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II CORINTHIANS
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Chapter 1
II C UrduGeoD 1:1  यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है, जो अल्लाह की मरज़ी से मसीह ईसा का रसूल है। साथ ही यह भाई तीमुथियुस की तरफ़ से भी है। मैं कुरिंथुस में अल्लाह की जमात और सूबा अख़या में मौजूद तमाम मुक़द्दसीन को यह लिख रहा हूँ।
II C UrduGeoD 1:2  ख़ुदा हमारा बाप और ख़ुदावंद ईसा मसीह आपको फ़ज़ल और सलामती अता करें।
II C UrduGeoD 1:3  हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के ख़ुदा और बाप की तमजीद हो, जो रहम का बाप और तमाम तरह की तसल्ली का ख़ुदा है।
II C UrduGeoD 1:4  जब भी हम मुसीबत में फँस जाते हैं तो वह हमें तसल्ली देता है ताकि हम औरों को भी तसल्ली दे सकें। फिर जब वह किसी मुसीबत से दोचार होते हैं तो हम भी उनको उसी तरह तसल्ली दे सकते हैं जिस तरह अल्लाह ने हमें तसल्ली दी है।
II C UrduGeoD 1:5  क्योंकि जितनी कसरत से मसीह की-सी मुसीबतें हम पर आ जाती हैं उतनी कसरत से अल्लाह मसीह के ज़रीए हमें तसल्ली देता है।
II C UrduGeoD 1:6  जब हम मुसीबतों से दोचार होते हैं तो यह बात आपकी तसल्ली और नजात का बाइस बनती है। जब हमारी तसल्ली होती है तो यह आपकी भी तसल्ली का बाइस बनती है। यों आप भी सब्र से वह कुछ बरदाश्त करने के क़ाबिल बन जाते हैं जो हम बरदाश्त कर रहे हैं।
II C UrduGeoD 1:7  चुनाँचे हमारी आपके बारे में उम्मीद पुख़्ता रहती है। क्योंकि हम जानते हैं कि जिस तरह आप हमारी मुसीबतों में शरीक हैं उसी तरह आप उस तसल्ली में भी शरीक हैं जो हमें हासिल होती है।
II C UrduGeoD 1:8  भाइयो, हम आपको उस मुसीबत से आगाह करना चाहते हैं जिसमें हम सूबा आसिया में फँस गए। हम पर दबाव इतना शदीद था कि उसे बरदाश्त करना नामुमकिन-सा हो गया और हम जान से हाथ धो बैठे।
II C UrduGeoD 1:9  हमने महसूस किया कि हमें सज़ाए-मौत दी गई है। लेकिन यह इसलिए हुआ ताकि हम अपने आप पर भरोसा न करें बल्कि अल्लाह पर जो मुरदों को ज़िंदा कर देता है।
II C UrduGeoD 1:10  उसी ने हमें ऐसी हैबतनाक मौत से बचाया और वह आइंदा भी हमें बचाएगा। और हमने उस पर उम्मीद रखी है कि वह हमें एक बार फिर बचाएगा।
II C UrduGeoD 1:11  आप भी अपनी दुआओं से हमारी मदद कर रहे हैं। यह कितनी ख़ूबसूरत बात है कि अल्लाह बहुतों की दुआओं को सुनकर हम पर मेहरबानी करेगा और नतीजे में बहुतेरे हमारे लिए शुक्र करेंगे।
II C UrduGeoD 1:12  यह बात हमारे लिए फ़ख़र का बाइस है कि हमारा ज़मीर साफ़ है। क्योंकि हमने अल्लाह के सामने सादादिली और ख़ुलूस से ज़िंदगी गुज़ारी है, और हमने अपनी इनसानी हिकमत पर इनहिसार नहीं किया बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल पर। दुनिया में और ख़ासकर आपके साथ हमारा रवैया ऐसा ही रहा है।
II C UrduGeoD 1:13  हम तो आपको ऐसी कोई बात नहीं लिखते जो आप पढ़ या समझ नहीं सकते। और मुझे उम्मीद है कि आपको पूरे तौर पर समझ आएगी,
II C UrduGeoD 1:14  अगरचे आप फ़िलहाल सब कुछ नहीं समझते। क्योंकि जब आपको सब कुछ समझ आएगा तब आप ख़ुदावंद ईसा के दिन हम पर उतना फ़ख़र कर सकेंगे जितना हम आप पर।
II C UrduGeoD 1:15  चूँकि मुझे इसका पूरा यक़ीन था इसलिए मैं पहले आपके पास आना चाहता था ताकि आपको दुगनी बरकत मिल जाए।
II C UrduGeoD 1:16  ख़याल यह था कि मैं आपके हाँ से होकर मकिदुनिया जाऊँ और वहाँ से आपके पास वापस आऊँ। फिर आप सूबा यहूदिया के सफ़र के लिए तैयारियाँ करने में मेरी मदद करके मुझे आगे भेज सकते थे।
II C UrduGeoD 1:17  आप मुझे बताएँ कि क्या मैंने यह मनसूबा यों ही बनाया था? क्या मैं दुनियावी लोगों की तरह मनसूबे बना लेता हूँ जो एक ही लमहे में “जी हाँ” और “जी नहीं” कहते हैं?
II C UrduGeoD 1:18  लेकिन अल्लाह वफ़ादार है और वह मेरा गवाह है कि हम आपके साथ बात करते वक़्त “नहीं” को “हाँ” के साथ नहीं मिलाते।
II C UrduGeoD 1:19  क्योंकि अल्लाह का फ़रज़ंद ईसा मसीह जिसकी मुनादी मैं, सीलास और तीमुथियुस ने की वह भी ऐसा नहीं है। उसने कभी भी “हाँ” को “नहीं” के साथ नहीं मिलाया बल्कि उसमें अल्लाह की हतमी “जी हाँ” वुजूद में आई।
II C UrduGeoD 1:20  क्योंकि वही अल्लाह के तमाम वादों की “हाँ” है। इसलिए हम उसी के वसीले से “आमीन” (जी हाँ) कहकर अल्लाह को जलाल देते हैं।
II C UrduGeoD 1:21  और अल्लाह ख़ुद हमें और आपको मसीह में मज़बूत कर देता है। उसी ने हमें मसह करके मख़सूस किया है।
II C UrduGeoD 1:22  उसी ने हम पर अपनी मुहर लगाकर ज़ाहिर किया है कि हम उस की मिलकियत हैं और उसी ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर अपने वादों का बयाना अदा किया है।
II C UrduGeoD 1:23  अगर मैं झूट बोलूँ तो अल्लाह मेरे ख़िलाफ़ गवाही दे। बात यह है कि मैं आपको बचाने के लिए कुरिंथुस वापस न आया।
II C UrduGeoD 1:24  मतलब यह नहीं कि हम ईमान के मामले में आप पर हुकूमत करना चाहते हैं। नहीं, हम आपके साथ मिलकर ख़िदमत करते हैं ताकि आप ख़ुशी से भर जाएँ, क्योंकि आप तो ईमान की मारिफ़त क़ायम हैं।
Chapter 2
II C UrduGeoD 2:1  चुनाँचे मैंने फ़ैसला किया कि मैं दुबारा आपके पास नहीं आऊँगा, वरना आपको बहुत ग़म खाना पड़ेगा।
II C UrduGeoD 2:2  क्योंकि अगर मैं आपको दुख पहुँचाऊँ तो कौन मुझे ख़ुश करेगा? यह वह शख़्स नहीं करेगा जिसे मैंने दुख पहुँचाया है।
II C UrduGeoD 2:3  यही वजह है कि मैंने आपको यह लिख दिया। मैं नहीं चाहता था कि आपके पास आकर उन्हीं लोगों से ग़म खाऊँ जिन्हें मुझे ख़ुश करना चाहिए। क्योंकि मुझे आप सबके बारे में यक़ीन है कि मेरी ख़ुशी आप सबकी ख़ुशी है।
II C UrduGeoD 2:4  मैंने आपको निहायत रंजीदा और परेशान हालत में आँसू बहा बहाकर लिख दिया। मक़सद यह नहीं था कि आप ग़मगीन हो जाएँ बल्कि मैं चाहता था कि आप जान लें कि मैं आपसे कितनी गहरी मुहब्बत रखता हूँ।
II C UrduGeoD 2:5  अगर किसी ने दुख पहुँचाया है तो मुझे नहीं बल्कि किसी हद तक आप सबको (मैं ज़्यादा सख़्ती से बात नहीं करना चाहता)।
II C UrduGeoD 2:6  लेकिन मज़कूरा शख़्स के लिए यह काफ़ी है कि उसे जमात के अकसर लोगों ने सज़ा दी है।
II C UrduGeoD 2:7  अब ज़रूरी है कि आप उसे मुआफ़ करके तसल्ली दें, वरना वह ग़म खा खाकर तबाह हो जाएगा।
II C UrduGeoD 2:8  चुनाँचे मैं इस पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि आप उसे अपनी मुहब्बत का एहसास दिलाएँ।
II C UrduGeoD 2:9  मैंने यह मालूम करने के लिए आपको लिखा कि क्या आप इमतहान में पूरे उतरेंगे और हर बात में ताबे रहेंगे।
II C UrduGeoD 2:10  जिसे आप कुछ मुआफ़ करते हैं उसे मैं भी मुआफ़ करता हूँ। और जो कुछ मैंने मुआफ़ किया, अगर मुझे कुछ मुआफ़ करने की ज़रूरत थी, वह मैंने आपकी ख़ातिर मसीह के हुज़ूर मुआफ़ किया है
II C UrduGeoD 2:11  ताकि इबलीस हमसे फ़ायदा न उठाए। क्योंकि हम उस की चालों से ख़ूब वाक़िफ़ हैं।
II C UrduGeoD 2:12  जब मैं मसीह की ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए त्रोआस गया तो ख़ुदावंद ने मेरे लिए आगे ख़िदमत करने का एक दरवाज़ा खोल दिया।
II C UrduGeoD 2:13  लेकिन जब मुझे अपना भाई तितुस वहाँ न मिला तो मैं बेचैन हो गया और उन्हें ख़ैरबाद कहकर सूबा मकिदुनिया चला गया।
II C UrduGeoD 2:14  लेकिन ख़ुदा का शुक्र है! वही हमारे आगे आगे चलता है और हम मसीह के क़ैदी बनकर उस की फ़तह मनाते हुए उसके पीछे पीछे चलते हैं। यों अल्लाह हमारे वसीले से हर जगह मसीह के बारे में इल्म ख़ुशबू की तरह फैलाता है।
II C UrduGeoD 2:15  क्योंकि हम मसीह की ख़ुशबू हैं जो अल्लाह तक पहुँचती है और साथ साथ लोगों में भी फैलती है, नजात पानेवालों में भी और हलाक होनेवालों में भी।
II C UrduGeoD 2:16  बाज़ लोगों के लिए हम मौत की मोहलक बू हैं जबकि बाज़ के लिए हम ज़िंदगीबख़्श ख़ुशबू हैं। तो कौन यह ज़िम्मादारी निभाने के लायक़ है?
II C UrduGeoD 2:17  क्योंकि हम अकसर लोगों की तरह अल्लाह के कलाम की तिजारत नहीं करते, बल्कि यह जानकर कि हम अल्लाह के हुज़ूर में हैं और उसके भेजे हुए हैं हम ख़ुलूसदिली से लोगों से बात करते हैं।
Chapter 3
II C UrduGeoD 3:1  क्या हम दुबारा अपनी ख़ूबियों का ढंडोरा पीट रहे हैं? या क्या हम बाज़ लोगों की मानिंद हैं जिन्हें आपको सिफ़ारिशी ख़त देने या आपसे ऐसे ख़त लिखवाने की ज़रूरत होती है?
II C UrduGeoD 3:2  नहीं, आप तो ख़ुद हमारा ख़त हैं जो हमारे दिलों पर लिखा हुआ है। सब इसे पहचान और पढ़ सकते हैं।
II C UrduGeoD 3:3  यह साफ़ ज़ाहिर है कि आप मसीह का ख़त हैं जो उसने हमारी ख़िदमत के ज़रीए लिख दिया है। और यह ख़त स्याही से नहीं बल्कि ज़िंदा ख़ुदा के रूह से लिखा गया, पत्थर की तख़्तियों पर नहीं बल्कि इनसानी दिलों पर।
II C UrduGeoD 3:4  हम यह इसलिए यक़ीन से कह सकते हैं क्योंकि हम मसीह के वसीले से अल्लाह पर एतमाद रखते हैं।
II C UrduGeoD 3:5  हमारे अंदर तो कुछ नहीं है जिसकी बिना पर हम दावा कर सकते कि हम यह काम करने के लायक़ हैं। नहीं, हमारी लियाक़त अल्लाह की तरफ़ से है।
II C UrduGeoD 3:6  उसी ने हमें नए अहद के ख़ादिम होने के लायक़ बना दिया है। और यह अहद लिखी हुई शरीअत पर मबनी नहीं है बल्कि रूह पर, क्योंकि लिखी हुई शरीअत के असर से हम मर जाते हैं जबकि रूह हमें ज़िंदा कर देता है।
II C UrduGeoD 3:7  शरीअत के हुरूफ़ पत्थर की तख़्तियों पर कंदा किए गए और जब उसे दिया गया तो अल्लाह का जलाल ज़ाहिर हुआ। यह जलाल इतना तेज़ था कि इसराईली मूसा के चेहरे को लगातार देख न सके। अगर उस चीज़ का जलाल इतना तेज़ था जो अब मनसूख़ है
II C UrduGeoD 3:8  तो क्या रूह के निज़ाम का जलाल इससे कहीं ज़्यादा नहीं होगा?
II C UrduGeoD 3:9  अगर पुराना निज़ाम जो हमें मुजरिम ठहराता था जलाली था तो फिर नया निज़ाम जो हमें रास्तबाज़ क़रार देता है कहीं ज़्यादा जलाली होगा।
II C UrduGeoD 3:10  हाँ, पहले निज़ाम का जलाल नए निज़ाम के ज़बरदस्त जलाल की निसबत कुछ भी नहीं है।
II C UrduGeoD 3:11  और अगर उस पुराने निज़ाम का जलाल बहुत था जो अब मनसूख़ है तो फिर उस नए निज़ाम का जलाल कहीं ज़्यादा होगा जो क़ायम रहेगा।
II C UrduGeoD 3:12  पस चूँकि हम ऐसी उम्मीद रखते हैं इसलिए बड़ी दिलेरी से ख़िदमत करते हैं।
II C UrduGeoD 3:13  हम मूसा की मानिंद नहीं हैं जिसने शरीअत सुनाने के इख़्तिताम पर अपने चेहरे पर निक़ाब डाल लिया ताकि इसराईली उसे तकते न रहें जो अब मनसूख़ है।
II C UrduGeoD 3:14  तो भी वह ज़हनी तौर पर अड़ गए, क्योंकि आज तक जब पुराने अहदनामे की तिलावत की जाती है तो यही निक़ाब क़ायम है। आज तक निक़ाब को हटाया नहीं गया क्योंकि यह अहद सिर्फ़ मसीह में मनसूख़ होता है।
II C UrduGeoD 3:15  हाँ, आज तक जब मूसा की शरीअत पढ़ी जाती है तो यह निक़ाब उनके दिलों पर पड़ा रहता है।
II C UrduGeoD 3:16  लेकिन जब भी कोई ख़ुदावंद की तरफ़ रुजू करता है तो यह निक़ाब हटाया जाता है,
II C UrduGeoD 3:17  क्योंकि ख़ुदावंद रूह है और जहाँ ख़ुदावंद का रूह है वहाँ आज़ादी है।
II C UrduGeoD 3:18  चुनाँचे हम सब जिनके चेहरों से निक़ाब हटाया गया है ख़ुदावंद का जलाल मुनअकिस करते और क़दम बक़दम जलाल पाते हुए मसीह की सूरत में बदलते जाते हैं। यह ख़ुदावंद ही का काम है जो रूह है।
Chapter 4
II C UrduGeoD 4:1  पस चूँकि हमें अल्लाह के रहम से यह ख़िदमत सौंपी गई है इसलिए हम बेदिल नहीं हो जाते।
II C UrduGeoD 4:2  हमने छुपी हुई शर्मनाक बातें मुस्तरद कर दी हैं। न हम चालाकी से काम करते, न अल्लाह के कलाम में तहरीफ़ करते हैं। बल्कि हमें अपनी सिफ़ारिश की ज़रूरत भी नहीं, क्योंकि जब हम अल्लाह के हुज़ूर लोगों पर हक़ीक़त को ज़ाहिर करते हैं तो हमारी नेकनामी ख़ुद बख़ुद हर एक के ज़मीर पर ज़ाहिर हो जाती है।
II C UrduGeoD 4:3  और अगर हमारी ख़ुशख़बरी निक़ाब तले छुपी हुई भी हो तो वह सिर्फ़ उनके लिए छुपी हुई है जो हलाक हो रहे हैं।
II C UrduGeoD 4:4  इस जहान के शरीर ख़ुदा ने उनके ज़हनों को अंधा कर दिया है जो ईमान नहीं रखते। इसलिए वह अल्लाह की ख़ुशख़बरी की जलाली रौशनी नहीं देख सकते। वह यह पैग़ाम नहीं समझ सकते जो मसीह के जलाल के बारे में है, उसके बारे में जो अल्लाह की सूरत है।
II C UrduGeoD 4:5  क्योंकि हम अपना प्रचार नहीं करते बल्कि ईसा मसीह का पैग़ाम सुनाते हैं कि वह ख़ुदावंद है। अपने आपको हम ईसा की ख़ातिर आपके ख़ादिम क़रार देते हैं।
II C UrduGeoD 4:6  क्योंकि जिस ख़ुदा ने फ़रमाया, “अंधेरे में से रौशनी चमके,” उसने हमारे दिलों में अपनी रौशनी चमकने दी ताकि हम अल्लाह का वह जलाल जान लें जो ईसा मसीह के चेहरे से चमकता है।
II C UrduGeoD 4:7  लेकिन हम जिनके अंदर यह ख़ज़ाना है आम मिट्टी के बरतनों की मानिंद हैं ताकि ज़ाहिर हो कि यह ज़बरदस्त क़ुव्वत हमारी तरफ़ से नहीं बल्कि अल्लाह की तरफ़ से है।
II C UrduGeoD 4:8  लोग हमें चारों तरफ़ से दबाते हैं, लेकिन कोई हमें कुचलकर ख़त्म नहीं कर सकता। हम उलझन में पड़ जाते हैं, लेकिन उम्मीद का दामन हाथ से जाने नहीं देते।
II C UrduGeoD 4:9  लोग हमें ईज़ा देते हैं, लेकिन हमें अकेला नहीं छोड़ा जाता। लोगों के धक्कों से हम ज़मीन पर गिर जाते हैं, लेकिन हम तबाह नहीं होते।
II C UrduGeoD 4:10  हर वक़्त हम अपने बदन में ईसा की मौत लिए फिरते हैं ताकि ईसा की ज़िंदगी भी हमारे बदन में ज़ाहिर हो जाए।
II C UrduGeoD 4:11  क्योंकि हर वक़्त हमें ज़िंदा हालत में ईसा की ख़ातिर मौत के हवाले कर दिया जाता है ताकि उस की ज़िंदगी हमारे फ़ानी बदन में ज़ाहिर हो जाए।
II C UrduGeoD 4:12  यों हममें मौत का असर काम करता है जबकि आपमें ज़िंदगी का असर।
II C UrduGeoD 4:13  कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “मैं ईमान लाया और इसलिए बोला।” हमें ईमान का यही रूह हासिल है इसलिए हम भी ईमान लाने की वजह से बोलते हैं।
II C UrduGeoD 4:14  क्योंकि हम जानते हैं कि जिसने ख़ुदावंद ईसा को मुरदों में से ज़िंदा कर दिया है वह ईसा के साथ हमें भी ज़िंदा करके आप लोगों समेत अपने हुज़ूर खड़ा करेगा।
II C UrduGeoD 4:15  यह सब कुछ आपके फ़ायदे के लिए है। यों अल्लाह का फ़ज़ल आगे बढ़ते बढ़ते मज़ीद बहुत-से लोगों तक पहुँच रहा है और नतीजे में वह अल्लाह को जलाल देकर शुक्रगुज़ारी की दुआओं में बहुत इज़ाफ़ा कर रहे हैं।
II C UrduGeoD 4:16  इसी वजह से हम बेदिल नहीं हो जाते। बेशक ज़ाहिरी तौर पर हम ख़त्म हो रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर रोज़ बरोज़ हमारी तजदीद होती जा रही है।
II C UrduGeoD 4:17  क्योंकि हमारी मौजूदा मुसीबत हलकी और पल-भर की है, और वह हमारे लिए एक ऐसा अबदी जलाल पैदा कर रही है जिसकी निसबत मौजूदा मुसीबत कुछ भी नहीं।
II C UrduGeoD 4:18  इसलिए हम देखी हुई चीज़ों पर ग़ौर नहीं करते बल्कि अनदेखी चीज़ों पर। क्योंकि देखी हुई चीज़ें आरिज़ी हैं, जबकि अनदेखी चीज़ें अबदी हैं।
Chapter 5
II C UrduGeoD 5:1  हम तो जानते हैं कि जब हमारी दुनियावी झोंपड़ी जिसमें हम रहते हैं गिराई जाएगी तो अल्लाह हमें आसमान पर एक मकान देगा, एक ऐसा अबदी घर जिसे इनसानी हाथों ने नहीं बनाया होगा।
II C UrduGeoD 5:2  इसलिए हम इस झोंपड़ी में कराहते हैं और आसमानी घर पहन लेने की शदीद आरज़ू रखते हैं,
II C UrduGeoD 5:3  क्योंकि जब हम उसे पहन लेंगे तो हम नंगे नहीं पाए जाएंगे।
II C UrduGeoD 5:4  इस झोंपड़ी में रहते हुए हम बोझ तले कराहते हैं। क्योंकि हम अपना फ़ानी लिबास उतारना नहीं चाहते बल्कि उस पर आसमानी घर का लिबास पहन लेना चाहते हैं ताकि ज़िंदगी वह कुछ निगल जाए जो फ़ानी है।
II C UrduGeoD 5:5  अल्लाह ने ख़ुद हमें इस मक़सद के लिए तैयार किया है और उसी ने हमें रूहुल-क़ुद्स को आनेवाले जलाल के बैआने के तौर पर दे दिया है।
II C UrduGeoD 5:6  चुनाँचे हम हमेशा हौसला रखते हैं। हम जानते हैं कि जब तक अपने बदन में रिहाइशपज़ीर हैं उस वक़्त तक ख़ुदावंद के घर से दूर हैं।
II C UrduGeoD 5:7  हम ज़ाहिरी चीज़ों पर भरोसा नहीं करते बल्कि ईमान पर चलते हैं।
II C UrduGeoD 5:8  हाँ, हमारा हौसला बुलंद है बल्कि हम ज़्यादा यह चाहते हैं कि अपने जिस्मानी घर से रवाना होकर ख़ुदावंद के घर में रहें।
II C UrduGeoD 5:9  लेकिन ख़ाह हम अपने बदन में हों या न, हम इसी कोशिश में रहते हैं कि ख़ुदावंद को पसंद आएँ।
II C UrduGeoD 5:10  क्योंकि लाज़िम है कि हम सब मसीह के तख़्ते-अदालत के सामने हाज़िर हो जाएँ। वहाँ हर एक को उस काम का अज्र मिलेगा जो उसने अपने बदन में रहते हुए किया है, ख़ाह वह अच्छा था या बुरा।
II C UrduGeoD 5:11  अब हम ख़ुदावंद के ख़ौफ़ को जानकर लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं। हम तो अल्लाह के सामने पूरे तौर पर ज़ाहिर हैं। और मैं उम्मीद रखता हूँ कि हम आपके ज़मीर के सामने भी ज़ाहिर हैं।
II C UrduGeoD 5:12  क्या हम यह बात करके दुबारा अपनी सिफ़ारिश कर रहे हैं? नहीं, आपको हम पर फ़ख़र करने का मौक़ा दे रहे हैं ताकि आप उनके जवाब में कुछ कह सकें जो ज़ाहिरी बातों पर शेख़ी मारते और दिली बातें नज़रंदाज़ करते हैं।
II C UrduGeoD 5:13  क्योंकि अगर हम बेख़ुद हुए तो अल्लाह की ख़ातिर, और अगर होश में हैं तो आपकी ख़ातिर।
II C UrduGeoD 5:14  बात यह है कि मसीह की मुहब्बत हमें मजबूर कर देती है, क्योंकि हम इस नतीजे पर पहुँच गए हैं कि एक सबके लिए मुआ। इसका मतलब है कि सब ही मर गए हैं।
II C UrduGeoD 5:15  और वह सबके लिए इसलिए मुआ ताकि जो ज़िंदा हैं वह अपने लिए न जिएँ बल्कि उसके लिए जो उनकी ख़ातिर मुआ और फिर जी उठा।
II C UrduGeoD 5:16  इस वजह से हम अब से किसी को भी दुनियावी निगाह से नहीं देखते। पहले तो हम मसीह को भी इस ज़ावीए से देखते थे, लेकिन यह वक़्त गुज़र गया है।
II C UrduGeoD 5:17  चुनाँचे जो मसीह में है वह नया मख़लूक़ है। पुरानी ज़िंदगी जाती रही और नई ज़िंदगी शुरू हो गई है।
II C UrduGeoD 5:18  यह सब कुछ अल्लाह की तरफ़ से है जिसने मसीह के वसीले से अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया है। और उसी ने हमें मेल-मिलाप कराने की ख़िदमत की ज़िम्मादारी दी है।
II C UrduGeoD 5:19  इस ख़िदमत के तहत हम यह पैग़ाम सुनाते हैं कि अल्लाह ने मसीह के वसीले से अपने साथ दुनिया की सुलह कराई और लोगों के गुनाहों को उनके ज़िम्मे न लगाया। सुलह कराने का यह पैग़ाम उसने हमारे सुपुर्द कर दिया।
II C UrduGeoD 5:20  पस हम मसीह के एलची हैं और अल्लाह हमारे वसीले से लोगों को समझाता है। हम मसीह के वास्ते आपसे मिन्नत करते हैं कि अल्लाह की सुलह की पेशकश को क़बूल करें ताकि उस की आपके साथ सुलह हो जाए।
II C UrduGeoD 5:21  मसीह बेगुनाह था, लेकिन अल्लाह ने उसे हमारी ख़ातिर गुनाह ठहराया ताकि हमें उसमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।
Chapter 6
II C UrduGeoD 6:1  अल्लाह के हमख़िदमत होते हुए हम आपसे मिन्नत करते हैं कि जो फ़ज़ल आपको मिला है वह ज़ाया न जाए।
II C UrduGeoD 6:2  क्योंकि अल्लाह फ़रमाता है, “क़बूलियत के वक़्त मैंने तेरी सुनी, नजात के दिन तेरी मदद की।” सुनें! अब क़बूलियत का वक़्त आ गया है, अब नजात का दिन है।
II C UrduGeoD 6:3  हम किसी के लिए भी ठोकर का बाइस नहीं बनते ताकि लोग हमारी ख़िदमत में नुक़्स न निकाल सकें।
II C UrduGeoD 6:4  हाँ, हमें सिफ़ारिश की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि अल्लाह के ख़ादिम होते हुए हम हर हालत में अपनी नेकनामी ज़ाहिर करते हैं : जब हम सब्र से मुसीबतें, मुश्किलात और आफ़तें बरदाश्त करते हैं,
II C UrduGeoD 6:5  जब लोग हमें मारते और क़ैद में डालते हैं, जब हम बेकाबू हुजूमों का सामना करते हैं, जब हम मेहनत-मशक़्क़त करते, रात के वक़्त जागते और भूके रहते हैं,
II C UrduGeoD 6:6  जब हम अपनी पाकीज़गी, इल्म, सब्र और मेहरबान सुलूक का इज़हार करते हैं, जब हम रूहुल-क़ुद्स के वसीले से हक़ीक़ी मुहब्बत रखते,
II C UrduGeoD 6:7  सच्ची बातें करते और अल्लाह की क़ुदरत से लोगों की ख़िदमत करते हैं। हम अपनी नेकनामी इसमें भी ज़ाहिर करते हैं कि हम दोनों हाथों से रास्तबाज़ी के हथियार थामे रखते हैं।
II C UrduGeoD 6:8  हम अपनी ख़िदमत जारी रखते हैं, चाहे लोग हमारी इज़्ज़त करें चाहे बेइज़्ज़ती, चाहे वह हमारी बुरी रिपोर्ट दें चाहे अच्छी। अगरचे हमारी ख़िदमत सच्ची है, लेकिन लोग हमें दग़ाबाज़ क़रार देते हैं।
II C UrduGeoD 6:9  अगरचे लोग हमें जानते हैं तो भी हमें नज़रंदाज़ किया जाता है। हम मरते मरते ज़िंदा रहते हैं और लोग हमें मार मारकर क़त्ल नहीं कर सकते।
II C UrduGeoD 6:10  हम ग़म खा खाकर हर वक़्त ख़ुश रहते हैं, हम ग़रीब हालत में बहुतों को दौलतमंद बना देते हैं। हमारे पास कुछ नहीं है, तो भी हमें सब कुछ हासिल है।
II C UrduGeoD 6:11  कुरिंथुस के अज़ीज़ो, हमने खुलकर आपसे बात की है, हमारा दिल आपके लिए कुशादा हो गया है।
II C UrduGeoD 6:12  जो जगह हमने दिल में आपको दी है वह अब तक कम नहीं हुई। लेकिन आपके दिलों में हमारे लिए कोई जगह नहीं रही।
II C UrduGeoD 6:13  अब मैं आपसे जो मेरे बच्चे हैं दरख़ास्त करता हूँ कि जवाब में हमें भी अपने दिलों में जगह दें।
II C UrduGeoD 6:14  ग़ैरईमानदारों के साथ मिलकर एक जुए तले ज़िंदगी न गुज़ारें, क्योंकि रास्ती का नारास्ती से क्या वास्ता है? या रौशनी तारीकी के साथ क्या ताल्लुक़ रख सकती है?
II C UrduGeoD 6:15  मसीह और इबलीस के दरमियान क्या मुताबिक़त हो सकती है? ईमानदार का ग़ैरईमानदार के साथ क्या वास्ता है?
II C UrduGeoD 6:16  अल्लाह के मक़दिस और बुतों में क्या इत्तफ़ाक़ हो सकता है? हम तो ज़िंदा ख़ुदा का घर हैं। अल्लाह ने यों फ़रमाया है, “मैं उनके दरमियान सुकूनत करूँगा और उनमें फिरूँगा। मैं उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।”
II C UrduGeoD 6:17  चुनाँचे रब फ़रमाता है, “इसलिए उनमें से निकल आओ और उनसे अलग हो जाओ। किसी नापाक चीज़ को न छूना, तो फिर मैं तुम्हें क़बूल करूँगा।
II C UrduGeoD 6:18  मैं तुम्हारा बाप हूँगा और तुम मेरे बेटे-बेटियाँ होगे, रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है।”
Chapter 7
II C UrduGeoD 7:1  मेरे अज़ीज़ो, यह तमाम वादे हमसे किए गए हैं। इसलिए आएँ, हम अपने आपको हर उस चीज़ से पाक-साफ़ करें जो जिस्म और रूह को आलूदा कर देती है। और हम ख़ुदा के ख़ौफ़ में मुकम्मल तौर पर मुक़द्दस बनने के लिए कोशाँ रहें।
II C UrduGeoD 7:2  हमें अपने दिल में जगह दें। न हमने किसी से नाइनसाफ़ी की, न किसी को बिगाड़ा या उससे ग़लत फ़ायदा उठाया।
II C UrduGeoD 7:3  मैं यह बात आपको मुजरिम ठहराने के लिए नहीं कह रहा। मैं आपको पहले बता चुका हूँ कि आप हमें इतने अज़ीज़ हैं कि हम आपके साथ मरने और जीने के लिए तैयार हैं।
II C UrduGeoD 7:4  इसलिए मैं आपसे खुलकर बात करता हूँ और मैं आप पर बड़ा फ़ख़र भी करता हूँ। इस नाते से मुझे पूरी तसल्ली है, और हमारी तमाम मुसीबतों के बावुजूद मेरी ख़ुशी की इंतहा नहीं।
II C UrduGeoD 7:5  क्योंकि जब हम मकिदुनिया पहुँचे तो हम जिस्म के लिहाज़ से आराम न कर सके। मुसीबतों ने हमें हर तरफ़ से घेर लिया। दूसरों की तरफ़ से झगड़ों से और दिल में तरह तरह के डर से निपटना पड़ा।
II C UrduGeoD 7:6  लेकिन अल्लाह ने जो दबे हुओं को तसल्ली बख़्शता है तितुस के आने से हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई की।
II C UrduGeoD 7:7  हमारा हौसला न सिर्फ़ उसके आने से बढ़ गया बल्कि उन हौसलाअफ़्ज़ा बातों से भी जिनसे आपने उसे तसल्ली दी। उसने हमें आपकी आरज़ू, आपकी आहो-ज़ारी और मेरे लिए आपकी सरगरमी के बारे में रिपोर्ट दी। यह सुनकर मेरी ख़ुशी मज़ीद बढ़ गई।
II C UrduGeoD 7:8  क्योंकि अगरचे मैंने आपको अपने ख़त से दुख पहुँचाया तो भी मैं पछताता नहीं। पहले तो मैं ख़त लिखने से पछताया, लेकिन अब मैं देखता हूँ कि जो दुख उसने आपको पहुँचाया वह सिर्फ़ आरिज़ी था
II C UrduGeoD 7:9  और उसने आपको तौबा तक पहुँचाया। यह सुनकर मैं अब ख़ुशी मनाता हूँ, इसलिए नहीं कि आपको दुख उठाना पड़ा है बल्कि इसलिए कि इस दुख ने आपको तौबा तक पहुँचाया। अल्लाह ने यह दुख अपनी मरज़ी पूरी कराने के लिए इस्तेमाल किया, इसलिए आपको हमारी तरफ़ से कोई नुक़सान न पहुँचा।
II C UrduGeoD 7:10  क्योंकि जो दुख अल्लाह अपनी मरज़ी पूरी कराने के लिए इस्तेमाल करता है उससे तौबा पैदा होती है और उसका अंजाम नजात है। इसमें पछताने की गुंजाइश ही नहीं। इसके बरअक्स दुनियावी दुख का अंजाम मौत है।
II C UrduGeoD 7:11  आप ख़ुद देखें कि अल्लाह के इस दुख ने आपमें क्या पैदा किया है : कितनी संजीदगी, अपना दिफ़ा करने का कितना जोश, ग़लत हरकतों पर कितना ग़ुस्सा, कितना ख़ौफ़, कितनी चाहत, कितनी सरगरमी। आप सज़ा देने के लिए कितने तैयार थे! आपने हर लिहाज़ से साबित किया है कि आप इस मामले में बेक़ुसूर हैं।
II C UrduGeoD 7:12  ग़रज़, अगरचे मैंने आपको लिखा, लेकिन मक़सद यह नहीं था कि ग़लत हरकतें करनेवाले के बारे में लिखूँ या उसके बारे में जिसके साथ ग़लत काम किया गया। नहीं, मक़सद यह था कि अल्लाह के हुज़ूर आप पर ज़ाहिर हो जाए कि आप हमारे लिए कितने सरगरम हैं।
II C UrduGeoD 7:13  यही वजह है कि हमारा हौसला बढ़ गया है। लेकिन न सिर्फ़ हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई हुई है बल्कि हम यह देखकर बेइंतहा ख़ुश हुए कि तितुस कितना ख़ुश था। वह क्यों ख़ुश था? इसलिए कि उस की रूह आप सबसे तरो-ताज़ा हुई।
II C UrduGeoD 7:14  उसके सामने मैंने आप पर फ़ख़र किया था, और मैं शरमिंदा नहीं हुआ क्योंकि यह बात दुरुस्त साबित हुई है। जिस तरह हमने आपको हमेशा सच्ची बातें बताई हैं उसी तरह तितुस के सामने आप पर हमारा फ़ख़र भी दुरुस्त निकला।
II C UrduGeoD 7:15  आप उसे निहायत अज़ीज़ हैं क्योंकि वह आप सबकी फ़रमाँबरदारी याद करता है, कि आपने डरते और काँपते हुए उसे ख़ुशआमदीद कहा।
II C UrduGeoD 7:16  मैं ख़ुश हूँ कि मैं हर लिहाज़ से आप पर एतमाद कर सकता हूँ।
Chapter 8
II C UrduGeoD 8:1  भाइयो, हम आपकी तवज्जुह उस फ़ज़ल की तरफ़ दिलाना चाहते हैं जो अल्लाह ने सूबा मकिदुनिया की जमातों पर किया।
II C UrduGeoD 8:2  जिस मुसीबत में वह फँसे हुए हैं उससे उनकी सख़्त आज़माइश हुई। तो भी उनकी बेइंतहा ख़ुशी और शदीद ग़ुरबत का नतीजा यह निकला कि उन्होंने बड़ी फ़ैयाज़दिली से हदिया दिया।
II C UrduGeoD 8:3  मैं गवाह हूँ कि जितना वह दे सके उतना उन्होंने दे दिया बल्कि इससे भी ज़्यादा। अपनी ही तरफ़ से
II C UrduGeoD 8:4  उन्होंने बड़े ज़ोर से हमसे मिन्नत की कि हमें भी यहूदिया के मुक़द्दसीन की ख़िदमत करने का मौक़ा दें, हम भी देने के फ़ज़ल में शरीक होना चाहते हैं।
II C UrduGeoD 8:5  और उन्होंने हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा किया! अल्लाह की मरज़ी से उनका पहला क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको ख़ुदावंद के लिए मख़सूस किया। उनका दूसरा क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको हमारे लिए मख़सूस किया।
II C UrduGeoD 8:6  इस पर हमने तितुस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह आपके पास भी हदिया जमा करने का वह सिलसिला अंजाम तक पहुँचाए जो उसने शुरू किया था।
II C UrduGeoD 8:7  आपके पास सब कुछ कसरत से पाया जाता है, ख़ाह ईमान हो, ख़ाह कलाम, इल्म, मुकम्मल सरगरमी या हमसे मुहब्बत हो। अब इस बात का ख़याल रखें कि आप यह हदिया देने में भी अपनी कसीर दौलत का इज़हार करें।
II C UrduGeoD 8:8  मेरी तरफ़ से यह कोई हुक्म नहीं है। लेकिन दूसरों की सरगरमी के पेशे-नज़र मैं आपकी भी मुहब्बत परख रहा हूँ कि वह कितनी हक़ीक़ी है।
II C UrduGeoD 8:9  आप तो जानते हैं कि हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह ने आप पर कैसा फ़ज़ल किया है, कि अगरचे वह दौलतमंद था तो भी वह आपकी ख़ातिर ग़रीब बन गया ताकि आप उस की ग़ुरबत से दौलतमंद बन जाएँ।
II C UrduGeoD 8:10  इस मामले में मेरा मशवरा सुनें, क्योंकि वह आपके लिए मुफ़ीद साबित होगा। पिछले साल आप पहली जमात थे जो न सिर्फ़ हदिया देने लगी बल्कि इसे देना भी चाहती थी।
II C UrduGeoD 8:11  अब उसे तकमील तक पहुँचाएँ जो आपने शुरू कर रखा है। देने का जो शौक़ आप रखते हैं वह अमल में लाया जाए। उतना दें जितना आप दे सकें।
II C UrduGeoD 8:12  क्योंकि अगर आप देने का शौक़ रखते हैं तो फिर अल्लाह आपका हदिया उस बिना पर क़बूल करेगा जो आप दे सकते हैं, उस बिना पर नहीं जो आप नहीं दे सकते।
II C UrduGeoD 8:13  कहने का मतलब यह नहीं कि दूसरों को आराम दिलाने के बाइस आप ख़ुद मुसीबत में पड़ जाएँ। बात सिर्फ़ यह है कि लोगों के हालात कुछ बराबर होने चाहिएँ।
II C UrduGeoD 8:14  इस वक़्त तो आपके पास बहुत है और आप उनकी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं। बाद में किसी वक़्त जब उनके पास बहुत होगा तो वह आपकी ज़रूरत भी पूरी कर सकेंगे। यों आपके हालात कुछ बराबर रहेंगे,
II C UrduGeoD 8:15  जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में भी लिखा है, “जिसने ज़्यादा जमा किया था उसके पास कुछ न बचा। लेकिन जिसने कम जमा किया था उसके पास भी काफ़ी था।”
II C UrduGeoD 8:16  ख़ुदा का शुक्र है जिसने तितुस के दिल में वही जोश पैदा किया है जो मैं आपके लिए रखता हूँ।
II C UrduGeoD 8:17  जब हमने उस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह आपके पास जाए तो वह न सिर्फ़ इसके लिए तैयार हुआ बल्कि बड़ा सरगरम होकर ख़ुद बख़ुद आपके पास जाने के लिए रवाना हुआ।
II C UrduGeoD 8:18  हमने उसके साथ उस भाई को भेज दिया जिसकी ख़िदमत की तारीफ़ तमाम जमातें करती हैं, क्योंकि उसे अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाने की नेमत मिली है।
II C UrduGeoD 8:19  उसे न सिर्फ़ आपके पास जाना है बल्कि जमातों ने उसे मुक़र्रर किया है कि जब हम हदिये को यरूशलम ले जाएंगे तो वह हमारे साथ जाए। यों हम यह ख़िदमत अदा करते वक़्त ख़ुदावंद को जलाल देंगे और अपनी सरगरमी का इज़हार करेंगे।
II C UrduGeoD 8:20  क्योंकि उस बड़े हदिये के पेशे-नज़र जो हम ले जाएंगे हम इससे बचना चाहते हैं कि किसी को हम पर शक करने का मौक़ा मिले।
II C UrduGeoD 8:21  हमारी पूरी कोशिश यह है कि वही कुछ करें जो न सिर्फ़ ख़ुदावंद की नज़र में दुरुस्त है बल्कि इनसान की नज़र में भी।
II C UrduGeoD 8:22  उनके साथ हमने एक और भाई को भी भेज दिया जिसकी सरगरमी हमने कई मौक़ों पर परखी है। अब वह मज़ीद सरगरम हो गया है, क्योंकि वह आप पर बड़ा एतमाद करता है।
II C UrduGeoD 8:23  जहाँ तक तितुस का ताल्लुक़ है, वह मेरा साथी और हमख़िदमत है। और जो भाई उसके साथ हैं उन्हें जमातों ने भेजा है। वह मसीह के लिए इज़्ज़त का बाइस हैं।
II C UrduGeoD 8:24  उन पर अपनी मुहब्बत का इज़हार करके यह ज़ाहिर करें कि हम आप पर क्यों फ़ख़र करते हैं। फिर यह बात ख़ुदा की दीगर जमातों को भी नज़र आएगी।
Chapter 9
II C UrduGeoD 9:1  असल में इसकी ज़रूरत नहीं कि मैं आपको उस काम के बारे में लिखूँ जो हमें यहूदिया के मुक़द्दसीन की ख़िदमत में करना है।
II C UrduGeoD 9:2  क्योंकि मैं आपकी गरमजोशी जानता हूँ, और मैं मकिदुनिया के ईमानदारों के सामने आप पर फ़ख़र करता रहा हूँ कि “अख़या के लोग पिछले साल से देने के लिए तैयार थे।” यों आपकी सरगरमी ने ज़्यादातर लोगों को ख़ुद देने के लिए उभारा।
II C UrduGeoD 9:3  अब मैंने इन भाइयों को भेज दिया है ताकि हमारा आप पर फ़ख़र बेबुनियाद न निकले बल्कि जिस तरह मैंने कहा था आप तैयार रहें।
II C UrduGeoD 9:4  ऐसा न हो कि जब मैं मकिदुनिया के कुछ भाइयों को साथ लेकर आपके पास पहुँचूँगा तो आप तैयार न हूँ। उस वक़्त मैं, बल्कि आप भी शरमिंदा होंगे कि मैंने आप पर इतना एतमाद किया है।
II C UrduGeoD 9:5  इसलिए मैंने इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी समझा कि भाई पहले ही आपके पास आकर उस हदिये का इंतज़ाम करें जिसका वादा आपने किया है। क्योंकि मैं चाहता हूँ कि मेरे आने तक यह हदिया जमा किया गया हो और ऐसा न लगे जैसा इसे मुश्किल से आपसे निकालना पड़ा। इसके बजाए आपकी सख़ावत ज़ाहिर हो जाए।
II C UrduGeoD 9:6  याद रहे कि जो शख़्स बीज को बचा बचाकर बोता है उस की फ़सल भी उतनी कम होगी। लेकिन जो बहुत बीज बोता है उस की फ़सल भी बहुत ज़्यादा होगी।
II C UrduGeoD 9:7  हर एक उतना दे जितना देने के लिए उसने पहले अपने दिल में ठहरा लिया है। वह इसमें तकलीफ़ या मजबूरी महसूस न करे, क्योंकि अल्लाह उससे मुहब्बत रखता है जो ख़ुशी से देता है।
II C UrduGeoD 9:8  और अल्लाह इस क़ाबिल है कि आपको आपकी ज़रूरियात से कहीं ज़्यादा दे। फिर आपके पास हर वक़्त और हर लिहाज़ से काफ़ी होगा बल्कि इतना ज़्यादा कि आप हर क़िस्म का नेक काम कर सकेंगे।
II C UrduGeoD 9:9  चुनाँचे कलामे-मुक़द्दस में यह भी लिखा है, “उसने फ़ैयाज़ी से ज़रूरतमंदों में ख़ैरात बिखेर दी, उस की रास्तबाज़ी हमेशा तक क़ायम रहेगी।”
II C UrduGeoD 9:10  ख़ुदा ही बीज बोनेवाले को बीज मुहैया करता और उसे खाने के लिए रोटी देता है। और वह आपको भी बीज देकर उसमें इज़ाफ़ा करेगा और आपकी रास्तबाज़ी की फ़सल उगने देगा।
II C UrduGeoD 9:11  हाँ, वह आपको हर लिहाज़ से दौलतमंद बना देगा और आप हर मौक़े पर फ़ैयाज़ी से दे सकेंगे। चुनाँचे जब हम आपका हदिया उनके पास ले जाएंगे जो ज़रूरतमंद हैं तो वह ख़ुदा का शुक्र करेंगे।
II C UrduGeoD 9:12  यों आप न सिर्फ़ मुक़द्दसीन की ज़रूरियात पूरी करेंगे बल्कि वह आपकी इस ख़िदमत से इतने मुतअस्सिर हो जाएंगे कि वह बड़े जोश से ख़ुदा का भी शुक्रिया अदा करेंगे।
II C UrduGeoD 9:13  आपकी ख़िदमत के नतीजे में वह अल्लाह को जलाल देंगे। क्योंकि आपकी उन पर और तमाम ईमानदारों पर सख़ावत का इज़हार साबित करेगा कि आप मसीह की ख़ुशख़बरी न सिर्फ़ तसलीम करते हैं बल्कि उसके ताबे भी रहते हैं।
II C UrduGeoD 9:14  और जब वह आपके लिए दुआ करेंगे तो आपके आरज़ूमंद रहेंगे, इसलिए कि अल्लाह ने आपको कितना बड़ा फ़ज़ल दे दिया है।
II C UrduGeoD 9:15  अल्लाह का उस की नाक़ाबिले-बयान बख़्शिश के लिए शुक्र हो!
Chapter 10
II C UrduGeoD 10:1  मैं आपसे अपील करता हूँ, मैं पौलुस जिसके बारे में कहा जाता है कि मैं आपके रूबरू आजिज़ होता हूँ और सिर्फ़ आपसे दूर होकर दिलेर होता हूँ। मसीह की हलीमी और नरमी के नाम में
II C UrduGeoD 10:2  मैं आपसे मिन्नत करता हूँ कि मुझे आपके पास आकर इतनी दिलेरी से उन लोगों से निपटना न पड़े जो समझते हैं कि हमारा चाल-चलन दुनियावी है। क्योंकि फ़िलहाल ऐसा लगता है कि इसकी ज़रूरत होगी।
II C UrduGeoD 10:3  बेशक हम इनसान ही हैं, लेकिन हम दुनिया की तरह जंग नहीं लड़ते।
II C UrduGeoD 10:4  और जो हथियार हम इस जंग में इस्तेमाल करते हैं वह इस दुनिया के नहीं हैं, बल्कि उन्हें अल्लाह की तरफ़ से क़िले ढा देने की क़ुव्वत हासिल है। इनसे हम ग़लत ख़यालात के ढाँचे
II C UrduGeoD 10:5  और हर ऊँची चीज़ ढा देते हैं जो अल्लाह के इल्मो-इरफ़ान के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाती है। और हम हर ख़याल को क़ैद करके मसीह के ताबे कर देते हैं।
II C UrduGeoD 10:6  हाँ, आपके पूरे तौर पर ताबे हो जाने पर हम हर नाफ़रमानी की सज़ा देने के लिए तैयार होंगे।
II C UrduGeoD 10:7  आप सिर्फ़ ज़ाहिरी बातों पर ग़ौर कर रहे हैं। अगर किसी को इस बात का एतमाद हो कि वह मसीह का है तो वह इसका भी ख़याल करे कि हम भी उसी की तरह मसीह के हैं।
II C UrduGeoD 10:8  क्योंकि अगर मैं उस इख़्तियार पर मज़ीद फ़ख़र भी करूँ जो ख़ुदावंद ने हमें दिया है तो भी मैं शरमिंदा नहीं हूँगा। ग़ौर करें कि उसने हमें आपको ढा देने का नहीं बल्कि आपकी रूहानी तामीर करने का इख़्तियार दिया है।
II C UrduGeoD 10:9  मैं नहीं चाहता कि ऐसा लगे जैसे मैं आपको अपने ख़तों से डराने की कोशिश कर रहा हूँ।
II C UrduGeoD 10:10  क्योंकि बाज़ कहते हैं, “पौलुस के ख़त ज़ोरदार और ज़बरदस्त हैं, लेकिन जब वह ख़ुद हाज़िर होता है तो वह कमज़ोर और उसके बोलने का तर्ज़ हिक़ारतआमेज़ है।”
II C UrduGeoD 10:11  ऐसे लोग इस बात का ख़याल करें कि जो बातें हम आपसे दूर होते हुए अपने ख़तों में पेश करते हैं उन्हीं बातों पर हम अमल करेंगे जब आपके पास आएँगे।
II C UrduGeoD 10:12  हम तो अपने आपको उनमें शुमार नहीं करते जो अपनी तारीफ़ करके अपनी सिफ़ारिश करते रहते हैं, न अपना उनके साथ मुवाज़ना करते हैं। वह कितने बेसमझ हैं जब वह अपने आपको मेयार बनाकर उसी पर अपने आपको जाँचते हैं और अपना मुवाज़ना अपने आपसे करते हैं।
II C UrduGeoD 10:13  लेकिन हम मुनासिब हद से ज़्यादा फ़ख़र नहीं करेंगे बल्कि सिर्फ़ उस हद तक जो अल्लाह ने हमारे लिए मुक़र्रर किया है। और आप भी इस हद के अंदर आ जाते हैं।
II C UrduGeoD 10:14  इसमें हम मुनासिब हद से ज़्यादा फ़ख़र नहीं कर रहे, क्योंकि हम तो मसीह की ख़ुशख़बरी लेकर आप तक पहुँच गए हैं। अगर ऐसा न होता तो फिर और बात होती।
II C UrduGeoD 10:15  हम ऐसे काम पर फ़ख़र नहीं करते जो दूसरों की मेहनत से सरंजाम दिया गया है। इसमें भी हम मुनासिब हद्दों के अंदर रहते हैं, बल्कि हम यह उम्मीद रखते हैं कि आपका ईमान बढ़ जाए और यों हमारी क़दरो-क़ीमत भी अल्लाह की मुक़र्ररा हद तक बढ़ जाए। ख़ुदा करे कि आपमें हमारा यह काम इतना बढ़ जाए
II C UrduGeoD 10:16  कि हम अल्लाह की ख़ुशख़बरी आपसे आगे जाकर भी सुना सकें। क्योंकि हम उस काम पर फ़ख़र नहीं करना चाहते जिसे दूसरे कर चुके हैं।
II C UrduGeoD 10:17  कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “फ़ख़र करनेवाला ख़ुदावंद ही पर फ़ख़र करे।”
II C UrduGeoD 10:18  जब लोग अपनी तारीफ़ करके अपनी सिफ़ारिश करते हैं तो इसमें क्या है! इससे वह सहीह साबित नहीं होते, बल्कि अहम बात यह है कि ख़ुदावंद ही इसकी तसदीक़ करे।
Chapter 11
II C UrduGeoD 11:1  ख़ुदा करे कि जब मैं अपनी हमाक़त का कुछ इज़हार करता हूँ तो आप मुझे बरदाश्त करें। हाँ, ज़रूर मुझे बरदाश्त करें,
II C UrduGeoD 11:2  क्योंकि मैं आपके लिए अल्लाह की-सी ग़ैरत रखता हूँ। मैंने आपका रिश्ता एक ही मर्द के साथ बाँधा, और मैं आपको पाकदामन कुँवारी की हैसियत से उस मर्द मसीह के हुज़ूर पेश करना चाहता था।
II C UrduGeoD 11:3  लेकिन अफ़सोस, मुझे डर है कि आप हव्वा की तरह गुनाह में गिर जाएंगे, कि जिस तरह साँप ने अपनी चालाकी से हव्वा को धोका दिया उसी तरह आपकी सोच भी बिगड़ जाएगी और वह ख़ुलूसदिली और पाक लग्न ख़त्म हो जाएगी जो आप मसीह के लिए महसूस करते हैं।
II C UrduGeoD 11:4  क्योंकि आप ख़ुशी से हर एक को बरदाश्त करते हैं जो आपके पास आकर एक फ़रक़ क़िस्म का ईसा पेश करता है, एक ऐसा ईसा जो हमने आपको पेश नहीं किया था। और आप एक ऐसी रूह और ऐसी “ख़ुशख़बरी” क़बूल करते हैं जो उस रूह और ख़ुशख़बरी से बिलकुल फ़रक़ है जो आपको हमसे मिली थी।
II C UrduGeoD 11:5  मेरा नहीं ख़याल कि मैं इन नाम-निहाद ‘ख़ास’ रसूलों की निसबत कम हूँ।
II C UrduGeoD 11:6  हो सकता है कि मैं बोलने में माहिर नहीं हूँ, लेकिन यह मेरे इल्म के बारे में नहीं कहा जा सकता। यह हमने आपको साफ़ साफ़ और हर लिहाज़ से दिखाया है।
II C UrduGeoD 11:7  मैंने अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए आपसे कोई भी मुआवज़ा न लिया। यों मैंने अपने आपको नीचा कर दिया ताकि आपको सरफ़राज़ कर दिया जाए। क्या इसमें मुझसे ग़लती हुई?
II C UrduGeoD 11:8  जब मैं आपकी ख़िदमत कर रहा था तो मुझे ख़ुदा की दीगर जमातों से पैसे मिल रहे थे, यानी आपकी मदद करने के लिए मैं उन्हें लूट रहा था।
II C UrduGeoD 11:9  और जब मैं आपके पास था और ज़रूरतमंद था तो मैं किसी पर बोझ न बना, क्योंकि जो भाई मकिदुनिया से आए उन्होंने मेरी ज़रूरियात पूरी कीं। माज़ी में मैं आप पर बोझ न बना और आइंदा भी नहीं बनूँगा।
II C UrduGeoD 11:10  मसीह की उस सच्चाई की क़सम जो मेरे अंदर है, अख़या के पूरे सूबे में कोई मुझे इस पर फ़ख़र करने से नहीं रोकेगा।
II C UrduGeoD 11:11  मैं यह क्यों कह रहा हूँ? इसलिए कि मैं आपसे मुहब्बत नहीं रखता? ख़ुदा ही जानता है कि मैं आपसे मुहब्बत रखता हूँ।
II C UrduGeoD 11:12  और जो कुछ मैं अब कर रहा हूँ वही करता रहूँगा, ताकि मैं नाम-निहाद रसूलों को वह मौक़ा न दूँ जो वह ढूँड रहे हैं। क्योंकि यही उनका मक़सद है कि वह फ़ख़र करके यह कह सकें कि वह हम जैसे हैं।
II C UrduGeoD 11:13  ऐसे लोग तो झूटे रसूल हैं, धोकेबाज़ मज़दूर जिन्होंने मसीह के रसूलों का रूप धार लिया है।
II C UrduGeoD 11:14  और क्या अजब, क्योंकि इबलीस भी नूर के फ़रिश्ते का रूप धारकर घुमता-फिरता है।
II C UrduGeoD 11:15  तो फिर यह बड़ी बात नहीं कि उसके चेले रास्तबाज़ी के ख़ादिम का रूप धारकर घुमते-फिरते हैं। उनका अंजाम उनके आमाल के मुताबिक़ ही होगा।
II C UrduGeoD 11:16  मैं दुबारा कहता हूँ कि कोई मुझे अहमक़ न समझे। लेकिन अगर आप यह सोचें भी तो कम अज़ कम मुझे अहमक़ की हैसियत से क़बूल करें ताकि मैं भी थोड़ा-बहुत अपने आप पर फ़ख़र करूँ।
II C UrduGeoD 11:17  असल में जो कुछ मैं अब बयान कर रहा हूँ वह ख़ुदावंद को पसंद नहीं है, बल्कि मैं अहमक़ की तरह बात कर रहा हूँ।
II C UrduGeoD 11:18  लेकिन चूँकि इतने लोग जिस्मानी तौर पर फ़ख़र कर रहे हैं इसलिए मैं भी फ़ख़र करूँगा।
II C UrduGeoD 11:19  बेशक आप ख़ुद इतने दानिशमंद हैं कि आप अहमक़ों को ख़ुशी से बरदाश्त करते हैं।
II C UrduGeoD 11:20  हाँ, बल्कि आप यह भी बरदाश्त करते हैं जब लोग आपको ग़ुलाम बनाते, आपको लूटते, आपसे ग़लत फ़ायदा उठाते, नख़रे करते और आपको थप्पड़ मारते हैं।
II C UrduGeoD 11:21  यह कहकर मुझे शर्म आती है कि हम इतने कमज़ोर थे कि हम ऐसा न कर सके। लेकिन अगर कोई किसी बात पर फ़ख़र करने की जुर्रत करे (मैं अहमक़ की-सी बात कर रहा हूँ) तो मैं भी उतनी ही जुर्रत करूँगा।
II C UrduGeoD 11:22  क्या वह इबरानी हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इसराईली हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इब्राहीम की औलाद हैं? मैं भी हूँ।
II C UrduGeoD 11:23  क्या वह मसीह के ख़ादिम हैं? (अब तो मैं गोया बेख़ुद हो गया हूँ कि इस तरह की बातें कर रहा हूँ!) मैं उनसे ज़्यादा मसीह की ख़िदमत करता हूँ। मैंने उनसे कहीं ज़्यादा मेहनत-मशक़्क़त की, ज़्यादा दफ़ा जेल में रहा, मेरे ज़्यादा सख़्ती से कोड़े लगाए गए और मैं बार बार मरने के ख़तरों में रहा हूँ।
II C UrduGeoD 11:24  मुझे यहूदियों से पाँच दफ़ा 39 कोड़ों की सज़ा मिली है।
II C UrduGeoD 11:25  तीन दफ़ा रोमियों ने मुझे लाठी से मारा। एक बार मुझे संगसार किया गया। जब मैं समुंदर में सफ़र कर रहा था तो तीन मरतबा मेरा जहाज़ तबाह हुआ। हाँ, एक दफ़ा मुझे जहाज़ के तबाह होने पर एक पूरी रात और दिन समुंदर में गुज़ारना पड़ा।
II C UrduGeoD 11:26  मेरे बेशुमार सफ़रों के दौरान मुझे कई तरह के ख़तरों का सामना करना पड़ा, दरियाओं और डाकुओं का ख़तरा, अपने हमवतनों और ग़ैरयहूदियों के हमलों का ख़तरा। जहाँ भी मैं गया हूँ वहाँ यह ख़तरे मौजूद रहे, ख़ाह मैं शहर में था, ख़ाह ग़ैरआबाद इलाक़े में या समुंदर में। झूटे भाइयों की तरफ़ से भी ख़तरे रहे हैं।
II C UrduGeoD 11:27  मैंने जाँफ़िशानी से सख़्त मेहनत-मशक़्क़त की है और कई रात जागता रहा हूँ, मैं भूका और प्यासा रहा हूँ, मैंने बहुत रोज़े रखे हैं। मुझे सर्दी और नंगेपन का तजरबा हुआ है।
II C UrduGeoD 11:28  और यह उन फ़िकरों के अलावा है जो मैं ख़ुदा की तमाम जमातों के लिए महसूस करता हूँ और जो मुझे दबाती रहती हैं।
II C UrduGeoD 11:29  जब कोई कमज़ोर है तो मैं अपने आपको भी कमज़ोर महसूस करता हूँ। जब किसी को ग़लत राह पर लाया जाता है तो मैं उसके लिए शदीद रंजिश महसूस करता हूँ।
II C UrduGeoD 11:30  अगर मुझे फ़ख़र करना पड़े तो मैं उन चीज़ों पर फ़ख़र करूँगा जो मेरी कमज़ोर हालत ज़ाहिर करती हैं।
II C UrduGeoD 11:31  हमारा ख़ुदा और ख़ुदावंद ईसा का बाप (उस की हम्दो-सना अबद तक हो) जानता है कि मैं झूट नहीं बोल रहा।
II C UrduGeoD 11:32  जब मैं दमिश्क़ शहर में था तो बादशाह अरितास के गवर्नर ने शहर के तमाम दरवाज़ों पर अपने पहरेदार मुक़र्रर किए ताकि वह मुझे गिरिफ़्तार करें।
II C UrduGeoD 11:33  लेकिन शहर की फ़सील में एक दरीचा था, और मुझे एक टोकरे में रखकर वहाँ से उतारा गया। यों मैं उसके हाथों से बच निकला।
Chapter 12
II C UrduGeoD 12:1  लाज़िम है कि मैं कुछ और फ़ख़र करूँ। अगरचे इसका कोई फ़ायदा नहीं, लेकिन अब मैं उन रोयाओं और इनकिशाफ़ात का ज़िक्र करूँगा जो ख़ुदावंद ने मुझ पर ज़ाहिर किए।
II C UrduGeoD 12:2  मैं मसीह में एक आदमी को जानता हूँ जिसे चौदह साल हुए छीनकर तीसरे आसमान तक पहुँचाया गया। मुझे नहीं पता कि उसे यह तजरबा जिस्म में या इसके बाहर हुआ। ख़ुदा जानता है।
II C UrduGeoD 12:3  हाँ, ख़ुदा ही जानता है कि वह जिस्म में था या नहीं। लेकिन यह मैं जानता हूँ
II C UrduGeoD 12:4  कि उसे छीनकर फ़िर्दौस में लाया गया जहाँ उसने नाक़ाबिले-बयान बातें सुनीं, ऐसी बातें जिनका ज़िक्र करना इनसान के लिए रवा नहीं।
II C UrduGeoD 12:5  इस क़िस्म के आदमी पर मैं फ़ख़र करूँगा, लेकिन अपने आप पर नहीं। मैं सिर्फ़ उन बातों पर फ़ख़र करूँगा जो मेरी कमज़ोर हालत को ज़ाहिर करती हैं।
II C UrduGeoD 12:6  अगर मैं फ़ख़र करना चाहता तो इसमें अहमक़ न होता, क्योंकि मैं हक़ीक़त बयान करता। लेकिन मैं यह नहीं करूँगा, क्योंकि मैं चाहता हूँ कि सबकी मेरे बारे में राय सिर्फ़ उस पर मुनहसिर हो जो मैं करता या बयान करता हूँ। कोई मुझे इससे ज़्यादा न समझे।
II C UrduGeoD 12:7  लेकिन मुझे इन आला इनकिशाफ़ात की वजह से एक काँटा चुभो दिया गया, एक तकलीफ़देह चीज़ जो मेरे जिस्म में धँसी रहती है ताकि मैं फूल न जाऊँ। इबलीस का यह पैग़ंबर मेरे मुक्के मारता रहता है ताकि मैं मग़रूर न हो जाऊँ।
II C UrduGeoD 12:8  तीन बार मैंने ख़ुदावंद से इल्तिजा की कि वह इसे मुझसे दूर करे।
II C UrduGeoD 12:9  लेकिन उसने मुझे यही जवाब दिया, “मेरा फ़ज़ल तेरे लिए काफ़ी है, क्योंकि मेरी क़ुदरत का पूरा इज़हार तेरी कमज़ोर हालत ही में होता है।” इसलिए मैं मज़ीद ख़ुशी से अपनी कमज़ोरियों पर फ़ख़र करूँगा ताकि मसीह की क़ुदरत मुझ पर ठहरी रहे।
II C UrduGeoD 12:10  यही वजह है कि मैं मसीह की ख़ातिर कमज़ोरियों, गालियों, मजबूरियों, ईज़ारसानियों और परेशानियों में ख़ुश हूँ, क्योंकि जब मैं कमज़ोर होता हूँ तब ही मैं ताक़तवर होता हूँ।
II C UrduGeoD 12:11  मैं बेवुक़ूफ़ बन गया हूँ, लेकिन आपने मुझे मजबूर कर दिया है। चाहिए था कि आप ही दूसरों के सामने मेरे हक़ में बात करते। क्योंकि बेशक मैं कुछ भी नहीं हूँ, लेकिन इन नाम-निहाद ख़ास रसूलों के मुक़ाबले में मैं किसी भी लिहाज़ से कम नहीं हूँ।
II C UrduGeoD 12:12  जो मुतअद्दिद इलाही निशान, मोजिज़े और ज़बरदस्त काम मेरे वसीले से हुए वह साबित करते हैं कि मैं रसूल हूँ। हाँ, वह बड़ी साबितक़दमी से आपके दरमियान किए गए।
II C UrduGeoD 12:13  जो ख़िदमत मैंने आपके दरमियान की, क्या वह ख़ुदा की दीगर जमातों में मेरी ख़िदमत की निसबत कम थी? हरगिज़ नहीं! इसमें फ़रक़ सिर्फ़ यह था कि मैं आपके लिए माली बोझ न बना। मुझे मुआफ़ करें अगर मुझसे इसमें ग़लती हुई है।
II C UrduGeoD 12:14  अब मैं तीसरी बार आपके पास आने के लिए तैयार हूँ। इस मरतबा भी मैं आपके लिए बोझ का बाइस नहीं बनूँगा, क्योंकि मैं आपका माल नहीं बल्कि आप ही को चाहता हूँ। आख़िर बच्चों को माँ-बाप की मदद के लिए माल जमा नहीं करना चाहिए बल्कि माँ-बाप को बच्चों के लिए।
II C UrduGeoD 12:15  मैं तो बड़ी ख़ुशी से आपके लिए हर ख़र्चा उठा लूँगा बल्कि अपने आपको भी ख़र्च कर दूँगा। क्या आप मुझे कम प्यार करेंगे अगर मैं आपसे ज़्यादा मुहब्बत रखूँ?
II C UrduGeoD 12:16  ठीक है, मैं आपके लिए बोझ न बना। लेकिन बाज़ सोचते हैं कि मैं चालाक हूँ और आपको धोके से अपने जाल में फँसा लिया।
II C UrduGeoD 12:17  किस तरह? जिन लोगों को मैंने आपके पास भेजा क्या मैंने उनमें से किसी के ज़रीए आपसे ग़लत फ़ायदा उठाया?
II C UrduGeoD 12:18  मैंने तितुस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह आपके पास जाए और दूसरे भाई को भी साथ भेज दिया। क्या तितुस ने आपसे ग़लत फ़ायदा उठाया? हरगिज़ नहीं! क्योंकि हम दोनों एक ही रूह में एक ही राह पर चलते हैं।
II C UrduGeoD 12:19  आप काफ़ी देर से सोच रहे होंगे कि हम आपके सामने अपना दिफ़ा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि हम मसीह में होते हुए अल्लाह के हुज़ूर ही यह कुछ बयान कर रहे हैं। और मेरे अज़ीज़ो, जो कुछ भी हम करते हैं हम आपकी तामीर करने के लिए करते हैं।
II C UrduGeoD 12:20  मुझे डर है कि जब मैं आऊँगा तो न आपकी हालत मुझे पसंद आएगी, न मेरी हालत आपको। मुझे डर है कि आपमें झगड़ा, हसद, ग़ुस्सा, ख़ुदग़रज़ी, बुहतान, गपबाज़ी, ग़ुरूर और बेतरतीबी पाई जाएगी।
II C UrduGeoD 12:21  हाँ, मुझे डर है कि अगली दफ़ा जब आऊँगा तो अल्लाह मुझे आपके सामने नीचा दिखाएगा, और मैं उन बहुतों के लिए ग़म खाऊँगा जिन्होंने माज़ी में गुनाह करके अब तक अपनी नापाकी, ज़िनाकारी और ऐयाशी से तौबा नहीं की।
Chapter 13
II C UrduGeoD 13:1  अब मैं तीसरी दफ़ा आपके पास आ रहा हूँ। कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ लाज़िम है कि हर इलज़ाम की तसदीक़ दो या तीन गवाहों से की जाए।
II C UrduGeoD 13:2  जब मैं दूसरी दफ़ा आपके पास आया था तो मैंने पहले से आपको आगाह किया था। अब मैं आपसे दूर यह बात दुबारा कहता हूँ कि जब मैं वापस आऊँगा तो न वह बचेंगे जिन्होंने पहले गुनाह किया था न दीगर लोग।
II C UrduGeoD 13:3  जो भी सबूत आप माँग रहे हैं कि मसीह मेरे ज़रीए बोलता है वह मैं आपको दूँगा। आपके साथ सुलूक में मसीह कमज़ोर नहीं है। नहीं, वह आपके दरमियान ही अपनी क़ुव्वत का इज़हार करता है।
II C UrduGeoD 13:4  क्योंकि अगरचे उसे कमज़ोर हालत में मसलूब किया गया, लेकिन अब वह अल्लाह की क़ुदरत से ज़िंदा है। इसी तरह हम भी उसमें कमज़ोर हैं, लेकिन अल्लाह की क़ुदरत से हम आपकी ख़िदमत करते वक़्त उसके साथ ज़िंदा हैं।
II C UrduGeoD 13:5  अपने आपको जाँचकर मालूम करें कि क्या आपका ईमान क़ायम है? ख़ुद अपने आपको परखें। क्या आप नहीं जानते कि ईसा मसीह आपमें है? अगर नहीं तो इसका मतलब होता कि आपका ईमान नामक़बूल साबित होता।
II C UrduGeoD 13:6  लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप इतना पहचान लेंगे कि जहाँ तक हमारा ताल्लुक़ है हम नामक़बूल साबित नहीं हुए हैं।
II C UrduGeoD 13:7  हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि आपसे कोई ग़लती न हो जाए। बात यह नहीं कि लोगों के सामने हम सहीह निकलें बल्कि यह कि आप सहीह काम करें, चाहे लोग हमें ख़ुद नाकाम क्यों न क़रार दें।
II C UrduGeoD 13:8  क्योंकि हम हक़ीक़त के ख़िलाफ़ खड़े नहीं हो सकते बल्कि सिर्फ़ उसके हक़ में।
II C UrduGeoD 13:9  हम ख़ुश हैं जब आप ताक़तवर हैं गो हम ख़ुद कमज़ोर हैं। और हमारी दुआ यह है कि आप कामिल हो जाएँ।
II C UrduGeoD 13:10  यही वजह है कि मैं आपसे दूर रहकर लिखता हूँ। फिर जब मैं आऊँगा तो मुझे अपना इख़्तियार इस्तेमाल करके आप पर सख़्ती नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि ख़ुदावंद ने मुझे यह इख़्तियार आपको ढा देने के लिए नहीं बल्कि आपको तामीर करने के लिए दिया है।
II C UrduGeoD 13:11  भाइयो, आख़िर में मैं आपको सलाम कहता हूँ। सुधर जाएँ, एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें, एक ही सोच रखें और सुलह-सलामती के साथ ज़िंदगी गुज़ारें। फिर मुहब्बत और सलामती का ख़ुदा आपके साथ होगा।
II C UrduGeoD 13:12  एक दूसरे को मुक़द्दस बोसा देना। तमाम मुक़द्दसीन आपको सलाम कहते हैं।
II C UrduGeoD 13:13  ख़ुदावंद ईसा मसीह का फ़ज़ल, अल्लाह की मुहब्बत और रूहुल-क़ुद्स की रिफ़ाक़त आप सबके साथ होती रहे।