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Chapter 1
II K | UrduGeoD | 1:2 | सामरिया के शाही महल के बालाख़ाने की एक दीवार में जंगला लगा था। एक दिन अख़ज़ियाह बादशाह जंगले के साथ लग गया तो वह टूट गया और बादशाह ज़मीन पर गिरकर बहुत ज़ख़मी हुआ। उसने क़ासिदों को फ़िलिस्ती शहर अक़रून भेजकर कहा, “जाकर अक़रून के देवता बाल-ज़बूब से पता करें कि मेरी सेहत बहाल हो जाएगी कि नहीं।” | |
II K | UrduGeoD | 1:3 | तब रब के फ़रिश्ते ने इलियास तिशबी को हुक्म दिया, “उठ, सामरिया के बादशाह के क़ासिदों से मिलने जा। उनसे पूछ, ‘आप दरियाफ़्त करने के लिए अक़रून के देवता बाल-ज़बूब के पास क्यों जा रहे हैं? क्या इसराईल में कोई ख़ुदा नहीं है? | |
II K | UrduGeoD | 1:4 | चुनाँचे रब फ़रमाता है कि ऐ अख़ज़ियाह, जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उससे तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।” इलियास जाकर क़ासिदों से मिला। | |
II K | UrduGeoD | 1:5 | उसका पैग़ाम सुनकर क़ासिद बादशाह के पास वापस गए। उसने पूछा, “आप इतनी जल्दी वापस क्यों आए?” | |
II K | UrduGeoD | 1:6 | उन्होंने जवाब दिया, “एक आदमी हमसे मिलने आया जिसने हमें आपके पास वापस भेजकर आपको यह ख़बर पहुँचाने को कहा, ‘रब फ़रमाता है कि तू अपने बारे में दरियाफ़्त करने के लिए अपने बंदों को अक़रून के देवता बाल-ज़बूब के पास क्यों भेज रहा है? क्या इसराईल में कोई ख़ुदा नहीं है? चूँकि तूने यह किया है इसलिए जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उससे तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।” | |
II K | UrduGeoD | 1:8 | उन्होंने जवाब दिया, “उसके लंबे बाल थे, और कमर में चमड़े की पेटी बँधी हुई थी।” बादशाह बोल उठा, “यह तो इलियास तिशबी था!” | |
II K | UrduGeoD | 1:9 | फ़ौरन उसने एक अफ़सर को 50 फ़ौजियों समेत इलियास के पास भेज दिया। जब फ़ौजी इलियास के पास पहुँचे तो वह एक पहाड़ी की चोटी पर बैठा था। अफ़सर बोला, “ऐ मर्दे-ख़ुदा, बादशाह कहते हैं कि नीचे उतर आएँ!” | |
II K | UrduGeoD | 1:10 | इलियास ने जवाब दिया, “अगर मैं मर्दे-ख़ुदा हूँ तो आसमान से आग नाज़िल होकर आप और आपके 50 फ़ौजियों को भस्म कर दे।” फ़ौरन आसमान से आग नाज़िल हुई और अफ़सर को उसके लोगों समेत भस्म कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 1:11 | बादशाह ने एक और अफ़सर को इलियास के पास भेज दिया। उसके साथ भी 50 फ़ौजी थे। उसके पास पहुँचकर अफ़सर बोला, “ऐ मर्दे-ख़ुदा, बादशाह कहते हैं कि फ़ौरन उतर आएँ।” | |
II K | UrduGeoD | 1:12 | इलियास ने दुबारा पुकारा, “अगर मैं मर्दे-ख़ुदा हूँ तो आसमान से आग नाज़िल होकर आप और आपके 50 फ़ौजियों को भस्म कर दे।” फ़ौरन आसमान से अल्लाह की आग नाज़िल हुई और अफ़सर को उसके 50 फ़ौजियों समेत भस्म कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 1:13 | फिर बादशाह ने तीसरी बार एक अफ़सर को 50 फ़ौजियों के साथ इलियास के पास भेज दिया। लेकिन यह अफ़सर इलियास के पास ऊपर चढ़ आया और उसके सामने घुटने टेककर इलतमास करने लगा, “ऐ मर्दे-ख़ुदा, मेरी और अपने इन 50 ख़ादिमों की जानों की क़दर करें। | |
II K | UrduGeoD | 1:14 | देखें, आग ने आसमान से नाज़िल होकर पहले दो अफ़सरों को उनके आदमियों समेत भस्म कर दिया है। लेकिन बराहे-करम हमारे साथ ऐसा न करें। मेरी जान की क़दर करें।” | |
II K | UrduGeoD | 1:15 | तब रब के फ़रिश्ते ने इलियास से कहा, “इससे मत डरना बल्कि इसके साथ उतर जा!” चुनाँचे इलियास उठा और अफ़सर के साथ उतरकर बादशाह के पास गया। | |
II K | UrduGeoD | 1:16 | उसने बादशाह से कहा, “रब फ़रमाता है, ‘तूने अपने क़ासिदों को अक़रून के देवता बाल-ज़बूब से दरियाफ़्त करने के लिए क्यों भेजा? क्या इसराईल में कोई ख़ुदा नहीं है? चूँकि तूने यह किया है इसलिए जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उससे तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।” | |
II K | UrduGeoD | 1:17 | वैसा ही हुआ जैसा रब ने इलियास की मारिफ़त फ़रमाया था, अख़ज़ियाह मर गया। चूँकि उसका बेटा नहीं था इसलिए उसका भाई यहूराम यहूदाह के बादशाह यूराम बिन यहूसफ़त की हुकूमत के दूसरे साल में तख़्तनशीन हुआ। | |
Chapter 2
II K | UrduGeoD | 2:1 | फिर वह दिन आया जब रब ने इलियास को आँधी में आसमान पर उठा लिया। उस दिन इलियास और इलीशा जिलजाल शहर से रवाना होकर सफ़र कर रहे थे। | |
II K | UrduGeoD | 2:2 | रास्ते में इलियास इलीशा से कहने लगा, “यहीं ठहर जाएँ, क्योंकि रब ने मुझे बैतेल भेजा है।” लेकिन इलीशा ने इनकार किया, “रब और आपकी हयात की क़सम, मैं आपको नहीं छोड़ूँगा।” चुनाँचे दोनों चलते चलते बैतेल पहुँच गए। | |
II K | UrduGeoD | 2:3 | नबियों का जो गुरोह वहाँ रहता था वह शहर से निकलकर उनसे मिलने आया। इलीशा से मुख़ातिब होकर उन्होंने पूछा, “क्या आपको मालूम है कि आज रब आपके आक़ा को आपके पास से उठा ले जाएगा?” इलीशा ने जवाब दिया, “जी, मुझे पता है। ख़ामोश!” | |
II K | UrduGeoD | 2:4 | दुबारा इलियास अपने साथी से कहने लगा, “इलीशा, यहीं ठहर जाएँ, क्योंकि रब ने मुझे यरीहू भेजा है।” इलीशा ने जवाब दिया, “रब और आपकी हयात की क़सम, मैं आपको नहीं छोड़ूँगा।” चुनाँचे दोनों चलते चलते यरीहू पहुँच गए। | |
II K | UrduGeoD | 2:5 | नबियों का जो गुरोह वहाँ रहता था उसने भी इलीशा के पास आकर उससे पूछा, “क्या आपको मालूम है कि आज रब आपके आक़ा को आपके पास से उठा ले जाएगा?” इलीशा ने जवाब दिया, “जी, मुझे पता है। ख़ामोश!” | |
II K | UrduGeoD | 2:6 | इलियास तीसरी बार इलीशा से कहने लगा, “यहीं ठहर जाएँ, क्योंकि रब ने मुझे दरियाए-यरदन के पास भेजा है।” इलीशा ने जवाब दिया, “रब और आपकी हयात की क़सम, मैं आपको नहीं छोड़ूँगा।” चुनाँचे दोनों आगे बढ़े। | |
II K | UrduGeoD | 2:7 | पचास नबी भी उनके साथ चल पड़े। जब इलियास और इलीशा दरियाए-यरदन के किनारे पर पहुँचे तो दूसरे उनसे कुछ दूर खड़े हो गए। | |
II K | UrduGeoD | 2:8 | इलियास ने अपनी चादर उतारकर उसे लपेट लिया और उसके साथ पानी पर मारा। पानी तक़सीम हुआ, और दोनों आदमी ख़ुश्क ज़मीन पर चलते हुए दरिया में से गुज़र गए। | |
II K | UrduGeoD | 2:9 | दूसरे किनारे पर पहुँचकर इलियास ने इलीशा से कहा, “मेरे आपके पास से उठा लिए जाने से पहले मुझे बताएँ कि आपके लिए क्या करूँ?” इलीशा ने जवाब दिया, “मुझे आपकी रूह का दुगना हिस्सा मीरास में मिले।” | |
II K | UrduGeoD | 2:10 | इलियास बोला, “जो दरख़ास्त आपने की है उसे पूरा करना मुश्किल है। अगर आप मुझे उस वक़्त देख सकेंगे जब मुझे आपके पास से उठा लिया जाएगा तो मतलब होगा कि आपकी दरख़ास्त पूरी हो गई है, वरना नहीं।” | |
II K | UrduGeoD | 2:11 | दोनों आपस में बातें करते हुए चल रहे थे कि अचानक एक आतिशीं रथ नज़र आया जिसे आतिशीं घोड़े खींच रहे थे। रथ ने दोनों को अलग कर दिया, और इलियास को आँधी में आसमान पर उठा लिया गया। | |
II K | UrduGeoD | 2:12 | यह देखकर इलीशा चिल्ला उठा, “हाय मेरे बाप, मेरे बाप! इसराईल के रथ और उसके घोड़े!” इलियास इलीशा की नज़रों से ओझल हुआ तो इलीशा ने ग़म के मारे अपने कपड़ों को फाड़ डाला। | |
II K | UrduGeoD | 2:14 | चादर को पानी पर मारकर वह बोला, “रब और इलियास का ख़ुदा कहाँ है?” पानी तक़सीम हुआ और वह बीच में से गुज़र गया। | |
II K | UrduGeoD | 2:15 | यरीहू से आए नबी अब तक दरिया के मग़रिबी किनारे पर खड़े थे। जब उन्होंने इलीशा को अपने पास आते हुए देखा तो पुकार उठे, “इलियास की रूह इलीशा पर ठहरी हुई है!” वह उससे मिलने गए और औंधे मुँह उसके सामने झुककर | |
II K | UrduGeoD | 2:16 | बोले, “हमारे 50 ताक़तवर आदमी ख़िदमत के लिए हाज़िर हैं। अगर इजाज़त हो तो हम उन्हें भेज देंगे ताकि वह आपके आक़ा को तलाश करें। हो सकता है रब के रूह ने उसे उठाकर किसी पहाड़ या वादी में रख छोड़ा हो।” इलीशा ने मना करने की कोशिश की, “नहीं, उन्हें मत भेजना।” | |
II K | UrduGeoD | 2:17 | लेकिन उन्होंने यहाँ तक इसरार किया कि आख़िरकार वह मान गया और कहा, “चलो, उन्हें भेज दें।” उन्होंने 50 आदमियों को भेज दिया जो तीन दिन तक इलियास का खोज लगाते रहे। लेकिन वह कहीं नज़र न आया। | |
II K | UrduGeoD | 2:18 | हिम्मत हारकर वह यरीहू वापस आए जहाँ इलीशा ठहरा हुआ था। उसने कहा, “क्या मैंने नहीं कहा था कि न जाएँ?” | |
II K | UrduGeoD | 2:19 | एक दिन यरीहू के आदमी इलीशा के पास आकर शिकायत करने लगे, “हमारे आक़ा, आप ख़ुद देख सकते हैं कि इस शहर में अच्छा गुज़ारा होता है। लेकिन पानी ख़राब है, और नतीजे में बहुत दफ़ा बच्चे माँ के पेट में ही मर जाते हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 2:20 | इलीशा ने हुक्म दिया, “एक ग़ैरइस्तेमालशुदा बरतन में नमक डालकर उसे मेरे पास ले आएँ।” जब बरतन उसके पास लाया गया | |
II K | UrduGeoD | 2:21 | तो वह उसे लेकर शहर से निकला और चश्मे के पास गया। वहाँ उसने नमक को पानी में डाल दिया और साथ साथ कहा, “रब फ़रमाता है कि मैंने इस पानी को बहाल कर दिया है। अब से यह कभी मौत या बच्चों के ज़ाया होने का बाइस नहीं बनेगा।” | |
II K | UrduGeoD | 2:23 | यरीहू से इलीशा बैतेल को वापस चला गया। जब वह रास्ते पर चलते हुए शहर से गुज़र रहा था तो कुछ लड़के शहर से निकल आए और उसका मज़ाक़ उड़ाकर चिल्लाने लगे, “ओए गंजे, इधर आ! ओए गंजे, इधर आ!” | |
II K | UrduGeoD | 2:24 | इलीशा मुड़ गया और उन पर नज़र डालकर रब के नाम में उन पर लानत भेजी। तब दो रीछनियाँ जंगल से निकलकर लड़कों पर टूट पड़ीं और कुल 42 लड़कों को फाड़ डाला। | |
Chapter 3
II K | UrduGeoD | 3:1 | अख़ियब का बेटा यूराम यहूदाह के बादशाह यहूसफ़त के 18वें साल में इसराईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 12 साल था और उसका दारुल-हुकूमत सामरिया रहा। | |
II K | UrduGeoD | 3:2 | उसका चाल-चलन रब को नापसंद था, अगरचे वह अपने माँ-बाप की निसबत कुछ बेहतर था। क्योंकि उसने बाल देवता का वह सतून दूर कर दिया जो उसके बाप ने बनवाया था। | |
II K | UrduGeoD | 3:3 | तो भी वह यरुबियाम बिन नबात के उन गुनाहों के साथ लिपटा रहा जो करने पर यरुबियाम ने इसराईल को उकसाया था। वह कभी उनसे दूर न हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 3:4 | मोआब का बादशाह मेसा भेड़ें रखता था, और सालाना उसे भेड़ के एक लाख बच्चे और एक लाख मेंढे उनकी ऊन समेत इसराईल के बादशाह को ख़राज के तौर पर अदा करने पड़ते थे। | |
II K | UrduGeoD | 3:7 | साथ साथ उसने यहूदाह के बादशाह यहूसफ़त को इत्तला दी, “मोआब का बादशाह सरकश हो गया है। क्या आप मेरे साथ उससे लड़ने जाएंगे?” यहूसफ़त ने जवाब भेजा, “जी, मैं आपके साथ जाऊँगा। हम तो भाई हैं। मेरी क़ौम को अपनी क़ौम और मेरे घोड़ों को अपने घोड़े समझें। | |
II K | UrduGeoD | 3:8 | हम किस रास्ते से जाएँ?” यूराम ने जवाब दिया, “हम अदोम के रेगिस्तान से होकर जाएंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 3:9 | चुनाँचे इसराईल का बादशाह यहूदाह के बादशाह के साथ मिलकर रवाना हुआ। मुल्के-अदोम का बादशाह भी साथ था। अपने मनसूबे के मुताबिक़ उन्होंने रेगिस्तान का रास्ता इख़्तियार किया। लेकिन चूँकि वह सीधे नहीं बल्कि मुतबादिल रास्ते से होकर गए इसलिए सात दिन के सफ़र के बाद उनके पास पानी न रहा, न उनके लिए, न जानवरों के लिए। | |
II K | UrduGeoD | 3:10 | इसराईल का बादशाह बोला, “हाय, रब हमें इसलिए यहाँ बुला लाया है कि हम तीनों बादशाहों को मोआब के हवाले करे।” | |
II K | UrduGeoD | 3:11 | लेकिन यहूसफ़त ने सवाल किया, “क्या यहाँ रब का कोई नबी नहीं है जिसकी मारिफ़त हम रब की मरज़ी जान सकें?” इसराईल के बादशाह के किसी अफ़सर ने जवाब दिया, “एक तो है, इलीशा बिन साफ़त जो इलियास का क़रीबी शागिर्द था, वह उसके हाथों पर पानी डालने की ख़िदमत अंजाम दिया करता था।” | |
II K | UrduGeoD | 3:13 | लेकिन इलीशा ने इसराईल के बादशाह से कहा, “मेरा आपके साथ क्या वास्ता? अगर कोई बात हो तो अपने माँ-बाप के नबियों के पास जाएँ।” इसराईल के बादशाह ने जवाब दिया, “नहीं, हम इसलिए यहाँ आए हैं कि रब ही हम तीनों को यहाँ बुला लाया है ताकि हमें मोआब के हवाले करे।” | |
II K | UrduGeoD | 3:14 | इलीशा ने कहा, “रब्बुल-अफ़वाज की हयात की क़सम जिसकी ख़िदमत मैं करता हूँ, अगर यहूदाह का बादशाह यहाँ मौजूद न होता तो फिर मैं आपका लिहाज़ न करता बल्कि आपकी तरफ़ देखता भी न। लेकिन मैं यहूसफ़त का ख़याल करता हूँ, | |
II K | UrduGeoD | 3:15 | इसलिए किसी को बुलाएँ जो सरोद बजा सके।” कोई सरोद बजाने लगा तो रब का हाथ इलीशा पर आ ठहरा, | |
II K | UrduGeoD | 3:17 | गो तुम न हवा और न बारिश देखोगे तो भी वादी पानी से भर जाएगी। पानी इतना होगा कि तुम, तुम्हारे रेवड़ और बाक़ी तमाम जानवर पी सकेंगे। | |
II K | UrduGeoD | 3:19 | तुम तमाम क़िलाबंद और मरकज़ी शहरों पर फ़तह पाओगे। तुम मुल्क के तमाम अच्छे दरख़्तों को काटकर तमाम चश्मों को बंद करोगे और तमाम अच्छे खेतों को पत्थरों से ख़राब करोगे।” | |
II K | UrduGeoD | 3:20 | अगली सुबह तक़रीबन उस वक़्त जब ग़ल्ला की नज़र पेश की जाती है मुल्के-अदोम की तरफ़ से सैलाब आया, और नतीजे में वादी के तमाम गढ़े पानी से भर गए। | |
II K | UrduGeoD | 3:21 | इतने में तमाम मोआबियों को पता चल गया था कि तीनों बादशाह हमसे लड़ने आ रहे हैं। छोटों से लेकर बड़ों तक जो भी अपनी तलवार चला सकता था उसे बुलाकर सरहद की तरफ़ भेजा गया। | |
II K | UrduGeoD | 3:22 | सुबह-सवेरे जब मोआबी लड़ने के लिए तैयार हुए तो तुलूए-आफ़ताब की सुर्ख़ रौशनी में वादी का पानी ख़ून की तरह सुर्ख़ नज़र आया। | |
II K | UrduGeoD | 3:23 | मोआबी चिल्लाने लगे, “यह तो ख़ून है! तीनों बादशाहों ने आपस में लड़कर एक दूसरे को मार दिया होगा। आओ, हम उनको लूट लें!” | |
II K | UrduGeoD | 3:24 | लेकिन जब वह इसराईली लशकरगाह के क़रीब पहुँचे तो इसराईली उन पर टूट पड़े और उन्हें मारकर भगा दिया। फिर उन्होंने उनके मुल्क में दाख़िल होकर मोआब को शिकस्त दी। | |
II K | UrduGeoD | 3:25 | चलते चलते उन्होंने तमाम शहरों को बरबाद किया। जब भी वह किसी अच्छे खेत से गुज़रे तो हर सिपाही ने एक पत्थर उस पर फेंक दिया। यों तमाम खेत पत्थरों से भर गए। इसराईलियों ने तमाम चश्मों को भी बंद कर दिया और हर अच्छे दरख़्त को काट डाला। आख़िर में सिर्फ़ क़ीर-हरासत क़ायम रहा। लेकिन फ़लाख़न चलानेवाले उसका मुहासरा करके उस पर हमला करने लगे। | |
II K | UrduGeoD | 3:26 | जब मोआब के बादशाह ने जान लिया कि मैं शिकस्त खा रहा हूँ तो उसने तलवारों से लैस 700 आदमियों को अपने साथ लिया और अदोम के बादशाह के क़रीब दुश्मन का मुहासरा तोड़कर निकलने की कोशिश की, लेकिन बेफ़ायदा। | |
Chapter 4
II K | UrduGeoD | 4:1 | एक दिन एक बेवा इलीशा के पास आई जिसका शौहर जब ज़िंदा था नबियों के गुरोह में शामिल था। बेवा चीख़ती-चिल्लाती इलीशा से मुख़ातिब हुई, “आप जानते हैं कि मेरा शौहर जो आपकी ख़िदमत करता था अल्लाह का ख़ौफ़ मानता था। अब जब वह फ़ौत हो गया है तो उसका एक साहूकार आकर धमकी दे रहा है कि अगर क़र्ज़ अदा न किया गया तो मैं तेरे दो बेटों को ग़ुलाम बनाकर ले जाऊँगा।” | |
II K | UrduGeoD | 4:2 | इलीशा ने पूछा, “मैं किस तरह आपकी मदद करूँ? बताएँ, घर में आपके पास क्या है?” बेवा ने जवाब दिया, “कुछ नहीं, सिर्फ़ ज़ैतून के तेल का छोटा-सा बरतन।” | |
II K | UrduGeoD | 4:3 | इलीशा बोला, “जाएँ, अपनी तमाम पड़ोसनों से ख़ाली बरतन माँगें। लेकिन ध्यान रखें कि थोड़े बरतन न हों! | |
II K | UrduGeoD | 4:4 | फिर अपने बेटों के साथ घर में जाकर दरवाज़े पर कुंडी लगाएँ। तेल का अपना बरतन लेकर तमाम ख़ाली बरतनों में तेल उंडेलती जाएँ। जब एक भर जाए तो उसे एक तरफ़ रखकर दूसरे को भरना शुरू करें।” | |
II K | UrduGeoD | 4:5 | बेवा ने जाकर ऐसा ही किया। वह अपने बेटों के साथ घर में गई और दरवाज़े पर कुंडी लगाई। बेटे उसे ख़ाली बरतन देते गए और माँ उनमें तेल उंडेलती गई। | |
II K | UrduGeoD | 4:6 | बरतनों में तेल डलते डलते सब लबालब भर गए। माँ बोली, “मुझे एक और बरतन दे दो” तो एक लड़के ने जवाब दिया, “और कोई नहीं है।” तब तेल का सिलसिला रुक गया। | |
II K | UrduGeoD | 4:7 | जब बेवा ने मर्दे-ख़ुदा के पास जाकर उसे इत्तला दी तो इलीशा ने कहा, “अब जाकर तेल को बेच दें और कर्ज़े के पैसे अदा करें। जो बच जाए उसे आप और आपके बेटे अपनी ज़रूरियात पूरी करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 4:8 | एक दिन इलीशा शूनीम गया। वहाँ एक अमीर औरत रहती थी जिसने ज़बरदस्ती उसे अपने घर बिठाकर खाना खिलाया। बाद में जब कभी इलीशा वहाँ से गुज़रता तो वह खाने के लिए उस औरत के घर ठहर जाता। | |
II K | UrduGeoD | 4:9 | एक दिन औरत ने अपने शौहर से बात की, “मैंने जान लिया है कि जो आदमी हमारे हाँ आता रहता है वह अल्लाह का मुक़द्दस पैग़ंबर है। | |
II K | UrduGeoD | 4:10 | क्यों न हम उसके लिए छत पर छोटा-सा कमरा बनाकर उसमें चारपाई, मेज़, कुरसी और शमादान रखें। फिर जब भी वह हमारे पास आए तो वह उसमें ठहर सकता है।” | |
II K | UrduGeoD | 4:12 | उसने अपने नौकर जैहाज़ी से कहा, “शूनीमी मेज़बान को बुला लाओ।” जब वह आकर उसके सामने खड़ी हुई | |
II K | UrduGeoD | 4:13 | तो इलीशा ने जैहाज़ी से कहा, “उसे बता देना कि आपने हमारे लिए बहुत तकलीफ़ उठाई है। अब हम आपके लिए क्या कुछ करें? क्या हम बादशाह या फ़ौज के कमाँडर से बात करके आपकी सिफ़ारिश करें?” औरत ने जवाब दिया, “नहीं, इसकी ज़रूरत नहीं। मैं अपने ही लोगों के दरमियान रहती हूँ।” | |
II K | UrduGeoD | 4:14 | बाद में इलीशा ने जैहाज़ी से बात की, “हम उसके लिए क्या करें?” जैहाज़ी ने जवाब दिया, “एक बात तो है। उसका कोई बेटा नहीं, और उसका शौहर काफ़ी बूढ़ा है।” | |
II K | UrduGeoD | 4:15 | इलीशा बोला, “उसे वापस बुलाओ।” औरत वापस आकर दरवाज़े में खड़ी हो गई। इलीशा ने उससे कहा, | |
II K | UrduGeoD | 4:16 | “अगले साल इसी वक़्त आपका अपना बेटा आपकी गोद में होगा।” शूनीमी औरत ने एतराज़ किया, “नहीं नहीं, मेरे आक़ा। मर्दे-ख़ुदा ऐसी बातें करके अपनी ख़ादिमा को झूटी तसल्ली मत दें।” | |
II K | UrduGeoD | 4:17 | लेकिन ऐसा ही हुआ। कुछ देर के बाद औरत का पाँव भारी हो गया, और ऐन एक साल के बाद उसके हाँ बेटा पैदा हुआ। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा इलीशा ने कहा था। | |
II K | UrduGeoD | 4:18 | बच्चा परवान चढ़ा, और एक दिन वह घर से निकलकर खेत में अपने बाप के पास गया जो फ़सल की कटाई करनेवालों के साथ काम कर रहा था। | |
II K | UrduGeoD | 4:19 | अचानक लड़का चीख़ने लगा, “हाय मेरा सर, हाय मेरा सर!” बाप ने किसी मुलाज़िम को बताया, “लड़के को उठाकर माँ के पास ले जाओ।” | |
II K | UrduGeoD | 4:20 | नौकर उसे उठाकर ले गया, और वह अपनी माँ की गोद में बैठा रहा। लेकिन दोपहर को वह मर गया। | |
II K | UrduGeoD | 4:21 | माँ लड़के की लाश को लेकर छत पर चढ़ गई। मर्दे-ख़ुदा के कमरे में जाकर उसने उसे उसके बिस्तर पर लिटा दिया। फिर दरवाज़े को बंद करके वह बाहर निकली | |
II K | UrduGeoD | 4:22 | और अपने शौहर को बुलवाकर कहा, “ज़रा एक नौकर और एक गधी मेरे पास भेज दें। मुझे फ़ौरन मर्दे-ख़ुदा के पास जाना है। मैं जल्द ही वापस आ जाऊँगी।” | |
II K | UrduGeoD | 4:23 | शौहर ने हैरान होकर पूछा, “आज उसके पास क्यों जाना है? न तो नए चाँद की ईद है, न सबत का दिन।” बीवी ने कहा, “सब ख़ैरियत है।” | |
II K | UrduGeoD | 4:24 | गधी पर ज़ीन कसकर उसने नौकर को हुक्म दिया, “गधी को तेज़ चला ताकि हम जल्दी पहुँच जाएँ। जब मैं कहूँगी तब ही रुकना है, वरना नहीं।” | |
II K | UrduGeoD | 4:25 | चलते चलते वह करमिल पहाड़ के पास पहुँच गए जहाँ मर्दे-ख़ुदा इलीशा था। उसे दूर से देखकर इलीशा जैहाज़ी से कहने लगा, “देखो, शूनीम की औरत आ रही है! | |
II K | UrduGeoD | 4:26 | भागकर उसके पास जाओ और पूछो कि क्या आप, आपका शौहर और बच्चा ठीक हैं?” जैहाज़ी ने जाकर उसका हाल पूछा तो औरत ने जवाब दिया, “जी, सब ठीक है।” | |
II K | UrduGeoD | 4:27 | लेकिन ज्योंही वह पहाड़ के पास पहुँच गई तो इलीशा के सामने गिरकर उसके पाँवों से चिमट गई। यह देखकर जैहाज़ी उसे हटाने के लिए क़रीब आया, लेकिन मर्दे-ख़ुदा बोला, “छोड़ दो! कोई बात इसे बहुत तकलीफ़ दे रही है, लेकिन रब ने वजह मुझसे छुपाए रखी है। उसने मुझे इसके बारे में कुछ नहीं बताया।” | |
II K | UrduGeoD | 4:28 | फिर शूनीमी औरत बोल उठी, “मेरे आक़ा, क्या मैंने आपसे बेटे की दरख़ास्त की थी? क्या मैंने नहीं कहा था कि मुझे ग़लत उम्मीद न दिलाएँ?” | |
II K | UrduGeoD | 4:29 | तब इलीशा ने नौकर को हुक्म दिया, “जैहाज़ी, सफ़र के लिए कमरबस्ता होकर मेरी लाठी को ले लो और भागकर शूनीम पहुँचो। अगर रास्ते में किसी से मिलो तो उसे सलाम तक न करना, और अगर कोई सलाम कहे तो उसे जवाब मत देना। जब वहाँ पहुँचोगे तो मेरी लाठी लड़के के चेहरे पर रख देना।” | |
II K | UrduGeoD | 4:30 | लेकिन माँ ने एतराज़ किया, “रब की और आपकी हयात की क़सम, आपके बग़ैर मैं घर वापस नहीं जाऊँगी।” चुनाँचे इलीशा भी उठा और औरत के पीछे पीछे चल पड़ा। | |
II K | UrduGeoD | 4:31 | जैहाज़ी भाग भागकर उनसे पहले पहुँच गया और लाठी को लड़के के चेहरे पर रख दिया। लेकिन कुछ न हुआ। न कोई आवाज़ सुनाई दी, न कोई हरकत हुई। वह इलीशा के पास वापस आया और बोला, “लड़का अभी तक मुरदा ही है।” | |
II K | UrduGeoD | 4:34 | फिर वह लड़के पर लेट गया, यों कि उसका मुँह बच्चे के मुँह से, उस की आँखें बच्चे की आँखों से और उसके हाथ बच्चे के हाथों से लग गए। और ज्योंही वह लड़के पर झुक गया तो उसका जिस्म गरम होने लगा। | |
II K | UrduGeoD | 4:35 | इलीशा खड़ा हुआ और घर में इधर उधर फिरने लगा। फिर वह एक और मरतबा लड़के पर लेट गया। इस दफ़ा लड़के ने सात बार छींकें मारकर अपनी आँखें खोल दीं। | |
II K | UrduGeoD | 4:36 | इलीशा ने जैहाज़ी को आवाज़ देकर कहा, “शूनीमी औरत को बुला लाओ।” वह कमरे में दाख़िल हुई तो इलीशा बोला, “आएँ, अपने बेटे को उठाकर ले जाएँ।” | |
II K | UrduGeoD | 4:37 | वह आई और इलीशा के सामने औंधे मुँह झुक गई, फिर अपने बेटे को उठाकर कमरे से बाहर चली गई। | |
II K | UrduGeoD | 4:38 | इलीशा जिलजाल को लौट आया। उन दिनों में मुल्क काल की गिरिफ़्त में था। एक दिन जब नबियों का गुरोह उसके सामने बैठा था तो उसने अपने नौकर को हुक्म दिया, “बड़ी देग लेकर नबियों के लिए कुछ पका लो।” | |
II K | UrduGeoD | 4:39 | एक आदमी बाहर निकलकर खुले मैदान में कद्दू ढूँडने गया। कहीं एक बेल नज़र आई जिस पर कद्दू जैसी कोई सब्ज़ी लगी थी। इन कद्दुओं से अपनी चादर भरकर वह वापस आया और उन्हें काट काटकर देग में डाल दिया, हालाँकि किसी को भी मालूम नहीं था कि क्या चीज़ है। | |
II K | UrduGeoD | 4:40 | सालन पककर नबियों में तक़सीम हुआ। लेकिन उसे चखते ही वह चीख़ने लगे, “मर्दे-ख़ुदा, सालन में ज़हर है! इसे खाकर बंदा मर जाएगा।” वह उसे बिलकुल न खा सके। | |
II K | UrduGeoD | 4:41 | इलीशा ने हुक्म दिया, “मुझे कुछ मैदा लाकर दें।” फिर उसे देग में डालकर बोला, “अब इसे लोगों को खिला दें।” अब खाना खाने के क़ाबिल था और उन्हें नुक़सान न पहुँचा सका। | |
II K | UrduGeoD | 4:42 | एक और मौक़े पर किसी आदमी ने बाल-सलीसा से आकर मर्दे-ख़ुदा को नई फ़सल के जौ की 20 रोटियाँ और कुछ अनाज दे दिया। इलीशा ने जैहाज़ी को हुक्म दिया, “इसे लोगों को खिला दो।” | |
II K | UrduGeoD | 4:43 | जैहाज़ी हैरान होकर बोला, “यह कैसे मुमकिन है? यह तो 100 आदमियों के लिए काफ़ी नहीं है।” लेकिन इलीशा ने इसरार किया, “इसे लोगों में तक़सीम कर दो, क्योंकि रब फ़रमाता है कि वह जी भरकर खाएँगे बल्कि कुछ बच भी जाएगा।” | |
Chapter 5
II K | UrduGeoD | 5:1 | उस वक़्त शाम की फ़ौज का कमाँडर नामान था। बादशाह उस की बहुत क़दर करता था, और दूसरे भी उस की ख़ास इज़्ज़त करते थे, क्योंकि रब ने उस की मारिफ़त शाम के दुश्मनों पर फ़तह बख़्शी थी। लेकिन ज़बरदस्त फ़ौजी होने के बावुजूद वह संगीन जिल्दी बीमारी का मरीज़ था। | |
II K | UrduGeoD | 5:2 | नामान के घर में एक इसराईली लड़की रहती थी। किसी वक़्त जब शाम के फ़ौजियों ने इसराईल पर छापा मारा था तो वह उसे गिरिफ़्तार करके यहाँ ले आए थे। अब लड़की नामान की बीवी की ख़िदमत करती थी। | |
II K | UrduGeoD | 5:3 | एक दिन उसने अपनी मालिकन से बात की, “काश मेरा आक़ा उस नबी से मिलने जाता जो सामरिया में रहता है। वह उसे ज़रूर शफ़ा देता।” | |
II K | UrduGeoD | 5:5 | बादशाह बोला, “ज़रूर जाएँ और उस नबी से मिलें। मैं आपके हाथ इसराईल के बादशाह को सिफ़ारिशी ख़त भेज दूँगा।” चुनाँचे नामान रवाना हुआ। उसके पास तक़रीबन 340 किलोग्राम चाँदी, 68 किलोग्राम सोना और 10 क़ीमती सूट थे। | |
II K | UrduGeoD | 5:6 | जो ख़त वह साथ लेकर गया उसमें लिखा था, “जो आदमी आपको यह ख़त पहुँचा रहा है वह मेरा ख़ादिम नामान है। मैंने उसे आपके पास भेजा है ताकि आप उसे उस की जिल्दी बीमारी से शफ़ा दें।” | |
II K | UrduGeoD | 5:7 | ख़त पढ़कर यूराम ने रंजिश के मारे अपने कपड़े फाड़े और पुकारा, “इस आदमी ने मरीज़ को मेरे पास भेज दिया है ताकि मैं उसे शफ़ा दूँ! क्या मैं अल्लाह हूँ कि किसी को जान से मारूँ या उसे ज़िंदा करूँ? अब ग़ौर करें और देखें कि वह किस तरह मेरे साथ झगड़ने का मौक़ा ढूँड रहा है।” | |
II K | UrduGeoD | 5:8 | जब इलीशा को ख़बर मिली कि बादशाह ने घबराकर अपने कपड़े फाड़ लिए हैं तो उसने यूराम को पैग़ाम भेजा, “आपने अपने कपड़े क्यों फाड़ लिए? आदमी को मेरे पास भेज दें तो वह जान लेगा कि इसराईल में नबी है।” | |
II K | UrduGeoD | 5:10 | इलीशा ख़ुद न निकला बल्कि किसी को बाहर भेजकर इत्तला दी, “जाकर सात बार दरियाए-यरदन में नहा लें। फिर आपके जिस्म को शफ़ा मिलेगी और आप पाक-साफ़ हो जाएंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 5:11 | यह सुनकर नामान को ग़ुस्सा आया और वह यह कहकर चला गया, “मैंने सोचा कि वह कम अज़ कम बाहर आकर मुझसे मिलेगा। होना यह चाहिए था कि वह मेरे सामने खड़े होकर रब अपने ख़ुदा का नाम पुकारता और अपना हाथ बीमार जगह के ऊपर हिला हिलाकर मुझे शफ़ा देता। | |
II K | UrduGeoD | 5:12 | क्या दमिश्क़ के दरिया अबाना और फ़रफ़र तमाम इसराईली दरियाओं से बेहतर नहीं हैं? अगर नहाने की ज़रूरत है तो मैं क्यों न उनमें नहाकर पाक-साफ़ हो जाऊँ?” यों बुड़बुड़ाते हुए वह बड़े ग़ुस्से में चला गया। | |
II K | UrduGeoD | 5:13 | लेकिन उसके मुलाज़िमों ने उसे समझाने की कोशिश की। “हमारे आक़ा, अगर नबी आपसे किसी मुश्किल काम का तक़ाज़ा करता तो क्या आप वह करने के लिए तैयार न होते? अब जबकि उसने सिर्फ़ यह कहा है कि नहाकर पाक-साफ़ हो जाएँ तो आपको यह ज़रूर करना चाहिए।” | |
II K | UrduGeoD | 5:14 | आख़िरकार नामान मान गया और यरदन की वादी में उतर गया। दरिया पर पहुँचकर उसने सात बार उसमें डुबकी लगाई और वाक़ई उसका जिस्म लड़के के जिस्म जैसा सेहतमंद और पाक-साफ़ हो गया। | |
II K | UrduGeoD | 5:15 | तब नामान अपने तमाम मुलाज़िमों के साथ मर्दे-ख़ुदा के पास वापस गया। उसके सामने खड़े होकर उसने कहा, “अब मैं जान गया हूँ कि इसराईल के ख़ुदा के सिवा पूरी दुनिया में ख़ुदा नहीं है। ज़रा अपने ख़ादिम से तोह्फ़ा क़बूल करें।” | |
II K | UrduGeoD | 5:16 | लेकिन इलीशा ने इनकार किया, “रब की हयात की क़सम जिसकी ख़िदमत मैं करता हूँ, मैं कुछ नहीं लूँगा।” नामान इसरार करता रहा, तो भी वह कुछ लेने के लिए तैयार न हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 5:17 | आख़िरकार नामान मान गया। उसने कहा, “ठीक है, लेकिन मुझे ज़रा एक काम करने की इजाज़त दें। मैं यहाँ से इतनी मिट्टी अपने घर ले जाना चाहता हूँ जितनी दो ख़च्चर उठाकर ले जा सकते हैं। क्योंकि आइंदा मैं उस पर रब को भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ चढ़ाना चाहता हूँ। अब से मैं किसी और माबूद को क़ुरबानियाँ पेश नहीं करूँगा। | |
II K | UrduGeoD | 5:18 | लेकिन रब मुझे एक बात के लिए मुआफ़ करे। जब मेरा बादशाह पूजा करने के लिए रिम्मोन के मंदिर में जाता है तो मेरे बाज़ू का सहारा लेता है। यों मुझे भी उसके साथ झुक जाना पड़ता है जब वह बुत के सामने औंधे मुँह झुक जाता है। रब मेरी यह हरकत मुआफ़ कर दे।” | |
II K | UrduGeoD | 5:20 | तो कुछ देर के बाद इलीशा का नौकर जैहाज़ी सोचने लगा, “मेरे आक़ा ने शाम के इस बंदे नामान पर हद से ज़्यादा नरमदिली का इज़हार किया है। चाहिए तो था कि वह उसके तोह्फ़े क़बूल कर लेता। रब की हयात की क़सम, मैं उसके पीछे दौड़कर कुछ न कुछ उससे ले लूँगा।” | |
II K | UrduGeoD | 5:21 | चुनाँचे जैहाज़ी नामान के पीछे भागा। जब नामान ने उसे देखा तो वह रथ से उतरकर जैहाज़ी से मिलने गया और पूछा, “क्या सब ख़ैरियत है?” | |
II K | UrduGeoD | 5:22 | जैहाज़ी ने जवाब दिया, “जी, सब ख़ैरियत है। मेरे आक़ा ने मुझे आपको इत्तला देने भेजा है कि अभी अभी नबियों के गुरोह के दो जवान इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े से मेरे पास आए हैं। मेहरबानी करके उन्हें 34 किलोग्राम चाँदी और दो क़ीमती सूट दे दें।” | |
II K | UrduGeoD | 5:23 | नामान बोला, “ज़रूर, बल्कि 68 किलोग्राम चाँदी ले लें।” इस बात पर वह बज़िद रहा। उसने 68 किलोग्राम चाँदी बोरियों में लपेट ली, दो सूट चुन लिए और सब कुछ अपने दो नौकरों को दे दिया ताकि वह सामान जैहाज़ी के आगे आगे ले चलें। | |
II K | UrduGeoD | 5:24 | जब वह उस पहाड़ के दामन में पहुँचे जहाँ इलीशा रहता था तो जैहाज़ी ने सामान नौकरों से लेकर अपने घर में रख छोड़ा, फिर दोनों को रुख़सत कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 5:25 | फिर वह जाकर इलीशा के सामने खड़ा हो गया। इलीशा ने पूछा, “जैहाज़ी, तुम कहाँ से आए हो?” उसने जवाब दिया, “मैं कहीं नहीं गया था।” | |
II K | UrduGeoD | 5:26 | लेकिन इलीशा ने एतराज़ किया, “क्या मेरी रूह तुम्हारे साथ नहीं थी जब नामान अपने रथ से उतरकर तुमसे मिलने आया? क्या आज चाँदी, कपड़े, ज़ैतून और अंगूर के बाग़, भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, नौकर और नौकरानियाँ हासिल करने का वक़्त था? | |
Chapter 6
II K | UrduGeoD | 6:1 | एक दिन कुछ नबी इलीशा के पास आकर शिकायत करने लगे, “जिस तंग जगह पर हम आपके पास आकर ठहरे हैं उसमें हमारे लिए रहना मुश्किल है। | |
II K | UrduGeoD | 6:2 | क्यों न हम दरियाए-यरदन पर जाएँ और हर आदमी वहाँ से शहतीर ले आए ताकि हम रहने की नई जगह बना सकें।” इलीशा बोला, “ठीक है, जाएँ।” | |
II K | UrduGeoD | 6:5 | काटते काटते अचानक किसी की कुल्हाड़ी का लोहा पानी में गिर गया। वह चिल्ला उठा, “हाय मेरे आक़ा! यह मेरा नहीं था, मैंने तो उसे किसी से उधार लिया था।” | |
II K | UrduGeoD | 6:6 | इलीशा ने सवाल किया, “लोहा कहाँ पानी में गिरा?” आदमी ने उसे जगह दिखाई तो नबी ने किसी दरख़्त से शाख़ काटकर पानी में फेंक दी। अचानक लोहा पानी की सतह पर आकर तैरने लगा। | |
II K | UrduGeoD | 6:8 | शाम और इसराईल के दरमियान जंग थी। जब कभी बादशाह अपने अफ़सरों से मशवरा करके कहता, “हम फ़ुलाँ फ़ुलाँ जगह अपनी लशकरगाह लगा लेंगे” | |
II K | UrduGeoD | 6:9 | तो फ़ौरन मर्दे-ख़ुदा इसराईल के बादशाह को आगाह करता, “फ़ुलाँ जगह से मत गुज़रना, क्योंकि शाम के फ़ौजी वहाँ घात में बैठे हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 6:10 | तब इसराईल का बादशाह अपने लोगों को मज़कूरा जगह पर भेजता और वहाँ से गुज़रने से मुहतात रहता था। ऐसा न सिर्फ़ एक या दो दफ़ा बल्कि कई मरतबा हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 6:11 | आख़िरकार शाम के बादशाह ने बहुत रंजीदा होकर अपने अफ़सरों को बुलाया और पूछा, “क्या कोई मुझे बता सकता है कि हममें से कौन इसराईल के बादशाह का साथ देता है?” | |
II K | UrduGeoD | 6:12 | किसी अफ़सर ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा और बादशाह, हममें से कोई नहीं है। मसला यह है कि इसराईल का नबी इलीशा इसराईल के बादशाह को वह बातें भी बता देता है जो आप अपने सोने के कमरे में बयान करते हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 6:13 | बादशाह ने हुक्म दिया, “जाएँ, उसका पता करें ताकि हम अपने फ़ौजियों को भेजकर उसे पकड़ लें।” बादशाह को इत्तला दी गई कि इलीशा दूतैन नामी शहर में है। | |
II K | UrduGeoD | 6:14 | उसने फ़ौरन एक बड़ी फ़ौज रथों और घोड़ों समेत वहाँ भेज दी। उन्होंने रात के वक़्त पहुँचकर शहर को घेर लिया। | |
II K | UrduGeoD | 6:15 | जब इलीशा का नौकर सुबह-सवेरे जाग उठा और घर से निकला तो क्या देखता है कि पूरा शहर एक बड़ी फ़ौज से घिरा हुआ है जिसमें रथ और घोड़े भी शामिल हैं। उसने इलीशा से कहा, “हाय मेरे आक़ा, हम क्या करें?” | |
II K | UrduGeoD | 6:16 | लेकिन इलीशा ने उसे तसल्ली दी, “डरो मत! जो हमारे साथ हैं वह उनकी निसबत कहीं ज़्यादा हैं जो दुश्मन के साथ हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 6:17 | फिर उसने दुआ की, “ऐ रब, नौकर की आँखें खोल ताकि वह देख सके।” रब ने इलीशा के नौकर की आँखें खोल दीं तो उसने देखा कि पहाड़ पर इलीशा के इर्दगिर्द आतिशीं घोड़े और रथ फैले हुए हैं। | |
II K | UrduGeoD | 6:18 | जब दुश्मन इलीशा की तरफ़ बढ़ने लगा तो उसने दुआ की, “ऐ रब, इनको अंधा कर दे!” रब ने इलीशा की सुनी और उन्हें अंधा कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 6:19 | फिर इलीशा उनके पास गया और कहा, “यह रास्ता सहीह नहीं। आप ग़लत शहर के पास पहुँच गए हैं। मेरे पीछे हो लें तो मैं आपको उस आदमी के पास पहुँचा दूँगा जिसे आप ढूँड रहे हैं।” यह कहकर वह उन्हें सामरिया ले गया। | |
II K | UrduGeoD | 6:20 | जब वह शहर में दाख़िल हुए तो इलीशा ने दुआ की, “ऐ रब, फ़ौजियों की आँखें खोल दे ताकि वह देख सकें।” तब रब ने उनकी आँखें खोल दीं, और उन्हें मालूम हुआ कि हम सामरिया में फँस गए हैं। | |
II K | UrduGeoD | 6:21 | जब इसराईल के बादशाह ने अपने दुश्मनों को देखा तो उसने इलीशा से पूछा, “मेरे बाप, क्या मैं उन्हें मार दूँ? क्या मैं उन्हें मार दूँ?” | |
II K | UrduGeoD | 6:22 | लेकिन इलीशा ने मना किया, “ऐसा मत करें। क्या आप अपने जंगी क़ैदियों को मार देते हैं? नहीं, उन्हें खाना खिलाएँ, पानी पिलाएँ और फिर उनके मालिक के पास वापस भेज दें।” | |
II K | UrduGeoD | 6:23 | चुनाँचे बादशाह ने उनके लिए बड़ी ज़ियाफ़त का एहतमाम किया और खाने-पीने से फ़ारिग़ होने पर उन्हें उनके मालिक के पास वापस भेज दिया। इसके बाद इसराईल पर शाम की तरफ़ से लूट-मार के छापे बंद हो गए। | |
II K | UrduGeoD | 6:24 | कुछ देर के बाद शाम का बादशाह बिन-हदद अपनी पूरी फ़ौज जमा करके इसराईल पर चढ़ आया और सामरिया का मुहासरा किया। | |
II K | UrduGeoD | 6:25 | नतीजे में शहर में शदीद काल पड़ा। आख़िर में गधे का सर चाँदी के 80 सिक्कों में और कबूतर की मुट्ठी-भर बीट चाँदी के 5 सिक्कों में मिलती थी। | |
II K | UrduGeoD | 6:26 | एक दिन इसराईल का बादशाह यूराम शहर की फ़सील पर सैर कर रहा था तो एक औरत ने उससे इलतमास की, “ऐ मेरे आक़ा और बादशाह, मेरी मदद कीजिए।” | |
II K | UrduGeoD | 6:27 | बादशाह ने जवाब दिया, “अगर रब आपकी मदद नहीं करता तो मैं किस तरह आपकी मदद करूँ? न मैं गाहने की जगह जाकर आपको अनाज दे सकता हूँ, न अंगूर का रस निकालने की जगह जाकर आपको रस पहुँचा सकता हूँ। | |
II K | UrduGeoD | 6:28 | फिर भी मुझे बताएँ, मसला क्या है?” औरत बोली, “इस औरत ने मुझसे कहा था, ‘आएँ, आज आप अपने बेटे को क़ुरबान करें ताकि हम उसे खा लें, तो फिर कल हम मेरे बेटे को खा लेंगे।’ | |
II K | UrduGeoD | 6:29 | चुनाँचे हमने मेरे बेटे को पकाकर खा लिया। अगले दिन मैंने उससे कहा, ‘अब अपने बेटे को दे दें ताकि उसे भी खा लें।’ लेकिन उसने उसे छुपाए रखा।” | |
II K | UrduGeoD | 6:30 | यह सुनकर बादशाह ने रंजिश के मारे अपने कपड़े फाड़ डाले। चूँकि वह अभी तक फ़सील पर खड़ा था इसलिए सब लोगों को नज़र आया कि कपड़ों के नीचे वह टाट पहने हुए था। | |
II K | UrduGeoD | 6:31 | उसने पुकारा, “अल्लाह मुझे सख़्त सज़ा दे अगर मैं इलीशा बिन साफ़त का आज ही सर क़लम न करूँ!” | |
II K | UrduGeoD | 6:32 | उसने एक आदमी को इलीशा के पास भेजा और ख़ुद भी उसके पीछे चल पड़ा। इलीशा उस वक़्त घर में था, और शहर के बुज़ुर्ग उसके पास बैठे थे। बादशाह का क़ासिद अभी रास्ते में था कि इलीशा बुज़ुर्गों से कहने लगा, “अब ध्यान करें, इस क़ातिल बादशाह ने किसी को मेरा सर क़लम करने के लिए भेज दिया है। उसे अंदर आने न दें बल्कि दरवाज़े पर कुंडी लगाएँ। उसके पीछे पीछे उसके मालिक के क़दमों की आहट भी सुनाई दे रही है।” | |
Chapter 7
II K | UrduGeoD | 7:1 | तब इलीशा बोला, “रब का फ़रमान सुनें! रब फ़रमाता है कि कल इसी वक़्त शहर के दरवाज़े पर साढ़े 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा।” | |
II K | UrduGeoD | 7:2 | जिस अफ़सर के बाज़ू का सहारा बादशाह लेता था वह मर्दे-ख़ुदा की बात सुनकर बोल उठा, “यह नामुमकिन है, ख़ाह रब आसमान के दरीचे क्यों न खोल दे।” इलीशा ने जवाब दिया, “आप अपनी आँखों से इसका मुशाहदा करेंगे, लेकिन ख़ुद उसमें से कुछ न खाएँगे।” | |
II K | UrduGeoD | 7:3 | शहर से बाहर दरवाज़े के क़रीब कोढ़ के चार मरीज़ बैठे थे। अब यह आदमी एक दूसरे से कहने लगे, “हम यहाँ बैठकर मौत का इंतज़ार क्यों करें? | |
II K | UrduGeoD | 7:4 | शहर में काल है। अगर उसमें जाएँ तो भूके मर जाएंगे, लेकिन यहाँ रहने से भी कोई फ़रक़ नहीं पड़ता। तो क्यों न हम शाम की लशकरगाह में जाकर अपने आपको उनके हवाले करें। अगर वह हमें ज़िंदा रहने दें तो अच्छा रहेगा, और अगर वह हमें क़त्ल भी कर दें तो कोई फ़रक़ नहीं पड़ेगा। यहाँ रहकर भी हमें मरना ही है।” | |
II K | UrduGeoD | 7:5 | शाम के धुँधलके में वह रवाना हुए। लेकिन जब लशकरगाह के किनारे तक पहुँचे तो एक भी आदमी नज़र न आया। | |
II K | UrduGeoD | 7:6 | क्योंकि रब ने शाम के फ़ौजियों को रथों, घोड़ों और एक बड़ी फ़ौज का शोर सुना दिया था। वह एक दूसरे से कहने लगे, “इसराईल के बादशाह ने हित्ती और मिसरी बादशाहों को उजरत पर बुलाया ताकि वह हम पर हमला करें!” | |
II K | UrduGeoD | 7:7 | डर के मारे वह शाम के धुँधलके में फ़रार हो गए थे। उनके ख़ैमे, घोड़े, गधे बल्कि पूरी लशकरगाह पीछे रह गई थी जबकि वह अपनी जान बचाने के लिए भाग गए थे। | |
II K | UrduGeoD | 7:8 | जब कोढ़ी लशकरगाह में दाख़िल हुए तो उन्होंने एक ख़ैमे में जाकर जी भरकर खाना खाया और मै पी। फिर उन्होंने सोना, चाँदी और कपड़े उठाकर कहीं छुपा दिए। वह वापस आकर किसी और ख़ैमे में गए और उसका सामान जमा करके उसे भी छुपा दिया। | |
II K | UrduGeoD | 7:9 | लेकिन फिर वह आपस में कहने लगे, “जो कुछ हम कर रहे हैं ठीक नहीं। आज ख़ुशी का दिन है, और हम यह ख़ुशख़बरी दूसरों तक नहीं पहुँचा रहे। अगर हम सुबह तक इंतज़ार करें तो क़ुसूरवार ठहरेंगे। आएँ, हम फ़ौरन वापस जाकर बादशाह के घराने को इत्तला दें।” | |
II K | UrduGeoD | 7:10 | चुनाँचे वह शहर के दरवाज़े के पास गए और पहरेदारों को आवाज़ देकर उन्हें सब कुछ सुनाया, “हम शाम की लशकरगाह में गए तो वहाँ न कोई दिखाई दिया, न किसी की आवाज़ सुनाई दी। घोड़े और गधे बँधे हुए थे और ख़ैमे तरतीब से खड़े थे, लेकिन आदमी एक भी मौजूद नहीं था!” | |
II K | UrduGeoD | 7:11 | दरवाज़े के पहरेदारों ने आवाज़ देकर दूसरों को ख़बर पहुँचाई तो शहर के अंदर बादशाह के घराने को इत्तला दी गई। | |
II K | UrduGeoD | 7:12 | गो रात का वक़्त था तो भी बादशाह ने उठकर अपने अफ़सरों को बुलाया और कहा, “मैं आपको बताता हूँ कि शाम के फ़ौजी क्या कर रहे हैं। वह तो ख़ूब जानते हैं कि हम भूके मर रहे हैं। अब वह अपनी लशकरगाह को छोड़कर खुले मैदान में छुप गए हैं, क्योंकि वह समझते हैं कि इसराईली ख़ाली लशकरगाह को देखकर शहर से ज़रूर निकलेंगे और फिर हम उन्हें ज़िंदा पकड़कर शहर में दाख़िल हो जाएंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 7:13 | लेकिन एक अफ़सर ने मशवरा दिया, “बेहतर है कि हम चंद एक आदमियों को पाँच बचे हुए घोड़ों के साथ लशकरगाह में भेजें। अगर वह पकड़े जाएँ तो कोई बात नहीं। क्योंकि अगर वह यहाँ रहें तो फिर भी उन्हें हमारे साथ मरना ही है।” | |
II K | UrduGeoD | 7:14 | चुनाँचे दो रथों को घोड़ों समेत तैयार किया गया, और बादशाह ने उन्हें शाम की लशकरगाह में भेज दिया। रथबानों को उसने हुक्म दिया, “जाएँ और पता करें कि क्या हुआ है।” | |
II K | UrduGeoD | 7:15 | वह रवाना हुए और शाम के फ़ौजियों के पीछे पीछे चलने लगे। रास्ते में हर तरफ़ कपड़े और सामान बिखरा पड़ा था, क्योंकि फ़ौजियों ने भागते भागते सब कुछ फेंककर रास्ते में छोड़ दिया था। इसराईली रथसवार दरियाए-यरदन तक पहुँचे और फिर बादशाह के पास वापस आकर सब कुछ कह सुनाया। | |
II K | UrduGeoD | 7:16 | तब सामरिया के बाशिंदे शहर से निकल आए और शाम की लशकरगाह में जाकर सब कुछ लूट लिया। यों वह कुछ पूरा हुआ जो रब ने फ़रमाया था कि साढ़े 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा। | |
II K | UrduGeoD | 7:17 | जिस अफ़सर के बाज़ू का सहारा बादशाह लेता था उसे उसने दरवाज़े की निगरानी करने के लिए भेज दिया था। लेकिन जब लोग बाहर निकले तो अफ़सर उनकी ज़द में आकर उनके पैरों तले कुचला गया। यों वैसा ही हुआ जैसा मर्दे-ख़ुदा ने उस वक़्त कहा था जब बादशाह उसके घर आया था। | |
II K | UrduGeoD | 7:18 | क्योंकि इलीशा ने बादशाह को बताया था, “कल इसी वक़्त शहर के दरवाज़े पर साढ़े 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा।” | |
II K | UrduGeoD | 7:19 | अफ़सर ने एतराज़ किया था, “यह नामुमकिन है, ख़ाह रब आसमान के दरीचे क्यों न खोल दे।” और मर्दे-ख़ुदा ने जवाब दिया था, “आप अपनी आँखों से इसका मुशाहदा करेंगे, लेकिन ख़ुद उसमें से कुछ नहीं खाएँगे।” | |
Chapter 8
II K | UrduGeoD | 8:1 | एक दिन इलीशा ने उस औरत को जिसका बेटा उसने ज़िंदा किया था मशवरा दिया, “अपने ख़ानदान को लेकर आरिज़ी तौर पर बैरूने-मुल्क चली जाएँ, क्योंकि रब ने हुक्म दिया है कि मुल्क में सात साल तक काल होगा।” | |
II K | UrduGeoD | 8:2 | शूनीम की औरत ने मर्दे-ख़ुदा की बात मान ली। अपने ख़ानदान को लेकर वह चली गई और सात साल फ़िलिस्ती मुल्क में रही। | |
II K | UrduGeoD | 8:3 | सात साल गुज़र गए तो वह उस मुल्क से वापस आई। लेकिन किसी और ने उसके घर और ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर रखा था, इसलिए वह मदद के लिए बादशाह के पास गई। | |
II K | UrduGeoD | 8:4 | ऐन उस वक़्त जब वह दरबार में पहुँची तो बादशाह मर्दे-ख़ुदा इलीशा के नौकर जैहाज़ी से गुफ़्तगू कर रहा था। बादशाह ने उससे दरख़ास्त की थी, “मुझे वह तमाम बड़े काम सुना दो जो इलीशा ने किए हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 8:5 | और अब जब जैहाज़ी सुना रहा था कि इलीशा ने मुरदा लड़के को किस तरह ज़िंदा कर दिया तो उस की माँ अंदर आकर बादशाह से इलतमास करने लगी, “घर और ज़मीन वापस मिलने में मेरी मदद कीजिए।” उसे देखकर जैहाज़ी ने बादशाह से कहा, “मेरे आक़ा और बादशाह, यह वही औरत है और यह उसका वही बेटा है जिसे इलीशा ने ज़िंदा कर दिया था।” | |
II K | UrduGeoD | 8:6 | बादशाह ने औरत से सवाल किया, “क्या यह सहीह है?” औरत ने तसदीक़ में उसे दुबारा सब कुछ सुनाया। तब उसने औरत का मामला किसी दरबारी अफ़सर के सुपुर्द करके हुक्म दिया, “ध्यान दें कि इसे पूरी मिलकियत वापस मिल जाए! और जितने पैसे क़ब्ज़ा करनेवाला औरत की ग़ैरमौजूदगी में ज़मीन की फ़सलों से कमा सका वह भी औरत को दे दिए जाएँ।” | |
II K | UrduGeoD | 8:7 | एक दिन इलीशा दमिश्क़ आया। उस वक़्त शाम का बादशाह बिन-हदद बीमार था। जब उसे इत्तला मिली कि मर्दे-ख़ुदा आया है | |
II K | UrduGeoD | 8:8 | तो उसने अपने अफ़सर हज़ाएल को हुक्म दिया, “मर्दे-ख़ुदा के लिए तोह्फ़ा लेकर उसे मिलने जाएँ। वह रब से दरियाफ़्त करे कि क्या मैं बीमारी से शफ़ा पाऊँगा या नहीं?” | |
II K | UrduGeoD | 8:9 | हज़ाएल 40 ऊँटों पर दमिश्क़ की बेहतरीन पैदावार लादकर इलीशा से मिलने गया। उसके पास पहुँचकर वह उसके सामने खड़ा हुआ और कहा, “आपके बेटे शाम के बादशाह बिन-हदद ने मुझे आपके पास भेजा है। वह यह जानना चाहता है कि क्या मैं अपनी बीमारी से शफ़ा पाऊँगा या नहीं?” | |
II K | UrduGeoD | 8:10 | इलीशा ने जवाब दिया, “जाएँ और उसे इत्तला दें, ‘आप ज़रूर शफ़ा पाएँगे।’ लेकिन रब ने मुझ पर ज़ाहिर किया है कि वह हक़ीक़त में मर जाएगा।” | |
II K | UrduGeoD | 8:12 | हज़ाएल ने पूछा, “मेरे आक़ा, आप क्यों रो रहे हैं?” इलीशा ने जवाब दिया, “मुझे मालूम है कि आप इसराईलियों को कितना नुक़सान पहुँचाएँगे। आप उनकी क़िलाबंद आबादियों को आग लगाकर उनके जवानों को तलवार से क़त्ल कर देंगे, उनके छोटे बच्चों को ज़मीन पर पटख़ देंगे और उनकी हामिला औरतों के पेट चीर डालेंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 8:13 | हज़ाएल बोला, “मुझ जैसे कुत्ते की क्या हैसियत है कि इतना बड़ा काम करूँ?” इलीशा ने कहा, “रब ने मुझे दिखा दिया है कि आप शाम के बादशाह बन जाएंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 8:14 | इसके बाद हज़ाएल चला गया और अपने मालिक के पास वापस आया। बादशाह ने पूछा, “इलीशा ने आपको क्या बताया?” हज़ाएल ने जवाब दिया, “उसने मुझे यक़ीन दिलाया कि आप शफ़ा पाएँगे।” | |
II K | UrduGeoD | 8:15 | लेकिन अगले दिन हज़ाएल ने कम्बल लेकर पानी में भिगो दिया और उसे बादशाह के मुँह पर रख दिया। बादशाह का साँस रुक गया और वह मर गया। फिर हज़ाएल तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 8:16 | यहूराम बिन यहूसफ़त इसराईल के बादशाह यूराम की हुकूमत के पाँचवें साल में यहूदाह का बादशाह बना। शुरू में वह अपने बाप के साथ हुकूमत करता था। | |
II K | UrduGeoD | 8:17 | यहूराम 32 साल की उम्र में बादशाह बना, और वह यरूशलम में रहकर 8 साल तक हुकूमत करता रहा। | |
II K | UrduGeoD | 8:18 | उस की शादी इसराईल के बादशाह अख़ियब की बेटी से हुई थी, और वह इसराईल के बादशाहों और ख़ासकर अख़ियब के ख़ानदान के बुरे नमूने पर चलता रहा। उसका चाल-चलन रब को नापसंद था। | |
II K | UrduGeoD | 8:19 | तो भी वह अपने ख़ादिम दाऊद की ख़ातिर यहूदाह को तबाह नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसने दाऊद से वादा किया था कि तेरा और तेरी औलाद का चराग़ हमेशा तक जलता रहेगा। | |
II K | UrduGeoD | 8:20 | यहूराम की हुकूमत के दौरान अदोमियों ने बग़ावत की और यहूदाह की हुकूमत को रद्द करके अपना बादशाह मुक़र्रर किया। | |
II K | UrduGeoD | 8:21 | तब यहूराम अपने तमाम रथों को लेकर सईर के क़रीब आया। जब जंग छिड़ गई तो अदोमियों ने उसे और उसके रथों पर मुक़र्रर अफ़सरों को घेर लिया। रात को बादशाह घेरनेवालों की सफ़ों को तोड़ने में कामयाब हो गया, लेकिन उसके फ़ौजी उसे छोड़कर अपने अपने घर भाग गए। | |
II K | UrduGeoD | 8:22 | इस वजह से मुल्के-अदोम आज तक दुबारा यहूदाह की हुकूमत के तहत नहीं आया। उसी वक़्त लिबना शहर भी सरकश होकर ख़ुदमुख़तार हो गया। | |
II K | UrduGeoD | 8:23 | बाक़ी जो कुछ यहूराम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदा की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 8:24 | जब यहूराम मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा अख़ज़ियाह तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 8:25 | अख़ज़ियाह बिन यहूराम इसराईल के बादशाह यूराम बिन अख़ियब की हुकूमत के 12वें साल में यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 8:26 | वह 22 साल की उम्र में तख़्तनशीन हुआ और यरूशलम में रहकर एक साल बादशाह रहा। उस की माँ अतलियाह इसराईल के बादशाह उमरी की पोती थी। | |
II K | UrduGeoD | 8:27 | अख़ज़ियाह भी अख़ियब के ख़ानदान के बुरे नमूने पर चल पड़ा। अख़ियब के घराने की तरह उसका चाल-चलन रब को नापसंद था। वजह यह थी कि उसका रिश्ता अख़ियब के ख़ानदान के साथ बँध गया था। | |
II K | UrduGeoD | 8:28 | एक दिन अख़ज़ियाह बादशाह यूराम बिन अख़ियब के साथ मिलकर रामात-जिलियाद गया ताकि शाम के बादशाह हज़ाएल से लड़े। जब जंग छिड़ गई तो यूराम शाम के फ़ौजियों के हाथों ज़ख़मी हुआ | |
Chapter 9
II K | UrduGeoD | 9:1 | एक दिन इलीशा नबी ने नबियों के गुरोह में से एक को बुलाकर कहा, “सफ़र के लिए कमरबस्ता होकर रामात-जिलियाद के लिए रवाना हो जाएँ। ज़ैतून के तेल की यह कुप्पी अपने साथ ले जाएँ। | |
II K | UrduGeoD | 9:2 | वहाँ पहुँचकर याहू बिन यहूसफ़त बिन निमसी को तलाश करें। जब उससे मुलाक़ात हो तो उसे उसके साथियों से अलग करके किसी अंदरूनी कमरे में ले जाएँ। | |
II K | UrduGeoD | 9:3 | वहाँ कुप्पी लेकर याहू के सर पर तेल उंडेल दें और कहें, ‘रब फ़रमाता है कि मैं तुझे तेल से मसह करके इसराईल का बादशाह बना देता हूँ।’ इसके बाद देर न करें बल्कि फ़ौरन दरवाज़े को खोलकर भाग जाएँ!” | |
II K | UrduGeoD | 9:5 | जब वहाँ पहुँचा तो फ़ौजी अफ़सर मिलकर बैठे हुए थे। वह उनके क़रीब गया और बोला, “मेरे पास कमाँडर के लिए पैग़ाम है।” याहू ने सवाल किया, “हममें से किसके लिए?” नबी ने जवाब दिया, “आप ही के लिए।” | |
II K | UrduGeoD | 9:6 | याहू खड़ा हुआ और उसके साथ घर में गया। वहाँ नबी ने याहू के सर पर तेल उंडेलकर कहा, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैंने तुझे मसह करके अपनी क़ौम का बादशाह बना दिया है। | |
II K | UrduGeoD | 9:7 | तुझे अपने मालिक अख़ियब के पूरे ख़ानदान को हलाक करना है। यों मैं उन नबियों का इंतक़ाम लूँगा जो मेरी ख़िदमत करते हुए शहीद हो गए हैं। हाँ, मैं रब के उन तमाम ख़ादिमों का बदला लूँगा जिन्हें ईज़बिल ने क़त्ल किया है। | |
II K | UrduGeoD | 9:8 | अख़ियब का पूरा घराना तबाह हो जाएगा। मैं उसके ख़ानदान के हर मर्द को हलाक कर दूँगा, ख़ाह वह बालिग़ हो या बच्चा। | |
II K | UrduGeoD | 9:9 | मेरा अख़ियब के ख़ानदान के साथ वही सुलूक होगा जो मैंने यरुबियाम बिन नबात और बाशा बिन अख़ियाह के ख़ानदानों के साथ किया। | |
II K | UrduGeoD | 9:10 | जहाँ तक ईज़बिल का ताल्लुक़ है उसे दफ़नाया नहीं जाएगा बल्कि कुत्ते उसे यज़्रएल की ज़मीन पर खा जाएंगे’।” यह कहकर नबी दरवाज़ा खोलकर भाग गया। | |
II K | UrduGeoD | 9:11 | जब याहू निकलकर अपने साथी अफ़सरों के पास वापस आया तो उन्होंने पूछा, “क्या सब ख़ैरियत है? यह दीवाना आपसे क्या चाहता था?” याहू बोला, “ख़ैर, आप तो इस क़िस्म के लोगों को जानते हैं कि किस तरह की गप्पें हाँकते हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 9:12 | लेकिन उसके साथी इस जवाब से मुतमइन न हुए, “झूट! सहीह बात बताएँ।” फिर याहू ने उन्हें खुलकर बात बताई, “आदमी ने कहा, ‘रब फ़रमाता है कि मैंने तुझे मसह करके इसराईल का बादशाह बना दिया है’।” | |
II K | UrduGeoD | 9:13 | यह सुनकर अफ़सरों ने जल्दी जल्दी अपनी चादरों को उतारकर उसके सामने सीढ़ियों पर बिछा दिया। फिर वह नरसिंगा बजा बजाकर नारा लगाने लगे, “याहू बादशाह ज़िंदाबाद!” | |
II K | UrduGeoD | 9:14 | याहू बिन यहूसफ़त बिन निमसी फ़ौरन यूराम बादशाह को तख़्त से उतारने के मनसूबे बाँधने लगा। यूराम उस वक़्त पूरी इसराईली फ़ौज समेत रामात-जिलियाद के क़रीब दमिश्क़ के बादशाह हज़ाएल से लड़ रहा था। लेकिन शहर का दिफ़ा करते करते | |
II K | UrduGeoD | 9:15 | बादशाह शाम के फ़ौजियों के हाथों ज़ख़मी हो गया था और मैदाने-जंग को छोड़कर यज़्रएल वापस आया था ताकि ज़ख़म भर जाएँ। अब याहू ने अपने साथी अफ़सरों से कहा, “अगर आप वाक़ई मेरे साथ हैं तो किसी को भी शहर से निकलने न दें, वरना ख़तरा है कि कोई यज़्रएल जाकर बादशाह को इत्तला दे दे।” | |
II K | UrduGeoD | 9:16 | फिर वह रथ पर सवार होकर यज़्रएल चला गया जहाँ यूराम आराम कर रहा था। उस वक़्त यहूदाह का बादशाह अख़ज़ियाह भी यूराम से मिलने के लिए यज़्रएल आया हुआ था। | |
II K | UrduGeoD | 9:17 | जब यज़्रएल के बुर्ज पर खड़े पहरेदार ने याहू के ग़ोल को शहर की तरफ़ आते हुए देखा तो उसने बादशाह को इत्तला दी। यूराम ने हुक्म दिया, “एक घुड़सवार को उनकी तरफ़ भेजकर उनसे मालूम करें कि सब ख़ैरियत है या नहीं।” | |
II K | UrduGeoD | 9:18 | घुड़सवार शहर से निकला और याहू के पास आकर कहा, “बादशाह पूछते हैं कि क्या सब ख़ैरियत है?” याहू ने जवाब दिया, “इससे आपका क्या वास्ता? आएँ, मेरे पीछे हो लें।” बुर्ज पर के पहरेदार ने बादशाह को इत्तला दी, “क़ासिद उन तक पहुँच गया है, लेकिन वह वापस नहीं आ रहा।” | |
II K | UrduGeoD | 9:19 | तब बादशाह ने एक और घुड़सवार को भेज दिया। याहू के पास पहुँचकर उसने भी कहा, “बादशाह पूछते हैं कि क्या सब ख़ैरियत है?” याहू ने जवाब दिया, “इससे आपका क्या वास्ता? मेरे पीछे हो लें।” | |
II K | UrduGeoD | 9:20 | बुर्ज पर के पहरेदार ने यह देखकर बादशाह को इत्तला दी, “हमारा क़ासिद उन तक पहुँच गया है, लेकिन यह भी वापस नहीं आ रहा। ऐसा लगता है कि उनका राहनुमा याहू बिन निमसी है, क्योंकि वह अपने रथ को दीवाने की तरह चला रहा है।” | |
II K | UrduGeoD | 9:21 | यूराम ने हुक्म दिया, “मेरे रथ को तैयार करो!” फिर वह और यहूदाह का बादशाह अपने अपने रथ में सवार होकर याहू से मिलने के लिए शहर से निकले। उनकी मुलाक़ात उस बाग़ के पास हुई जो नबोत यज़्रएली से छीन लिया गया था। | |
II K | UrduGeoD | 9:22 | याहू को पहचानकर यूराम ने पूछा, “याहू, क्या सब ख़ैरियत है?” याहू बोला, “ख़ैरियत कैसे हो सकती है जब तेरी माँ ईज़बिल की बुतपरस्ती और जादूगरी हर तरफ़ फैली हुई है?” | |
II K | UrduGeoD | 9:24 | याहू ने फ़ौरन अपनी कमान खींचकर तीर चलाया जो सीधा यूराम के कंधों के दरमियान यों लगा कि दिल में से गुज़र गया। बादशाह एकदम अपने रथ में गिर पड़ा। | |
II K | UrduGeoD | 9:25 | याहू ने अपने साथवाले अफ़सर बिदक़र से कहा, “इसकी लाश उठाकर उस बाग़ में फेंक दें जो नबोत यज़्रएली से छीन लिया गया था। क्योंकि वह दिन याद करें जब हम दोनों अपने रथों को इसके बाप अख़ियब के पीछे चला रहे थे और रब ने अख़ियब के बारे में एलान किया, | |
II K | UrduGeoD | 9:26 | ‘यक़ीन जान कि कल नबोत और उसके बेटों का क़त्ल मुझसे छुपा न रहा। इसका मुआवज़ा मैं तुझे नबोत की इसी ज़मीन पर दूँगा।’ चुनाँचे अब यूराम को उठाकर उस ज़मीन पर फेंक दें ताकि रब की बात पूरी हो जाए।” | |
II K | UrduGeoD | 9:27 | जब यहूदाह के बादशाह अख़ज़ियाह ने यह देखा तो वह बैत-गान का रास्ता लेकर फ़रार हो गया। याहू उसका ताक़्क़ुब करते हुए चिल्लाया, “उसे भी मार दो!” इबलियाम के क़रीब जहाँ रास्ता जूर की तरफ़ चढ़ता है अख़ज़ियाह अपने रथ में चलते चलते ज़ख़मी हुआ। वह बच तो निकला लेकिन मजिद्दो पहुँचकर मर गया। | |
II K | UrduGeoD | 9:28 | उसके मुलाज़िम लाश को रथ पर रखकर यरूशलम लाए। वहाँ उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। | |
II K | UrduGeoD | 9:29 | अख़ज़ियाह यूराम बिन अख़ियब की हुकूमत के 11वें साल में यहूदाह का बादशाह बन गया था। | |
II K | UrduGeoD | 9:30 | इसके बाद याहू यज़्रएल चला गया। जब ईज़बिल को इत्तला मिली तो उसने अपनी आँखों में सुरमा लगाकर अपने बालों को ख़ूबसूरती से सँवारा और फिर खिड़की से बाहर झाँकने लगी। | |
II K | UrduGeoD | 9:31 | जब याहू महल के गेट में दाख़िल हुआ तो ईज़बिल चिल्लाई, “ऐ ज़िमरी जिसने अपने मालिक को क़त्ल कर दिया है, क्या सब ख़ैरियत है?” | |
II K | UrduGeoD | 9:32 | याहू ने ऊपर देखकर आवाज़ दी, “कौन मेरे साथ है, कौन?” दो या तीन ख़्वाजासराओं ने खिड़की से बाहर देखकर उस पर नज़र डाली | |
II K | UrduGeoD | 9:33 | तो याहू ने उन्हें हुक्म दिया, “उसे नीचे फेंक दो!” तब उन्होंने मलिका को नीचे फेंक दिया। वह इतने ज़ोर से ज़मीन पर गिरी कि ख़ून के छींटे दीवार और घोड़ों पर पड़ गए। याहू और उसके लोगों ने अपने रथों को उसके ऊपर से गुज़रने दिया। | |
II K | UrduGeoD | 9:34 | फिर याहू महल में दाख़िल हुआ और खाया और पिया। इसके बाद उसने हुक्म दिया, “कोई जाए और उस लानती औरत को दफ़न करे, क्योंकि वह बादशाह की बेटी थी।” | |
II K | UrduGeoD | 9:35 | लेकिन जब मुलाज़िम उसे दफ़न करने के लिए बाहर निकले तो देखा कि सिर्फ़ उस की खोपड़ी, हाथ और पाँव बाक़ी रह गए हैं। | |
II K | UrduGeoD | 9:36 | याहू के पास वापस जाकर उन्होंने उसे आगाह किया। तब उसने कहा, “अब सब कुछ पूरा हुआ है जो रब ने अपने ख़ादिम इलियास तिशबी की मारिफ़त फ़रमाया था, ‘यज़्रएल की ज़मीन पर कुत्ते ईज़बिल की लाश खा जाएंगे। | |
Chapter 10
II K | UrduGeoD | 10:1 | सामरिया में अख़ियब के 70 बेटे थे। अब याहू ने ख़त लिखकर सामरिया भेज दिए। यज़्रएल के अफ़सरों, शहर के बुज़ुर्गों और अख़ियब के बेटों के सरपरस्तों को यह ख़त मिल गए, और उनमें ज़ैल की ख़बर लिखी थी, | |
II K | UrduGeoD | 10:2 | “आपके मालिक के बेटे आपके पास हैं। आप क़िलाबंद शहर में रहते हैं, और आपके पास हथियार, रथ और घोड़े भी हैं। इसलिए मैं आपको चैलेंज देता हूँ कि यह ख़त पढ़ते ही | |
II K | UrduGeoD | 10:3 | अपने मालिक के सबसे अच्छे और लायक़ बेटे को चुनकर उसे उसके बाप के तख़्त पर बिठा दें। फिर अपने मालिक के ख़ानदान के लिए लड़ें!” | |
II K | UrduGeoD | 10:4 | लेकिन सामरिया के बुज़ुर्ग बेहद सहम गए और आपस में कहने लगे, “अगर दो बादशाह उसका मुक़ाबला न कर सके तो हम क्या कर सकते हैं?” | |
II K | UrduGeoD | 10:5 | इसलिए महल के इंचार्ज, सामरिया पर मुक़र्रर अफ़सर, शहर के बुज़ुर्गों और अख़ियब के बेटों के सरपरस्तों ने याहू को पैग़ाम भेजा, “हम आपके ख़ादिम हैं और जो कुछ आप कहेंगे हम करने के लिए तैयार हैं। हम किसी को बादशाह मुक़र्रर नहीं करेंगे। जो कुछ आप मुनासिब समझते हैं वह करें।” | |
II K | UrduGeoD | 10:6 | यह पढ़कर याहू ने एक और ख़त लिखकर सामरिया भेजा। उसमें लिखा था, “अगर आप वाक़ई मेरे साथ हैं और मेरे ताबे रहना चाहते हैं तो अपने मालिक के बेटों के सरों को काटकर कल इस वक़्त तक यज़्रएल में मेरे पास ले आएँ।” क्योंकि अख़ियब के 70 बेटे सामरिया के बड़ों के पास रहकर परवरिश पा रहे थे। | |
II K | UrduGeoD | 10:7 | जब ख़त उनके पास पहुँच गया तो इन आदमियों ने 70 के 70 शहज़ादों को ज़बह कर दिया और उनके सरों को टोकरों में रखकर यज़्रएल में याहू के पास भेज दिया। | |
II K | UrduGeoD | 10:8 | एक क़ासिद ने याहू के पास आकर इत्तला दी, “वह बादशाह के बेटों के सर लेकर आए हैं।” तब याहू ने हुक्म दिया, “शहर के दरवाज़े पर उनके दो ढेर लगा दो और उन्हें सुबह तक वहीं रहने दो।” | |
II K | UrduGeoD | 10:9 | अगले दिन याहू सुबह के वक़्त निकला और दरवाज़े के पास खड़े होकर लोगों से मुख़ातिब हुआ, “यूराम की मौत के नाते से आप बेइलज़ाम हैं। मैं ही ने अपने मालिक के ख़िलाफ़ मनसूबे बाँधकर उसे मार डाला। लेकिन किसने इन तमाम बेटों का सर क़लम कर दिया? | |
II K | UrduGeoD | 10:10 | चुनाँचे आज जान लें कि जो कुछ भी रब ने अख़ियब और उसके ख़ानदान के बारे में फ़रमाया है वह पूरा हो जाएगा। जिसका एलान रब ने अपने ख़ादिम इलियास की मारिफ़त किया है वह उसने कर लिया है।” | |
II K | UrduGeoD | 10:11 | इसके बाद याहू ने यज़्रएल में रहनेवाले अख़ियब के बाक़ी तमाम रिश्तेदारों, बड़े अफ़सरों, क़रीबी दोस्तों और पुजारियों को हलाक कर दिया। एक भी न बचा। | |
II K | UrduGeoD | 10:13 | तो उस की मुलाक़ात यहूदाह के बादशाह अख़ज़ियाह के चंद एक रिश्तेदारों से हुई। याहू ने पूछा, “आप कौन हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “हम अख़ज़ियाह के रिश्तेदार हैं और सामरिया का सफ़र कर रहे हैं। वहाँ हम बादशाह और मलिका के बेटों से मिलना चाहते हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 10:14 | तब याहू ने हुक्म दिया, “उन्हें ज़िंदा पकड़ो!” उन्होंने उन्हें ज़िंदा पकड़कर बैत-इक़द के हौज़ के पास मार डाला। 42 आदमियों में से एक भी न बचा। | |
II K | UrduGeoD | 10:15 | उस जगह को छोड़कर याहू आगे निकला। चलते चलते उस की मुलाक़ात यूनदब बिन रैकाब से हुई जो उससे मिलने आ रहा था। याहू ने सलाम करके कहा, “क्या आपका दिल मेरे बारे में मुख़लिस है जैसा कि मेरा दिल आपके बारे में है?” यूनदब ने जवाब दिया, “जी हाँ।” याहू बोला, “अगर ऐसा है, तो मेरे साथ हाथ मिलाएँ।” यूनदब ने उसके साथ हाथ मिलाया तो याहू ने उसे अपने रथ पर सवार होने दिया। | |
II K | UrduGeoD | 10:16 | फिर याहू ने कहा, “आएँ मेरे साथ और मेरी रब के लिए जिद्दो-जहद देखें।” चुनाँचे यूनदब याहू के साथ सामरिया चला गया। | |
II K | UrduGeoD | 10:17 | सामरिया पहुँचकर याहू ने अख़ियब के ख़ानदान के जितने अफ़राद अब तक बच गए थे हलाक कर दिए। जिस तरह रब ने इलियास को फ़रमाया था उसी तरह अख़ियब का पूरा घराना मिट गया। | |
II K | UrduGeoD | 10:18 | इसके बाद याहू ने तमाम लोगों को जमा करके एलान किया, “अख़ियब ने बाल देवता की परस्तिश थोड़ी की है। मैं कहीं ज़्यादा उस की पूजा करूँगा! | |
II K | UrduGeoD | 10:19 | अब जाकर बाल के तमाम नबियों, ख़िदमतगुज़ारों और पुजारियों को बुला लाएँ। ख़याल करें कि एक भी दूर न रहे, क्योंकि मैं बाल को बड़ी क़ुरबानी पेश करूँगा। जो भी आने से इनकार करे उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी।” इस तरह याहू ने बाल के ख़िदमतगुज़ारों के लिए जाल बिछा दिया ताकि वह उसमें फँसकर हलाक हो जाएँ। | |
II K | UrduGeoD | 10:20 | उसने पूरे इसराईल में क़ासिद भेजकर एलान किया, “बाल देवता के लिए मुक़द्दस ईद मनाएँ!” चुनाँचे बाल के तमाम पुजारी आए, और एक भी इजतिमा से दूर न रहा। इतने जमा हुए कि बाल का मंदिर एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया। | |
II K | UrduGeoD | 10:21 | उसने पूरे इसराईल में क़ासिद भेजकर एलान किया, “बाल देवता के लिए मुक़द्दस ईद मनाएँ!” चुनाँचे बाल के तमाम पुजारी आए, और एक भी इजतिमा से दूर न रहा। इतने जमा हुए कि बाल का मंदिर एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया। | |
II K | UrduGeoD | 10:22 | याहू ने ईद के कपड़ों के इंचार्ज को हुक्म दिया, “बाल के तमाम पुजारियों को ईद के लिबास दे देना।” चुनाँचे सबको लिबास दिए गए। | |
II K | UrduGeoD | 10:23 | फिर याहू और यूनदब बिन रैकाब बाल के मंदिर में दाख़िल हुए, और याहू ने बाल के ख़िदमतगुज़ारों से कहा, “ध्यान दें कि यहाँ आपके साथ रब का कोई ख़ादिम मौजूद न हो। सिर्फ़ बाल के पुजारी होने चाहिएँ।” | |
II K | UrduGeoD | 10:24 | दोनों आदमी सामने गए ताकि ज़बह की और भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करें। इतने में याहू के 80 आदमी बाहर मंदिर के इर्दगिर्द खड़े हो गए। याहू ने उन्हें हुक्म देकर कहा था, “ख़बरदार! जो पूजा करनेवालों में से किसी को बचने दे उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी।” | |
II K | UrduGeoD | 10:25 | ज्योंही याहू भस्म होनेवाली क़ुरबानी को चढ़ाने से फ़ारिग़ हुआ तो उसने अपने मुहाफ़िज़ों और अफ़सरों को हुक्म दिया, “अंदर जाकर सबको मार देना। एक भी बचने न पाए।” वह दाख़िल हुए और अपनी तलवारों को खींचकर सबको मार डाला। लाशों को उन्होंने बाहर फेंक दिया। फिर वह मंदिर के सबसे अंदरवाले कमरे में गए | |
II K | UrduGeoD | 10:27 | और बाल का सतून भी टुकड़े टुकड़े कर दिया। बाल का पूरा मंदिर ढा दिया गया, और वह जगह बैतुल-ख़ला बन गई। आज तक वह इसके लिए इस्तेमाल होता है। | |
II K | UrduGeoD | 10:29 | तो भी वह यरुबियाम बिन नबात के उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम ने इसराईल को उकसाया था। बैतेल और दान में क़ायम सोने के बछड़ों की पूजा ख़त्म न हुई। | |
II K | UrduGeoD | 10:30 | एक दिन रब ने याहू से कहा, “जो कुछ मुझे पसंद है उसे तूने अच्छी तरह सरंजाम दिया है, क्योंकि तूने अख़ियब के घराने के साथ सब कुछ किया है जो मेरी मरज़ी थी। इस वजह से तेरी औलाद चौथी पुश्त तक इसराईल पर हुकूमत करती रहेगी।” | |
II K | UrduGeoD | 10:31 | लेकिन याहू ने पूरे दिल से रब इसराईल के ख़ुदा की शरीअत के मुताबिक़ ज़िंदगी न गुज़ारी। वह उन गुनाहों से बाज़ आने के लिए तैयार नहीं था जो करने पर यरुबियाम ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 10:32 | याहू की हुकूमत के दौरान रब इसराईल का इलाक़ा छोटा करने लगा। शाम के बादशाह हज़ाएल ने इसराईल के उस पूरे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया | |
II K | UrduGeoD | 10:33 | जो दरियाए-यरदन के मशरिक़ में था। जद, रूबिन और मनस्सी का इलाक़ा जिलियाद बसन से लेकर दरियाए-अरनोन पर वाक़े अरोईर तक शाम के बादशाह के हाथ में आ गया। | |
II K | UrduGeoD | 10:34 | बाक़ी जो कुछ याहू की हुकूमत के दौरान हुआ, जो उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 10:35 | वह 28 साल सामरिया में बादशाह रहा। वहाँ वह दफ़न भी हुआ। जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसका बेटा यहुआख़ज़ तख़्तनशीन हुआ। | |
Chapter 11
II K | UrduGeoD | 11:1 | जब अख़ज़ियाह की माँ अतलियाह को मालूम हुआ कि मेरा बेटा मर गया है तो वह अख़ज़ियाह की तमाम औलाद को क़त्ल करने लगी। | |
II K | UrduGeoD | 11:2 | लेकिन अख़ज़ियाह की सगी बहन यहूसबा ने अख़ज़ियाह के छोटे बेटे युआस को चुपके से उन शहज़ादों में से निकाल लिया जिन्हें क़त्ल करना था और उसे उस की दाया के साथ एक स्टोर में छुपा दिया जिसमें बिस्तर वग़ैरा महफ़ूज़ रखे जाते थे। इस तरह वह बच गया। | |
II K | UrduGeoD | 11:3 | बाद में युआस को रब के घर में मुंतक़िल किया गया जहाँ वह उसके साथ उन छः सालों के दौरान छुपा रहा जब अतलियाह मलिका थी। | |
II K | UrduGeoD | 11:4 | अतलियाह की हुकूमत के सातवें साल में यहोयदा इमाम ने सौ सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सरों, कारी नामी दस्तों और शाही मुहाफ़िज़ों को रब के घर में बुला लिया। वहाँ उसने क़सम खिलाकर उनसे अहद बाँधा। फिर उसने बादशाह के बेटे युआस को पेश करके | |
II K | UrduGeoD | 11:5 | उन्हें हिदायत की, “अगले सबत के दिन आपमें से जितने ड्यूटी पर आएँगे वह तीन हिस्सों में तक़सीम हो जाएँ। एक हिस्सा शाही महल पर पहरा दे, | |
II K | UrduGeoD | 11:6 | दूसरा सूर नामी दरवाज़े पर और तीसरा शाही मुहाफ़िज़ों के पीछे के दरवाज़े पर। यों आप रब के घर की हिफ़ाज़त करेंगे। | |
II K | UrduGeoD | 11:7 | दूसरे दो गुरोह जो सबत के दिन ड्यूटी नहीं करते उन्हें रब के घर में आकर युआस बादशाह की पहरादारी करनी है। | |
II K | UrduGeoD | 11:8 | वह उसके इर्दगिर्द दायरा बनाकर अपने हथियारों को पकड़े रखें और जहाँ भी वह जाए उसे घेरे रखें। जो भी इस दायरे में घुसने की कोशिश करे उसे मार डालना।” | |
II K | UrduGeoD | 11:9 | सौ सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सरों ने ऐसा ही किया। अगले सबत के दिन वह सब अपने फ़ौजियों समेत यहोयदा इमाम के पास आए। वह भी आए जो ड्यूटी पर थे और वह भी जिनकी अब छुट्टी थी। | |
II K | UrduGeoD | 11:10 | इमाम ने अफ़सरों को दाऊद बादशाह के वह नेज़े और ढालें दीं जो अब तक रब के घर में महफ़ूज़ रखी हुई थीं। | |
II K | UrduGeoD | 11:11 | फिर मुहाफ़िज़ हथियारों को हाथ में पकड़े बादशाह के गिर्द खड़े हो गए। क़ुरबानगाह और रब के घर के दरमियान उनका दायरा रब के घर की जुनूबी दीवार से लेकर उस की शिमाली दीवार तक फैला हुआ था। | |
II K | UrduGeoD | 11:12 | फिर यहोयदा बादशाह के बेटे युआस को बाहर लाया और उसके सर पर ताज रखकर उसे क़वानीन की किताब दे दी। यों युआस को बादशाह बना दिया गया। उन्होंने उसे मसह करके तालियाँ बजाईं और बुलंद आवाज़ से नारा लगाने लगे, “बादशाह ज़िंदाबाद!” | |
II K | UrduGeoD | 11:13 | जब मुहाफ़िज़ों और बाक़ी लोगों का शोर अतलियाह तक पहुँचा तो वह रब के घर के सहन में उनके पास आई। | |
II K | UrduGeoD | 11:14 | वहाँ पहुँचकर वह क्या देखती है कि नया बादशाह उस सतून के पास खड़ा है जहाँ बादशाह रिवाज के मुताबिक़ खड़ा होता है, और वह अफ़सरों और तुरम बजानेवालों से घिरा हुआ है। तमाम उम्मत भी साथ खड़ी तुरम बजा बजाकर ख़ुशी मना रही है। अतलियाह रंजिश के मारे अपने कपड़े फाड़कर चीख़ उठी, “ग़द्दारी, ग़द्दारी!” | |
II K | UrduGeoD | 11:15 | यहोयदा इमाम ने सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर उन अफ़सरों को बुलाया जिनके सुपुर्द फ़ौज की गई थी और उन्हें हुक्म दिया, “उसे बाहर ले जाएँ, क्योंकि मुनासिब नहीं कि उसे रब के घर के पास मारा जाए। और जो भी उसके पीछे आए उसे तलवार से मार देना।” | |
II K | UrduGeoD | 11:16 | वह अतलियाह को पकड़कर उस रास्ते पर ले गए जिस पर चलते हुए घोड़े महल के पास पहुँचते हैं। वहाँ उसे मार दिया गया। | |
II K | UrduGeoD | 11:17 | फिर यहोयदा ने बादशाह और क़ौम के साथ मिलकर रब से अहद बाँधकर वादा किया कि हम रब की क़ौम रहेंगे। इसके अलावा बादशाह ने यहोयदा की मारिफ़त क़ौम से भी अहद बाँधा। | |
II K | UrduGeoD | 11:18 | इसके बाद उम्मत के तमाम लोग बाल के मंदिर पर टूट पड़े और उसे ढा दिया। उस की क़ुरबानगाहों और बुतों को टुकड़े टुकड़े करके उन्होंने बाल के पुजारी मत्तान को क़ुरबानगाहों के सामने ही मार डाला। रब के घर पर पहरेदार खड़े करने के बाद | |
II K | UrduGeoD | 11:19 | यहोयदा सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों, कारी नामी दस्तों, महल के मुहाफ़िज़ों और बाक़ी पूरी उम्मत के हमराह जुलूस निकालकर बादशाह को रब के घर से महल में ले गया। वह मुहाफ़िज़ों के दरवाज़े से होकर दाख़िल हुए। बादशाह शाही तख़्त पर बैठ गया, | |
II K | UrduGeoD | 11:20 | और तमाम उम्मत ख़ुशी मनाती रही। यों यरूशलम शहर को सुकून मिला, क्योंकि अतलियाह को महल के पास तलवार से मार दिया गया था। | |
Chapter 12
II K | UrduGeoD | 12:1 | वह इसराईल के बादशाह याहू की हुकूमत के सातवें साल में यहूदाह का बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 40 साल था। उस की माँ ज़िबियाह बैर-सबा की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 12:3 | तो भी ऊँची जगहों के मंदिर दूर न किए गए। अवाम मामूल के मुताबिक़ वहाँ अपनी क़ुरबानियाँ पेश करते और बख़ूर जलाते रहे। | |
II K | UrduGeoD | 12:4 | एक दिन युआस ने इमामों को हुक्म दिया, “रब के लिए मख़सूस जितने भी पैसे रब के घर में लाए जाते हैं उन सबको जमा करें, चाहे वह मर्दुमशुमारी के टैक्स या किसी मन्नत के ज़िम्न में दिए गए हों, चाहे रज़ाकाराना तौर पर अदा किए गए हों। | |
II K | UrduGeoD | 12:5 | यह तमाम पैसे इमामों के सुपुर्द किए जाएँ। इनसे आपको जहाँ भी ज़रूरत है रब के घर की दराड़ों की मरम्मत करवानी है।” | |
II K | UrduGeoD | 12:6 | लेकिन युआस की हुकूमत के 23वें साल में उसने देखा कि अब तक रब के घर की दराड़ों की मरम्मत नहीं हुई। | |
II K | UrduGeoD | 12:7 | तब उसने यहोयदा और बाक़ी इमामों को बुलाकर पूछा, “आप रब के घर की मरम्मत क्यों नहीं करा रहे? अब से आपको इन पैसों से आपकी अपनी ज़रूरियात पूरी करने की इजाज़त नहीं बल्कि तमाम पैसे रब के घर की मरम्मत के लिए इस्तेमाल करने हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 12:8 | इमाम मान गए कि अब से हम लोगों से हदिया नहीं लेंगे और कि इसके बदले हमें रब के घर की मरम्मत नहीं करवानी पड़ेगी। | |
II K | UrduGeoD | 12:9 | फिर यहोयदा इमाम ने एक संदूक़ लेकर उसके ढकने में सूराख़ बना दिया। इस संदूक़ को उसने क़ुरबानगाह के पास रख दिया, उस दरवाज़े के दहनी तरफ़ जिसमें से परस्तार रब के घर के सहन में दाख़िल होते थे। जब लोग अपने हदियाजात रब के घर में पेश करते तो दरवाज़े की पहरादारी करनेवाले इमाम तमाम पैसों को संदूक़ में डाल देते। | |
II K | UrduGeoD | 12:10 | जब कभी पता चलता कि संदूक़ भर गया है तो बादशाह का मीरमुंशी और इमामे-आज़म आते और तमाम पैसे गिनकर थैलियों में डाल देते थे। | |
II K | UrduGeoD | 12:11 | फिर यह गिने हुए पैसे उन ठेकेदारों को दिए जाते जिनके सुपुर्द रब के घर की मरम्मत का काम किया गया था। इन पैसों से वह मरम्मत करनेवाले कारीगरों की उजरत अदा करते थे। इनमें बढ़ई, इमारत पर काम करनेवाले, | |
II K | UrduGeoD | 12:12 | राज और पत्थर तराशनेवाले शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने यह पैसे दराड़ों की मरम्मत के लिए दरकार लकड़ी और तराशे हुए पत्थरों के लिए भी इस्तेमाल किए। बाक़ी जितने अख़राजात रब के घर को बहाल करने के लिए ज़रूरी थे वह सब इन पैसों से पूरे किए गए। | |
II K | UrduGeoD | 12:13 | लेकिन इन हदियाजात से सोने या चाँदी की चीज़ें न बनवाई गईं, न चाँदी के बासन, बत्ती कतरने के औज़ार, छिड़काव के कटोरे या तुरम। | |
II K | UrduGeoD | 12:15 | ठेकेदारों से हिसाब न लिया गया जब उन्हें कारीगरों को पैसे देने थे, क्योंकि वह क़ाबिले-एतमाद थे। | |
II K | UrduGeoD | 12:16 | महज़ वह पैसे जो क़ुसूर और गुनाह की क़ुरबानियों के लिए मिलते थे रब के घर की मरम्मत के लिए इस्तेमाल न हुए। वह इमामों का हिस्सा रहे। | |
II K | UrduGeoD | 12:17 | उन दिनों में शाम के बादशाह हज़ाएल ने जात पर हमला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद वह मुड़कर यरूशलम की तरफ़ बढ़ने लगा ताकि उस पर भी हमला करे। | |
II K | UrduGeoD | 12:18 | यह देखकर यहूदाह के बादशाह युआस ने उन तमाम हदियाजात को इकट्ठा किया जो उसके बापदादा यहूसफ़त, यहूराम और अख़ज़ियाह ने रब के घर के लिए मख़सूस किए थे। उसने वह भी जमा किए जो उसने ख़ुद रब के घर के लिए मख़सूस किए थे। यह चीज़ें उस सारे सोने के साथ मिलाकर जो रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में था उसने सब कुछ हज़ाएल को भेज दिया। तब हज़ाएल यरूशलम को छोड़कर चला गया। | |
II K | UrduGeoD | 12:19 | बाक़ी जो कुछ युआस की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया उसका ज़िक्र ‘शाहाने-यहूदाह’ की किताब में किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 12:20 | एक दिन उसके अफ़सरों ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे क़त्ल कर दिया जब वह बैत-मिल्लो के पास उस रास्ते पर था जो सिल्ला की तरफ़ उतर जाता था। | |
Chapter 13
II K | UrduGeoD | 13:1 | यहुआख़ज़ बिन याहू यहूदाह के बादशाह युआस बिन अख़ज़ियाह की हुकूमत के 23वें साल में इसराईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 17 साल था, और उसका दारुल-हुकूमत सामरिया रहा। | |
II K | UrduGeoD | 13:2 | उसका चाल-चलन रब को नापसंद था, क्योंकि वह भी यरुबियाम बिन नबात के बुरे नमूने पर चलता रहा। उसने वह गुनाह जारी रखे जो करने पर यरुबियाम ने इसराईल को उकसाया था। उस बुतपरस्ती से वह कभी बाज़ न आया। | |
II K | UrduGeoD | 13:3 | इस वजह से रब इसराईल से बहुत नाराज़ हुआ, और वह शाम के बादशाह हज़ाएल और उसके बेटे बिन-हदद के वसीले से उन्हें बार बार दबाता रहा। | |
II K | UrduGeoD | 13:4 | लेकिन फिर यहुआख़ज़ ने रब का ग़ज़ब ठंडा किया, और रब ने उस की मिन्नतें सुनीं, क्योंकि उसे मालूम था कि शाम का बादशाह इसराईल पर कितना ज़ुल्म कर रहा है। | |
II K | UrduGeoD | 13:5 | रब ने किसी को भेज दिया जिसने उन्हें शाम के ज़ुल्म से आज़ाद करवाया। इसके बाद वह पहले की तरह सुकून के साथ अपने घरों में रह सकते थे। | |
II K | UrduGeoD | 13:6 | तो भी वह उन गुनाहों से बाज़ न आए जो करने पर यरुबियाम ने उन्हें उकसाया था बल्कि उनकी यह बुतपरस्ती जारी रही। यसीरत देवी का बुत भी सामरिया से हटाया न गया। | |
II K | UrduGeoD | 13:7 | आख़िर में यहुआख़ज़ के सिर्फ़ 50 घुड़सवार, 10 रथ और 10,000 प्यादा सिपाही रह गए। फ़ौज का बाक़ी हिस्सा शाम के बादशाह ने तबाह कर दिया था। उसने इसराईली फ़ौजियों को कुचलकर यों उड़ा दिया था जिस तरह धूल अनाज को गाहते वक़्त उड़ जाती है। | |
II K | UrduGeoD | 13:8 | बाक़ी जो कुछ यहुआख़ज़ की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान की गई हैं। | |
II K | UrduGeoD | 13:9 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यहुआस तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 13:10 | यहुआस बिन यहुआख़ज़ यहूदाह के बादशाह युआस की हुकूमत के 37वें साल में इसराईल का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 13:11 | यहुआस का चाल-चलन रब को नापसंद था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम बिन नबात ने इसराईल को उकसाया था बल्कि यह बुतपरस्ती जारी रही। | |
II K | UrduGeoD | 13:12 | बाक़ी जो कुछ यहुआस की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। उसमें उस की यहूदाह के बादशाह अमसियाह के साथ जंग का ज़िक्र भी है। | |
II K | UrduGeoD | 13:13 | जब यहुआस मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में शाही क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर यरुबियाम दुवुम तख़्त पर बैठ गया। | |
II K | UrduGeoD | 13:14 | यहुआस के दौरे-हुकूमत में इलीशा शदीद बीमार हो गया। जब वह मरने को था तो इसराईल का बादशाह यहुआस उससे मिलने गया। उसके ऊपर झुककर वह ख़ूब रो पड़ा और चिल्लाया, “हाय, मेरे बाप, मेरे बाप। इसराईल के रथ और उसके घोड़े!” | |
II K | UrduGeoD | 13:15 | इलीशा ने उसे हुक्म दिया, “एक कमान और कुछ तीर ले आएँ।” बादशाह कमान और तीर इलीशा के पास ले आया। | |
II K | UrduGeoD | 13:16 | फिर इलीशा बोला, “कमान को पकड़ें।” जब बादशाह ने कमान को पकड़ लिया तो इलीशा ने अपने हाथ उसके हाथों पर रख दिए। | |
II K | UrduGeoD | 13:17 | फिर उसने हुक्म दिया, “मशरिक़ी खिड़की को खोल दें।” बादशाह ने उसे खोल दिया। इलीशा ने कहा, “तीर चलाएँ!” बादशाह ने तीर चलाया। इलीशा पुकारा, “यह रब का फ़तह दिलानेवाला तीर है, शाम पर फ़तह का तीर! आप अफ़ीक़ के पास शाम की फ़ौज को मुकम्मल तौर पर तबाह कर देंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 13:18 | फिर उसने बादशाह को हुक्म दिया, “अब बाक़ी तीरों को पकड़ें।” बादशाह ने उन्हें पकड़ लिया। फिर इलीशा बोला, “इनको ज़मीन पर पटख़ दें।” बादशाह ने तीन मरतबा तीरों को ज़मीन पर पटख़ दिया और फिर रुक गया। | |
II K | UrduGeoD | 13:19 | यह देखकर मर्दे-ख़ुदा ग़ुस्से हो गया और बोला, “आपको तीरों को पाँच या छः मरतबा ज़मीन पर पटख़ना चाहिए था। अगर ऐसा करते तो शाम की फ़ौज को शिकस्त देकर मुकम्मल तौर पर तबाह कर देते। लेकिन अब आप उसे सिर्फ़ तीन मरतबा शिकस्त देंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 13:20 | थोड़ी देर के बाद इलीशा फ़ौत हुआ और उसे दफ़न किया गया। उन दिनों में मोआबी लुटेरे हर साल मौसमे-बहार के दौरान मुल्क में घुस आते थे। | |
II K | UrduGeoD | 13:21 | एक दिन किसी का जनाज़ा हो रहा था तो अचानक यह लुटेरे नज़र आए। मातम करनेवाले लाश को क़रीब की इलीशा की क़ब्र में फेंककर भाग गए। लेकिन ज्योंही लाश इलीशा की हड्डियों से टकराई उसमें जान आ गई और वह आदमी खड़ा हो गया। | |
II K | UrduGeoD | 13:23 | तो भी रब को अपनी क़ौम पर तरस आया। उसने उन पर रहम किया, क्योंकि उसे वह अहद याद रहा जो उसने इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से बाँधा था। आज तक वह उन्हें तबाह करने या अपने हुज़ूर से ख़ारिज करने के लिए तैयार नहीं हुआ। | |
Chapter 14
II K | UrduGeoD | 14:1 | अमसियाह बिन युआस इसराईल के बादशाह यहुआस बिन यहुआख़ज़ के दूसरे साल में यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 14:2 | उस वक़्त वह 25 साल का था। वह यरूशलम में रहकर 29 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यहुअद्दान यरूशलम की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 14:3 | जो कुछ अमसियाह ने किया वह रब को पसंद था, अगरचे वह उतनी वफ़ादारी से रब की पैरवी नहीं करता था जितनी उसके बाप दाऊद ने की थी। हर काम में वह अपने बाप युआस के नमूने पर चला, | |
II K | UrduGeoD | 14:4 | लेकिन उसने भी ऊँची जगहों के मंदिरों को दूर न किया। आम लोग अब तक वहाँ क़ुरबानियाँ चढ़ाते और बख़ूर जलाते रहे। | |
II K | UrduGeoD | 14:5 | ज्योंही अमसियाह के पाँव मज़बूती से जम गए उसने उन अफ़सरों को सज़ाए-मौत दी जिन्होंने बाप को क़त्ल कर दिया था। | |
II K | UrduGeoD | 14:6 | लेकिन उनके बेटों को उसने ज़िंदा रहने दिया और यों मूसवी शरीअत के ताबे रहा जिसमें रब फ़रमाता है, “वालिदैन को उनके बच्चों के जरायम के सबब से सज़ाए-मौत न दी जाए, न बच्चों को उनके वालिदैन के जरायम के सबब से। अगर किसी को सज़ाए-मौत देनी हो तो उस गुनाह के सबब से जो उसने ख़ुद किया है।” | |
II K | UrduGeoD | 14:7 | अमसियाह ने अदोमियों को नमक की वादी में शिकस्त दी। उस वक़्त उनके 10,000 फ़ौजी उससे लड़ने आए थे। जंग के दौरान उसने सिला शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और उसका नाम युक़तियेल रखा। यह नाम आज तक रायज है। | |
II K | UrduGeoD | 14:8 | इस फ़तह के बाद अमसियाह ने इसराईल के बादशाह यहुआस बिन यहुआख़ज़ को पैग़ाम भेजा, “आएँ, हम एक दूसरे का मुक़ाबला करें!” | |
II K | UrduGeoD | 14:9 | लेकिन इसराईल के बादशाह यहुआस ने जवाब दिया, “लुबनान में एक काँटेदार झाड़ी ने देवदार के एक दरख़्त से बात की, ‘मेरे बेटे के साथ अपनी बेटी का रिश्ता बान्धो।’ लेकिन उसी वक़्त लुबनान के जंगली जानवरों ने उसके ऊपर से गुज़रकर उसे पाँवों तले कुचल डाला। | |
II K | UrduGeoD | 14:10 | मुल्के-अदोम पर फ़तह पाने के सबब से आपका दिल मग़रूर हो गया है। लेकिन मेरा मशवरा है कि आप अपने घर में रहकर फ़तह में हासिल हुई शोहरत का मज़ा लेने पर इकतिफ़ा करें। आप ऐसी मुसीबत को क्यों दावत देते हैं जो आप और यहूदाह की तबाही का बाइस बन जाए?” | |
II K | UrduGeoD | 14:11 | लेकिन अमसियाह मानने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए यहुआस अपनी फ़ौज लेकर यहूदाह पर चढ़ आया। बैत-शम्स के पास उसका यहूदाह के बादशाह के साथ मुक़ाबला हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 14:13 | इसराईल के बादशाह यहुआस ने यहूदाह के बादशाह अमसियाह बिन युआस बिन अख़ज़ियाह को वहीं बैत-शम्स में गिरिफ़्तार कर लिया। फिर वह यरूशलम गया और शहर की फ़सील इफ़राईम नामी दरवाज़े से कोने के दरवाज़े तक गिरा दी। इस हिस्से की लंबाई तक़रीबन 600 फ़ुट थी। | |
II K | UrduGeoD | 14:14 | जितना भी सोना, चाँदी और क़ीमती सामान रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में था उसे उसने पूरे का पूरा छीन लिया। लूटा हुआ माल और बाज़ यरग़मालों को लेकर वह सामरिया वापस चला गया। | |
II K | UrduGeoD | 14:15 | बाक़ी जो कुछ यहुआस की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। उसमें उस की यहूदाह के बादशाह अमसियाह के साथ जंग का ज़िक्र भी है। | |
II K | UrduGeoD | 14:16 | जब यहुआस मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में इसराईल के बादशाहों की क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यरुबियाम दुवुम तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 14:17 | इसराईल के बादशाह यहुआस बिन यहुआख़ज़ की मौत के बाद यहूदाह का बादशाह अमसियाह बिन युआस मज़ीद 15 साल जीता रहा। | |
II K | UrduGeoD | 14:18 | बाक़ी जो कुछ अमसियाह की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
II K | UrduGeoD | 14:19 | एक दिन लोग यरूशलम में उसके ख़िलाफ़ साज़िश करने लगे। आख़िरकार उसने फ़रार होकर लकीस में पनाह ली, लेकिन साज़िश करनेवालों ने अपने लोगों को उसके पीछे भेजा, और वह वहाँ उसे क़त्ल करने में कामयाब हो गए। | |
II K | UrduGeoD | 14:20 | उस की लाश घोड़े पर उठाकर यरूशलम लाई गई जहाँ उसे शहर के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। | |
II K | UrduGeoD | 14:21 | यहूदाह के तमाम लोगों ने अमसियाह के बेटे उज़्ज़ियाह को बाप के तख़्त पर बिठा दिया। उस की उम्र 16 साल थी | |
II K | UrduGeoD | 14:22 | जब उसका बाप मरकर अपने बापदादा से जा मिला। बादशाह बनने के बाद उज़्ज़ियाह ने ऐलात शहर पर क़ब्ज़ा करके उसे दुबारा यहूदाह का हिस्सा बना लिया। उसने शहर में बहुत तामीरी काम करवाया। | |
II K | UrduGeoD | 14:23 | यहूदाह के बादशाह अमसियाह बिन युआस के 15वें साल में यरुबियाम बिन यहुआस इसराईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 41 साल था, और उसका दारुल-हुकूमत सामरिया रहा। | |
II K | UrduGeoD | 14:24 | उसका चाल-चलन रब को नापसंद था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर नबात के बेटे यरुबियाम अव्वल ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 14:25 | यरुबियाम दुवुम लबो-हमात से लेकर बहीराए-मुरदार तक उन तमाम इलाक़ों पर दुबारा क़ब्ज़ा कर सका जो पहले इसराईल के थे। यों वह वादा पूरा हुआ जो रब इसराईल के ख़ुदा ने अपने ख़ादिम जात-हिफ़र के रहनेवाले नबी यूनुस बिन अमित्ती की मारिफ़त किया था। | |
II K | UrduGeoD | 14:26 | क्योंकि रब ने इसराईल की निहायत बुरी हालत पर ध्यान दिया था। उसे मालूम था कि छोटे बड़े सब हलाक होनेवाले हैं और कि उन्हें छुड़ानेवाला कोई नहीं है। | |
II K | UrduGeoD | 14:27 | रब ने कभी नहीं कहा था कि मैं इसराईल क़ौम का नामो-निशान मिटा दूँगा, इसलिए उसने उन्हें यरुबियाम बिन यहुआस के वसीले से नजात दिलाई। | |
II K | UrduGeoD | 14:28 | बाक़ी जो कुछ यरुबियाम दुवुम की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो जंगी कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं उनका ज़िक्र ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में हुआ है। उसमें यह भी बयान किया गया है कि उसने किस तरह दमिश्क़ और हमात पर दुबारा क़ब्ज़ा कर लिया। | |
Chapter 15
II K | UrduGeoD | 15:1 | उज़्ज़ियाह बिन अमसियाह इसराईल के बादशाह यरुबियाम दुवुम की हुकूमत के 27वें साल में यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 15:2 | उस वक़्त उस की उम्र 16 साल थी, और वह यरूशलम में रहकर 52 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यकूलियाह यरूशलम की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 15:4 | लेकिन ऊँची जगहों को दूर न किया गया, और आम लोग वहाँ अपनी क़ुरबानियाँ चढ़ाते और बख़ूर जलाते रहे। | |
II K | UrduGeoD | 15:5 | एक दिन रब ने बादशाह को सज़ा दी कि उसे कोढ़ लग गया। उज़्ज़ियाह जीते-जी इस बीमारी से शफ़ा न पा सका, और उसे अलहदा घर में रहना पड़ा। उसके बेटे यूताम को महल पर मुक़र्रर किया गया, और वही उम्मत पर हुकूमत करने लगा। | |
II K | UrduGeoD | 15:6 | बाक़ी जो कुछ उज़्ज़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
II K | UrduGeoD | 15:7 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यूताम तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 15:8 | ज़करियाह बिन यरुबियाम यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 38वें साल में इसराईल का बादशाह बना। उसका दारुल-हुकूमत भी सामरिया था, लेकिन छः माह के बाद उस की हुकूमत ख़त्म हो गई। | |
II K | UrduGeoD | 15:9 | अपने बापदादा की तरह ज़करियाह का चाल-चलन भी रब को नापसंद था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम बिन नबात ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 15:10 | सल्लूम बिन यबीस ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे सबके सामने क़त्ल किया। फिर वह उस की जगह बादशाह बन गया। | |
II K | UrduGeoD | 15:11 | बाक़ी जो कुछ ज़करियाह की हुकूमत के दौरान हुआ उसका ज़िक्र ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 15:12 | यों रब का वह वादा पूरा हुआ जो उसने याहू से किया था, “तेरी औलाद चौथी पुश्त तक इसराईल पर हुकूमत करती रहेगी।” | |
II K | UrduGeoD | 15:13 | सल्लूम बिन यबीस यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह के 39वें साल में इसराईल का बादशाह बना। वह सामरिया में रहकर सिर्फ़ एक माह तक तख़्त पर बैठ सका। | |
II K | UrduGeoD | 15:14 | फिर मनाहिम बिन जादी ने तिरज़ा से आकर सल्लूम को सामरिया में क़त्ल कर दिया। इसके बाद वह ख़ुद तख़्त पर बैठ गया। | |
II K | UrduGeoD | 15:15 | बाक़ी जो कुछ सल्लूम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो साज़िशें उसने कीं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 15:16 | उस वक़्त मनाहिम ने तिरज़ा से आकर शहर तिफ़सह को उसके तमाम बाशिंदों और गिर्दो-नवाह के इलाक़े समेत तबाह किया। वजह यह थी कि उसके बाशिंदे अपने दरवाज़ों को खोलकर उसके ताबे हो जाने के लिए तैयार नहीं थे। जवाब में मनाहिम ने उनको मारा और तमाम हामिला औरतों के पेट चीर डाले। | |
II K | UrduGeoD | 15:17 | मनाहिम बिन जादी यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 39वें साल में इसराईल का बादशाह बना। सामरिया उसका दारुल-हुकूमत था, और उस की हुकूमत का दौरानिया 10 साल था। | |
II K | UrduGeoD | 15:18 | उसका चाल-चलन रब को नापसंद था, और वह ज़िंदगी-भर उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम बिन नबात ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 15:19 | मनाहिम के दौरे-हुकूमत में असूर का बादशाह पूल यानी तिग्लत-पिलेसर मुल्क से लड़ने आया। मनाहिम ने उसे 34,000 किलोग्राम चाँदी दे दी ताकि वह उस की हुकूमत मज़बूत करने में मदद करे। तब असूर का बादशाह इसराईल को छोड़कर अपने मुल्क वापस चला गया। चाँदी के यह पैसे मनाहिम ने अमीर इसराईलियों से जमा किए। हर एक को चाँदी के 50 सिक्के अदा करने पड़े। | |
II K | UrduGeoD | 15:20 | मनाहिम के दौरे-हुकूमत में असूर का बादशाह पूल यानी तिग्लत-पिलेसर मुल्क से लड़ने आया। मनाहिम ने उसे 34,000 किलोग्राम चाँदी दे दी ताकि वह उस की हुकूमत मज़बूत करने में मदद करे। तब असूर का बादशाह इसराईल को छोड़कर अपने मुल्क वापस चला गया। चाँदी के यह पैसे मनाहिम ने अमीर इसराईलियों से जमा किए। हर एक को चाँदी के 50 सिक्के अदा करने पड़े। | |
II K | UrduGeoD | 15:21 | बाक़ी जो कुछ मनाहिम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
II K | UrduGeoD | 15:23 | फ़िक़हियाह बिन मनाहिम यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह के 50वें साल में इसराईल का बादशाह बना। सामरिया में रहकर उस की हुकूमत का दौरानिया दो साल था। | |
II K | UrduGeoD | 15:24 | फ़िक़हियाह का चाल-चलन रब को नापसंद था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम बिन नबात ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 15:25 | एक दिन फ़ौज के आला अफ़सर फ़िक़ह बिन रमलियाह ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश की। जिलियाद के 50 आदमियों को अपने साथ लेकर उसने फ़िक़हियाह को सामरिया के महल के बुर्ज में मार डाला। उस वक़्त दो और अफ़सर बनाम अरजूब और अरिया भी उस की ज़द में आकर मर गए। इसके बाद फ़िक़ह तख़्त पर बैठ गया। | |
II K | UrduGeoD | 15:26 | बाक़ी जो कुछ फ़िक़हियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 15:27 | फ़िक़ह बिन रमलियाह यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 52वें साल में इसराईल का बादशाह बना। सामरिया में रहकर वह 20 साल तक हुकूमत करता रहा। | |
II K | UrduGeoD | 15:28 | फ़िक़ह का चाल-चलन रब को नापसंद था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबियाम बिन नबात ने इसराईल को उकसाया था। | |
II K | UrduGeoD | 15:29 | फ़िक़ह के दौरे-हुकूमत में असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर ने इसराईल पर हमला किया। ज़ैल के तमाम शहर उसके क़ब्ज़े में आ गए : ऐय्यून, अबील-बैत-माका, यानूह, क़ादिस और हसूर। जिलियाद और गलील के इलाक़े भी नफ़ताली के पूरे क़बायली इलाक़े समेत उस की गिरिफ़्त में आ गए। असूर का बादशाह इन तमाम जगहों में आबाद लोगों को गिरिफ़्तार करके अपने मुल्क असूर ले गया। | |
II K | UrduGeoD | 15:30 | एक दिन होसेअ बिन ऐला ने फ़िक़ह के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे मौत के घाट उतार दिया। फिर वह ख़ुद तख़्त पर बैठ गया। यह यहूदाह के बादशाह यूताम बिन उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 20वें साल में हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 15:31 | बाक़ी जो कुछ फ़िक़ह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
II K | UrduGeoD | 15:32 | उज़्ज़ियाह का बेटा यूताम इसराईल के बादशाह फ़िक़ह की हुकूमत के दूसरे साल में यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 15:33 | वह 25 साल की उम्र में बादशाह बना और यरूशलम में रहकर 16 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यरूसा बिंत सदोक़ थी। | |
II K | UrduGeoD | 15:35 | तो भी ऊँची जगहों के मंदिर हटाए न गए। लोग वहाँ अपनी क़ुरबानियाँ चढ़ाने और बख़ूर जलाने से बाज़ न आए। यूताम ने रब के घर का बालाई दरवाज़ा तामीर किया। | |
II K | UrduGeoD | 15:36 | बाक़ी जो कुछ यूताम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में क़लमबंद है। | |
II K | UrduGeoD | 15:37 | उन दिनों में रब शाम के बादशाह रज़ीन और फ़िक़ह बिन रमलियाह को यहूदाह के ख़िलाफ़ भेजने लगा ताकि उससे लड़ें। | |
Chapter 16
II K | UrduGeoD | 16:1 | आख़ज़ बिन यूताम इसराईल के बादशाह फ़िक़ह बिन रमलियाह की हुकूमत के 17वें साल में यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 16:2 | उस वक़्त आख़ज़ 20 साल का था, और वह यरूशलम में रहकर 16 साल हुकूमत करता रहा। वह अपने बाप दाऊद के नमूने पर न चला बल्कि वह कुछ करता रहा जो रब को नापसंद था। | |
II K | UrduGeoD | 16:3 | क्योंकि उसने इसराईल के बादशाहों का चाल-चलन अपनाया, यहाँ तक कि उसने अपने बेटे को क़ुरबानी के तौर पर जला दिया। यों वह उन क़ौमों के घिनौने रस्मो-रिवाज अदा करने लगा जिन्हें रब ने इसराईलियों के आगे मुल्क से निकाल दिया था। | |
II K | UrduGeoD | 16:4 | आख़ज़ बख़ूर जलाकर अपनी क़ुरबानियाँ ऊँचे मक़ामों, पहाड़ियों की चोटियों और हर घने दरख़्त के साय में चढ़ाता था। | |
II K | UrduGeoD | 16:5 | एक दिन शाम का बादशाह रज़ीन और इसराईल का बादशाह फ़िक़ह बिन रमलियाह यरूशलम पर हमला करने के लिए यहूदाह में घुस आए। उन्होंने शहर का मुहासरा तो किया लेकिन उस पर क़ब्ज़ा करने में नाकाम रहे। | |
II K | UrduGeoD | 16:6 | उन्हीं दिनों में रज़ीन ने ऐलात पर दुबारा क़ब्ज़ा करके शाम का हिस्सा बना लिया। यहूदाह के लोगों को वहाँ से निकालकर उसने वहाँ अदोमियों को बसा दिया। यह अदोमी आज तक वहाँ आबाद हैं। | |
II K | UrduGeoD | 16:7 | आख़ज़ ने अपने क़ासिदों को असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर के पास भेजकर उसे इत्तला दी, “मैं आपका ख़ादिम और बेटा हूँ। मेहरबानी करके आएँ और मुझे शाम और इसराईल के बादशाहों से बचाएँ जो मुझ पर हमला कर रहे हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 16:8 | साथ साथ आख़ज़ ने वह चाँदी और सोना जमा किया जो रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में था और उसे तोह्फ़े के तौर पर असूर के बादशाह को भेज दिया। | |
II K | UrduGeoD | 16:9 | तिग्लत-पिलेसर राज़ी हो गया। उसने दमिश्क़ पर हमला करके शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और उसके बाशिंदों को गिरिफ़्तार करके क़ीर को ले गया। रज़ीन को उसने क़त्ल कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 16:10 | आख़ज़ बादशाह असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर से मिलने के लिए दमिश्क़ गया। वहाँ एक क़ुरबानगाह थी जिसका नमूना आख़ज़ ने बनाकर ऊरियाह इमाम को भेज दिया। साथ साथ उसने डिज़ायन की तमाम तफ़सीलात भी यरूशलम भेज दीं। | |
II K | UrduGeoD | 16:11 | जब ऊरियाह को हिदायात मिलीं तो उसने उन्हीं के मुताबिक़ यरूशलम में एक क़ुरबानगाह बनाई। आख़ज़ के दमिश्क़ से वापस आने से पहले पहले उसे तैयार कर लिया गया। | |
II K | UrduGeoD | 16:12 | जब बादशाह वापस आया तो उसने नई क़ुरबानगाह का मुआयना किया। फिर उस की सीढ़ी पर चढ़कर | |
II K | UrduGeoD | 16:13 | उसने ख़ुद क़ुरबानियाँ उस पर पेश कीं। भस्म होनेवाली क़ुरबानी और ग़ल्ला की नज़र जलाकर उसने मै की नज़र क़ुरबानगाह पर उंडेल दी और सलामती की क़ुरबानियों का ख़ून उस पर छिड़क दिया। | |
II K | UrduGeoD | 16:14 | रब के घर और नई क़ुरबानगाह के दरमियान अब तक पीतल की पुरानी क़ुरबानगाह थी। अब आख़ज़ ने उसे उठाकर रब के घर के सामने से मुंतक़िल करके नई क़ुरबानगाह के पीछे यानी शिमाल की तरफ़ रखवा दिया। | |
II K | UrduGeoD | 16:15 | ऊरियाह इमाम को उसने हुक्म दिया, “अब से आपको तमाम क़ुरबानियों को नई क़ुरबानगाह पर पेश करना है। इनमें सुबहो-शाम की रोज़ाना क़ुरबानियाँ भी शामिल हैं और बादशाह और उम्मत की मुख़्तलिफ़ क़ुरबानियाँ भी, मसलन भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ और ग़ल्ला और मै की नज़रें। क़ुरबानियों के तमाम ख़ून को भी सिर्फ़ नई क़ुरबानगाह पर छिड़कना है। आइंदा पीतल की पुरानी क़ुरबानगाह सिर्फ़ मेरे ज़ाती इस्तेमाल के लिए होगी जब मुझे अल्लाह से कुछ दरियाफ़्त करना होगा।” | |
II K | UrduGeoD | 16:17 | लेकिन आख़ज़ बादशाह रब के घर में मज़ीद तबदीलियाँ भी लाया। हथगाड़ियों के जिन फ़्रेमों पर बासन रखे जाते थे उन्हें तोड़कर उसने बासनों को दूर कर दिया। इसके अलावा उसने ‘समुंदर’ नामी बड़े हौज़ को पीतल के उन बैलों से उतार दिया जिन पर वह शुरू से पड़ा था और उसे पत्थर के एक चबूतरे पर रखवा दिया। | |
II K | UrduGeoD | 16:18 | उसने असूर के बादशाह को ख़ुश रखने के लिए एक और काम भी किया। उसने रब के घर से वह चबूतरा दूर कर दिया जिस पर बादशाह का तख़्त रखा जाता था और वह दरवाज़ा बंद कर दिया जो बादशाह रब के घर में दाख़िल होने के लिए इस्तेमाल करता था। | |
II K | UrduGeoD | 16:19 | बाक़ी जो कुछ आख़ज़ की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
Chapter 17
II K | UrduGeoD | 17:1 | होसेअ बिन ऐला यहूदाह के बादशाह आख़ज़ की हुकूमत के 12वें साल में इसराईल का बादशाह बना। सामरिया उसका दारुल-हुकूमत रहा, और उस की हुकूमत का दौरानिया 9 साल था। | |
II K | UrduGeoD | 17:2 | होसेअ का चाल-चलन रब को नापसंद था, लेकिन इसराईल के उन बादशाहों की निसबत जो उससे पहले थे वह कुछ बेहतर था। | |
II K | UrduGeoD | 17:3 | एक दिन असूर के बादशाह सल्मनसर ने इसराईल पर हमला किया। तब होसेअ शिकस्त मानकर उसके ताबे हो गया। उसे असूर को ख़राज अदा करना पड़ा। | |
II K | UrduGeoD | 17:4 | लेकिन चंद साल के बाद वह सरकश हो गया। उसने ख़राज का सालाना सिलसिला बंद करके अपने सफ़ीरों को मिसर के बादशाह सो के पास भेजा ताकि उससे मदद हासिल करे। जब असूर के बादशाह को पता चला तो उसने उसे पकड़कर जेल में डाल दिया। | |
II K | UrduGeoD | 17:5 | सल्मनसर पूरे मुल्क में से गुज़रकर सामरिया तक पहुँच गया। तीन साल तक उसे शहर का मुहासरा करना पड़ा, | |
II K | UrduGeoD | 17:6 | लेकिन आख़िरकार वह होसेअ की हुकूमत के नवें साल में कामयाब हुआ और शहर पर क़ब्ज़ा करके इसराईलियों को जिलावतन कर दिया। उन्हें असूर लाकर उसने कुछ ख़लह के इलाक़े में, कुछ जौज़ान के दरियाए-ख़ाबूर के किनारे पर और कुछ मादियों के शहरों में बसाए। | |
II K | UrduGeoD | 17:7 | यह सब कुछ इसलिए हुआ कि इसराईलियों ने रब अपने ख़ुदा का गुनाह किया था, हालाँकि वह उन्हें मिसरी बादशाह फ़िरौन के क़ब्ज़े से रिहा करके मिसर से निकाल लाया था। वह दीगर माबूदों की पूजा करते | |
II K | UrduGeoD | 17:8 | और उन क़ौमों के रस्मो-रिवाज की पैरवी करते जिनको रब ने उनके आगे से निकाल दिया था। साथ साथ वह उन रस्मों से भी लिपटे रहे जो इसराईल के बादशाहों ने शुरू की थीं। | |
II K | UrduGeoD | 17:9 | इसराईलियों को रब अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत तरकीबें सूझीं जो ठीक नहीं थीं। सबसे छोटी चौकी से लेकर बड़े से बड़े क़िलाबंद शहर तक उन्होंने अपने तमाम शहरों की ऊँची जगहों पर मंदिर बनाए। | |
II K | UrduGeoD | 17:10 | हर पहाड़ी की चोटी पर और हर घने दरख़्त के साय में उन्होंने पत्थर के अपने देवताओं के सतून और यसीरत देवी के खंबे खड़े किए। | |
II K | UrduGeoD | 17:11 | हर ऊँची जगह पर वह बख़ूर जला देते थे, बिलकुल उन अक़वाम की तरह जिन्हें रब ने उनके आगे से निकाल दिया था। ग़रज़ इसराईलियों से बहुत-सी ऐसी शरीर हरकतें सरज़द हुईं जिनको देखकर रब को ग़ुस्सा आया। | |
II K | UrduGeoD | 17:13 | बार बार रब ने अपने नबियों और ग़ैबबीनों को इसराईल और यहूदाह के पास भेजा था ताकि उन्हें आगाह करें, “अपनी शरीर राहों से बाज़ आओ। मेरे अहकाम और क़वायद के ताबे रहो। उस पूरी शरीअत की पैरवी करो जो मैंने तुम्हारे बापदादा को अपने ख़ादिमों यानी नबियों के वसीले से दे दी थी।” | |
II K | UrduGeoD | 17:14 | लेकिन वह सुनने के लिए तैयार नहीं थे बल्कि अपने बापदादा की तरह अड़ गए, क्योंकि वह भी रब अपने ख़ुदा पर भरोसा नहीं करते थे। | |
II K | UrduGeoD | 17:15 | उन्होंने उसके अहकाम और उस अहद को रद्द किया जो उसने उनके बापदादा से बाँधा था। जब भी उसने उन्हें किसी बात से आगाह किया तो उन्होंने उसे हक़ीर जाना। बेकार बुतों की पैरवी करते करते वह ख़ुद बेकार हो गए। वह गिर्दो-नवाह की क़ौमों के नमूने पर चल पड़े हालाँकि रब ने इससे मना किया था। | |
II K | UrduGeoD | 17:16 | रब अपने ख़ुदा के तमाम अहकाम को मुस्तरद करके उन्होंने अपने लिए बछड़ों के दो मुजस्समे ढाल लिए और यसीरत देवी का खंबा खड़ा कर दिया। वह सूरज, चाँद बल्कि आसमान के पूरे लशकर के सामने झुक गए और बाल देवता की परस्तिश करने लगे। | |
II K | UrduGeoD | 17:17 | अपने बेटे-बेटियों को उन्होंने अपने बुतों के लिए क़ुरबान करके जला दिया। नुजूमियों से मशवरा लेना और जादूगरी करना आम हो गया। ग़रज़ उन्होंने अपने आपको बदी के हाथ में बेचकर ऐसा काम किया जो रब को नापसंद था और जो उसे ग़ुस्सा दिलाता रहा। | |
II K | UrduGeoD | 17:18 | तब रब का ग़ज़ब इसराईल पर नाज़िल हुआ, और उसने उन्हें अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया। सिर्फ़ यहूदाह का क़बीला मुल्क में बाक़ी रह गया। | |
II K | UrduGeoD | 17:19 | लेकिन यहूदाह के अफ़राद भी रब अपने ख़ुदा के अहकाम के ताबे रहने के लिए तैयार नहीं थे। वह भी उन बुरे रस्मो-रिवाज की पैरवी करते रहे जो इसराईल ने शुरू किए थे। | |
II K | UrduGeoD | 17:20 | फिर रब ने पूरी की पूरी क़ौम को रद्द कर दिया। उन्हें तंग करके वह उन्हें लुटेरों के हवाले करता रहा, और एक दिन उसने उन्हें भी अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 17:21 | रब ने ख़ुद इसराईल के शिमाली क़बीलों को दाऊद के घराने से अलग कर दिया था, और उन्होंने यरुबियाम बिन नबात को अपना बादशाह बना लिया था। लेकिन यरुबियाम ने इसराईल को एक संगीन गुनाह करने पर उकसाकर रब की पैरवी करने से दूर किए रखा। | |
II K | UrduGeoD | 17:23 | यही वजह है कि जो कुछ रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाया था वह पूरा हुआ। उसने उन्हें अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया, और दुश्मन उन्हें क़ैदी बनाकर असूर ले गया जहाँ वह आज तक ज़िंदगी गुज़ारते हैं। | |
II K | UrduGeoD | 17:24 | असूर के बादशाह ने बाबल, कूता, अव्वा, हमात और सिफ़रवायम से लोगों को इसराईल में लाकर सामरिया के इसराईलियों से ख़ाली किए गए शहरों में बसा दिया। यह लोग सामरिया पर क़ब्ज़ा करके उसके शहरों में बसने लगे। | |
II K | UrduGeoD | 17:25 | लेकिन आते वक़्त वह रब की परस्तिश नहीं करते थे, इसलिए रब ने उनके दरमियान शेरबबर भेज दिए जिन्होंने कई एक को फाड़ डाला। | |
II K | UrduGeoD | 17:26 | असूर के बादशाह को इत्तला दी गई, “जिन लोगों को आपने जिलावतन करके सामरिया के शहरों में बसा दिया है वह नहीं जानते कि उस मुल्क का देवता किन किन बातों का तक़ाज़ा करता है। नतीजे में उसने उनके दरमियान शेरबबर भेज दिए हैं जो उन्हें फाड़ रहे हैं। और वजह यही है कि वह उस की सहीह पूजा करने से वाक़िफ़ नहीं हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 17:27 | यह सुनकर असूर के बादशाह ने हुक्म दिया, “सामरिया से यहाँ लाए गए इमामों में से एक को चुन लो जो अपने वतन लौटकर वहाँ दुबारा आबाद हो जाए और लोगों को सिखाए कि उस मुल्क का देवता अपनी पूजा के लिए किन किन बातों का तक़ाज़ा करता है।” | |
II K | UrduGeoD | 17:28 | तब एक इमाम जिलावतनी से वापस आया। बैतेल में आबाद होकर उसने नए बाशिंदों को सिखाया कि रब की मुनासिब इबादत किस तरह की जाती है। | |
II K | UrduGeoD | 17:29 | लेकिन साथ साथ वह अपने ज़ाती देवताओं की पूजा भी करते रहे। शहर बशहर हर क़ौम ने अपने अपने बुत बनाकर उन तमाम ऊँची जगहों के मंदिरों में खड़े किए जो सामरिया के लोगों ने बना छोड़े थे। | |
II K | UrduGeoD | 17:30 | बाबल के बाशिंदों ने सुक्कात-बनात के बुत, कूता के लोगों ने नैरगल के मुजस्समे, हमातवालों ने असीमा के बुत | |
II K | UrduGeoD | 17:31 | और अव्वा के लोगों ने निबहाज़ और तरताक़ के मुजस्समे खड़े किए। सिफ़रवायम के बाशिंदे अपने बच्चों को अपने देवताओं अद्रम्मलिक और अनम्मलिक के लिए क़ुरबान करके जला देते थे। | |
II K | UrduGeoD | 17:32 | ग़रज़ सब रब की परस्तिश के साथ साथ अपने देवताओं की पूजा भी करते और अपने लोगों में से मुख़्तलिफ़ क़िस्म के अफ़राद को चुनकर पुजारी मुक़र्रर करते थे ताकि वह ऊँची जगहों के मंदिरों को सँभालें। | |
II K | UrduGeoD | 17:33 | वह रब की इबादत भी करते और साथ साथ अपने देवताओं की उन क़ौमों के रिवाजों के मुताबिक़ इबादत भी करते थे जिनमें से उन्हें यहाँ लाया गया था। | |
II K | UrduGeoD | 17:34 | यह सिलसिला आज तक जारी है। सामरिया के बाशिंदे अपने उन पुराने रिवाजों के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं और सिर्फ़ रब की परस्तिश करने के लिए तैयार नहीं होते। वह उस की हिदायात और अहकाम की परवा नहीं करते और उस शरीअत की पैरवी नहीं करते जो रब ने याक़ूब की औलाद को दी थी। (रब ने याक़ूब का नाम इसराईल में बदल दिया था।) | |
II K | UrduGeoD | 17:35 | क्योंकि रब ने इसराईल की क़ौम के साथ अहद बाँधकर उसे हुक्म दिया था, “दूसरे किसी भी माबूद की इबादत मत करना! उनके सामने झुककर उनकी ख़िदमत मत करना, न उन्हें क़ुरबानियाँ पेश करना। | |
II K | UrduGeoD | 17:36 | सिर्फ़ रब की परस्तिश करो जो बड़ी क़ुदरत और अज़ीम काम दिखाकर तुम्हें मिसर से निकाल लाया। सिर्फ़ उसी के सामने झुक जाओ, सिर्फ़ उसी को अपनी क़ुरबानियाँ पेश करो। | |
II K | UrduGeoD | 17:37 | लाज़िम है कि तुम ध्यान से उन तमाम हिदायात, अहकाम और क़वायद की पैरवी करो जो मैंने तुम्हारे लिए क़लमबंद कर दिए हैं। किसी और देवता की पूजा मत करना। | |
II K | UrduGeoD | 17:38 | वह अहद मत भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बाँध लिया है, और दीगर माबूदों की परस्तिश न करो। | |
II K | UrduGeoD | 17:39 | सिर्फ़ और सिर्फ़ रब अपने ख़ुदा की इबादत करो। वही तुम्हें तुम्हारे तमाम दुश्मनों के हाथ से बचा लेगा।” | |
II K | UrduGeoD | 17:40 | लेकिन लोग यह सुनने के लिए तैयार नहीं थे बल्कि अपने पुराने रस्मो-रिवाज के साथ लिपटे रहे। | |
Chapter 18
II K | UrduGeoD | 18:1 | इसराईल के बादशाह होसेअ बिन ऐला की हुकूमत के तीसरे साल में हिज़क़ियाह बिन आख़ज़ यहूदाह का बादशाह बना। | |
II K | UrduGeoD | 18:2 | उस वक़्त उस की उम्र 25 साल थी, और वह यरूशलम में रहकर 29 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ अबी बिंत ज़करियाह थी। | |
II K | UrduGeoD | 18:4 | उसने ऊँची जगहों के मंदिरों को गिरा दिया, पत्थर के उन सतूनों को टुकड़े टुकड़े कर दिया जिनकी पूजा की जाती थी और यसीरत देवी के खंबों को काट डाला। पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था उसे भी बादशाह ने टुकड़े टुकड़े कर दिया, क्योंकि इसराईली उन ऐयाम तक उसके सामने बख़ूर जलाने आते थे। (साँप नख़ुश्तान कहलाता था।) | |
II K | UrduGeoD | 18:5 | हिज़क़ियाह रब इसराईल के ख़ुदा पर भरोसा रखता था। यहूदाह में न इससे पहले और न इसके बाद ऐसा बादशाह हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 18:6 | वह रब के साथ लिपटा रहा और उस की पैरवी करने से कभी भी बाज़ न आया। वह उन अहकाम पर अमल करता रहा जो रब ने मूसा को दिए थे। | |
II K | UrduGeoD | 18:7 | इसलिए रब उसके साथ रहा। जब भी वह किसी मक़सद के लिए निकला तो उसे कामयाबी हासिल हुई। चुनाँचे वह असूर की हुकूमत से आज़ाद हो गया और उसके ताबे न रहा। | |
II K | UrduGeoD | 18:8 | फ़िलिस्तियों को उसने सबसे छोटी चौकी से लेकर बड़े से बड़े क़िलाबंद शहर तक शिकस्त दी और उन्हें मारते मारते ग़ज़्ज़ा शहर और उसके इलाक़े तक पहुँच गया। | |
II K | UrduGeoD | 18:9 | हिज़क़ियाह की हुकूमत के चौथे साल में और इसराईल के बादशाह होसेअ की हुकूमत के सातवें साल में असूर के बादशाह सल्मनसर ने इसराईल पर हमला किया। सामरिया शहर का मुहासरा करके | |
II K | UrduGeoD | 18:10 | वह तीन साल के बाद उस पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब हुआ। यह हिज़क़ियाह की हुकूमत के छटे साल और इसराईल के बादशाह होसेअ की हुकूमत के नवें साल में हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 18:11 | असूर के बादशाह ने इसराईलियों को जिलावतन करके कुछ ख़लह के इलाक़े में, कुछ जौज़ान के दरियाए-ख़ाबूर के किनारे पर और कुछ मादियों के शहरों में बसाए। | |
II K | UrduGeoD | 18:12 | यह सब कुछ इसलिए हुआ कि वह रब अपने ख़ुदा के ताबे न रहे बल्कि उसके उनके साथ बँधे हुए अहद को तोड़कर उन तमाम अहकाम के फ़रमाँबरदार न रहे जो रब के ख़ादिम मूसा ने उन्हें दिए थे। न वह उनकी सुनते और न उन पर अमल करते थे। | |
II K | UrduGeoD | 18:13 | हिज़क़ियाह बादशाह की हुकूमत के 14वें साल में असूर के बादशाह सनहेरिब ने यहूदाह के तमाम क़िलाबंद शहरों पर धावा बोलकर उन पर क़ब्ज़ा कर लिया। | |
II K | UrduGeoD | 18:14 | जब असूर का बादशाह लकीस के आस-पास पहुँचा तो यहूदाह के बादशाह हिज़क़ियाह ने उसे इत्तला दी, “मुझसे ग़लती हुई है। मुझे छोड़ दें तो जो कुछ भी आप मुझसे तलब करेंगे मैं आपको अदा करूँगा।” तब सनहेरिब ने हिज़क़ियाह से चाँदी के तक़रीबन 10,000 किलोग्राम और सोने के तक़रीबन 1,000 किलोग्राम माँग लिया। | |
II K | UrduGeoD | 18:15 | हिज़क़ियाह ने उसे वह तमाम चाँदी दे दी जो रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में पड़ी थी। | |
II K | UrduGeoD | 18:16 | सोने का तक़ाज़ा पूरा करने के लिए उसने रब के घर के दरवाज़ों और चौखटों पर लगा सोना उतरवाकर उसे असूर के बादशाह को भेज दिया। यह सोना उसने ख़ुद दरवाज़ों और चौखटों पर चढ़वाया था। | |
II K | UrduGeoD | 18:17 | फिर भी असूर का बादशाह मुतमइन न हुआ। उसने अपने सबसे आला अफ़सरों को बड़ी फ़ौज के साथ लकीस से यरूशलम को भेजा (उनकी अपनी ज़बान में अफ़सरों के ओहदों के नाम तरतान, रब-सारिस और रबशाक़ी थे)। यरूशलम पहुँचकर वह उस नाले के पास रुक गए जो पानी को ऊपरवाले तालाब तक पहुँचाता है (यह तालाब उस रास्ते पर है जो धोबियों के घाट तक ले जाता है)। | |
II K | UrduGeoD | 18:18 | इन तीन असूरी अफ़सरों ने इत्तला दी कि बादशाह हमसे मिलने आए, लेकिन हिज़क़ियाह ने महल के इंचार्ज इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह, मीरमुंशी शिबनाह और मुशीरे-ख़ास युआख़ बिन आसफ़ को उनके पास भेजा। | |
II K | UrduGeoD | 18:19 | रबशाक़ी ने उनके हाथ हिज़क़ियाह को पैग़ाम भेजा, “असूर के अज़ीम बादशाह फ़रमाते हैं, तुम्हारा भरोसा किस चीज़ पर है? | |
II K | UrduGeoD | 18:20 | तुम समझते हो कि ख़ाली बातें करना फ़ौजी हिकमते-अमली और ताक़त के बराबर है। यह कैसी बात है? तुम किस पर एतमाद कर रहे हो कि मुझसे सरकश हो गए हो? | |
II K | UrduGeoD | 18:21 | क्या तुम मिसर पर भरोसा करते हो? वह तो टूटा हुआ सरकंडा ही है। जो भी उस पर टेक लगाए उसका हाथ वह चीरकर ज़ख़मी कर देगा। यही कुछ उन सबके साथ हो जाएगा जो मिसर के बादशाह फ़िरौन पर भरोसा करें! | |
II K | UrduGeoD | 18:22 | शायद तुम कहो, ‘हम रब अपने ख़ुदा पर तवक्कुल करते हैं।’ लेकिन यह किस तरह हो सकता है? हिज़क़ियाह ने तो उस की बेहुरमती की है। क्योंकि उसने ऊँची जगहों के मंदिरों और क़ुरबानगाहों को ढाकर यहूदाह और यरूशलम से कहा है कि सिर्फ़ यरूशलम की क़ुरबानगाह के सामने परस्तिश करें। | |
II K | UrduGeoD | 18:23 | आओ, मेरे आक़ा असूर के बादशाह से सौदा करो। मैं तुम्हें 2,000 घोड़े दूँगा बशर्तेकि तुम उनके लिए सवार मुहैया कर सको। लेकिन अफ़सोस, तुम्हारे पास इतने घुड़सवार हैं ही नहीं! | |
II K | UrduGeoD | 18:24 | तुम मेरे आक़ा असूर के बादशाह के सबसे छोटे अफ़सर का भी मुक़ाबला नहीं कर सकते। लिहाज़ा मिसर के रथों पर भरोसा रखने का क्या फ़ायदा? | |
II K | UrduGeoD | 18:25 | शायद तुम समझते हो कि मैं रब की मरज़ी के बग़ैर ही इस जगह पर हमला करने आया हूँ ताकि सब कुछ बरबाद करूँ। लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं है! रब ने ख़ुद मुझे कहा कि इस मुल्क पर धावा बोलकर इसे तबाह कर दे।” | |
II K | UrduGeoD | 18:26 | यह सुनकर इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह, शिबनाह और युआख़ ने रबशाक़ी की तक़रीर में दख़ल देकर कहा, “बराहे-करम अरामी ज़बान में अपने ख़ादिमों के साथ गुफ़्तगू कीजिए, क्योंकि हम यह अच्छी तरह बोल लेते हैं। इबरानी ज़बान इस्तेमाल न करें, वरना शहर की फ़सील पर खड़े लोग आपकी बातें सुन लेंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 18:27 | लेकिन रबशाक़ी ने जवाब दिया, “क्या तुम समझते हो कि मेरे मालिक ने यह पैग़ाम सिर्फ़ तुम्हें और तुम्हारे मालिक को भेजा है? हरगिज़ नहीं! वह चाहते हैं कि तमाम लोग यह बातें सुन लें। क्योंकि वह भी तुम्हारी तरह अपना फ़ुज़्ला खाने और अपना पेशाब पीने पर मजबूर हो जाएंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 18:28 | फिर वह फ़सील की तरफ़ मुड़कर बुलंद आवाज़ से इबरानी ज़बान में अवाम से मुख़ातिब हुआ, “सुनो, शहनशाह, असूर के बादशाह के फ़रमान पर ध्यान दो! | |
II K | UrduGeoD | 18:29 | बादशाह फ़रमाते हैं कि हिज़क़ियाह तुम्हें धोका न दे। वह तुम्हें मेरे हाथ से बचा नहीं सकता। | |
II K | UrduGeoD | 18:30 | बेशक वह तुम्हें तसल्ली दिलाने की कोशिश करके कहता है, ‘रब हमें ज़रूर छुटकारा देगा, यह शहर कभी भी असूरी बादशाह के क़ब्ज़े में नहीं आएगा।’ लेकिन इस क़िस्म की बातों से तसल्ली पाकर रब पर भरोसा मत करना। | |
II K | UrduGeoD | 18:31 | हिज़क़ियाह की बातें न मानो बल्कि असूर के बादशाह की। क्योंकि वह फ़रमाते हैं, मेरे साथ सुलह करो और शहर से निकलकर मेरे पास आ जाओ। फिर तुममें से हर एक अंगूर की अपनी बेल और अंजीर के अपने दरख़्त का फल खाएगा और अपने हौज़ का पानी पिएगा। | |
II K | UrduGeoD | 18:32 | फिर कुछ देर के बाद मैं तुम्हें एक ऐसे मुल्क में ले जाऊँगा जो तुम्हारे अपने मुल्क की मानिंद होगा। उसमें भी अनाज, नई मै, रोटी और अंगूर के बाग़, ज़ैतून के दरख़्त और शहद है। ग़रज़, मौत की राह इख़्तियार न करना बल्कि ज़िंदगी की राह। हिज़क़ियाह की मत सुनना। जब वह कहता है, ‘रब हमें बचाएगा’ तो वह तुम्हें धोका दे रहा है। | |
II K | UrduGeoD | 18:34 | हमात और अरफ़ाद के देवता कहाँ रह गए हैं? सिफ़रवायम, हेना और इव्वा के देवता क्या कर सके? और क्या किसी देवता ने सामरिया को मेरी गिरिफ़्त से बचाया? | |
II K | UrduGeoD | 18:35 | नहीं, कोई भी देवता अपना मुल्क मुझसे बचा न सका। तो फिर रब यरूशलम को किस तरह मुझसे बचाएगा?” | |
II K | UrduGeoD | 18:36 | फ़सील पर खड़े लोग ख़ामोश रहे। उन्होंने कोई जवाब न दिया, क्योंकि बादशाह ने हुक्म दिया था कि जवाब में एक लफ़्ज़ भी न कहें। | |
Chapter 19
II K | UrduGeoD | 19:1 | यह बातें सुनकर हिज़क़ियाह ने अपने कपड़े फाड़े और टाट का मातमी लिबास पहनकर रब के घर में गया। | |
II K | UrduGeoD | 19:2 | साथ साथ उसने महल के इंचार्ज इलियाक़ीम, मीरमुंशी शिबनाह और इमामों के बुज़ुर्गों को आमूस के बेटे यसायाह नबी के पास भेजा। सब टाट के मातमी लिबास पहने हुए थे। | |
II K | UrduGeoD | 19:3 | नबी के पास पहुँचकर उन्होंने हिज़क़ियाह का पैग़ाम सुनाया, “आज हम बड़ी मुसीबत में हैं। सज़ा के इस दिन असूरियों ने हमारी सख़्त बेइज़्ज़ती की है। हमारा हाल दर्दे-ज़ह में मुब्तला उस औरत का-सा है जिसके पेट से बच्चा निकलने को है, लेकिन जो इसलिए नहीं निकल सकता कि माँ की ताक़त जाती रही है। | |
II K | UrduGeoD | 19:4 | लेकिन शायद रब आपके ख़ुदा ने रबशाक़ी की वह तमाम बातें सुनी हों जो उसके आक़ा असूर के बादशाह ने ज़िंदा ख़ुदा की तौहीन में भेजी हैं। हो सकता है रब आपका ख़ुदा उस की बातें सुनकर उसे सज़ा दे। बराहे-करम हमारे लिए जो अब तक बचे हुए हैं दुआ करें।” | |
II K | UrduGeoD | 19:6 | तो नबी ने जवाब दिया, “अपने आक़ा को बता देना कि रब फ़रमाता है, ‘उन धमकियों से ख़ौफ़ मत खा जो असूरी बादशाह के मुलाज़िमों ने मेरी इहानत करके दी हैं। | |
II K | UrduGeoD | 19:7 | देख, मैं उसका इरादा बदल दूँगा। वह अफ़वाह सुनकर इतना मुज़तरिब हो जाएगा कि अपने ही मुल्क वापस चला जाएगा। वहाँ मैं उसे तलवार से मरवा दूँगा’।” | |
II K | UrduGeoD | 19:8 | रबशाक़ी यरूशलम को छोड़कर असूर के बादशाह के पास वापस चला गया जो उस वक़्त लकीस से रवाना होकर लिबना पर चढ़ाई कर रहा था। | |
II K | UrduGeoD | 19:9 | फिर सनहेरिब को इत्तला मिली, “एथोपिया का बादशाह तिरहाक़ा आपसे लड़ने आ रहा है।” तब उसने अपने क़ासिदों को दुबारा यरूशलम भेज दिया ताकि हिज़क़ियाह को पैग़ाम पहुँचाएँ, | |
II K | UrduGeoD | 19:10 | “जिस देवता पर तुम भरोसा रखते हो उससे फ़रेब न खाओ जब वह कहता है कि यरूशलम कभी असूरी बादशाह के क़ब्ज़े में नहीं आएगा। | |
II K | UrduGeoD | 19:11 | तुम तो सुन चुके हो कि असूर के बादशाहों ने जहाँ भी गए क्या कुछ किया है। हर मुल्क को उन्होंने मुकम्मल तौर पर तबाह कर दिया है। तो फिर तुम किस तरह बच जाओगे? | |
II K | UrduGeoD | 19:12 | क्या जौज़ान, हारान और रसफ़ के देवता उनकी हिफ़ाज़त कर पाए? क्या मुल्के-अदन में तिलस्सार के बाशिंदे बच सके? नहीं, कोई भी देवता उनकी मदद न कर सका जब मेरे बापदादा ने उन्हें तबाह किया। | |
II K | UrduGeoD | 19:14 | ख़त मिलने पर हिज़क़ियाह ने उसे पढ़ लिया और फिर रब के घर के सहन में गया। ख़त को रब के सामने बिछाकर | |
II K | UrduGeoD | 19:15 | उसने रब से दुआ की, “ऐ रब इसराईल के ख़ुदा जो करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है, तू अकेला ही दुनिया के तमाम ममालिक का ख़ुदा है। तू ही ने आसमानो-ज़मीन को ख़लक़ किया है। | |
II K | UrduGeoD | 19:16 | ऐ रब, मेरी सुन! अपनी आँखें खोलकर देख! सनहेरिब की उन बातों पर ध्यान दे जो उसने इस मक़सद से हम तक पहुँचाई हैं कि ज़िंदा ख़ुदा की इहानत करे। | |
II K | UrduGeoD | 19:17 | ऐ रब, यह बात सच है कि असूरी बादशाहों ने इन क़ौमों को उनके मुल्कों समेत तबाह कर दिया है। | |
II K | UrduGeoD | 19:18 | वह तो उनके बुतों को आग में फेंककर भस्म कर सकते थे, क्योंकि वह ज़िंदा नहीं बल्कि सिर्फ़ इनसान के हाथों से बने हुए लकड़ी और पत्थर के बुत थे। | |
II K | UrduGeoD | 19:19 | ऐ रब हमारे ख़ुदा, अब मैं तुझसे इलतमास करता हूँ कि हमें असूरी बादशाह के हाथ से बचा ताकि दुनिया के तमाम ममालिक जान लें कि तू ऐ रब, वाहिद ख़ुदा है।” | |
II K | UrduGeoD | 19:20 | फिर यसायाह बिन आमूस ने हिज़क़ियाह को पैग़ाम भेजा, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि मैंने असूरी बादशाह सनहेरिब के बारे में तेरी दुआ सुनी है। | |
II K | UrduGeoD | 19:21 | अब रब का उसके ख़िलाफ़ फ़रमान सुन, कुँवारी सिय्यून बेटी तुझे हक़ीर जानती है, हाँ यरूशलम बेटी अपना सर हिला हिलाकर हिक़ारतआमेज़ नज़र से तेरे पीछे देखती है। | |
II K | UrduGeoD | 19:22 | क्या तू नहीं जानता कि किस को गालियाँ दीं और किसकी इहानत की है? क्या तुझे नहीं मालूम कि तूने किसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की है? जिसकी तरफ़ तू ग़ुरूर की नज़र से देख रहा है वह इसराईल का क़ुद्दूस है! | |
II K | UrduGeoD | 19:23 | अपने क़ासिदों के ज़रीए तूने रब की इहानत की है। तू डींगें मारकर कहता है, ‘मैं अपने बेशुमार रथों से पहाड़ों की चोटियों और लुबनान की इंतहा तक चढ़ गया हूँ। मैं देवदार के बड़े बड़े और जूनीपर के बेहतरीन दरख़्तों को काटकर लुबनान के दूरतरीन कोनों तक, उसके सबसे घने जंगल तक पहुँच गया हूँ। | |
II K | UrduGeoD | 19:24 | मैंने ग़ैरमुल्कों में कुएँ खुदवाकर उनका पानी पी लिया है। मेरे तल्वों तले मिसर की तमाम नदियाँ ख़ुश्क हो गईं।’ | |
II K | UrduGeoD | 19:25 | ऐ असूरी बादशाह, क्या तूने नहीं सुना कि बड़ी देर से मैंने यह सब कुछ मुक़र्रर किया? क़दीम ज़माने में ही मैंने इसका मनसूबा बाँध लिया, और अब मैं इसे वुजूद में लाया। मेरी मरज़ी थी कि तू क़िलाबंद शहरों को ख़ाक में मिलाकर पत्थर के ढेरों में बदल दे। | |
II K | UrduGeoD | 19:26 | इसी लिए उनके बाशिंदों की ताक़त जाती रही, वह घबराए और शरमिंदा हुए। वह घास की तरह कमज़ोर थे, छत पर उगनेवाली उस हरियाली की मानिंद जो थोड़ी देर के लिए फलती-फूलती तो है, लेकिन लू चलते वक़्त एकदम मुरझा जाती है। | |
II K | UrduGeoD | 19:27 | मैं तो तुझसे ख़ूब वाक़िफ़ हूँ। मुझे मालूम है कि तू कहाँ ठहरा हुआ है, और तेरा आना जाना मुझसे पोशीदा नहीं रहता। मुझे पता है कि तू मेरे ख़िलाफ़ कितने तैश में आ गया है। | |
II K | UrduGeoD | 19:28 | तेरा तैश और ग़ुरूर देखकर मैं तेरी नाक में नकेल और तेरे मुँह में लगाम डालकर तुझे उस रास्ते पर से वापस घसीट ले जाऊँगा जिस पर से तू यहाँ आ पहुँचा है। | |
II K | UrduGeoD | 19:29 | ऐ हिज़क़ियाह, मैं इस निशान से तुझे तसल्ली दिलाऊँगा कि इस साल और आनेवाले साल तुम वह कुछ खाओगे जो खेतों में ख़ुद बख़ुद उगेगा। लेकिन तीसरे साल तुम बीज बोकर फ़सलें काटोगे और अंगूर के बाग़ लगाकर उनका फल खाओगे। | |
II K | UrduGeoD | 19:31 | क्योंकि यरूशलम से क़ौम का बक़िया निकल आएगा, और कोहे-सिय्यून का बचा-खुचा हिस्सा दुबारा मुल्क में फैल जाएगा। रब्बुल-अफ़वाज की ग़ैरत यह कुछ सरंजाम देगी। | |
II K | UrduGeoD | 19:32 | जहाँ तक असूरी बादशाह का ताल्लुक़ है रब फ़रमाता है कि वह इस शहर में दाख़िल नहीं होगा। वह एक तीर तक उसमें नहीं चलाएगा। न वह ढाल लेकर उस पर हमला करेगा, न शहर की फ़सील के साथ मिट्टी का ढेर लगाएगा। | |
II K | UrduGeoD | 19:33 | जिस रास्ते से बादशाह यहाँ आया उसी रास्ते पर से वह अपने मुल्क वापस चला जाएगा। इस शहर में वह घुसने नहीं पाएगा। यह रब का फ़रमान है। | |
II K | UrduGeoD | 19:34 | क्योंकि मैं अपनी और अपने ख़ादिम दाऊद की ख़ातिर इस शहर का दिफ़ा करके इसे बचाऊँगा।” | |
II K | UrduGeoD | 19:35 | उसी रात रब का फ़रिश्ता निकल आया और असूरी लशकरगाह में से गुज़रकर 1,85,000 फ़ौजियों को मार डाला। जब लोग सुबह-सवेरे उठे तो चारों तरफ़ लाशें ही लाशें नज़र आईं। | |
II K | UrduGeoD | 19:36 | यह देखकर सनहेरिब अपने ख़ैमे उखाड़कर अपने मुल्क वापस चला गया। नीनवा शहर पहुँचकर वह वहाँ ठहर गया। | |
Chapter 20
II K | UrduGeoD | 20:1 | उन दिनों में हिज़क़ियाह इतना बीमार हुआ कि मरने की नौबत आ पहुँची। आमूस का बेटा यसायाह नबी उससे मिलने आया और कहा, “रब फ़रमाता है कि अपने घर का बंदोबस्त कर ले, क्योंकि तुझे मरना है। तू इस बीमारी से शफ़ा नहीं पाएगा।” | |
II K | UrduGeoD | 20:3 | “ऐ रब, याद कर कि मैं वफ़ादारी और ख़ुलूसदिली से तेरे सामने चलता रहा हूँ, कि मैं वह कुछ करता आया हूँ जो तुझे पसंद है।” फिर वह फूट फूटकर रोने लगा। | |
II K | UrduGeoD | 20:4 | इतने में यसायाह चला गया था। लेकिन वह अभी अंदरूनी सहन से निकला नहीं था कि उसे रब का कलाम मिला, | |
II K | UrduGeoD | 20:5 | “मेरी क़ौम के राहनुमा हिज़क़ियाह के पास वापस जाकर उसे बता देना कि रब तेरे बाप दाऊद का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैंने तेरी दुआ सुन ली और तेरे आँसू देखे हैं। मैं तुझे शफ़ा दूँगा। परसों तू दुबारा रब के घर में जाएगा। | |
II K | UrduGeoD | 20:6 | मैं तेरी ज़िंदगी में 15 साल का इज़ाफ़ा करूँगा। साथ साथ मैं तुझे और इस शहर को असूर के बादशाह से बचा लूँगा। मैं अपनी और अपने ख़ादिम दाऊद की ख़ातिर शहर का दिफ़ा करूँगा’।” | |
II K | UrduGeoD | 20:7 | फिर यसायाह ने हुक्म दिया, “अंजीर की टिक्की लाकर बादशाह के नासूर पर बाँध दो!” जब ऐसा किया गया तो हिज़क़ियाह को शफ़ा मिली। | |
II K | UrduGeoD | 20:8 | पहले हिज़क़ियाह ने यसायाह से पूछा था, “रब मुझे कौन-सा निशान देगा जिससे मुझे यक़ीन आए कि वह मुझे शफ़ा देगा और कि मैं परसों दुबारा रब के घर की इबादत में शरीक हूँगा?” | |
II K | UrduGeoD | 20:9 | यसायाह ने जवाब दिया, “रब धूपघड़ी का साया दस दर्जे आगे करेगा या दस दर्जे पीछे। इससे आप जान लेंगे कि वह अपना वादा पूरा करेगा। आप क्या चाहते हैं, क्या साया दस दर्जे आगे चले या दस दर्जे पीछे?” | |
II K | UrduGeoD | 20:10 | हिज़क़ियाह ने जवाब दिया, “यह करवाना कि साया दस दर्जे आगे चले आसान काम है। नहीं, वह दस दर्जे पीछे जाए।” | |
II K | UrduGeoD | 20:11 | तब यसायाह नबी ने रब से दुआ की, और रब ने आख़ज़ की बनाई हुई धूपघड़ी का साया दस दर्जे पीछे कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 20:12 | थोड़ी देर के बाद बाबल के बादशाह मरूदक-बलदान बिन बलदान ने हिज़क़ियाह की बीमारी की ख़बर सुनकर वफ़द के हाथ ख़त और तोह्फ़े भेजे। | |
II K | UrduGeoD | 20:13 | हिज़क़ियाह ने वफ़द का इस्तक़बाल करके उसे वह तमाम ख़ज़ाने दिखाए जो ज़ख़ीराख़ाने में महफ़ूज़ रखे गए थे यानी तमाम सोना-चाँदी, बलसान का तेल और बाक़ी क़ीमती तेल। उसने असलिहाख़ाना और बाक़ी सब कुछ भी दिखाया जो उसके ख़ज़ानों में था। पूरे महल और पूरे मुल्क में कोई ख़ास चीज़ न रही जो उसने उन्हें न दिखाई। | |
II K | UrduGeoD | 20:14 | तब यसायाह नबी हिज़क़ियाह बादशाह के पास आया और पूछा, “इन आदमियों ने क्या कहा? कहाँ से आए हैं?” हिज़क़ियाह ने जवाब दिया, “दूर-दराज़ मुल्क बाबल से आए हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 20:15 | यसायाह बोला, “उन्होंने महल में क्या कुछ देखा?” हिज़क़ियाह ने कहा, “उन्होंने महल में सब कुछ देख लिया है। मेरे ख़ज़ानों में कोई चीज़ न रही जो मैंने उन्हें नहीं दिखाई।” | |
II K | UrduGeoD | 20:17 | एक दिन आनेवाला है कि तेरे महल का तमाम माल छीन लिया जाएगा। जितने भी ख़ज़ाने तू और तेरे बापदादा ने आज तक जमा किए हैं उन सबको दुश्मन बाबल ले जाएगा। रब फ़रमाता है कि एक भी चीज़ पीछे नहीं रहेगी। | |
II K | UrduGeoD | 20:18 | तेरे बेटों में से भी बाज़ छीन लिए जाएंगे, ऐसे जो अब तक पैदा नहीं हुए। तब वह ख़्वाजासरा बनकर शाहे-बाबल के महल में ख़िदमत करेंगे।” | |
II K | UrduGeoD | 20:19 | हिज़क़ियाह बोला, “रब का जो पैग़ाम आपने मुझे दिया है वह ठीक है।” क्योंकि उसने सोचा, “बड़ी बात यह है कि मेरे जीते-जी अमनो-अमान होगा।” | |
II K | UrduGeoD | 20:20 | बाक़ी जो कुछ हिज़क़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। वहाँ यह भी बयान किया गया है कि उसने किस तरह तालाब बनवाकर वह सुरंग खुदवाई जिसके ज़रीए चश्मे का पानी शहर तक पहुँचता है। | |
Chapter 21
II K | UrduGeoD | 21:1 | मनस्सी 12 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 55 साल था। उस की माँ हिफ़सीबाह थी। | |
II K | UrduGeoD | 21:2 | मनस्सी का चाल-चलन रब को नापसंद था। उसने उन क़ौमों के क़ाबिले-घिन रस्मो-रिवाज अपना लिए जिन्हें रब ने इसराईलियों के आगे से निकाल दिया था। | |
II K | UrduGeoD | 21:3 | ऊँची जगहों के जिन मंदिरों को उसके बाप हिज़क़ियाह ने ढा दिया था उन्हें उसने नए सिरे से तामीर किया। उसने बाल देवता की क़ुरबानगाहें बनवाईं और यसीरत देवी का खंबा खड़ा किया, बिलकुल उसी तरह जिस तरह इसराईल के बादशाह अख़ियब ने किया था। इनके अलावा वह सूरज, चाँद बल्कि आसमान के पूरे लशकर को सिजदा करके उनकी ख़िदमत करता था। | |
II K | UrduGeoD | 21:4 | उसने रब के घर में भी अपनी क़ुरबानगाहें खड़ी कीं, हालाँकि रब ने इस मक़ाम के बारे में फ़रमाया था, “मैं यरूशलम में अपना नाम क़ायम करूँगा।” | |
II K | UrduGeoD | 21:5 | लेकिन मनस्सी ने परवा न की बल्कि रब के घर के दोनों सहनों में आसमान के पूरे लशकर के लिए क़ुरबानगाहें बनवाईं। | |
II K | UrduGeoD | 21:6 | यहाँ तक कि उसने अपने बेटे को भी क़ुरबान करके जला दिया। जादूगरी और ग़ैबदानी करने के अलावा वह मुरदों की रूहों से राबिता करनेवालों और रम्मालों से भी मशवरा करता था। ग़रज़ उसने बहुत कुछ किया जो रब को नापसंद था और उसे तैश दिलाया। | |
II K | UrduGeoD | 21:7 | यसीरत देवी का खंबा बनवाकर उसने उसे रब के घर में खड़ा किया, हालाँकि रब ने दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से कहा था, “इस घर और इस शहर यरूशलम में जो मैंने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया है मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा। | |
II K | UrduGeoD | 21:8 | अगर इसराईली एहतियात से मेरे उन तमाम अहकाम की पैरवी करें जो मूसा ने शरीअत में उन्हें दिए तो मैं कभी नहीं होने दूँगा कि इसराईलियों को उस मुल्क से जिलावतन कर दिया जाए जो मैंने उनके बापदादा को अता किया था।” | |
II K | UrduGeoD | 21:9 | लेकिन लोग रब के ताबे न रहे, और मनस्सी ने उन्हें ऐसे ग़लत काम करने पर उकसाया जो उन क़ौमों से भी सरज़द नहीं हुए थे जिन्हें रब ने मुल्क में दाख़िल होते वक़्त उनके आगे से तबाह कर दिया था। | |
II K | UrduGeoD | 21:11 | “यहूदाह के बादशाह मनस्सी से क़ाबिले-घिन गुनाह सरज़द हुए हैं। उस की हरकतें मुल्क में इसराईल से पहले रहनेवाले अमोरियों की निसबत कहीं ज़्यादा शरीर हैं। अपने बुतों से उसने यहूदाह के बाशिंदों को गुनाह करने पर उकसाया है। | |
II K | UrduGeoD | 21:12 | चुनाँचे रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं यरूशलम और यहूदाह पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे। | |
II K | UrduGeoD | 21:13 | मैं यरूशलम को उसी नाप से नापूँगा जिससे सामरिया को नाप चुका हूँ। मैं उसे उस तराज़ू में रखकर तोलूँगा जिसमें अख़ियब का घराना तोल चुका हूँ। जिस तरह बरतन सफ़ाई करते वक़्त पोंछकर उलटे रखे जाते हैं उसी तरह मैं यरूशलम का सफ़ाया कर दूँगा। | |
II K | UrduGeoD | 21:14 | उस वक़्त मैं अपनी मीरास का बचा-खुचा हिस्सा भी तर्क कर दूँगा। मैं उन्हें उनके दुश्मनों के हवाले कर दूँगा जो उनकी लूट-मार करेंगे। | |
II K | UrduGeoD | 21:15 | और वजह यही होगी कि उनसे ऐसी हरकतें सरज़द हुई हैं जो मुझे नापसंद हैं। उस दिन से लेकर जब उनके बापदादा मिसर से निकल आए आज तक वह मुझे तैश दिलाते रहे हैं’।” | |
II K | UrduGeoD | 21:16 | लेकिन मनस्सी ने न सिर्फ़ यहूदाह के बाशिंदों को बुतपरस्ती और ऐसे काम करने पर उकसाया जो रब को नापसंद थे बल्कि उसने बेशुमार बेक़ुसूर लोगों को क़त्ल भी किया। उनके ख़ून से यरूशलम एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया। | |
II K | UrduGeoD | 21:17 | बाक़ी जो कुछ मनस्सी की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें उसके गुनाहों का ज़िक्र भी किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 21:18 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उसके महल के बाग़ में दफ़नाया गया जो उज़्ज़ा का बाग़ कहलाता है। फिर उसका बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 21:19 | अमून 22 साल की उम्र में बादशाह बना और दो साल तक यरूशलम में हुकूमत करता रहा। उस की माँ मसुल्लिमत बिंत हरूस युतबा की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 21:21 | वह हर तरह से अपने बाप के बुरे नमूने पर चलकर उन बुतों की ख़िदमत और पूजा करता रहा जिनकी पूजा उसका बाप करता आया था। | |
II K | UrduGeoD | 21:23 | एक दिन अमून के कुछ अफ़सरों ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे महल में क़त्ल कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 21:24 | लेकिन उम्मत ने तमाम साज़िश करनेवालों को मार डाला और अमून के बेटे यूसियाह को बादशाह बना दिया। | |
II K | UrduGeoD | 21:25 | बाक़ी जो कुछ अमून की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
Chapter 22
II K | UrduGeoD | 22:1 | यूसियाह 8 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में रहकर उस की हुकूमत का दौरानिया 31 साल था। उस की माँ यदीदा बिंत अदायाह बुसक़त की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 22:2 | यूसियाह वह कुछ करता रहा जो रब को पसंद था। वह हर बात में अपने बाप दाऊद के अच्छे नमूने पर चलता रहा और उससे न दाईं, न बाईं तरफ़ हटा। | |
II K | UrduGeoD | 22:3 | अपनी हुकूमत के 18वें साल में यूसियाह बादशाह ने अपने मीरमुंशी साफ़न बिन असलियाह बिन मसुल्लाम को रब के घर के पास भेजकर कहा, | |
II K | UrduGeoD | 22:4 | “इमामे-आज़म ख़िलक़ियाह के पास जाकर उसे बता देना कि उन तमाम पैसों को गिन लें जो दरबानों ने लोगों से जमा किए हैं। | |
II K | UrduGeoD | 22:5 | फिर पैसे उन ठेकेदारों को दे दें जो रब के घर की मरम्मत करवा रहे हैं ताकि वह कारीगरों, तामीर करनेवालों और राजों की उजरत अदा कर सकें। इन पैसों से वह दराड़ों को ठीक करने के लिए दरकार लकड़ी और तराशे हुए पत्थर भी ख़रीदें। | |
II K | UrduGeoD | 22:6 | फिर पैसे उन ठेकेदारों को दे दें जो रब के घर की मरम्मत करवा रहे हैं ताकि वह कारीगरों, तामीर करनेवालों और राजों की उजरत अदा कर सकें। इन पैसों से वह दराड़ों को ठीक करने के लिए दरकार लकड़ी और तराशे हुए पत्थर भी ख़रीदें। | |
II K | UrduGeoD | 22:7 | ठेकेदारों को अख़राजात का हिसाब-किताब देने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वह क़ाबिले-एतमाद हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 22:8 | जब मीरमुंशी साफ़न ख़िलक़ियाह के पास पहुँचा तो इमामे-आज़म ने उसे एक किताब दिखाकर कहा, “मुझे रब के घर में शरीअत की किताब मिली है।” उसने उसे साफ़न को दे दिया जिसने उसे पढ़ लिया। | |
II K | UrduGeoD | 22:9 | तब साफ़न बादशाह के पास गया और उसे इत्तला दी, “हमने रब के घर में जमाशुदा पैसे मरम्मत पर मुक़र्रर ठेकेदारों और बाक़ी काम करनेवालों को दे दिए हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 22:10 | फिर साफ़न ने बादशाह को बताया, “ख़िलक़ियाह ने मुझे एक किताब दी है।” किताब को खोलकर वह बादशाह की मौजूदगी में उस की तिलावत करने लगा। | |
II K | UrduGeoD | 22:12 | उसने ख़िलक़ियाह इमाम, अख़ीक़ाम बिन साफ़न, अकबोर बिन मीकायाह, मीरमुंशी साफ़न और अपने ख़ास ख़ादिम असायाह को बुलाकर उन्हें हुक्म दिया, | |
II K | UrduGeoD | 22:13 | “जाकर मेरी और क़ौम बल्कि तमाम यहूदाह की ख़ातिर रब से इस किताब में दर्ज बातों के बारे में दरियाफ़्त करें। रब का जो ग़ज़ब हम पर नाज़िल होनेवाला है वह निहायत सख़्त है, क्योंकि हमारे बापदादा न किताब के फ़रमानों के ताबे रहे, न उन हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारी है जो उसमें हमारे लिए दर्ज की गई हैं।” | |
II K | UrduGeoD | 22:14 | चुनाँचे ख़िलक़ियाह इमाम, अख़ीक़ाम, अकबोर, साफ़न और असायाह ख़ुलदा नबिया को मिलने गए। ख़ुलदा का शौहर सल्लूम बिन तिक़वा बिन ख़र्ख़स रब के घर के कपड़े सँभालता था। वह यरूशलम के नए इलाक़े में रहते थे। | |
II K | UrduGeoD | 22:15 | ख़ुलदा ने उन्हें जवाब दिया, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि जिस आदमी ने तुम्हें भेजा है उसे बता देना, ‘रब फ़रमाता है कि मैं इस शहर और उसके बाशिंदों पर आफ़त नाज़िल करूँगा। वह तमाम बातें पूरी हो जाएँगी जो यहूदाह के बादशाह ने किताब में पढ़ी हैं। | |
II K | UrduGeoD | 22:16 | ख़ुलदा ने उन्हें जवाब दिया, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि जिस आदमी ने तुम्हें भेजा है उसे बता देना, ‘रब फ़रमाता है कि मैं इस शहर और उसके बाशिंदों पर आफ़त नाज़िल करूँगा। वह तमाम बातें पूरी हो जाएँगी जो यहूदाह के बादशाह ने किताब में पढ़ी हैं। | |
II K | UrduGeoD | 22:17 | क्योंकि मेरी क़ौम ने मुझे तर्क करके दीगर माबूदों को क़ुरबानियाँ पेश की हैं और अपने हाथों से बुत बनाकर मुझे तैश दिलाया है। मेरा ग़ज़ब इस मक़ाम पर नाज़िल हो जाएगा और कभी ख़त्म नहीं होगा।’ | |
II K | UrduGeoD | 22:18 | लेकिन यहूदाह के बादशाह के पास जाएँ जिसने आपको रब से दरियाफ़्त करने के लिए भेजा है और उसे बता दें कि रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मेरी बातें सुनकर | |
II K | UrduGeoD | 22:19 | तेरा दिल नरम हो गया है। जब तुझे पता चला कि मैंने इस मक़ाम और इसके बाशिंदों के बारे में फ़रमाया है कि वह लानती और तबाह हो जाएंगे तो तूने अपने आपको रब के सामने पस्त कर दिया। तूने रंजीदा होकर अपने कपड़े फाड़ लिए और मेरे हुज़ूर फूट फूटकर रोया। रब फ़रमाता है कि यह देखकर मैंने तेरी सुनी है। | |
Chapter 23
II K | UrduGeoD | 23:2 | रब के घर में गया। सब लोग छोटे से लेकर बड़े तक उसके साथ गए यानी यहूदाह के आदमी, यरूशलम के बाशिंदे, इमाम और नबी। वहाँ पहुँचकर जमात के सामने अहद की उस पूरी किताब की तिलावत की गई जो रब के घर में मिली थी। | |
II K | UrduGeoD | 23:3 | फिर बादशाह ने सतून के पास खड़े होकर रब के हुज़ूर अहद बाँधा और वादा किया, “हम रब की पैरवी करेंगे, हम पूरे दिलो-जान से उसके अहकाम और हिदायात पूरी करके इस किताब में दर्ज अहद की बातें क़ायम रखेंगे।” पूरी क़ौम अहद में शरीक हुई। | |
II K | UrduGeoD | 23:4 | अब बादशाह ने इमामे-आज़म ख़िलक़ियाह, दूसरे दर्जे पर मुक़र्रर इमामों और दरबानों को हुक्म दिया, “रब के घर में से वह तमाम चीज़ें निकाल दें जो बाल देवता, यसीरत देवी और आसमान के पूरे लशकर की पूजा के लिए इस्तेमाल हुई हैं।” फिर उसने यह सारा सामान यरूशलम के बाहर वादीए-क़िदरोन के खुले मैदान में जला दिया और उस की राख उठाकर बैतेल ले गया। | |
II K | UrduGeoD | 23:5 | उसने उन बुतपरस्त पुजारियों को भी हटा दिया जिन्हें यहूदाह के बादशाहों ने यहूदाह के शहरों और यरूशलम के गिर्दो-नवाह के मंदिरों में क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया था। यह पुजारी न सिर्फ़ बाल देवता को अपने नज़राने पेश करते थे बल्कि सूरज, चाँद, झुरमुटों और आसमान के पूरे लशकर को भी। | |
II K | UrduGeoD | 23:6 | यसीरत देवी का खंबा यूसियाह ने रब के घर से निकालकर शहर के बाहर वादीए-क़िदरोन में जला दिया। फिर उसने उसे पीसकर उस की राख ग़रीब लोगों की क़ब्रों पर बिखेर दी। | |
II K | UrduGeoD | 23:7 | रब के घर के पास ऐसे मकान थे जो जिस्मफ़रोश मर्दों और औरतों के लिए बनाए गए थे। उनमें औरतें यसीरत देवी के लिए कपड़े भी बुनती थीं। अब बादशाह ने उनको भी गिरा दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:8 | फिर यूसियाह तमाम इमामों को यरूशलम वापस लाया। साथ साथ उसने यहूदाह के शिमाल में जिबा से लेकर जुनूब में बैर-सबा तक ऊँची जगहों के उन तमाम मंदिरों की बेहुरमती की जहाँ इमाम पहले क़ुरबानियाँ पेश करते थे। यरूशलम के उस दरवाज़े के पास भी दो मंदिर थे जो शहर के सरदार यशुअ के नाम से मशहूर था। इनको भी यूसियाह ने ढा दिया। (शहर में दाख़िल होते वक़्त यह मंदिर बाईं तरफ़ नज़र आते थे।) | |
II K | UrduGeoD | 23:9 | जिन इमामों ने ऊँची जगहों पर ख़िदमत की थी उन्हें यरूशलम में रब के हुज़ूर क़ुरबानियाँ पेश करने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन वह बाक़ी इमामों की तरह बेख़मीरी रोटी के लिए मख़सूस रोटी खा सकते थे। | |
II K | UrduGeoD | 23:10 | बिन-हिन्नूम की वादी की क़ुरबानगाह बनाम तूफ़त को भी बादशाह ने ढा दिया ताकि आइंदा कोई भी अपने बेटे या बेटी को जलाकर मलिक देवता को क़ुरबान न कर सके। | |
II K | UrduGeoD | 23:11 | घोड़े के जो मुजस्समे यहूदाह के बादशाहों ने सूरज देवता की ताज़ीम में खड़े किए थे उन्हें भी यूसियाह ने गिरा दिया और उनके रथों को जला दिया। यह घोड़े रब के घर के सहन में दरवाज़े के साथ खड़े थे, वहाँ जहाँ दरबारी अफ़सर बनाम नातन-मलिक का कमरा था। | |
II K | UrduGeoD | 23:12 | आख़ज़ बादशाह ने अपनी छत पर एक कमरा बनाया था जिसकी छत पर भी मुख़्तलिफ़ बादशाहों की बनी हुई क़ुरबानगाहें थीं। अब यूसियाह ने इनको भी ढा दिया और उन दो क़ुरबानगाहों को भी जो मनस्सी ने रब के घर के दो सहनों में खड़ी की थीं। इनको टुकड़े टुकड़े करके उसने मलबा वादीए-क़िदरोन में फेंक दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:13 | नीज़, बादशाह ने यरूशलम के मशरिक़ में ऊँची जगहों के मंदिरों की बेहुरमती की। यह मंदिर हलाकत के पहाड़ के जुनूब में थे, और सुलेमान बादशाह ने उन्हें तामीर किया था। उसने उन्हें सैदा की शर्मनाक देवी अस्तारात, मोआब के मकरूह देवता कमोस और अम्मोन के क़ाबिले-घिन देवता मिलकूम के लिए बनाया था। | |
II K | UrduGeoD | 23:14 | यूसियाह ने देवताओं के लिए मख़सूस किए गए सतूनों को टुकड़े टुकड़े करके यसीरत देवी के खंबे कटवा दिए और मक़ामात पर इनसानी हड्डियाँ बिखेरकर उनकी बेहुरमती की। | |
II K | UrduGeoD | 23:15 | बैतेल में अब तक ऊँची जगह पर वह मंदिर और क़ुरबानगाह पड़ी थी जो यरुबियाम बिन नबात ने तामीर की थी। यरुबियाम ही ने इसराईल को गुनाह करने पर उकसाया था। जब यूसियाह ने देखा कि जिस पहाड़ पर क़ुरबानगाह है उस की ढलानों पर बहुत-सी क़ब्रें हैं तो उसने हुक्म दिया कि उनकी हड्डियाँ निकालकर क़ुरबानगाह पर जला दी जाएँ। यों क़ुरबानगाह की बेहुरमती बिलकुल उसी तरह हुई जिस तरह रब ने मर्दे-ख़ुदा की मारिफ़त फ़रमाया था। इसके बाद यूसियाह ने मंदिर और क़ुरबानगाह को गिरा दिया। उसने यसीरत देवी का मुजस्समा कूट कूटकर आख़िर में सब कुछ जला दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:16 | बैतेल में अब तक ऊँची जगह पर वह मंदिर और क़ुरबानगाह पड़ी थी जो यरुबियाम बिन नबात ने तामीर की थी। यरुबियाम ही ने इसराईल को गुनाह करने पर उकसाया था। जब यूसियाह ने देखा कि जिस पहाड़ पर क़ुरबानगाह है उस की ढलानों पर बहुत-सी क़ब्रें हैं तो उसने हुक्म दिया कि उनकी हड्डियाँ निकालकर क़ुरबानगाह पर जला दी जाएँ। यों क़ुरबानगाह की बेहुरमती बिलकुल उसी तरह हुई जिस तरह रब ने मर्दे-ख़ुदा की मारिफ़त फ़रमाया था। इसके बाद यूसियाह ने मंदिर और क़ुरबानगाह को गिरा दिया। उसने यसीरत देवी का मुजस्समा कूट कूटकर आख़िर में सब कुछ जला दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:17 | फिर यूसियाह को एक और क़ब्र नज़र आई। उसने शहर के बाशिंदों से पूछा, “यह किसकी क़ब्र है?” उन्होंने जवाब दिया, “यह यहूदाह के उस मर्दे-ख़ुदा की क़ब्र है जिसने बैतेल की क़ुरबानगाह के बारे में ऐन वह पेशगोई की थी जो आज आपके वसीले से पूरी हुई है।” | |
II K | UrduGeoD | 23:18 | यह सुनकर बादशाह ने हुक्म दिया, “इसे छोड़ दो! कोई भी इसकी हड्डियों को न छेड़े।” चुनाँचे उस की और उस नबी की हड्डियाँ बच गईं जो सामरिया से उससे मिलने आया और बाद में उस की क़ब्र में दफ़नाया गया था। | |
II K | UrduGeoD | 23:19 | जिस तरह यूसियाह ने बैतेल के मंदिर को तबाह किया उसी तरह उसने सामरिया के तमाम शहरों के मंदिरों के साथ किया। उन्हें ऊँची जगहों पर बनाकर इसराईल के बादशाहों ने रब को तैश दिलाया था। | |
II K | UrduGeoD | 23:20 | इन मंदिरों के पुजारियों को उसने उनकी अपनी अपनी क़ुरबानगाहों पर सज़ाए-मौत दी और फिर इनसानी हड्डियाँ उन पर जलाकर उनकी बेहुरमती की। इसके बाद वह यरूशलम लौट गया। | |
II K | UrduGeoD | 23:21 | यरूशलम में आकर बादशाह ने हुक्म दिया, “पूरी क़ौम रब अपने ख़ुदा की ताज़ीम में फ़सह की ईद मनाए, जिस तरह अहद की किताब में फ़रमाया गया है।” | |
II K | UrduGeoD | 23:22 | उस ज़माने से लेकर जब क़ाज़ी इसराईल की राहनुमाई करते थे यूसियाह के दिनों तक फ़सह की ईद इस तरह नहीं मनाई गई थी। इसराईल और यहूदाह के बादशाहों के ऐयाम में भी ऐसी ईद नहीं मनाई गई थी। | |
II K | UrduGeoD | 23:23 | यूसियाह की हुकूमत के 18वें साल में पहली दफ़ा रब की ताज़ीम में ऐसी ईद यरूशलम में मनाई गई। | |
II K | UrduGeoD | 23:24 | यूसियाह उन तमाम हिदायात के ताबे रहा जो शरीअत की उस किताब में दर्ज थीं जो ख़िलक़ियाह इमाम को रब के घर में मिली थी। चुनाँचे उसने मुरदों की रूहों से राबिता करनेवालों, रम्मालों, घरेलू बुतों, दूसरे बुतों और बाक़ी तमाम मकरूह चीज़ों को ख़त्म कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:25 | न यूसियाह से पहले, न उसके बाद उस जैसा कोई बादशाह हुआ जिसने उस तरह पूरे दिल, पूरी जान और पूरी ताक़त के साथ रब के पास वापस आकर मूसवी शरीअत के हर फ़रमान के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारी हो। | |
II K | UrduGeoD | 23:26 | तो भी रब यहूदाह पर अपने ग़ुस्से से बाज़ न आया, क्योंकि मनस्सी ने अपनी ग़लत हरकतों से उसे हद से ज़्यादा तैश दिलाया था। | |
II K | UrduGeoD | 23:27 | इसी लिए रब ने फ़रमाया, “जो कुछ मैंने इसराईल के साथ किया वही कुछ यहूदाह के साथ भी करूँगा। मैं उसे अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दूँगा। अपने चुने हुए शहर यरूशलम को मैं रद्द करूँगा और साथ साथ उस घर को भी जिसके बारे में मैंने कहा, ‘वहाँ मेरा नाम होगा’।” | |
II K | UrduGeoD | 23:28 | बाक़ी जो कुछ यूसियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। | |
II K | UrduGeoD | 23:29 | यूसियाह की हुकूमत के दौरान मिसर का बादशाह निकोह फ़िरौन दरियाए-फ़ुरात के लिए रवाना हुआ ताकि असूर के बादशाह से लड़े। रास्ते में यूसियाह उससे लड़ने के लिए निकला। लेकिन जब मजिद्दो के क़रीब उनका एक दूसरे के साथ मुक़ाबला हुआ तो निकोह ने उसे मार दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:30 | यूसियाह के मुलाज़िम उस की लाश रथ पर रखकर मजिद्दो से यरूशलम ले आए जहाँ उसे उस की अपनी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उम्मत ने उसके बेटे यहुआख़ज़ को मसह करके बाप के तख़्त पर बिठा दिया। | |
II K | UrduGeoD | 23:31 | यहुआख़ज़ 23 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया तीन माह था। उस की माँ हमूतल बिंत यरमियाह लिबना की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 23:33 | निकोह फ़िरौन ने मुल्के-हमात के शहर रिबला में उसे गिरिफ़्तार कर लिया, और उस की हुकूमत ख़त्म हुई। मुल्के-यहूदाह को ख़राज के तौर पर तक़रीबन 3,400 किलोग्राम चाँदी और 34 किलोग्राम सोना अदा करना पड़ा। | |
II K | UrduGeoD | 23:34 | यहुआख़ज़ की जगह फ़िरौन ने यूसियाह के एक और बेटे को तख़्त पर बिठाया। उसके नाम इलियाक़ीम को उसने यहूयक़ीम में बदल दिया। यहुआख़ज़ को वह अपने साथ मिसर ले गया जहाँ वह बाद में मरा भी। | |
II K | UrduGeoD | 23:35 | मतलूबा चाँदी और सोने की रक़म अदा करने के लिए यहूयक़ीम ने लोगों से ख़ास टैक्स लिया। उम्मत को अपनी दौलत के मुताबिक़ पैसे देने पड़े। इस तरीक़े से यहूयक़ीम फ़िरौन को ख़राज अदा कर सका। | |
II K | UrduGeoD | 23:36 | यहूयक़ीम 25 साल की उम्र में बादशाह बना, और वह यरूशलम में रहकर 11 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ ज़बूदा बिंत फ़िदायाह रूमाह की रहनेवाली थी। | |
Chapter 24
II K | UrduGeoD | 24:1 | यहूयक़ीम की हुकूमत के दौरान बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र ने यहूदाह पर हमला किया। नतीजे में यहूयक़ीम उसके ताबे हो गया। लेकिन तीन साल के बाद वह सरकश हो गया। | |
II K | UrduGeoD | 24:2 | तब रब ने बाबल, शाम, मोआब और अम्मोन से डाकुओं के जत्थे भेज दिए ताकि उसे तबाह करें। वैसा ही हुआ जिस तरह रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाया था। | |
II K | UrduGeoD | 24:3 | यह आफ़तें इसलिए यहूदाह पर आईं कि रब ने इनका हुक्म दिया था। वह मनस्सी के संगीन गुनाहों की वजह से यहूदाह को अपने हुज़ूर से ख़ारिज करना चाहता था। | |
II K | UrduGeoD | 24:4 | वह यह हक़ीक़त भी नज़रंदाज़ न कर सका कि मनस्सी ने यरूशलम को बेक़ुसूर लोगों के ख़ून से भर दिया था। रब यह मुआफ़ करने के लिए तैयार नहीं था। | |
II K | UrduGeoD | 24:5 | बाक़ी जो कुछ यहूयक़ीम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। | |
II K | UrduGeoD | 24:7 | उस वक़्त मिसर का बादशाह दुबारा अपने मुल्क से निकल न सका, क्योंकि बाबल के बादशाह ने मिसर की सरहद बनाम वादीए-मिसर से लेकर दरियाए-फ़ुरात तक का सारा इलाक़ा मिसर के क़ब्ज़े से छीन लिया था। | |
II K | UrduGeoD | 24:8 | यहूयाकीन 18 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया तीन माह था। उस की माँ नहुश्ता बिंत इलनातन यरूशलम की रहनेवाली थी। | |
II K | UrduGeoD | 24:10 | उस की हुकूमत के दौरान बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र की फ़ौज यरूशलम तक बढ़कर उसका मुहासरा करने लगी। | |
II K | UrduGeoD | 24:12 | तब यहूयाकीन ने शिकस्त मानकर अपने आपको अपनी माँ, मुलाज़िमों, अफ़सरों और दरबारियों समेत बाबल के बादशाह के हवाले कर दिया। बादशाह ने उसे गिरिफ़्तार कर लिया। यह नबूकदनज़्ज़र की हुकूमत के आठवें साल में हुआ। | |
II K | UrduGeoD | 24:13 | जिसका एलान रब ने पहले किया था वह अब पूरा हुआ, नबूकदनज़्ज़र ने रब के घर और शाही महल के तमाम ख़ज़ाने छीन लिए। उसने सोने का वह सारा सामान भी लूट लिया जो सुलेमान ने रब के घर के लिए बनवाया था। | |
II K | UrduGeoD | 24:14 | और जितने खाते-पीते लोग यरूशलम में थे उन सबको बादशाह ने जिलावतन कर दिया। उनमें तमाम अफ़सर, फ़ौजी, दस्तकार और धातों का काम करनेवाले शामिल थे, कुल 10,000 अफ़राद। उम्मत के सिर्फ़ ग़रीब लोग पीछे रह गए। | |
II K | UrduGeoD | 24:15 | नबूकदनज़्ज़र यहूयाकीन को भी क़ैदी बनाकर बाबल ले गया और उस की माँ, बीवियों, दरबारियों और मुल्क के तमाम असरो-रसूख़ रखनेवालों को भी। | |
II K | UrduGeoD | 24:16 | उसने फ़ौजियों के 7,000 अफ़राद और 1,000 दस्तकारों और धातों का काम करनेवालों को जिलावतन करके बाबल में बसा दिया। यह सब माहिर और जंग करने के क़ाबिल आदमी थे। | |
II K | UrduGeoD | 24:17 | यरूशलम में बाबल के बादशाह ने यहूयाकीन की जगह उसके चचा मत्तनियाह को तख़्त पर बिठाकर उसका नाम सिदक़ियाह में बदल दिया। | |
II K | UrduGeoD | 24:18 | सिदक़ियाह 21 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 11 साल था। उस की माँ हमूतल बिंत यरमियाह लिबना शहर की रहनेवाली थी। | |
Chapter 25
II K | UrduGeoD | 25:1 | इसलिए शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र तमाम फ़ौज को अपने साथ लेकर दुबारा यरूशलम पहुँचा ताकि उस पर हमला करे। सिदक़ियाह की हुकूमत के नवें साल में बाबल की फ़ौज यरूशलम का मुहासरा करने लगी। यह काम दसवें महीने के दसवें दिन शुरू हुआ। पूरे शहर के इर्दगिर्द बादशाह ने पुश्ते बनवाए। | |
II K | UrduGeoD | 25:3 | लेकिन फिर काल ने शहर में ज़ोर पकड़ा, और अवाम के लिए खाने की चीज़ें न रहीं। चौथे महीने के नवें दिन | |
II K | UrduGeoD | 25:4 | बाबल के फ़ौजियों ने फ़सील में रख़ना डाल दिया। उसी रात सिदक़ियाह अपने तमाम फ़ौजियों समेत फ़रार होने में कामयाब हुआ, अगरचे शहर दुश्मन से घिरा हुआ था। वह फ़सील के उस दरवाज़े से निकले जो शाही बाग़ के साथ मुलहिक़ दो दीवारों के बीच में था। वह वादीए-यरदन की तरफ़ भागने लगे, | |
II K | UrduGeoD | 25:5 | लेकिन बाबल की फ़ौज ने बादशाह का ताक़्क़ुब करके उसे यरीहू के मैदान में पकड़ लिया। उसके फ़ौजी उससे अलग होकर चारों तरफ़ मुंतशिर हो गए, | |
II K | UrduGeoD | 25:6 | और वह ख़ुद गिरिफ़्तार हो गया। फिर उसे रिबला में शाहे-बाबल के पास लाया गया, और वहीं सिदक़ियाह पर फ़ैसला सादिर किया गया। | |
II K | UrduGeoD | 25:7 | सिदक़ियाह के देखते देखते उसके बेटों को क़त्ल किया गया। इसके बाद फ़ौजियों ने उस की आँखें निकालकर उसे पीतल की ज़ंजीरों में जकड़ लिया और बाबल ले गए। | |
II K | UrduGeoD | 25:8 | शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र की हुकूमत के 19वें साल में बादशाह का ख़ास अफ़सर नबूज़रादान यरूशलम पहुँचा। वह शाही मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर था। पाँचवें महीने के सातवें दिन उसने आकर | |
II K | UrduGeoD | 25:9 | रब के घर, शाही महल और यरूशलम के तमाम मकानों को जला दिया। हर बड़ी इमारत भस्म हो गई। | |
II K | UrduGeoD | 25:11 | फिर नबूज़रादान ने सबको जिलावतन कर दिया जो यरूशलम और यहूदाह में पीछे रह गए थे। वह भी उनमें शामिल थे जो जंग के दौरान ग़द्दारी करके शाहे-बाबल के पीछे लग गए थे। | |
II K | UrduGeoD | 25:12 | लेकिन नबूज़रादान ने सबसे निचले तबक़े के बाज़ लोगों को मुल्के-यहूदाह में छोड़ दिया ताकि वह अंगूर के बाग़ों और खेतों को सँभालें। | |
II K | UrduGeoD | 25:13 | बाबल के फ़ौजियों ने रब के घर में जाकर पीतल के दोनों सतूनों, पानी के बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों और समुंदर नामी पीतल के हौज़ को तोड़ दिया और सारा पीतल उठाकर बाबल ले गए। | |
II K | UrduGeoD | 25:14 | वह रब के घर की ख़िदमत सरंजाम देने के लिए दरकार सामान भी ले गए यानी बालटियाँ, बेलचे, बत्ती कतरने के औज़ार, बरतन और पीतल का बाक़ी सारा सामान। | |
II K | UrduGeoD | 25:15 | ख़ालिस सोने और चाँदी के बरतन भी इसमें शामिल थे यानी जलते हुए कोयले के बरतन और छिड़काव के कटोरे। शाही मुहाफ़िज़ों का अफ़सर सारा सामान उठाकर बाबल ले गया। | |
II K | UrduGeoD | 25:16 | जब दोनों सतूनों, समुंदर नामी हौज़ और बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों का पीतल तुड़वाया गया तो वह इतना वज़नी था कि उसे तोला न जा सका। सुलेमान बादशाह ने यह चीज़ें रब के घर के लिए बनवाई थीं। | |
II K | UrduGeoD | 25:17 | हर सतून की ऊँचाई 27 फ़ुट थी। उनके बालाई हिस्सों की ऊँचाई साढ़े चार फ़ुट थी, और वह पीतल की जाली और अनारों से सजे हुए थे। | |
II K | UrduGeoD | 25:18 | शाही मुहाफ़िज़ों के अफ़सर नबूज़रादान ने ज़ैल के क़ैदियों को अलग कर दिया : इमामे-आज़म सिरायाह, उसके बाद आनेवाला इमाम सफ़नियाह, रब के घर के तीन दरबानों, | |
II K | UrduGeoD | 25:19 | शहर के बचे हुओं में से उस अफ़सर को जो शहर के फ़ौजियों पर मुक़र्रर था, सिदक़ियाह बादशाह के पाँच मुशीरों, उम्मत की भरती करनेवाले अफ़सर और शहर में मौजूद उसके 60 मर्दों को। | |
II K | UrduGeoD | 25:20 | नबूज़रादान इन सबको अलग करके सूबा हमात के शहर रिबला ले गया जहाँ बाबल का बादशाह था। | |
II K | UrduGeoD | 25:21 | वहाँ नबूकदनज़्ज़र ने उन्हें सज़ाए-मौत दी। यों यहूदाह के बाशिंदों को जिलावतन कर दिया गया। | |
II K | UrduGeoD | 25:22 | जिन लोगों को बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र ने यहूदाह में पीछे छोड़ दिया था, उन पर उसने जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न मुक़र्रर किया। | |
II K | UrduGeoD | 25:23 | जब फ़ौज के बचे हुए अफ़सरों और उनके दस्तों को ख़बर मिली कि जिदलियाह को गवर्नर मुक़र्रर किया गया है तो वह मिसफ़ाह में उसके पास आए। अफ़सरों के नाम इसमाईल बिन नतनियाह, यूहनान बिन क़रीह, सिरायाह बिन तनहूमत नतूफ़ाती और याज़नियाह बिन माकाती थे। उनके फ़ौजी भी साथ आए। | |
II K | UrduGeoD | 25:24 | जिदलियाह ने क़सम खाकर उनसे वादा किया, “बाबल के अफ़सरों से मत डरना! मुल्क में रहकर बाबल के बादशाह की ख़िदमत करें तो आपकी सलामती होगी।” | |
II K | UrduGeoD | 25:25 | लेकिन उस साल के सातवें महीने में इसमाईल बिन नतनियाह बिन इलीसमा ने दस साथियों के साथ मिसफ़ाह आकर धोके से जिदलियाह को क़त्ल किया। इसमाईल शाही नसल का था। जिदलियाह के अलावा उन्होंने उसके साथ रहनेवाले यहूदाह और बाबल के तमाम लोगों को भी क़त्ल किया। | |
II K | UrduGeoD | 25:26 | यह देखकर यहूदाह के तमाम बाशिंदे छोटे से लेकर बड़े तक फ़ौजी अफ़सरों समेत हिजरत करके मिसर चले गए, क्योंकि वह बाबल के इंतक़ाम से डरते थे। | |
II K | UrduGeoD | 25:27 | यहूदाह के बादशाह यहूयाकीन की जिलावतनी के 37वें साल में अवील-मरूदक बाबल का बादशाह बना। उसी साल के 12वें महीने के 27वें दिन उसने यहूयाकीन को क़ैदख़ाने से आज़ाद कर दिया। | |
II K | UrduGeoD | 25:28 | उसने उससे नरम बातें करके उसे इज़्ज़त की ऐसी कुरसी पर बिठाया जो बाबल में जिलावतन किए गए बाक़ी बादशाहों की निसबत ज़्यादा अहम थी। | |
II K | UrduGeoD | 25:29 | यहूयाकीन को क़ैदियों के कपड़े उतारने की इजाज़त मिली, और उसे ज़िंदगी-भर बादशाह की मेज़ पर बाक़ायदगी से शरीक होने का शरफ़ हासिल रहा। | |