Chapter 1
Gala | UrduGeoD | 1:1 | यह ख़त पौलुस रसूल की तरफ़ से है। मुझे न किसी गुरोह ने मुक़र्रर किया न किसी शख़्स ने बल्कि ईसा मसीह और ख़ुदा बाप ने जिसने उसे मुरदों में से ज़िंदा कर दिया। | |
Gala | UrduGeoD | 1:4 | मसीह वही है जिसने अपने आपको हमारे गुनाहों की ख़ातिर क़ुरबान कर दिया और यों हमें इस मौजूदा शरीर जहान से बचा लिया है, क्योंकि यह अल्लाह हमारे बाप की मरज़ी थी। | |
Gala | UrduGeoD | 1:6 | मैं हैरान हूँ! आप इतनी जल्दी से उसे तर्क कर रहे हैं जिसने मसीह के फ़ज़ल से आपको बुलाया। और अब आप एक फ़रक़ क़िस्म की “ख़ुशख़बरी” के पीछे लग गए हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 1:7 | असल में यह अल्लाह की ख़ुशख़बरी है नहीं। बस कुछ लोग आपको उलझन में डालकर मसीह की ख़ुशख़बरी में तबदीली लाना चाहते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 1:8 | हमने तो असली ख़ुशख़बरी सुनाई और जो इससे फ़रक़ पैग़ाम सुनाता है उस पर लानत, ख़ाह हम ख़ुद ऐसा करें ख़ाह आसमान से कोई फ़रिश्ता उतरकर यह ग़लत पैग़ाम सुनाए। | |
Gala | UrduGeoD | 1:9 | हम यह पहले बयान कर चुके हैं और अब मैं दुबारा कहता हूँ कि अगर कोई आपको ऐसी “ख़ुशख़बरी” सुनाए जो उससे फ़रक़ है जिसे आपने क़बूल किया है तो उस पर लानत! | |
Gala | UrduGeoD | 1:10 | क्या मैं इसमें यह कोशिश कर रहा हूँ कि लोग मुझे क़बूल करें? हरगिज़ नहीं! मैं चाहता हूँ कि अल्लाह मुझे क़बूल करे। क्या मेरी कोशिश यह है कि मैं लोगों को पसंद आऊँ? अगर मैं अब तक ऐसा करता तो मसीह का ख़ादिम न होता। | |
Gala | UrduGeoD | 1:11 | भाइयो, मैं चाहता हूँ कि आप जान लें कि जो ख़ुशख़बरी मैंने सुनाई वह इनसान की तरफ़ से नहीं है। | |
Gala | UrduGeoD | 1:12 | न मुझे यह पैग़ाम किसी इनसान से मिला, न यह मुझे किसी ने सिखाया है बल्कि ईसा मसीह ने ख़ुद मुझ पर यह पैग़ाम ज़ाहिर किया। | |
Gala | UrduGeoD | 1:13 | आपने तो ख़ुद सुन लिया है कि मैं उस वक़्त किस तरह ज़िंदगी गुज़ारता था जब यहूदी मज़हब का पैरोकार था। उस वक़्त मैंने कितने जोश और शिद्दत से अल्लाह की जमात को ईज़ा पहुँचाई। मेरी पूरी कोशिश यह थी कि यह जमात ख़त्म हो जाए। | |
Gala | UrduGeoD | 1:14 | यहूदी मज़हब के लिहाज़ से मैं अकसर दीगर हमउम्र यहूदियों पर सबक़त ले गया था। हाँ, मैं अपने बापदादा की रिवायतों की पैरवी में हद से ज़्यादा सरगरम था। | |
Gala | UrduGeoD | 1:15 | लेकिन अल्लाह ने अपने फ़ज़ल से मुझे पैदा होने से पेशतर ही चुनकर अपनी ख़िदमत करने के लिए बुलाया। और जब उसने अपनी मरज़ी से | |
Gala | UrduGeoD | 1:16 | अपने फ़रज़ंद को मुझ पर ज़ाहिर किया ताकि मैं उसके बारे में ग़ैरयहूदियों को ख़ुशख़बरी सुनाऊँ तो मैंने किसी भी शख़्स से मशवरा न लिया। | |
Gala | UrduGeoD | 1:17 | उस वक़्त मैं यरूशलम भी न गया ताकि उनसे मिलूँ जो मुझसे पहले रसूल थे बल्कि मैं सीधा अरब चला गया और बाद में दमिश्क़ वापस आया। | |
Gala | UrduGeoD | 1:18 | इसके तीन साल बाद ही मैं पतरस से शनासा होने के लिए यरूशलम गया। वहाँ मैं पंद्रह दिन उसके साथ रहा। | |
Gala | UrduGeoD | 1:23 | उन तक सिर्फ़ यह ख़बर पहुँची थी कि जो आदमी पहले हमें ईज़ा पहुँचा रहा था वह अब ख़ुद उस ईमान की ख़ुशख़बरी सुनाता है जिसे वह पहले ख़त्म करना चाहता था। | |
Chapter 2
Gala | UrduGeoD | 2:1 | चौदह साल के बाद मैं दुबारा यरूशलम गया। इस दफ़ा बरनबास साथ था। मैं तितुस को भी साथ लेकर गया। | |
Gala | UrduGeoD | 2:2 | मैं एक मुकाशफ़े की वजह से गया जो अल्लाह ने मुझ पर ज़ाहिर किया था। मेरी अलहदगी में उनके साथ मीटिंग हुई जो असरो-रसूख़ रखते हैं। इसमें मैंने उन्हें वह ख़ुशख़बरी पेश की जो मैं ग़ैरयहूदियों को सुनाता हूँ। मैं नहीं चाहता था कि जो दौड़ मैं दौड़ रहा हूँ या माज़ी में दौड़ा था वह आख़िरकार बेफ़ायदा निकले। | |
Gala | UrduGeoD | 2:3 | उस वक़्त वह यहाँ तक मेरे हक़ में थे कि उन्होंने तितुस को भी अपना ख़तना करवाने पर मजबूर नहीं किया, अगरचे वह ग़ैरयहूदी है। | |
Gala | UrduGeoD | 2:4 | और चंद यही चाहते थे। लेकिन यह झूटे भाई थे जो चुपके से अंदर घुस आए थे ताकि जासूस बनकर हमारी उस आज़ादी के बारे में मालूमात हासिल कर लें जो हमें मसीह में मिली है। यह हमें ग़ुलाम बनाना चाहते थे, | |
Gala | UrduGeoD | 2:5 | लेकिन हमने लमहा-भर उनकी बात न मानी और न उनके ताबे हुए ताकि अल्लाह की ख़ुशख़बरी की सच्चाई आपके दरमियान क़ायम रहे। | |
Gala | UrduGeoD | 2:6 | और जो राहनुमा समझे जाते थे उन्होंने मेरी बात में कोई इज़ाफ़ा न किया। (असल में मुझे कोई परवा नहीं कि उनका असरो-रसूख़ था कि नहीं। अल्लाह तो इनसान की ज़ाहिरी हालत का लिहाज़ नहीं करता।) | |
Gala | UrduGeoD | 2:7 | बहरहाल उन्होंने देखा कि अल्लाह ने मुझे ग़ैरयहूदियों को मसीह की ख़ुशख़बरी सुनाने की ज़िम्मादारी दी थी, बिलकुल उसी तरह जिस तरह उसने पतरस को यहूदियों को यह पैग़ाम सुनाने की ज़िम्मादारी दी थी। | |
Gala | UrduGeoD | 2:8 | क्योंकि जो काम अल्लाह यहूदियों के रसूल पतरस की ख़िदमत के वसीले से कर रहा था वही काम वह मेरे वसीले से भी कर रहा था, जो ग़ैरयहूदियों का रसूल हूँ। | |
Gala | UrduGeoD | 2:9 | याक़ूब, पतरस और यूहन्ना को जमात के सतून माना जाता था। जब उन्होंने जान लिया कि अल्लाह ने इस नाते से मुझे ख़ास फ़ज़ल दिया है तो उन्होंने मुझसे और बरनबास से दहना हाथ मिलाकर इसका इज़हार किया कि वह हमारे साथ हैं। यों हम मुत्तफ़िक़ हुए कि बरनबास और मैं ग़ैरयहूदियों में ख़िदमत करेंगे और वह यहूदियों में। | |
Gala | UrduGeoD | 2:10 | उन्होंने सिर्फ़ एक बात पर ज़ोर दिया कि हम ज़रूरतमंदों को याद रखें, वही बात जिसे मैं हमेशा करने के लिए कोशाँ रहा हूँ। | |
Gala | UrduGeoD | 2:11 | लेकिन जब पतरस अंताकिया शहर आया तो मैंने रूबरू उस की मुख़ालफ़त की, क्योंकि वह अपने रवय्ये के सबब से मुजरिम ठहरा। | |
Gala | UrduGeoD | 2:12 | जब वह आया तो पहले वह ग़ैरयहूदी ईमानदारों के साथ खाना खाता रहा। लेकिन फिर याक़ूब के कुछ अज़ीज़ आए। उसी वक़्त पतरस पीछे हटकर ग़ैरयहूदियों से अलग हुआ, क्योंकि वह उनसे डरता था जो ग़ैरयहूदियों का ख़तना करवाने के हक़ में थे। | |
Gala | UrduGeoD | 2:13 | बाक़ी यहूदी भी इस रियाकारी में शामिल हुए, यहाँ तक कि बरनबास को भी उनकी रियाकारी से बहकाया गया। | |
Gala | UrduGeoD | 2:14 | जब मैंने देखा कि वह उस सीधी राह पर नहीं चल रहे हैं जो अल्लाह की ख़ुशख़बरी की सच्चाई पर मबनी है तो मैंने सबके सामने पतरस से कहा, “आप यहूदी हैं। लेकिन आप ग़ैरयहूदी की तरह ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं, यहूदी की तरह नहीं। तो फिर यह कैसी बात है कि आप ग़ैरयहूदियों को यहूदी रिवायात की पैरवी करने पर मजबूर कर रहे हैं?” | |
Gala | UrduGeoD | 2:16 | लेकिन हम जानते हैं कि इनसान को शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ नहीं ठहराया जाता बल्कि ईसा मसीह पर ईमान लाने से। हम भी मसीह ईसा पर ईमान लाए हैं ताकि हमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए, शरीअत की पैरवी करने से नहीं बल्कि मसीह पर ईमान लाने से। क्योंकि शरीअत की पैरवी करने से किसी को भी रास्तबाज़ क़रार नहीं दिया जाएगा। | |
Gala | UrduGeoD | 2:17 | लेकिन अगर मसीह में रास्तबाज़ ठहरने की कोशिश करते करते हम ख़ुद गुनाहगार साबित हो जाएँ तो क्या इसका मतलब यह है कि मसीह गुनाह का ख़ादिम है? हरगिज़ नहीं! | |
Gala | UrduGeoD | 2:18 | अगर मैं शरीअत के उस निज़ाम को दुबारा तामीर करूँ जो मैंने ढा दिया तो फिर मैं ज़ाहिर करता हूँ कि मैं मुजरिम हूँ। | |
Gala | UrduGeoD | 2:19 | क्योंकि जहाँ तक शरीअत का ताल्लुक़ है मैं मुरदा हूँ। मुझे शरीअत ही से मारा गया है ताकि अल्लाह के लिए जी सकूँ। मुझे मसीह के साथ मसलूब किया गया | |
Gala | UrduGeoD | 2:20 | और यों मैं ख़ुद ज़िंदा न रहा बल्कि मसीह मुझमें ज़िंदा है। अब जो ज़िंदगी मैं इस जिस्म में गुज़ारता हूँ वह अल्लाह के फ़रज़ंद पर ईमान लाने से गुज़ारता हूँ। उसी ने मुझसे मुहब्बत रखकर मेरे लिए अपनी जान दी। | |
Chapter 3
Gala | UrduGeoD | 3:1 | नासमझ गलतियो! किसने आप पर जादू कर दिया? आपकी आँखों के सामने ही ईसा मसीह और उस की सलीबी मौत को साफ़ साफ़ पेश किया गया। | |
Gala | UrduGeoD | 3:2 | मुझे एक बात बताएँ, क्या आपको शरीअत की पैरवी करने से रूहुल-क़ुद्स मिला? हरगिज़ नहीं! वह आपको उस वक़्त मिला जब आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर उस पर ईमान लाए। | |
Gala | UrduGeoD | 3:3 | क्या आप इतने बेसमझ हैं? आपकी रूहानी ज़िंदगी रूहुल-क़ुद्स के वसीले से शुरू हुई। तो अब आप यह काम अपनी इनसानी कोशिशों से किस तरह तकमील तक पहुँचाना चाहते हैं? | |
Gala | UrduGeoD | 3:4 | आपको कई तरह के तजरबे हासिल हुए हैं। क्या यह सब बेफ़ायदा थे? यक़ीनन यह बेफ़ायदा नहीं थे। | |
Gala | UrduGeoD | 3:5 | क्या अल्लाह इसलिए आपको अपना रूह देता और आपके दरमियान मोजिज़े करता है कि आप शरीअत की पैरवी करते हैं? हरगिज़ नहीं, बल्कि इसलिए कि आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर ईमान लाए हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 3:6 | इब्राहीम की मिसाल लें। उसने अल्लाह पर भरोसा किया और इस बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया। | |
Gala | UrduGeoD | 3:7 | तो फिर आपको जान लेना चाहिए कि इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद वह लोग हैं जो ईमान रखते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 3:8 | कलामे-मुक़द्दस ने इस बात की पेशगोई की कि अल्लाह ग़ैरयहूदियों को ईमान के ज़रीए रास्तबाज़ क़रार देगा। यों उसने इब्राहीम को यह ख़ुशख़बरी सुनाई, “तमाम क़ौमें तुझसे बरकत पाएँगी।” | |
Gala | UrduGeoD | 3:9 | इब्राहीम ईमान लाया, इसलिए उसे बरकत मिली। इसी तरह सबको ईमान लाने पर इब्राहीम की-सी बरकत मिलती है। | |
Gala | UrduGeoD | 3:10 | लेकिन जो भी इस पर तकिया करते हैं कि हमें शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ क़रार दिया जाएगा उन पर अल्लाह की लानत है। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “हर एक पर लानत जो शरीअत की किताब की तमाम बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।” | |
Gala | UrduGeoD | 3:11 | यह बात तो साफ़ है कि अल्लाह किसी को भी शरीअत की पैरवी करने की बिना पर रास्तबाज़ नहीं ठहराता, क्योंकि कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा। | |
Gala | UrduGeoD | 3:12 | ईमान की यह राह शरीअत की राह से बिलकुल फ़रक़ है जो कहती है, “जो यों करेगा वह जीता रहेगा।” | |
Gala | UrduGeoD | 3:13 | लेकिन मसीह ने हमारा फ़िद्या देकर हमें शरीअत की लानत से आज़ाद कर दिया है। यह उसने इस तरह किया कि वह हमारी ख़ातिर ख़ुद लानत बना। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है।” | |
Gala | UrduGeoD | 3:14 | इसका मक़सद यह था कि जो बरकत इब्राहीम को हासिल हुई वह मसीह के वसीले से ग़ैरयहूदियों को भी मिले और यों हम ईमान लाकर वादा किया हुआ रूह पाएँ। | |
Gala | UrduGeoD | 3:15 | भाइयो, इनसानी ज़िंदगी की एक मिसाल लें। जब दो पार्टियाँ किसी मामले में मुत्तफ़िक़ होकर मुआहदा करती हैं तो कोई इस मुआहदे को मनसूख़ या इसमें इज़ाफ़ा नहीं कर सकता। | |
Gala | UrduGeoD | 3:16 | अब ग़ौर करें कि अल्लाह ने अपने वादे इब्राहीम और उस की औलाद से ही किए। लेकिन जो लफ़्ज़ इबरानी में औलाद के लिए इस्तेमाल हुआ है इससे मुराद बहुत-से अफ़राद नहीं बल्कि एक फ़रद है और वह है मसीह। | |
Gala | UrduGeoD | 3:17 | कहने से मुराद यह है कि अल्लाह ने इब्राहीम से अहद बाँधकर उसे क़ायम रखने का वादा किया। शरीअत जो 430 साल के बाद दी गई इस अहद को रद्द करके अल्लाह का वादा मनसूख़ नहीं कर सकती। | |
Gala | UrduGeoD | 3:18 | क्योंकि अगर इब्राहीम की मीरास शरीअत की पैरवी करने से मिलती तो फिर वह अल्लाह के वादे पर मुनहसिर न होती। लेकिन ऐसा नहीं था। अल्लाह ने इसे अपने वादे की बिना पर इब्राहीम को दे दिया। | |
Gala | UrduGeoD | 3:19 | तो फिर शरीअत का क्या मक़सद था? उसे इसलिए वादे के अलावा दिया गया ताकि लोगों के गुनाहों को ज़ाहिर करे। और उसे उस वक़्त तक क़ायम रहना था जब तक इब्राहीम की वह औलाद न आ जाती जिससे वादा किया गया था। अल्लाह ने अपनी शरीअत फ़रिश्तों के वसीले से मूसा को दे दी जो अल्लाह और लोगों के बीच में दरमियानी रहा। | |
Gala | UrduGeoD | 3:20 | अब दरमियानी उस वक़्त ज़रूरी होता है जब एक से ज़्यादा पार्टियों में इत्तफ़ाक़ कराने की ज़रूरत है। लेकिन अल्लाह जो एक ही है उसने दरमियानी इस्तेमाल न किया जब उसने इब्राहीम से वादा किया। | |
Gala | UrduGeoD | 3:21 | तो क्या इसका मतलब यह है कि शरीअत अल्लाह के वादों के ख़िलाफ़ है? हरगिज़ नहीं! अगर इनसान को ऐसी शरीअत मिली होती जो ज़िंदगी दिला सकती तो फिर सब उस की पैरवी करने से रास्तबाज़ ठहरते। | |
Gala | UrduGeoD | 3:22 | लेकिन कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है कि पूरी दुनिया गुनाह के क़ब्ज़े में है। चुनाँचे हमें अल्लाह का वादा सिर्फ़ ईसा मसीह पर ईमान लाने से हासिल होता है। | |
Gala | UrduGeoD | 3:23 | इससे पहले कि ईमान की यह राह दस्तयाब हुई शरीअत ने हमें क़ैद करके महफ़ूज़ रखा था। इस क़ैद में हम उस वक़्त तक रहे जब तक ईमान की राह ज़ाहिर नहीं हुई थी। | |
Gala | UrduGeoD | 3:24 | यों शरीअत को हमारी तरबियत करने की ज़िम्मादारी दी गई। उसे हमें मसीह तक पहुँचाना था ताकि हमें ईमान से रास्तबाज़ क़रार दिया जाए। | |
Gala | UrduGeoD | 3:28 | अब न यहूदी रहा न ग़ैरयहूदी, न ग़ुलाम रहा न आज़ाद, न मर्द रहा न औरत। मसीह ईसा में आप सबके सब एक हैं। | |
Chapter 4
Gala | UrduGeoD | 4:1 | देखें, जो बेटा अपने बाप की मिलकियत का वारिस है वह उस वक़्त तक ग़ुलामों से फ़रक़ नहीं जब तक वह बालिग़ न हो, हालाँकि वह पूरी मिलकियत का मालिक है। | |
Gala | UrduGeoD | 4:2 | बाप की तरफ़ से मुक़र्रर की हुई उम्र तक दूसरे उस की देख-भाल करते और उस की मिलकियत सँभालते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 4:4 | लेकिन जब मुक़र्ररा वक़्त आ गया तो अल्लाह ने अपने फ़रज़ंद को भेज दिया। एक औरत से पैदा होकर वह शरीअत के ताबे हुआ | |
Gala | UrduGeoD | 4:5 | ताकि फ़िद्या देकर हमें जो शरीअत के ताबे थे आज़ाद कर दे। यों हमें अल्लाह के फ़रज़ंद होने का मरतबा मिला है। | |
Gala | UrduGeoD | 4:6 | अब चूँकि आप उसके फ़रज़ंद हैं इसलिए अल्लाह ने अपने फ़रज़ंद के रूह को हमारे दिलों में भेज दिया, वह रूह जो “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कहकर पुकारता रहता है। | |
Gala | UrduGeoD | 4:7 | ग़रज़ अब आप ग़ुलाम न रहे बल्कि बेटे की हैसियत रखते हैं। और बेटा होने का यह मतलब है कि अल्लाह ने आपको वारिस भी बना दिया है। | |
Gala | UrduGeoD | 4:8 | माज़ी में जब आप अल्लाह को नहीं जानते थे तो आप उनके ग़ुलाम थे जो हक़ीक़त में ख़ुदा नहीं हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 4:9 | लेकिन अब आप अल्लाह को जानते हैं, बल्कि अब अल्लाह ने आपको जान लिया है। तो फिर आप मुड़कर इन कमज़ोर और घटिया उसूलों की तरफ़ क्यों वापस जाने लगे हैं? क्या आप दुबारा इनकी ग़ुलामी में आना चाहते हैं? | |
Gala | UrduGeoD | 4:12 | भाइयो, मैं आपसे इल्तिजा करता हूँ कि मेरी मानिंद बन जाएँ, क्योंकि मैं तो आपकी मानिंद बन गया हूँ। आपने मेरे साथ कोई ग़लत सुलूक नहीं किया। | |
Gala | UrduGeoD | 4:13 | आपको मालूम है कि जब मैंने पहली दफ़ा आपको अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई तो इसकी वजह मेरे जिस्म की कमज़ोर हालत थी। | |
Gala | UrduGeoD | 4:14 | लेकिन अगरचे मेरी यह हालत आपके लिए आज़माइश का बाइस थी तो भी आपने मुझे हक़ीर न जाना, न मुझे नीच समझा, बल्कि आपने मुझे यों ख़ुशआमदीद कहा जैसा कि मैं अल्लाह का कोई फ़रिश्ता या मसीह ईसा ख़ुद हूँ। | |
Gala | UrduGeoD | 4:15 | उस वक़्त आप इतने ख़ुश थे! अब क्या हुआ है? मैं गवाह हूँ, उस वक़्त अगर आपको मौक़ा मिलता तो आप अपनी आँखें निकालकर मुझे दे देते। | |
Gala | UrduGeoD | 4:17 | वह दूसरे लोग आपकी दोस्ती पाने की पूरी जिद्दो-जहद कर रहे हैं, लेकिन उनकी नीयत साफ़ नहीं है। बस वह आपको मुझसे जुदा करना चाहते हैं ताकि आप उन्हीं के हक़ में जिद्दो-जहद करते रहें। | |
Gala | UrduGeoD | 4:18 | जब लोग आपकी दोस्ती पाने की जिद्दो-जहद करते हैं तो यह है तो ठीक, लेकिन इसका मक़सद अच्छा होना चाहिए। हाँ, सहीह जिद्दो-जहद हर वक़्त अच्छी होती है, न सिर्फ़ इस वक़्त जब मैं आपके दरमियान हूँ। | |
Gala | UrduGeoD | 4:19 | मेरे प्यारे बच्चो! अब मैं दुबारा आपको जन्म देने का-सा दर्द महसूस कर रहा हूँ और उस वक़्त तक करता रहूँगा जब तक मसीह आपमें सूरत न पकड़े। | |
Gala | UrduGeoD | 4:20 | काश मैं उस वक़्त आपके पास होता ताकि फ़रक़ अंदाज़ में आपसे बात कर सकता, क्योंकि मैं आपके सबब से बड़ी उलझन में हूँ! | |
Gala | UrduGeoD | 4:21 | आप जो शरीअत के ताबे रहना चाहते हैं मुझे एक बात बताएँ, क्या आप वह बात नहीं सुनते जो शरीअत कहती है? | |
Gala | UrduGeoD | 4:23 | लौंडी के बेटे की पैदाइश हसबे-मामूल थी, लेकिन आज़ाद औरत के बेटे की पैदाइश ग़ैरमामूली थी, क्योंकि उसमें अल्लाह का वादा पूरा हुआ। | |
Gala | UrduGeoD | 4:24 | जब यह किनायतन समझा जाए तो यह दो ख़वातीन अल्लाह के दो अहदों की नुमाइंदगी करती हैं। पहली ख़ातून हाजिरा सीना पहाड़ पर बँधे हुए अहद की नुमाइंदगी करती है, और जो बच्चे उससे पैदा होते हैं वह ग़ुलामी के लिए मुक़र्रर हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 4:25 | हाजिरा जो अरब में वाक़े पहाड़ सीना की अलामत है मौजूदा शहर यरूशलम से मुताबिक़त रखती है। वह और उसके तमाम बच्चे ग़ुलामी में ज़िंदगी गुज़ारते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 4:27 | क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “ख़ुश हो जा, तू जो बेऔलाद है, जो बच्चे को जन्म ही नहीं दे सकती। बुलंद आवाज़ से शादियाना बजा, तू जिसे पैदाइश का दर्द न हुआ। क्योंकि अब तर्क की हुई औरत के बच्चे शादीशुदा औरत के बच्चों से ज़्यादा हैं।” | |
Gala | UrduGeoD | 4:29 | उस वक़्त इसमाईल ने जो हसबे-मामूल पैदा हुआ था इसहाक़ को सताया जो रूहुल-क़ुद्स की क़ुदरत से पैदा हुआ था। आज भी ऐसा ही है। | |
Gala | UrduGeoD | 4:30 | लेकिन कलामे-मुक़द्दस में क्या फ़रमाया गया है? “इस लौंडी और इसके बेटे को घर से निकाल दें, क्योंकि वह आज़ाद औरत के बेटे के साथ विरसा नहीं पाएगा।” | |
Chapter 5
Gala | UrduGeoD | 5:1 | मसीह ने हमें आज़ाद रहने के लिए ही आज़ाद किया है। तो अब क़ायम रहें और दुबारा अपने गले में ग़ुलामी का जुआ डालने न दें। | |
Gala | UrduGeoD | 5:2 | सुनें! मैं पौलुस आपको बताता हूँ कि अगर आप अपना ख़तना करवाएँ तो आपको मसीह का कोई फ़ायदा नहीं होगा। | |
Gala | UrduGeoD | 5:3 | मैं एक बार फिर इस बात की तसदीक़ करता हूँ कि जिसने भी अपना ख़तना करवाया उसका फ़र्ज़ है कि वह पूरी शरीअत की पैरवी करे। | |
Gala | UrduGeoD | 5:4 | आप जो शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ बनना चाहते हैं आपका मसीह के साथ कोई वास्ता न रहा। हाँ, आप अल्लाह के फ़ज़ल से दूर हो गए हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 5:5 | लेकिन हमें एक फ़रक़ उम्मीद दिलाई गई है। उम्मीद यह है कि ख़ुदा ही हमें रास्तबाज़ क़रार देता है। चुनाँचे हम रूहुल-क़ुद्स के बाइस ईमान रखकर इसी रास्तबाज़ी के लिए तड़पते रहते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 5:6 | क्योंकि जब हम मसीह ईसा में होते हैं तो ख़तना करवाने या न करवाने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ता। फ़रक़ सिर्फ़ उस ईमान से पड़ता है जो मुहब्बत करने से ज़ाहिर होता है। | |
Gala | UrduGeoD | 5:7 | आप ईमान की दौड़ में अच्छी तरक़्क़ी कर रहे थे! तो फिर किसने आपको सच्चाई की पैरवी करने से रोक लिया? | |
Gala | UrduGeoD | 5:10 | मुझे ख़ुदावंद में आप पर इतना एतमाद है कि आप यही सोच रखते हैं। जो भी आपमें अफ़रा-तफ़री पैदा कर रहा है उसे सज़ा मिलेगी। | |
Gala | UrduGeoD | 5:11 | भाइयो, जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, अगर मैं यह पैग़ाम देता कि अब तक ख़तना करवाने की ज़रूरत है तो मेरी ईज़ारसानी क्यों हो रही होती? अगर ऐसा होता तो लोग मसीह के मसलूब होने के बारे में सुनकर ठोकर न खाते। | |
Gala | UrduGeoD | 5:13 | भाइयो, आपको आज़ाद होने के लिए बुलाया गया है। लेकिन ख़बरदार रहें कि इस आज़ादी से आपकी गुनाहआलूदा फ़ितरत को अमल में आने का मौक़ा न मिले। इसके बजाए मुहब्बत की रूह में एक दूसरे की ख़िदमत करें। | |
Gala | UrduGeoD | 5:14 | क्योंकि पूरी शरीअत एक ही हुक्म में समाई हुई है, “अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।” | |
Gala | UrduGeoD | 5:15 | अगर आप एक दूसरे को काटते और फाड़ते हैं तो ख़बरदार! ऐसा न हो कि आप एक दूसरे को ख़त्म करके सबके सब तबाह हो जाएँ। | |
Gala | UrduGeoD | 5:16 | मैं तो यह कहता हूँ कि रूहुल-क़ुद्स में ज़िंदगी गुज़ारें। फिर आप अपनी पुरानी फ़ितरत की ख़ाहिशात पूरी नहीं करेंगे। | |
Gala | UrduGeoD | 5:17 | क्योंकि जो कुछ हमारी पुरानी फ़ितरत चाहती है वह उसके ख़िलाफ़ है जो रूह चाहता है, और जो कुछ रूह चाहता है वह उसके ख़िलाफ़ है जो हमारी पुरानी फ़ितरत चाहती है। यह दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं, इसलिए आप वह कुछ नहीं कर पाते जो आप करना चाहते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 5:19 | जो काम पुरानी फ़ितरत करती है वह साफ़ ज़ाहिर होता है। मसलन ज़िनाकारी, नापाकी, ऐयाशी, | |
Gala | UrduGeoD | 5:21 | जलन, नशाबाज़ी, रंगरलियाँ वग़ैरा। मैं पहले भी आपको आगाह कर चुका हूँ, लेकिन अब एक बार फिर कहता हूँ कि जो इस तरह की ज़िंदगी गुज़ारते हैं वह अल्लाह की बादशाही मीरास में नहीं पाएँगे। | |
Gala | UrduGeoD | 5:22 | रूहुल-क़ुद्स का फल फ़रक़ है। वह मुहब्बत, ख़ुशी, सुलह-सलामती, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी, | |
Gala | UrduGeoD | 5:24 | और जो मसीह ईसा के हैं उन्होंने अपनी पुरानी फ़ितरत को उस की रग़बतों और बुरी ख़ाहिशों समेत मसलूब कर दिया है। | |
Gala | UrduGeoD | 5:25 | चूँकि हम रूह में ज़िंदगी गुज़ारते हैं इसलिए आएँ, हम क़दम बक़दम उसके मुताबिक़ चलते भी रहें। | |
Chapter 6
Gala | UrduGeoD | 6:1 | भाइयो, अगर कोई किसी गुनाह में फँस जाए तो आप जो रूहानी हैं उसे नरमदिली से बहाल करें। लेकिन अपना भी ख़याल रखें, ऐसा न हो कि आप भी आज़माइश में फँस जाएँ। | |
Gala | UrduGeoD | 6:3 | जो समझता है कि मैं कुछ हूँ अगरचे वह हक़ीक़त में कुछ भी नहीं है तो वह अपने आपको फ़रेब दे रहा है। | |
Gala | UrduGeoD | 6:4 | हर एक अपना ज़ाती अमल परखे। फिर ही उसे अपने आप पर फ़ख़र का मौक़ा होगा और उसे किसी दूसरे से अपना मुवाज़ना करने की ज़रूरत न होगी। | |
Gala | UrduGeoD | 6:6 | जिसे कलामे-मुक़द्दस की तालीम दी जाती है उसका फ़र्ज़ है कि वह अपने उस्ताद को अपनी तमाम अच्छी चीज़ों में शरीक करे। | |
Gala | UrduGeoD | 6:7 | फ़रेब मत खाना, अल्लाह इनसान को अपना मज़ाक़ उड़ाने नहीं देता। जो कुछ भी इनसान बोता है उसी की फ़सल वह काटेगा। | |
Gala | UrduGeoD | 6:8 | जो अपनी पुरानी फ़ितरत के खेत में बीज बोए वह हलाकत की फ़सल काटेगा। और जो रूहुल-क़ुद्स के खेत में बीज बोए वह अबदी ज़िंदगी की फ़सल काटेगा। | |
Gala | UrduGeoD | 6:9 | चुनाँचे हम नेक काम करने में बेदिल न हो जाएँ, क्योंकि हम मुक़र्ररा वक़्त पर ज़रूर फ़सल की कटाई करेंगे। शर्त सिर्फ़ यह है कि हम हथियार न डालें। | |
Gala | UrduGeoD | 6:10 | इसलिए आएँ, जितना वक़्त रह गया है सबके साथ नेकी करें, ख़ासकर उनके साथ जो ईमान में हमारे भाई और बहनें हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 6:12 | यह लोग जो दुनिया के सामने इज़्ज़त हासिल करना चाहते हैं आपको ख़तना करवाने पर मजबूर करना चाहते हैं। मक़सद उनका सिर्फ़ एक ही है, कि वह उस ईज़ारसानी से बचे रहें जो तब पैदा होती है जब हम मसीह की सलीबी मौत की तालीम देते हैं। | |
Gala | UrduGeoD | 6:13 | बात यह है कि जो अपना ख़तना कराते हैं वह ख़ुद शरीअत की पैरवी नहीं करते। तो भी यह चाहते हैं कि आप अपना ख़तना करवाएँ ताकि आपके जिस्म की हालत पर वह फ़ख़र कर सकें। | |
Gala | UrduGeoD | 6:14 | लेकिन ख़ुदा करे कि मैं सिर्फ़ हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह की सलीब ही पर फ़ख़र करूँ। क्योंकि उस की सलीब से दुनिया मेरे लिए मसलूब हुई है और मैं दुनिया के लिए। | |
Gala | UrduGeoD | 6:15 | ख़तना करवाने या न करवाने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ता बल्कि फ़रक़ उस वक़्त पड़ता है जब अल्लाह किसी को नए सिरे से ख़लक़ करता है। | |
Gala | UrduGeoD | 6:16 | जो भी इस उसूल पर अमल करते हैं उन्हें सलामती और रहम हासिल होता रहे, उन्हें भी और अल्लाह की क़ौम इसराईल को भी। | |
Gala | UrduGeoD | 6:17 | आइंदा कोई मुझे तकलीफ़ न दे, क्योंकि मेरे जिस्म पर ज़ख़मों के निशान ज़ाहिर करते हैं कि मैं ईसा का ग़ुलाम हूँ। | |