहीम के नौकर ने कहा, “इससे पहले कि मैं खाना खाऊँ लाज़िम है कि अपना मामला पेश करूँ।” लाबन ने कहा, “बताएँ अपनी बात।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:35 | रब ने मेरे आक़ा को बहुत बरकत दी है। वह बहुत अमीर बन गया है। रब ने उसे कसरत से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, सोना-चाँदी, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे दिए हैं। | |
Gene | UrduGeoD | 24:36 | जब मेरे मालिक की बीवी बूढ़ी हो गई थी तो उसके बेटा पैदा हुआ था। इब्राहीम ने उसे अपनी पूरी मिलकियत दे दी है। | |
Gene | UrduGeoD | 24:37 | लेकिन मेरे आक़ा ने मुझसे कहा, ‘क़सम खाओ कि तुम इन कनानियों में से जिनके दरमियान मैं रहता हूँ मेरे बेटे के लिए बीवी नहीं लाओगे | |
Gene | UrduGeoD | 24:40 | उसने कहा, ‘रब जिसके सामने मैं चलता रहा हूँ अपने फ़रिश्ते को तुम्हारे साथ भेजेगा और तुम्हें कामयाबी बख़्शेगा। तुम्हें ज़रूर मेरे रिश्तेदारों और मेरे बाप के घराने से मेरे बेटे के लिए बीवी मिलेगी। | |
Gene | UrduGeoD | 24:41 | लेकिन अगर तुम मेरे रिश्तेदारों के पास जाओ और वह इनकार करें तो फिर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:42 | आज जब मैं कुएँ के पास आया तो मैंने दुआ की, ‘ऐ रब, मेरे आक़ा के ख़ुदा, अगर तेरी मरज़ी हो तो मुझे इस मिशन में कामयाबी बख़्श जिसके लिए मैं यहाँ आया हूँ। | |
Gene | UrduGeoD | 24:43 | अब मैं इस कुएँ के पास खड़ा हूँ। जब कोई जवान औरत शहर से निकलकर यहाँ आए तो मैं उससे कहूँगा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी पिलाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:44 | अगर वह कहे, “पी लें, मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आऊँगी” तो इसका मतलब यह हो कि तूने उसे मेरे आक़ा के बेटे के लिए चुन लिया है कि उस की बीवी बन जाए।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:45 | मैं अभी दिल में यह दुआ कर रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह चश्मे तक उतरी और अपना घड़ा भर लिया। मैंने उससे कहा, ‘ज़रा मुझे पानी पिलाएँ।’ | |
Gene | UrduGeoD | 24:46 | जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिलाती हूँ।’ मैंने पानी पिया, और उसने ऊँटों को भी पानी पिलाया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:47 | फिर मैंने उससे पूछा, ‘आप किसकी बेटी हैं?’ उसने जवाब दिया, ‘मेरा बाप बतुएल है। वह नहूर और मिलकाह का बेटा है।’ फिर मैंने उस की नाक में नथ और उस की कलाइयों में कंगन पहना दिए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:48 | तब मैंने रब को सिजदा करके अपने आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद की जिसने मुझे सीधा मेरे मालिक की भतीजी तक पहुँचाया ताकि वह इसहाक़ की बीवी बन जाए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:49 | अब मुझे बताएँ, क्या आप मेरे आक़ा पर अपनी मेहरबानी और वफ़ादारी का इज़हार करना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो रिबक़ा की इसहाक़ के साथ शादी क़बूल करें। अगर आप मुत्तफ़िक़ नहीं हैं तो मुझे बताएँ ताकि मैं कोई और क़दम उठा सकूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:50 | लाबन और बतुएल ने जवाब दिया, “यह बात रब की तरफ़ से है, इसलिए हम किसी तरह भी इनकार नहीं कर सकते। | |
Gene | UrduGeoD | 24:51 | रिबक़ा आपके सामने है। उसे ले जाएँ। वह आपके मालिक के बेटे की बीवी बन जाए जिस तरह रब ने फ़रमाया है।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:53 | फिर उसने सोने और चाँदी के ज़ेवरात और महँगे मलबूसात अपने सामान में से निकालकर रिबक़ा को दिए। रिबक़ा के भाई और माँ को भी क़ीमती तोह्फ़े मिले। | |
Gene | UrduGeoD | 24:54 | इसके बाद उसने अपने हमसफ़रों के साथ शाम का खाना खाया। वह रात को वहीं ठहरे। अगले दिन जब उठे तो नौकर ने कहा, “अब हमें इजाज़त दें ताकि अपने आक़ा के पास लौट जाएँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:56 | लेकिन उसने उनसे कहा, “अब देर न करें, क्योंकि रब ने मुझे मेरे मिशन में कामयाबी बख़्शी है। मुझे इजाज़त दें ताकि अपने मालिक के पास वापस जाऊँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:58 | उन्होंने रिबक़ा को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू अभी इस आदमी के साथ जाना चाहती है?” उसने कहा, “जी, मैं जाना चाहती हूँ।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:59 | चुनाँचे उन्होंने अपनी बहन रिबक़ा, उस की दाया, इब्राहीम के नौकर और उसके हमसफ़रों को रुख़सत कर दिया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:60 | पहले उन्होंने रिबक़ा को बरकत देकर कहा, “हमारी बहन, अल्लाह करे कि तू करोड़ों की माँ बने। तेरी औलाद अपने दुश्मनों के शहरों के दरवाज़ों पर क़ब्ज़ा करे।” | |
Gene | UrduGeoD | 24:61 | फिर रिबक़ा और उस की नौकरानियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुईं और इब्राहीम के नौकर के पीछे हो लीं। चुनाँचे नौकर उन्हें साथ लेकर रवाना हो गया। | |
Gene | UrduGeoD | 24:62 | उस वक़्त इसहाक़ मुल्क के जुनूबी हिस्से, दश्ते-नजब में रहता था। वह बैर-लही-रोई से आया था। | |
Gene | UrduGeoD | 24:63 | एक शाम वह निकलकर खुले मैदान में अपनी सोचों में मगन टहल रहा था कि अचानक ऊँट उस की तरफ़ आते हुए नज़र आए। | |
Gene | UrduGeoD | 24:65 | नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो मैदान में हमसे मिलने आ रहा है?” नौकर ने कहा, “मेरा मालिक है।” यह सुनकर रिबक़ा ने चादर लेकर अपने चेहरे को ढाँप लिया। | |