LAMENTATIONS
Chapter 3
Lame | UrduGeoD | 3:1 | हाय, मुझे कितना दुख उठाना पड़ा! और यह सब कुछ इसलिए हो रहा है कि रब का ग़ज़ब मुझ पर नाज़िल हुआ है, उसी की लाठी मुझे तरबियत दे रही है। | |
Lame | UrduGeoD | 3:6 | उसने मुझे तारीकी में बसाया। अब मैं उनकी मानिंद हूँ जो बड़ी देर से क़ब्र में पड़े हैं। | |
Lame | UrduGeoD | 3:7 | उसने मुझे पीतल की भारी ज़ंजीरों में जकड़कर मेरे इर्दगिर्द ऐसी दीवारें खड़ी कीं जिनसे मैं निकल नहीं सकता। | |
Lame | UrduGeoD | 3:8 | ख़ाह मैं मदद के लिए कितनी चीख़ें क्यों न मारूँ वह मेरी इल्तिजाएँ अपने हुज़ूर पहुँचने नहीं देता। | |
Lame | UrduGeoD | 3:9 | जहाँ भी मैं चलना चाहूँ वहाँ उसने तराशे पत्थरों की मज़बूत दीवार से मुझे रोक लिया। मेरे तमाम रास्ते भूलभुलय्याँ बन गए हैं। | |
Lame | UrduGeoD | 3:14 | मैं अपनी पूरी क़ौम के लिए मज़ाक़ का निशाना बन गया हूँ। वह पूरे दिन अपने गीतों में मुझे लान-तान करते हैं। | |
Lame | UrduGeoD | 3:22 | रब की मेहरबानी है कि हम नेस्तो-नाबूद नहीं हुए। क्योंकि उस की शफ़क़त कभी ख़त्म नहीं होती | |
Lame | UrduGeoD | 3:32 | उस की शफ़क़त इतनी अज़ीम है कि गो वह कभी इनसान को दुख पहुँचाए तो भी वह आख़िरकार उस पर दुबारा रहम करता है। | |
Lame | UrduGeoD | 3:43 | तू अपने क़हर के परदे के पीछे छुपकर हमारा ताक़्क़ुब करने लगा, बेरहमी से हमें मारता गया। | |
Lame | UrduGeoD | 3:48 | आँसू मेरी आँखों से टपक टपककर नदियाँ बन गए हैं, मैं इसलिए रो रहा हूँ कि मेरी क़ौम तबाह हो गई है। | |
Lame | UrduGeoD | 3:54 | सैलाब मुझ पर आया, और मेरा सर पानी में डूब गया। मैं बोला, “मेरी ज़िंदगी का धागा कट गया है।” | |
Lame | UrduGeoD | 3:56 | मैंने इल्तिजा की, “अपना कान बंद न रख बल्कि मेरी आहें और चीख़ें सुन!” और तूने मेरी सुनी। | |
Lame | UrduGeoD | 3:58 | ऐ रब, तू अदालत में मेरे हक़ में मुक़दमा लड़ा, बल्कि तूने मेरी जान का एवज़ाना भी दिया। | |
Lame | UrduGeoD | 3:60 | तूने उनकी तमाम कीनापरवरी पर तवज्जुह दी है। जितनी भी साज़िशें उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ की हैं उनसे तू वाक़िफ़ है। | |
Lame | UrduGeoD | 3:62 | जो कुछ मेरे मुख़ालिफ़ पूरा दिन मेरे ख़िलाफ़ फुसफुसाते और बुड़बुड़ाते हैं उससे तू ख़ूब आश्ना है। | |
Lame | UrduGeoD | 3:63 | देख कि यह क्या करते हैं! ख़ाह बैठे या खड़े हों, हर वक़्त वह अपने गीतों में मुझे अपने मज़ाक़ का निशाना बनाते हैं। | |