Chapter 1
I Ti | UrduGeoD | 1:1 | यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है जो हमारे नजातदहिंदा अल्लाह और हमारी उम्मीद मसीह ईसा के हुक्म पर मसीह ईसा का रसूल है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:2 | मैं तीमुथियुस को लिख रहा हूँ जो ईमान में मेरा सच्चा बेटा है। ख़ुदा बाप और हमारा ख़ुदावंद मसीह ईसा आपको फ़ज़ल, रहम और सलामती अता करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:3 | मैंने आपको मकिदुनिया जाते वक़्त नसीहत की थी कि इफ़िसुस में रहें ताकि आप वहाँ के कुछ लोगों को ग़लत तालीम देने से रोकें। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:4 | उन्हें फ़रज़ी कहानियों और ख़त्म न होनेवाले नसबनामे के पीछे न लगने दें। इनसे महज़ बहस-मुबाहसा पैदा होता है और अल्लाह का नजातबख़्श मनसूबा पूरा नहीं होता। क्योंकि यह मनसूबा सिर्फ़ ईमान से तकमील तक पहुँचता है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:5 | मेरी इस हिदायत का मक़सद यह है कि मुहब्बत उभर आए, ऐसी मुहब्बत जो ख़ालिस दिल, साफ़ ज़मीर और बेरिया ईमान से पैदा होती है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:7 | यह शरीअत के उस्ताद बनना चाहते हैं, लेकिन उन्हें उन बातों की समझ नहीं आती जो वह कर रहे हैं और जिन पर वह इतने एतमाद से इसरार कर रहे हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:8 | लेकिन हम तो जानते हैं कि शरीअत अच्छी है बशर्तेकि इसे सहीह तौर पर इस्तेमाल किया जाए। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:9 | और याद रहे कि यह रास्तबाज़ों के लिए नहीं दी गई। क्योंकि यह उनके लिए है जो बग़ैर शरीअत के और सरकश ज़िंदगी गुज़ारते हैं, जो बेदीन और गुनाहगार हैं, जो मुक़द्दस और रूहानी बातों से ख़ाली हैं, जो अपने माँ-बाप के क़ातिल हैं, जो ख़ूनी, | |
I Ti | UrduGeoD | 1:10 | ज़िनाकार, हमजिंसपरस्त और ग़ुलामों के ताजिर हैं, जो झूट बोलते, झूटी क़सम खाते और मज़ीद बहुत कुछ करते हैं जो सेहतबख़्श तालीम के ख़िलाफ़ है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:11 | और सेहतबख़्श तालीम क्या है? वह जो मुबारक ख़ुदा की उस जलाली ख़ुशख़बरी में पाई जाती है जो मेरे सुपुर्द की गई है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:12 | मैं अपने ख़ुदावंद मसीह ईसा का शुक्र करता हूँ जिसने मेरी तक़वियत की है। मैं उसका शुक्र करता हूँ कि उसने मुझे वफ़ादार समझकर ख़िदमत के लिए मुक़र्रर किया। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:13 | गो मैं पहले कुफ़र बकनेवाला और गुस्ताख़ आदमी था, जो लोगों को ईज़ा देता था, लेकिन अल्लाह ने मुझ पर रहम किया। क्योंकि उस वक़्त मैं ईमान नहीं लाया था और इसलिए नहीं जानता था कि क्या कर रहा हूँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:14 | हाँ, हमारे ख़ुदावंद ने मुझ पर अपना फ़ज़ल कसरत से उंडेल दिया और मुझे वह ईमान और मुहब्बत अता की जो हमें मसीह ईसा में होते हुए मिलती है। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:15 | हम इस क़ाबिले-क़बूल बात पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि मसीह ईसा गुनाहगारों को नजात देने के लिए इस दुनिया में आया। उनमें से मैं सबसे बड़ा गुनाहगार हूँ, | |
I Ti | UrduGeoD | 1:16 | लेकिन यही वजह है कि अल्लाह ने मुझ पर रहम किया। क्योंकि वह चाहता था कि मसीह ईसा मुझमें जो अव्वल गुनाहगार हूँ अपना वसी सब्र ज़ाहिर करे और मैं यों उनके लिए नमूना बन जाऊँ जो उस पर ईमान लाकर अबदी ज़िंदगी पानेवाले हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:17 | हाँ, हमारे अज़लीओ-अबदी शहनशाह की हमेशा तक इज़्ज़तो-जलाल हो! वही लाफ़ानी, अनदेखा और वाहिद ख़ुदा है। आमीन। | |
I Ti | UrduGeoD | 1:18 | तीमुथियुस मेरे बेटे, मैं आपको यह हिदायत उन पेशगोइयों के मुताबिक़ देता हूँ जो पहले आपके बारे में की गई थीं। क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप इनकी पैरवी करके अच्छी तरह लड़ सकें | |
I Ti | UrduGeoD | 1:19 | और ईमान और साफ़ ज़मीर के साथ ज़िंदगी गुज़ार सकें। क्योंकि बाज़ ने यह बातें रद्द कर दी हैं और नतीजे में उनके ईमान का बेड़ा ग़रक़ हो गया। | |
Chapter 2
I Ti | UrduGeoD | 2:1 | पहले मैं इस पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि आप सबके लिए दरख़ास्तें, दुआएँ, सिफारिशें और शुक्रगुज़ारियाँ पेश करें, | |
I Ti | UrduGeoD | 2:2 | बादशाहों और इख़्तियारवालों के लिए भी ताकि हम आराम और सुकून से ख़ुदातरस और शरीफ़ ज़िंदगी गुज़ार सकें। | |
I Ti | UrduGeoD | 2:5 | क्योंकि एक ही ख़ुदा है और अल्लाह और इनसान के बीच में एक ही दरमियानी है यानी मसीह ईसा, वह इनसान | |
I Ti | UrduGeoD | 2:6 | जिसने अपने आपको फ़िद्या के तौर पर सबके लिए दे दिया ताकि वह मख़लसी पाएँ। यों उसने मुक़र्ररा वक़्त पर गवाही दी | |
I Ti | UrduGeoD | 2:7 | और यह गवाही सुनाने के लिए मुझे मुनाद, रसूल और ग़ैरयहूदियों का उस्ताद मुक़र्रर किया ताकि उन्हें ईमान और सच्चाई का पैग़ाम सुनाऊँ। मैं झूट नहीं बोल रहा बल्कि सच कह रहा हूँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 2:8 | अब मैं चाहता हूँ कि हर मक़ामी जमात के मर्द मुक़द्दस हाथ उठाकर दुआ करें। वह ग़ुस्से या बहस-मुबाहसा की हालत में ऐसा न करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 2:9 | इसी तरह मैं चाहता हूँ कि ख़वातीन मुनासिब कपड़े पहनकर शराफ़त और शायस्तगी से अपने आपको आरास्ता करें। वह गुंधे हुए बाल, सोना, मोती या हद से ज़्यादा महँगे कपड़ों से अपने आपको आरास्ता न करें | |
I Ti | UrduGeoD | 2:10 | बल्कि नेक कामों से। क्योंकि यही ऐसी ख़वातीन के लिए मुनासिब है जो ख़ुदातरस होने का दावा करती हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 2:12 | मैं ख़वातीन को तालीम देने या आदमियों पर हुकूमत करने की इजाज़त नहीं देता। वह ख़ामोश रहें। | |
Chapter 3
I Ti | UrduGeoD | 3:1 | यह बात यक़ीनी है कि जो जमात का निगरान बनना चाहता है वह एक अच्छी ज़िम्मादारी की आरज़ू रखता है। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:2 | लाज़िम है कि निगरान बेइलज़ाम हो। उस की एक ही बीवी हो। वह होशमंद, समझदार, शरीफ़, मेहमान-नवाज़ और तालीम देने के क़ाबिल हो। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:4 | लाज़िम है कि वह अपने ख़ानदान को अच्छी तरह सँभाल सके और कि उसके बच्चे शराफ़त के साथ उस की बात मानें। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:5 | क्योंकि अगर वह अपना ख़ानदान न सँभाल सके तो वह किस तरह अल्लाह की जमात की देख-भाल कर सकेगा? | |
I Ti | UrduGeoD | 3:6 | वह नौमुरीद न हो वरना ख़तरा है कि वह फूलकर इबलीस के जाल में उलझ जाए और यों उस की अदालत की जाए। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:7 | लाज़िम है कि जमात से बाहर के लोग उस की अच्छी गवाही दे सकें, ऐसा न हो कि वह बदनाम होकर इबलीस के फंदे में फँस जाए। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:8 | इसी तरह जमात के मददगार भी शरीफ़ हों। वह रियाकार न हों, न हद से ज़्यादा मै पिएँ। वह लालची भी न हों। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:10 | यह भी ज़रूरी है कि उन्हें पहले परखा जाए। अगर वह इसके बाद बेइलज़ाम निकलें तो फिर वह ख़िदमत करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:11 | उनकी बीवियाँ भी शरीफ़ हों। वह बुहतान लगानेवाली न हों बल्कि होशमंद और हर बात में वफ़ादार। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:12 | मददगार की एक ही बीवी हो। लाज़िम है कि वह अपने बच्चों और ख़ानदान को अच्छी तरह सँभाल सके। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:13 | जो मददगार अच्छी तरह अपनी ख़िदमत सँभालते हैं उनकी हैसियत बढ़ जाएगी और मसीह ईसा पर उनका ईमान इतना पुख़्ता हो जाएगा कि वह बड़े एतमाद के साथ ज़िंदगी गुज़ार सकेंगे। | |
I Ti | UrduGeoD | 3:15 | लेकिन अगर देर भी लगे तो यह पढ़कर आपको मालूम होगा कि अल्लाह के घराने में हमारा बरताव कैसा होना चाहिए। अल्लाह का घराना क्या है? ज़िंदा ख़ुदा की जमात, जो सच्चाई का सतून और बुनियाद है। | |
Chapter 4
I Ti | UrduGeoD | 4:1 | रूहुल-क़ुद्स साफ़ फ़रमाता है कि आख़िरी दिनों में कुछ ईमान से हटकर फ़रेबदेह रूहों और शैतानी तालीमात की पैरवी करेंगे। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:2 | ऐसी तालीमात झूट बोलनेवालों की रियाकार बातों से आती हैं, जिनके ज़मीर पर इबलीस ने अपना निशान लगाकर ज़ाहिर कर दिया है कि यह उसके अपने हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:3 | यह शादी करने की इजाज़त नहीं देते और लोगों को कहते हैं कि वह मुख़्तलिफ़ खाने की चीज़ों से परहेज़ करें। लेकिन अल्लाह ने यह चीज़ें इसलिए बनाई हैं कि जो ईमान रखते हैं और सच्चाई से वाक़िफ़ हैं इन्हें शुक्रगुज़ारी के साथ खाएँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:4 | जो कुछ भी अल्लाह ने ख़लक़ किया है वह अच्छा है, और हमें उसे रद्द नहीं करना चाहिए बल्कि ख़ुदा का शुक्र करके उसे खा लेना चाहिए। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:6 | अगर आप भाइयों को यह तालीम दें तो आप मसीह ईसा के अच्छे ख़ादिम होंगे। फिर यह साबित हो जाएगा कि आपको ईमान और उस अच्छी तालीम की सच्चाइयों में तरबियत दी गई है जिसकी पैरवी आप करते रहे हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:7 | लेकिन दादी-अम्माँ की इन बेमानी फ़रज़ी कहानियों से बाज़ रहें। इनकी बजाए ऐसी तरबियत हासिल करें जिससे आपकी रूहानी ज़िंदगी मज़बूत हो जाए। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:8 | क्योंकि जिस्म की तरबियत का थोड़ा ही फ़ायदा है, लेकिन रूहानी तरबियत हर लिहाज़ से मुफ़ीद है, इसलिए कि अगर हम इस क़िस्म की तरबियत हासिल करें तो हमसे हाल और मुस्तक़बिल में ज़िंदगी पाने का वादा किया गया है। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:10 | यही वजह है कि हम मेहनत-मशक़्क़त और जाँफ़िशानी करते रहते हैं, क्योंकि हमने अपनी उम्मीद ज़िंदा ख़ुदा पर रखी है जो तमाम इनसानों का नजातदहिंदा है, ख़ासकर ईमान रखनेवालों का। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:12 | कोई भी आपको इसलिए हक़ीर न जाने कि आप जवान हैं। लेकिन ज़रूरी है कि आप कलाम में, चाल-चलन में, मुहब्बत में, ईमान में और पाकीज़गी में ईमानदारों के लिए नमूना बन जाएँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:13 | जब तक मैं नहीं आता इस पर ख़ास ध्यान दें कि जमात में बाक़ायदगी से कलाम की तिलावत की जाए, लोगों को नसीहत की जाए और उन्हें तालीम दी जाए। | |
I Ti | UrduGeoD | 4:14 | अपनी उस नेमत को नज़रंदाज़ न करें जो आपको उस वक़्त पेशगोई के ज़रीए मिली जब बुज़ुर्गों ने आप पर अपने हाथ रखे। | |
Chapter 5
I Ti | UrduGeoD | 5:1 | बुज़ुर्ग भाइयों को सख़्ती से न डाँटना बल्कि उन्हें यों समझाना जिस तरह कि वह आपके बाप हों। इसी तरह जवान आदमियों को यों समझाना जैसे वह आपके भाई हों, | |
I Ti | UrduGeoD | 5:2 | बुज़ुर्ग बहनों को यों जैसे वह आपकी माएँ हों और जवान ख़वातीन को तमाम पाकीज़गी के साथ यों जैसे वह आपकी बहनें हों। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:4 | अगर किसी बेवा के बच्चे या पोते-नवासे हों तो उस की मदद करना उन्हीं का फ़र्ज़ है। हाँ, वह सीखें कि ख़ुदातरस होने का पहला फ़र्ज़ यह है कि हम अपने घरवालों की फ़िकर करें और यों अपने माँ-बाप, दादा-दादी और नाना-नानी को वह कुछ वापस करें जो हमें उनसे मिला है, क्योंकि ऐसा अमल अल्लाह को पसंद है। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:5 | जो औरत वाक़ई ज़रूरतमंद बेवा और तनहा रह गई है वह अपनी उम्मीद अल्लाह पर रखकर दिन-रात अपनी इल्तिजाओं और दुआओं में लगी रहती है। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:8 | क्योंकि अगर कोई अपनों और ख़ासकर अपने घरवालों की फ़िकर न करे तो उसने अपने ईमान का इनकार कर दिया। ऐसा शख़्स ग़ैरईमानदारों से बदतर है। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:9 | जिस बेवा की उम्र 60 साल से कम है उसे बेवाओं की फ़हरिस्त में दर्ज न किया जाए। शर्त यह भी है कि जब उसका शौहर ज़िंदा था तो वह उस की वफ़ादार रही हो | |
I Ti | UrduGeoD | 5:10 | और कि लोग उसके नेक कामों की अच्छी गवाही दे सकें, मसलन क्या उसने अपने बच्चों को अच्छी तरह पाला है? क्या उसने मेहमान-नवाज़ी की और मुक़द्दसीन के पाँव धोकर उनकी ख़िदमत की है? क्या वह मुसीबत में फँसे हुओं की मदद करती रही है? क्या वह हर नेक काम के लिए कोशाँ रही है? | |
I Ti | UrduGeoD | 5:11 | लेकिन जवान बेवाएँ इस फ़हरिस्त में शामिल मत करना, क्योंकि जब उनकी जिस्मानी ख़ाहिशात उन पर ग़ालिब आती हैं तो वह मसीह से दूर होकर शादी करना चाहती हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:13 | इसके अलावा वह सुस्त होने और इधर उधर घरों में फिरने की आदी बन जाती हैं। न सिर्फ़ यह बल्कि वह बातूनी भी बन जाती हैं और दूसरों के मामलात में दख़ल देकर नामुनासिब बातें करती हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:14 | इसलिए मैं चाहता हूँ कि जवान बेवाएँ दुबारा शादी करके बच्चों को जन्म दें और अपने घरों को सँभालें। फिर वह दुश्मन को बदगोई करने का मौक़ा नहीं देंगी। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:16 | लेकिन जिस ईमानदार औरत के ख़ानदान में बेवाएँ हैं उसका फ़र्ज़ है कि वह उनकी मदद करे ताकि वह ख़ुदा की जमात के लिए बोझ न बनें। वरना जमात उन बेवाओं की सहीह मदद नहीं कर सकेगी जो वाक़ई ज़रूरतमंद हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:17 | जो बुज़ुर्ग जमात को अच्छी तरह सँभालते हैं उन्हें दुगनी इज़्ज़त के लायक़ समझा जाए। मैं ख़ासकर उनकी बात कर रहा हूँ जो पाक कलाम सुनाने और तालीम देने में मेहनत-मशक़्क़त करते हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:18 | क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “जब तू फ़सल गाहने के लिए उस पर बैल चलने देता है तो उसका मुँह बाँधकर न रखना।” यह भी लिखा है, “मज़दूर अपनी मज़दूरी का हक़दार है।” | |
I Ti | UrduGeoD | 5:19 | जब किसी बुज़ुर्ग पर इलज़ाम लगाया जाए तो यह बात सिर्फ़ इस सूरत में मानें कि दो या इससे ज़्यादा गवाह इसकी तसदीक़ करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:20 | लेकिन जिन्होंने वाक़ई गुनाह किया हो उन्हें पूरी जमात के सामने समझाएँ ताकि दूसरे ऐसी हरकतें करने से डर जाएँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:21 | अल्लाह और मसीह ईसा और उसके चुनीदा फ़रिश्तों के सामने मैं संजीदगी से ताकीद करता हूँ कि इन हिदायात की यों पैरवी करें कि आप किसी मामले से सहीह तौर पर वाक़िफ़ होने से पेशतर फ़ैसला न करें, न जानिबदारी का शिकार हो जाएँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:22 | जल्दी से किसी पर हाथ रखकर उसे किसी ख़िदमत के लिए मख़सूस मत करना, न दूसरों के गुनाहों में शरीक होना। अपने आपको पाक रखें। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:23 | चूँकि आप अकसर बीमार रहते हैं इसलिए अपने मेदे का लिहाज़ करके न सिर्फ़ पानी ही पिया करें बल्कि साथ साथ कुछ मै भी इस्तेमाल करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 5:24 | कुछ लोगों के गुनाह साफ़ साफ़ नज़र आते हैं, और वह उनसे पहले ही अदालत के तख़्त के सामने आ पहुँचते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके गुनाह गोया उनके पीछे चलकर बाद में ज़ाहिर होते हैं। | |
Chapter 6
I Ti | UrduGeoD | 6:1 | जो भी ग़ुलामी के जुए में हैं वह अपने मालिकों को पूरी इज़्ज़त के लायक़ समझें ताकि लोग अल्लाह के नाम और हमारी तालीम पर कुफ़र न बकें। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:2 | जब मालिक ईमान लाते हैं तो ग़ुलामों को उनकी इसलिए कम इज़्ज़त नहीं करना चाहिए कि वह अब मसीह में भाई हैं। बल्कि वह उनकी और ज़्यादा ख़िदमत करें, क्योंकि अब जो उनकी अच्छी ख़िदमत से फ़ायदा उठा रहे हैं वह ईमानदार और अज़ीज़ हैं। लाज़िम है कि आप लोगों को इन बातों की तालीम दें और इसमें उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई करें। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:3 | जो भी इससे फ़रक़ तालीम देकर हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के सेहतबख़्श अलफ़ाज़ और इस ख़ुदातरस ज़िंदगी की तालीम से वाबस्ता नहीं रहता | |
I Ti | UrduGeoD | 6:4 | वह ख़ुदपसंदी से फूला हुआ है और कुछ नहीं समझता। ऐसा शख़्स बहस-मुबाहसा करने और ख़ाली बातों पर झगड़ने में ग़ैरसेहतमंद दिलचस्पी लेता है। नतीजे में हसद, झगड़े, कुफ़र और बदगुमानी पैदा होती है। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:5 | यह लोग आपस में झगड़ने की वजह से हमेशा कुढ़ते रहते हैं। उनके ज़हन बिगड़ गए हैं और सच्चाई उनसे छीन ली गई है। हाँ, यह समझते हैं कि ख़ुदातरस ज़िंदगी गुज़ारने से माली नफ़ा हासिल किया जा सकता है। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:6 | ख़ुदातरस ज़िंदगी वाक़ई बहुत नफ़ा का बाइस है, लेकिन शर्त यह है कि इनसान को जो कुछ भी मिल जाए वह उस पर इकतिफ़ा करे। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:7 | हम दुनिया में अपने साथ क्या लाए? कुछ नहीं! तो हम दुनिया से निकलते वक़्त क्या कुछ साथ ले जा सकेंगे? कुछ भी नहीं! | |
I Ti | UrduGeoD | 6:9 | जो अमीर बनने के ख़ाहाँ रहते हैं वह कई तरह की आज़माइशों और फंदों में फँस जाते हैं। बहुत-सी नासमझ और नुक़सानदेह ख़ाहिशात उन्हें हलाकत और तबाही में ग़रक़ हो जाने देती हैं। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:10 | क्योंकि पैसों का लालच हर ग़लत काम का सरचश्मा है। कई लोगों ने इसी लालच के बाइस ईमान से भटककर अपने आपको बहुत अज़ियत पहुँचाई है। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:11 | लेकिन आप जो अल्लाह के बंदे हैं इन चीज़ों से भागते रहें। इनकी बजाए रास्तबाज़ी, ख़ुदातरसी, ईमान, मुहब्बत, साबितक़दमी और नरमदिली के पीछे लगे रहें। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:12 | ईमान की अच्छी कुश्ती लड़ें। अबदी ज़िंदगी से ख़ूब लिपट जाएँ, क्योंकि अल्लाह ने आपको यही ज़िंदगी पाने के लिए बुलाया, और आपने अपनी तरफ़ से बहुत-से गवाहों के सामने इस बात का इक़रार भी किया। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:13 | मेरे दो गवाह हैं, अल्लाह जो सब कुछ ज़िंदा रखता है और मसीह ईसा जिसने पुंतियुस पीलातुस के सामने अपने ईमान की अच्छी गवाही दी। इन्हीं के सामने मैं आपको कहता हूँ कि | |
I Ti | UrduGeoD | 6:14 | यह हुक्म यों पूरा करें कि आप पर न दाग़ लगे, न इलज़ाम। और इस हुक्म पर उस दिन तक अमल करते रहें जब तक हमारा ख़ुदावंद ईसा मसीह ज़ाहिर नहीं हो जाता। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:15 | क्योंकि अल्लाह मसीह को मुक़र्ररा वक़्त पर ज़ाहिर करेगा। हाँ, जो मुबारक और वाहिद हुक्मरान, बादशाहों का बादशाह और मालिकों का मालिक है वह उसे मुक़र्ररा वक़्त पर ज़ाहिर करेगा। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:16 | सिर्फ़ वही लाफ़ानी है, वही ऐसी रौशनी में रहता है जिसके क़रीब कोई नहीं आ सकता। न किसी इनसान ने उसे कभी देखा, न वह उसे देख सकता है। उस की इज़्ज़त और क़ुदरत अबद तक रहे। आमीन। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:17 | जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:18 | यह पेशे-नज़र रखकर अमीर नेक काम करें और भलाई करने में ही अमीर हों। वह ख़ुशी से दूसरों को देने और अपनी दौलत में शरीक करने के लिए तैयार हों। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:19 | यों वह अपने लिए एक अच्छा ख़ज़ाना जमा करेंगे यानी आनेवाले जहान के लिए एक ठोस बुनियाद जिस पर खड़े होकर वह हक़ीक़ी ज़िंदगी पा सकेंगे। | |
I Ti | UrduGeoD | 6:20 | तीमुथियुस बेटे, जो कुछ आपके हवाले किया गया है उसे महफ़ूज़ रखें। दुनियावी बकवास और उन मुतज़ाद ख़यालात से कतराते रहें जिन्हें ग़लती से इल्म का नाम दिया गया है। | |