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Chapter 1
Roma | UrduGeoD | 1:1 | यह ख़त मसीह ईसा के ग़ुलाम पौलुस की तरफ़ से है जिसे रसूल होने के लिए बुलाया और अल्लाह की ख़ुशख़बरी की मुनादी करने के लिए अलग किया गया है। | |
Roma | UrduGeoD | 1:2 | पाक नविश्तों में दर्ज इस ख़ुशख़बरी का वादा अल्लाह ने पहले ही अपने नबियों से कर रखा था। | |
Roma | UrduGeoD | 1:3 | और यह पैग़ाम उसके फ़रज़ंद ईसा के बारे में है। इनसानी लिहाज़ से वह दाऊद की नसल से पैदा हुआ, | |
Roma | UrduGeoD | 1:4 | जबकि रूहुल-क़ुद्स के लिहाज़ से वह क़ुदरत के साथ अल्लाह का फ़रज़ंद ठहरा जब वह मुरदों में से जी उठा। यह है हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के बारे में अल्लाह की ख़ुशख़बरी। | |
Roma | UrduGeoD | 1:5 | मसीह से हमें रसूली इख़्तियार का यह फ़ज़ल हासिल हुआ है कि हम तमाम ग़ैरयहूदियों में मुनादी करें ताकि वह ईमान लाकर उसके ताबे हो जाएँ और यों मसीह के नाम को जलाल मिले। | |
Roma | UrduGeoD | 1:7 | मैं आप सबको लिख रहा हूँ जो रोम में अल्लाह के प्यारे हैं और मख़सूसो-मुक़द्दस होने के लिए बुलाए गए हैं। ख़ुदा हमारा बाप और ख़ुदावंद ईसा मसीह आपको फ़ज़ल और सलामती अता करें। | |
Roma | UrduGeoD | 1:8 | अव्वल, मैं आप सबके लिए ईसा मसीह के वसीले से अपने ख़ुदा का शुक्र करता हूँ, क्योंकि पूरी दुनिया में आपके ईमान का चर्चा हो रहा है। | |
Roma | UrduGeoD | 1:9 | ख़ुदा ही मेरा गवाह है जिसकी ख़िदमत मैं अपनी रूह में करता हूँ जब मैं उसके फ़रज़ंद के बारे में ख़ुशख़बरी फैलाता हूँ, मैं लगातार आपको याद करता रहता हूँ | |
Roma | UrduGeoD | 1:10 | और हर वक़्त अपनी दुआओं में मिन्नत करता हूँ कि अल्लाह मुझे आख़िरकार आपके पास आने की कामयाबी अता करे। | |
Roma | UrduGeoD | 1:11 | क्योंकि मैं आपसे मिलने का आरज़ूमंद हूँ। मैं चाहता हूँ कि मेरे ज़रीए आपको कुछ रूहानी बरकत मिल जाए और यों आप मज़बूत हो जाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 1:12 | यानी आने का मक़सद यह है कि मेरे ईमान से आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई की जाए और इसी तरह आपके ईमान से मेरा हौसला भी बढ़ जाए। | |
Roma | UrduGeoD | 1:13 | भाइयो, आपके इल्म में हो कि मैंने बहुत दफ़ा आपके पास आने का इरादा किया। क्योंकि जिस तरह दीगर ग़ैरयहूदी अक़वाम में मेरी ख़िदमत से फल पैदा हुआ है उसी तरह आपमें भी फल देखना चाहता हूँ। लेकिन आज तक मुझे रोका गया है। | |
Roma | UrduGeoD | 1:14 | बात यह है कि यह ख़िदमत सरंजाम देना मेरा फ़र्ज़ है, ख़ाह यूनानियों में हो या ग़ैरयूनानियों में, ख़ाह दानाओं में हो या नादानों में। | |
Roma | UrduGeoD | 1:15 | यही वजह है कि मैं आपको भी जो रोम में रहते हैं अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाने का मुश्ताक़ हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 1:16 | मैं तो ख़ुशख़बरी के सबब से शर्माता नहीं, क्योंकि यह अल्लाह की क़ुदरत है जो हर एक को जो ईमान लाता है नजात देती है, पहले यहूदियों को, फिर ग़ैरयहूदियों को। | |
Roma | UrduGeoD | 1:17 | क्योंकि इस ख़ुशख़बरी में अल्लाह की ही रास्तबाज़ी ज़ाहिर होती है, वह रास्तबाज़ी जो शुरू से आख़िर तक ईमान पर मबनी है। यही बात कलामे-मुक़द्दस में दर्ज है जब लिखा है, “रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 1:18 | लेकिन अल्लाह का ग़ज़ब आसमान पर से उन तमाम बेदीन और नारास्त लोगों पर नाज़िल होता है जो सच्चाई को अपनी नारास्ती से दबाए रखते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 1:19 | जो कुछ अल्लाह के बारे में मालूम हो सकता है वह तो उन पर ज़ाहिर है, हाँ अल्लाह ने ख़ुद यह उन पर ज़ाहिर किया है। | |
Roma | UrduGeoD | 1:20 | क्योंकि दुनिया की तख़लीक़ से लेकर आज तक इनसान अल्लाह की अनदेखी फ़ितरत यानी उस की अज़ली क़ुदरत और उलूहियत मख़लूक़ात का मुशाहदा करने से पहचान सकता है। इसलिए उनके पास कोई उज़्र नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 1:21 | अल्लाह को जानने के बावुजूद उन्होंने उसे वह जलाल न दिया जो उसका हक़ है, न उसका शुक्र अदा किया बल्कि वह बातिल ख़यालात में पड़ गए और उनके बेसमझ दिलों पर तारीकी छा गई। | |
Roma | UrduGeoD | 1:23 | यों उन्होंने ग़ैरफ़ानी ख़ुदा को जलाल देने के बजाए ऐसे बुतों की पूजा की जो फ़ानी इनसान, परिंदों, चौपाइयों और रेंगनेवाले जानवरों की सूरत में बनाए गए थे। | |
Roma | UrduGeoD | 1:24 | इसलिए अल्लाह ने उन्हें उन नजिस कामों में छोड़ दिया जो उनके दिल करना चाहते थे। नतीजे में उनके जिस्म एक दूसरे से बेहुर्मत होते रहे। | |
Roma | UrduGeoD | 1:25 | हाँ, उन्होंने अल्लाह के बारे में सच्चाई को रद्द करके झूट को अपना लिया और मख़लूक़ात की परस्तिश और ख़िदमत की, न कि ख़ालिक़ की, जिसकी तारीफ़ अबद तक होती रहे, आमीन। | |
Roma | UrduGeoD | 1:26 | यही वजह है कि अल्लाह ने उन्हें उनकी शर्मनाक शहवतों में छोड़ दिया। उनकी ख़वातीन ने फ़ितरती जिंसी ताल्लुक़ात के बजाए ग़ैरफ़ितरती ताल्लुक़ात रखे। | |
Roma | UrduGeoD | 1:27 | इसी तरह मर्द ख़वातीन के साथ फ़ितरती ताल्लुक़ात छोड़कर एक दूसरे की शहवत में मस्त हो गए। मर्दों ने मर्दों के साथ बेहया हरकतें करके अपने बदनों में अपनी इस गुमराही का मुनासिब बदला पाया। | |
Roma | UrduGeoD | 1:28 | और चूँकि उन्होंने अल्लाह को जानने से इनकार कर दिया इसलिए उसने उन्हें उनकी मकरूह सोच में छोड़ दिया। और इसलिए वह ऐसी हरकतें करते रहते हैं जो कभी नहीं करनी चाहिएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 1:29 | वह हर तरह की नारास्ती, शर, लालच और बुराई से भरे हुए हैं। वह हसद, ख़ूनरेज़ी, झगड़े, फ़रेब और कीनावरी से लबरेज़ हैं। वह चुग़ली खानेवाले, | |
Roma | UrduGeoD | 1:30 | तोहमत लगानेवाले, अल्लाह से नफ़रत करनेवाले, सरकश, मग़रूर, शेख़ीबाज़, बदी को ईजाद करनेवाले, माँ-बाप के नाफ़रमान, | |
Chapter 2
Roma | UrduGeoD | 2:1 | ऐ इनसान, क्या तू दूसरों को मुजरिम ठहराता है? तू जो कोई भी हो तेरा कोई उज़्र नहीं। क्योंकि तू ख़ुद भी वही कुछ करता है जिसमें तू दूसरों को मुजरिम ठहराता है और यों अपने आपको भी मुजरिम क़रार देता है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:3 | ताहम तू वही कुछ करता है जिसमें तू दूसरों को मुजरिम ठहराता है। क्या तू समझता है कि ख़ुद अल्लाह की अदालत से बच जाएगा? | |
Roma | UrduGeoD | 2:4 | या क्या तू उस की वसी मेहरबानी, तहम्मुल और सब्र को हक़ीर जानता है? क्या तुझे मालूम नहीं कि अल्लाह की मेहरबानी तुझे तौबा तक ले जाना चाहती है? | |
Roma | UrduGeoD | 2:5 | लेकिन तू हटधर्म है, तू तौबा करने के लिए तैयार नहीं और यों अपनी सज़ा में इज़ाफ़ा करता जा रहा है, वह सज़ा जो उस दिन दी जाएगी जब अल्लाह का ग़ज़ब नाज़िल होगा, जब उस की रास्त अदालत ज़ाहिर होगी। | |
Roma | UrduGeoD | 2:7 | कुछ लोग साबितक़दमी से नेक काम करते और जलाल, इज़्ज़त और बक़ा के तालिब रहते हैं। उन्हें अल्लाह अबदी ज़िंदगी अता करेगा। | |
Roma | UrduGeoD | 2:8 | लेकिन कुछ लोग ख़ुदग़रज़ हैं और सच्चाई की नहीं बल्कि नारास्ती की पैरवी करते हैं। उन पर अल्लाह का ग़ज़ब और क़हर नाज़िल होगा। | |
Roma | UrduGeoD | 2:9 | मुसीबत और परेशानी हर उस इनसान पर आएगी जो बुराई करता है, पहले यहूदी पर, फिर यूनानी पर। | |
Roma | UrduGeoD | 2:10 | लेकिन जलाल, इज़्ज़त और सलामती हर उस इनसान को हासिल होगी जो नेकी करता है, पहले यहूदी को, फिर यूनानी को। | |
Roma | UrduGeoD | 2:12 | ग़ैरयहूदियों के पास मूसवी शरीअत नहीं है, इसलिए वह शरीअत के बग़ैर ही गुनाह करके हलाक हो जाते हैं। यहूदियों के पास शरीअत है, लेकिन वह भी नहीं बचेंगे। क्योंकि जब वह गुनाह करते हैं तो शरीअत ही उन्हें मुजरिम ठहराती है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:13 | क्योंकि अल्लाह के नज़दीक यह काफ़ी नहीं कि हम शरीअत की बातें सुनें बल्कि वह हमें उस वक़्त ही रास्तबाज़ क़रार देता है जब शरीअत पर अमल भी करते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 2:14 | और गो ग़ैरयहूदियों के पास शरीअत नहीं होती लेकिन जब भी वह फ़ितरती तौर पर वह कुछ करते हैं जो शरीअत फ़रमाती है तो ज़ाहिर करते हैं कि गो हमारे पास शरीअत नहीं तो भी हम अपने आपके लिए ख़ुद शरीअत हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 2:15 | इसमें वह साबित करते हैं कि शरीअत के तक़ाज़े उनके दिल पर लिखे हुए हैं। उनका ज़मीर भी इसकी गवाही देता है, क्योंकि उनके ख़यालात कभी एक दूसरे की मज़म्मत और कभी एक दूसरे का दिफ़ा भी करते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 2:16 | ग़रज़, मेरी ख़ुशख़बरी के मुताबिक़ हर एक को उस दिन अपना अज्र मिलेगा जब अल्लाह ईसा मसीह की मारिफ़त इनसानों की पोशीदा बातों की अदालत करेगा। | |
Roma | UrduGeoD | 2:17 | अच्छा, तू अपने आपको यहूदी कहता है। तू शरीअत पर इनहिसार करता और अल्लाह के साथ अपने ताल्लुक़ पर फ़ख़र करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:18 | तू उस की मरज़ी को जानता है और शरीअत की तालीम पाने के बाइस सहीह राह की पहचान रखता है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:20 | बेसमझों का मुअल्लिम और बच्चों का उस्ताद हूँ।’ एक लिहाज़ से यह दुरुस्त भी है, क्योंकि शरीअत की सूरत में तेरे पास इल्मो-इरफ़ान और सच्चाई मौजूद है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:21 | अब बता, तू जो औरों को सिखाता है अपने आपको क्यों नहीं सिखाता? तू जो चोरी न करने की मुनादी करता है, ख़ुद चोरी क्यों करता है? | |
Roma | UrduGeoD | 2:22 | तू जो औरों को ज़िना करने से मना करता है, ख़ुद ज़िना क्यों करता है? तू जो बुतों से घिन खाता है, ख़ुद मंदिरों को क्यों लूटता है? | |
Roma | UrduGeoD | 2:23 | तू जो शरीअत पर फ़ख़र करता है, क्यों इसकी ख़िलाफ़वरज़ी करके अल्लाह की बेइज़्ज़ती करता है? | |
Roma | UrduGeoD | 2:24 | यह वही बात है जो कलामे-मुक़द्दस में लिखी है, “तुम्हारे सबब से ग़ैरयहूदियों में अल्लाह के नाम पर कुफ़र बका जाता है।” | |
Roma | UrduGeoD | 2:25 | ख़तने का फ़ायदा तो उस वक़्त होता है जब तू शरीअत पर अमल करता है। लेकिन अगर तू उस की हुक्मअदूली करता है तो तू नामख़तून जैसा है। | |
Roma | UrduGeoD | 2:26 | इसके बरअक्स अगर नामख़तून ग़ैरयहूदी शरीअत के तक़ाज़ों को पूरा करता है तो क्या अल्लाह उसे मख़तून यहूदी के बराबर नहीं ठहराएगा? | |
Roma | UrduGeoD | 2:27 | चुनाँचे जो नामख़तून ग़ैरयहूदी शरीअत पर अमल करते हैं वह आप यहूदियों को मुजरिम ठहराएँगे जिनका ख़तना हुआ है और जिनके पास शरीअत है, क्योंकि आप शरीअत पर अमल नहीं करते। | |
Roma | UrduGeoD | 2:28 | आप इस बिना पर हक़ीक़ी यहूदी नहीं हैं कि आपके वालिदैन यहूदी थे या आपके बदन का ख़तना ज़ाहिरी तौर पर हुआ है। | |
Chapter 3
Roma | UrduGeoD | 3:3 | अगर उनमें से बाज़ बेवफ़ा निकले तो क्या हुआ? क्या इससे अल्लाह की वफ़ादारी भी ख़त्म हो जाएगी? | |
Roma | UrduGeoD | 3:4 | कभी नहीं! लाज़िम है कि अल्लाह सच्चा ठहरे गो हर इनसान झूटा है। यों कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “लाज़िम है कि तू बोलते वक़्त रास्त ठहरे और अदालत करते वक़्त ग़ालिब आए।” | |
Roma | UrduGeoD | 3:5 | कोई कह सकता है, “हमारी नारास्ती का एक अच्छा मक़सद होता है, क्योंकि इससे लोगों पर अल्लाह की रास्ती ज़ाहिर होती है। तो क्या अल्लाह बेइनसाफ़ नहीं होगा अगर वह अपना ग़ज़ब हम पर नाज़िल करे?” (मैं इनसानी ख़याल पेश कर रहा हूँ)। | |
Roma | UrduGeoD | 3:7 | शायद कोई और एतराज़ करे, “अगर मेरा झूट अल्लाह की सच्चाई को कसरत से नुमायाँ करता है और यों उसका जलाल बढ़ता है तो वह मुझे क्योंकर गुनाहगार क़रार दे सकता है?” | |
Roma | UrduGeoD | 3:8 | कुछ लोग हम पर यह कुफ़र भी बकते हैं कि हम कहते हैं, “आओ, हम बुराई करें ताकि भलाई निकले।” इनसाफ़ का तक़ाज़ा है कि ऐसे लोगों को मुजरिम ठहराया जाए। | |
Roma | UrduGeoD | 3:9 | अब हम क्या कहें? क्या हम यहूदी दूसरों से बरतर हैं? बिलकुल नहीं। हम तो पहले ही यह इलज़ाम लगा चुके हैं कि यहूदी और यूनानी सब ही गुनाह के क़ब्ज़े में हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 3:12 | अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 3:13 | उनका गला खुली क़ब्र है, उनकी ज़बान फ़रेब देती है। उनके होंटों में साँप का ज़हर है। | |
Roma | UrduGeoD | 3:19 | अब हम जानते हैं कि शरीअत जो कुछ फ़रमाती है उन्हें फ़रमाती है जिनके सुपुर्द वह की गई है। मक़सद यह है कि हर इनसान के बहाने ख़त्म किए जाएँ और तमाम दुनिया अल्लाह के सामने मुजरिम ठहरे। | |
Roma | UrduGeoD | 3:20 | क्योंकि शरीअत के तक़ाज़े पूरे करने से कोई भी उसके सामने रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता, बल्कि शरीअत का काम यह है कि हमारे अंदर गुनाहगार होने का एहसास पैदा करे। | |
Roma | UrduGeoD | 3:21 | लेकिन अब अल्लाह ने हम पर एक राह का इनकिशाफ़ किया है जिससे हम शरीअत के बग़ैर ही उसके सामने रास्तबाज़ ठहर सकते हैं। तौरेत और नबियों के सहीफ़े भी इसकी तसदीक़ करते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 3:22 | राह यह है कि जब हम ईसा मसीह पर ईमान लाते हैं तो अल्लाह हमें रास्तबाज़ क़रार देता है। और यह राह सबके लिए है। क्योंकि कोई भी फ़रक़ नहीं, | |
Roma | UrduGeoD | 3:24 | और सब मुफ़्त में अल्लाह के फ़ज़ल ही से रास्तबाज़ ठहराए जाते हैं, उस फ़िदिये के वसीले से जो मसीह ईसा ने दिया। | |
Roma | UrduGeoD | 3:25 | क्योंकि अल्लाह ने ईसा को उसके ख़ून के बाइस कफ़्फ़ारा का वसीला बनाकर पेश किया, ऐसा कफ़्फ़ारा जिससे ईमान लानेवालों को गुनाहों की मुआफ़ी मिलती है। यों अल्लाह ने अपनी रास्ती ज़ाहिर की, पहले माज़ी में जब वह अपने सब्रो-तहम्मुल में गुनाहों की सज़ा देने से बाज़ रहा | |
Roma | UrduGeoD | 3:26 | और अब मौजूदा ज़माने में भी। इससे वह ज़ाहिर करता है कि वह रास्त है और हर एक को रास्तबाज़ ठहराता है जो ईसा पर ईमान लाया है। | |
Roma | UrduGeoD | 3:27 | अब हमारा फ़ख़र कहाँ रहा? उसे तो ख़त्म कर दिया गया है। किस शरीअत से? क्या आमाल की शरीअत से? नहीं, बल्कि ईमान की शरीअत से। | |
Roma | UrduGeoD | 3:29 | क्या अल्लाह सिर्फ़ यहूदियों का ख़ुदा है? ग़ैरयहूदियों का नहीं? हाँ, ग़ैरयहूदियों का भी है। | |
Roma | UrduGeoD | 3:30 | क्योंकि अल्लाह एक ही है जो मख़तून और नामख़तून दोनों को ईमान ही से रास्तबाज़ ठहराएगा। | |
Chapter 4
Roma | UrduGeoD | 4:1 | इब्राहीम जिस्मानी लिहाज़ से हमारा बाप था। तो रास्तबाज़ ठहरने के सिलसिले में उसका क्या तजरबा था? | |
Roma | UrduGeoD | 4:2 | हम कह सकते हैं कि अगर वह शरीअत पर अमल करने से रास्तबाज़ ठहरता तो वह अपने आप पर फ़ख़र कर सकता था। लेकिन अल्लाह के नज़दीक उसके पास अपने आप पर फ़ख़र करने का कोई सबब न था। | |
Roma | UrduGeoD | 4:3 | क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “इब्राहीम ने अल्लाह पर भरोसा रखा। इस बिना पर अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया।” | |
Roma | UrduGeoD | 4:4 | जब लोग काम करते हैं तो उनकी मज़दूरी कोई ख़ास मेहरबानी क़रार नहीं दी जाती, बल्कि यह तो उनका हक़ बनता है। | |
Roma | UrduGeoD | 4:5 | लेकिन जब लोग काम नहीं करते बल्कि अल्लाह पर ईमान रखते हैं जो बेदीनों को रास्तबाज़ क़रार देता है तो उनका कोई हक़ नहीं बनता। वह उनके ईमान ही की बिना पर रास्तबाज़ क़रार दिए जाते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 4:6 | दाऊद यही बात बयान करता है जब वह उस शख़्स को मुबारक कहता है जिसे अल्लाह बग़ैर आमाल के रास्तबाज़ ठहराता है, | |
Roma | UrduGeoD | 4:9 | क्या यह मुबारकबादी सिर्फ़ मख़तूनों के लिए है या नामख़तूनों के लिए भी? हम तो बयान कर चुके हैं कि इब्राहीम ईमान की बिना पर रास्तबाज़ ठहरा। | |
Roma | UrduGeoD | 4:10 | उसे किस हालत में रास्तबाज़ ठहराया गया? ख़तना कराने के बाद या पहले? ख़तने के बाद नहीं बल्कि पहले। | |
Roma | UrduGeoD | 4:11 | और ख़तना का जो निशान उसे मिला वह उस की रास्तबाज़ी की मुहर थी, वह रास्तबाज़ी जो उसे ख़तना कराने से पेशतर मिली, उस वक़्त जब वह ईमान लाया। यों वह उन सबका बाप है जो बग़ैर ख़तना कराए ईमान लाए हैं और इस बिना पर रास्तबाज़ ठहरते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 4:12 | साथ ही वह ख़तना करानेवालों का बाप भी है, लेकिन उनका जिनका न सिर्फ़ ख़तना हुआ है बल्कि जो हमारे बाप इब्राहीम के उस ईमान के नक़्शे-क़दम पर चलते हैं जो वह ख़तना कराने से पेशतर रखता था। | |
Roma | UrduGeoD | 4:13 | जब अल्लाह ने इब्राहीम और उस की औलाद से वादा किया कि वह दुनिया का वारिस होगा तो उसने यह इसलिए नहीं किया कि इब्राहीम ने शरीअत की पैरवी की बल्कि इसलिए कि वह ईमान लाया और यों रास्तबाज़ ठहराया गया। | |
Roma | UrduGeoD | 4:14 | क्योंकि अगर वह वारिस हैं जो शरीअत के पैरोकार हैं तो फिर ईमान बेअसर ठहरा और अल्लाह का वादा मिट गया। | |
Roma | UrduGeoD | 4:15 | शरीअत अल्लाह का ग़ज़ब ही पैदा करती है। लेकिन जहाँ कोई शरीअत नहीं वहाँ उस की ख़िलाफ़वरज़ी भी नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 4:16 | चुनाँचे यह मीरास ईमान से मिलती है ताकि इसकी बुनियाद अल्लाह का फ़ज़ल हो और इसका वादा इब्राहीम की तमाम नसल के लिए हो, न सिर्फ़ शरीअत के पैरोकारों के लिए बल्कि उनके लिए भी जो इब्राहीम का-सा ईमान रखते हैं। यही हम सबका बाप है। | |
Roma | UrduGeoD | 4:17 | यों अल्लाह कलामे-मुक़द्दस में उससे वादा करता है, “मैंने तुझे बहुत क़ौमों का बाप बना दिया है।” अल्लाह ही के नज़दीक इब्राहीम हम सबका बाप है। क्योंकि उसका ईमान उस ख़ुदा पर था जो मुरदों को ज़िंदा करता और जिसके हुक्म पर वह कुछ पैदा होता है जो पहले नहीं था। | |
Roma | UrduGeoD | 4:18 | उम्मीद की कोई किरण दिखाई नहीं देती थी, फिर भी इब्राहीम उम्मीद के साथ ईमान रखता रहा कि मैं ज़रूर बहुत क़ौमों का बाप बनूँगा। और आख़िरकार ऐसा ही हुआ, जैसा कलामे-मुक़द्दस में वादा किया गया था कि “तेरी औलाद इतनी ही बेशुमार होगी।” | |
Roma | UrduGeoD | 4:19 | और इब्राहीम का ईमान कमज़ोर न पड़ा, हालाँकि उसे मालूम था कि मैं तक़रीबन सौ साल का हूँ और मेरा और सारा के बदन गोया मुरदा हैं, अब बच्चे पैदा करने की उम्र सारा के लिए गुज़र चुकी है। | |
Roma | UrduGeoD | 4:20 | तो भी इब्राहीम का ईमान ख़त्म न हुआ, न उसने अल्लाह के वादे पर शक किया बल्कि ईमान में वह मज़ीद मज़बूत हुआ और अल्लाह को जलाल देता रहा। | |
Roma | UrduGeoD | 4:23 | कलामे-मुक़द्दस में यह बात कि अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार दिया न सिर्फ़ उस की ख़ातिर लिखी गई | |
Roma | UrduGeoD | 4:24 | बल्कि हमारी ख़ातिर भी। क्योंकि अल्लाह हमें भी रास्तबाज़ क़रार देगा अगर हम उस पर ईमान रखें जिसने हमारे ख़ुदावंद ईसा को मुरदों में से ज़िंदा किया। | |
Chapter 5
Roma | UrduGeoD | 5:1 | अब चूँकि हमें ईमान से रास्तबाज़ क़रार दिया गया है इसलिए अल्लाह के साथ हमारी सुलह है। इस सुलह का वसीला हमारा ख़ुदावंद ईसा मसीह है। | |
Roma | UrduGeoD | 5:2 | हमारे ईमान लाने पर उसने हमें फ़ज़ल के उस मक़ाम तक पहुँचाया जहाँ हम आज क़ायम हैं। और यों हम इस उम्मीद पर फ़ख़र करते हैं कि हम अल्लाह के जलाल में शरीक होंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:3 | न सिर्फ़ यह बल्कि हम उस वक़्त भी फ़ख़र करते हैं जब हम मुसीबतों में फँसे होते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि मुसीबत से साबितक़दमी पैदा होती है, | |
Roma | UrduGeoD | 5:5 | और उम्मीद हमें शरमिंदा होने नहीं देती, क्योंकि अल्लाह ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर उसके वसीले से हमारे दिलों में अपनी मुहब्बत उंडेली है। | |
Roma | UrduGeoD | 5:7 | मुश्किल से ही कोई किसी रास्तबाज़ की ख़ातिर अपनी जान देगा। हाँ, मुमकिन है कि कोई किसी नेकोकार के लिए अपनी जान देने की जुर्रत करे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:8 | लेकिन अल्लाह ने हमसे अपनी मुहब्बत का इज़हार यों किया कि मसीह ने उस वक़्त हमारी ख़ातिर अपनी जान दी जब हम गुनाहगार ही थे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:9 | हमें मसीह के ख़ून से रास्तबाज़ ठहराया गया है। तो यह बात कितनी यक़ीनी है कि हम उसके वसीले से अल्लाह के ग़ज़ब से बचेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:10 | हम अभी अल्लाह के दुश्मन ही थे जब उसके फ़रज़ंद की मौत के वसीले से हमारी उसके साथ सुलह हो गई। तो फिर यह बात कितनी यक़ीनी है कि हम उस की ज़िंदगी के वसीले से नजात भी पाएँगे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:11 | न सिर्फ़ यह बल्कि अब हम अल्लाह पर फ़ख़र करते हैं और यह हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से है, जिसने हमारी सुलह कराई है। | |
Roma | UrduGeoD | 5:12 | जब आदम ने गुनाह किया तो उस एक ही शख़्स से गुनाह दुनिया में आया। इस गुनाह के साथ साथ मौत भी आकर सब आदमियों में फैल गई, क्योंकि सबने गुनाह किया। | |
Roma | UrduGeoD | 5:13 | शरीअत के इनकिशाफ़ से पहले गुनाह तो दुनिया में था, लेकिन जहाँ शरीअत नहीं होती वहाँ गुनाह का हिसाब नहीं किया जाता। | |
Roma | UrduGeoD | 5:14 | ताहम आदम से लेकर मूसा तक मौत की हुकूमत जारी रही, उन पर भी जिन्होंने आदम की-सी हुक्मअदूली न की। अब आदम आनेवाले ईसा मसीह की तरफ़ इशारा था। | |
Roma | UrduGeoD | 5:15 | लेकिन इन दोनों में बड़ा फ़रक़ है। जो नेमत अल्लाह मुफ़्त में देता है वह आदम के गुनाह से मुताबिक़त नहीं रखती। क्योंकि इस एक शख़्स आदम की ख़िलाफ़वरज़ी से बहुत-से लोग मौत की ज़द में आ गए, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल कहीं ज़्यादा मुअस्सिर है, वह मुफ़्त नेमत जो बहुतों को उस एक शख़्स ईसा मसीह में मिली है। | |
Roma | UrduGeoD | 5:16 | हाँ, अल्लाह की इस नेमत और आदम के गुनाह में बहुत फ़रक़ है। उस एक शख़्स आदम के गुनाह के नतीजे में हमें तो मुजरिम क़रार दिया गया, लेकिन अल्लाह की मुफ़्त नेमत का असर यह है कि हमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाता है, गो हमसे बेशुमार गुनाह सरज़द हुए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 5:17 | इस एक शख़्स आदम के गुनाह के नतीजे में मौत सब पर हुकूमत करने लगी। लेकिन इस एक शख़्स ईसा मसीह का काम कितना ज़्यादा मुअस्सिर था। जितने भी अल्लाह का वाफ़िर फ़ज़ल और रास्तबाज़ी की नेमत पाते हैं वह मसीह के वसीले से अबदी ज़िंदगी में हुकूमत करेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:18 | चुनाँचे जिस तरह एक ही शख़्स के गुनाह के बाइस सब लोग मुजरिम ठहरे उसी तरह एक ही शख़्स के रास्त अमल से वह दरवाज़ा खुल गया जिसमें दाख़िल होकर सब लोग रास्तबाज़ ठहर सकते और ज़िंदगी पा सकते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 5:19 | जिस तरह एक ही शख़्स की नाफ़रमानी से बहुत-से लोग गुनाहगार बन गए, उसी तरह एक ही शख़्स की फ़रमाँबरदारी से बहुत-से लोग रास्तबाज़ बन जाएंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 5:20 | शरीअत इसलिए दरमियान में आ गई कि ख़िलाफ़वरज़ी बढ़ जाए। लेकिन जहाँ गुनाह ज़्यादा हुआ वहाँ अल्लाह का फ़ज़ल इससे भी ज़्यादा हो गया। | |
Chapter 6
Roma | UrduGeoD | 6:2 | हरगिज़ नहीं! हम तो मरकर गुनाह से लाताल्लुक़ हो गए हैं। तो फिर हम किस तरह गुनाह को अपने आप पर हुकूमत करने दे सकते हैं? | |
Roma | UrduGeoD | 6:3 | या क्या आपको मालूम नहीं कि हम सब जिन्हें बपतिस्मा दिया गया है इससे मसीह ईसा की मौत में शामिल हो गए हैं? | |
Roma | UrduGeoD | 6:4 | क्योंकि बपतिस्मे से हमें दफ़नाया गया और उस की मौत में शामिल किया गया ताकि हम मसीह की तरह नई ज़िंदगी गुज़ारें, जिसे बाप की जलाली क़ुदरत ने मुरदों में से ज़िंदा किया। | |
Roma | UrduGeoD | 6:5 | चूँकि इस तरह हम उस की मौत में उसके साथ पैवस्त हो गए हैं इसलिए हम उसके जी उठने में भी उसके साथ पैवस्त होंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 6:6 | क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना इनसान मसीह के साथ मसलूब हो गया ताकि गुनाह के क़ब्ज़े में यह जिस्म नेस्त हो जाए और यों हम गुनाह के ग़ुलाम न रहें। | |
Roma | UrduGeoD | 6:8 | और हमारा ईमान है कि चूँकि हम मसीह के साथ मर गए हैं इसलिए हम उसके साथ ज़िंदा भी होंगे, | |
Roma | UrduGeoD | 6:9 | क्योंकि हम जानते हैं कि मसीह मुरदों में से जी उठा है और अब कभी नहीं मरेगा। अब मौत का उस पर कोई इख़्तियार नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 6:10 | मरते वक़्त वह हमेशा के लिए गुनाह की हुकूमत से निकल गया, और अब जब वह दुबारा ज़िंदा है तो उस की ज़िंदगी अल्लाह के लिए मख़सूस है। | |
Roma | UrduGeoD | 6:11 | आप भी अपने आपको ऐसा समझें। आप भी मरकर गुनाह की हुकूमत से निकल गए हैं और अब आपकी मसीह में ज़िंदगी अल्लाह के लिए मख़सूस है। | |
Roma | UrduGeoD | 6:12 | चुनाँचे गुनाह आपके फ़ानी बदन में हुकूमत न करे। ध्यान दें कि आप उस की बुरी ख़ाहिशात के ताबे न हो जाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 6:13 | अपने बदन के किसी भी अज़ु को गुनाह की ख़िदमत के लिए पेश न करें, न उसे नारास्ती का हथियार बनने दें। इसके बजाए अपने आपको अल्लाह की ख़िदमत के लिए पेश करें। क्योंकि पहले आप मुरदा थे, लेकिन अब आप ज़िंदा हो गए हैं। चुनाँचे अपने तमाम आज़ा को अल्लाह की ख़िदमत के लिए पेश करें और उन्हें रास्ती के हथियार बनने दें। | |
Roma | UrduGeoD | 6:14 | आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत। | |
Roma | UrduGeoD | 6:15 | अब सवाल यह है, चूँकि हम शरीअत के तहत नहीं बल्कि फ़ज़ल के तहत हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि हमें गुनाह करने के लिए खुला छोड़ दिया गया है? हरगिज़ नहीं! | |
Roma | UrduGeoD | 6:16 | क्या आपको मालूम नहीं कि जब आप अपने आपको किसी के ताबे करके उसके ग़ुलाम बन जाते हैं तो आप उस मालिक के ग़ुलाम हैं जिसके ताबे आप हैं? या तो गुनाह आपका मालिक बनकर आपको मौत तक ले जाएगा, या फ़रमाँबरदारी आपकी मालिकन बनकर आपको रास्तबाज़ी तक ले जाएगी। | |
Roma | UrduGeoD | 6:17 | दर-हक़ीक़त आप पहले गुनाह के ग़ुलाम थे, लेकिन ख़ुदा का शुक्र है कि अब आप पूरे दिल से उसी तालीम के ताबे हो गए हैं जो आपके सुपुर्द की गई है। | |
Roma | UrduGeoD | 6:19 | (आपकी फ़ितरती कमज़ोरी की वजह से मैं ग़ुलामी की यह मिसाल दे रहा हूँ ताकि आप मेरी बात समझ पाएँ।) पहले आपने अपने आज़ा को नजासत और बेदीनी की ग़ुलामी में दे रखा था जिसके नतीजे में आपकी बेदीनी बढ़ती गई। लेकिन अब आप अपने आज़ा को रास्तबाज़ी की ग़ुलामी में दे दें ताकि आप मुक़द्दस बन जाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 6:21 | और इसका नतीजा क्या था? जो कुछ आपने उस वक़्त किया उससे आपको आज शर्म आती है और उसका अंजाम मौत है। | |
Roma | UrduGeoD | 6:22 | लेकिन अब आप गुनाह की ग़ुलामी से आज़ाद होकर अल्लाह के ग़ुलाम बन गए हैं, जिसके नतीजे में आप मख़सूसो-मुक़द्दस बन जाते हैं और जिसका अंजाम अबदी ज़िंदगी है। | |
Chapter 7
Roma | UrduGeoD | 7:1 | भाइयो, आप तो शरीअत से वाक़िफ़ हैं। तो क्या आप नहीं जानते कि शरीअत उस वक़्त तक इनसान पर इख़्तियार रखती है जब तक वह ज़िंदा है? | |
Roma | UrduGeoD | 7:2 | शादी की मिसाल लें। जब किसी औरत की शादी होती है तो शरीअत उसका शौहर के साथ बंधन उस वक़्त तक क़ायम रखती है जब तक शौहर ज़िंदा है। अगर शौहर मर जाए तो फिर वह इस बंधन से आज़ाद हो गई। | |
Roma | UrduGeoD | 7:3 | चुनाँचे अगर वह अपने ख़ाविंद के जीते-जी किसी और मर्द की बीवी बन जाए तो उसे ज़िनाकार क़रार दिया जाता है। लेकिन अगर उसका शौहर मर जाए तो वह शरीअत से आज़ाद हुई। अब वह किसी दूसरे मर्द की बीवी बने तो ज़िनाकार नहीं ठहरती। | |
Roma | UrduGeoD | 7:4 | मेरे भाइयो, यह बात आप पर भी सादिक़ आती है। जब आप मसीह के बदन का हिस्सा बन गए तो आप मरकर शरीअत के इख़्तियार से आज़ाद हो गए। अब आप उसके साथ पैवस्त हो गए हैं जिसे मुरदों में से ज़िंदा किया गया ताकि हम अल्लाह की ख़िदमत में फल लाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 7:5 | क्योंकि जब हम अपनी पुरानी फ़ितरत के तहत ज़िंदगी गुज़ारते थे तो शरीअत हमारी गुनाहआलूदा रग़बतों को उकसाती थी। फिर यही रग़बतें हमारे आज़ा पर असरअंदाज़ होती थीं और नतीजे में हम ऐसा फल लाते थे जिसका अंजाम मौत है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:6 | लेकिन अब हम मरकर शरीअत के बंधन से आज़ाद हो गए हैं। अब हम शरीअत की पुरानी ज़िंदगी के तहत ख़िदमत नहीं करते बल्कि रूहुल-क़ुद्स की नई ज़िंदगी के तहत। | |
Roma | UrduGeoD | 7:7 | क्या इसका मतलब यह है कि शरीअत ख़ुद गुनाह है? हरगिज़ नहीं! बात तो यह है कि अगर शरीअत मुझ पर मेरे गुनाह ज़ाहिर न करती तो मुझे इनका कुछ पता न चलता। मसलन अगर शरीअत न बताती, “लालच न करना” तो मुझे दर-हक़ीक़त मालूम न होता कि लालच क्या है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:8 | लेकिन गुनाह ने इस हुक्म से फ़ायदा उठाकर मुझमें हर तरह का लालच पैदा कर दिया। इसके बरअक्स जहाँ शरीअत नहीं होती वहाँ गुनाह मुरदा है और ऐसा काम नहीं कर पाता। | |
Roma | UrduGeoD | 7:9 | एक वक़्त था जब मैं शरीअत के बग़ैर ज़िंदगी गुज़ारता था। लेकिन ज्योंही हुक्म मेरे सामने आया तो गुनाह में जान आ गई | |
Roma | UrduGeoD | 7:10 | और मैं मर गया। इस तरह मालूम हुआ कि जिस हुक्म का मक़सद मेरी ज़िंदगी को क़ायम रखना था वही मेरी मौत का बाइस बन गया। | |
Roma | UrduGeoD | 7:13 | क्या इसका मतलब यह है कि जो अच्छा है वही मेरे लिए मौत का बाइस बन गया? हरगिज़ नहीं! गुनाह ही ने यह किया। इस अच्छी चीज़ को इस्तेमाल करके उसने मेरे लिए मौत पैदा कर दी ताकि गुनाह ज़ाहिर हो जाए। यों हुक्म के ज़रीए गुनाह की संजीदगी हद से ज़्यादा बढ़ जाती है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:14 | हम जानते हैं कि शरीअत रूहानी है। लेकिन मेरी फ़ितरत इनसानी है, मुझे गुनाह की ग़ुलामी में बेचा गया है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:15 | दर-हक़ीक़त मैं नहीं समझता कि क्या करता हूँ। क्योंकि मैं वह काम नहीं करता जो करना चाहता हूँ बल्कि वह जिससे मुझे नफ़रत है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:16 | लेकिन अगर मैं वह करता हूँ जो नहीं करना चाहता तो ज़ाहिर है कि मैं मुत्तफ़िक़ हूँ कि शरीअत अच्छी है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:17 | और अगर ऐसा है तो फिर मैं यह काम ख़ुद नहीं कर रहा बल्कि गुनाह जो मेरे अंदर सुकूनत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:18 | मुझे मालूम है कि मेरे अंदर यानी मेरी पुरानी फ़ितरत में कोई अच्छी चीज़ नहीं बसती। अगरचे मुझमें नेक काम करने का इरादा तो मौजूद है लेकिन मैं उसे अमली जामा नहीं पहना सकता। | |
Roma | UrduGeoD | 7:19 | जो नेक काम मैं करना चाहता हूँ वह नहीं करता बल्कि वह बुरा काम करता हूँ जो करना नहीं चाहता। | |
Roma | UrduGeoD | 7:20 | अब अगर मैं वह काम करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता तो इसका मतलब है कि मैं ख़ुद नहीं कर रहा बल्कि वह गुनाह जो मेरे अंदर बसता है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:21 | चुनाँचे मुझे एक और तरह की शरीअत काम करती हुई नज़र आती है, और वह यह है कि जब मैं नेक काम करने का इरादा रखता हूँ तो बुराई आ मौजूद होती है। | |
Roma | UrduGeoD | 7:23 | लेकिन मुझे अपने आज़ा में एक और तरह की शरीअत दिखाई देती है, ऐसी शरीअत जो मेरी समझ की शरीअत के ख़िलाफ़ लड़कर मुझे गुनाह की शरीअत का क़ैदी बना देती है, उस शरीअत का जो मेरे आज़ा में मौजूद है। | |
Chapter 8
Roma | UrduGeoD | 8:2 | क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:3 | मूसवी शरीअत हमारी पुरानी फ़ितरत की कमज़ोर हालत की वजह से हमें न बचा सकी। इसलिए अल्लाह ने वह कुछ किया जो शरीअत के बस में न था। उसने अपना फ़रज़ंद भेज दिया ताकि वह गुनाहगार का-सा जिस्म इख़्तियार करके हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे। इस तरह अल्लाह ने पुरानी फ़ितरत में मौजूद गुनाह को मुजरिम ठहराया | |
Roma | UrduGeoD | 8:4 | ताकि हममें शरीअत का तक़ाज़ा पूरा हो जाए, हम जो पुरानी फ़ितरत के मुताबिक़ नहीं बल्कि रूह के मुताबिक़ चलते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:5 | जो पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में हैं वह पुरानी सोच रखते हैं जबकि जो रूह के इख़्तियार में हैं वह रूहानी सोच रखते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:6 | पुरानी फ़ितरत की सोच का अंजाम मौत है जबकि रूह की सोच ज़िंदगी और सलामती पैदा करती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:7 | पुरानी फ़ितरत की सोच अल्लाह से दुश्मनी रखती है। यह अपने आपको अल्लाह की शरीअत के ताबे नहीं रखती, न ही ऐसा कर सकती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:9 | लेकिन आप पुरानी फ़ितरत के इख़्तियार में नहीं बल्कि रूह के इख़्तियार में हैं। शर्त यह है कि रूहुल-क़ुद्स आपमें बसा हुआ हो। अगर किसी में मसीह का रूह नहीं तो वह मसीह का नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:10 | लेकिन अगर मसीह आपमें है तो फिर आपका बदन गुनाह की वजह से मुरदा है जबकि रूहुल-क़ुद्स आपको रास्तबाज़ ठहराने की वजह से आपके लिए ज़िंदगी का बाइस है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:11 | उसका रूह आपमें बसता है जिसने ईसा को मुरदों में से ज़िंदा किया। और चूँकि रूहुल-क़ुद्स आपमें बसता है इसलिए अल्लाह इसके ज़रीए आपके फ़ानी बदनों को भी मसीह की तरह ज़िंदा करेगा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:12 | चुनाँचे मेरे भाइयो, हमारी पुरानी फ़ितरत का कोई हक़ न रहा कि हमें अपने मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर करे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:13 | क्योंकि अगर आप अपनी पुरानी फ़ितरत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें तो आप हलाक हो जाएंगे। लेकिन अगर आप रूहुल-क़ुद्स की क़ुव्वत से अपनी पुरानी फ़ितरत के ग़लत कामों को नेस्तो-नाबूद करें तो फिर आप ज़िंदा रहेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:15 | क्योंकि अल्लाह ने जो रूह आपको दिया है उसने आपको ग़ुलाम बनाकर ख़ौफ़ज़दा हालत में नहीं रखा बल्कि आपको अल्लाह के फ़रज़ंद बना दिया है, और उसी के ज़रीए हम पुकारकर अल्लाह को “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कह सकते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:16 | रूहुल-क़ुद्स ख़ुद हमारी रूह के साथ मिलकर गवाही देता है कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:17 | और चूँकि हम उसके फ़रज़ंद हैं इसलिए हम वारिस हैं, अल्लाह के वारिस और मसीह के हममीरास। क्योंकि अगर हम मसीह के दुख में शरीक हों तो उसके जलाल में भी शरीक होंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 8:18 | मेरे ख़याल में हमारा मौजूदा दुख उस आनेवाले जलाल की निसबत कुछ भी नहीं जो हम पर ज़ाहिर होगा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:20 | क्योंकि कायनात अल्लाह की लानत के तहत आकर फ़ानी हो गई है। यह उस की अपनी नहीं बल्कि अल्लाह की मरज़ी थी जिसने उस पर यह लानत भेजी। तो भी यह उम्मीद दिलाई गई | |
Roma | UrduGeoD | 8:21 | कि एक दिन कायनात को ख़ुद उस की फ़ानी हालत की ग़ुलामी से छुड़ाया जाएगा। उस वक़्त वह अल्लाह के फ़रज़ंदों की जलाली आज़ादी में शरीक हो जाएगी। | |
Roma | UrduGeoD | 8:22 | क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक तमाम कायनात कराहती और दर्दे-ज़ह में तड़पती रहती है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:23 | न सिर्फ़ कायनात बल्कि हम ख़ुद भी अंदर ही अंदर कराहते हैं, गो हमें आनेवाले जलाल का पहला फल रूहुल-क़ुद्स की सूरत में मिल चुका है। हम कराहते कराहते शिद्दत से इस इंतज़ार में हैं कि यह बात ज़ाहिर हो जाए कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं और हमारे बदनों को नजात मिले। | |
Roma | UrduGeoD | 8:24 | क्योंकि नजात पाते वक़्त हमें यह उम्मीद दिलाई गई। लेकिन अगर वह कुछ नज़र आ चुका होता जिसकी उम्मीद हम रखते तो यह दर-हक़ीक़त उम्मीद न होती। कौन उस की उम्मीद रखे जो उसे नज़र आ चुका है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:25 | लेकिन चूँकि हम उस की उम्मीद रखते हैं जो अभी नज़र नहीं आया तो लाज़िम है कि हम सब्र से उसका इंतज़ार करें। | |
Roma | UrduGeoD | 8:26 | इसी तरह रूहुल-क़ुद्स भी हमारी कमज़ोर हालत में हमारी मदद करता है, क्योंकि हम नहीं जानते कि किस तरह मुनासिब दुआ माँगें। लेकिन रूहुल-क़ुद्स ख़ुद नाक़ाबिले-बयान आहें भरते हुए हमारी शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:27 | और ख़ुदा बाप जो तमाम दिलों की तहक़ीक़ करता है रूहुल-क़ुद्स की सोच को जानता है, क्योंकि पाक रूह अल्लाह की मरज़ी के मुताबिक़ मुक़द्दसीन की शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:28 | और हम जानते हैं कि जो अल्लाह से मुहब्बत रखते हैं उनके लिए सब कुछ मिलकर भलाई का बाइस बनता है, उनके लिए जो उसके इरादे के मुताबिक़ बुलाए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:29 | क्योंकि अल्लाह ने पहले से अपने लोगों को चुन लिया, उसने पहले से उन्हें इसके लिए मुक़र्रर किया कि वह उसके फ़रज़ंद के हमशक्ल बन जाएँ और यों मसीह बहुत-से भाइयों में पहलौठा हो। | |
Roma | UrduGeoD | 8:30 | लेकिन जिन्हें उसने पहले से मुक़र्रर किया उन्हें उसने बुलाया भी, जिन्हें उसने बुलाया उन्हें उसने रास्तबाज़ भी ठहराया और जिन्हें उसने रास्तबाज़ ठहराया उन्हें उसने जलाल भी बख़्शा। | |
Roma | UrduGeoD | 8:31 | इन तमाम बातों के जवाब में हम क्या कहें? अगर अल्लाह हमारे हक़ में है तो कौन हमारे ख़िलाफ़ हो सकता है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:32 | उसने अपने फ़रज़ंद को भी दरेग़ न किया बल्कि उसे हम सबके लिए दुश्मन के हवाले कर दिया। जिसने हमें अपने फ़रज़ंद को दे दिया क्या वह हमें उसके साथ सब कुछ मुफ़्त नहीं देगा? | |
Roma | UrduGeoD | 8:33 | अब कौन अल्लाह के चुने हुए लोगों पर इलज़ाम लगाएगा जब अल्लाह ख़ुद उन्हें रास्तबाज़ क़रार देता है? | |
Roma | UrduGeoD | 8:34 | कौन हमें मुजरिम ठहराएगा जब मसीह ईसा ने हमारे लिए अपनी जान दी? बल्कि हमारी ख़ातिर इससे भी ज़्यादा हुआ। उसे ज़िंदा किया गया और वह अल्लाह के दहने हाथ बैठ गया, जहाँ वह हमारी शफ़ाअत करता है। | |
Roma | UrduGeoD | 8:35 | ग़रज़ कौन हमें मसीह की मुहब्बत से जुदा करेगा? क्या कोई मुसीबत, तंगी, ईज़ारसानी, काल, नंगापन, ख़तरा या तलवार? | |
Roma | UrduGeoD | 8:36 | जैसे कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “तेरी ख़ातिर हमें दिन-भर मौत का सामना करना पड़ता है, लोग हमें ज़बह होनेवाली भेड़ों के बराबर समझते हैं।” | |
Roma | UrduGeoD | 8:37 | कोई बात नहीं, क्योंकि मसीह हमारे साथ है और हमसे मुहब्बत रखता है। उसके वसीले से हम इन सब ख़तरों के रूबरू ज़बरदस्त फ़तह पाते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 8:38 | क्योंकि मुझे यक़ीन है कि हमें उस की मुहब्बत से कोई चीज़ जुदा नहीं कर सकती : न मौत और न ज़िंदगी, न फ़रिश्ते और न हुक्मरान, न हाल और न मुस्तक़बिल, न ताक़तें, | |
Chapter 9
Roma | UrduGeoD | 9:1 | मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूट नहीं बोलता, और मेरा ज़मीर भी रूहुल-क़ुद्स में इसकी गवाही देता है | |
Roma | UrduGeoD | 9:3 | काश मेरे भाई और ख़ूनी रिश्तेदार नजात पाएँ! इसके लिए मैं ख़ुद मलऊन और मसीह से जुदा होने के लिए भी तैयार हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 9:4 | अल्लाह ने उन्हीं को जो इसराईली हैं अपने फ़रज़ंद बनने के लिए मुक़र्रर किया था। उन्हीं पर उसने अपना जलाल ज़ाहिर किया, उन्हीं के साथ अपने अहद बाँधे और उन्हीं को शरीअत अता की। वही हक़ीक़ी इबादत और अल्लाह के वादों के हक़दार हैं, | |
Roma | UrduGeoD | 9:5 | वही इब्राहीम और याक़ूब की औलाद हैं और उन्हीं में से जिस्मानी लिहाज़ से मसीह आया। अल्लाह की तमजीदो-तारीफ़ अबद तक हो जो सब पर हुकूमत करता है! आमीन। | |
Roma | UrduGeoD | 9:6 | कहने का मतलब यह नहीं कि अल्लाह अपना वादा पूरा न कर सका। बात यह नहीं है बल्कि यह कि वह सब हक़ीक़ी इसराईली नहीं हैं जो इसराईली क़ौम से हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:7 | और सब इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद नहीं हैं जो उस की नसल से हैं। क्योंकि अल्लाह ने कलामे-मुक़द्दस में इब्राहीम से फ़रमाया, “तेरी नसल इसहाक़ ही से क़ायम रहेगी।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:8 | चुनाँचे लाज़िम नहीं कि इब्राहीम की तमाम फ़ितरती औलाद अल्लाह के फ़रज़ंद हों बल्कि सिर्फ़ वही इब्राहीम की हक़ीक़ी औलाद समझे जाते हैं जो अल्लाह के वादे के मुताबिक़ उसके फ़रज़ंद बन गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:10 | लेकिन न सिर्फ़ सारा के साथ ऐसा हुआ बल्कि इसहाक़ की बीवी रिबक़ा के साथ भी। एक ही मर्द यानी हमारे बाप इसहाक़ से उसके जुड़वाँ बच्चे पैदा हुए। | |
Roma | UrduGeoD | 9:11 | लेकिन बच्चे अभी पैदा नहीं हुए थे न उन्होंने कोई नेक या बुरा काम किया था कि माँ को अल्लाह से एक पैग़ाम मिला। इस पैग़ाम से ज़ाहिर होता है कि अल्लाह लोगों को अपने इरादे के मुताबिक़ चुन लेता है। | |
Roma | UrduGeoD | 9:12 | और उसका यह चुनाव उनके नेक आमाल पर मबनी नहीं होता बल्कि उसके बुलावे पर। पैग़ाम यह था, “बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:13 | यह भी कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “याक़ूब मुझे प्यारा था, जबकि एसौ से मैं मुतनफ़्फ़िर रहा।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:15 | क्योंकि उसने मूसा से कहा, “मैं जिस पर मेहरबान होना चाहूँ उस पर मेहरबान होता हूँ और जिस पर रहम करना चाहूँ उस पर रहम करता हूँ।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:16 | चुनाँचे सब कुछ अल्लाह के रहम पर ही मबनी है। इसमें इनसान की मरज़ी या कोशिश का कोई दख़ल नहीं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:17 | यों अल्लाह अपने कलाम में मिसर के बादशाह फ़िरौन से मुख़ातिब होकर फ़रमाता है, “मैंने तुझे इसलिए बरपा किया है कि तुझमें अपनी क़ुदरत का इज़हार करूँ और यों तमाम दुनिया में मेरे नाम का प्रचार किया जाए।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:19 | शायद कोई कहे, “अगर यह बात है तो फिर अल्लाह किस तरह हम पर इलज़ाम लगा सकता है जब हमसे ग़लतियाँ होती हैं? हम तो उस की मरज़ी का मुक़ाबला नहीं कर सकते।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:20 | यह न कहें। आप इनसान होते हुए कौन हैं कि अल्लाह के साथ बहस-मुबाहसा करें? क्या जिसको तश्कील दिया गया है वह तश्कील देनेवाले से कहता है, “तूने मुझे इस तरह क्यों बना दिया?” | |
Roma | UrduGeoD | 9:21 | क्या कुम्हार का हक़ नहीं है कि गारे के एक ही लौंदे से मुख़्तलिफ़ क़िस्म के बरतन बनाए, कुछ बाइज़्ज़त इस्तेमाल के लिए और कुछ ज़िल्लतआमेज़ इस्तेमाल के लिए? | |
Roma | UrduGeoD | 9:22 | यह बात अल्लाह पर भी सादिक़ आती है। गो वह अपना ग़ज़ब नाज़िल करना और अपनी क़ुदरत ज़ाहिर करना चाहता था, लेकिन उसने बड़े सब्रो-तहम्मुल से वह बरतन बरदाश्त किए जिन पर उसका ग़ज़ब आना है और जो हलाकत के लिए तैयार किए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:23 | उसने यह इसलिए किया ताकि अपना जलाल कसरत से उन बरतनों पर ज़ाहिर करे जिन पर उसका फ़ज़ल है और जो पहले से जलाल पाने के लिए तैयार किए गए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 9:24 | और हम उनमें से हैं जिनको उसने चुन लिया है, न सिर्फ़ यहूदियों में से बल्कि ग़ैरयहूदियों में से भी। | |
Roma | UrduGeoD | 9:25 | यों वह ग़ैरयहूदियों के नाते से होसेअ की किताब में फ़रमाता है, “मैं उसे ‘मेरी क़ौम’ कहूँगा जो मेरी क़ौम न थी, और उसे ‘मेरी प्यारी’ कहूँगा जो मुझे प्यारी न थी।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:26 | और “जहाँ उन्हें बताया गया कि ‘तुम मेरी क़ौम नहीं’ वहाँ वह ‘ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद’ कहलाएँगे।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:27 | और यसायाह नबी इसराईल के बारे में पुकारता है, “गो इसराईली साहिल पर की रेत जैसे बेशुमार क्यों न हों तो भी सिर्फ़ एक बचे हुए हिस्से को नजात मिलेगी। | |
Roma | UrduGeoD | 9:29 | यसायाह ने यह बात एक और पेशगोई में भी की, “अगर रब्बुल-अफ़वाज हमारी कुछ औलाद ज़िंदा न छोड़ता तो हम सदूम की तरह मिट जाते, हमारा अमूरा जैसा सत्यानास हो जाता।” | |
Roma | UrduGeoD | 9:30 | इससे हम क्या कहना चाहते हैं? यह कि गो ग़ैरयहूदी रास्तबाज़ी की तलाश में न थे तो भी उन्हें रास्तबाज़ी हासिल हुई, ऐसी रास्तबाज़ी जो ईमान से पैदा हुई। | |
Roma | UrduGeoD | 9:31 | इसके बरअक्स इसराईलियों को यह हासिल न हुई, हालाँकि वह ऐसी शरीअत की तलाश में रहे जो उन्हें रास्तबाज़ ठहराए। | |
Roma | UrduGeoD | 9:32 | इसकी क्या वजह थी? यह कि वह अपनी तमाम कोशिशों में ईमान पर इनहिसार नहीं करते थे बल्कि अपने नेक आमाल पर। उन्होंने राह में पड़े पत्थर से ठोकर खाई। | |
Chapter 10
Roma | UrduGeoD | 10:2 | मैं इसकी तसदीक़ कर सकता हूँ कि वह अल्लाह की ग़ैरत रखते हैं। लेकिन इस ग़ैरत के पीछे रूहानी समझ नहीं होती। | |
Roma | UrduGeoD | 10:3 | वह उस रास्तबाज़ी से नावाक़िफ़ रहे हैं जो अल्लाह की तरफ़ से है। इसकी बजाए वह अपनी ज़ाती रास्तबाज़ी क़ायम करने की कोशिश करते रहे हैं। यों उन्होंने अपने आपको अल्लाह की रास्तबाज़ी के ताबे नहीं किया। | |
Roma | UrduGeoD | 10:4 | क्योंकि मसीह में शरीअत का मक़सद पूरा हो गया, हाँ वह अंजाम तक पहुँच गई है। चुनाँचे जो भी मसीह पर ईमान रखता है वही रास्तबाज़ ठहरता है। | |
Roma | UrduGeoD | 10:5 | मूसा ने उस रास्तबाज़ी के बारे में लिखा जो शरीअत से हासिल होती है, “जो शख़्स यों करेगा वह जीता रहेगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:6 | लेकिन जो रास्तबाज़ी ईमान से हासिल होती है वह कहती है, “अपने दिल में न कहना कि ‘कौन आसमान पर चढ़ेगा?’ (ताकि मसीह को नीचे ले आए)। | |
Roma | UrduGeoD | 10:7 | यह भी न कहना कि ‘कौन पाताल में उतरेगा?’ (ताकि मसीह को मुरदों में से वापस ले आए)।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:8 | तो फिर क्या करना चाहिए? ईमान की रास्तबाज़ी फ़रमाती है, “यह कलाम तेरे क़रीब बल्कि तेरे मुँह और दिल में मौजूद है।” कलाम से मुराद ईमान का वह पैग़ाम है जो हम सुनाते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 10:9 | यानी यह कि अगर तू अपने मुँह से इक़रार करे कि ईसा ख़ुदावंद है और दिल से ईमान लाए कि अल्लाह ने उसे मुरदों में से ज़िंदा कर दिया तो तुझे नजात मिलेगी। | |
Roma | UrduGeoD | 10:10 | क्योंकि जब हम दिल से ईमान लाते हैं तो अल्लाह हमें रास्तबाज़ क़रार देता है, और जब हम अपने मुँह से इक़रार करते हैं तो हमें नजात मिलती है। | |
Roma | UrduGeoD | 10:11 | यों कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “जो भी उस पर ईमान लाए उसे शरमिंदा नहीं किया जाएगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:12 | इसमें कोई फ़रक़ नहीं कि वह यहूदी हो या ग़ैरयहूदी। क्योंकि सबका एक ही ख़ुदावंद है, जो फ़ैयाज़ी से हर एक को देता है जो उसे पुकारता है। | |
Roma | UrduGeoD | 10:14 | लेकिन वह किस तरह उसे पुकार सकेंगे अगर वह उस पर कभी ईमान नहीं लाए? और वह किस तरह उस पर ईमान ला सकते हैं अगर उन्होंने कभी उसके बारे में सुना नहीं? और वह किस तरह उसके बारे में सुन सकते हैं अगर किसी ने उन्हें यह पैग़ाम सुनाया नहीं? | |
Roma | UrduGeoD | 10:15 | और सुनानेवाले किस तरह दूसरों के पास जाएंगे अगर उन्हें भेजा न गया? इसलिए कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “उनके क़दम कितने प्यारे हैं जो ख़ुशख़बरी सुनाते हैं।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:16 | लेकिन सबने अल्लाह की यह ख़ुशख़बरी क़बूल नहीं की। यों यसायाह नबी फ़रमाता है, “ऐ रब, कौन हमारे पैग़ाम पर ईमान लाया?” | |
Roma | UrduGeoD | 10:18 | तो फिर सवाल यह है कि क्या इसराईलियों ने यह पैग़ाम नहीं सुना? उन्होंने इसे ज़रूर सुना। कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “उनकी आवाज़ निकलकर पूरी दुनिया में सुनाई दी, उनके अलफ़ाज़ दुनिया की इंतहा तक पहुँच गए।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:19 | तो क्या इसराईल को इस बात की समझ न आई? नहीं, उसे ज़रूर समझ आई। पहले मूसा इसका जवाब देता है, “मैं ख़ुद ही तुम्हें ग़ैरत दिलाऊँगा, एक ऐसी क़ौम के ज़रीए जो हक़ीक़त में क़ौम नहीं है। एक नादान क़ौम के ज़रीए मैं तुम्हें ग़ुस्सा दिलाऊँगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 10:20 | और यसायाह नबी यह कहने की जुर्रत करता है, “जो मुझे तलाश नहीं करते थे उन्हें मैंने मुझे पाने का मौक़ा दिया, जो मेरे बारे में दरियाफ़्त नहीं करते थे उन पर मैं ज़ाहिर हुआ।” | |
Chapter 11
Roma | UrduGeoD | 11:1 | तो क्या इसका यह मतलब है कि अल्लाह ने अपनी क़ौम को रद्द किया है? हरगिज़ नहीं! मैं तो ख़ुद इसराईली हूँ। इब्राहीम मेरा भी बाप है, और मैं बिनयमीन के क़बीले का हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 11:2 | अल्लाह ने अपनी क़ौम को पहले से चुन लिया था। वह किस तरह उसे रद्द करेगा! क्या आपको मालूम नहीं कि कलामे-मुक़द्दस में इलियास नबी के बारे में क्या लिखा है? इलियास ने अल्लाह के सामने इसराईली क़ौम की शिकायत करके कहा, | |
Roma | UrduGeoD | 11:3 | “ऐ रब, उन्होंने तेरे नबियों को क़त्ल किया और तेरी क़ुरबानगाहों को गिरा दिया है। मैं अकेला ही बचा हूँ, और वह मुझे भी मार डालने के दरपै हैं।” | |
Roma | UrduGeoD | 11:4 | इस पर अल्लाह ने उसे क्या जवाब दिया? “मैंने अपने लिए 7,000 मर्दों को बचा लिया है जिन्होंने अपने घुटने बाल देवता के सामने नहीं टेके।” | |
Roma | UrduGeoD | 11:5 | आज भी यही हालत है। इसराईल का एक छोटा हिस्सा बच गया है जिसे अल्लाह ने अपने फ़ज़ल से चुन लिया है। | |
Roma | UrduGeoD | 11:6 | और चूँकि यह अल्लाह के फ़ज़ल से हुआ है इसलिए यह उनकी अपनी कोशिशों से नहीं हुआ। वरना फ़ज़ल फ़ज़ल ही न रहता। | |
Roma | UrduGeoD | 11:7 | ग़रज़, जिस चीज़ की तलाश में इसराईल रहा वह पूरी क़ौम को हासिल नहीं हुई बल्कि सिर्फ़ उसके एक चुने हुए हिस्से को। बाक़ी सबको फ़ज़ल के बारे में बेहिस कर दिया गया, | |
Roma | UrduGeoD | 11:8 | जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “आज तक अल्लाह ने उन्हें ऐसी हालत में रखा है कि उनकी रूह मदहोश है, उनकी आँखें देख नहीं सकतीं और उनके कान सुन नहीं सकते।” | |
Roma | UrduGeoD | 11:9 | और दाऊद फ़रमाता है, “उनकी मेज़ उनके लिए फंदा और जाल बन जाए, इससे वह ठोकर खाकर अपने ग़लत कामों का मुआवज़ा पाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 11:11 | तो क्या अल्लाह की क़ौम ठोकर खाकर यों गिर गई कि कभी बहाल नहीं होगी? हरगिज़ नहीं! उस की ख़ताओं की वजह से अल्लाह ने ग़ैरयहूदियों को नजात पाने का मौक़ा दिया ताकि इसराईली ग़ैरत खाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 11:12 | यों यहूदियों की ख़ताएँ दुनिया के लिए भरपूर बरकत का बाइस बन गईं, और उनका नुक़सान ग़ैरयहूदियों के लिए भरपूर बरकत का बाइस बन गया। तो फिर यह बरकत कितनी और ज़्यादा होगी जब यहूदियों की पूरी तादाद इसमें शामिल हो जाएगी! | |
Roma | UrduGeoD | 11:13 | आपको जो ग़ैरयहूदी हैं मैं यह बताता हूँ, अल्लाह ने मुझे ग़ैरयहूदियों के लिए रसूल बनाया है, इसलिए मैं अपनी इस ख़िदमत पर ज़ोर देता हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 11:14 | क्योंकि मैं चाहता हूँ कि मेरी क़ौम के लोग यह देखकर ग़ैरत खाएँ और उनमें से कुछ बच जाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 11:15 | जब उन्हें रद्द किया गया तो बाक़ी दुनिया की अल्लाह के साथ सुलह हो गई। तो फिर क्या होगा जब उन्हें दुबारा क़बूल किया जाएगा? यह मुरदों में से जी उठने के बराबर होगा! | |
Roma | UrduGeoD | 11:16 | जब आप फ़सल के पहले आटे से रोटी बनाकर अल्लाह के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करते हैं तो बाक़ी सारा आटा भी मख़सूसो-मुक़द्दस है। और जब दरख़्त की जड़ें मुक़द्दस हैं तो उस की शाख़ें भी मुक़द्दस हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 11:17 | ज़ैतून के दरख़्त की कुछ शाख़ें तोड़ दी गई हैं और उनकी जगह जंगली ज़ैतून के दरख़्त की एक शाख़ पैवंद की गई है। आप ग़ैरयहूदी इस जंगली शाख़ से मुताबिक़त रखते हैं। जिस तरह यह दूसरे दरख़्त की जड़ से रस और तक़वियत पाती है उसी तरह आप भी यहूदी क़ौम की रूहानी जड़ से तक़वियत पाते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 11:18 | चुनाँचे आपका दूसरी शाख़ों के सामने शेख़ी मारने का हक़ नहीं। और अगर आप शेख़ी मारें तो यह ख़याल करें कि आप जड़ को क़ायम नहीं रखते बल्कि जड़ आपको। | |
Roma | UrduGeoD | 11:19 | शायद आप इस पर एतराज़ करें, “हाँ, लेकिन दूसरी शाख़ें तोड़ी गईं ताकि मैं पैवंद किया जाऊँ।” | |
Roma | UrduGeoD | 11:20 | बेशक, लेकिन याद रखें, दूसरी शाख़ें इसलिए तोड़ी गईं कि वह ईमान नहीं रखती थीं और आप इसलिए उनकी जगह लगे हैं कि आप ईमान रखते हैं। चुनाँचे अपने आप पर फ़ख़र न करें बल्कि ख़ौफ़ रखें। | |
Roma | UrduGeoD | 11:21 | अल्लाह ने असली शाख़ें बचने न दीं। अगर आप इस तरह की हरकतें करें तो क्या वह आपको छोड़ देगा? | |
Roma | UrduGeoD | 11:22 | यहाँ हमें अल्लाह की मेहरबानी और सख़्ती नज़र आती है—जो गिर गए हैं उनके सिलसिले में उस की सख़्ती, लेकिन आपके सिलसिले में उस की मेहरबानी। और यह मेहरबानी रहेगी जब तक आप उस की मेहरबानी से लिपटे रहेंगे। वरना आपको भी दरख़्त से काट डाला जाएगा। | |
Roma | UrduGeoD | 11:23 | और अगर यहूदी अपने कुफ़र से बाज़ आएँ तो उनकी पैवंदकारी दुबारा दरख़्त के साथ की जाएगी, क्योंकि अल्लाह ऐसा करने पर क़ादिर है। | |
Roma | UrduGeoD | 11:24 | आख़िर आप ख़ुद क़ुदरती तौर पर ज़ैतून के जंगली दरख़्त की शाख़ थे जिसे अल्लाह ने तोड़कर क़ुदरती क़वानीन के ख़िलाफ़ ज़ैतून के असल दरख़्त पर लगाया। तो फिर वह कितनी ज़्यादा आसानी से यहूदियों की तोड़ी गई शाख़ें दुबारा उनके अपने दरख़्त में लगा देगा! | |
Roma | UrduGeoD | 11:25 | भाइयो, मैं चाहता हूँ कि आप एक भेद से वाक़िफ़ हो जाएँ, क्योंकि यह आपको अपने आपको दाना समझने से बाज़ रखेगा। भेद यह है कि इसराईल का एक हिस्सा अल्लाह के फ़ज़ल के बारे में बेहिस हो गया है, और उस की यह हालत उस वक़्त तक रहेगी जब तक ग़ैरयहूदियों की पूरी तादाद अल्लाह की बादशाही में दाख़िल न हो जाए। | |
Roma | UrduGeoD | 11:26 | फिर पूरा इसराईल नजात पाएगा। यह कलामे-मुक़द्दस में भी लिखा है, “छुड़ानेवाला सिय्यून से आएगा। वह बेदीनी को याक़ूब से हटा देगा। | |
Roma | UrduGeoD | 11:28 | चूँकि यहूदी अल्लाह की ख़ुशख़बरी क़बूल नहीं करते इसलिए वह अल्लाह के दुश्मन हैं, और यह बात आपके लिए फ़ायदे का बाइस बन गई है। तो भी वह अल्लाह को प्यारे हैं, इसलिए कि उसने उनके बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब को चुन लिया था। | |
Roma | UrduGeoD | 11:29 | क्योंकि जब भी अल्लाह किसी को अपनी नेमतों से नवाज़कर बुलाता है तो उस की यह नेमतें और बुलावे कभी नहीं मिटने की। | |
Roma | UrduGeoD | 11:30 | माज़ी में ग़ैरयहूदी अल्लाह के ताबे नहीं थे, लेकिन अब अल्लाह ने आप पर यहूदियों की नाफ़रमानी की वजह से रहम किया है। | |
Roma | UrduGeoD | 11:31 | अब इसके उलट है कि यहूदी ख़ुद आप पर किए गए रहम की वजह से अल्लाह के ताबे नहीं हैं, और लाज़िम है कि अल्लाह उन पर भी रहम करे। | |
Roma | UrduGeoD | 11:33 | वाह! अल्लाह की दौलत, हिकमत और इल्म क्या ही गहरा है। कौन उसके फ़ैसलों की तह तक पहुँच सकता है! कौन उस की राहों का खोज लगा सकता है! | |
Roma | UrduGeoD | 11:34 | कलामे-मुक़द्दस यों फ़रमाता है, “किसने रब की सोच को जाना? या कौन इतना इल्म रखता है कि वह उसे मशवरा दे? | |
Chapter 12
Roma | UrduGeoD | 12:1 | भाइयो, अल्लाह ने आप पर कितना रहम किया है! अब ज़रूरी है कि आप अपने बदनों को अल्लाह के लिए मख़सूस करें, कि वह एक ऐसी ज़िंदा और मुक़द्दस क़ुरबानी बन जाएँ जो उसे पसंद आए। ऐसा करने से आप उस की माक़ूल इबादत करेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 12:2 | इस दुनिया के साँचे में न ढल जाएँ बल्कि अल्लाह को आपकी सोच की तजदीद करने दें ताकि आप वह शक्लो-सूरत अपना सकें जो उसे पसंद है। फिर आप अल्लाह की मरज़ी को पहचान सकेंगे, वह कुछ जो अच्छा, पसंदीदा और कामिल है। | |
Roma | UrduGeoD | 12:3 | उस रहम की बिना पर जो अल्लाह ने मुझ पर किया मैं आपमें से हर एक को हिदायत देता हूँ कि अपनी हक़ीक़ी हैसियत को जानकर अपने आपको इससे ज़्यादा न समझें। क्योंकि जिस पैमाने से अल्लाह ने हर एक को ईमान बख़्शा है उसी के मुताबिक़ वह समझदारी से अपनी हक़ीक़ी हैसियत को जान ले। | |
Roma | UrduGeoD | 12:4 | हमारे एक ही जिस्म में बहुत-से आज़ा हैं, और हर एक अज़ु का फ़रक़ फ़रक़ काम होता है। | |
Roma | UrduGeoD | 12:5 | इसी तरह गो हम बहुत हैं, लेकिन मसीह में एक ही बदन हैं, जिसमें हर अज़ु दूसरों के साथ जुड़ा हुआ है। | |
Roma | UrduGeoD | 12:6 | अल्लाह ने अपने फ़ज़ल से हर एक को मुख़्तलिफ़ नेमतों से नवाज़ा है। अगर आपकी नेमत नबुव्वत करना है तो अपने ईमान के मुताबिक़ नबुव्वत करें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:7 | अगर आपकी नेमत ख़िदमत करना है तो ख़िदमत करें। अगर आपकी नेमत तालीम देना है तो तालीम दें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:8 | अगर आपकी नेमत हौसलाअफ़्ज़ाई करना है तो हौसलाअफ़्ज़ाई करें। अगर आपकी नेमत दूसरों की ज़रूरियात पूरी करना है तो ख़ुलूसदिली से यही करें। अगर आपकी नेमत राहनुमाई करना है तो सरगरमी से राहनुमाई करें। अगर आपकी नेमत रहम करना है तो ख़ुशी से रहम करें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:9 | आपकी मुहब्बत महज़ दिखावे की न हो। जो कुछ बुरा है उससे नफ़रत करें और जो कुछ अच्छा है उसके साथ लिपटे रहें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:10 | आपकी एक दूसरे के लिए बरादराना मुहब्बत सरगरम हो। एक दूसरे की इज़्ज़त करने में आप ख़ुद पहला क़दम उठाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 12:13 | जब मुक़द्दसीन ज़रूरतमंद हैं तो उनकी मदद करने में शरीक हों। मेहमान-नवाज़ी में लगे रहें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:16 | एक दूसरे के साथ अच्छे ताल्लुक़ात रखें। ऊँची सोच न रखें बल्कि दबे हुओं से रिफ़ाक़त रखें। अपने आपको दाना मत समझें। | |
Roma | UrduGeoD | 12:17 | अगर कोई आपसे बुरा सुलूक करे तो बदले में उससे बुरा सुलूक न करना। ध्यान रखें कि जो कुछ सबकी नज़र में अच्छा है वही अमल में लाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 12:19 | अज़ीज़ो, इंतक़ाम मत लें बल्कि अल्लाह के ग़ज़ब को बदला लेने का मौक़ा दें। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “रब फ़रमाता है, इंतक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 12:20 | इसके बजाए “अगर तेरा दुश्मन भूका हो तो उसे खाना खिला, अगर प्यासा हो तो पानी पिला। क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सर पर जलते हुए कोयलों का ढेर लगाएगा।” | |
Chapter 13
Roma | UrduGeoD | 13:1 | हर शख़्स इख़्तियार रखनेवाले हुक्मरानों के ताबे रहे, क्योंकि तमाम इख़्तियार अल्लाह की तरफ़ से है। जो इख़्तियार रखते हैं उन्हें अल्लाह की तरफ़ से मुक़र्रर किया गया है। | |
Roma | UrduGeoD | 13:2 | चुनाँचे जो हुक्मरान की मुख़ालफ़त करता है वह अल्लाह के फ़रमान की मुख़ालफ़त करता और यों अपने आप पर अल्लाह की अदालत लाता है। | |
Roma | UrduGeoD | 13:3 | क्योंकि हुक्मरान उनके लिए ख़ौफ़ का बाइस नहीं होते जो सहीह काम करते हैं बल्कि उनके लिए जो ग़लत काम करते हैं। क्या आप हुक्मरान से ख़ौफ़ खाए बग़ैर ज़िंदगी गुज़ारना चाहते हैं? तो फिर वह कुछ करें जो अच्छा है तो वह आपको शाबाश देगा। | |
Roma | UrduGeoD | 13:4 | क्योंकि वह अल्लाह का ख़ादिम है जो आपकी बेहतरी के लिए ख़िदमत करता है। लेकिन अगर आप ग़लत काम करें तो डरें, क्योंकि वह अपनी तलवार को ख़ाहमख़ाह थामे नहीं रखता। वह अल्लाह का ख़ादिम है और उसका ग़ज़ब ग़लत काम करनेवाले पर नाज़िल होता है। | |
Roma | UrduGeoD | 13:5 | इसलिए लाज़िम है कि आप हुकूमत के ताबे रहें, न सिर्फ़ सज़ा से बचने के लिए बल्कि इसलिए भी कि आपके ज़मीर पर दाग़ न लगे। | |
Roma | UrduGeoD | 13:6 | यही वजह है कि आप टैक्स अदा करते हैं, क्योंकि सरकारी मुलाज़िम अल्लाह के ख़ादिम हैं जो इस ख़िदमत को सरंजाम देने में लगे रहते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 13:7 | चुनाँचे हर एक को वह कुछ दें जो उसका हक़ है, टैक्स लेनेवाले को टैक्स और कस्टम ड्यूटी लेनेवाले को कस्टम ड्यूटी। जिसका ख़ौफ़ रखना आप पर फ़र्ज़ है उसका ख़ौफ़ मानें और जिसका एहतराम करना आप पर फ़र्ज़ है उसका एहतराम करें। | |
Roma | UrduGeoD | 13:8 | किसी के भी क़र्ज़दार न रहें। सिर्फ़ एक क़र्ज़ है जो आप कभी नहीं उतार सकते, एक दूसरे से मुहब्बत रखने का क़र्ज़। यह करते रहें क्योंकि जो दूसरों से मुहब्बत रखता है उसने शरीअत के तमाम तक़ाज़े पूरे किए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 13:9 | मसलन शरीअत में लिखा है, “क़त्ल न करना, ज़िना न करना, चोरी न करना, लालच न करना।” और दीगर जितने अहकाम हैं इस एक ही हुक्म में समाए हुए हैं कि “अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।” | |
Roma | UrduGeoD | 13:10 | जो किसी से मुहब्बत रखता है वह उससे ग़लत सुलूक नहीं करता। यों मुहब्बत शरीअत के तमाम तक़ाज़े पूरे करती है। | |
Roma | UrduGeoD | 13:11 | ऐसा करना लाज़िम है, क्योंकि आप ख़ुद इस वक़्त की अहमियत को जानते हैं कि नींद से जाग उठने की घड़ी आ चुकी है। क्योंकि जब हम ईमान लाए थे तो हमारी नजात इतनी क़रीब नहीं थी जितनी कि अब है। | |
Roma | UrduGeoD | 13:12 | रात ढलनेवाली है और दिन निकलनेवाला है। इसलिए आएँ, हम तारीकी के काम गंदे कपड़ों की तरह उतारकर नूर के हथियार बाँध लें। | |
Roma | UrduGeoD | 13:13 | हम शरीफ़ ज़िंदगी गुज़ारें, ऐसे लोगों की तरह जो दिन की रौशनी में चलते हैं। इसलिए लाज़िम है कि हम इन चीज़ों से बाज़ रहें : बदमस्तों की रंगरलियों और शराबनोशी से, ज़िनाकारी और ऐयाशी से, और झगड़े और हसद से। | |
Chapter 14
Roma | UrduGeoD | 14:2 | एक का ईमान तो उसे हर चीज़ खाने की इजाज़त देता है जबकि कमज़ोर ईमान रखनेवाला सिर्फ़ सब्ज़ियाँ खाता है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:3 | जो सब कुछ खाता है वह उसे हक़ीर न जाने जो यह नहीं कर सकता। और जो यह नहीं कर सकता वह उसे मुजरिम न ठहराए जो सब कुछ खाता है, क्योंकि अल्लाह ने उसे क़बूल किया है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:4 | आप कौन हैं कि किसी और के ग़ुलाम का फ़ैसला करें? उसका अपना मालिक फ़ैसला करेगा कि वह खड़ा रहे या गिर जाए। और वह ज़रूर खड़ा रहेगा, क्योंकि ख़ुदावंद उसे क़ायम रखने पर क़ादिर है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:5 | कुछ लोग एक दिन को दूसरे दिनों की निसबत ज़्यादा अहम क़रार देते हैं जबकि दूसरे तमाम दिनों की अहमियत बराबर समझते हैं। आप जो भी ख़याल रखें, हर एक उसे पूरे यक़ीन के साथ रखे। | |
Roma | UrduGeoD | 14:6 | जो एक दिन को ख़ास क़रार देता है वह इससे ख़ुदावंद की ताज़ीम करना चाहता है। इसी तरह जो सब कुछ खाता है वह इससे ख़ुदावंद को जलाल देना चाहता है। यह इससे ज़ाहिर होता है कि वह इसके लिए ख़ुदा का शुक्र करता है। लेकिन जो कुछ खानों से परहेज़ करता है वह भी ख़ुदा का शुक्र करके इससे उस की ताज़ीम करना चाहता है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:7 | बात यह है कि हममें से कोई नहीं जो सिर्फ़ अपने वास्ते ज़िंदगी गुज़ारता है और कोई नहीं जो सिर्फ़ अपने वास्ते मरता है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:8 | अगर हम ज़िंदा हैं तो इसलिए कि ख़ुदावंद को जलाल दें, और अगर हम मरें तो इसलिए कि हम ख़ुदावंद को जलाल दें। ग़रज़ हम ख़ुदावंद ही के हैं, ख़ाह ज़िंदा हों या मुरदा। | |
Roma | UrduGeoD | 14:9 | क्योंकि मसीह इसी मक़सद के लिए मुआ और जी उठा कि वह मुरदों और ज़िंदों दोनों का मालिक हो। | |
Roma | UrduGeoD | 14:10 | तो फिर आप जो सिर्फ़ सब्ज़ी खाते हैं अपने भाई को मुजरिम क्यों ठहराते हैं? और आप जो सब कुछ खाते हैं अपने भाई को हक़ीर क्यों जानते हैं? याद रखें कि एक दिन हम सब अल्लाह के तख़्ते-अदालत के सामने खड़े होंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 14:11 | कलामे-मुक़द्दस में यही लिखा है, रब फ़रमाता है, “मेरी हयात की क़सम, हर घुटना मेरे सामने झुकेगा और हर ज़बान अल्लाह की तमजीद करेगी।” | |
Roma | UrduGeoD | 14:13 | चुनाँचे आएँ, हम एक दूसरे को मुजरिम न ठहराएँ। पूरे अज़म के साथ इसका ख़याल रखें कि आप अपने भाई के लिए ठोकर खाने या गुनाह में गिरने का बाइस न बनें। | |
Roma | UrduGeoD | 14:14 | मुझे ख़ुदावंद मसीह में इल्म और यक़ीन है कि कोई भी खाना बज़ाते-ख़ुद नापाक नहीं है। लेकिन जो किसी खाने को नापाक समझता है उसके लिए वह खाना नापाक ही है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:15 | अगर आप अपने भाई को अपने किसी खाने के बाइस परेशान कर रहे हैं तो आप मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी नहीं गुज़ार रहे। अपने भाई को अपने खाने से हलाक न करें। याद रखें कि मसीह ने उसके लिए अपनी जान दी है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:17 | क्योंकि अल्लाह की बादशाही खाने-पीने की चीज़ों पर क़ायम नहीं है बल्कि रास्तबाज़ी, सुलह-सलामती और रूहुल-क़ुद्स में ख़ुशी पर। | |
Roma | UrduGeoD | 14:19 | चुनाँचे आएँ, हम पूरी जिद्दो-जहद के साथ वह कुछ करने की कोशिश करें जो सुलह-सलामती और एक दूसरे की रूहानी तामीरो-तरक़्क़ी का बाइस है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:20 | अल्लाह का काम किसी खाने की ख़ातिर बरबाद न करें। हर खाना पाक है, लेकिन अगर आप कुछ खाते हैं जिससे दूसरे को ठेस लगे तो यह ग़लत है। | |
Roma | UrduGeoD | 14:21 | बेहतर यह है कि न आप गोश्त खाएँ, न मै पिएँ और न कोई और क़दम उठाएँ जिससे आपका भाई ठोकर खाए। | |
Roma | UrduGeoD | 14:22 | जो भी ईमान आप इस नाते से रखते हैं वह आप और अल्लाह तक महदूद रहे। मुबारक है वह जो किसी चीज़ को जायज़ क़रार देकर अपने आपको मुजरिम नहीं ठहराता। | |
Chapter 15
Roma | UrduGeoD | 15:1 | हम ताक़तवरों का फ़र्ज़ है कि कमज़ोरों की कमज़ोरियाँ बरदाश्त करें। हम सिर्फ़ अपने आपको ख़ुश करने की ख़ातिर ज़िंदगी न गुज़ारें | |
Roma | UrduGeoD | 15:2 | बल्कि हर एक अपने पड़ोसी को उस की बेहतरी और रूहानी तामीरो-तरक़्क़ी के लिए ख़ुश करे। | |
Roma | UrduGeoD | 15:3 | क्योंकि मसीह ने भी ख़ुद को ख़ुश रखने के लिए ज़िंदगी नहीं गुज़ारी। कलामे-मुक़द्दस में उसके बारे में यही लिखा है, “जो तुझे गालियाँ देते हैं उनकी गालियाँ मुझ पर आ गई हैं।” | |
Roma | UrduGeoD | 15:4 | यह सब कुछ हमें हमारी नसीहत के लिए लिखा गया ताकि हम साबितक़दमी और कलामे-मुक़द्दस की हौसलाअफ़्ज़ा बातों से उम्मीद पाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 15:5 | अब साबितक़दमी और हौसला देनेवाला ख़ुदा आपको तौफ़ीक़ दे कि आप मसीह ईसा का नमूना अपनाकर यगांगत की रूह में एक दूसरे के साथ ज़िंदगी गुज़ारें। | |
Roma | UrduGeoD | 15:6 | तब ही आप मिलकर एक ही आवाज़ के साथ ख़ुदा, हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के बाप को जलाल दे सकेंगे। | |
Roma | UrduGeoD | 15:7 | चुनाँचे जिस तरह मसीह ने आपको क़बूल किया है उसी तरह एक दूसरे को भी क़बूल करें ताकि अल्लाह को जलाल मिले। | |
Roma | UrduGeoD | 15:8 | याद रखें कि मसीह अल्लाह की सदाक़त का इज़हार करके यहूदियों का ख़ादिम बना ताकि उन वादों की तसदीक़ करे जो इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से किए गए थे। | |
Roma | UrduGeoD | 15:9 | वह इसलिए भी ख़ादिम बना कि ग़ैरयहूदी अल्लाह को उस रहम के लिए जलाल दें जो उसने उन पर किया है। कलामे-मुक़द्दस में यही लिखा है, “इसलिए मैं अक़वाम में तेरी हम्दो-सना करूँगा, तेरे नाम की तारीफ़ में गीत गाऊँगा।” | |
Roma | UrduGeoD | 15:12 | और यसायाह नबी यह फ़रमाता है, “यस्सी की जड़ से एक कोंपल फूट निकलेगी, एक ऐसा आदमी उठेगा जो क़ौमों पर हुकूमत करेगा। ग़ैरयहूदी उस पर आस रखेंगे।” | |
Roma | UrduGeoD | 15:13 | उम्मीद का ख़ुदा आपको ईमान रखने के बाइस हर ख़ुशी और सलामती से मामूर करे ताकि रूहुल-क़ुद्स की क़ुदरत से आपकी उम्मीद बढ़कर दिल से छलक जाए। | |
Roma | UrduGeoD | 15:14 | मेरे भाइयो, मुझे पूरा यक़ीन है कि आप ख़ुद भलाई से मामूर हैं, कि आप हर तरह का इल्मो-इरफ़ान रखते हैं और एक दूसरे को नसीहत करने के क़ाबिल भी हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 15:15 | तो भी मैंने याद दिलाने की ख़ातिर आपको कई बातें लिखने की दिलेरी की है। क्योंकि मैं अल्लाह के फ़ज़ल से | |
Roma | UrduGeoD | 15:16 | आप ग़ैरयहूदियों के लिए मसीह ईसा का ख़ादिम हूँ। और मैं अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने में बैतुल-मुक़द्दस के इमाम की-सी ख़िदमत सरंजाम देता हूँ ताकि आप एक ऐसी क़ुरबानी बन जाएँ जो अल्लाह को पसंद आए और जिसे रूहुल-क़ुद्स ने उसके लिए मख़सूसो-मुक़द्दस किया हो। | |
Roma | UrduGeoD | 15:18 | क्योंकि मैं सिर्फ़ उस काम के बारे में बात करने की जुर्रत करूँगा जो मसीह ने मेरी मारिफ़त किया है और जिससे ग़ैरयहूदी अल्लाह के ताबे हो गए हैं। हाँ, मसीह ही ने यह काम कलाम और अमल से, | |
Roma | UrduGeoD | 15:19 | इलाही निशानों और मोजिज़ों की क़ुव्वत से और अल्लाह के रूह की क़ुदरत से सरंजाम दिया है। यों मैंने यरूशलम से लेकर सूबा इल्लुरिकुम तक सफ़र करते करते अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने की ख़िदमत पूरी की है। | |
Roma | UrduGeoD | 15:20 | और मैं इसे अपनी इज़्ज़त का बाइस समझा कि ख़ुशख़बरी वहाँ सुनाऊँ जहाँ मसीह के बारे में ख़बर नहीं पहुँची। क्योंकि मैं ऐसी बुनियाद पर तामीर नहीं करना चाहता था जो किसी और ने डाली थी। | |
Roma | UrduGeoD | 15:21 | कलामे-मुक़द्दस यही फ़रमाता है, “जिन्हें उसके बारे में नहीं बताया गया वह देखेंगे, और जिन्होंने नहीं सुना उन्हें समझ आएगी।” | |
Roma | UrduGeoD | 15:23 | लेकिन अब मेरी इन इलाक़ों में ख़िदमत पूरी हो चुकी है। और चूँकि मैं इतने सालों से आपके पास आने का आरज़ूमंद रहा हूँ | |
Roma | UrduGeoD | 15:24 | इसलिए अब यह ख़ाहिश पूरी करने की उम्मीद रखता हूँ। क्योंकि मैंने स्पेन जाने का मनसूबा बनाया है। उम्मीद है कि रास्ते में आपसे मिलूँगा और आप आगे के सफ़र के लिए मेरी मदद कर सकेंगे। लेकिन पहले मैं कुछ देर के लिए आपकी रिफ़ाक़त से लुत्फ़अंदोज़ होना चाहता हूँ। | |
Roma | UrduGeoD | 15:26 | क्योंकि मकिदुनिया और अख़या की जमातों ने यरूशलम के उन मुक़द्दसीन के लिए हदिया जमा करने का फ़ैसला किया है जो ग़रीब हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 15:27 | उन्होंने यह ख़ुशी से किया और दरअसल यह उनका फ़र्ज़ भी है। ग़ैरयहूदी तो यहूदियों की रूहानी बरकतों में शरीक हुए हैं, इसलिए ग़ैरयहूदियों का फ़र्ज़ है कि वह यहूदियों को भी अपनी माली बरकतों में शरीक करके उनकी ख़िदमत करें। | |
Roma | UrduGeoD | 15:28 | चुनाँचे अपना यह फ़र्ज़ अदा करने और मक़ामी भाइयों का यह सारा फल यरूशलम के ईमानदारों तक पहुँचाने के बाद मैं आपके पास से होता हुआ स्पेन जाऊँगा। | |
Roma | UrduGeoD | 15:30 | भाइयो, मैं हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह और रूहुल-क़ुद्स की मुहब्बत को याद दिलाकर आपसे मिन्नत करता हूँ कि आप मेरे लिए अल्लाह से दुआ करें और यों मेरी रूहानी जंग में शरीक हो जाएँ। | |
Roma | UrduGeoD | 15:31 | इसके लिए दुआ करें कि मैं सूबा यहूदिया के ग़ैरईमानदारों से बचा रहूँ और कि मेरी यरूशलम में ख़िदमत वहाँ के मुक़द्दसीन को पसंद आए। | |
Roma | UrduGeoD | 15:32 | क्योंकि मैं चाहता हूँ कि जब मैं अल्लाह की मरज़ी से आपके पास आऊँगा तो मेरे दिल में ख़ुशी हो और हम एक दूसरे की रिफ़ाक़त से तरो-ताज़ा हो जाएँ। | |
Chapter 16
Roma | UrduGeoD | 16:1 | हमारी बहन फ़ीबे आपके पास आ रही है। वह किंख़रिया शहर की जमात में ख़ादिमा है। मैं उस की सिफ़ारिश करता हूँ | |
Roma | UrduGeoD | 16:2 | बल्कि ख़ुदावंद में अर्ज़ है कि आप उसका वैसे ही इस्तक़बाल करें जैसे कि मुक़द्दसीन को करना चाहिए। जिस मामले में भी उसे आपकी मदद की ज़रूरत हो उसमें उसका साथ दें, क्योंकि उसने बहुत लोगों की बल्कि मेरी भी मदद की है। | |
Roma | UrduGeoD | 16:4 | उन्होंने मेरे लिए अपनी जान पर खेला। न सिर्फ़ मैं बल्कि ग़ैरयहूदियों की जमातें उनकी एहसानमंद हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 16:5 | उनके घर में जमा होनेवाली जमात को भी मेरा सलाम देना। मेरे अज़ीज़ दोस्त इपिनेतुस को मेरा सलाम देना। वह सूबा आसिया में मसीह का पहला पैरोकार यानी उस इलाक़े की फ़सल का पहला फल था। | |
Roma | UrduGeoD | 16:7 | अंदरूनीकुस और यूनिया को मेरा सलाम। वह मेरे हमवतन हैं और जेल में मेरे साथ वक़्त गुज़ारा है। रसूलों में वह नुमायाँ हैसियत रखते हैं, और वह मुझसे पहले मसीह के पीछे हो लिए थे। | |
Roma | UrduGeoD | 16:9 | मसीह में हमारे हमख़िदमत उर्बानुस को सलाम और इसी तरह मेरे अज़ीज़ दोस्त इस्तख़ुस को भी। | |
Roma | UrduGeoD | 16:10 | अपेल्लिस को सलाम जिसकी मसीह के साथ वफ़ादारी को आज़माया गया है। अरिस्तुबूलुस के घरवालों को सलाम। | |
Roma | UrduGeoD | 16:11 | मेरे हमवतन हेरोदियोन को सलाम और इसी तरह नरकिस्सुस के उन घरवालों को भी जो मसीह के पीछे हो लिए हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 16:12 | त्रूफ़ेना और त्रूफ़ोसा को सलाम जो ख़ुदावंद की ख़िदमत में मेहनत-मशक़्क़त करती हैं। मेरी अज़ीज़ बहन परसिस को सलाम जिसने ख़ुदावंद की ख़िदमत में बड़ी मेहनत-मशक़्क़त की है। | |
Roma | UrduGeoD | 16:13 | हमारे ख़ुदावंद के चुने हुए भाई रूफ़ुस को सलाम और इसी तरह उस की माँ को भी जो मेरी माँ भी है। | |
Roma | UrduGeoD | 16:14 | असिंकरितुस, फ़लिगोन, हिरमेस, पतरोबास, हिरमास और उनके साथी भाइयों को मेरा सलाम देना। | |
Roma | UrduGeoD | 16:15 | फ़िलुलुगुस और यूलिया, नेरियूस और उस की बहन, उलिंपास और उनके साथ तमाम मुक़द्दसीन को सलाम। | |
Roma | UrduGeoD | 16:16 | एक दूसरे को मुक़द्दस बोसा देकर सलाम करें। मसीह की तमाम जमातों की तरफ़ से आपको सलाम। | |
Roma | UrduGeoD | 16:17 | भाइयो, मैं आपको ताकीद करता हूँ कि आप उनसे ख़बरदार रहें जो पार्टीबाज़ी और ठोकर का बाइस बनते हैं। यह उस तालीम के ख़िलाफ़ है जो आपको दी गई है। उनसे किनारा करें | |
Roma | UrduGeoD | 16:18 | क्योंकि ऐसे लोग हमारे ख़ुदावंद मसीह की ख़िदमत नहीं कर रहे बल्कि अपने पेट की। वह अपनी मीठी और चिकनी-चुपड़ी बातों से सादालौह लोगों के दिलों को धोका देते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 16:19 | आपकी फ़रमाँबरदारी की ख़बर सब तक पहुँच गई है। यह देखकर मैं आपके बारे में ख़ुश हूँ। लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप अच्छा काम करने के लिहाज़ से दानिशमंद और बुरा काम करने के लिहाज़ से बेक़ुसूर हों। | |
Roma | UrduGeoD | 16:20 | सलामती का ख़ुदा जल्द ही इबलीस को आपके पाँवों तले कुचलवा डालेगा। हमारे ख़ुदावंद ईसा का फ़ज़ल आपके साथ हो। | |
Roma | UrduGeoD | 16:21 | मेरा हमख़िदमत तीमुथियुस आपको सलाम देता है, और इसी तरह मेरे हमवतन लूकियुस, यासोन और सोसिपातरुस। | |
Roma | UrduGeoD | 16:23 | गयुस की तरफ़ से आपको सलाम। मैं और पूरी जमात उसके मेहमान रहे हैं। शहर के ख़ज़ानची इरास्तुस और हमारे भाई क्वारतुस भी आपको सलाम कहते हैं। | |
Roma | UrduGeoD | 16:25 | अल्लाह की तमजीद हो, जो आपको मज़बूत करने पर क़ादिर है, क्योंकि ईसा मसीह के बारे में उस ख़ुशख़बरी से जो मैं सुनाता हूँ और उस भेद के इनकिशाफ़ से जो अज़ल से पोशीदा रहा वह आपको क़ायम रख सकता है। | |
Roma | UrduGeoD | 16:26 | अब इस भेद की हक़ीक़त नबियों के सहीफ़ों से ज़ाहिर की गई है और अबदी ख़ुदा के हुक्म पर तमाम क़ौमों को मालूम हो गई है ताकि सब ईमान लाकर अल्लाह के ताबे हो जाएँ। | |