Site uses cookies to provide basic functionality.

OK
I CORINTHIANS
Up
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16
Toggle notes
Chapter 1
I Co UrduGeoD 1:1  यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है, जो अल्लाह के इरादे से मसीह ईसा का बुलाया हुआ रसूल है, और हमारे भाई सोसथिनेस की तरफ़ से।
I Co UrduGeoD 1:2  मैं कुरिंथुस में मौजूद अल्लाह की जमात को लिख रहा हूँ, आपको जिन्हें मसीह ईसा में मुक़द्दस किया गया है, जिन्हें मुक़द्दस होने के लिए बुलाया गया है। साथ ही यह ख़त उन तमाम लोगों के नाम भी है जो हर जगह हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह का नाम लेते हैं जो उनका और हमारा ख़ुदावंद है।
I Co UrduGeoD 1:3  हमारा ख़ुदा बाप और ख़ुदावंद ईसा मसीह आपको फ़ज़ल और सलामती अता करें।
I Co UrduGeoD 1:4  मैं हमेशा आपके लिए ख़ुदा का शुक्र करता हूँ कि उसने आपको मसीह ईसा में इतना फ़ज़ल बख़्शा है।
I Co UrduGeoD 1:5  आपको उसमें हर लिहाज़ से दौलतमंद किया गया है, हर क़िस्म की तक़रीर और इल्मो-इरफ़ान में।
I Co UrduGeoD 1:6  क्योंकि मसीह की गवाही ने आपके दरमियान ज़ोर पकड़ लिया है,
I Co UrduGeoD 1:7  इसलिए आपको हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के ज़ुहूर का इंतज़ार करते करते किसी भी बरकत में कमी नहीं।
I Co UrduGeoD 1:8  वही आपको आख़िर तक मज़बूत बनाए रखेगा, इसलिए आप हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह की दूसरी आमद के दिन बेइलज़ाम ठहरेंगे।
I Co UrduGeoD 1:9  अल्लाह पर पूरा एतमाद किया जा सकता है जिसने आपको बुलाकर अपने फ़रज़ंद हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह की रिफ़ाक़त में शरीक किया है।
I Co UrduGeoD 1:10  भाइयो, मैं अपने ख़ुदावंद ईसा मसीह के नाम में आपको ताकीद करता हूँ कि आप सब एक ही बात कहें। आपके दरमियान पार्टीबाज़ी नहीं बल्कि एक ही सोच और एक ही राय होनी चाहिए।
I Co UrduGeoD 1:11  क्योंकि मेरे भाइयो, आपके बारे में मुझे ख़लोए के घरवालों से मालूम हुआ है कि आप झगड़ों में उलझ गए हैं।
I Co UrduGeoD 1:12  मतलब यह है कि आपमें से कोई कहता है, “मैं पौलुस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं अपुल्लोस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं कैफ़ा की पार्टी का हूँ” और कोई कि “मैं मसीह की पार्टी का हूँ।”
I Co UrduGeoD 1:13  क्या मसीह बट गया? क्या आपकी ख़ातिर पौलुस को सलीब पर चढ़ाया गया? या क्या आपको पौलुस के नाम से बपतिस्मा दिया गया?
I Co UrduGeoD 1:14  ख़ुदा का शुक्र है कि मैंने आपमें से किसी को बपतिस्मा नहीं दिया सिवाए क्रिसपुस और गयुस के।
I Co UrduGeoD 1:15  इसलिए कोई नहीं कह सकता कि मैंने पौलुस के नाम से बपतिस्मा पाया है।
I Co UrduGeoD 1:16  हाँ मैंने स्तिफ़नास के घराने को भी बपतिस्मा दिया। लेकिन जहाँ तक मेरा ख़याल है इसके अलावा किसी और को बपतिस्मा नहीं दिया।
I Co UrduGeoD 1:17  मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए रसूल बनाकर नहीं भेजा बल्कि इसलिए कि अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ। और यह काम मुझे दुनियावी हिकमत से आरास्ता तक़रीर से नहीं करना है ताकि मसीह की सलीब की ताक़त बेअसर न हो जाए।
I Co UrduGeoD 1:18  क्योंकि सलीब का पैग़ाम उनके लिए जिनका अंजाम हलाकत है बेवुक़ूफ़ी है जबकि हमारे लिए जिनका अंजाम नजात है यह अल्लाह की क़ुदरत है।
I Co UrduGeoD 1:19  चुनाँचे पाक नविश्तों में लिखा है, “मैं दानिशमंदों की दानिश को तबाह करूँगा और समझदारों की समझ को रद्द करूँगा।”
I Co UrduGeoD 1:20  अब दानिशमंद शख़्स कहाँ है? आलिम कहाँ है? इस जहान का मुनाज़रे का माहिर कहाँ है? क्या अल्लाह ने दुनिया की हिकमतो-दानाई को बेवुक़ूफ़ी साबित नहीं किया?
I Co UrduGeoD 1:21  क्योंकि अगरचे दुनिया अल्लाह की दानाई से घिरी हुई है तो भी दुनिया ने अपनी दानाई की बदौलत अल्लाह को न पहचाना। इसलिए अल्लाह को पसंद आया कि वह सलीब के पैग़ाम की बेवुक़ूफ़ी के ज़रीए ही ईमान रखनेवालों को नजात दे।
I Co UrduGeoD 1:22  यहूदी तक़ाज़ा करते हैं कि इलाही बातों की तसदीक़ इलाही निशानों से की जाए जबकि यूनानी दानाई के वसीले से इनकी तसदीक़ के ख़ाहाँ हैं।
I Co UrduGeoD 1:23  इसके मुक़ाबले में हम मसीहे-मसलूब की मुनादी करते हैं। यहूदी इससे ठोकर खाकर नाराज़ हो जाते हैं जबकि ग़ैरयहूदी इसे बेवुक़ूफ़ी क़रार देते हैं।
I Co UrduGeoD 1:24  लेकिन जो अल्लाह के बुलाए हुए हैं, ख़ाह वह यहूदी हों ख़ाह यूनानी, उनके लिए मसीह अल्लाह की क़ुदरत और अल्लाह की दानाई होता है।
I Co UrduGeoD 1:25  क्योंकि अल्लाह की जो बात बेवुक़ूफ़ी लगती है वह इनसान की दानाई से ज़्यादा दानिशमंद है। और अल्लाह की जो बात कमज़ोर लगती है वह इनसान की ताक़त से ज़्यादा ताक़तवर है।
I Co UrduGeoD 1:26  भाइयो, इस पर ग़ौर करें कि आपका क्या हाल था जब ख़ुदा ने आपको बुलाया। आपमें से कम हैं जो दुनिया के मेयार के मुताबिक़ दाना हैं, कम हैं जो ताक़तवर हैं, कम हैं जो आली ख़ानदान से हैं।
I Co UrduGeoD 1:27  बल्कि जो दुनिया की निगाह में बेवुक़ूफ़ है उसे अल्लाह ने चुन लिया ताकि दानाओं को शरमिंदा करे। और जो दुनिया में कमज़ोर है उसे अल्लाह ने चुन लिया ताकि ताक़तवरों को शरमिंदा करे।
I Co UrduGeoD 1:28  इसी तरह जो दुनिया के नज़दीक ज़लील और हक़ीर है उसे अल्लाह ने चुन लिया। हाँ, जो कुछ भी नहीं है उसे उसने चुन लिया ताकि उसे नेस्त करे जो बज़ाहिर कुछ है।
I Co UrduGeoD 1:29  चुनाँचे कोई भी अल्लाह के सामने अपने पर फ़ख़र नहीं कर सकता।
I Co UrduGeoD 1:30  यह अल्लाह की तरफ़ से है कि आप मसीह ईसा में हैं। अल्लाह की बख़्शिश से ईसा ख़ुद हमारी दानाई, हमारी रास्तबाज़ी, हमारी तक़दीस और हमारी मख़लसी बन गया है।
I Co UrduGeoD 1:31  इसलिए जिस तरह कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “फ़ख़र करनेवाला ख़ुदावंद ही पर फ़ख़र करे।”
Chapter 2
I Co UrduGeoD 2:1  भाइयो, मुझ पर भी ग़ौर करें। जब मैं आपके पास आया तो मैंने आपको अल्लाह का भेद मोटे मोटे अलफ़ाज़ में या फ़लसफ़ियाना हिकमत का इज़हार करते हुए न सुनाया।
I Co UrduGeoD 2:2  वजह क्या थी? यह कि मैंने इरादा कर रखा था कि आपके दरमियान होते हुए मैं ईसा मसीह के सिवा और कुछ न जानूँ, ख़ासकर यह कि उसे मसलूब किया गया।
I Co UrduGeoD 2:3  हाँ मैं कमज़ोरहाल, ख़ौफ़ खाते और बहुत थरथराते हुए आपके पास आया।
I Co UrduGeoD 2:4  और गुफ़्तगू और मुनादी करते हुए मैंने दुनियावी हिकमत के बड़े ज़ोरदार अलफ़ाज़ की मारिफ़त आपको क़ायल करने की कोशिश न की, बल्कि रूहुल-क़ुद्स और अल्लाह की क़ुदरत ने मेरी बातों की तसदीक़ की,
I Co UrduGeoD 2:5  ताकि आपका ईमान इनसानी हिकमत पर मबनी न हो बल्कि अल्लाह की क़ुदरत पर।
I Co UrduGeoD 2:6  दानाई की बातें हम उस वक़्त करते हैं जब कामिल ईमान रखनेवालों के दरमियान होते हैं। लेकिन यह दानाई मौजूदा जहान की नहीं और न इस जहान के हाकिमों ही की है जो मिटनेवाले हैं।
I Co UrduGeoD 2:7  बल्कि हम ख़ुदा ही की दानाई की बातें करते हैं जो भेद की सूरत में छुपी रही है। अल्लाह ने तमाम ज़मानों से पेशतर मुक़र्रर किया है कि यह दानाई हमारे जलाल का बाइस बने।
I Co UrduGeoD 2:8  इस जहान के किसी भी हाकिम ने इस दानाई को न पहचाना, क्योंकि अगर वह पहचान लेते तो फिर वह हमारे जलाली ख़ुदावंद को मसलूब न करते।
I Co UrduGeoD 2:9  दानाई के बारे में पाक नविश्ते भी यही कहते हैं, “जो न किसी आँख ने देखा, न किसी कान ने सुना, और न इनसान के ज़हन में आया, उसे अल्लाह ने उनके लिए तैयार कर दिया जो उससे मुहब्बत रखते हैं।”
I Co UrduGeoD 2:10  लेकिन अल्लाह ने यही कुछ अपने रूह की मारिफ़त हम पर ज़ाहिर किया क्योंकि उसका रूह हर चीज़ का खोज लगाता है, यहाँ तक कि अल्लाह की गहराइयों का भी।
I Co UrduGeoD 2:11  इनसान के बातिन से कौन वाक़िफ़ है सिवाए इनसान की रूह के जो उसके अंदर है? इसी तरह अल्लाह से ताल्लुक़ रखनेवाली बातों को कोई नहीं जानता सिवाए अल्लाह के रूह के।
I Co UrduGeoD 2:12  और हमें दुनिया की रूह नहीं मिली बल्कि वह रूह जो अल्लाह की तरफ़ से है ताकि हम उस की अताकरदा बातों को जान सकें।
I Co UrduGeoD 2:13  यही कुछ हम बयान करते हैं, लेकिन ऐसे अलफ़ाज़ में नहीं जो इनसानी हिकमत से हमें सिखाया गया बल्कि रूहुल-क़ुद्स से। यों हम रूहानी हक़ीक़तों की तशरीह रूहानी लोगों के लिए करते हैं।
I Co UrduGeoD 2:14  जो शख़्स रूहानी नहीं है वह अल्लाह के रूह की बातों को क़बूल नहीं करता क्योंकि वह उसके नज़दीक बेवुक़ूफ़ी हैं। वह उन्हें पहचान नहीं सकता क्योंकि उनकी परख सिर्फ़ रूहानी शख़्स ही कर सकता है।
I Co UrduGeoD 2:15  वही हर चीज़ परख लेता है जबकि उस की अपनी परख कोई नहीं कर सकता।
I Co UrduGeoD 2:16  चुनाँचे पाक कलाम में लिखा है, “किसने रब की सोच को जाना? कौन उसको तालीम देगा?” लेकिन हम मसीह की सोच रखते हैं।
Chapter 3
I Co UrduGeoD 3:1  भाइयो, मैं आपसे रूहानी लोगों की बातें न कर सका बल्कि सिर्फ़ जिस्मानी लोगों की। क्योंकि आप अब तक मसीह में छोटे बच्चे हैं।
I Co UrduGeoD 3:2  मैंने आपको दूध पिलाया, ठोस ग़िज़ा न खिलाई, क्योंकि आप उस वक़्त इस क़ाबिल नहीं थे बल्कि अब तक नहीं हैं।
I Co UrduGeoD 3:3  अभी तक आप जिस्मानी हैं, क्योंकि आपमें हसद और झगड़ा पाया जाता है। क्या इससे यह साबित नहीं होता कि आप जिस्मानी हैं और रूह के बग़ैर चलते हैं?
I Co UrduGeoD 3:4  जब कोई कहता है, “मैं पौलुस की पार्टी का हूँ” और दूसरा, “मैं अपुल्लोस की पार्टी का हूँ” तो क्या इससे यह ज़ाहिर नहीं होता कि आप रूहानी नहीं बल्कि इनसानी सोच रखते हैं?
I Co UrduGeoD 3:5  अपुल्लोस की क्या हैसियत है और पौलुस की क्या? दोनों नौकर हैं जिनके वसीले से आप ईमान लाए। और हममें से हर एक ने वही ख़िदमत अंजाम दी जो ख़ुदावंद ने उसके सुपुर्द की।
I Co UrduGeoD 3:6  मैंने पौदे लगाए, अपुल्लोस पानी देता रहा, लेकिन अल्लाह ने उन्हें उगने दिया।
I Co UrduGeoD 3:7  लिहाज़ा पौदा लगानेवाला और आबपाशी करनेवाला दोनों कुछ भी नहीं, बल्कि ख़ुदा ही सब कुछ है जो पौदे को फलने फूलने देता है।
I Co UrduGeoD 3:8  पौदा लगाने और पानी देनेवाला एक जैसे हैं, अलबत्ता हर एक को उस की मेहनत के मुताबिक़ मज़दूरी मिलेगी।
I Co UrduGeoD 3:9  क्योंकि हम अल्लाह के मुआविन हैं जबकि आप अल्लाह का खेत और उस की इमारत हैं।
I Co UrduGeoD 3:10  अल्लाह के उस फ़ज़ल के मुताबिक़ जो मुझे बख़्शा गया मैंने एक दानिशमंद ठेकेदार की तरह बुनियाद रखी। इसके बाद कोई और उस पर इमारत तामीर कर रहा है। लेकिन हर एक ध्यान रखे कि वह बुनियाद पर इमारत किस तरह बना रहा है।
I Co UrduGeoD 3:11  क्योंकि बुनियाद रखी जा चुकी है और वह है ईसा मसीह। इसके अलावा कोई भी मज़ीद कोई बुनियाद नहीं रख सकता।
I Co UrduGeoD 3:12  जो भी इस बुनियाद पर कुछ तामीर करे वह मुख़्तलिफ़ मवाद तो इस्तेमाल कर सकता है, मसलन सोना, चाँदी, क़ीमती पत्थर, लकड़ी, सूखी घास या भूसा,
I Co UrduGeoD 3:13  लेकिन आख़िर में हर एक का काम ज़ाहिर हो जाएगा। क़ियामत के दिन कुछ पोशीदा नहीं रहेगा बल्कि आग सब कुछ ज़ाहिर कर देगी। वह साबित कर देगी कि हर किसी ने कैसा काम किया है।
I Co UrduGeoD 3:14  अगर उसका तामीरी काम न जला जो उसने इस बुनियाद पर किया तो उसे अज्र मिलेगा।
I Co UrduGeoD 3:15  अगर उसका काम जल गया तो उसे नुक़सान पहुँचेगा। ख़ुद तो वह बच जाएगा मगर जलते जलते।
I Co UrduGeoD 3:16  क्या आपको मालूम नहीं कि आप अल्लाह का घर हैं, और आपमें अल्लाह का रूह सुकूनत करता है?
I Co UrduGeoD 3:17  अगर कोई अल्लाह के घर को तबाह करे तो अल्लाह उसे तबाह करेगा, क्योंकि अल्लाह का घर मख़सूसो-मुक़द्दस है और यह घर आप ही हैं।
I Co UrduGeoD 3:18  कोई अपने आपको फ़रेब न दे। अगर आपमें से कोई समझे कि वह इस दुनिया की नज़र में दानिशमंद है तो फिर ज़रूरी है कि वह बेवुक़ूफ़ बने ताकि वाक़ई दानिशमंद हो जाए।
I Co UrduGeoD 3:19  क्योंकि इस दुनिया की हिकमत अल्लाह की नज़र में बेवुक़ूफ़ी है। चुनाँचे मुक़द्दस नविश्तों में लिखा है, “वह दानिशमंदों को उनकी अपनी चालाकी के फंदे में फँसा देता है।”
I Co UrduGeoD 3:20  यह भी लिखा है, “रब दानिशमंदों के ख़यालात को जानता है कि वह बातिल हैं।”
I Co UrduGeoD 3:21  ग़रज़ कोई किसी इनसान के बारे में शेख़ी न मारे। सब कुछ तो आपका है।
I Co UrduGeoD 3:22  पौलुस, अपुल्लोस, कैफ़ा, दुनिया, ज़िंदगी, मौत, मौजूदा जहान के और मुस्तक़बिल के उमूर सब कुछ आपका है।
I Co UrduGeoD 3:23  लेकिन आप मसीह के हैं और मसीह अल्लाह का है।
Chapter 4
I Co UrduGeoD 4:1  ग़रज़ लोग हमें मसीह के ख़ादिम समझें, ऐसे निगरान जिन्हें अल्लाह के भेदों को खोलने की ज़िम्मादारी दी गई है।
I Co UrduGeoD 4:2  अब निगरानों का फ़र्ज़ यह है कि उन पर पूरा एतमाद किया जा सके।
I Co UrduGeoD 4:3  मुझे इस बात की ज़्यादा फ़िकर नहीं कि आप या कोई दुनियावी अदालत मेरा एहतसाब करे, बल्कि मैं ख़ुद भी अपना एहतसाब नहीं करता।
I Co UrduGeoD 4:4  मुझे किसी ग़लती का इल्म नहीं है अगरचे यह बात मुझे रास्तबाज़ क़रार देने के लिए काफ़ी नहीं है। ख़ुदावंद ख़ुद मेरा एहतसाब करता है।
I Co UrduGeoD 4:5  इसलिए वक़्त से पहले किसी बात का फ़ैसला न करें। उस वक़्त तक इंतज़ार करें जब तक ख़ुदावंद न आए। क्योंकि वही तारीकी में छुपी हुई चीज़ों को रौशनी में लाएगा और दिलों की मनसूबाबंदियों को ज़ाहिर कर देगा। उस वक़्त अल्लाह ख़ुद हर फ़रद की मुनासिब तारीफ़ करेगा।
I Co UrduGeoD 4:6  भाइयो, मैंने इन बातों का इतलाक़ अपने और अपुल्लोस पर किया ताकि आप हम पर ग़ौर करते हुए अल्लाह के कलाम की हुदूद जान लें जिनसे तजावुज़ करना मुनासिब नहीं। फिर आप फूलकर एक शख़्स की हिमायत करके दूसरे की मुख़ालफ़त नहीं करेंगे।
I Co UrduGeoD 4:7  क्योंकि कौन आपको किसी दूसरे से अफ़ज़ल क़रार देता है? जो कुछ आपके पास है क्या वह आपको मुफ़्त नहीं मिला? और अगर मुफ़्त मिला तो इस पर शेख़ी क्यों मारते हैं गोया कि आपने उसे अपनी मेहनत से हासिल किया हो?
I Co UrduGeoD 4:8  वाह जी वाह! आप सेर हो चुके हैं। आप अमीर बन चुके हैं। आप हमारे बग़ैर बादशाह बन चुके हैं। काश आप बादशाह बन चुके होते ताकि हम भी आपके साथ हुकूमत करते!
I Co UrduGeoD 4:9  इसके बजाए मुझे लगता है कि अल्लाह ने हमारे लिए जो उसके रसूल हैं रोमी तमाशागाह में सबसे निचला दर्जा मुक़र्रर किया है, जो उन लोगों के लिए मख़सूस होता है जिन्हें सज़ाए-मौत का फ़ैसला सुनाया गया हो। हाँ, हम दुनिया, फ़रिश्तों और इनसानों के सामने तमाशा बन गए हैं।
I Co UrduGeoD 4:10  हम तो मसीह की ख़ातिर बेवुक़ूफ़ बन गए हैं जबकि आप मसीह में समझदार ख़याल किए जाते हैं। हम कमज़ोर हैं जबकि आप ताक़तवर। आपकी इज़्ज़त की जाती है जबकि हमारी बेइज़्ज़ती।
I Co UrduGeoD 4:11  अब तक हमें भूक और प्यास सताती है। हम चीथड़ों में मलबूस गोया नंगे फिरते हैं। हमें मुक्के मारे जाते हैं। हमारी कोई मुस्तक़िल रिहाइशगाह नहीं।
I Co UrduGeoD 4:12  और बड़ी मशक़्क़त से हम अपने हाथों से रोज़ी कमाते हैं। लान-तान करनेवालों को हम बरकत देते हैं, ईज़ा देनेवालों को बरदाश्त करते हैं।
I Co UrduGeoD 4:13  जो हमें बुरा-भला कहते हैं उन्हें हम दुआ देते हैं। अब तक हम दुनिया का कूड़ा-करकट और ग़िलाज़त बने फिरते हैं।
I Co UrduGeoD 4:14  मैं आपको शरमिंदा करने के लिए यह नहीं लिख रहा, बल्कि अपने प्यारे बच्चे जानकर समझाने की ग़रज़ से।
I Co UrduGeoD 4:15  बेशक मसीह ईसा में आपके उस्ताद तो बेशुमार हैं, लेकिन बाप कम हैं। क्योंकि मसीह ईसा में मैं ही आपको अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाकर आपका बाप बना।
I Co UrduGeoD 4:16  अब मैं ताकीद करता हूँ कि आप मेरे नमूने पर चलें।
I Co UrduGeoD 4:17  इसलिए मैंने तीमुथियुस को आपके पास भेज दिया जो ख़ुदावंद में मेरा प्यारा और वफ़ादार बेटा है। वह आपको मसीह ईसा में मेरी उन हिदायात की याद दिलाएगा जो मैं हर जगह और ईमानदारों की हर जमात में देता हूँ।
I Co UrduGeoD 4:18  आपमें से बाज़ यों फूल गए हैं जैसे मैं अब आपके पास कभी नहीं आऊँगा।
I Co UrduGeoD 4:19  लेकिन अगर ख़ुदावंद की मरज़ी हुई तो जल्द आकर मालूम करूँगा कि क्या यह फूले हुए लोग सिर्फ़ बातें कर रहे हैं या कि अल्लाह की क़ुदरत उनमें काम कर रही है।
I Co UrduGeoD 4:20  क्योंकि अल्लाह की बादशाही ख़ाली बातों से ज़ाहिर नहीं होती बल्कि अल्लाह की क़ुदरत से।
I Co UrduGeoD 4:21  क्या आप चाहते हैं कि मैं छड़ी लेकर आपके पास आऊँ या प्यार और हलीमी की रूह में?
Chapter 5
I Co UrduGeoD 5:1  यह बात हमारे कानों तक पहुँची है कि आपके दरमियान ज़िनाकारी हो रही है, बल्कि ऐसी ज़िनाकारी जिसे ग़ैरयहूदी भी रवा नहीं समझते। कहते हैं कि आपमें से किसी ने अपनी सौतेली माँ से शादी कर रखी है।
I Co UrduGeoD 5:2  कमाल है कि आप इस फ़ेल पर नादिम नहीं बल्कि फूले फिर रहे हैं! क्या मुनासिब न होता कि आप दुख महसूस करके इस बदी के मुरतकिब को अपने दरमियान से ख़ारिज कर देते?
I Co UrduGeoD 5:3  गो मैं जिस्म के लिहाज़ से आपके पास नहीं, लेकिन रूह के लिहाज़ से ज़रूर हूँ। और मैं उस शख़्स पर फ़तवा इस तरह दे चुका हूँ जैसे कि मैं आपके दरमियान मौजूद हूँ।
I Co UrduGeoD 5:4  जब आप हमारे ख़ुदावंद ईसा के नाम में जमा होंगे तो मैं रूह में आपके साथ हूँगा और हमारे ख़ुदावंद ईसा की क़ुदरत भी।
I Co UrduGeoD 5:5  उस वक़्त ऐसे शख़्स को इबलीस के हवाले करें ताकि सिर्फ़ उसका जिस्म हलाक हो जाए, लेकिन उस की रूह ख़ुदावंद के दिन रिहाई पाए।
I Co UrduGeoD 5:6  आपका फ़ख़र करना अच्छा नहीं। क्या आपको मालूम नहीं कि जब हम थोड़ा-सा ख़मीर ताज़ा गुंधे हुए आटे में मिलाते हैं तो वह सारे आटे को ख़मीर कर देता है?
I Co UrduGeoD 5:7  अपने आपको ख़मीर से पाक-साफ़ करके ताज़ा गुंधा हुआ आटा बन जाएँ। दर-हक़ीक़त आप हैं भी पाक, क्योंकि हमारा ईदे-फ़सह का लेला मसीह हमारे लिए ज़बह हो चुका है।
I Co UrduGeoD 5:8  इसलिए आइए हम पुराने ख़मीरी आटे यानी बुराई और बदी को दूर करके ताज़ा गुंधे हुए आटे यानी ख़ुलूस और सच्चाई की रोटियाँ बनाकर फ़सह की ईद मनाएँ।
I Co UrduGeoD 5:9  मैंने ख़त में लिखा था कि आप ज़िनाकारों से ताल्लुक़ न रखें।
I Co UrduGeoD 5:10  मेरा मतलब यह नहीं था कि आप इस दुनिया के ज़िनाकारों से ताल्लुक़ मुंक़ते कर लें या इस दुनिया के लालचियों, लुटेरों और बुतपरस्तों से। अगर आप ऐसा करते तो लाज़िम होता कि आप दुनिया ही से कूच कर जाते।
I Co UrduGeoD 5:11  नहीं, मेरा मतलब यह था कि आप ऐसे शख़्स से ताल्लुक़ न रखें जो मसीह में तो भाई कहलाता है मगर है वह ज़िनाकार या लालची या बुतपरस्त या गाली-गलोच करनेवाला या शराबी या लुटेरा। ऐसे शख़्स के साथ खाना तक भी न खाएँ।
I Co UrduGeoD 5:12  मैं उन लोगों की अदालत क्यों करता फिरूँ जो ईमानदारों की जमात से बाहर हैं? क्या आप ख़ुद भी सिर्फ़ उनकी अदालत नहीं करते जो जमात के अंदर हैं?
I Co UrduGeoD 5:13  बाहरवालों की अदालत तो ख़ुदा ही करेगा। कलामे-मुक़द्दस में यों लिखा है, ‘शरीर को अपने दरमियान से निकाल दो।’
Chapter 6
I Co UrduGeoD 6:1  आपमें यह जुर्रत कैसे पैदा हुई कि जब किसी का किसी दूसरे ईमानदार के साथ तनाज़ा हो तो वह अपना झगड़ा बेदीनों के सामने ले जाता है न कि मुक़द्दसों के सामने?
I Co UrduGeoD 6:2  क्या आप नहीं जानते कि मुक़द्दसीन दुनिया की अदालत करेंगे? और अगर आप दुनिया की अदालत करेंगे तो क्या आप इस क़ाबिल नहीं कि छोटे मोटे झगड़ों का फ़ैसला कर सकें?
I Co UrduGeoD 6:3  क्या आपको मालूम नहीं कि हम फ़रिश्तों की अदालत करेंगे? तो फिर क्या हम रोज़मर्रा के मामलात को नहीं निपटा सकते?
I Co UrduGeoD 6:4  और इस क़िस्म के मामलात को फ़ैसल करने के लिए आप ऐसे लोगों को क्यों मुक़र्रर करते हैं जो जमात की निगाह में कोई हैसियत नहीं रखते?
I Co UrduGeoD 6:5  यह बात मैं आपको शर्म दिलाने के लिए कहता हूँ। क्या आपमें एक भी सयाना शख़्स नहीं जो अपने भाइयों के माबैन फ़ैसला करने के क़ाबिल हो?
I Co UrduGeoD 6:6  लेकिन नहीं। भाई अपने ही भाई पर मुक़दमा चलाता है और वह भी ग़ैरईमानदारों के सामने।
I Co UrduGeoD 6:7  अव्वल तो आपसे यह ग़लती हुई कि आप एक दूसरे से मुक़दमाबाज़ी करते हैं। अगर कोई आपसे नाइनसाफ़ी कर रहा हो तो क्या बेहतर नहीं कि आप उसे ऐसा करने दें? और अगर कोई आपको ठग रहा हो तो क्या यह बेहतर नहीं कि आप उसे ठगने दें?
I Co UrduGeoD 6:8  इसके बरअक्स आपका यह हाल है कि आप ख़ुद ही नाइनसाफ़ी करते और ठगते हैं और वह भी अपने भाइयों को।
I Co UrduGeoD 6:9  क्या आप नहीं जानते कि नाइनसाफ़ अल्लाह की बादशाही मीरास में नहीं पाएँगे? फ़रेब न खाएँ! हरामकार, बुतपरस्त, ज़िनाकार, हमजिंसपरस्त, लौंडेबाज़,
I Co UrduGeoD 6:10  चोर, लालची, शराबी, बदज़बान, लुटेरे, यह सब अल्लाह की बादशाही मीरास में नहीं पाएँगे।
I Co UrduGeoD 6:11  आपमें से कुछ ऐसे थे भी। लेकिन आपको धोया गया, आपको मुक़द्दस किया गया, आपको ख़ुदावंद ईसा मसीह के नाम और हमारे ख़ुदा के रूह से रास्तबाज़ बनाया गया है।
I Co UrduGeoD 6:12  मेरे लिए सब कुछ जायज़ है, लेकिन सब कुछ मुफ़ीद नहीं। मेरे लिए सब कुछ जायज़ तो है, लेकिन मैं किसी भी चीज़ को इजाज़त नहीं दूँगा कि मुझ पर हुकूमत करे।
I Co UrduGeoD 6:13  बेशक ख़ुराक पेट के लिए और पेट ख़ुराक के लिए है, मगर अल्लाह दोनों को नेस्त कर देगा। लेकिन हम इससे यह नतीजा नहीं निकाल सकते कि जिस्म ज़िनाकारी के लिए है। हरगिज़ नहीं! जिस्म ख़ुदावंद के लिए है और ख़ुदावंद जिस्म के लिए।
I Co UrduGeoD 6:14  अल्लाह ने अपनी क़ुदरत से ख़ुदावंद ईसा को ज़िंदा किया और इसी तरह वह हमें भी ज़िंदा करेगा।
I Co UrduGeoD 6:15  क्या आप नहीं जानते कि आपके जिस्म मसीह के आज़ा हैं? तो क्या मैं मसीह के आज़ा को लेकर फ़ाहिशा के आज़ा बनाऊँ? हरगिज़ नहीं।
I Co UrduGeoD 6:16  क्या आपको मालूम नहीं कि जो फ़ाहिशा से लिपट जाता है वह उसके साथ एक तन हो जाता है? जैसे पाक नविश्तों में लिखा है, “वह दोनों एक हो जाते हैं।”
I Co UrduGeoD 6:17  इसके बरअक्स जो ख़ुदावंद से लिपट जाता है वह उसके साथ एक रूह हो जाता है।
I Co UrduGeoD 6:18  ज़िनाकारी से भागें! इनसान से सरज़द होनेवाला हर गुनाह उसके जिस्म से बाहर होता है सिवाए ज़िना के। ज़िनाकार तो अपने ही जिस्म का गुनाह करता है।
I Co UrduGeoD 6:19  क्या आप नहीं जानते कि आपका बदन रूहुल-क़ुद्स का घर है जो आपके अंदर सुकूनत करता है और जो आपको अल्लाह की तरफ़ से मिला है? आप अपने मालिक नहीं हैं
I Co UrduGeoD 6:20  क्योंकि आपको क़ीमत अदा करके ख़रीदा गया है। अब अपने बदन से अल्लाह को जलाल दें।
Chapter 7
I Co UrduGeoD 7:1  अब मैं आपके सवालात का जवाब देता हूँ। बेशक अच्छा है कि मर्द शादी न करे।
I Co UrduGeoD 7:2  लेकिन ज़िनाकारी से बचने की ख़ातिर हर मर्द की अपनी बीवी और हर औरत का अपना शौहर हो।
I Co UrduGeoD 7:3  शौहर अपनी बीवी का हक़ अदा करे और इसी तरह बीवी अपने शौहर का।
I Co UrduGeoD 7:4  बीवी अपने जिस्म पर इख़्तियार नहीं रखती बल्कि उसका शौहर। इसी तरह शौहर भी अपने जिस्म पर इख़्तियार नहीं रखता बल्कि उस की बीवी।
I Co UrduGeoD 7:5  चुनाँचे एक दूसरे से जुदा न हों सिवाए इसके कि आप दोनों बाहमी रज़ामंदी से एक वक़्त मुक़र्रर कर लें ताकि दुआ के लिए ज़्यादा फ़ुरसत मिल सके। लेकिन इसके बाद आप दुबारा इकट्ठे हो जाएँ ताकि इबलीस आपके बेज़ब्त नफ़स से फ़ायदा उठाकर आपको आज़माइश में न डाले।
I Co UrduGeoD 7:6  यह मैं हुक्म के तौर पर नहीं बल्कि आपके हालात के पेशे-नज़र रिआयतन कह रहा हूँ।
I Co UrduGeoD 7:7  मैं चाहता हूँ कि तमाम लोग मुझ जैसे ही हों। लेकिन हर एक को अल्लाह की तरफ़ से अलग नेमत मिली है, एक को यह नेमत, दूसरे को वह।
I Co UrduGeoD 7:8  मैं ग़ैरशादीशुदा अफ़राद और बेवाओं से यह कहता हूँ कि अच्छा हो अगर आप मेरी तरह ग़ैरशादीशुदा रहें।
I Co UrduGeoD 7:9  लेकिन अगर आप अपने आप पर क़ाबू न रख सकें तो शादी कर लें। क्योंकि इससे पेशतर कि आपके शहवानी जज़बात बेलगाम होने लगें बेहतर यह है कि आप शादी कर लें।
I Co UrduGeoD 7:10  शादीशुदा जोड़ों को मैं नहीं बल्कि ख़ुदावंद हुक्म देता है कि बीवी अपने शौहर से ताल्लुक़ मुंक़ते न करे।
I Co UrduGeoD 7:11  अगर वह ऐसा कर चुकी हो तो दूसरी शादी न करे या अपने शौहर से सुलह कर ले। इसी तरह शौहर भी अपनी बीवी को तलाक़ न दे।
I Co UrduGeoD 7:12  दीगर लोगों को ख़ुदावंद नहीं बल्कि मैं नसीहत करता हूँ कि अगर किसी ईमानदार भाई की बीवी ईमान नहीं लाई, लेकिन वह शौहर के साथ रहने पर राज़ी हो तो फिर वह अपनी बीवी को तलाक़ न दे।
I Co UrduGeoD 7:13  इसी तरह अगर किसी ईमानदार ख़ातून का शौहर ईमान नहीं लाया, लेकिन वह बीवी के साथ रहने पर रज़ामंद हो तो वह अपने शौहर को तलाक़ न दे।
I Co UrduGeoD 7:14  क्योंकि जो शौहर ईमान नहीं लाया उसे उस की ईमानदार बीवी की मारिफ़त मुक़द्दस ठहराया गया है और जो बीवी ईमान नहीं लाई उसे उसके ईमानदार शौहर की मारिफ़त मुक़द्दस क़रार दिया गया है। अगर ऐसा न होता तो आपके बच्चे नापाक होते, मगर अब वह मुक़द्दस हैं।
I Co UrduGeoD 7:15  लेकिन अगर ग़ैरईमानदार शौहर या बीवी अपना ताल्लुक़ मुंक़ते कर ले तो उसे जाने दें। ऐसी सूरत में ईमानदार भाई या बहन इस बंधन से आज़ाद हो गए। मगर अल्लाह ने आपको सुलह-सलामती की ज़िंदगी गुज़ारने के लिए बुलाया है।
I Co UrduGeoD 7:16  बहन, मुमकिन है आप अपने ख़ाविंद की नजात का बाइस बन जाएँ। या भाई, मुमकिन है आप अपनी बीवी की नजात का बाइस बन जाएँ।
I Co UrduGeoD 7:17  हर शख़्स उसी राह पर चले जो ख़ुदावंद ने उसके लिए मुक़र्रर की और उस हालत में जिसमें अल्लाह ने उसे बुलाया है। ईमानदारों की तमाम जमातों के लिए मेरी यही हिदायत है।
I Co UrduGeoD 7:18  अगर किसी को मख़तून हालत में बुलाया गया तो वह नामख़तून होने की कोशिश न करे। अगर किसी को नामख़तूनी की हालत में बुलाया गया तो वह अपना ख़तना न करवाए।
I Co UrduGeoD 7:19  न ख़तना कुछ चीज़ है और न ख़तने का न होना, बल्कि अल्लाह के अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना ही सब कुछ है।
I Co UrduGeoD 7:20  हर शख़्स उसी हैसियत में रहे जिसमें उसे बुलाया गया था।
I Co UrduGeoD 7:21  क्या आप ग़ुलाम थे जब ख़ुदावंद ने आपको बुलाया? यह बात आपको परेशान न करे। अलबत्ता अगर आपको आज़ाद होने का मौक़ा मिले तो इससे ज़रूर फ़ायदा उठाएँ।
I Co UrduGeoD 7:22  क्योंकि जो उस वक़्त ग़ुलाम था जब ख़ुदावंद ने उसे बुलाया वह अब ख़ुदावंद का आज़ाद किया हुआ है। इसी तरह जो आज़ाद था जब उसे बुलाया गया वह अब मसीह का ग़ुलाम है।
I Co UrduGeoD 7:23  आपको क़ीमत देकर ख़रीदा गया है, इसलिए इनसान के ग़ुलाम न बनें।
I Co UrduGeoD 7:24  भाइयो, हर शख़्स जिस हालत में बुलाया गया उसी में वह अल्लाह के सामने क़ायम रहे।
I Co UrduGeoD 7:25  कुँवारियों के बारे में मुझे ख़ुदावंद की तरफ़ से कोई ख़ास हुक्म नहीं मिला। तो भी मैं जिसे अल्लाह ने अपनी रहमत से क़ाबिले-एतमाद बनाया है आप पर अपनी राय का इज़हार करता हूँ।
I Co UrduGeoD 7:26  मेरी दानिस्त में मौजूदा मुसीबत के पेशे-नज़र इनसान के लिए अच्छा है कि ग़ैरशादीशुदा रहे।
I Co UrduGeoD 7:27  अगर आप किसी ख़ातून के साथ शादी के बंधन में बँध चुके हैं तो फिर इस बंधन को तोड़ने की कोशिश न करें। लेकिन अगर आप शादी के बंधन में नहीं बँधे तो फिर इसके लिए कोशिश न करें।
I Co UrduGeoD 7:28  ताहम अगर आपने शादी कर ही ली है तो आपने गुनाह नहीं किया। इसी तरह अगर कुँवारी शादी कर चुकी है तो यह गुनाह नहीं। मगर ऐसे लोग जिस्मानी तौर पर मुसीबत में पड़ जाएंगे जबकि मैं आपको इससे बचाना चाहता हूँ।
I Co UrduGeoD 7:29  भाइयो, मैं तो यह कहता हूँ कि वक़्त थोड़ा है। आइंदा शादीशुदा ऐसे ज़िंदगी बसर करें जैसे कि ग़ैरशादीशुदा हैं।
I Co UrduGeoD 7:30  रोनेवाले ऐसे हों जैसे नहीं रो रहे। ख़ुशी मनानेवाले ऐसे हों जैसे ख़ुशी नहीं मना रहे। ख़रीदनेवाले ऐसे हों जैसे उनके पास कुछ भी नहीं।
I Co UrduGeoD 7:31  दुनिया से फ़ायदा उठानेवाले ऐसे हों जैसे इसका कोई फ़ायदा नहीं। क्योंकि इस दुनिया की मौजूदा शक्लो-सूरत ख़त्म होती जा रही है।
I Co UrduGeoD 7:32  मैं तो चाहता हूँ कि आप फ़िकरों से आज़ाद रहें। ग़ैरशादीशुदा शख़्स ख़ुदावंद के मामलों की फ़िकर में रहता है कि किस तरह उसे ख़ुश करे।
I Co UrduGeoD 7:33  इसके बरअक्स शादीशुदा शख़्स दुनियावी फ़िकर में रहता है कि किस तरह अपनी बीवी को ख़ुश करे।
I Co UrduGeoD 7:34  यों वह बड़ी कश-म-कश में मुब्तला रहता है। इसी तरह ग़ैरशादीशुदा ख़ातून और कुँवारी ख़ुदावंद की फ़िकर में रहती है कि वह जिस्मानी और रूहानी तौर पर उसके लिए मख़सूसो-मुक़द्दस हो। इसके मुक़ाबले में शादीशुदा ख़ातून दुनियावी फ़िकर में रहती है कि अपने ख़ाविंद को किस तरह ख़ुश करे।
I Co UrduGeoD 7:35  मैं यह आप ही के फ़ायदे के लिए कहता हूँ। मक़सद यह नहीं कि आप पर पाबंदियाँ लगाई जाएँ बल्कि यह कि आप शराफ़त, साबितक़दमी और यकसूई के साथ ख़ुदावंद की हुज़ूरी में चलें।
I Co UrduGeoD 7:36  अगर कोई समझता है, ‘मैं अपनी कुँवारी मंगेतर से शादी न करने से उसका हक़ मार रहा हूँ’ या यह कि ‘मेरी उसके लिए ख़ाहिश हद से ज़्यादा है, इसलिए शादी होनी चाहिए’ तो फिर वह अपने इरादे को पूरा करे, यह गुनाह नहीं। वह शादी कर ले।
I Co UrduGeoD 7:37  लेकिन इसके बरअक्स अगर उसने शादी न करने का पुख़्ता अज़म कर लिया है और वह मजबूर नहीं बल्कि अपने इरादे पर इख़्तियार रखता है और उसने अपने दिल में फ़ैसला कर लिया है कि अपनी कुँवारी लड़की को ऐसे ही रहने दे तो उसने अच्छा किया।
I Co UrduGeoD 7:38  ग़रज़ जिसने अपनी कुँवारी मंगेतर से शादी कर ली है उसने अच्छा किया है, लेकिन जिसने नहीं की उसने और भी अच्छा किया है।
I Co UrduGeoD 7:39  जब तक ख़ाविंद ज़िंदा है बीवी को उससे रिश्ता तोड़ने की इजाज़त नहीं। ख़ाविंद की वफ़ात के बाद वह आज़ाद है कि जिससे चाहे शादी कर ले, मगर सिर्फ़ ख़ुदावंद में।
I Co UrduGeoD 7:40  लेकिन मेरी दानिस्त में अगर वह ऐसे ही रहे तो ज़्यादा मुबारक होगी। और मैं समझता हूँ कि मुझमें भी अल्लाह का रूह है।
Chapter 8
I Co UrduGeoD 8:1  अब मैं बुतों की क़ुरबानी के बारे में बात करता हूँ। हम जानते हैं कि हम सब साहबे-इल्म हैं। इल्म इनसान के फूलने का बाइस बनता है जबकि मुहब्बत उस की तामीर करती है।
I Co UrduGeoD 8:2  जो समझता है कि उसने कुछ जान लिया है उसने अब तक उस तरह नहीं जाना जिस तरह उसको जानना चाहिए।
I Co UrduGeoD 8:3  लेकिन जो अल्लाह से मुहब्बत रखता है उसे अल्लाह ने जान लिया है।
I Co UrduGeoD 8:4  बुतों की क़ुरबानी खाने के ज़िम्न में हम जानते हैं कि दुनिया में बुत कोई चीज़ नहीं और कि रब के सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है।
I Co UrduGeoD 8:5  बेशक आसमानो-ज़मीन पर कई नाम-निहाद देवता होते हैं, हाँ दरअसल बहुतेरे देवताओं और ख़ुदावंदों की पूजा की जाती है।
I Co UrduGeoD 8:6  तो भी हम जानते हैं कि फ़क़त एक ही ख़ुदा है, हमारा बाप जिसने सब कुछ पैदा किया है और जिसके लिए हम ज़िंदगी गुज़ारते हैं। और एक ही ख़ुदावंद है यानी ईसा मसीह जिसके वसीले से सब कुछ वुजूद में आया है और जिससे हमें ज़िंदगी हासिल है।
I Co UrduGeoD 8:7  लेकिन हर किसी को इसका इल्म नहीं। बाज़ ईमानदार तो अब तक यह सोचने के आदी हैं कि बुत का वुजूद है। इसलिए जब वह किसी बुत की क़ुरबानी का गोश्त खाते हैं तो वह समझते हैं कि हम ऐसा करने से उस बुत की पूजा कर रहे हैं। यों उनका ज़मीर कमज़ोर होने की वजह से आलूदा हो जाता है।
I Co UrduGeoD 8:8  हक़ीक़त तो यह है कि हमारा अल्लाह को पसंद आना इस बात पर मबनी नहीं कि हम क्या खाते हैं और क्या नहीं खाते। न परहेज़ करने से हमें कोई नुक़सान पहुँचता है और न खा लेने से कोई फ़ायदा।
I Co UrduGeoD 8:9  लेकिन ख़बरदार रहें कि आपकी यह आज़ादी कमज़ोरों के लिए ठोकर का बाइस न बने।
I Co UrduGeoD 8:10  क्योंकि अगर कोई कमज़ोरज़मीर शख़्स आपको बुतख़ाने में खाना खाते हुए देखे तो क्या उसे उसके ज़मीर के ख़िलाफ़ बुतों की क़ुरबानियाँ खाने पर उभारा नहीं जाएगा?
I Co UrduGeoD 8:11  इस तरह आपका कमज़ोर भाई जिसकी ख़ातिर मसीह क़ुरबान हुआ आपके इल्मो-इरफ़ान की वजह से हलाक हो जाएगा।
I Co UrduGeoD 8:12  जब आप इस तरह अपने भाइयों का गुनाह करते और उनके कमज़ोर ज़मीर को मजरूह करते हैं तो आप मसीह का ही गुनाह करते हैं।
I Co UrduGeoD 8:13  इसलिए अगर ऐसा खाना मेरे भाई को सहीह राह से भटकाने का बाइस बने तो मैं कभी गोश्त नहीं खाऊँगा ताकि अपने भाई की गुमराही का बाइस न बनूँ।
Chapter 9
I Co UrduGeoD 9:1  क्या मैं आज़ाद नहीं? क्या मैं मसीह का रसूल नहीं? क्या मैंने ईसा को नहीं देखा जो हमारा ख़ुदावंद है? क्या आप ख़ुदावंद में मेरी मेहनत का फल नहीं हैं?
I Co UrduGeoD 9:2  अगरचे मैं दूसरों के नज़दीक मसीह का रसूल नहीं, लेकिन आपके नज़दीक तो ज़रूर हूँ। ख़ुदावंद में आप ही मेरी रिसालत पर मुहर हैं।
I Co UrduGeoD 9:3  जो मेरी बाज़पुर्स करना चाहते हैं उन्हें मैं अपने दिफ़ा में कहता हूँ,
I Co UrduGeoD 9:4  क्या हमें खाने-पीने का हक़ नहीं?
I Co UrduGeoD 9:5  क्या हमें हक़ नहीं कि शादी करके अपनी बीवी को साथ लिए फिरें? दूसरे रसूल और ख़ुदावंद के भाई और कैफ़ा तो ऐसा ही करते हैं।
I Co UrduGeoD 9:6  क्या मुझे और बरनबास ही को अपनी ख़िदमत के अज्र में कुछ पाने का हक़ नहीं?
I Co UrduGeoD 9:7  कौन-सा फ़ौजी अपने ख़र्च पर जंग लड़ता है? कौन अंगूर का बाग़ लगाकर उसके फल से अपना हिस्सा नहीं पाता? या कौन रेवड़ की गल्लाबानी करके उसके दूध से अपना हिस्सा नहीं पाता?
I Co UrduGeoD 9:8  क्या मैं यह फ़क़त इनसानी सोच के तहत कह रहा हूँ? क्या शरीअत भी यही नहीं कहती?
I Co UrduGeoD 9:9  तौरेत में लिखा है, “जब तू फ़सल गाहने के लिए उस पर बैल चलने देता है तो उसका मुँह बाँधकर न रखना।” क्या अल्लाह सिर्फ़ बैलों की फ़िकर करता है
I Co UrduGeoD 9:10  या वह हमारी ख़ातिर यह फ़रमाता है? हाँ, ज़रूर हमारी ख़ातिर क्योंकि हल चलानेवाला इस उम्मीद पर चलाता है कि उसे कुछ मिलेगा। इसी तरह गाहनेवाला इस उम्मीद पर गाहता है कि वह पैदावार में से अपना हिस्सा पाएगा।
I Co UrduGeoD 9:11  हमने आपके लिए रूहानी बीज बोया है। तो क्या यह नामुनासिब है अगर हम आपसे जिस्मानी फ़सल काटें?
I Co UrduGeoD 9:12  अगर दूसरों को आपसे अपना हिस्सा लेने का हक़ है तो क्या हमारा उनसे ज़्यादा हक़ नहीं बनता? लेकिन हमने इस हक़ से फ़ायदा नहीं उठाया। हम सब कुछ बरदाश्त करते हैं ताकि मसीह की ख़ुशख़बरी के लिए किसी भी तरह से रुकावट का बाइस न बनें।
I Co UrduGeoD 9:13  क्या आप नहीं जानते कि बैतुल-मुक़द्दस में ख़िदमत करनेवालों की ज़रूरियात बैतुल-मुक़द्दस ही से पूरी की जाती हैं? जो क़ुरबानियाँ चढ़ाने के काम में मसरूफ़ रहते हैं उन्हें क़ुरबानियों से ही हिस्सा मिलता है।
I Co UrduGeoD 9:14  इसी तरह ख़ुदावंद ने मुक़र्रर किया है कि इंजील की ख़ुशख़बरी की मुनादी करनेवालों की ज़रूरियात उनसे पूरी की जाएँ जो इस ख़िदमत से फ़ायदा उठाते हैं।
I Co UrduGeoD 9:15  लेकिन मैंने किसी तरह भी इससे फ़ायदा नहीं उठाया, और न इसलिए लिखा है कि मेरे साथ ऐसा सुलूक किया जाए। नहीं, इससे पहले कि फ़ख़र करने का मेरा यह हक़ मुझसे छीन लिया जाए बेहतर यह है कि मैं मर जाऊँ।
I Co UrduGeoD 9:16  लेकिन अल्लाह की ख़ुशख़बरी की मुनादी करना मेरे लिए फ़ख़र का बाइस नहीं। मैं तो यह करने पर मजबूर हूँ। मुझ पर अफ़सोस अगर इस ख़ुशख़बरी की मुनादी न करूँ।
I Co UrduGeoD 9:17  अगर मैं यह अपनी मरज़ी से करता तो फिर अज्र का मेरा हक़ बनता। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि ख़ुदा ही ने मुझे यह ज़िम्मादारी दी है।
I Co UrduGeoD 9:18  तो फिर मेरा अज्र क्या है? यह कि मैं इंजील की ख़ुशख़बरी मुफ़्त सुनाऊँ और अपने उस हक़ से फ़ायदा न उठाऊँ जो मुझे उस की मुनादी करने से हासिल है।
I Co UrduGeoD 9:19  अगरचे मैं सब लोगों से आज़ाद हूँ फिर भी मैंने अपने आपको सबका ग़ुलाम बना लिया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जीत लूँ।
I Co UrduGeoD 9:20  मैं यहूदियों के दरमियान यहूदी की मानिंद बना ताकि यहूदियों को जीत लूँ। मूसवी शरीअत के तहत ज़िंदगी गुज़ारनेवालों के दरमियान मैं उनकी मानिंद बना ताकि उन्हें जीत लूँ, गो मैं शरीअत के मातहत नहीं।
I Co UrduGeoD 9:21  मूसवी शरीअत के बग़ैर ज़िंदगी गुज़ारनेवालों के दरमियान मैं उन्हीं की मानिंद बना ताकि उन्हें जीत लूँ। इसका मतलब यह नहीं कि मैं अल्लाह की शरीअत के ताबे नहीं हूँ। हक़ीक़त में मैं मसीह की शरीअत के तहत ज़िंदगी गुज़ारता हूँ।
I Co UrduGeoD 9:22  मैं कमज़ोरों के लिए कमज़ोर बना ताकि उन्हें जीत लूँ। सबके लिए मैं सब कुछ बना ताकि हर मुमकिन तरीक़े से बाज़ को बचा सकूँ।
I Co UrduGeoD 9:23  जो कुछ भी करता हूँ अल्लाह की ख़ुशख़बरी के वास्ते करता हूँ ताकि इसकी बरकात में शरीक हो जाऊँ।
I Co UrduGeoD 9:24  क्या आप नहीं जानते कि स्टेडियम में दौड़ते तो सब ही हैं, लेकिन इनाम एक ही शख़्स हासिल करता है? चुनाँचे ऐसे दौड़ें कि आप ही जीतें।
I Co UrduGeoD 9:25  खेलों में शरीक होनेवाला हर शख़्स अपने आपको सख़्त नज़मो-ज़ब्त का पाबंद रखता है। वह फ़ानी ताज पाने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन हम ग़ैरफ़ानी ताज पाने के लिए।
I Co UrduGeoD 9:26  चुनाँचे मैं हर वक़्त मनज़िले-मक़सूद को पेशे-नज़र रखते हुए दौड़ता हूँ। और मैं इसी तरह बाक्सिंग भी करता हूँ, मैं हवा में मुक्के नहीं मारता बल्कि निशाने को।
I Co UrduGeoD 9:27  मैं अपने बदन को मारता कूटता और इसे अपना ग़ुलाम बनाता हूँ, ऐसा न हो कि दूसरों में मुनादी करके ख़ुद नामक़बूल ठहरूँ।
Chapter 10
I Co UrduGeoD 10:1  भाइयो, मैं नहीं चाहता कि आप इस बात से नावाक़िफ़ रहें कि हमारे बापदादा सब बादल के नीचे थे। वह सब समुंदर में से गुज़रे।
I Co UrduGeoD 10:2  उन सबने बादल और समुंदर में मूसा का बपतिस्मा लिया।
I Co UrduGeoD 10:3  सबने एक ही रूहानी ख़ुराक खाई
I Co UrduGeoD 10:4  और सबने एक ही रूहानी पानी पिया। क्योंकि मसीह रूहानी चटान की सूरत में उनके साथ साथ चलता रहा और वही उन सबको पानी पिलाता रहा।
I Co UrduGeoD 10:5  इसके बावुजूद उनमें से बेशतर लोग अल्लाह को पसंद न आए, इसलिए वह रेगिस्तान में हलाक हो गए।
I Co UrduGeoD 10:6  यह सब कुछ हमारी इबरत के लिए वाक़े हुआ ताकि हम उन लोगों की तरह बुरी चीज़ों की हवस न करें।
I Co UrduGeoD 10:7  उनमें से बाज़ की तरह बुतपरस्त न बनें, जैसे मुक़द्दस नविश्तों में लिखा है, “लोग खाने-पीने के लिए बैठ गए और फिर उठकर रंगरलियों में अपने दिल बहलाने लगे।”
I Co UrduGeoD 10:8  हम ज़िना भी न करें जैसे उनमें से बाज़ ने किया और नतीजे में एक ही दिन में 23,000 अफ़राद ढेर हो गए।
I Co UrduGeoD 10:9  हम ख़ुदावंद की आज़माइश भी न करें जिस तरह उनमें से बाज़ ने की और नतीजे में साँपों से हलाक हुए।
I Co UrduGeoD 10:10  और न बुड़बुड़ाएँ जिस तरह उनमें से बाज़ बुड़बुड़ाने लगे और नतीजे में हलाक करनेवाले फ़रिश्ते के हाथों मारे गए।
I Co UrduGeoD 10:11  यह माजरे इबरत की ख़ातिर उन पर वाक़े हुए और हम अख़ीर ज़माने में रहनेवालों की नसीहत के लिए लिखे गए।
I Co UrduGeoD 10:12  ग़रज़ जो समझता है कि वह मज़बूती से खड़ा है, ख़बरदार रहे कि गिर न पड़े।
I Co UrduGeoD 10:13  आप सिर्फ़ ऐसी आज़माइशों में पड़े हैं जो इनसान के लिए आम होती हैं। और अल्लाह वफ़ादार है। वह आपको आपकी ताक़त से ज़्यादा आज़माइश में नहीं पड़ने देगा। जब आप आज़माइश में पड़ जाएंगे तो वह उसमें से निकलने की राह भी पैदा कर देगा ताकि आप उसे बरदाश्त कर सकें।
I Co UrduGeoD 10:14  ग़रज़ मेरे प्यारो, बुतपरस्ती से भागें।
I Co UrduGeoD 10:15  मैं आपको समझदार जानकर बात कर रहा हूँ। आप ख़ुद मेरी इस बात का फ़ैसला करें।
I Co UrduGeoD 10:16  जब हम अशाए-रब्बानी के मौक़े पर बरकत के प्याले को बरकत देकर उसमें से पीते हैं तो क्या हम यों मसीह के ख़ून में शरीक नहीं होते? और जब हम रोटी तोड़कर खाते हैं तो क्या मसीह के बदन में शरीक नहीं होते?
I Co UrduGeoD 10:17  रोटी तो एक ही है, इसलिए हम जो बहुत-से हैं एक ही बदन हैं, क्योंकि हम सब एक ही रोटी में शरीक होते हैं।
I Co UrduGeoD 10:18  बनी इसराईल पर ग़ौर करें। क्या बैतुल-मुक़द्दस में क़ुरबानियाँ खानेवाले क़ुरबानगाह की रिफ़ाक़त में शरीक नहीं होते?
I Co UrduGeoD 10:19  क्या मैं यह कहना चाहता हूँ कि बुतों के चढ़ावे की कोई हैसियत है? या कि बुत की कोई हैसियत है? हरगिज़ नहीं।
I Co UrduGeoD 10:20  मैं यह कहता हूँ कि जो क़ुरबानियाँ वह गुज़राँते हैं अल्लाह को नहीं बल्कि शयातीन को गुज़राँते हैं। और मैं नहीं चाहता कि आप शयातीन की रिफ़ाक़त में शरीक हों।
I Co UrduGeoD 10:21  आप ख़ुदावंद के प्याले और साथ ही शयातीन के प्याले से नहीं पी सकते। आप ख़ुदावंद के रिफ़ाक़ती खाने और साथ ही शयातीन के रिफ़ाक़ती खाने में शरीक नहीं हो सकते।
I Co UrduGeoD 10:22  या क्या हम अल्लाह की ग़ैरत को उकसाना चाहते हैं? क्या हम उससे ताक़तवर हैं?
I Co UrduGeoD 10:23  सब कुछ रवा तो है, लेकिन सब कुछ मुफ़ीद नहीं। सब कुछ जायज़ तो है, लेकिन सब कुछ हमारी तामीरो-तरक़्क़ी का बाइस नहीं होता।
I Co UrduGeoD 10:24  हर कोई अपने ही फ़ायदे की तलाश में न रहे बल्कि दूसरे के।
I Co UrduGeoD 10:25  बाज़ार में जो कुछ बिकता है उसे खाएँ और अपने ज़मीर को मुतमइन करने की ख़ातिर पूछ-गछ न करें,
I Co UrduGeoD 10:26  क्योंकि “ज़मीन और जो कुछ उस पर है रब का है।”
I Co UrduGeoD 10:27  अगर कोई ग़ैरईमानदार आपकी दावत करे और आप उस दावत को क़बूल कर लें तो आपके सामने जो कुछ भी रखा जाए उसे खाएँ। अपने ज़मीर के इतमीनान के लिए तफ़तीश न करें।
I Co UrduGeoD 10:28  लेकिन अगर कोई आपको बता दे, “यह बुतों का चढ़ावा है” तो फिर उस शख़्स की ख़ातिर जिसने आपको आगाह किया है और ज़मीर की ख़ातिर उसे न खाएँ।
I Co UrduGeoD 10:29  मतलब है अपने ज़मीर की ख़ातिर नहीं बल्कि दूसरे के ज़मीर की ख़ातिर। क्योंकि यह किस तरह हो सकता है कि किसी दूसरे का ज़मीर मेरी आज़ादी के बारे में फ़ैसला करे?
I Co UrduGeoD 10:30  अगर मैं ख़ुदा का शुक्र करके किसी खाने में शरीक होता हूँ तो फिर मुझे क्यों बुरा कहा जाए? मैं तो उसे ख़ुदा का शुक्र करके खाता हूँ।
I Co UrduGeoD 10:31  चुनाँचे सब कुछ अल्लाह के जलाल की ख़ातिर करें, ख़ाह आप खाएँ, पिएँ या और कुछ करें।
I Co UrduGeoD 10:32  किसी के लिए ठोकर का बाइस न बनें, न यहूदियों के लिए, न यूनानियों के लिए और न अल्लाह की जमात के लिए।
I Co UrduGeoD 10:33  इसी तरह मैं भी सबको पसंद आने की हर मुमकिन कोशिश करता हूँ। मैं अपने ही फ़ायदे के ख़याल में नहीं रहता बल्कि दूसरों के ताकि बहुतेरे नजात पाएँ।
Chapter 11
I Co UrduGeoD 11:1  मेरे नमूने पर चलें जिस तरह मैं मसीह के नमूने पर चलता हूँ।
I Co UrduGeoD 11:2  शाबाश कि आप हर तरह से मुझे याद रखते हैं। आपने रिवायात को यों महफ़ूज़ रखा है जिस तरह मैंने उन्हें आपके सुपुर्द किया था।
I Co UrduGeoD 11:3  लेकिन मैं आपको एक और बात से आगाह करना चाहता हूँ। हर मर्द का सर मसीह है जबकि औरत का सर मर्द और मसीह का सर अल्लाह है।
I Co UrduGeoD 11:4  अगर कोई मर्द सर ढाँककर दुआ या नबुव्वत करे तो वह अपने सर की बेइज़्ज़ती करता है।
I Co UrduGeoD 11:5  और अगर कोई ख़ातून नंगे सर दुआ या नबुव्वत करे तो वह अपने सर की बेइज़्ज़ती करती है, गोया वह सर मुंडी है।
I Co UrduGeoD 11:6  जो औरत अपने सर पर दोपट्टा नहीं लेती वह टिंड करवाए। लेकिन अगर टिंड करवाना या सर मुँडवाना उसके लिए बेइज़्ज़ती का बाइस है तो फिर वह अपने सर को ज़रूर ढाँके।
I Co UrduGeoD 11:7  लेकिन मर्द के लिए लाज़िम है कि वह अपने सर को न ढाँके क्योंकि वह अल्लाह की सूरत और जलाल को मुनअकिस करता है। लेकिन औरत मर्द का जलाल मुनअकिस करती है,
I Co UrduGeoD 11:8  क्योंकि पहला मर्द औरत से नहीं निकला बल्कि औरत मर्द से निकली है।
I Co UrduGeoD 11:9  मर्द को औरत के लिए ख़लक़ नहीं किया गया बल्कि औरत को मर्द के लिए।
I Co UrduGeoD 11:10  इस वजह से औरत फ़रिश्तों को पेशे-नज़र रखकर अपने सर पर दोपट्टा ले जो उस पर इख़्तियार का निशान है।
I Co UrduGeoD 11:11  लेकिन याद रहे कि ख़ुदावंद में न औरत मर्द के बग़ैर कुछ है और न मर्द औरत के बग़ैर।
I Co UrduGeoD 11:12  क्योंकि अगरचे इब्तिदा में औरत मर्द से निकली, लेकिन अब मर्द औरत ही से पैदा होता है। और हर शै अल्लाह से निकलती है।
I Co UrduGeoD 11:13  आप ख़ुद फ़ैसला करें। क्या मुनासिब है कि कोई औरत अल्लाह के सामने नंगे सर दुआ करे?
I Co UrduGeoD 11:14  क्या फ़ितरत भी यह नहीं सिखाती कि लंबे बाल मर्द की बेइज़्ज़ती का बाइस हैं
I Co UrduGeoD 11:15  जबकि औरत के लंबे बाल उस की इज़्ज़त का मूजिब हैं? क्योंकि बाल उसे ढाँपने के लिए दिए गए हैं।
I Co UrduGeoD 11:16  लेकिन इस सिलसिले में अगर कोई झगड़ने का शौक़ रखे तो जान ले कि न हमारा यह दस्तूर है, न अल्लाह की जमातों का।
I Co UrduGeoD 11:17  मैं आपको एक और हिदायत देता हूँ। लेकिन इस सिलसिले में मेरे पास आपके लिए तारीफ़ी अलफ़ाज़ नहीं, क्योंकि आपका जमा होना आपकी बेहतरी का बाइस नहीं होता बल्कि नुक़सान का बाइस।
I Co UrduGeoD 11:18  अव्वल तो मैं सुनता हूँ कि जब आप जमात की सूरत में इकट्ठे होते हैं तो आपके दरमियान पार्टीबाज़ी नज़र आती है। और किसी हद तक मुझे इसका यक़ीन भी है।
I Co UrduGeoD 11:19  लाज़िम है कि आपके दरमियान मुख़्तलिफ़ पार्टियाँ नज़र आएँ ताकि आपमें से वह ज़ाहिर हो जाएँ जो आज़माने के बाद भी सच्चे निकलें।
I Co UrduGeoD 11:20  जब आप जमा होते हैं तो जो खाना आप खाते हैं उसका अशाए-रब्बानी से कोई ताल्लुक़ नहीं रहा।
I Co UrduGeoD 11:21  क्योंकि हर शख़्स दूसरों का इंतज़ार किए बग़ैर अपना खाना खाने लगता है। नतीजे में एक भूका रहता है जबकि दूसरे को नशा हो जाता है।
I Co UrduGeoD 11:22  ताज्जुब है! क्या खाने-पीने के लिए आपके घर नहीं? या क्या आप अल्लाह की जमात को हक़ीर जानकर उनको जो ख़ाली हाथ आए हैं शरमिंदा करना चाहते हैं? मैं क्या कहूँ? क्या आपको शाबाश दूँ? इसमें मैं आपको शाबाश नहीं दे सकता।
I Co UrduGeoD 11:23  क्योंकि जो कुछ मैंने आपके सुपुर्द किया है वह मुझे ख़ुदावंद ही से मिला है। जिस रात ख़ुदावंद ईसा को दुश्मन के हवाले कर दिया गया उसने रोटी लेकर
I Co UrduGeoD 11:24  शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उसे टुकड़े करके कहा, “यह मेरा बदन है जो तुम्हारे लिए दिया जाता है। मुझे याद करने के लिए यही किया करो।”
I Co UrduGeoD 11:25  इसी तरह उसने खाने के बाद प्याला लेकर कहा, “मै का यह प्याला वह नया अहद है जो मेरे ख़ून के ज़रीए क़ायम किया जाता है। जब कभी इसे पियो तो मुझे याद करने के लिए पियो।”
I Co UrduGeoD 11:26  क्योंकि जब भी आप यह रोटी खाते और यह प्याला पीते हैं तो ख़ुदावंद की मौत का एलान करते हैं, जब तक वह वापस न आए।
I Co UrduGeoD 11:27  चुनाँचे जो नालायक़ तौर पर ख़ुदावंद की रोटी खाए और उसका प्याला पिए वह ख़ुदावंद के बदन और ख़ून का गुनाह करता है और क़ुसूरवार ठहरेगा।
I Co UrduGeoD 11:28  हर शख़्स अपने आपको परखकर ही इस रोटी में से खाए और प्याले में से पिए।
I Co UrduGeoD 11:29  जो रोटी खाते और प्याला पीते वक़्त ख़ुदावंद के बदन का एहतराम नहीं करता वह अपने आप पर अल्लाह की अदालत लाता है।
I Co UrduGeoD 11:30  इसी लिए आपके दरमियान बहुतेरे कमज़ोर और बीमार हैं बल्कि बहुत-से मौत की नींद सो चुके हैं।
I Co UrduGeoD 11:31  अगर हम अपने आपको जाँचते तो अल्लाह की अदालत से बचे रहते।
I Co UrduGeoD 11:32  लेकिन ख़ुदावंद हमारी अदालत करने से हमारी तरबियत करता है ताकि हम दुनिया के साथ मुजरिम न ठहरें।
I Co UrduGeoD 11:33  ग़रज़ मेरे भाइयो, जब आप खाने के लिए जमा होते हैं तो एक दूसरे का इंतज़ार करें।
I Co UrduGeoD 11:34  अगर किसी को भूक लगी हो तो वह अपने घर में ही खाना खा ले ताकि आपका जमा होना आपकी अदालत का बाइस न ठहरे। दीगर हिदायात मैं आपको उस वक़्त दूँगा जब आपके पास आऊँगा।
Chapter 12
I Co UrduGeoD 12:1  भाइयो, मैं नहीं चाहता कि आप रूहानी नेमतों के बारे में नावाक़िफ़ रहें।
I Co UrduGeoD 12:2  आप जानते हैं कि ईमान लाने से पेशतर आपको बार बार बहकाया और गूँगे बुतों की तरफ़ खींचा जाता था।
I Co UrduGeoD 12:3  इसी के पेशे-नज़र मैं आपको आगाह करता हूँ कि अल्लाह के रूह की हिदायत से बोलनेवाला कभी नहीं कहेगा, “ईसा पर लानत।” और रूहुल-क़ुद्स की हिदायत से बोलनेवाले के सिवा कोई नहीं कहेगा, “ईसा ख़ुदावंद है।”
I Co UrduGeoD 12:4  गो तरह तरह की नेमतें होती हैं, लेकिन रूह एक ही है।
I Co UrduGeoD 12:5  तरह तरह की ख़िदमतें होती हैं, लेकिन ख़ुदावंद एक ही है।
I Co UrduGeoD 12:6  अल्लाह अपनी क़ुदरत का इज़हार मुख़्तलिफ़ अंदाज़ से करता है, लेकिन ख़ुदा एक ही है जो सबमें हर तरह का काम करता है।
I Co UrduGeoD 12:7  हममें से हर एक में रूहुल-क़ुद्स का इज़हार किसी नेमत से होता है। यह नेमतें इसलिए दी जाती हैं ताकि हम एक दूसरे की मदद करें।
I Co UrduGeoD 12:8  एक को रूहुल-क़ुद्स हिकमत का कलाम अता करता है, दूसरे को वही रूह इल्मो-इरफ़ान का कलाम।
I Co UrduGeoD 12:9  तीसरे को वही रूह पुख़्ता ईमान देता है और चौथे को वही एक रूह शफ़ा देने की नेमतें।
I Co UrduGeoD 12:10  वह एक को मोजिज़े करने की ताक़त देता है, दूसरे को नबुव्वत करने की सलाहियत और तीसरे को मुख़्तलिफ़ रूहों में इम्तियाज़ करने की नेमत। एक को उससे ग़ैरज़बानें बोलने की नेमत मिलती है और दूसरे को इनका तरजुमा करने की।
I Co UrduGeoD 12:11  वही एक रूह यह तमाम नेमतें तक़सीम करता है। और वही फ़ैसला करता है कि किस को क्या नेमत मिलनी है।
I Co UrduGeoD 12:12  इनसानी जिस्म के बहुत-से आज़ा होते हैं, लेकिन यह तमाम आज़ा एक ही बदन को तश्कील देते हैं। मसीह का बदन भी ऐसा है।
I Co UrduGeoD 12:13  ख़ाह हम यहूदी थे या यूनानी, ग़ुलाम थे या आज़ाद, बपतिस्मे से हम सबको एक ही रूह की मारिफ़त एक ही बदन में शामिल किया गया है, हम सबको एक ही रूह पिलाया गया है।
I Co UrduGeoD 12:14  बदन के बहुत-से हिस्से होते हैं, न सिर्फ़ एक।
I Co UrduGeoD 12:15  फ़र्ज़ करें कि पाँव कहे, “मैं हाथ नहीं हूँ इसलिए बदन का हिस्सा नहीं।” क्या यह कहने पर उसका बदन से ताल्लुक़ ख़त्म हो जाएगा?
I Co UrduGeoD 12:16  या फ़र्ज़ करें कि कान कहे, “मैं आँख नहीं हूँ इसलिए बदन का हिस्सा नहीं।” क्या यह कहने पर उसका बदन से नाता टूट जाएगा?
I Co UrduGeoD 12:17  अगर पूरा जिस्म आँख ही होता तो फिर सुनने की सलाहियत कहाँ होती? अगर सारा बदन कान ही होता तो फिर सूँघने का क्या बनता?
I Co UrduGeoD 12:18  लेकिन अल्लाह ने जिस्म के मुख़्तलिफ़ आज़ा बनाकर हर एक को वहाँ लगाया जहाँ वह चाहता था।
I Co UrduGeoD 12:19  अगर एक ही अज़ु पूरा जिस्म होता तो फिर यह किस क़िस्म का जिस्म होता?
I Co UrduGeoD 12:20  नहीं, बहुत-से आज़ा होते हैं, लेकिन जिस्म एक ही है।
I Co UrduGeoD 12:21  आँख हाथ से नहीं कह सकती, “मुझे तेरी ज़रूरत नहीं,” न सर पाँवों से कह सकता है, “मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं।”
I Co UrduGeoD 12:22  बल्कि अगर देखा जाए तो अकसर ऐसा होता है कि जिस्म के जो आज़ा ज़्यादा कमज़ोर लगते हैं उनकी ज़्यादा ज़रूरत होती है।
I Co UrduGeoD 12:23  वह आज़ा जिन्हें हम कम इज़्ज़त के लायक़ समझते हैं उन्हें हम ज़्यादा इज़्ज़त के साथ ढाँप लेते हैं, और वह आज़ा जिन्हें हम शर्म से छुपाकर रखते हैं उन्हीं का हम ज़्यादा एहतराम करते हैं।
I Co UrduGeoD 12:24  इसके बरअक्स हमारे इज़्ज़तदार आज़ा को इसकी ज़रूरत ही नहीं होती कि हम उनका ख़ास एहतराम करें। लेकिन अल्लाह ने जिस्म को इस तरह तरतीब दिया कि उसने कमक़दर आज़ा को ज़्यादा इज़्ज़तदार ठहराया,
I Co UrduGeoD 12:25  ताकि जिस्म के आज़ा में तफ़रक़ा न हो बल्कि वह एक दूसरे की फ़िकर करें।
I Co UrduGeoD 12:26  अगर एक अज़ु दुख में हो तो उसके साथ दीगर तमाम आज़ा भी दुख महसूस करते हैं। अगर एक अज़ु सरफ़राज़ हो जाए तो उसके साथ बाक़ी तमाम आज़ा भी मसरूर होते हैं।
I Co UrduGeoD 12:27  आप सब मिलकर मसीह का बदन हैं और इनफ़िरादी तौर पर उसके मुख़्तलिफ़ आज़ा।
I Co UrduGeoD 12:28  और अल्लाह ने अपनी जमात में पहले रसूल, दूसरे नबी और तीसरे उस्ताद मुक़र्रर किए हैं। फिर उसने ऐसे लोग भी मुक़र्रर किए हैं जो मोजिज़े करते, शफ़ा देते, दूसरों की मदद करते, इंतज़ाम चलाते और मुख़्तलिफ़ क़िस्म की ग़ैरज़बानें बोलते हैं।
I Co UrduGeoD 12:29  क्या सब रसूल हैं? क्या सब नबी हैं? क्या सब उस्ताद हैं? क्या सब मोजिज़े करते हैं?
I Co UrduGeoD 12:30  क्या सबको शफ़ा देने की नेमतें हासिल हैं? क्या सब ग़ैरज़बानें बोलते हैं? क्या सब इनका तरजुमा करते हैं?
I Co UrduGeoD 12:31  लेकिन आप उन नेमतों की तलाश में रहें जो अफ़ज़ल हैं। अब मैं आपको इससे कहीं उम्दा राह बताता हूँ।
Chapter 13
I Co UrduGeoD 13:1  अगर मैं इनसानों और फ़रिश्तों की ज़बानें बोलूँ, लेकिन मुहब्बत न रखूँ तो फिर मैं बस गूँजता हुआ घड़ियाल या ठनठनाती हुई झाँझ ही हूँ।
I Co UrduGeoD 13:2  अगर मेरी नबुव्वत की नेमत हो और मुझे तमाम भेदों और हर इल्म से वाक़िफ़ियत हो, साथ ही मेरा ऐसा ईमान हो कि पहाड़ों को खिसका सकूँ, लेकिन मेरा दिल मुहब्बत से ख़ाली हो तो मैं कुछ भी नहीं।
I Co UrduGeoD 13:3  अगर मैं अपना सारा माल ग़रीबों में तक़सीम कर दूँ बल्कि अपना बदन जलाए जाने के लिए दे दूँ, लेकिन मेरा दिल मुहब्बत से ख़ाली हो तो मुझे कुछ फ़ायदा नहीं।
I Co UrduGeoD 13:4  मुहब्बत सब्र से काम लेती है, मुहब्बत मेहरबान है। न यह हसद करती है न डींगें मारती है। यह फूलती भी नहीं।
I Co UrduGeoD 13:5  मुहब्बत बदतमीज़ी नहीं करती न अपने ही फ़ायदे की तलाश में रहती है। यह जल्दी से ग़ुस्से में नहीं आ जाती और दूसरों की ग़लतियों का रिकार्ड नहीं रखती।
I Co UrduGeoD 13:6  यह नाइनसाफ़ी देखकर ख़ुश नहीं होती बल्कि सच्चाई के ग़ालिब आने पर ही ख़ुशी मनाती है।
I Co UrduGeoD 13:7  यह हमेशा दूसरों की कमज़ोरियाँ बरदाश्त करती है, हमेशा एतमाद करती है, हमेशा उम्मीद रखती है, हमेशा साबितक़दम रहती है।
I Co UrduGeoD 13:8  मुहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती। इसके मुक़ाबले में नबुव्वतें ख़त्म हो जाएँगी, ग़ैरज़बानें जाती रहेंगी, इल्म मिट जाएगा।
I Co UrduGeoD 13:9  क्योंकि इस वक़्त हमारा इल्म नामुकम्मल है और हमारी नबुव्वत सब कुछ ज़ाहिर नहीं करती।
I Co UrduGeoD 13:10  लेकिन जब वह कुछ आएगा जो कामिल है तो यह अधूरी चीज़ें जाती रहेंगी।
I Co UrduGeoD 13:11  जब मैं बच्चा था तो बच्चे की तरह बोलता, बच्चे की-सी सोच रखता और बच्चे की-सी समझ से काम लेता था। लेकिन अब मैं बालिग़ हूँ, इसलिए मैंने बच्चे का-सा अंदाज़ छोड़ दिया है।
I Co UrduGeoD 13:12  इस वक़्त हमें आईने में धुँधला-सा दिखाई देता है, लेकिन उस वक़्त हम रूबरू देखेंगे। अब मैं जुज़वी तौर पर जानता हूँ, लेकिन उस वक़्त कामिल तौर से जान लूँगा, ऐसे ही जैसे अल्लाह ने मुझे पहले से जान लिया है।
I Co UrduGeoD 13:13  ग़रज़ ईमान, उम्मीद और मुहब्बत तीनों क़ायम रहते हैं, लेकिन इनमें अफ़ज़ल मुहब्बत है।
Chapter 14
I Co UrduGeoD 14:1  मुहब्बत का दामन थामे रखें। लेकिन साथ ही रूहानी नेमतों को सरगरमी से इस्तेमाल में लाएँ, ख़ुसूसन नबुव्वत की नेमत को।
I Co UrduGeoD 14:2  ग़ैरज़बान बोलनेवाला लोगों से नहीं बल्कि अल्लाह से बात करता है। कोई उस की बात नहीं समझता क्योंकि वह रूह में भेद की बातें करता है।
I Co UrduGeoD 14:3  इसके बरअक्स नबुव्वत करनेवाला लोगों से ऐसी बातें करता है जो उनकी तामीरो-तरक़्क़ी, हौसलाअफ़्ज़ाई और तसल्ली का बाइस बनती हैं।
I Co UrduGeoD 14:4  ग़ैरज़बान बोलनेवाला अपनी तामीरो-तरक़्क़ी करता है जबकि नबुव्वत करनेवाला जमात की।
I Co UrduGeoD 14:5  मैं चाहता हूँ कि आप सब ग़ैरज़बानें बोलें, लेकिन इससे ज़्यादा यह ख़ाहिश रखता हूँ कि आप नबुव्वत करें। नबुव्वत करनेवाला ग़ैरज़बानें बोलनेवाले से अहम है। हाँ, ग़ैरज़बानें बोलनेवाला भी अहम है बशर्तेकि अपनी ज़बान का तरजुमा करे, क्योंकि इससे ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी होती है।
I Co UrduGeoD 14:6  भाइयो, अगर मैं आपके पास आकर ग़ैरज़बानें बोलूँ, लेकिन मुकाशफ़े, इल्म, नबुव्वत और तालीम की कोई बात न करूँ तो आपको क्या फ़ायदा होगा?
I Co UrduGeoD 14:7  बेजान साज़ों पर ग़ौर करने से भी यही बात सामने आती है। अगर बाँसरी या सरोद को किसी ख़ास सुर के मुताबिक़ न बजाया जाए तो फिर सुननेवाले किस तरह पहचान सकेंगे कि इन पर क्या क्या पेश किया जा रहा है?
I Co UrduGeoD 14:8  इसी तरह अगर बिगुल की आवाज़ जंग के लिए तैयार हो जाने के लिए साफ़ तौर से न बजे तो क्या फ़ौजी कमरबस्ता हो जाएंगे?
I Co UrduGeoD 14:9  अगर आप साफ़ साफ़ बात न करें तो आपकी हालत भी ऐसी ही होगी। फिर आपकी बात कौन समझेगा? क्योंकि आप लोगों से नहीं बल्कि हवा से बातें करेंगे।
I Co UrduGeoD 14:10  इस दुनिया में बहुत ज़्यादा ज़बानें बोली जाती हैं और इनमें से कोई भी नहीं जो बेमानी हो।
I Co UrduGeoD 14:11  अगर मैं किसी ज़बान से वाक़िफ़ नहीं तो मैं उस ज़बान में बोलनेवाले के नज़दीक अजनबी ठहरूँगा और वह मेरे नज़दीक।
I Co UrduGeoD 14:12  यह उसूल आप पर भी लागू होता है। चूँकि आप रूहानी नेमतों के लिए तड़पते हैं तो फिर ख़ासकर उन नेमतों में माहिर बनने की कोशिश करें जो ख़ुदा की जमात को तामीर करती हैं।
I Co UrduGeoD 14:13  चुनाँचे ग़ैरज़बान बोलनेवाला दुआ करे कि इसका तरजुमा भी कर सके।
I Co UrduGeoD 14:14  क्योंकि अगर मैं ग़ैरज़बान में दुआ करूँ तो मेरी रूह तो दुआ करती है मगर मेरी अक़्ल बेअमल रहती है।
I Co UrduGeoD 14:15  तो फिर क्या करूँ? मैं रूह में दुआ करूँगा, लेकिन अक़्ल को भी इस्तेमाल करूँगा। मैं रूह में हम्दो-सना करूँगा, लेकिन अक़्ल को भी इस्तेमाल में लाऊँगा।
I Co UrduGeoD 14:16  अगर आप सिर्फ़ रूह में हम्दो-सना करें तो हाज़िरीन में से जो आपकी बात नहीं समझता वह किस तरह आपकी शुक्रगुज़ारी पर “आमीन” कह सकेगा? उसे तो आपकी बातों की समझ ही नहीं आई।
I Co UrduGeoD 14:17  बेशक आप अच्छी तरह ख़ुदा का शुक्र कर रहे होंगे, लेकिन इससे दूसरे शख़्स की तामीरो-तरक़्क़ी नहीं होगी।
I Co UrduGeoD 14:18  मैं ख़ुदा का शुक्र करता हूँ कि आप सबकी निसबत ज़्यादा ग़ैरज़बानों में बात करता हूँ।
I Co UrduGeoD 14:19  फिर भी मैं ख़ुदा की जमात में ऐसी बातें पेश करना चाहता हूँ जो दूसरे समझ सकें और जिनसे वह तरबियत हासिल कर सकें। क्योंकि ग़ैरज़बानों में बोली गई बेशुमार बातों की निसबत पाँच तरबियत देनेवाले अलफ़ाज़ कहीं बेहतर हैं।
I Co UrduGeoD 14:20  भाइयो, बच्चों जैसी सोच से बाज़ आएँ। बुराई के लिहाज़ से तो ज़रूर बच्चे बने रहें, लेकिन समझ में बालिग़ बन जाएँ।
I Co UrduGeoD 14:21  शरीअत में लिखा है, “रब फ़रमाता है कि मैं ग़ैरज़बानों और अजनबियों के होंटों की मारिफ़त इस क़ौम से बात करूँगा। लेकिन वह फिर भी मेरी नहीं सुनेंगे।”
I Co UrduGeoD 14:22  इससे ज़ाहिर होता है कि ग़ैरज़बानें ईमानदारों के लिए इम्तियाज़ी निशान नहीं होतीं बल्कि ग़ैरईमानदारों के लिए। इसके बरअक्स नबुव्वत ग़ैरईमानदारों के लिए इम्तियाज़ी निशान नहीं होती बल्कि ईमानदारों के लिए।
I Co UrduGeoD 14:23  अब फ़र्ज़ करें कि ईमानदार एक जगह जमा हैं और तमाम हाज़िरीन ग़ैरज़बानें बोल रहे हैं। इसी असना में ग़ैरज़बान को न समझनेवाले या ग़ैरईमानदार आ शामिल होते हैं। आपको इस हालत में देखकर क्या वह आपको दीवाना क़रार नहीं देंगे?
I Co UrduGeoD 14:24  इसके मुक़ाबले में अगर तमाम लोग नबुव्वत कर रहे हों और कोई ग़ैरईमानदार अंदर आए तो क्या होगा? वह सब उसे क़ायल कर लेंगे कि गुनाहगार है और सब उसे परख लेंगे।
I Co UrduGeoD 14:25  यों उसके दिल की पोशीदा बातें ज़ाहिर हो जाएँगी, वह गिरकर अल्लाह को सिजदा करेगा और तसलीम करेगा कि फ़िलहक़ीक़त अल्लाह आपके दरमियान मौजूद है।
I Co UrduGeoD 14:26  भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब आप जमा होते हैं तो हर एक के पास कोई गीत या तालीम या मुकाशफ़ा या ग़ैरज़बान या इसका तरजुमा हो। इन सबका मक़सद ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी हो।
I Co UrduGeoD 14:27  ग़ैरज़बान में बोलते वक़्त सिर्फ़ दो या ज़्यादा से ज़्यादा तीन अशख़ास बोलें और वह भी बारी बारी। साथ ही कोई उनका तरजुमा भी करे।
I Co UrduGeoD 14:28  अगर कोई तरजुमा करनेवाला न हो तो ग़ैरज़बान बोलनेवाला जमात में ख़ामोश रहे, अलबत्ता उसे अपने आपसे और अल्लाह से बात करने की आज़ादी है।
I Co UrduGeoD 14:29  नबियों में से दो या तीन नबुव्वत करें और दूसरे उनकी बातों की सेहत को परखें।
I Co UrduGeoD 14:30  अगर इस दौरान किसी बैठे हुए शख़्स को कोई मुकाशफ़ा मिले तो पहला शख़्स ख़ामोश हो जाए।
I Co UrduGeoD 14:31  क्योंकि आप सब बारी बारी नबुव्वत कर सकते हैं ताकि तमाम लोग सीखें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई हो।
I Co UrduGeoD 14:32  नबियों की रूहें नबियों के ताबे रहती हैं,
I Co UrduGeoD 14:33  क्योंकि अल्लाह बेतरतीबी का नहीं बल्कि सलामती का ख़ुदा है। जैसा मुक़द्दसीन की तमाम जमातों का दस्तूर है
I Co UrduGeoD 14:34  ख़वातीन जमात में ख़ामोश रहें। उन्हें बोलने की इजाज़त नहीं, बल्कि वह फ़रमाँबरदार रहें। शरीअत भी यही फ़रमाती है।
I Co UrduGeoD 14:35  अगर वह कुछ सीखना चाहें तो अपने घर पर अपने शौहर से पूछ लें, क्योंकि औरत का ख़ुदा की जमात में बोलना शर्म की बात है।
I Co UrduGeoD 14:36  क्या अल्लाह का कलाम आपमें से निकला है, या क्या वह सिर्फ़ आप ही तक पहुँचा है?
I Co UrduGeoD 14:37  अगर कोई ख़याल करे कि मैं नबी हूँ या ख़ास रूहानी हैसियत रखता हूँ तो वह जान ले कि जो कुछ मैं आपको लिख रहा हूँ वह ख़ुदावंद का हुक्म है।
I Co UrduGeoD 14:38  जो यह नज़रंदाज़ करता है उसे ख़ुद भी नज़रंदाज़ किया जाएगा।
I Co UrduGeoD 14:39  ग़रज़ भाइयो, नबुव्वत करने के लिए तड़पते रहें, अलबत्ता किसी को ग़ैरज़बानें बोलने से न रोकें।
I Co UrduGeoD 14:40  लेकिन सब कुछ शायस्तगी और तरतीब से अमल में आए।
Chapter 15
I Co UrduGeoD 15:1  भाइयो, मैं आपकी तवज्जुह उस ख़ुशख़बरी की तरफ़ दिलाता हूँ जो मैंने आपको सुनाई, वही ख़ुशख़बरी जिसे आपने क़बूल किया और जिस पर आप क़ायम भी हैं।
I Co UrduGeoD 15:2  इसी पैग़ाम के वसीले से आपको नजात मिलती है। शर्त यह है कि आप वह बातें ज्यों की त्यों थामे रखें जिस तरह मैंने आप तक पहुँचाई हैं। बेशक यह बात इस पर मुनहसिर है कि आपका ईमान लाना बेमक़सद नहीं था।
I Co UrduGeoD 15:3  क्योंकि मैंने इस पर ख़ास ज़ोर दिया कि वही कुछ आपके सुपुर्द करूँ जो मुझे भी मिला है। यह कि मसीह ने पाक नविश्तों के मुताबिक़ हमारे गुनाहों की ख़ातिर अपनी जान दी,
I Co UrduGeoD 15:4  फिर वह दफ़न हुआ और तीसरे दिन पाक नविश्तों के मुताबिक़ जी उठा।
I Co UrduGeoD 15:5  वह पतरस को दिखाई दिया, फिर बारह शागिर्दों को।
I Co UrduGeoD 15:6  इसके बाद वह एक ही वक़्त पाँच सौ से ज़्यादा भाइयों पर ज़ाहिर हुआ। उनमें से बेशतर अब तक ज़िंदा हैं अगरचे चंद एक इंतक़ाल कर चुके हैं।
I Co UrduGeoD 15:7  फिर याक़ूब ने उसे देखा, फिर तमाम रसूलों ने।
I Co UrduGeoD 15:8  और सबके बाद वह मुझ पर भी ज़ाहिर हुआ, मुझ पर जो गोया क़बल अज़ वक़्त पैदा हुआ।
I Co UrduGeoD 15:9  क्योंकि रसूलों में मेरा दर्जा सबसे छोटा है, बल्कि मैं तो रसूल कहलाने के भी लायक़ नहीं, इसलिए कि मैंने अल्लाह की जमात को ईज़ा पहुँचाई।
I Co UrduGeoD 15:10  लेकिन मैं जो कुछ हूँ अल्लाह के फ़ज़ल ही से हूँ। और जो फ़ज़ल उसने मुझ पर किया वह बेअसर न रहा, क्योंकि मैंने उन सबसे ज़्यादा जाँफ़िशानी से काम किया है। अलबत्ता यह काम मैंने ख़ुद नहीं बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल ने किया है जो मेरे साथ था।
I Co UrduGeoD 15:11  ख़ैर, यह काम मैंने किया या उन्होंने, हम सब उसी पैग़ाम की मुनादी करते हैं जिस पर आप ईमान लाए हैं।
I Co UrduGeoD 15:12  अब मुझे यह बताएँ, हम तो मुनादी करते हैं कि मसीह मुरदों में से जी उठा है। तो फिर आपमें से कुछ लोग कैसे कह सकते हैं कि मुरदे जी नहीं उठते?
I Co UrduGeoD 15:13  अगर मुरदे जी नहीं उठते तो मतलब यह हुआ कि मसीह भी नहीं जी उठा।
I Co UrduGeoD 15:14  और अगर मसीह जी नहीं उठा तो फिर हमारी मुनादी अबस होती और आपका ईमान लाना भी बेफ़ायदा होता।
I Co UrduGeoD 15:15  नीज़ हम अल्लाह के बारे में झूटे गवाह साबित होते। क्योंकि हम गवाही देते हैं कि अल्लाह ने मसीह को ज़िंदा किया जबकि अगर वाक़ई मुरदे नहीं जी उठते तो वह भी ज़िंदा नहीं हुआ।
I Co UrduGeoD 15:16  ग़रज़ अगर मुरदे जी नहीं उठते तो फिर मसीह भी नहीं जी उठा।
I Co UrduGeoD 15:17  और अगर मसीह नहीं जी उठा तो आपका ईमान बेफ़ायदा है और आप अब तक अपने गुनाहों में गिरिफ़्तार हैं।
I Co UrduGeoD 15:18  हाँ, इसके मुताबिक़ जिन्होंने मसीह में होते हुए इंतक़ाल किया है वह सब हलाक हो गए हैं।
I Co UrduGeoD 15:19  चुनाँचे अगर मसीह पर हमारी उम्मीद सिर्फ़ इसी ज़िंदगी तक महदूद है तो हम इनसानों में सबसे ज़्यादा क़ाबिले-रहम हैं।
I Co UrduGeoD 15:20  लेकिन मसीह वाक़ई मुरदों में से जी उठा है। वह इंतक़ाल किए हुओं की फ़सल का पहला फल है।
I Co UrduGeoD 15:21  चूँकि इनसान के वसीले से मौत आई, इसलिए इनसान ही के वसीले से मुरदों के जी उठने की भी राह खुली।
I Co UrduGeoD 15:22  जिस तरह सब इसलिए मरते हैं कि वह आदम के फ़रज़ंद हैं उसी तरह सब ज़िंदा किए जाएंगे जो मसीह के हैं।
I Co UrduGeoD 15:23  लेकिन जी उठने की एक तरतीब है। मसीह तो फ़सल के पहले फल की हैसियत से जी उठ चुका है जबकि उसके लोग उस वक़्त जी उठेंगे जब वह वापस आएगा।
I Co UrduGeoD 15:24  इसके बाद ख़ातमा होगा। तब हर हुकूमत, इख़्तियार और क़ुव्वत को नेस्त करके वह बादशाही को ख़ुदा बाप के हवाले कर देगा।
I Co UrduGeoD 15:25  क्योंकि लाज़िम है कि मसीह उस वक़्त तक हुकूमत करे जब तक अल्लाह तमाम दुश्मनों को उसके पाँवों के नीचे न कर दे।
I Co UrduGeoD 15:26  आख़िरी दुश्मन जिसे नेस्त किया जाएगा मौत होगी।
I Co UrduGeoD 15:27  क्योंकि अल्लाह के बारे में कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “उसने सब कुछ उस (यानी मसीह) के पाँवों के नीचे कर दिया।” जब कहा गया है कि सब कुछ मसीह के मातहत कर दिया गया है, तो ज़ाहिर है कि इसमें अल्लाह शामिल नहीं जिसने सब कुछ मसीह के मातहत किया है।
I Co UrduGeoD 15:28  जब सब कुछ मसीह के मातहत कर दिया गया तब फ़रज़ंद ख़ुद भी उसी के मातहत हो जाएगा जिसने सब कुछ उसके मातहत किया। यों अल्लाह सबमें सब कुछ होगा।
I Co UrduGeoD 15:29  अगर मुरदे वाक़ई जी नहीं उठते तो फिर वह लोग क्या करेंगे जो मुरदों की ख़ातिर बपतिस्मा लेते हैं? अगर मुरदे जी नहीं उठेंगे तो फिर वह उनकी ख़ातिर क्यों बपतिस्मा लेते हैं?
I Co UrduGeoD 15:30  और हम भी हर वक़्त अपनी जान ख़तरे में क्यों डाले हुए हैं?
I Co UrduGeoD 15:31  भाइयो, मैं रोज़ाना मरता हूँ। यह बात उतनी ही यक़ीनी है जितनी यह कि आप हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा में मेरा फ़ख़र हैं।
I Co UrduGeoD 15:32  अगर मैं सिर्फ़ इसी ज़िंदगी की उम्मीद रखते हुए इफ़िसुस में वहशी दरिंदों से लड़ा तो मुझे क्या फ़ायदा हुआ? अगर मुरदे जी नहीं उठते तो इस क़ौल के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना बेहतर होगा कि “आओ, हम खाएँ पिएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”
I Co UrduGeoD 15:33  फ़रेब न खाएँ, बुरी सोहबत अच्छी आदतों को बिगाड़ देती है।
I Co UrduGeoD 15:34  पूरे तौर पर होश में आएँ और गुनाह न करें। आपमें से बाज़ ऐसे हैं जो अल्लाह के बारे में कुछ नहीं जानते। यह बात मैं आपको शर्म दिलाने के लिए कहता हूँ।
I Co UrduGeoD 15:35  शायद कोई सवाल उठाए, “मुरदे किस तरह जी उठते हैं? और जी उठने के बाद उनका जिस्म कैसा होगा?”
I Co UrduGeoD 15:36  भई, अक़्ल से काम लें। जो बीज आप बोते हैं वह उस वक़्त तक नहीं उगता जब तक कि मर न जाए।
I Co UrduGeoD 15:37  जो आप बोते हैं वह वही पौदा नहीं है जो बाद में उगेगा बल्कि महज़ एक नंगा-सा दाना है, ख़ाह गंदुम का हो या किसी और चीज़ का।
I Co UrduGeoD 15:38  लेकिन अल्लाह उसे ऐसा जिस्म देता है जैसा वह मुनासिब समझता है। हर क़िस्म के बीज को वह उसका ख़ास जिस्म अता करता है।
I Co UrduGeoD 15:39  तमाम जानदारों को एक जैसा जिस्म नहीं मिला बल्कि इनसानों को और क़िस्म का, मवेशियों को और क़िस्म का, परिंदों को और क़िस्म का, और मछलियों को और क़िस्म का।
I Co UrduGeoD 15:40  इसके अलावा आसमानी जिस्म भी हैं और ज़मीनी जिस्म भी। आसमानी जिस्मों की शान और है और ज़मीनी जिस्मों की शान और।
I Co UrduGeoD 15:41  सूरज की शान और है, चाँद की शान और, और सितारों की शान और, बल्कि एक सितारा शान में दूसरे सितारे से फ़रक़ है।
I Co UrduGeoD 15:42  मुरदों का जी उठना भी ऐसा ही है। जिस्म फ़ानी हालत में बोया जाता है और लाफ़ानी हालत में जी उठता है।
I Co UrduGeoD 15:43  वह ज़लील हालत में बोया जाता है और जलाली हालत में जी उठता है। वह कमज़ोर हालत में बोया जाता है और क़वी हालत में जी उठता है।
I Co UrduGeoD 15:44  फ़ितरती जिस्म बोया जाता है और रूहानी जिस्म जी उठता है। जहाँ फ़ितरती जिस्म है वहाँ रूहानी जिस्म भी होता है।
I Co UrduGeoD 15:45  पाक नविश्तों में भी लिखा है कि पहले इनसान आदम में जान आ गई। लेकिन आख़िरी आदम ज़िंदा करनेवाली रूह बना।
I Co UrduGeoD 15:46  रूहानी जिस्म पहले नहीं था बल्कि फ़ितरती जिस्म, फिर रूहानी जिस्म हुआ।
I Co UrduGeoD 15:47  पहला इनसान ज़मीन की मिट्टी से बना था, लेकिन दूसरा आसमान से आया।
I Co UrduGeoD 15:48  जैसा पहला ख़ाकी इनसान था वैसे ही दीगर ख़ाकी इनसान भी हैं, और जैसा आसमान से आया हुआ इनसान है वैसे ही दीगर आसमानी इनसान भी हैं।
I Co UrduGeoD 15:49  यों हम इस वक़्त ख़ाकी इनसान की शक्लो-सूरत रखते हैं जबकि हम उस वक़्त आसमानी इनसान की शक्लो-सूरत रखेंगे।
I Co UrduGeoD 15:50  भाइयो, मैं यह कहना चाहता हूँ कि ख़ाकी इनसान का मौजूदा जिस्म अल्लाह की बादशाही को मीरास में नहीं पा सकता। जो कुछ फ़ानी है वह लाफ़ानी चीज़ों को मीरास में नहीं पा सकता।
I Co UrduGeoD 15:51  देखो मैं आपको एक भेद बताता हूँ। हम सब वफ़ात नहीं पाएँगे, लेकिन सब ही बदल जाएंगे।
I Co UrduGeoD 15:52  और यह अचानक, आँख झपकते में, आख़िरी बिगुल बजते ही रूनुमा होगा। क्योंकि बिगुल बजने पर मुरदे लाफ़ानी हालत में जी उठेंगे और हम बदल जाएंगे।
I Co UrduGeoD 15:53  क्योंकि लाज़िम है कि यह फ़ानी जिस्म बक़ा का लिबास पहन ले और मरनेवाला जिस्म अबदी ज़िंदगी का।
I Co UrduGeoD 15:54  जब इस फ़ानी और मरनेवाले जिस्म ने बक़ा और अबदी ज़िंदगी का लिबास पहन लिया होगा तो फिर वह कलाम पूरा होगा जो पाक नविश्तों में लिखा है कि “मौत इलाही फ़तह का लुक़मा हो गई है।
I Co UrduGeoD 15:55  ऐ मौत, तेरी फ़तह कहाँ रही? ऐ मौत, तेरा डंक कहाँ रहा?”
I Co UrduGeoD 15:56  मौत का डंक गुनाह है और गुनाह शरीअत से तक़वियत पाता है।
I Co UrduGeoD 15:57  लेकिन ख़ुदा का शुक्र है जो हमें हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से फ़तह बख़्शता है।
I Co UrduGeoD 15:58  ग़रज़, मेरे प्यारे भाइयो, मज़बूत बने रहें। कोई चीज़ आपको डाँवाँडोल न कर दे। हमेशा ख़ुदावंद की ख़िदमत जाँफ़िशानी से करें, यह जानते हुए कि ख़ुदावंद के लिए आपकी मेहनत-मशक़्क़त रायगाँ नहीं जाएगी।
Chapter 16
I Co UrduGeoD 16:1  रही चंदे की बात जो यरूशलम के मुक़द्दसीन के लिए जमा किया जा रहा है तो उसी हिदायत पर अमल करें जो मैं गलतिया की जमातों को दे चुका हूँ।
I Co UrduGeoD 16:2  हर इतवार को आपमें से हर कोई अपने कमाए हुए पैसों में से कुछ इस चंदे के लिए मख़सूस करके अपने पास रख छोड़े। फिर मेरे आने पर हदियाजात जमा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
I Co UrduGeoD 16:3  जब मैं आऊँगा तो ऐसे अफ़राद को जो आपके नज़दीक क़ाबिले-एतमाद हैं ख़ुतूत देकर यरूशलम भेजूँगा ताकि वह आपका हदिया वहाँ तक पहुँचा दें।
I Co UrduGeoD 16:4  अगर मुनासिब हो कि मैं भी जाऊँ तो वह मेरे साथ जाएंगे।
I Co UrduGeoD 16:5  मैं मकिदुनिया से होकर आपके पास आऊँगा क्योंकि मकिदुनिया में से सफ़र करने का इरादा रखता हूँ।
I Co UrduGeoD 16:6  शायद आपके पास थोड़े अरसे के लिए ठहरूँ, लेकिन यह भी मुमकिन है कि सर्दियों का मौसम आप ही के साथ काटूँ ताकि मेरे बाद के सफ़र के लिए आप मेरी मदद कर सकें।
I Co UrduGeoD 16:7  मैं नहीं चाहता कि इस दफ़ा मुख़तसर मुलाक़ात के बाद चलता बनूँ, बल्कि मेरी ख़ाहिश है कि कुछ वक़्त आपके साथ गुज़ारूँ। शर्त यह है कि ख़ुदावंद मुझे इजाज़त दे।
I Co UrduGeoD 16:8  लेकिन ईदे-पंतिकुस्त तक मैं इफ़िसुस में ही ठहरूँगा,
I Co UrduGeoD 16:9  क्योंकि यहाँ मेरे सामने मुअस्सिर काम के लिए एक बड़ा दरवाज़ा खुल गया है और साथ ही बहुत-से मुख़ालिफ़ भी पैदा हो गए हैं।
I Co UrduGeoD 16:10  अगर तीमुथियुस आए तो इसका ख़याल रखें कि वह बिलाख़ौफ़ आपके पास रह सके। मेरी तरह वह भी ख़ुदावंद के खेत में फ़सल काट रहा है।
I Co UrduGeoD 16:11  इसलिए कोई उसे हक़ीर न जाने। उसे सलामती से सफ़र पर रवाना करें ताकि वह मुझ तक पहुँचे, क्योंकि मैं और दीगर भाई उसके मुंतज़िर हैं।
I Co UrduGeoD 16:12  भाई अपुल्लोस की मैंने बड़ी हौसलाअफ़्ज़ाई की है कि वह दीगर भाइयों के साथ आपके पास आए, लेकिन अल्लाह को क़तअन मंज़ूर न था। ताहम मौक़ा मिलने पर वह ज़रूर आएगा।
I Co UrduGeoD 16:13  जागते रहें, ईमान में साबितक़दम रहें, मरदानगी दिखाएँ, मज़बूत बने रहें।
I Co UrduGeoD 16:14  सब कुछ मुहब्बत से करें।
I Co UrduGeoD 16:15  भाइयो, मैं एक बात में आपको नसीहत करना चाहता हूँ। आप जानते हैं कि स्तिफ़नास का घराना अख़या का पहला फल है और कि उन्होंने अपने आपको मुक़द्दसीन की ख़िदमत के लिए वक़्फ़ कर रखा है।
I Co UrduGeoD 16:16  आप ऐसे लोगों के ताबे रहें और साथ ही हर उस शख़्स के जो उनके साथ ख़िदमत के काम में जाँफ़िशानी करता है।
I Co UrduGeoD 16:17  स्तिफ़नास, फ़ुरतूनातुस और अख़ीकुस के पहुँचने पर मैं बहुत ख़ुश हुआ, क्योंकि उन्होंने वह कमी पूरी कर दी जो आपकी ग़ैरहाज़िरी से पैदा हुई थी।
I Co UrduGeoD 16:18  उन्होंने मेरी रूह को और साथ ही आपकी रूह को भी ताज़ा किया है। ऐसे लोगों की क़दर करें।
I Co UrduGeoD 16:19  आसिया की जमातें आपको सलाम कहती हैं। अकविला और प्रिसकिल्ला आपको ख़ुदावंद में पुरजोश सलाम कहते हैं और उनके साथ वह जमात भी जो उनके घर में जमा होती है।
I Co UrduGeoD 16:20  तमाम भाई आपको सलाम कहते हैं। एक दूसरे को मुक़द्दस बोसा देते हुए सलाम कहें।
I Co UrduGeoD 16:21  यह सलाम मैं यानी पौलुस अपने हाथ से लिखता हूँ।
I Co UrduGeoD 16:22  लानत उस शख़्स पर जो ख़ुदावंद से मुहब्बत नहीं रखता। ऐ हमारे ख़ुदावंद, आ!
I Co UrduGeoD 16:23  ख़ुदावंद ईसा का फ़ज़ल आपके साथ रहे।
I Co UrduGeoD 16:24  मसीह ईसा में आप सबको मेरा प्यार।