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Chapter 1
Mark UrduGeoD 1:1  यह अल्लाह के फ़रज़ंद ईसा मसीह के बारे में ख़ुशख़बरी है,
Mark UrduGeoD 1:2  जो यसायाह नबी की पेशगोई के मुताबिक़ यों शुरू हुई : ‘देख, मैं अपने पैग़ंबर को तेरे आगे आगे भेज देता हूँ जो तेरे लिए रास्ता तैयार करेगा।
Mark UrduGeoD 1:3  रेगिस्तान में एक आवाज़ पुकार रही है, रब की राह तैयार करो! उसके रास्ते सीधे बनाओ।’
Mark UrduGeoD 1:4  यह पैग़ंबर यहया बपतिस्मा देनेवाला था। रेगिस्तान में रहकर उसने एलान किया कि लोग तौबा करके बपतिस्मा लें ताकि उन्हें अपने गुनाहों की मुआफ़ी मिल जाए।
Mark UrduGeoD 1:5  यहूदिया के पूरे इलाक़े के लोग यरूशलम के तमाम बाशिंदों समेत निकलकर उसके पास आए। और अपने गुनाहों को तसलीम करके उन्होंने दरियाए-यरदन में यहया से बपतिस्मा लिया।
Mark UrduGeoD 1:6  यहया ऊँटों के बालों का लिबास पहने और कमर पर चमड़े का पटका बाँधे रहता था। ख़ुराक के तौर पर वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाता था।
Mark UrduGeoD 1:7  उसने एलान किया, “मेरे बाद एक आनेवाला है जो मुझसे बड़ा है। मैं झुककर उसके जूतों के तसमे खोलने के भी लायक़ नहीं।
Mark UrduGeoD 1:8  मैं तुमको पानी से बपतिस्मा देता हूँ, लेकिन वह तुम्हें रूहुल-क़ुद्स से बपतिस्मा देगा।”
Mark UrduGeoD 1:9  उन दिनों में ईसा नासरत से आया और यहया ने उसे दरियाए-यरदन में बपतिस्मा दिया।
Mark UrduGeoD 1:10  पानी से निकलते ही ईसा ने देखा कि आसमान फट रहा है और रूहुल-क़ुद्स कबूतर की तरह मुझ पर उतर रहा है।
Mark UrduGeoD 1:11  साथ साथ आसमान से एक आवाज़ सुनाई दी, “तू मेरा प्यारा फ़रज़ंद है, तुझसे मैं ख़ुश हूँ।”
Mark UrduGeoD 1:12  इसके फ़ौरन बाद रूहुल-क़ुद्स ने उसे रेगिस्तान में भेज दिया।
Mark UrduGeoD 1:13  वहाँ वह चालीस दिन रहा जिसके दौरान इबलीस उस की आज़माइश करता रहा। वह जंगली जानवरों के दरमियान रहता और फ़रिश्ते उस की ख़िदमत करते थे।
Mark UrduGeoD 1:14  जब यहया को जेल में डाल दिया गया तो ईसा गलील के इलाक़े में आया और अल्लाह की ख़ुशख़बरी का एलान करने लगा।
Mark UrduGeoD 1:15  वह बोला, “मुक़र्ररा वक़्त आ गया है, अल्लाह की बादशाही क़रीब आ गई है। तौबा करो और अल्लाह की ख़ुशख़बरी पर ईमान लाओ।”
Mark UrduGeoD 1:16  एक दिन जब ईसा गलील की झील के किनारे किनारे चल रहा था तो उसने शमौन और उसके भाई अंदरियास को देखा। वह झील में जाल डाल रहे थे क्योंकि वह माहीगीर थे।
Mark UrduGeoD 1:17  उसने कहा, “आओ, मेरे पीछे हो लो, मैं तुमको आदमगीर बनाऊँगा।”
Mark UrduGeoD 1:18  यह सुनते ही वह अपने जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
Mark UrduGeoD 1:19  थोड़ा-सा आगे जाकर ईसा ने ज़बदी के बेटों याक़ूब और यूहन्ना को देखा। वह कश्ती में बैठे अपने जालों की मरम्मत कर रहे थे।
Mark UrduGeoD 1:20  उसने उन्हें फ़ौरन बुलाया तो वह अपने बाप को मज़दूरों समेत कश्ती में छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
Mark UrduGeoD 1:21  वह कफ़र्नहूम शहर में दाख़िल हुए। और सबत के दिन ईसा इबादतख़ाने में जाकर लोगों को सिखाने लगा।
Mark UrduGeoD 1:22  वह उस की तालीम सुनकर हक्का-बक्का रह गए क्योंकि वह उन्हें शरीअत के आलिमों की तरह नहीं बल्कि इख़्तियार के साथ सिखाता था।
Mark UrduGeoD 1:23  उनके इबादतख़ाने में एक आदमी था जो किसी नापाक रूह के क़ब्ज़े में था। ईसा को देखते ही वह चीख़ चीख़कर बोलने लगा,
Mark UrduGeoD 1:24  “ऐ नासरत के ईसा, हमारा आपके साथ क्या वास्ता है? क्या आप हमें हलाक करने आए हैं? मैं तो जानता हूँ कि आप कौन हैं, आप अल्लाह के क़ुद्दूस हैं।”
Mark UrduGeoD 1:25  ईसा ने उसे डाँटकर कहा, “ख़ामोश! आदमी से निकल जा!”
Mark UrduGeoD 1:26  इस पर बदरूह आदमी को झँझोड़कर और चीख़ें मार मारकर उसमें से निकल गई।
Mark UrduGeoD 1:27  तमाम लोग घबरा गए और एक दूसरे से कहने लगे, “यह क्या है? एक नई तालीम जो इख़्तियार के साथ दी जा रही है। और वह बदरूहों को हुक्म देता है तो वह उस की मानती हैं।”
Mark UrduGeoD 1:28  और ईसा के बारे में चर्चा जल्दी से गलील के पूरे इलाक़े में फैल गया।
Mark UrduGeoD 1:29  इबादतख़ाने से निकलने के ऐन बाद वह याक़ूब और यूहन्ना के साथ शमौन और अंदरियास के घर गए।
Mark UrduGeoD 1:30  वहाँ शमौन की सास बिस्तर पर पड़ी थी, क्योंकि उसे बुख़ार था। उन्होंने ईसा को बता दिया
Mark UrduGeoD 1:31  तो वह उसके नज़दीक गया। उसका हाथ पकड़कर उसने उठने में उस की मदद की। इस पर बुख़ार उतर गया और वह उनकी ख़िदमत करने लगी।
Mark UrduGeoD 1:32  जब शाम हुई और सूरज ग़ुरूब हुआ तो लोग तमाम मरीज़ों और बदरूह-गिरिफ़्ता अशख़ास को ईसा के पास लाए।
Mark UrduGeoD 1:33  पूरा शहर दरवाज़े पर जमा हो गया
Mark UrduGeoD 1:34  और ईसा ने बहुत-से मरीज़ों को मुख़्तलिफ़ क़िस्म की बीमारियों से शफ़ा दी। उसने बहुत-सी बदरूहें भी निकाल दीं, लेकिन उसने उन्हें बोलने न दिया, क्योंकि वह जानती थीं कि वह कौन है।
Mark UrduGeoD 1:35  अगले दिन सुबह-सवेरे जब अभी अंधेरा ही था तो ईसा उठकर दुआ करने के लिए किसी वीरान जगह चला गया।
Mark UrduGeoD 1:36  बाद में शमौन और उसके साथी उसे ढूँडने निकले।
Mark UrduGeoD 1:37  जब मालूम हुआ कि वह कहाँ है तो उन्होंने उससे कहा, “तमाम लोग आपको तलाश कर रहे हैं!”
Mark UrduGeoD 1:38  लेकिन ईसा ने जवाब दिया, “आओ, हम साथवाली आबादियों में जाएँ ताकि मैं वहाँ भी मुनादी करूँ। क्योंकि मैं इसी मक़सद से निकल आया हूँ।”
Mark UrduGeoD 1:39  चुनाँचे वह पूरे गलील में से गुज़रता हुआ इबादतख़ानों में मुनादी करता और बदरूहों को निकालता रहा।
Mark UrduGeoD 1:40  एक आदमी ईसा के पास आया जो कोढ़ का मरीज़ था। घुटनों के बल झुककर उसने मिन्नत की, “अगर आप चाहें तो मुझे पाक-साफ़ कर सकते हैं।”
Mark UrduGeoD 1:41  ईसा को तरस आया। उसने अपना हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, पाक-साफ़ हो जा।”
Mark UrduGeoD 1:42  इस पर बीमारी फ़ौरन दूर हो गई और वह पाक-साफ़ हो गया।
Mark UrduGeoD 1:43  ईसा ने उसे फ़ौरन रुख़सत करके सख़्ती से समझाया,
Mark UrduGeoD 1:44  “ख़बरदार! यह बात किसी को न बताना बल्कि बैतुल-मुक़द्दस में इमाम के पास जा ताकि वह तेरा मुआयना करे। अपने साथ वह क़ुरबानी ले जा जिसका तक़ाज़ा मूसा की शरीअत उनसे करती है जिन्हें कोढ़ से शफ़ा मिली हो। यों अलानिया तसदीक़ हो जाएगी कि तू वाक़ई पाक-साफ़ हो गया है।”
Mark UrduGeoD 1:45  आदमी चला गया, लेकिन वह हर जगह अपनी कहानी सुनाने लगा। उसने यह ख़बर इतनी फैलाई कि ईसा खुले तौर पर किसी भी शहर में दाख़िल न हो सका बल्कि उसे वीरान जगहों में रहना पड़ा। लेकिन वहाँ भी लोग हर जगह से उसके पास पहुँच गए।
Chapter 2
Mark UrduGeoD 2:1  कुछ दिनों के बाद ईसा कफ़र्नहूम में वापस आया। जल्द ही ख़बर फैल गई कि वह घर में है।
Mark UrduGeoD 2:2  इस पर इतने लोग जमा हो गए कि पूरा घर भर गया बल्कि दरवाज़े के सामने भी जगह न रही। वह उन्हें कलामे-मुक़द्दस सुनाने लगा।
Mark UrduGeoD 2:3  इतने में कुछ लोग पहुँचे। उनमें से चार आदमी एक मफ़लूज को उठाए ईसा के पास लाना चाहते थे।
Mark UrduGeoD 2:4  मगर वह उसे हुजूम की वजह से ईसा तक न पहुँचा सके, इसलिए उन्होंने छत खोल दी। ईसा के ऊपर का हिस्सा उधेड़कर उन्होंने चारपाई को जिस पर मफ़लूज लेटा था उतार दिया।
Mark UrduGeoD 2:5  जब ईसा ने उनका ईमान देखा तो उसने मफ़लूज से कहा, “बेटा, तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं।”
Mark UrduGeoD 2:6  शरीअत के कुछ आलिम वहाँ बैठे थे। वह यह सुनकर सोच-बिचार में पड़ गए।
Mark UrduGeoD 2:7  “यह किस तरह ऐसी बातें कर सकता है? कुफ़र बक रहा है। सिर्फ़ अल्लाह ही गुनाह मुआफ़ कर सकता है।”
Mark UrduGeoD 2:8  ईसा ने अपनी रूह में फ़ौरन जान लिया कि वह क्या सोच रहे हैं, इसलिए उसने उनसे पूछा, “तुम दिल में इस तरह की बातें क्यों सोच रहे हो?
Mark UrduGeoD 2:9  क्या मफ़लूज से यह कहना आसान है कि ‘तेरे गुनाह मुआफ़ कर दिए गए हैं’ या यह कि ‘उठ, अपनी चारपाई उठाकर चल-फिर’?
Mark UrduGeoD 2:10  लेकिन मैं तुमको दिखाता हूँ कि इब्ने-आदम को वाक़ई दुनिया में गुनाह मुआफ़ करने का इख़्तियार है।” यह कहकर वह मफ़लूज से मुख़ातिब हुआ,
Mark UrduGeoD 2:11  “मैं तुझसे कहता हूँ कि उठ, अपनी चारपाई उठाकर घर चला जा।”
Mark UrduGeoD 2:12  वह आदमी खड़ा हुआ और फ़ौरन अपनी चारपाई उठाकर उनके देखते देखते चला गया। सब सख़्त हैरतज़दा हुए और अल्लाह की तमजीद करके कहने लगे, “ऐसा काम हमने कभी नहीं देखा!”
Mark UrduGeoD 2:13  फिर ईसा निकलकर दुबारा झील के किनारे गया। एक बड़ी भीड़ उसके पास आई तो वह उन्हें सिखाने लगा।
Mark UrduGeoD 2:14  चलते चलते उसने हलफ़ई के बेटे लावी को देखा जो टैक्स लेने के लिए अपनी चौकी पर बैठा था। ईसा ने उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और लावी उठकर उसके पीछे हो लिया।
Mark UrduGeoD 2:15  बाद में ईसा लावी के घर में खाना खा रहा था। उसके साथ न सिर्फ़ उसके शागिर्द बल्कि बहुत-से टैक्स लेनेवाले और गुनाहगार भी थे, क्योंकि उनमें से बहुतेरे उसके पैरोकार बन चुके थे।
Mark UrduGeoD 2:16  शरीअत के कुछ फ़रीसी आलिमों ने उसे यों टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों के साथ खाते देखा तो उसके शागिर्दों से पूछा, “यह टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों के साथ क्यों खाता है?”
Mark UrduGeoD 2:17  यह सुनकर ईसा ने जवाब दिया, “सेहतमंदों को डाक्टर की ज़रूरत नहीं होती बल्कि मरीज़ों को। मैं रास्तबाज़ों को नहीं बल्कि गुनाहगारों को बुलाने आया हूँ।”
Mark UrduGeoD 2:18  यहया के शागिर्द और फ़रीसी रोज़ा रखा करते थे। एक मौक़े पर कुछ लोग ईसा के पास आए और पूछा, “आपके शागिर्द रोज़ा क्यों नहीं रखते जबकि यहया और फ़रीसियों के शागिर्द रोज़ा रखते हैं?”
Mark UrduGeoD 2:19  ईसा ने जवाब दिया, “शादी के मेहमान किस तरह रोज़ा रख सकते हैं जब दूल्हा उनके दरमियान है? जब तक दूल्हा उनके साथ है वह रोज़ा नहीं रख सकते।
Mark UrduGeoD 2:20  लेकिन एक दिन आएगा जब दूल्हा उनसे ले लिया जाएगा। उस वक़्त वह ज़रूर रोज़ा रखेंगे।
Mark UrduGeoD 2:21  कोई भी नए कपड़े का टुकड़ा किसी पुराने लिबास में नहीं लगाता। अगर वह ऐसा करे तो नया टुकड़ा बाद में सुकड़कर पुराने लिबास से अलग हो जाएगा। यों पुराने लिबास की फटी हुई जगह पहले की निसबत ज़्यादा ख़राब हो जाएगी।
Mark UrduGeoD 2:22  इसी तरह कोई भी अंगूर का ताज़ा रस पुरानी और बे-लचक मशकों में नहीं डालता। अगर वह ऐसा करे तो पुरानी मशकें पैदा होनेवाली गैस के बाइस फट जाएँगी। नतीजे में मै और मशकें दोनों ज़ाया हो जाएँगी। इसलिए अंगूर का ताज़ा रस नई मशकों में डाला जाता है जो लचकदार होती हैं।”
Mark UrduGeoD 2:23  एक दिन ईसा अनाज के खेतों में से गुज़र रहा था। चलते चलते उसके शागिर्द खाने के लिए अनाज की बालें तोड़ने लगे। सबत का दिन था।
Mark UrduGeoD 2:24  यह देखकर फ़रीसियों ने ईसा से पूछा, “देखो, यह क्यों ऐसा कर रहे हैं? सबत के दिन ऐसा करना मना है।”
Mark UrduGeoD 2:25  ईसा ने जवाब दिया, “क्या तुमने कभी नहीं पढ़ा कि दाऊद ने क्या किया जब उसे और उसके साथियों को भूक लगी और उनके पास ख़ुराक नहीं थी?
Mark UrduGeoD 2:26  उस वक़्त अबियातर इमामे-आज़म था। दाऊद अल्लाह के घर में दाख़िल हुआ और रब के लिए मख़सूसशुदा रोटियाँ लेकर खाईं, अगरचे सिर्फ़ इमामों को इन्हें खाने की इजाज़त है। और उसने अपने साथियों को भी यह रोटियाँ खिलाईं।”
Mark UrduGeoD 2:27  फिर उसने कहा, “इनसान को सबत के दिन के लिए नहीं बनाया गया बल्कि सबत का दिन इनसान के लिए।
Mark UrduGeoD 2:28  चुनाँचे इब्ने-आदम सबत का भी मालिक है।”
Chapter 3
Mark UrduGeoD 3:1  किसी और वक़्त जब ईसा इबादतख़ाने में गया तो वहाँ एक आदमी था जिसका हाथ सूखा हुआ था।
Mark UrduGeoD 3:2  सबत का दिन था और लोग बड़े ग़ौर से देख रहे थे कि क्या ईसा उस आदमी को आज भी शफ़ा देगा। क्योंकि वह इस पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना तलाश कर रहे थे।
Mark UrduGeoD 3:3  ईसा ने सूखे हाथवाले आदमी से कहा, “उठ, दरमियान में खड़ा हो।”
Mark UrduGeoD 3:4  फिर ईसा ने उनसे पूछा, “मुझे बताओ, शरीअत हमें सबत के दिन क्या करने की इजाज़त देती है, नेक काम करने की या ग़लत काम करने की, किसी की जान बचाने की या उसे तबाह करने की?” सब ख़ामोश रहे।
Mark UrduGeoD 3:5  वह ग़ुस्से से अपने इर्दगिर्द के लोगों की तरफ़ देखने लगा। उनकी सख़्तदिली उसके लिए बड़े दुख का बाइस बन रही थी। फिर उसने आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने ऐसा किया तो उसका हाथ बहाल हो गया।
Mark UrduGeoD 3:6  इस पर फ़रीसी बाहर निकलकर सीधे हेरोदेस की पार्टी के अफ़राद के साथ मिलकर ईसा को क़त्ल करने की साज़िशें करने लगे।
Mark UrduGeoD 3:7  लेकिन ईसा वहाँ से हटकर अपने शागिर्दों के साथ झील के पास गया। एक बड़ा हुजूम उसके पीछे हो लिया। लोग न सिर्फ़ गलील के इलाक़े से आए बल्कि बहुत-सी और जगहों यानी यहूदिया,
Mark UrduGeoD 3:8  यरूशलम, इदूमया, दरियाए-यरदन के पार और सूर और सैदा के इलाक़े से भी। वजह यह थी कि ईसा के काम की ख़बर उन इलाक़ों तक भी पहुँच चुकी थी और नतीजे में बहुत-से लोग वहाँ से भी आए।
Mark UrduGeoD 3:9  ईसा ने शागिर्दों से कहा, “एहतियातन एक कश्ती उस वक़्त के लिए तैयार कर रखो जब हुजूम मुझे हद से ज़्यादा दबाने लगेगा।”
Mark UrduGeoD 3:10  क्योंकि उस दिन उसने बहुतों को शफ़ा दी थी, इसलिए जिसे भी कोई तकलीफ़ थी वह धक्के दे देकर उसके पास आया ताकि उसे छू सके।
Mark UrduGeoD 3:11  और जब भी नापाक रूहों ने ईसा को देखा तो वह उसके सामने गिरकर चीख़ें मारने लगीं, “आप अल्लाह के फ़रज़ंद हैं।”
Mark UrduGeoD 3:12  लेकिन ईसा ने उन्हें सख़्ती से डाँटकर कहा कि वह उसे ज़ाहिर न करें।
Mark UrduGeoD 3:13  इसके बाद ईसा ने पहाड़ पर चढ़कर जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुला लिया। और वह उसके पास आए।
Mark UrduGeoD 3:14  उसने उनमें से बारह को चुन लिया। उन्हें उसने अपने रसूल मुक़र्रर कर लिया ताकि वह उसके साथ चलें और वह उन्हें मुनादी करने के लिए भेज सके।
Mark UrduGeoD 3:15  उसने उन्हें बदरूहें निकालने का इख़्तियार भी दिया।
Mark UrduGeoD 3:16  जिन बारह को उसने मुक़र्रर किया उनके नाम यह हैं : शमौन जिसका लक़ब उसने पतरस रखा,
Mark UrduGeoD 3:17  ज़बदी के बेटे याक़ूब और यूहन्ना जिनका लक़ब ईसा ने ‘बादल की गरज के बेटे’ रखा,
Mark UrduGeoD 3:18  अंदरियास, फ़िलिप्पुस, बरतुलमाई, मत्ती, तोमा, याक़ूब बिन हलफ़ई, तद्दी, शमौन मुजाहिद
Mark UrduGeoD 3:19  और यहूदाह इस्करियोती जिसने बाद में उसे दुश्मन के हवाले कर दिया।
Mark UrduGeoD 3:20  फिर ईसा किसी घर में दाख़िल हुआ। इस बार भी इतना हुजूम जमा हो गया कि ईसा को अपने शागिर्दों समेत खाना खाने का मौक़ा भी न मिला।
Mark UrduGeoD 3:21  जब उसके ख़ानदान के अफ़राद ने यह सुना तो वह उसे पकड़कर ले जाने के लिए आए, क्योंकि उन्होंने कहा, “वह होश में नहीं है।”
Mark UrduGeoD 3:22  लेकिन शरीअत के जो आलिम यरूशलम से आए थे उन्होंने कहा, “यह बदरूहों के सरदार बाल-ज़बूल के क़ब्ज़े में है। उसी की मदद से बदरूहों को निकाल रहा है।”
Mark UrduGeoD 3:23  फिर ईसा ने उन्हें अपने पास बुलाकर तमसीलों में जवाब दिया। “इबलीस किस तरह इबलीस को निकाल सकता है?
Mark UrduGeoD 3:24  जिस बादशाही में फूट पड़ जाए वह क़ायम नहीं रह सकती।
Mark UrduGeoD 3:25  और जिस घराने की ऐसी हालत हो वह भी क़ायम नहीं रह सकता।
Mark UrduGeoD 3:26  इसी तरह अगर इबलीस अपने आपकी मुख़ालफ़त करे और यों उसमें फूट पड़ जाए तो वह क़ायम नहीं रह सकता बल्कि ख़त्म हो चुका है।
Mark UrduGeoD 3:27  किसी ज़ोरावर आदमी के घर में घुसकर उसका मालो-असबाब लूटना उस वक़्त तक मुमकिन नहीं है जब तक उस आदमी को बाँधा न जाए। फिर ही उसे लूटा जा सकता है।
Mark UrduGeoD 3:28  मैं तुमसे सच कहता हूँ कि लोगों के तमाम गुनाह और कुफ़र की बातें मुआफ़ की जा सकेंगी, ख़ाह वह कितना ही कुफ़र क्यों न बकें।
Mark UrduGeoD 3:29  लेकिन जो रूहुल-क़ुद्स के ख़िलाफ़ कुफ़र बके उसे अबद तक मुआफ़ी नहीं मिलेगी। वह एक अबदी गुनाह का क़ुसूरवार ठहरेगा।”
Mark UrduGeoD 3:30  ईसा ने यह इसलिए कहा क्योंकि आलिम कह रहे थे कि वह किसी बदरूह की गिरिफ़्त में है।
Mark UrduGeoD 3:31  फिर ईसा की माँ और भाई पहुँच गए। बाहर खड़े होकर उन्होंने किसी को उसे बुलाने को भेज दिया।
Mark UrduGeoD 3:32  उसके इर्दगिर्द हुजूम बैठा था। उन्होंने कहा, “आपकी माँ और भाई बाहर आपको बुला रहे हैं।”
Mark UrduGeoD 3:33  ईसा ने पूछा, “कौन मेरी माँ और कौन मेरे भाई हैं?”
Mark UrduGeoD 3:34  और अपने गिर्द बैठे लोगों पर नज़र डालकर उसने कहा, “देखो, यह मेरी माँ और मेरे भाई हैं।
Mark UrduGeoD 3:35  जो भी अल्लाह की मरज़ी पूरी करता है वह मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माँ है।”
Chapter 4
Mark UrduGeoD 4:1  फिर ईसा दुबारा झील के किनारे तालीम देने लगा। और इतनी बड़ी भीड़ उसके पास जमा हुई कि वह झील में खड़ी एक कश्ती में बैठ गया। बाक़ी लोग झील के किनारे पर खड़े रहे।
Mark UrduGeoD 4:2  उसने उन्हें बहुत-सी बातें तमसीलों में सिखाईं। उनमें से एक यह थी :
Mark UrduGeoD 4:3  “सुनो! एक किसान बीज बोने के लिए निकला।
Mark UrduGeoD 4:4  जब बीज इधर उधर बिखर गया तो कुछ दाने रास्ते पर गिरे और परिंदों ने आकर उन्हें चुग लिया।
Mark UrduGeoD 4:5  कुछ पथरीली ज़मीन पर गिरे जहाँ मिट्टी की कमी थी। वह जल्द उग आए क्योंकि मिट्टी गहरी नहीं थी।
Mark UrduGeoD 4:6  लेकिन जब सूरज निकला तो पौदे झुलस गए और चूँकि वह जड़ न पकड़ सके इसलिए सूख गए।
Mark UrduGeoD 4:7  कुछ दाने ख़ुदरौ काँटेदार पौदों के दरमियान भी गिरे। वहाँ वह उगने तो लगे, लेकिन ख़ुदरौ पौदों ने साथ साथ बढ़कर उन्हें फलने फूलने की जगह न दी। चुनाँचे वह भी ख़त्म हो गए और फल न ला सके।
Mark UrduGeoD 4:8  लेकिन ऐसे दाने भी थे जो ज़रख़ेज़ ज़मीन में गिरे। वहाँ वह फूट निकले और बढ़ते बढ़ते तीस गुना, साठ गुना बल्कि सौ गुना तक फल लाए।”
Mark UrduGeoD 4:9  फिर उसने कहा, “जो सुन सकता है वह सुन ले!”
Mark UrduGeoD 4:10  जब वह अकेला था तो जो लोग उसके इर्दगिर्द जमा थे उन्होंने बारह शागिर्दों समेत उससे पूछा कि इस तमसील का क्या मतलब है?
Mark UrduGeoD 4:11  उसने जवाब दिया, “तुमको तो अल्लाह की बादशाही का भेद समझने की लियाक़त दी गई है। लेकिन मैं इस दायरे से बाहर के लोगों को हर बात समझाने के लिए तमसीलें इस्तेमाल करता हूँ
Mark UrduGeoD 4:12  ताकि पाक कलाम पूरा हो जाए कि ‘वह अपनी आँखों से देखेंगे मगर कुछ नहीं जानेंगे, वह अपने कानों से सुनेंगे मगर कुछ नहीं समझेंगे, ऐसा न हो कि वह मेरी तरफ़ रुजू करें और उन्हें मुआफ़ कर दिया जाए’।”
Mark UrduGeoD 4:13  फिर ईसा ने उनसे कहा, “क्या तुम यह तमसील नहीं समझते? तो फिर बाक़ी तमाम तमसीलें किस तरह समझ पाओगे?
Mark UrduGeoD 4:14  बीज बोनेवाला अल्लाह का कलाम बो देता है।
Mark UrduGeoD 4:15  रास्ते पर गिरनेवाले दाने वह लोग हैं जो कलाम को सुनते तो हैं, लेकिन फिर इबलीस फ़ौरन आकर वह कलाम छीन लेता है जो उनमें बोया गया है।
Mark UrduGeoD 4:16  पथरीली ज़मीन पर गिरनेवाले दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनते ही उसे ख़ुशी से क़बूल तो कर लेते हैं,
Mark UrduGeoD 4:17  लेकिन वह जड़ नहीं पकड़ते और इसलिए ज़्यादा देर तक क़ायम नहीं रहते। ज्योंही वह कलाम पर ईमान लाने के बाइस किसी मुसीबत या ईज़ारसानी से दोचार हो जाएँ, तो वह बरगश्ता हो जाते हैं।
Mark UrduGeoD 4:18  ख़ुदरौ काँटेदार पौदों के दरमियान गिरे हुए दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनते तो हैं,
Mark UrduGeoD 4:19  लेकिन फिर रोज़मर्रा की परेशानियाँ, दौलत का फ़रेब और दीगर चीज़ों का लालच कलाम को फलने फूलने नहीं देते। नतीजे में वह फल लाने तक नहीं पहुँचता।
Mark UrduGeoD 4:20  इसके मुक़ाबले में ज़रख़ेज़ ज़मीन में गिरे हुए दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनकर उसे क़बूल करते और बढ़ते बढ़ते तीस गुना, साठ गुना बल्कि सौ गुना तक फल लाते हैं।”
Mark UrduGeoD 4:21  ईसा ने बात जारी रखी और कहा, “क्या चराग़ को इसलिए जलाकर लाया जाता है कि वह किसी बरतन या चारपाई के नीचे रखा जाए? हरगिज़ नहीं! उसे शमादान पर रखा जाता है।
Mark UrduGeoD 4:22  क्योंकि जो कुछ भी इस वक़्त पोशीदा है उसे आख़िरकार ज़ाहिर हो जाना है और तमाम भेदों को एक दिन खुल जाना है।
Mark UrduGeoD 4:23  अगर कोई सुन सके तो सुन ले।”
Mark UrduGeoD 4:24  उसने उनसे यह भी कहा, “इस पर ध्यान दो कि तुम क्या सुनते हो। जिस हिसाब से तुम दूसरों को देते हो उसी हिसाब से तुमको भी दिया जाएगा बल्कि तुमको उससे बढ़कर मिलेगा।
Mark UrduGeoD 4:25  क्योंकि जिसे कुछ हासिल हुआ है उसे और भी दिया जाएगा, जबकि जिसे कुछ हासिल नहीं हुआ उससे वह थोड़ा-बहुत भी छीन लिया जाएगा जो उसे हासिल है।”
Mark UrduGeoD 4:26  फिर ईसा ने कहा, “अल्लाह की बादशाही यों समझ लो : एक किसान ज़मीन में बीज बिखेर देता है।
Mark UrduGeoD 4:27  यह बीज फूटकर दिन-रात उगता रहता है, ख़ाह किसान सो रहा या जाग रहा हो। उसे मालूम नहीं कि यह क्योंकर होता है।
Mark UrduGeoD 4:28  ज़मीन ख़ुद बख़ुद अनाज की फ़सल पैदा करती है। पहले पत्ते निकलते हैं, फिर बालें नज़र आने लगती हैं और आख़िर में दाने पैदा हो जाते हैं।
Mark UrduGeoD 4:29  और ज्योंही अनाज की फ़सल पक जाती है किसान आकर दराँती से उसे काट लेता है, क्योंकि फ़सल की कटाई का वक़्त आ चुका होता है।”
Mark UrduGeoD 4:30  फिर ईसा ने कहा, “हम अल्लाह की बादशाही का मुवाज़ना किस चीज़ से करें? या हम कौन-सी तमसील से इसे बयान करें?
Mark UrduGeoD 4:31  वह राई के दाने की मानिंद है जो ज़मीन में डाला गया हो। राई बीजों में सबसे छोटा दाना है
Mark UrduGeoD 4:32  लेकिन बढ़ते बढ़ते सब्ज़ियों में सबसे बड़ा हो जाता है। उस की शाख़ें इतनी लंबी हो जाती हैं कि परिंदे उसके साय में अपने घोंसले बना सकते हैं।”
Mark UrduGeoD 4:33  ईसा इसी क़िस्म की बहुत-सी तमसीलों की मदद से उन्हें कलाम यों सुनाता था कि वह इसे समझ सकते थे।
Mark UrduGeoD 4:34  हाँ, अवाम को वह सिर्फ़ तमसीलों के ज़रीए सिखाता था। लेकिन जब वह अपने शागिर्दों के साथ अकेला होता तो वह हर बात की तशरीह करता था।
Mark UrduGeoD 4:35  उस दिन जब शाम हुई तो ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “आओ, हम झील के पार चलें।”
Mark UrduGeoD 4:36  चुनाँचे वह भीड़ को रुख़सत करके उसे लेकर चल पड़े। बाज़ और कश्तियाँ भी साथ गईं।
Mark UrduGeoD 4:37  अचानक सख़्त आँधी आई। लहरें कश्ती से टकराकर उसे पानी से भरने लगीं,
Mark UrduGeoD 4:38  लेकिन ईसा अभी तक कश्ती के पिछले हिस्से में अपना सर गद्दी पर रखे सो रहा था। शागिर्दों ने उसे जगाकर कहा, “उस्ताद, क्या आपको परवा नहीं कि हम तबाह हो रहे हैं?”
Mark UrduGeoD 4:39  वह जाग उठा, आँधी को डाँटा और झील से कहा, “ख़ामोश! चुप कर!” इस पर आँधी थम गई और लहरें बिलकुल साकित हो गईं।
Mark UrduGeoD 4:40  फिर ईसा ने शागिर्दों से पूछा, “तुम क्यों घबराते हो? क्या तुम अभी तक ईमान नहीं रखते?”
Mark UrduGeoD 4:41  उन पर सख़्त ख़ौफ़ तारी हो गया और वह एक दूसरे से कहने लगे, “आख़िर यह कौन है? हवा और झील भी उसका हुक्म मानती हैं।”
Chapter 5
Mark UrduGeoD 5:1  फिर वह झील के पार गरासा के इलाक़े में पहुँचे।
Mark UrduGeoD 5:2  जब ईसा कश्ती से उतरा तो एक आदमी जो नापाक रूह की गिरिफ़्त में था क़ब्रों में से निकलकर ईसा को मिला।
Mark UrduGeoD 5:3  यह आदमी क़ब्रों में रहता और इस नौबत तक पहुँच गया था कि कोई भी उसे बाँध न सकता था, चाहे उसे ज़ंजीरों से भी बाँधा जाता।
Mark UrduGeoD 5:4  उसे बहुत दफ़ा बेड़ियों और ज़ंजीरों से बाँधा गया था, लेकिन जब भी ऐसा हुआ तो उसने ज़ंजीरों को तोड़कर बेड़ियों को टुकड़े टुकड़े कर दिया था। कोई भी उसे कंट्रोल नहीं कर सकता था।
Mark UrduGeoD 5:5  दिन-रात वह चीख़ें मार मारकर क़ब्रों और पहाड़ी इलाक़े में घुमता-फिरता और अपने आपको पत्थरों से ज़ख़मी कर लेता था।
Mark UrduGeoD 5:6  ईसा को दूर से देखकर वह दौड़ा और उसके सामने मुँह के बल गिरा।
Mark UrduGeoD 5:7  वह ज़ोर से चीख़ा, “ऐ ईसा अल्लाह तआला के फ़रज़ंद, मेरा आपके साथ क्या वास्ता है? अल्लाह के नाम में आपको क़सम देता हूँ कि मुझे अज़ाब में न डालें।”
Mark UrduGeoD 5:8  क्योंकि ईसा ने उसे कहा था, “ऐ नापाक रूह, आदमी में से निकल जा!”
Mark UrduGeoD 5:9  फिर ईसा ने पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने जवाब दिया, “लशकर, क्योंकि हम बहुत-से हैं।”
Mark UrduGeoD 5:10  और वह बार बार मिन्नत करता रहा कि ईसा उन्हें इस इलाक़े से न निकाले।
Mark UrduGeoD 5:11  उस वक़्त क़रीब की पहाड़ी पर सुअरों का बड़ा ग़ोल चर रहा था।
Mark UrduGeoD 5:12  बदरूहों ने ईसा से इलतमास की, “हमें सुअरों में भेज दें, हमें उनमें दाख़िल होने दें।”
Mark UrduGeoD 5:13  उसने उन्हें इजाज़त दी तो बदरूहें उस आदमी में से निकलकर सुअरों में जा घुसीं। इस पर पूरे ग़ोल के तक़रीबन 2,000 सुअर भाग भागकर पहाड़ी की ढलान पर से उतरे और झील में झपटकर डूब मरे।
Mark UrduGeoD 5:14  यह देखकर सुअरों के गल्लाबान भाग गए। उन्होंने शहर और देहात में इस बात का चर्चा किया तो लोग यह मालूम करने के लिए कि क्या हुआ है अपनी जगहों से निकलकर ईसा के पास आए।
Mark UrduGeoD 5:15  उसके पास पहुँचे तो वह आदमी मिला जिसमें पहले बदरूहों का लशकर था। अब वह कपड़े पहने वहाँ बैठा था और उस की ज़हनी हालत ठीक थी। यह देखकर वह डर गए।
Mark UrduGeoD 5:16  जिन्होंने सब कुछ देखा था उन्होंने लोगों को बताया कि बदरूह-गिरिफ़्ता आदमी और सुअरों के साथ क्या हुआ है।
Mark UrduGeoD 5:17  फिर लोग ईसा की मिन्नत करने लगे कि वह उनके इलाक़े से चला जाए।
Mark UrduGeoD 5:18  ईसा कश्ती पर सवार होने लगा तो बदरूहों से आज़ाद किए गए आदमी ने उससे इलतमास की, “मुझे भी अपने साथ जाने दें।”
Mark UrduGeoD 5:19  लेकिन ईसा ने उसे साथ जाने न दिया बल्कि कहा, “अपने घर वापस चला जा और अपने अज़ीज़ों को सब कुछ बता जो रब ने तेरे लिए किया है, कि उसने तुझ पर कितना रहम किया है।”
Mark UrduGeoD 5:20  चुनाँचे आदमी चला गया और दिकपुलिस के इलाक़े में लोगों को बताने लगा कि ईसा ने मेरे लिए क्या कुछ किया है। और सब हैरतज़दा हुए।
Mark UrduGeoD 5:21  ईसा ने कश्ती में बैठे झील को दुबारा पार किया। जब दूसरे किनारे पहुँचा तो एक हुजूम उसके गिर्द जमा हो गया। वह अभी झील के पास ही था
Mark UrduGeoD 5:22  कि मक़ामी इबादतख़ाने का एक राहनुमा उसके पास आया। उसका नाम याईर था। ईसा को देखकर वह उसके पाँवों में गिर गया
Mark UrduGeoD 5:23  और बहुत मिन्नत करने लगा, “मेरी छोटी बेटी मरनेवाली है, बराहे-करम आकर उस पर अपने हाथ रखें ताकि वह शफ़ा पाकर ज़िंदा रहे।”
Mark UrduGeoD 5:24  चुनाँचे ईसा उसके साथ चल पड़ा। एक बड़ी भीड़ उसके पीछे लग गई और लोग उसे घेरकर हर तरफ़ से दबाने लगे।
Mark UrduGeoD 5:25  हुजूम में एक औरत थी जो बारह साल से ख़ून बहने के मरज़ से रिहाई न पा सकी थी।
Mark UrduGeoD 5:26  बहुत डाक्टरों से अपना इलाज करवा करवा कर उसे कई तरह की मुसीबत झेलनी पड़ी थी और इतने में उसके तमाम पैसे भी ख़र्च हो गए थे। तो भी कोई फ़ायदा न हुआ था बल्कि उस की हालत मज़ीद ख़राब होती गई।
Mark UrduGeoD 5:27  ईसा के बारे में सुनकर वह भीड़ में शामिल हो गई थी। अब पीछे से आकर उसने उसके लिबास को छुआ,
Mark UrduGeoD 5:28  क्योंकि उसने सोचा, “अगर मैं सिर्फ़ उसके लिबास को ही छू लूँ तो मैं शफ़ा पा लूँगी।”
Mark UrduGeoD 5:29  ख़ून बहना फ़ौरन बंद हो गया और उसने अपने जिस्म में महसूस किया कि मुझे इस अज़ियतनाक हालत से रिहाई मिल गई है।
Mark UrduGeoD 5:30  लेकिन उसी लमहे ईसा को ख़ुद महसूस हुआ कि मुझमें से तवानाई निकली है। उसने मुड़कर पूछा, “किसने मेरे कपड़ों को छुआ है?”
Mark UrduGeoD 5:31  उसके शागिर्दों ने जवाब दिया, “आप ख़ुद देख रहे हैं कि हुजूम आपको घेरकर दबा रहा है। तो फिर आप किस तरह पूछ सकते हैं कि किसने मुझे छुआ?”
Mark UrduGeoD 5:32  लेकिन ईसा अपने चारों तरफ़ देखता रहा कि किसने यह किया है।
Mark UrduGeoD 5:33  इस पर वह औरत यह जानकर कि मेरे साथ क्या हुआ है ख़ौफ़ के मारे लरज़ती हुई उसके पास आई। वह उसके सामने गिर पड़ी और उसे पूरी हक़ीक़त खोलकर बयान की।
Mark UrduGeoD 5:34  ईसा ने उससे कहा, “बेटी, तेरे ईमान ने तुझे बचा लिया है। सलामती से जा और अपनी अज़ियतनाक हालत से बची रह।”
Mark UrduGeoD 5:35  ईसा ने यह बात अभी ख़त्म नहीं की थी कि इबादतख़ाने के राहनुमा याईर के घर की तरफ़ से कुछ लोग पहुँचे और कहा, “आपकी बेटी फ़ौत हो चुकी है, अब उस्ताद को मज़ीद तकलीफ़ देने की क्या ज़रूरत?”
Mark UrduGeoD 5:36  उनकी यह बात नज़रंदाज़ करके ईसा ने याईर से कहा, “मत घबराओ, फ़क़त ईमान रखो।”
Mark UrduGeoD 5:37  फिर ईसा ने हुजूम को रोक लिया और सिर्फ़ पतरस, याक़ूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने साथ जाने की इजाज़त दी।
Mark UrduGeoD 5:38  जब इबादतख़ाने के राहनुमा के घर पहुँचे तो वहाँ बड़ी अफ़रा-तफ़री नज़र आई। लोग ख़ूब गिर्याओ-ज़ारी कर रहे थे।
Mark UrduGeoD 5:39  अंदर जाकर ईसा ने उनसे कहा, “यह कैसा शोर-शराबा है? क्यों रो रहे हो? लड़की मर नहीं गई बल्कि सो रही है।”
Mark UrduGeoD 5:40  लोग हँसकर उसका मज़ाक़ उड़ाने लगे। लेकिन उसने सबको बाहर निकाल दिया। फिर सिर्फ़ लड़की के वालिदैन और अपने तीन शागिर्दों को साथ लेकर वह उस कमरे में दाख़िल हुआ जिसमें लड़की पड़ी थी।
Mark UrduGeoD 5:41  उसने उसका हाथ पकड़कर कहा, “तलिथा क़ूम!” इसका मतलब है, “छोटी लड़की, मैं तुझे हुक्म देता हूँ कि जाग उठ!”
Mark UrduGeoD 5:42  लड़की फ़ौरन उठकर चलने-फिरने लगी। उस की उम्र बारह साल थी। यह देखकर लोग घबराकर हैरान रह गए।
Mark UrduGeoD 5:43  ईसा ने उन्हें संजीदगी से समझाया कि वह किसी को भी इसके बारे में न बताएँ। फिर उसने उन्हें कहा कि उसे खाने को कुछ दो।
Chapter 6
Mark UrduGeoD 6:1  फिर ईसा वहाँ से चला गया और अपने वतनी शहर नासरत में आया। उसके शागिर्द उसके साथ थे।
Mark UrduGeoD 6:2  सबत के दिन वह इबादतख़ाने में तालीम देने लगा। बेशतर लोग उस की बातें सुनकर हैरतज़दा हुए। उन्होंने पूछा, “इसे यह कहाँ से हासिल हुआ है? यह हिकमत जो इसे मिली है, और यह मोजिज़े जो इसके हाथों से होते हैं, यह क्या है?
Mark UrduGeoD 6:3  क्या यह वह बढ़ई नहीं है जो मरियम का बेटा है और जिसके भाई याक़ूब, यूसुफ़, यहूदाह और शमौन हैं? और क्या इसकी बहनें यहीं नहीं रहतीं?” यों उन्होंने उससे ठोकर खाकर उसे क़बूल न किया।
Mark UrduGeoD 6:4  ईसा ने उनसे कहा, “नबी की हर जगह इज़्ज़त होती है सिवाए उसके वतनी शहर, उसके रिश्तेदारों और उसके अपने ख़ानदान के।”
Mark UrduGeoD 6:5  वहाँ वह कोई मोजिज़ा न कर सका। उसने सिर्फ़ चंद एक मरीज़ों पर हाथ रखकर उनको शफ़ा दी।
Mark UrduGeoD 6:6  और वह उनकी बेएतक़ादी के सबब से बहुत हैरान था। इसके बाद ईसा ने इर्दगिर्द के इलाक़े में गाँव गाँव जाकर लोगों को तालीम दी।
Mark UrduGeoD 6:7  बारह शागिर्दों को बुलाकर वह उन्हें दो दो करके मुख़्तलिफ़ जगहों पर भेजने लगा। इसके लिए उसने उन्हें नापाक रूहों को निकालने का इख़्तियार देकर
Mark UrduGeoD 6:8  यह हिदायत की, “सफ़र पर अपने साथ कुछ न लेना सिवाए एक लाठी के। न रोटी, न सामान के लिए कोई बैग, न कमरबंद में कोई पैसा,
Mark UrduGeoD 6:9  न एक से ज़्यादा सूट। तुम जूते पहन सकते हो।
Mark UrduGeoD 6:10  जिस घर में भी दाख़िल हो उसमें उस मक़ाम से चले जाने तक ठहरो।
Mark UrduGeoD 6:11  और अगर कोई मक़ाम तुमको क़बूल न करे या तुम्हारी न सुने तो फिर रवाना होते वक़्त अपने पाँवों से गर्द झाड़ दो। यों तुम उनके ख़िलाफ़ गवाही दोगे।”
Mark UrduGeoD 6:12  चुनाँचे शागिर्द वहाँ से निकलकर मुनादी करने लगे कि लोग तौबा करें।
Mark UrduGeoD 6:13  उन्होंने बहुत-सी बदरूहें निकाल दीं और बहुत-से मरीज़ों पर ज़ैतून का तेल मलकर उन्हें शफ़ा दी।
Mark UrduGeoD 6:14  बादशाह हेरोदेस अंतिपास ने ईसा के बारे में सुना, क्योंकि उसका नाम मशहूर हो गया था। कुछ कह रहे थे, “यहया बपतिस्मा देनेवाला मुरदों में से जी उठा है, इसलिए इस क़िस्म की मोजिज़ाना ताक़तें उसमें नज़र आती हैं।” औरों ने सोचा, “यह इलियास नबी है।”
Mark UrduGeoD 6:15  यह ख़याल भी पेश किया जा रहा था कि वह क़दीम ज़माने के नबियों जैसा कोई नबी है।
Mark UrduGeoD 6:16  लेकिन जब हेरोदेस ने उसके बारे में सुना तो उसने कहा, “यहया जिसका मैंने सर क़लम करवाया है मुरदों में से जी उठा है।”
Mark UrduGeoD 6:17  वजह यह थी कि हेरोदेस के हुक्म पर ही यहया को गिरिफ़्तार करके जेल में डाला गया था। यह हेरोदियास की ख़ातिर हुआ था जो पहले हेरोदेस के भाई फ़िलिप्पुस की बीवी थी, लेकिन जिससे उसने अब ख़ुद शादी कर ली थी।
Mark UrduGeoD 6:18  यहया ने हेरोदेस को बताया था, “अपने भाई की बीवी से तेरी शादी नाजायज़ है।”
Mark UrduGeoD 6:19  इस वजह से हेरोदियास उससे कीना रखती और उसे क़त्ल कराना चाहती थी। लेकिन इसमें वह नाकाम रही
Mark UrduGeoD 6:20  क्योंकि हेरोदेस यहया से डरता था। वह जानता था कि यह आदमी रास्तबाज़ और मुक़द्दस है, इसलिए वह उस की हिफ़ाज़त करता था। जब भी उससे बात होती तो हेरोदेस सुन सुनकर बड़ी उलझन में पड़ जाता। तो भी वह उस की बातें सुनना पसंद करता था।
Mark UrduGeoD 6:21  आख़िरकार हेरोदियास को हेरोदेस की सालगिरह पर अच्छा मौक़ा मिल गया। सालगिरह को मनाने के लिए हेरोदेस ने अपने बड़े सरकारी अफ़सरों, मिल्ट्री कमाँडरों और गलील के अव्वल दर्जे के शहरियों की ज़ियाफ़त की।
Mark UrduGeoD 6:22  ज़ियाफ़त के दौरान हेरोदियास की बेटी अंदर आकर नाचने लगी। हेरोदेस और उसके मेहमानों को यह बहुत पसंद आया और उसने लड़की से कहा, “जो जी चाहे मुझसे माँग तो मैं वह तुझे दूँगा।”
Mark UrduGeoD 6:23  बल्कि उसने क़सम खाकर कहा, “जो भी तू माँगेगी मैं तुझे दूँगा, ख़ाह बादशाही का आधा हिस्सा ही क्यों न हो।”
Mark UrduGeoD 6:24  लड़की ने निकलकर अपनी माँ से पूछा, “मैं क्या माँगूँ?” माँ ने जवाब दिया, “यहया बपतिस्मा देनेवाले का सर।”
Mark UrduGeoD 6:25  लड़की फुरती से अंदर जाकर बादशाह के पास वापस आई और कहा, “मैं चाहती हूँ कि आप मुझे अभी अभी यहया बपतिस्मा देनेवाले का सर ट्रे में मँगवा दें।”
Mark UrduGeoD 6:26  यह सुनकर बादशाह को बहुत दुख हुआ। लेकिन अपनी क़समों और मेहमानों की मौजूदगी की वजह से वह इनकार करने के लिए भी तैयार नहीं था।
Mark UrduGeoD 6:27  चुनाँचे उसने फ़ौरन जल्लाद को भेजकर हुक्म दिया कि वह यहया का सर ले आए। जल्लाद ने जेल में जाकर यहया का सर क़लम कर दिया।
Mark UrduGeoD 6:28  फिर वह उसे ट्रे में रखकर ले आया और लड़की को दे दिया। लड़की ने उसे अपनी माँ के सुपुर्द किया।
Mark UrduGeoD 6:29  जब यहया के शागिर्दों को यह ख़बर पहुँची तो वह आए और उस की लाश लेकर उसे क़ब्र में रख दिया।
Mark UrduGeoD 6:30  रसूल वापस आकर ईसा के पास जमा हुए और उसे सब कुछ सुनाने लगे जो उन्होंने किया और सिखाया था।
Mark UrduGeoD 6:31  इस दौरान इतने लोग आ और जा रहे थे कि उन्हें खाना खाने का मौक़ा भी न मिला। इसलिए ईसा ने बारह शागिर्दों से कहा, “आओ, हम लोगों से अलग होकर किसी ग़ैरआबाद जगह जाएँ और आराम करें।”
Mark UrduGeoD 6:32  चुनाँचे वह कश्ती पर सवार होकर किसी वीरान जगह चले गए।
Mark UrduGeoD 6:33  लेकिन बहुत-से लोगों ने उन्हें जाते वक़्त पहचान लिया। वह पैदल चलकर तमाम शहरों से निकल आए और दौड़ दौड़कर उनसे पहले मनज़िले-मक़सूद तक पहुँच गए।
Mark UrduGeoD 6:34  जब ईसा ने कश्ती पर से उतरकर बड़े हुजूम को देखा तो उसे लोगों पर तरस आया, क्योंकि वह उन भेड़ों की मानिंद थे जिनका कोई चरवाहा न हो। वहीं वह उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा।
Mark UrduGeoD 6:35  जब दिन ढलने लगा तो उसके शागिर्द उसके पास आए और कहा, “यह जगह वीरान है और दिन ढलने लगा है।
Mark UrduGeoD 6:36  इनको रुख़सत कर दें ताकि यह इर्दगिर्द की बस्तियों और देहातों में जाकर खाने के लिए कुछ ख़रीद लें।”
Mark UrduGeoD 6:37  लेकिन ईसा ने उन्हें कहा, “तुम ख़ुद इन्हें कुछ खाने को दो।” उन्होंने पूछा, “हम इसके लिए दरकार चाँदी के 200 सिक्के कहाँ से लेकर रोटी ख़रीदने जाएँ और इन्हें खिलाएँ?”
Mark UrduGeoD 6:38  उसने कहा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं? जाकर पता करो!” उन्होंने मालूम किया। फिर दुबारा उसके पास आकर कहने लगे, “हमारे पास पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं।”
Mark UrduGeoD 6:39  इस पर ईसा ने उन्हें हिदायत दी, “तमाम लोगों को गुरोहों में हरी घास पर बिठा दो।”
Mark UrduGeoD 6:40  चुनाँचे लोग सौ सौ और पचास पचास की सूरत में बैठ गए।
Mark UrduGeoD 6:41  फिर ईसा ने उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर आसमान की तरफ़ देखा और शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसने रोटियों को तोड़ तोड़कर शागिर्दों को दिया ताकि वह लोगों में तक़सीम करें। उसने दो मछलियों को भी टुकड़े टुकड़े करके शागिर्दों के ज़रीए उनमें तक़सीम करवाया।
Mark UrduGeoD 6:42  और सबने जी भरकर खाया।
Mark UrduGeoD 6:43  जब शागिर्दों ने रोटियों और मछलियों के बचे हुए टुकड़े जमा किए तो बारह टोकरे भर गए।
Mark UrduGeoD 6:44  खानेवाले मर्दों की कुल तादाद 5,000 थी।
Mark UrduGeoD 6:45  इसके ऐन बाद ईसा ने अपने शागिर्दों को मजबूर किया कि वह कश्ती पर सवार होकर आगे निकलें और झील के पार के शहर बैत-सैदा जाएँ। इतने में वह हुजूम को रुख़सत करना चाहता था।
Mark UrduGeoD 6:46  उन्हें ख़ैरबाद कहने के बाद वह दुआ करने के लिए पहाड़ पर चढ़ गया।
Mark UrduGeoD 6:47  शाम के वक़्त शागिर्दों की कश्ती झील के बीच तक पहुँच गई थी जबकि ईसा ख़ुद ख़ुश्की पर अकेला रह गया था।
Mark UrduGeoD 6:48  वहाँ से उसने देखा कि शागिर्द कश्ती को खेने में बड़ी जिद्दो-जहद कर रहे हैं, क्योंकि हवा उनके ख़िलाफ़ चल रही थी। तक़रीबन तीन बजे रात के वक़्त ईसा पानी पर चलते हुए उनके पास आया। वह उनसे आगे निकलना चाहता था,
Mark UrduGeoD 6:49  लेकिन जब उन्होंने उसे झील की सतह पर चलते हुए देखा तो सोचने लगे, “यह कोई भूत है” और चीख़ें मारने लगे।
Mark UrduGeoD 6:50  क्योंकि सबने उसे देखकर दहशत खाई। लेकिन ईसा फ़ौरन उनसे मुख़ातिब होकर बोला, “हौसला रखो! मैं ही हूँ। मत घबराओ।”
Mark UrduGeoD 6:51  फिर वह उनके पास आया और कश्ती में बैठ गया। उसी वक़्त हवा थम गई। शागिर्द निहायत ही हैरतज़दा हुए।
Mark UrduGeoD 6:52  क्योंकि जब रोटियों का मोजिज़ा किया गया था तो वह इसका मतलब नहीं समझे थे बल्कि उनके दिल बेहिस हो गए थे।
Mark UrduGeoD 6:53  झील को पार करके वह गन्नेसरत शहर के पास पहुँच गए और लंगर डाल दिया।
Mark UrduGeoD 6:54  ज्योंही वह कश्ती से उतरे लोगों ने ईसा को पहचान लिया।
Mark UrduGeoD 6:55  वह भाग भागकर उस पूरे इलाक़े में से गुज़रे और मरीज़ों को चारपाइयों पर उठा उठाकर वहाँ ले आए जहाँ कहीं उन्हें ख़बर मिली कि वह ठहरा हुआ है।
Mark UrduGeoD 6:56  जहाँ भी वह गया चाहे गाँव, शहर या बस्ती में, वहाँ लोगों ने बीमारों को चौकों में रखकर उससे मिन्नत की कि वह कम अज़ कम उन्हें अपने लिबास के दामन को छूने दे। और जिसने भी उसे छुआ उसे शफ़ा मिली।
Chapter 7
Mark UrduGeoD 7:1  एक दिन फ़रीसी और शरीअत के कुछ आलिम यरूशलम से ईसा से मिलने आए।
Mark UrduGeoD 7:2  जब वह वहाँ थे तो उन्होंने देखा कि उसके कुछ शागिर्द अपने हाथ पाक-साफ़ किए बग़ैर यानी धोए बग़ैर खाना खा रहे हैं।
Mark UrduGeoD 7:3  (क्योंकि यहूदी और ख़ासकर फ़रीसी फ़िरक़े के लोग इस मामले में अपने बापदादा की रिवायत को मानते हैं। वह अपने हाथ अच्छी तरह धोए बग़ैर खाना नहीं खाते।
Mark UrduGeoD 7:4  इसी तरह जब वह कभी बाज़ार से आते हैं तो वह ग़ुस्ल करके ही खाना खाते हैं। वह बहुत-सी और रिवायतों पर भी अमल करते हैं, मसलन कप, जग और केतली को धोकर पाक-साफ़ करने की रस्म पर।)
Mark UrduGeoD 7:5  चुनाँचे फ़रीसियों और शरीअत के आलिमों ने ईसा से पूछा, “आपके शागिर्द बापदादा की रिवायतों के मुताबिक़ ज़िंदगी क्यों नहीं गुज़ारते बल्कि रोटी भी हाथ पाक-साफ़ किए बग़ैर खाते हैं?”
Mark UrduGeoD 7:6  ईसा ने जवाब दिया, “यसायाह नबी ने तुम रियाकारों के बारे में ठीक कहा जब उसने यह नबुव्वत की, ‘यह क़ौम अपने होंटों से तो मेरा एहतराम करती है लेकिन उसका दिल मुझसे दूर है।
Mark UrduGeoD 7:7  वह मेरी परस्तिश करते तो हैं, लेकिन बेफ़ायदा। क्योंकि वह सिर्फ़ इनसान ही के अहकाम सिखाते हैं।’
Mark UrduGeoD 7:8  तुम अल्लाह के अहकाम को छोड़कर इनसानी रिवायात की पैरवी करते हो।”
Mark UrduGeoD 7:9  ईसा ने अपनी बात जारी रखी, “तुम कितने सलीक़े से अल्लाह का हुक्म मनसूख़ करते हो ताकि अपनी रिवायात को क़ायम रख सको।
Mark UrduGeoD 7:10  मसलन मूसा ने फ़रमाया, ‘अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना’ और ‘जो अपने बाप या माँ पर लानत करे उसे सज़ाए-मौत दी जाए।’
Mark UrduGeoD 7:11  लेकिन जब कोई अपने वालिदैन से कहे, ‘मैं आपकी मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मैंने मन्नत मानी है कि जो मुझे आपको देना था वह अल्लाह के लिए क़ुरबानी है’ तो तुम इसे जायज़ क़रार देते हो।
Mark UrduGeoD 7:12  यों तुम उसे अपने माँ-बाप की मदद करने से रोक लेते हो।
Mark UrduGeoD 7:13  और इसी तरह तुम अल्लाह के कलाम को अपनी उस रिवायत से मनसूख़ कर लेते हो जो तुमने नसल-दर-नसल मुंतक़िल की है। तुम इस क़िस्म की बहुत-सी हरकतें करते हो।”
Mark UrduGeoD 7:14  फिर ईसा ने दुबारा हुजूम को अपने पास बुलाया और कहा, “सब मेरी बात सुनो और इसे समझने की कोशिश करो।
Mark UrduGeoD 7:15  कोई ऐसी चीज़ है नहीं जो इनसान में दाख़िल होकर उसे नापाक कर सके, बल्कि जो कुछ इनसान के अंदर से निकलता है वही उसे नापाक कर देता है।”
Mark UrduGeoD 7:16  [अगर कोई सुन सकता है तो वह सुन ले।]
Mark UrduGeoD 7:17  फिर वह हुजूम को छोड़कर किसी घर में दाख़िल हुआ। वहाँ उसके शागिर्दों ने पूछा, “इस तमसील का क्या मतलब है?”
Mark UrduGeoD 7:18  उसने कहा, “क्या तुम भी इतने नासमझ हो? क्या तुम नहीं समझते कि जो कुछ बाहर से इनसान में दाख़िल होता है वह उसे नापाक नहीं कर सकता?
Mark UrduGeoD 7:19  वह तो उसके दिल में नहीं जाता बल्कि उसके मेदे में और वहाँ से निकलकर जाए-ज़रूरत में।” (यह कहकर ईसा ने हर क़िस्म का खाना पाक-साफ़ क़रार दिया।)
Mark UrduGeoD 7:20  उसने यह भी कहा, “जो कुछ इनसान के अंदर से निकलता है वही उसे नापाक करता है।
Mark UrduGeoD 7:21  क्योंकि लोगों के अंदर से, उनके दिलों ही से बुरे ख़यालात, हरामकारी, चोरी, क़त्लो-ग़ारत,
Mark UrduGeoD 7:22  ज़िनाकारी, लालच, बदकारी, धोका, शहवतपरस्ती, हसद, बुहतान, ग़ुरूर और हमाक़त निकलते हैं।
Mark UrduGeoD 7:23  यह तमाम बुराइयाँ अंदर ही से निकलकर इनसान को नापाक कर देती हैं।”
Mark UrduGeoD 7:24  फिर ईसा गलील से रवाना होकर शिमाल में सूर के इलाक़े में आया। वहाँ वह किसी घर में दाख़िल हुआ। वह नहीं चाहता था कि किसी को पता चले, लेकिन वह पोशीदा न रह सका।
Mark UrduGeoD 7:25  फ़ौरन एक औरत उसके पास आई जिसने उसके बारे में सुन रखा था। वह उसके पाँवों में गिर गई। उस की छोटी बेटी किसी नापाक रूह के क़ब्ज़े में थी,
Mark UrduGeoD 7:26  और उसने ईसा से गुज़ारिश की, “बदरूह को मेरी बेटी में से निकाल दें।” लेकिन वह औरत यूनानी थी और सूरुफ़ेनीके के इलाक़े में पैदा हुई थी,
Mark UrduGeoD 7:27  इसलिए ईसा ने उसे बताया, “पहले बच्चों को जी भरकर खाने दे, क्योंकि यह मुनासिब नहीं कि बच्चों से खाना लेकर कुत्तों के सामने फेंक दिया जाए।”
Mark UrduGeoD 7:28  उसने जवाब दिया, “जी ख़ुदावंद, लेकिन मेज़ के नीचे के कुत्ते भी बच्चों के गिरे हुए टुकड़े खाते हैं।”
Mark UrduGeoD 7:29  ईसा ने कहा, “तूने अच्छा जवाब दिया, इसलिए जा, बदरूह तेरी बेटी में से निकल गई है।”
Mark UrduGeoD 7:30  औरत अपने घर वापस चली गई तो देखा कि लड़की बिस्तर पर पड़ी है और बदरूह उसमें से निकल चुकी है।
Mark UrduGeoD 7:31  जब ईसा सूर से रवाना हुआ तो वह पहले शिमाल में वाक़े शहर सैदा को चला गया। फिर वहाँ से भी फ़ारिग़ होकर वह दुबारा गलील की झील के किनारे वाक़े दिकपुलिस के इलाक़े में पहुँच गया।
Mark UrduGeoD 7:32  वहाँ उसके पास एक बहरा आदमी लाया गया जो मुश्किल ही से बोल सकता था। उन्होंने मिन्नत की कि वह अपना हाथ उस पर रखे।
Mark UrduGeoD 7:33  ईसा उसे हुजूम से दूर ले गया। उसने अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डालीं और थूककर आदमी की ज़बान को छुआ।
Mark UrduGeoD 7:34  फिर आसमान की तरफ़ नज़र उठाकर उसने आह भरी और उससे कहा, “इफ़्फ़तह!” (इसका मतलब है “खुल जा!”)
Mark UrduGeoD 7:35  फ़ौरन आदमी के कान खुल गए, ज़बान का बंधन टूट गया और वह ठीक ठीक बोलने लगा।
Mark UrduGeoD 7:36  ईसा ने हाज़िरीन को हुक्म दिया कि वह किसी को यह बात न बताएँ। लेकिन जितना वह मना करता था उतना ही लोग इसकी ख़बर फैलाते थे।
Mark UrduGeoD 7:37  वह निहायत ही हैरान हुए और कहने लगे, “इसने सब कुछ अच्छा किया है, यह बहरों को सुनने की ताक़त देता है और गूँगों को बोलने की।”
Chapter 8
Mark UrduGeoD 8:1  उन दिनों में एक और मरतबा ऐसा हुआ कि बहुत-से लोग जमा हुए जिनके पास खाने का बंदोबस्त नहीं था। चुनाँचे ईसा ने अपने शागिर्दों को बुलाकर उनसे कहा,
Mark UrduGeoD 8:2  “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। इन्हें मेरे साथ ठहरे तीन दिन हो चुके हैं और इनके पास खाने की कोई चीज़ नहीं है।
Mark UrduGeoD 8:3  लेकिन अगर मैं इन्हें रुख़सत कर दूँ और वह इस भूकी हालत में अपने अपने घर चले जाएँ तो वह रास्ते में थककर चूर हो जाएंगे। और इनमें से कई दूर-दराज़ से आए हैं।”
Mark UrduGeoD 8:4  उसके शागिर्दों ने जवाब दिया, “इस वीरान इलाक़े में कहाँ से इतना खाना मिल सकेगा कि यह खाकर सेर हो जाएँ?”
Mark UrduGeoD 8:5  ईसा ने पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “सात।”
Mark UrduGeoD 8:6  ईसा ने हुजूम को ज़मीन पर बैठने को कहा। फिर सात रोटियों को लेकर उसने शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उन्हें तोड़ तोड़कर अपने शागिर्दों को तक़सीम करने के लिए दे दिया।
Mark UrduGeoD 8:7  उनके पास दो-चार छोटी मछलियाँ भी थीं। ईसा ने उन पर भी शुक्रगुज़ारी की दुआ की और शागिर्दों को उन्हें बाँटने को कहा।
Mark UrduGeoD 8:8  लोगों ने जी भरकर खाया। बाद में जब खाने के बचे हुए टुकड़े जमा किए गए तो सात बड़े टोकरे भर गए।
Mark UrduGeoD 8:9  तक़रीबन 4,000 आदमी हाज़िर थे। खाने के बाद ईसा ने उन्हें रुख़सत कर दिया
Mark UrduGeoD 8:10  और फ़ौरन कश्ती पर सवार होकर अपने शागिर्दों के साथ दल्मनूता के इलाक़े में पहुँच गया।
Mark UrduGeoD 8:11  इस पर फ़रीसी निकलकर ईसा के पास आए और उससे बहस करने लगे। उसे आज़माने के लिए उन्होंने मुतालबा किया कि वह उन्हें आसमान की तरफ़ से कोई इलाही निशान दिखाए ताकि उसका इख़्तियार साबित हो जाए।
Mark UrduGeoD 8:12  लेकिन उसने ठंडी आह भरकर कहा, “यह नसल क्यों इलाही निशान का मुतालबा करती है? मैं तुमको सच बताता हूँ कि इसे कोई निशान नहीं दिया जाएगा।”
Mark UrduGeoD 8:13  और उन्हें छोड़कर वह दुबारा कश्ती में बैठ गया और झील को पार करने लगा।
Mark UrduGeoD 8:14  लेकिन शागिर्द अपने साथ खाना लाना भूल गए थे। कश्ती में उनके पास सिर्फ़ एक रोटी थी।
Mark UrduGeoD 8:15  ईसा ने उन्हें हिदायत की, “ख़बरदार, फ़रीसियों और हेरोदेस के ख़मीर से होशियार रहना।”
Mark UrduGeoD 8:16  शागिर्द आपस में बहस करने लगे, “वह इसलिए कह रहे होंगे कि हमारे पास रोटी नहीं है।”
Mark UrduGeoD 8:17  ईसा को मालूम हुआ कि वह क्या सोच रहे हैं। उसने कहा, “तुम आपस में क्यों बहस कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं है? क्या तुम अब तक न जानते, न समझते हो? क्या तुम्हारे दिल इतने बेहिस हो गए हैं?
Mark UrduGeoD 8:18  तुम्हारी आँखें तो हैं, क्या तुम देख नहीं सकते? तुम्हारे कान तो हैं, क्या तुम सुन नहीं सकते? और क्या तुम्हें याद नहीं
Mark UrduGeoD 8:19  जब मैंने 5,000 आदमियों को पाँच रोटियों से सेर कर दिया तो तुमने बचे हुए टुकड़ों के कितने टोकरे उठाए थे?” उन्होंने जवाब दिया, “बारह”।
Mark UrduGeoD 8:20  “और जब मैंने 4,000 आदमियों को सात रोटियों से सेर कर दिया तो तुमने बचे हुए टुकड़ों के कितने टोकरे उठाए थे?” उन्होंने जवाब दिया, “सात।”
Mark UrduGeoD 8:21  उसने पूछा, “क्या तुम अभी तक नहीं समझते?”
Mark UrduGeoD 8:22  वह बैत-सैदा पहुँचे तो लोग ईसा के पास एक अंधे आदमी को लाए। उन्होंने इलतमास की कि वह उसे छुए।
Mark UrduGeoD 8:23  ईसा अंधे का हाथ पकड़कर उसे गाँव से बाहर ले गया। वहाँ उसने उस की आँखों पर थूककर अपने हाथ उस पर रख दिए और पूछा, “क्या तू कुछ देख सकता है?”
Mark UrduGeoD 8:24  आदमी ने नज़र उठाकर कहा, “हाँ, मैं लोगों को देख सकता हूँ। वह फिरते हुए दरख़्तों की मानिंद दिखाई दे रहे हैं।”
Mark UrduGeoD 8:25  ईसा ने दुबारा अपने हाथ उस की आँखों पर रखे। इस पर आदमी की आँखें पूरे तौर पर खुल गईं, उस की नज़र बहाल हो गई और वह सब कुछ साफ़ साफ़ देख सकता था।
Mark UrduGeoD 8:26  ईसा ने उसे रुख़सत करके कहा, “इस गाँव में वापस न जाना बल्कि सीधा अपने घर चला जा।”
Mark UrduGeoD 8:27  फिर ईसा वहाँ से निकलकर अपने शागिर्दों के साथ क़ैसरिया-फ़िलिप्पी के क़रीब के देहातों में गया। चलते चलते उसने उनसे पूछा, “मैं लोगों के नज़दीक कौन हूँ?”
Mark UrduGeoD 8:28  उन्होंने जवाब दिया, “कुछ कहते हैं यहया बपतिस्मा देनेवाला, कुछ यह कि आप इलियास नबी हैं। कुछ यह भी कहते हैं कि नबियों में से एक।”
Mark UrduGeoD 8:29  उसने पूछा, “लेकिन तुम क्या कहते हो? तुम्हारे नज़दीक मैं कौन हूँ?” पतरस ने जवाब दिया, “आप मसीह हैं।”
Mark UrduGeoD 8:30  यह सुनकर ईसा ने उन्हें किसी को भी यह बात बताने से मना किया।
Mark UrduGeoD 8:31  फिर ईसा उन्हें तालीम देने लगा, “लाज़िम है कि इब्ने-आदम बहुत दुख उठाकर बुज़ुर्गों, राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा से रद्द किया जाए। उसे क़त्ल भी किया जाएगा, लेकिन वह तीसरे दिन जी उठेगा।”
Mark UrduGeoD 8:32  उसने उन्हें यह बात साफ़ साफ़ बताई। इस पर पतरस उसे एक तरफ़ ले जाकर समझाने लगा।
Mark UrduGeoD 8:33  ईसा मुड़कर शागिर्दों की तरफ़ देखने लगा। उसने पतरस को डाँटा, “शैतान, मेरे सामने से हट जा! तू अल्लाह की सोच नहीं रखता बल्कि इनसान की।”
Mark UrduGeoD 8:34  फिर उसने शागिर्दों के अलावा हुजूम को भी अपने पास बुलाया। उसने कहा, “जो मेरे पीछे आना चाहे वह अपने आपका इनकार करे और अपनी सलीब उठाकर मेरे पीछे हो ले।
Mark UrduGeoD 8:35  क्योंकि जो अपनी जान को बचाए रखना चाहे वह उसे खो देगा। लेकिन जो मेरी और अल्लाह की ख़ुशख़बरी की ख़ातिर अपनी जान खो दे वही उसे बचाएगा।
Mark UrduGeoD 8:36  क्या फ़ायदा है अगर किसी को पूरी दुनिया हासिल हो जाए, लेकिन वह अपनी जान से महरूम हो जाए?
Mark UrduGeoD 8:37  इनसान अपनी जान के बदले क्या दे सकता है?
Mark UrduGeoD 8:38  जो भी इस ज़िनाकार और गुनाहआलूदा नसल के सामने मेरे और मेरी बातों के सबब से शरमाए उससे इब्ने-आदम भी उस वक़्त शरमाएगा जब वह अपने बाप के जलाल में मुक़द्दस फ़रिश्तों के साथ आएगा।”
Chapter 9
Mark UrduGeoD 9:1  ईसा ने उन्हें यह भी बताया, “मैं तुमको सच बताता हूँ, यहाँ कुछ ऐसे लोग खड़े हैं जो मरने से पहले ही अल्लाह की बादशाही को क़ुदरत के साथ आते हुए देखेंगे।”
Mark UrduGeoD 9:2  छः दिन के बाद ईसा सिर्फ़ पतरस, याक़ूब और यूहन्ना को अपने साथ लेकर ऊँचे पहाड़ पर चढ़ गया। वहाँ उस की शक्लो-सूरत उनके सामने बदल गई।
Mark UrduGeoD 9:3  उसके कपड़े चमकने लगे और निहायत सफ़ेद हो गए। दुनिया में कोई भी धोबी कपड़े इतने सफ़ेद नहीं कर सकता।
Mark UrduGeoD 9:4  फिर इलियास और मूसा ज़ाहिर हुए और ईसा से बात करने लगे।
Mark UrduGeoD 9:5  पतरस बोल उठा, “उस्ताद, कितनी अच्छी बात है कि हम यहाँ हैं। आएँ, हम तीन झोंपड़ियाँ बनाएँ, एक आपके लिए, एक मूसा के लिए और एक इलियास के लिए।”
Mark UrduGeoD 9:6  उसने यह इसलिए कहा कि तीनों शागिर्द सहमे हुए थे और वह नहीं जानता था कि क्या कहे।
Mark UrduGeoD 9:7  इस पर एक बादल आकर उन पर छा गया और बादल में से एक आवाज़ सुनाई दी, “यह मेरा प्यारा फ़रज़ंद है। इसकी सुनो।”
Mark UrduGeoD 9:8  अचानक मूसा और इलियास ग़ायब हो गए। शागिर्दों ने चारों तरफ़ देखा, लेकिन सिर्फ़ ईसा नज़र आया।
Mark UrduGeoD 9:9  वह पहाड़ से उतरने लगे तो ईसा ने उन्हें हुक्म दिया, “जो कुछ तुमने देखा है उसे उस वक़्त तक किसी को न बताना जब तक कि इब्ने-आदम मुरदों में से जी न उठे।”
Mark UrduGeoD 9:10  चुनाँचे उन्होंने यह बात अपने तक महदूद रखी। लेकिन वह कई बार आपस में बहस करने लगे कि मुरदों में से जी उठने से क्या मुराद हो सकती है।
Mark UrduGeoD 9:11  फिर उन्होंने उससे पूछा, “शरीअत के उलमा क्यों कहते हैं कि मसीह की आमद से पहले इलियास का आना ज़रूरी है?”
Mark UrduGeoD 9:12  ईसा ने जवाब दिया, “इलियास तो ज़रूर पहले सब कुछ बहाल करने के लिए आएगा। लेकिन कलामे-मुक़द्दस में इब्ने-आदम के बारे में यह क्यों लिखा है कि उसे बहुत दुख उठाना और हक़ीर समझा जाना है?
Mark UrduGeoD 9:13  लेकिन मैं तुमको बताता हूँ, इलियास तो आ चुका है और उन्होंने उसके साथ जो चाहा किया। यह भी कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ ही हुआ है।”
Mark UrduGeoD 9:14  जब वह बाक़ी शागिर्दों के पास वापस पहुँचे तो उन्होंने देखा कि उनके गिर्द एक बड़ा हुजूम जमा है और शरीअत के कुछ उलमा उनके साथ बहस कर रहे हैं।
Mark UrduGeoD 9:15  ईसा को देखते ही लोगों ने बड़ी बेचैनी से उस की तरफ़ दौड़कर उसे सलाम किया।
Mark UrduGeoD 9:16  उसने शागिर्दों से सवाल किया, “तुम उनके साथ किसके बारे में बहस कर रहे हो?”
Mark UrduGeoD 9:17  हुजूम में से एक आदमी ने जवाब दिया, “उस्ताद, मैं अपने बेटे को आपके पास लाया था। वह ऐसी बदरूह के क़ब्ज़े में है जो उसे बोलने नहीं देती।
Mark UrduGeoD 9:18  और जब भी वह उस पर ग़ालिब आती है वह उसे ज़मीन पर पटक देती है। बेटे के मुँह से झाग निकलने लगता और वह दाँत पीसने लगता है। फिर उसका जिस्म अकड़ जाता है। मैंने आपके शागिर्दों से कहा तो था कि वह बदरूह को निकाल दें, लेकिन वह न निकाल सके।”
Mark UrduGeoD 9:19  ईसा ने उनसे कहा, “ईमान से ख़ाली नसल! मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँ, कब तक तुम्हें बरदाश्त करूँ? लड़के को मेरे पास ले आओ।”
Mark UrduGeoD 9:20  वह उसे ईसा के पास ले आए। ईसा को देखते ही बदरूह लड़के को झँझोड़ने लगी। वह ज़मीन पर गिर गया और इधर उधर लुढ़कते हुए मुँह से झाग निकालने लगा।
Mark UrduGeoD 9:21  ईसा ने बाप से पूछा, “इसके साथ कब से ऐसा हो रहा है?” उसने जवाब दिया, “बचपन से।
Mark UrduGeoD 9:22  बहुत दफ़ा उसने इसे हलाक करने की ख़ातिर आग या पानी में गिराया है। अगर आप कुछ कर सकते हैं तो तरस खाकर हमारी मदद करें।”
Mark UrduGeoD 9:23  ईसा ने पूछा, “क्या मतलब, ‘अगर आप कुछ कर सकते हैं’? जो ईमान रखता है उसके लिए सब कुछ मुमकिन है।”
Mark UrduGeoD 9:24  लड़के का बाप फ़ौरन चिल्ला उठा, “मैं ईमान रखता हूँ। मेरी बेएतक़ादी का इलाज करें।”
Mark UrduGeoD 9:25  ईसा ने देखा कि बहुत-से लोग दौड़ दौड़कर देखने आ रहे हैं, इसलिए उसने नापाक रूह को डाँटा, “ऐ गूँगी और बहरी बदरूह, मैं तुझे हुक्म देता हूँ कि इसमें से निकल जा। कभी भी इसमें दुबारा दाख़िल न होना!”
Mark UrduGeoD 9:26  इस पर बदरूह चीख़ उठी और लड़के को शिद्दत से झँझोड़कर निकल गई। लड़का लाश की तरह ज़मीन पर पड़ा रहा, इसलिए सबने कहा, “वह मर गया है।”
Mark UrduGeoD 9:27  लेकिन ईसा ने उसका हाथ पकड़कर उठने में उस की मदद की और वह खड़ा हो गया।
Mark UrduGeoD 9:28  बाद में जब ईसा किसी घर में जाकर अपने शागिर्दों के साथ अकेला था तो उन्होंने उससे पूछा, “हम बदरूह को क्यों न निकाल सके?”
Mark UrduGeoD 9:29  उसने जवाब दिया, “इस क़िस्म की बदरूह सिर्फ़ दुआ से निकाली जा सकती है।”
Mark UrduGeoD 9:30  वहाँ से निकलकर वह गलील में से गुज़रे। ईसा नहीं चाहता था कि किसी को पता चले कि वह कहाँ है,
Mark UrduGeoD 9:31  क्योंकि वह अपने शागिर्दों को तालीम दे रहा था। उसने उनसे कहा, “इब्ने-आदम को आदमियों के हवाले कर दिया जाएगा। वह उसे क़त्ल करेंगे, लेकिन तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”
Mark UrduGeoD 9:32  लेकिन शागिर्द इसका मतलब न समझे और वह ईसा से इसके बारे में पूछने से डरते भी थे।
Mark UrduGeoD 9:33  चलते चलते वह कफ़र्नहूम पहुँचे। जब वह किसी घर में थे तो ईसा ने शागिर्दों से सवाल किया, “रास्ते में तुम किस बात पर बहस कर रहे थे?”
Mark UrduGeoD 9:34  लेकिन वह ख़ामोश रहे, क्योंकि वह रास्ते में इस पर बहस कर रहे थे कि हममें से बड़ा कौन है?
Mark UrduGeoD 9:35  ईसा बैठ गया और बारह शागिर्दों को बुलाकर कहा, “जो अव्वल होना चाहता है वह सबसे आख़िर में आए और सबका ख़ादिम हो।”
Mark UrduGeoD 9:36  फिर उसने एक छोटे बच्चे को लेकर उनके दरमियान खड़ा किया। उसे गले लगाकर उसने उनसे कहा,
Mark UrduGeoD 9:37  “जो मेरे नाम में इन बच्चों में से किसी को क़बूल करता है वह मुझे ही क़बूल करता है। और जो मुझे क़बूल करता है वह मुझे नहीं बल्कि उसे क़बूल करता है जिसने मुझे भेजा है।”
Mark UrduGeoD 9:38  यूहन्ना बोल उठा, “उस्ताद, हमने एक शख़्स को देखा जो आपका नाम लेकर बदरूहें निकाल रहा था। हमने उसे मना किया, क्योंकि वह हमारी पैरवी नहीं करता।”
Mark UrduGeoD 9:39  लेकिन ईसा ने कहा, “उसे मना न करना। जो भी मेरे नाम में मोजिज़ा करे वह अगले लमहे मेरे बारे में बुरी बातें नहीं कह सकेगा।
Mark UrduGeoD 9:40  क्योंकि जो हमारे ख़िलाफ़ नहीं वह हमारे हक़ में है।
Mark UrduGeoD 9:41  मैं तुमको सच बताता हूँ, जो भी तुम्हें इस वजह से पानी का गलास पिलाए कि तुम मसीह के पैरोकार हो उसे ज़रूर अज्र मिलेगा।
Mark UrduGeoD 9:42  और जो कोई मुझ पर ईमान रखनेवाले इन छोटों में से किसी को गुनाह करने पर उकसाए उसके लिए बेहतर है कि उसके गले में बड़ी चक्की का पाट बाँधकर उसे समुंदर में फेंक दिया जाए।
Mark UrduGeoD 9:43  अगर तेरा हाथ तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तू दो हाथों समेत जहन्नुम की कभी न बुझनेवाली आग में चला जाए [यानी वहाँ जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक हाथ से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:44  अगर तेरा हाथ तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तू दो हाथों समेत जहन्नुम की कभी न बुझनेवाली आग में चला जाए [यानी वहाँ जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक हाथ से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:45  अगर तेरा पाँव तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तुझे दो पाँवों समेत जहन्नुम में फेंका जाए [जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक पाँव से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:46  अगर तेरा पाँव तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तुझे दो पाँवों समेत जहन्नुम में फेंका जाए [जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक पाँव से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:47  और अगर तेरी आँख तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे निकाल देना। इससे पहले कि तुझे दो आँखों समेत जहन्नुम में फेंका जाए जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती बेहतर यह है कि तू एक आँख से महरूम होकर अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:48  और अगर तेरी आँख तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे निकाल देना। इससे पहले कि तुझे दो आँखों समेत जहन्नुम में फेंका जाए जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती बेहतर यह है कि तू एक आँख से महरूम होकर अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो।
Mark UrduGeoD 9:49  क्योंकि हर एक को आग से नमकीन किया जाएगा [और हर एक क़ुरबानी नमक से नमकीन की जाएगी]।
Mark UrduGeoD 9:50  नमक अच्छी चीज़ है। लेकिन अगर उसका ज़ायक़ा जाता रहे तो उसे क्योंकर दुबारा नमकीन किया जा सकता है? अपने दरमियान नमक की खूबियाँ बरक़रार रखो और सुलह-सलामती से एक दूसरे के साथ ज़िंदगी गुज़ारो।”
Chapter 10
Mark UrduGeoD 10:1  फिर ईसा उस जगह को छोड़कर यहूदिया के इलाक़े में और दरियाए-यरदन के पार चला गया। वहाँ भी हुजूम जमा हो गया। उसने उन्हें मामूल के मुताबिक़ तालीम दी।
Mark UrduGeoD 10:2  कुछ फ़रीसी आए और उसे फँसाने की ग़रज़ से सवाल किया, “क्या जायज़ है कि मर्द अपनी बीवी को तलाक़ दे?”
Mark UrduGeoD 10:3  ईसा ने उनसे पूछा, “मूसा ने शरीअत में तुमको क्या हिदायत की है?”
Mark UrduGeoD 10:4  उन्होंने कहा, “उसने इजाज़त दी है कि आदमी तलाक़नामा लिखकर बीवी को रुख़सत कर दे।”
Mark UrduGeoD 10:5  ईसा ने जवाब दिया, “मूसा ने तुम्हारी सख़्तदिली की वजह से तुम्हारे लिए यह हुक्म लिखा था।
Mark UrduGeoD 10:6  लेकिन इब्तिदा में ऐसा नहीं था। दुनिया की तख़लीक़ के वक़्त अल्लाह ने उन्हें मर्द और औरत बनाया।
Mark UrduGeoD 10:7  ‘इसलिए मर्द अपने माँ-बाप को छोड़कर अपनी बीवी के साथ पैवस्त हो जाता है।
Mark UrduGeoD 10:8  वह दोनों एक हो जाते हैं।’ यों वह कलामे-मुक़द्दस के मुताबिक़ दो नहीं रहते बल्कि एक हो जाते हैं।
Mark UrduGeoD 10:9  तो जिसे अल्लाह ने ख़ुद जोड़ा है उसे इनसान जुदा न करे।”
Mark UrduGeoD 10:10  किसी घर में आकर शागिर्दों ने यह बात दुबारा छेड़कर ईसा से मज़ीद दरियाफ़्त किया।
Mark UrduGeoD 10:11  उसने उन्हें बताया, “जो अपनी बीवी को तलाक़ देकर किसी और से शादी करे वह उसके साथ ज़िना करता है।
Mark UrduGeoD 10:12  और जो औरत अपने ख़ाविंद को तलाक़ देकर किसी और से शादी करे वह भी ज़िना करती है।”
Mark UrduGeoD 10:13  एक दिन लोग अपने छोटे बच्चों को ईसा के पास लाए ताकि वह उन्हें छुए। लेकिन शागिर्दों ने उनको मलामत की।
Mark UrduGeoD 10:14  यह देखकर ईसा नाराज़ हुआ। उसने उनसे कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो और उन्हें न रोको, क्योंकि अल्लाह की बादशाही इन जैसे लोगों को हासिल है।
Mark UrduGeoD 10:15  मैं तुमको सच बताता हूँ, जो अल्लाह की बादशाही को बच्चे की तरह क़बूल न करे वह उसमें दाख़िल नहीं होगा।”
Mark UrduGeoD 10:16  यह कहकर उसने उन्हें गले लगाया और अपने हाथ उन पर रखकर उन्हें बरकत दी।
Mark UrduGeoD 10:17  जब ईसा रवाना होने लगा तो एक आदमी दौड़कर उसके पास आया और उसके सामने घुटने टेककर पूछा, “नेक उस्ताद, मैं क्या करूँ ताकि अबदी ज़िंदगी मीरास में पाऊँ?”
Mark UrduGeoD 10:18  ईसा ने पूछा, “तू मुझे नेक क्यों कहता है? कोई नेक नहीं सिवाए एक के और वह है अल्लाह।
Mark UrduGeoD 10:19  तू शरीअत के अहकाम से तो वाक़िफ़ है। क़त्ल न करना, ज़िना न करना, चोरी न करना, झूटी गवाही न देना, धोका न देना, अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना।”
Mark UrduGeoD 10:20  आदमी ने जवाब दिया, “उस्ताद, मैंने जवानी से आज तक इन तमाम अहकाम की पैरवी की है।”
Mark UrduGeoD 10:21  ईसा ने ग़ौर से उस की तरफ़ देखा। उसके दिल में उसके लिए प्यार उभर आया। वह बोला, “एक काम रह गया है। जा, अपनी पूरी जायदाद फ़रोख़्त करके पैसे ग़रीबों में तक़सीम कर दे। फिर तेरे लिए आसमान पर ख़ज़ाना जमा हो जाएगा। इसके बाद आकर मेरे पीछे हो ले।”
Mark UrduGeoD 10:22  यह सुनकर आदमी का मुँह लटक गया और वह मायूस होकर चला गया, क्योंकि वह निहायत दौलतमंद था।
Mark UrduGeoD 10:23  ईसा ने अपने इर्दगिर्द देखकर शागिर्दों से कहा, “दौलतमंदों के लिए अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है!”
Mark UrduGeoD 10:24  शागिर्द उसके यह अलफ़ाज़ सुनकर हैरान हुए। लेकिन ईसा ने दुबारा कहा, “बच्चो! अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है।
Mark UrduGeoD 10:25  अमीर के अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होने की निसबत ज़्यादा आसान यह है कि ऊँट सूई के नाके में से गुज़र जाए।”
Mark UrduGeoD 10:26  इस पर शागिर्द मज़ीद हैरतज़दा हुए और एक दूसरे से कहने लगे, “फिर किस को नजात मिल सकती है?”
Mark UrduGeoD 10:27  ईसा ने ग़ौर से उनकी तरफ़ देखकर जवाब दिया, “यह इनसान के लिए तो नामुमकिन है, लेकिन अल्लाह के लिए नहीं। उसके लिए सब कुछ मुमकिन है।”
Mark UrduGeoD 10:28  फिर पतरस बोल उठा, “हम तो अपना सब कुछ छोड़कर आपके पीछे हो लिए हैं।”
Mark UrduGeoD 10:29  ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ, जिसने भी मेरी और अल्लाह की ख़ुशख़बरी की ख़ातिर अपने घर, भाइयों, बहनों, माँ, बाप, बच्चों या खेतों को छोड़ दिया है
Mark UrduGeoD 10:30  उसे इस ज़माने में ईज़ारसानी के साथ साथ सौ गुना ज़्यादा घर, भाई, बहनें, माएँ, बच्चे और खेत मिल जाएंगे। और आनेवाले ज़माने में उसे अबदी ज़िंदगी मिलेगी।
Mark UrduGeoD 10:31  लेकिन बहुत-से लोग जो अब अव्वल हैं उस वक़्त आख़िर होंगे और जो अब आख़िर हैं वह अव्वल होंगे।”
Mark UrduGeoD 10:32  अब वह यरूशलम की तरफ़ बढ़ रहे थे और ईसा उनके आगे आगे चल रहा था। शागिर्द हैरतज़दा थे जबकि उनके पीछे चलनेवाले लोग सहमे हुए थे। एक और दफ़ा बारह शागिर्दों को एक तरफ़ ले जाकर ईसा उन्हें वह कुछ बताने लगा जो उसके साथ होने को था।
Mark UrduGeoD 10:33  उसने कहा, “हम यरूशलम की तरफ़ बढ़ रहे हैं। वहाँ इब्ने-आदम को राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा के हवाले कर दिया जाएगा। वह उस पर सज़ाए-मौत का फ़तवा देकर उसे ग़ैरयहूदियों के हवाले कर देंगे,
Mark UrduGeoD 10:34  जो उसका मज़ाक़ उड़ाएँगे, उस पर थूकेंगे, उसको कोड़े मारेंगे और उसे क़त्ल करेंगे। लेकिन तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”
Mark UrduGeoD 10:35  फिर ज़बदी के बेटे याक़ूब और यूहन्ना उसके पास आए। वह कहने लगे, “उस्ताद, आपसे एक गुज़ारिश है।”
Mark UrduGeoD 10:36  उसने पूछा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करूँ?”
Mark UrduGeoD 10:37  उन्होंने जवाब दिया, “जब आप अपने जलाली तख़्त पर बैठेंगे तो हममें से एक को अपने दाएँ हाथ बैठने दें और दूसरे को बाएँ हाथ।”
Mark UrduGeoD 10:38  ईसा ने कहा, “तुमको नहीं मालूम कि क्या माँग रहे हो। क्या तुम वह प्याला पी सकते हो जो मैं पीने को हूँ या वह बपतिस्मा ले सकते हो जो मैं लेने को हूँ?”
Mark UrduGeoD 10:39  उन्होंने जवाब दिया, “जी, हम कर सकते हैं।” फिर ईसा ने उनसे कहा, “तुम ज़रूर वह प्याला पियोगे जो मैं पीने को हूँ और वह बपतिस्मा लोगे जो मैं लेने को हूँ।
Mark UrduGeoD 10:40  लेकिन यह फ़ैसला करना मेरा काम नहीं कि कौन मेरे दाएँ हाथ बैठेगा और कौन बाएँ हाथ। अल्लाह ने यह मक़ाम सिर्फ़ उन्हीं के लिए तैयार किया है जिनको उसने ख़ुद मुक़र्रर किया है।”
Mark UrduGeoD 10:41  जब बाक़ी दस शागिर्दों ने यह सुना तो उन्हें याक़ूब और यूहन्ना पर ग़ुस्सा आया।
Mark UrduGeoD 10:42  इस पर ईसा ने उन सबको बुलाकर कहा, “तुम जानते हो कि क़ौमों के हुक्मरान अपनी रिआया पर रोब डालते हैं, और उनके बड़े अफ़सर उन पर अपने इख़्तियार का ग़लत इस्तेमाल करते हैं।
Mark UrduGeoD 10:43  लेकिन तुम्हारे दरमियान ऐसा नहीं है। जो तुममें बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा ख़ादिम बने
Mark UrduGeoD 10:44  और जो तुममें अव्वल होना चाहे वह सबका ग़ुलाम बने।
Mark UrduGeoD 10:45  क्योंकि इब्ने-आदम भी इसलिए नहीं आया कि ख़िदमत ले बल्कि इसलिए कि ख़िदमत करे और अपनी जान फ़िद्या के तौर पर देकर बहुतों को छुड़ाए।”
Mark UrduGeoD 10:46  वह यरीहू पहुँच गए। उसमें से गुज़रकर ईसा शागिर्दों और एक बड़े हुजूम के साथ बाहर निकलने लगा। वहाँ एक अंधा भीक माँगनेवाला रास्ते के किनारे बैठा था। उसका नाम बरतिमाई (तिमाई का बेटा) था।
Mark UrduGeoD 10:47  जब उसने सुना कि ईसा नासरी क़रीब ही है तो वह चिल्लाने लगा, “ईसा इब्ने-दाऊद, मुझ पर रहम करें!”
Mark UrduGeoD 10:48  बहुत-से लोगों ने उसे डाँटकर कहा, “ख़ामोश!” लेकिन वह मज़ीद ऊँची आवाज़ से पुकारता रहा, “इब्ने-दाऊद, मुझ पर रहम करें!”
Mark UrduGeoD 10:49  ईसा रुककर बोला, “उसे बुलाओ।” चुनाँचे उन्होंने उसे बुलाकर कहा, “हौसला रख। उठ, वह तुझे बुला रहा है।”
Mark UrduGeoD 10:50  बरतिमाई ने अपनी चादर ज़मीन पर फेंक दी और उछलकर ईसा के पास आया।
Mark UrduGeoD 10:51  ईसा ने पूछा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?” उसने जवाब दिया, “उस्ताद, यह कि मैं देख सकूँ।”
Mark UrduGeoD 10:52  ईसा ने कहा, “जा, तेरे ईमान ने तुझे बचा लिया है।” ज्योंही ईसा ने यह कहा अंधे की आँखें बहाल हो गईं और वह ईसा के पीछे चलने लगा।
Chapter 11
Mark UrduGeoD 11:1  वह यरूशलम के क़रीब बैत-फ़गे और बैत-अनियाह पहुँचने लगे। यह गाँव ज़ैतून के पहाड़ पर वाक़े थे। ईसा ने अपने शागिर्दों में से दो को भेजा
Mark UrduGeoD 11:2  और कहा, “सामनेवाले गाँव में जाओ। वहाँ तुम एक जवान गधा देखोगे। वह बँधा हुआ होगा और अब तक कोई भी उस पर सवार नहीं हुआ है। उसे खोलकर यहाँ ले आओ।
Mark UrduGeoD 11:3  अगर कोई पूछे कि यह क्या कर रहे हो तो उसे बता देना, ‘ख़ुदावंद को इसकी ज़रूरत है। वह जल्द ही इसे वापस भेज देंगे’।”
Mark UrduGeoD 11:4  दोनों शागिर्द वहाँ गए तो एक जवान गधा देखा जो बाहर गली में किसी दरवाज़े के साथ बँधा हुआ था। जब वह उस की रस्सी खोलने लगे
Mark UrduGeoD 11:5  तो वहाँ खड़े कुछ लोगों ने पूछा, “तुम यह क्या कर रहे हो? जवान गधे को क्यों खोल रहे हो?”
Mark UrduGeoD 11:6  उन्होंने जवाब में वह कुछ बता दिया जो ईसा ने उन्हें कहा था। इस पर लोगों ने उन्हें खोलने दिया।
Mark UrduGeoD 11:7  वह जवान गधे को ईसा के पास ले आए और अपने कपड़े उस पर रख दिए। फिर ईसा उस पर सवार हुआ।
Mark UrduGeoD 11:8  जब वह चल पड़ा तो बहुत-से लोगों ने उसके आगे आगे रास्ते में अपने कपड़े बिछा दिए। बाज़ ने हरी शाख़ें भी उसके आगे बिछा दीं जो उन्होंने खेतों के दरख़्तों से काट ली थीं।
Mark UrduGeoD 11:9  लोग ईसा के आगे और पीछे चल रहे थे और चिल्ला चिल्लाकर नारे लगा रहे थे, “होशाना! मुबारक है वह जो रब के नाम से आता है।
Mark UrduGeoD 11:10  मुबारक है हमारे बाप दाऊद की बादशाही जो आ रही है। आसमान की बुलंदियों पर होशाना।”
Mark UrduGeoD 11:11  यों ईसा यरूशलम में दाख़िल हुआ। वह बैतुल-मुक़द्दस में गया और अपने इर्दगिर्द नज़र दौड़ाकर सब कुछ देखने के बाद चला गया। चूँकि शाम का पिछला वक़्त था इसलिए वह बारह शागिर्दों समेत शहर से निकलकर बैत-अनियाह वापस गया।
Mark UrduGeoD 11:12  अगले दिन जब वह बैत-अनियाह से निकल रहे थे तो ईसा को भूक लगी।
Mark UrduGeoD 11:13  उसने कुछ फ़ासले पर अंजीर का एक दरख़्त देखा जिस पर पत्ते थे। इसलिए वह यह देखने के लिए उसके पास गया कि आया कोई फल लगा है या नहीं। लेकिन जब वह वहाँ पहुँचा तो देखा कि पत्ते ही पत्ते हैं। वजह यह थी कि अंजीर का मौसम नहीं था।
Mark UrduGeoD 11:14  इस पर ईसा ने दरख़्त से कहा, “अब से हमेशा तक तुझसे फल खाया न जा सके!” उसके शागिर्दों ने उस की यह बात सुन ली।
Mark UrduGeoD 11:15  वह यरूशलम पहुँच गए। और ईसा बैतुल-मुक़द्दस में जाकर उन्हें निकालने लगा जो वहाँ क़ुरबानियों के लिए दरकार चीज़ों की ख़रीदो-फ़रोख़्त कर रहे थे। उसने सिक्कों का तबादला करनेवालों की मेज़ें और कबूतर बेचनेवालों की कुरसियाँ उलट दीं
Mark UrduGeoD 11:16  और जो तिजारती माल लेकर बैतुल-मुक़द्दस के सहनों में से गुज़र रहे थे उन्हें रोक लिया।
Mark UrduGeoD 11:17  तालीम देकर उसने कहा, “क्या कलामे-मुक़द्दस में नहीं लिखा है, ‘मेरा घर तमाम क़ौमों के लिए दुआ का घर कहलाएगा’? लेकिन तुमने उसे डाकुओं के अड्डे में बदल दिया है।”
Mark UrduGeoD 11:18  राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा ने जब यह सुना तो उसे क़त्ल करने का मौक़ा ढूँडने लगे। क्योंकि वह उससे डरते थे इसलिए कि पूरा हुजूम उस की तालीम से निहायत हैरान था।
Mark UrduGeoD 11:19  जब शाम हुई तो ईसा और उसके शागिर्द शहर से निकल गए।
Mark UrduGeoD 11:20  अगले दिन वह सुबह-सवेरे अंजीर के उस दरख़्त के पास से गुज़रे जिस पर ईसा ने लानत भेजी थी। जब उन्होंने उस पर ग़ौर किया तो मालूम हुआ कि वह जड़ों तक सूख गया है।
Mark UrduGeoD 11:21  तब पतरस को वह बात याद आई जो ईसा ने कल अंजीर के दरख़्त से की थी। उसने कहा, “उस्ताद, यह देखें! अंजीर के जिस दरख़्त पर आपने लानत भेजी थी वह सूख गया है।”
Mark UrduGeoD 11:22  ईसा ने जवाब दिया, “अल्लाह पर ईमान रखो।
Mark UrduGeoD 11:23  मैं तुमको सच बताता हूँ कि अगर कोई इस पहाड़ से कहे, ‘उठ, अपने आपको समुंदर में गिरा दे’ तो यह हो जाएगा। शर्त सिर्फ़ यह है कि वह शक न करे बल्कि ईमान रखे कि जो कुछ उसने कहा है वह उसके लिए हो जाएगा।
Mark UrduGeoD 11:24  इसलिए मैं तुमको बताता हूँ, जब भी तुम दुआ करके कुछ माँगते हो तो ईमान रखो कि तुमको मिल गया है। फिर वह तुम्हें ज़रूर मिल जाएगा।
Mark UrduGeoD 11:25  और जब तुम खड़े होकर दुआ करते हो तो अगर तुम्हें किसी से शिकायत हो तो पहले उसे मुआफ़ करो ताकि आसमान पर तुम्हारा बाप भी तुम्हारे गुनाहों को मुआफ़ करे।
Mark UrduGeoD 11:26  [और अगर तुम मुआफ़ न करो तो तुम्हारा आसमानी बाप तुम्हारे गुनाह भी मुआफ़ नहीं करेगा।]”
Mark UrduGeoD 11:27  वह एक और दफ़ा यरूशलम पहुँच गए। और जब ईसा बैतुल-मुक़द्दस में फिर रहा था तो राहनुमा इमाम, शरीअत के उलमा और बुज़ुर्ग उसके पास आए।
Mark UrduGeoD 11:28  उन्होंने पूछा, “आप यह सब कुछ किस इख़्तियार से कर रहे हैं? किसने आपको यह करने का इख़्तियार दिया है?”
Mark UrduGeoD 11:29  ईसा ने जवाब दिया, “मेरा भी तुमसे एक सवाल है। इसका जवाब दो तो फिर तुमको बता दूँगा कि मैं यह किस इख़्तियार से कर रहा हूँ।
Mark UrduGeoD 11:30  मुझे बताओ, क्या यहया का बपतिस्मा आसमानी था या इनसानी?”
Mark UrduGeoD 11:31  वह आपस में बहस करने लगे, “अगर हम कहें ‘आसमानी’ तो वह पूछेगा, ‘तो फिर तुम उस पर ईमान क्यों न लाए?’
Mark UrduGeoD 11:32  लेकिन हम कैसे कह सकते हैं कि वह इनसानी था?” वजह यह थी कि वह आम लोगों से डरते थे, क्योंकि सब मानते थे कि यहया वाक़ई नबी था।
Mark UrduGeoD 11:33  चुनाँचे उन्होंने जवाब दिया, “हम नहीं जानते।” ईसा ने कहा, “तो फिर मैं भी तुमको नहीं बताता कि मैं यह सब कुछ किस इख़्तियार से कर रहा हूँ।”
Chapter 12
Mark UrduGeoD 12:1  फिर वह तमसीलों में उनसे बात करने लगा। “किसी आदमी ने अंगूर का एक बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया।
Mark UrduGeoD 12:2  जब अंगूर पक गए तो उसने अपने नौकर को मुज़ारेओं के पास भेज दिया ताकि वह उनसे मालिक का हिस्सा वसूल करे।
Mark UrduGeoD 12:3  लेकिन मुज़ारेओं ने उसे पकड़कर उस की पिटाई की और उसे ख़ाली हाथ लौटा दिया।
Mark UrduGeoD 12:4  फिर मालिक ने एक और नौकर को भेज दिया। लेकिन उन्होंने उस की भी बेइज़्ज़ती करके उसका सर फोड़ दिया।
Mark UrduGeoD 12:5  जब मालिक ने तीसरे नौकर को भेजा तो उन्होंने उसे मार डाला। यों उसने कई एक को भेजा। बाज़ को उन्होंने मारा पीटा, बाज़ को क़त्ल किया।
Mark UrduGeoD 12:6  आख़िरकार सिर्फ़ एक बाक़ी रह गया था। वह था उसका प्यारा बेटा। अब उसने उसे भेजकर कहा, ‘आख़िर मेरे बेटे का तो लिहाज़ करेंगे।’
Mark UrduGeoD 12:7  लेकिन मुज़ारे एक दूसरे से कहने लगे, ‘यह ज़मीन का वारिस है। आओ हम इसे मार डालें तो फिर इसकी मीरास हमारी ही होगी।’
Mark UrduGeoD 12:8  उन्होंने उसे पकड़कर क़त्ल किया और बाग़ से बाहर फेंक दिया।
Mark UrduGeoD 12:9  अब बताओ, बाग़ का मालिक क्या करेगा? वह जाकर मुज़ारेओं को हलाक करेगा और बाग़ को दूसरों के सुपुर्द कर देगा।
Mark UrduGeoD 12:10  क्या तुमने कलामे-मुक़द्दस का यह हवाला नहीं पढ़ा, ‘जिस पत्थर को मकान बनानेवालों ने रद्द किया वह कोने का बुनियादी पत्थर बन गया।
Mark UrduGeoD 12:11  यह रब ने किया और देखने में कितना हैरतअंगेज़ है’।”
Mark UrduGeoD 12:12  इस पर दीनी राहनुमाओं ने ईसा को गिरिफ़्तार करने की कोशिश की, क्योंकि वह समझ गए थे कि तमसील में बयानशुदा मुज़ारे हम ही हैं। लेकिन वह हुजूम से डरते थे, इसलिए वह उसे छोड़कर चले गए।
Mark UrduGeoD 12:13  बाद में उन्होंने कुछ फ़रीसियों और हेरोदेस के पैरोकारों को उसके पास भेज दिया ताकि वह उसे कोई ऐसी बात करने पर उभारें जिससे उसे पकड़ा जा सके।
Mark UrduGeoD 12:14  वह उसके पास आकर कहने लगे, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप सच्चे हैं और किसी की परवा नहीं करते। आप जानिबदार नहीं होते बल्कि दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं। अब हमें बताएँ कि क्या रोमी शहनशाह को टैक्स देना जायज़ है या नाजायज़? क्या हम अदा करें या न करें?”
Mark UrduGeoD 12:15  लेकिन ईसा ने उनकी रियाकारी जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों फँसाना चाहते हो? चाँदी का एक रोमी सिक्का मेरे पास ले आओ।”
Mark UrduGeoD 12:16  वह एक सिक्का उसके पास ले आए तो उसने पूछा, “किसकी सूरत और नाम इस पर कंदा है?” उन्होंने जवाब दिया, “शहनशाह का।”
Mark UrduGeoD 12:17  उसने कहा, “तो जो शहनशाह का है शहनशाह को दो और जो अल्लाह का है अल्लाह को।” उसका यह जवाब सुनकर उन्होंने बड़ा ताज्जुब किया।
Mark UrduGeoD 12:18  फिर कुछ सदूक़ी ईसा के पास आए। सदूक़ी नहीं मानते कि रोज़े-क़ियामत मुरदे जी उठेंगे। उन्होंने ईसा से एक सवाल किया,
Mark UrduGeoD 12:19  “उस्ताद, मूसा ने हमें हुक्म दिया कि अगर कोई शादीशुदा आदमी बेऔलाद मर जाए और उसका भाई हो तो भाई का फ़र्ज़ है कि वह बेवा से शादी करके अपने भाई के लिए औलाद पैदा करे।
Mark UrduGeoD 12:20  अब फ़र्ज़ करें कि सात भाई थे। पहले ने शादी की, लेकिन बेऔलाद फ़ौत हुआ।
Mark UrduGeoD 12:21  इस पर दूसरे ने उससे शादी की, लेकिन वह भी बेऔलाद मर गया। फिर तीसरे भाई ने उससे शादी की।
Mark UrduGeoD 12:22  यह सिलसिला सातवें भाई तक जारी रहा। यके बाद दीगरे हर भाई बेवा से शादी करने के बाद मर गया। आख़िर में बेवा भी फ़ौत हो गई।
Mark UrduGeoD 12:23  अब बताएँ कि क़ियामत के दिन वह किसकी बीवी होगी? क्योंकि सात के सात भाइयों ने उससे शादी की थी।”
Mark UrduGeoD 12:24  ईसा ने जवाब दिया, “तुम इसलिए ग़लती पर हो कि न तुम कलामे-मुक़द्दस से वाक़िफ़ हो, न अल्लाह की क़ुदरत से।
Mark UrduGeoD 12:25  क्योंकि जब मुरदे जी उठेंगे तो न वह शादी करेंगे न उनकी शादी कराई जाएगी बल्कि वह आसमान पर फ़रिश्तों की मानिंद होंगे।
Mark UrduGeoD 12:26  रही यह बात कि मुरदे जी उठेंगे। क्या तुमने मूसा की किताब में नहीं पढ़ा कि अल्लाह जलती हुई झाड़ी में से किस तरह मूसा से हमकलाम हुआ? उसने फ़रमाया, ‘मैं इब्राहीम का ख़ुदा, इसहाक़ का ख़ुदा और याक़ूब का ख़ुदा हूँ,’ हालाँकि उस वक़्त तीनों काफ़ी अरसे से मर चुके थे।
Mark UrduGeoD 12:27  इसका मतलब है कि यह हक़ीक़त में ज़िंदा हैं, क्योंकि अल्लाह मुरदों का नहीं, बल्कि ज़िंदों का ख़ुदा है। तुमसे बड़ी ग़लती हुई है।”
Mark UrduGeoD 12:28  इतने में शरीअत का एक आलिम उनके पास आया। उसने उन्हें बहस करते हुए सुना था और जान लिया कि ईसा ने अच्छा जवाब दिया, इसलिए उसने पूछा, “तमाम अहकाम में से कौन-सा हुक्म सबसे अहम है?”
Mark UrduGeoD 12:29  ईसा ने जवाब दिया, “अव्वल हुक्म यह है : ‘सुन ऐ इसराईल! रब हमारा ख़ुदा एक ही रब है।
Mark UrduGeoD 12:30  रब अपने ख़ुदा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे ज़हन और अपनी पूरी ताक़त से प्यार करना।’
Mark UrduGeoD 12:31  दूसरा हुक्म यह है : ‘अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।’ दीगर कोई भी हुक्म इन दो अहकाम से अहम नहीं है।”
Mark UrduGeoD 12:32  उस आलिम ने कहा, “शाबाश, उस्ताद! आपने सच कहा है कि अल्लाह सिर्फ़ एक ही है और उसके सिवा कोई और नहीं है।
Mark UrduGeoD 12:33  हमें उसे अपने पूरे दिल, अपने पूरे ज़हन और अपनी पूरी ताक़त से प्यार करना चाहिए और साथ साथ अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखनी चाहिए जैसी अपने आपसे रखते हैं। यह दो अहकाम भस्म होनेवाली तमाम क़ुरबानियों और दीगर नज़रों से ज़्यादा अहमियत रखते हैं।”
Mark UrduGeoD 12:34  जब ईसा ने उसका यह जवाब सुना तो उससे कहा, “तू अल्लाह की बादशाही से दूर नहीं है।” इसके बाद किसी ने भी उससे सवाल पूछने की जुर्रत न की।
Mark UrduGeoD 12:35  जब ईसा बैतुल-मुक़द्दस में तालीम दे रहा था तो उसने पूछा, “शरीअत के उलमा क्यों दावा करते हैं कि मसीह दाऊद का फ़रज़ंद है?
Mark UrduGeoD 12:36  क्योंकि दाऊद ने तो ख़ुद रूहुल-क़ुद्स की मारिफ़त यह फ़रमाया, ‘रब ने मेरे रब से कहा, मेरे दहने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पाँवों के नीचे न कर दूँ।’
Mark UrduGeoD 12:37  दाऊद तो ख़ुद मसीह को रब कहता है। तो फिर वह किस तरह दाऊद का फ़रज़ंद हो सकता है?” एक बड़ा हुजूम मज़े से ईसा की बातें सुन रहा था।
Mark UrduGeoD 12:38  उन्हें तालीम देते वक़्त उसने कहा, “उलमा से ख़बरदार रहो! क्योंकि वह शानदार चोग़े पहनकर इधर उधर फिरना पसंद करते हैं। जब लोग बाज़ारों में सलाम करके उनकी इज़्ज़त करते हैं तो फिर वह ख़ुश हो जाते हैं।
Mark UrduGeoD 12:39  उनकी बस एक ही ख़ाहिश होती है कि इबादतख़ानों और ज़ियाफ़तों में इज़्ज़त की कुरसियों पर बैठ जाएँ।
Mark UrduGeoD 12:40  यह लोग बेवाओं के घर हड़प कर जाते और साथ साथ दिखावे के लिए लंबी लंबी दुआएँ माँगते हैं। ऐसे लोगों को निहायत सख़्त सज़ा मिलेगी।”
Mark UrduGeoD 12:41  ईसा बैतुल-मुक़द्दस के चंदे के बक्स के मुक़ाबिल बैठ गया और हुजूम को हदिये डालते हुए देखने लगा। कई अमीर बड़ी बड़ी रक़में डाल रहे थे।
Mark UrduGeoD 12:42  फिर एक ग़रीब बेवा भी वहाँ से गुज़री जिसने उसमें ताँबे के दो मामूली-से सिक्के डाल दिए।
Mark UrduGeoD 12:43  ईसा ने शागिर्दों को अपने पास बुलाकर कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि इस ग़रीब बेवा ने तमाम लोगों की निसबत ज़्यादा डाला है।
Mark UrduGeoD 12:44  क्योंकि इन सबने अपनी दौलत की कसरत से दे दिया जबकि उसने ज़रूरतमंद होने के बावुजूद भी अपने गुज़ारे के सारे पैसे दे दिए हैं।”
Chapter 13
Mark UrduGeoD 13:1  उस दिन जब ईसा बैतुल-मुक़द्दस से निकल रहा था तो उसके शागिर्दों ने कहा, “उस्ताद, देखें कितने शानदार पत्थर और इमारतें हैं!”
Mark UrduGeoD 13:2  ईसा ने जवाब दिया, “क्या तुमको यह बड़ी बड़ी इमारतें नज़र आती हैं? पत्थर पर पत्थर नहीं रहेगा। सब कुछ ढा दिया जाएगा।”
Mark UrduGeoD 13:3  बाद में ईसा ज़ैतून के पहाड़ पर बैतुल-मुक़द्दस के मुक़ाबिल बैठ गया। पतरस, याक़ूब, यूहन्ना और अंदरियास अकेले उसके पास आए। उन्होंने कहा,
Mark UrduGeoD 13:4  “हमें ज़रा बताएँ, यह कब होगा? क्या क्या नज़र आएगा जिससे मालूम होगा कि यह अब पूरा होने को है?”
Mark UrduGeoD 13:5  ईसा ने जवाब दिया, “ख़बरदार रहो कि कोई तुम्हें गुमराह न कर दे।
Mark UrduGeoD 13:6  बहुत-से लोग मेरा नाम लेकर आएँगे और कहेंगे, ‘मैं ही मसीह हूँ।’ यों वह बहुतों को गुमराह कर देंगे।
Mark UrduGeoD 13:7  जब जंगों की ख़बरें और अफ़वाहें तुम तक पहुँचेंगी तो मत घबराना। क्योंकि लाज़िम है कि यह सब कुछ पेश आए। तो भी अभी आख़िरत नहीं होगी।
Mark UrduGeoD 13:8  एक क़ौम दूसरी के ख़िलाफ़ उठ खड़ी होगी और एक बादशाही दूसरी के ख़िलाफ़। जगह जगह ज़लज़ले आएँगे, काल पड़ेंगे। लेकिन यह सिर्फ़ दर्दे-ज़ह की इब्तिदा ही होगी।
Mark UrduGeoD 13:9  तुम ख़ुद ख़बरदार रहो। तुमको मक़ामी अदालतों के हवाले कर दिया जाएगा और लोग यहूदी इबादतख़ानों में तुम्हें कोड़े लगवाएँगे। मेरी ख़ातिर तुम्हें हुक्मरानों और बादशाहों के सामने पेश किया जाएगा। यों तुम उन्हें मेरी गवाही दोगे।
Mark UrduGeoD 13:10  लाज़िम है कि आख़िरत से पहले अल्लाह की ख़ुशख़बरी तमाम अक़वाम को सुनाई जाए।
Mark UrduGeoD 13:11  लेकिन जब लोग तुमको गिरिफ़्तार करके अदालत में पेश करेंगे तो यह सोचते सोचते परेशान न हो जाना कि मैं क्या कहूँ। बस वही कुछ कहना जो अल्लाह तुम्हें उस वक़्त बताएगा। क्योंकि उस वक़्त तुम नहीं बल्कि रूहुल-क़ुद्स बोलनेवाला होगा।
Mark UrduGeoD 13:12  भाई अपने भाई को और बाप अपने बच्चे को मौत के हवाले कर देगा। बच्चे अपने वालिदैन के ख़िलाफ़ खड़े होकर उन्हें क़त्ल करवाएँगे।
Mark UrduGeoD 13:13  सब तुमसे नफ़रत करेंगे, इसलिए कि तुम मेरे पैरोकार हो। लेकिन जो आख़िर तक क़ायम रहेगा उसे नजात मिलेगी।
Mark UrduGeoD 13:14  एक दिन आएगा जब तुम वहाँ जहाँ उसे नहीं होना चाहिए वह कुछ खड़ा देखोगे जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है।” (क़ारी इस पर ध्यान दे!) “उस वक़्त यहूदिया के रहनेवाले भागकर पहाड़ी इलाक़े में पनाह लें।
Mark UrduGeoD 13:15  जो अपने घर की छत पर हो वह न उतरे, न कुछ साथ ले जाने के लिए घर में दाख़िल हो जाए।
Mark UrduGeoD 13:16  जो खेत में हो वह अपनी चादर साथ ले जाने के लिए वापस न जाए।
Mark UrduGeoD 13:17  उन ख़वातीन पर अफ़सोस जो उन दिनों में हामिला हों या अपने बच्चों को दूध पिलाती हों।
Mark UrduGeoD 13:18  दुआ करो कि यह वाक़िया सर्दियों के मौसम में पेश न आए।
Mark UrduGeoD 13:19  क्योंकि उन दिनों में ऐसी मुसीबत होगी कि दुनिया की तख़लीक़ से आज तक देखने में न आई होगी। इस क़िस्म की मुसीबत बाद में भी कभी नहीं आएगी।
Mark UrduGeoD 13:20  और अगर ख़ुदावंद इस मुसीबत का दौरानिया मुख़तसर न करता तो कोई न बचता। लेकिन उसने अपने चुने हुओं की ख़ातिर उसका दौरानिया मुख़तसर कर दिया है।
Mark UrduGeoD 13:21  उस वक़्त अगर कोई तुमको बताए, ‘देखो, मसीह यहाँ है,’ या ‘वह वहाँ है’ तो उस की बात न मानना।
Mark UrduGeoD 13:22  क्योंकि झूटे मसीह और झूटे नबी उठ खड़े होंगे जो अजीबो-ग़रीब निशान और मोजिज़े दिखाएँगे ताकि अल्लाह के चुने हुए लोगों को ग़लत रास्ते पर डाल दें—अगर यह मुमकिन होता।
Mark UrduGeoD 13:23  इसलिए ख़बरदार! मैंने तुमको पहले ही इन सब बातों से आगाह कर दिया है।
Mark UrduGeoD 13:24  मुसीबत के उन दिनों के बाद सूरज तारीक हो जाएगा और चाँद की रौशनी ख़त्म हो जाएगी।
Mark UrduGeoD 13:25  सितारे आसमान पर से गिर पड़ेंगे और आसमान की क़ुव्वतें हिलाई जाएँगी।
Mark UrduGeoD 13:26  उस वक़्त लोग इब्ने-आदम को बड़ी क़ुदरत और जलाल के साथ बादलों में आते हुए देखेंगे।
Mark UrduGeoD 13:27  और वह अपने फ़रिश्तों को भेज देगा ताकि उसके चुने हुओं को चारों तरफ़ से जमा करें, दुनिया के कोने कोने से आसमान की इंतहा तक इकट्ठा करें।
Mark UrduGeoD 13:28  अंजीर के दरख़्त से सबक़ सीखो। ज्योंही उस की शाख़ें नरम और लचकदार हो जाती हैं और उनसे कोंपलें फूट निकलती हैं तो तुमको मालूम हो जाता है कि गरमियों का मौसम क़रीब आ गया है।
Mark UrduGeoD 13:29  इसी तरह जब तुम यह वाक़ियात देखोगे तो जान लोगे कि इब्ने-आदम की आमद क़रीब बल्कि दरवाज़े पर है।
Mark UrduGeoD 13:30  मैं तुमको सच बताता हूँ, इस नसल के ख़त्म होने से पहले पहले यह सब कुछ वाक़े होगा।
Mark UrduGeoD 13:31  आसमानो-ज़मीन तो जाते रहेंगे, लेकिन मेरी बातें हमेशा तक क़ायम रहेंगी।
Mark UrduGeoD 13:32  लेकिन किसी को भी इल्म नहीं कि यह किस दिन या कौन-सी घड़ी रूनुमा होगा। आसमान के फ़रिश्तों और फ़रज़ंद को भी इल्म नहीं बल्कि सिर्फ़ बाप को।
Mark UrduGeoD 13:33  चुनाँचे ख़बरदार और चौकन्ने रहो! क्योंकि तुमको नहीं मालूम कि यह वक़्त कब आएगा।
Mark UrduGeoD 13:34  इब्ने-आदम की आमद उस आदमी से मुताबिक़त रखती है जिसे किसी सफ़र पर जाना था। घर छोड़ते वक़्त उसने अपने नौकरों को इंतज़ाम चलाने का इख़्तियार देकर हर एक को उस की अपनी ज़िम्मादारी सौंप दी। दरबान को उसने हुक्म दिया कि वह चौकस रहे।
Mark UrduGeoD 13:35  तुम भी इसी तरह चौकस रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि घर का मालिक कब वापस आएगा, शाम को, आधी रात को, मुरग़ के बाँग देते या पौ फटते वक़्त।
Mark UrduGeoD 13:36  ऐसा न हो कि वह अचानक आकर तुमको सोते पाए।
Mark UrduGeoD 13:37  यह बात मैं न सिर्फ़ तुमको बल्कि सबको बताता हूँ, चौकस रहो!”
Chapter 14
Mark UrduGeoD 14:1  फ़सह और बेख़मीरी रोटी की ईद क़रीब आ गई थी। सिर्फ़ दो दिन रह गए थे। राहनुमा इमाम और शरीअत के उलमा ईसा को किसी चालाकी से गिरिफ़्तार करके क़त्ल करने की तलाश में थे।
Mark UrduGeoD 14:2  उन्होंने कहा, “लेकिन यह ईद के दौरान नहीं होना चाहिए, ऐसा न हो कि अवाम में हलचल मच जाए।”
Mark UrduGeoD 14:3  इतने में ईसा बैत-अनियाह आकर एक आदमी के घर में दाख़िल हुआ जो किसी वक़्त कोढ़ का मरीज़ था। उसका नाम शमौन था। ईसा खाना खाने के लिए बैठ गया तो एक औरत आई। उसके पास ख़ालिस जटामासी के निहायत क़ीमती इत्र का इत्रदान था। उसका सर तोड़कर उसने इत्र ईसा के सर पर उंडेल दिया।
Mark UrduGeoD 14:4  हाज़िरीन में से कुछ नाराज़ हुए। “इतना क़ीमती इत्र ज़ाया करने की क्या ज़रूरत थी?
Mark UrduGeoD 14:5  इसकी क़ीमत कम अज़ कम चाँदी के 300 सिक्के थी। अगर इसे बेचा जाता तो इसके पैसे ग़रीबों को दिए जा सकते थे।” ऐसी बातें करते हुए उन्होंने उसे झिड़का।
Mark UrduGeoD 14:6  लेकिन ईसा ने कहा, “इसे छोड़ दो, तुम इसे क्यों तंग कर रहे हो? इसने तो मेरे लिए एक नेक काम किया है।
Mark UrduGeoD 14:7  ग़रीब तो हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे, और तुम जब भी चाहो उनकी मदद कर सकोगे। लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।
Mark UrduGeoD 14:8  जो कुछ वह कर सकती थी उसने किया है। मुझ पर इत्र उंडेलने से वह मुक़र्ररा वक़्त से पहले मेरे बदन को दफ़नाने के लिए तैयार कर चुकी है।
Mark UrduGeoD 14:9  मैं तुमको सच बताता हूँ कि तमाम दुनिया में जहाँ भी अल्लाह की ख़ुशख़बरी का एलान किया जाएगा वहाँ लोग इस ख़ातून को याद करके वह कुछ सुनाएँगे जो इसने किया है।”
Mark UrduGeoD 14:10  फिर यहूदाह इस्करियोती जो बारह शागिर्दों में से एक था राहनुमा इमामों के पास गया ताकि ईसा को उनके हवाले करने की बात करे।
Mark UrduGeoD 14:11  उसके आने का मक़सद सुनकर वह ख़ुश हुए और उसे पैसे देने का वादा किया। चुनाँचे वह ईसा को उनके हवाले करने का मौक़ा ढूँडने लगा।
Mark UrduGeoD 14:12  बेख़मीरी रोटी की ईद आई जब लोग फ़सह के लेले को क़ुरबान करते थे। ईसा के शागिर्दों ने उससे पूछा, “हम कहाँ आपके लिए फ़सह का खाना तैयार करें?”
Mark UrduGeoD 14:13  चुनाँचे ईसा ने उनमें से दो को यह हिदायत देकर यरूशलम भेज दिया कि “जब तुम शहर में दाख़िल होगे तो तुम्हारी मुलाक़ात एक आदमी से होगी जो पानी का घड़ा उठाए चल रहा होगा। उसके पीछे हो लेना।
Mark UrduGeoD 14:14  जिस घर में वह दाख़िल हो उसके मालिक से कहना, ‘उस्ताद आपसे पूछते हैं कि वह कमरा कहाँ है जहाँ मैं अपने शागिर्दों के साथ फ़सह का खाना खाऊँ?’
Mark UrduGeoD 14:15  वह तुम्हें दूसरी मनज़िल पर एक बड़ा और सजा हुआ कमरा दिखाएगा। वह तैयार होगा। हमारे लिए फ़सह का खाना वहीं तैयार करना।”
Mark UrduGeoD 14:16  दोनों चले गए तो शहर में दाख़िल होकर सब कुछ वैसा ही पाया जैसा ईसा ने उन्हें बताया था। फिर उन्होंने फ़सह का खाना तैयार किया।
Mark UrduGeoD 14:17  शाम के वक़्त ईसा बारह शागिर्दों समेत वहाँ पहुँच गया।
Mark UrduGeoD 14:18  जब वह मेज़ पर बैठे खाना खा रहे थे तो उसने कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ, तुममें से एक जो मेरे साथ खाना खा रहा है मुझे दुश्मन के हवाले कर देगा।”
Mark UrduGeoD 14:19  शागिर्द यह सुनकर ग़मगीन हुए। बारी बारी उन्होंने उससे पूछा, “मैं तो नहीं हूँ?”
Mark UrduGeoD 14:20  ईसा ने जवाब दिया, “तुम बारह में से एक है। वह मेरे साथ अपनी रोटी सालन के बरतन में डाल रहा है।
Mark UrduGeoD 14:21  इब्ने-आदम तो कूच कर जाएगा जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, लेकिन उस शख़्स पर अफ़सोस जिसके वसीले से उसे दुश्मन के हवाले कर दिया जाएगा। उसके लिए बेहतर यह होता कि वह कभी पैदा ही न होता।”
Mark UrduGeoD 14:22  खाने के दौरान ईसा ने रोटी लेकर शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उसे टुकड़े करके शागिर्दों को दे दिया। उसने कहा, “यह लो, यह मेरा बदन है।”
Mark UrduGeoD 14:23  फिर उसने मै का प्याला लेकर शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उसे उन्हें दे दिया। सबने उसमें से पी लिया।
Mark UrduGeoD 14:24  उसने उनसे कहा, “यह मेरा ख़ून है, नए अहद का वह ख़ून जो बहुतों के लिए बहाया जाता है।
Mark UrduGeoD 14:25  मैं तुमको सच बताता हूँ कि अब से मैं अंगूर का रस नहीं पियूँगा, क्योंकि अगली दफ़ा इसे नए सिरे से अल्लाह की बादशाही में ही पियूँगा।”
Mark UrduGeoD 14:26  फिर वह एक ज़बूर गाकर निकले और ज़ैतून के पहाड़ के पास पहुँचे।
Mark UrduGeoD 14:27  ईसा ने उन्हें बताया, “तुम सब बरगश्ता हो जाओगे, क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में अल्लाह फ़रमाता है, ‘मैं चरवाहे को मार डालूँगा और भेड़ें तित्तर-बित्तर हो जाएँगी।’
Mark UrduGeoD 14:28  लेकिन अपने जी उठने के बाद में तुम्हारे आगे आगे गलील पहुँचूँगा।”
Mark UrduGeoD 14:29  पतरस ने एतराज़ किया, “दूसरे बेशक सब बरगश्ता हो जाएँ, लेकिन मैं कभी नहीं हूँगा।”
Mark UrduGeoD 14:30  ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच बताता हूँ, इसी रात मुरग़ के दूसरी दफ़ा बाँग देने से पहले पहले तू तीन बार मुझे जानने से इनकार कर चुका होगा।”
Mark UrduGeoD 14:31  पतरस ने इसरार किया, “हरगिज़ नहीं! मैं आपको जानने से कभी इनकार नहीं करूँगा, चाहे मुझे आपके साथ मरना भी पड़े।” दूसरों ने भी यही कुछ कहा।
Mark UrduGeoD 14:32  वह एक बाग़ में पहुँचे जिसका नाम गत्समनी था। ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “यहाँ बैठकर मेरा इंतज़ार करो। मैं दुआ करने के लिए आगे जाता हूँ।”
Mark UrduGeoD 14:33  उसने पतरस, याक़ूब और यूहन्ना को साथ लिया। वहाँ वह घबराकर बेक़रार होने लगा।
Mark UrduGeoD 14:34  उसने उनसे कहा, “मैं दुख से इतना दबा हुआ हूँ कि मरने को हूँ। यहाँ ठहरकर जागते रहो।”
Mark UrduGeoD 14:35  कुछ आगे जाकर वह ज़मीन पर गिर गया और दुआ करने लगा कि अगर मुमकिन हो तो मुझे आनेवाली घड़ियों की तकलीफ़ से गुज़रना न पड़े।
Mark UrduGeoD 14:36  उसने कहा, “ऐ अब्बा, ऐ बाप! तेरे लिए सब कुछ मुमकिन है। दुख का यह प्याला मुझसे हटा ले। लेकिन मेरी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।”
Mark UrduGeoD 14:37  वह अपने शागिर्दों के पास वापस आया तो देखा कि वह सो रहे हैं। उसने पतरस से कहा, “शमौन, क्या तू सो रहा है? क्या तू एक घंटा भी नहीं जाग सका?
Mark UrduGeoD 14:38  जागते और दुआ करते रहो ताकि तुम आज़माइश में न पड़ो। क्योंकि रूह तो तैयार है, लेकिन जिस्म कमज़ोर।”
Mark UrduGeoD 14:39  एक बार फिर उसने जाकर वही दुआ की जो पहले की थी।
Mark UrduGeoD 14:40  जब वापस आया तो दुबारा देखा कि वह सो रहे हैं, क्योंकि नींद की बदौलत उनकी आँखें बोझल थीं। वह नहीं जानते थे कि क्या जवाब दें।
Mark UrduGeoD 14:41  जब ईसा तीसरी बार वापस आया तो उसने उनसे कहा, “तुम अभी तक सो और आराम कर रहे हो? बस काफ़ी है। वक़्त आ गया है। देखो, इब्ने-आदम को गुनाहगारों के हवाले किया जा रहा है।
Mark UrduGeoD 14:42  उठो। आओ, चलें। देखो, मुझे दुश्मन के हवाले करनेवाला क़रीब आ चुका है।”
Mark UrduGeoD 14:43  वह अभी यह बात कर ही रहा था कि यहूदाह पहुँच गया, जो बारह शागिर्दों में से एक था। उसके साथ तलवारों और लाठियों से लैस आदमियों का हुजूम था। उन्हें राहनुमा इमामों, शरीअत के उलमा और बुज़ुर्गों ने भेजा था।
Mark UrduGeoD 14:44  इस ग़द्दार यहूदाह ने उन्हें एक इम्तियाज़ी निशान दिया था कि जिसको मैं बोसा दूँ वही ईसा है। उसे गिरिफ़्तार करके ले जाएँ।
Mark UrduGeoD 14:45  ज्योंही वह पहुँचे यहूदाह ईसा के पास गया और “उस्ताद!” कहकर उसे बोसा दिया।
Mark UrduGeoD 14:46  इस पर उन्होंने उसे पकड़कर गिरिफ़्तार कर लिया।
Mark UrduGeoD 14:47  लेकिन ईसा के पास खड़े एक शख़्स ने अपनी तलवार मियान से निकाली और इमामे-आज़म के ग़ुलाम को मारकर उसका कान उड़ा दिया।
Mark UrduGeoD 14:48  ईसा ने उनसे पूछा, “क्या मैं डाकू हूँ कि तुम तलवारें और लाठियाँ लिए मुझे गिरिफ़्तार करने निकले हो?
Mark UrduGeoD 14:49  मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में तुम्हारे पास था और तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया। लेकिन यह इसलिए हो रहा है ताकि कलामे-मुक़द्दस की बातें पूरी हो जाएँ।”
Mark UrduGeoD 14:50  फिर सबके सब उसे छोड़कर भाग गए।
Mark UrduGeoD 14:51  लेकिन एक नौजवान ईसा के पीछे पीछे चलता रहा जो सिर्फ़ चादर ओढ़े हुए था। लोगों ने उसे पकड़ने की कोशिश की,
Mark UrduGeoD 14:52  लेकिन वह चादर छोड़कर नंगी हालत में भाग गया।
Mark UrduGeoD 14:53  वह ईसा को इमामे-आज़म के पास ले गए जहाँ तमाम राहनुमा इमाम, बुज़ुर्ग और शरीअत के उलमा भी जमा थे।
Mark UrduGeoD 14:54  इतने में पतरस कुछ फ़ासले पर ईसा के पीछे पीछे इमामे-आज़म के सहन तक पहुँच गया। वहाँ वह मुलाज़िमों के साथ बैठकर आग तापने लगा।
Mark UrduGeoD 14:55  मकान के अंदर राहनुमा इमाम और यहूदी अदालते-आलिया के तमाम अफ़राद ईसा के ख़िलाफ़ गवाहियाँ ढूँड रहे थे ताकि उसे सज़ाए-मौत दिलवा सकें। लेकिन कोई गवाही न मिली।
Mark UrduGeoD 14:56  काफ़ी लोगों ने उसके ख़िलाफ़ झूटी गवाही तो दी, लेकिन उनके बयान एक दूसरे के मुतज़ाद थे।
Mark UrduGeoD 14:57  आख़िरकार बाज़ ने खड़े होकर यह झूटी गवाही दी,
Mark UrduGeoD 14:58  “हमने इसे यह कहते सुना है कि मैं इनसान के हाथों के बने इस बैतुल-मुक़द्दस को ढाकर तीन दिन के अंदर अंदर नया मक़दिस तामीर कर दूँगा, एक ऐसा मक़दिस जो इनसान के हाथ नहीं बनाएँगे।”
Mark UrduGeoD 14:59  लेकिन उनकी गवाहियाँ भी एक दूसरी से मुतज़ाद थीं।
Mark UrduGeoD 14:60  फिर इमामे-आज़म ने हाज़िरीन के सामने खड़े होकर ईसा से पूछा, “क्या तू कोई जवाब नहीं देगा? यह क्या गवाहियाँ हैं जो यह लोग तेरे ख़िलाफ़ दे रहे हैं?”
Mark UrduGeoD 14:61  लेकिन ईसा ख़ामोश रहा। उसने कोई जवाब न दिया। इमामे-आज़म ने उससे एक और सवाल किया, “क्या तू अल-हमीद का फ़रज़ंद मसीह है?”
Mark UrduGeoD 14:62  ईसा ने कहा, “जी, मैं हूँ। और आइंदा तुम इब्ने-आदम को क़ादिरे-मुतलक़ के दहने हाथ बैठे और आसमान के बादलों पर आते हुए देखोगे।”
Mark UrduGeoD 14:63  इमामे-आज़म ने रंजिश का इज़हार करके अपने कपड़े फाड़ लिए और कहा, “हमें मज़ीद गवाहों की क्या ज़रूरत रही!
Mark UrduGeoD 14:64  आपने ख़ुद सुन लिया है कि इसने कुफ़र बका है। आपका क्या फ़ैसला है?” सबने उसे सज़ाए-मौत के लायक़ क़रार दिया।
Mark UrduGeoD 14:65  फिर कुछ उस पर थूकने लगे। उन्होंने उस की आँखों पर पट्टी बाँधी और उसे मुक्के मार मारकर कहने लगे, “नबुव्वत कर!” मुलाज़िमों ने भी उसे थप्पड़ मारे।
Mark UrduGeoD 14:66  इस दौरान पतरस नीचे सहन में था। इमामे-आज़म की एक नौकरानी वहाँ से गुज़री
Mark UrduGeoD 14:67  और देखा कि पतरस वहाँ आग ताप रहा है। उसने ग़ौर से उस पर नज़र की और कहा, “तुम भी नासरत के उस आदमी ईसा के साथ थे।”
Mark UrduGeoD 14:68  लेकिन उसने इनकार किया, “मैं नहीं जानता या समझता कि तू क्या बात कर रही है।” यह कहकर वह गेट के क़रीब चला गया। [उसी लमहे मुरग़ ने बाँग दी।]
Mark UrduGeoD 14:69  जब नौकरानी ने उसे वहाँ देखा तो उसने दुबारा पास खड़े लोगों से कहा, “यह बंदा उनमें से है।”
Mark UrduGeoD 14:70  दुबारा पतरस ने इनकार किया। थोड़ी देर के बाद पतरस के साथ खड़े लोगों ने भी उससे कहा, “तुम ज़रूर उनमें से हो क्योंकि तुम गलील के रहनेवाले हो।”
Mark UrduGeoD 14:71  इस पर पतरस ने क़सम खाकर कहा, “मुझ पर लानत अगर मैं झूट बोल रहा हूँ। मैं उस आदमी को नहीं जानता जिसका ज़िक्र तुम कर रहे हो।”
Mark UrduGeoD 14:72  फ़ौरन मुरग़ की बाँग दूसरी मरतबा सुनाई दी। फिर पतरस को वह बात याद आई जो ईसा ने उससे कही थी, “मुरग़ के दूसरी दफ़ा बाँग देने से पहले पहले तू तीन बार मुझे जानने से इनकार कर चुका होगा।” इस पर वह रो पड़ा।
Chapter 15
Mark UrduGeoD 15:1  सुबह-सवेरे ही राहनुमा इमाम बुज़ुर्गों, शरीअत के उलमा और पूरी यहूदी अदालते-आलिया के साथ मिलकर फ़ैसले तक पहुँच गए। वह ईसा को बाँधकर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया।
Mark UrduGeoD 15:2  पीलातुस ने उससे पूछा, “क्या तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, “जी, आप ख़ुद कहते हैं।”
Mark UrduGeoD 15:3  राहनुमा इमामों ने उस पर बहुत इलज़ाम लगाए।
Mark UrduGeoD 15:4  चुनाँचे पीलातुस ने दुबारा उससे सवाल किया, “क्या तुम कोई जवाब नहीं दोगे? यह तो तुम पर बहुत-से इलज़ामात लगा रहे हैं।”
Mark UrduGeoD 15:5  लेकिन ईसा ने इस पर भी कोई जवाब न दिया, और पीलातुस बड़ा हैरान हुआ।
Mark UrduGeoD 15:6  उन दिनों यह रिवाज था कि हर साल फ़सह की ईद पर एक क़ैदी को रिहा कर दिया जाता था। यह क़ैदी अवाम से मुंतख़ब किया जाता था।
Mark UrduGeoD 15:7  उस वक़्त कुछ आदमी जेल में थे जो हुकूमत के ख़िलाफ़ किसी इंकलाबी तहरीक में शरीक हुए थे और जिन्होंने बग़ावत के मौक़े पर क़त्लो-ग़ारत की थी। उनमें से एक का नाम बर-अब्बा था।
Mark UrduGeoD 15:8  अब हुजूम ने पीलातुस के पास आकर उससे गुज़ारिश की कि वह मामूल के मुताबिक़ एक क़ैदी को आज़ाद कर दे।
Mark UrduGeoD 15:9  पीलातुस ने पूछा, “क्या तुम चाहते हो कि मैं यहूदियों के बादशाह को आज़ाद कर दूँ?”
Mark UrduGeoD 15:10  वह जानता था कि राहनुमा इमामों ने ईसा को सिर्फ़ हसद की बिना पर उसके हवाले किया है।
Mark UrduGeoD 15:11  लेकिन राहनुमा इमामों ने हुजूम को उकसाया कि वह ईसा के बजाए बर-अब्बा को माँगें।
Mark UrduGeoD 15:12  पीलातुस ने सवाल किया, “फिर मैं इसके साथ क्या करूँ जिसका नाम तुमने यहूदियों का बादशाह रखा है?”
Mark UrduGeoD 15:13  वह चीख़े, “उसे मसलूब करें।”
Mark UrduGeoD 15:14  पीलातुस ने पूछा, “क्यों? उसने क्या जुर्म किया है?” लेकिन लोग मज़ीद शोर मचाकर चीख़ते रहे, “उसे मसलूब करें!”
Mark UrduGeoD 15:15  चुनाँचे पीलातुस ने हुजूम को मुतमइन करने की ख़ातिर बर-अब्बा को आज़ाद कर दिया। उसने ईसा को कोड़े लगाने को कहा, फिर उसे मसलूब करने के लिए फ़ौजियों के हवाले कर दिया।
Mark UrduGeoD 15:16  फ़ौजी ईसा को गवर्नर के महल बनाम प्रैटोरियुम के सहन में ले गए और पूरी पलटन को इकट्ठा किया।
Mark UrduGeoD 15:17  उन्होंने उसे अरग़वानी रंग का लिबास पहनाया और काँटेदार टहनियों का एक ताज बनाकर उसके सर पर रख दिया।
Mark UrduGeoD 15:18  फिर वह उसे सलाम करने लगे, “ऐ यहूदियों के बादशाह, आदाब!”
Mark UrduGeoD 15:19  लाठी से उसके सर पर मार मारकर वह उस पर थूकते रहे। घुटने टेककर उन्होंने उसे सिजदा किया।
Mark UrduGeoD 15:20  फिर उसका मज़ाक़ उड़ाने से थककर उन्होंने अरग़वानी लिबास उतारकर उसे दुबारा उसके अपने कपड़े पहनाए। फिर वह उसे मसलूब करने के लिए बाहर ले गए।
Mark UrduGeoD 15:21  उस वक़्त लिबिया के शहर कुरेन का रहनेवाला एक आदमी बनाम शमौन देहात से शहर को आ रहा था। वह सिकंदर और रूफ़ुस का बाप था। जब वह ईसा और फ़ौजियों के पास से गुज़रने लगा तो फ़ौजियों ने उसे सलीब उठाने पर मजबूर किया।
Mark UrduGeoD 15:22  यों चलते चलते वह ईसा को एक मक़ाम पर ले गए जिसका नाम गुलगुता (यानी खोपड़ी का मक़ाम) था।
Mark UrduGeoD 15:23  वहाँ उन्होंने उसे मै पेश की जिसमें मुर मिलाया गया था, लेकिन उसने पीने से इनकार किया।
Mark UrduGeoD 15:24  फिर फ़ौजियों ने उसे मसलूब किया और उसके कपड़े आपस में बाँट लिए। यह फ़ैसला करने के लिए कि किस को क्या क्या मिलेगा उन्होंने क़ुरा डाला।
Mark UrduGeoD 15:25  नौ बजे सुबह का वक़्त था जब उन्होंने उसे मसलूब किया।
Mark UrduGeoD 15:26  एक तख़्ती सलीब पर लगा दी गई जिस पर यह इलज़ाम लिखा था, “यहूदियों का बादशाह।”
Mark UrduGeoD 15:27  दो डाकुओं को भी ईसा के साथ मसलूब किया गया, एक को उसके दहने हाथ और दूसरे को उसके बाएँ हाथ।
Mark UrduGeoD 15:28  [यों मुक़द्दस कलाम का वह हवाला पूरा हुआ जिसमें लिखा है, ‘उसे मुजरिमों में शुमार किया गया।’]
Mark UrduGeoD 15:29  जो वहाँ से गुज़रे उन्होंने कुफ़र बककर उस की तज़लील की और सर हिला हिलाकर अपनी हिक़ारत का इज़हार किया। उन्होंने कहा, “तूने तो कहा था कि मैं बैतुल-मुक़द्दस को ढाकर उसे तीन दिन के अंदर अंदर दुबारा तामीर कर दूँगा।
Mark UrduGeoD 15:30  अब सलीब पर से उतरकर अपने आपको बचा!”
Mark UrduGeoD 15:31  राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा ने भी ईसा का मज़ाक़ उड़ाकर कहा, “इसने औरों को बचाया, लेकिन अपने आपको नहीं बचा सकता।
Mark UrduGeoD 15:32  इसराईल का यह बादशाह मसीह अब सलीब पर से उतर आए ताकि हम यह देखकर ईमान लाएँ।” और जिन आदमियों को उसके साथ मसलूब किया गया था उन्होंने भी उसे लान-तान की।
Mark UrduGeoD 15:33  दोपहर बारह बजे पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया। यह तारीकी तीन घंटों तक रही।
Mark UrduGeoD 15:34  फिर तीन बजे ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “एली, एली, लमा शबक़्तनी?” जिसका मतलब है, “ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तूने मुझे क्यों तर्क कर दिया है?”
Mark UrduGeoD 15:35  यह सुनकर पास खड़े कुछ लोग कहने लगे, “वह इलियास नबी को बुला रहा है।”
Mark UrduGeoD 15:36  किसी ने दौड़कर मै के सिरके में एक इस्फ़ंज डुबोया और उसे डंडे पर लगाकर ईसा को चुसाने की कोशिश की। वह बोला, “आओ हम देखें, शायद इलियास आकर उसे सलीब पर से उतार ले।”
Mark UrduGeoD 15:37  लेकिन ईसा ने बड़े ज़ोर से चिल्लाकर दम छोड़ दिया।
Mark UrduGeoD 15:38  उसी वक़्त बैतुल-मुक़द्दस के मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने लटका हुआ परदा ऊपर से लेकर नीचे तक दो हिस्सों में फट गया।
Mark UrduGeoD 15:39  जब ईसा के मुक़ाबिल खड़े रोमी अफ़सर ने देखा कि वह किस तरह मरा तो उसने कहा, “यह आदमी वाक़ई अल्लाह का फ़रज़ंद था!”
Mark UrduGeoD 15:40  कुछ ख़वातीन भी वहाँ थीं जो कुछ फ़ासले पर उसका मुशाहदा कर रही थीं। उनमें मरियम मग्दलीनी, छोटे याक़ूब और योसेस की माँ मरियम और सलोमी भी थीं।
Mark UrduGeoD 15:41  गलील में यह औरतें ईसा के पीछे चलकर इसकी ख़िदमत करती रही थीं। कई और ख़वातीन भी वहाँ थीं जो उसके साथ यरूशलम आ गई थीं।
Mark UrduGeoD 15:42  यह सब कुछ जुमे को हुआ जो अगले दिन के सबत के लिए तैयारी का दिन था। जब शाम होने को थी
Mark UrduGeoD 15:43  तो अरिमतियाह का एक आदमी बनाम यूसुफ़ हिम्मत करके पीलातुस के पास गया और उससे ईसा की लाश माँगी। (यूसुफ़ यहूदी अदालते-आलिया का नामवर मेंबर था और अल्लाह की बादशाही के आने के इंतज़ार में था।)
Mark UrduGeoD 15:44  पीलातुस यह सुनकर हैरान हुआ कि ईसा मर चुका है। उसने रोमी अफ़सर को बुलाकर उससे पूछा कि क्या ईसा वाक़ई मर चुका है?
Mark UrduGeoD 15:45  जब अफ़सर ने इसकी तसदीक़ की तो पीलातुस ने यूसुफ़ को लाश दे दी।
Mark UrduGeoD 15:46  यूसुफ़ ने कफ़न ख़रीद लिया, फिर ईसा की लाश उतारकर उसे कतान के कफ़न में लपेटा और एक क़ब्र में रख दिया जो चटान में तराशी गई थी। आख़िर में उसने एक बड़ा पत्थर लुढ़काकर क़ब्र का मुँह बंद कर दिया।
Mark UrduGeoD 15:47  मरियम मग्दलीनी और योसेस की माँ मरियम ने देख लिया कि ईसा की लाश कहाँ रखी गई है।
Chapter 16
Mark UrduGeoD 16:1  हफ़ते की शाम को जब सबत का दिन गुज़र गया तो मरियम मग्दलीनी, याक़ूब की माँ मरियम और सलोमी ने ख़ुशबूदार मसाले ख़रीद लिए, क्योंकि वह क़ब्र के पास जाकर उन्हें ईसा की लाश पर लगाना चाहती थीं।
Mark UrduGeoD 16:2  चुनाँचे वह इतवार को सुबह-सवेरे ही क़ब्र पर गईं। सूरज तुलू हो रहा था।
Mark UrduGeoD 16:3  रास्ते में वह एक दूसरे से पूछने लगीं, “कौन हमारे लिए क़ब्र के मुँह से पत्थर को लुढ़काएगा?”
Mark UrduGeoD 16:4  लेकिन जब वहाँ पहुँचीं और नज़र उठाकर क़ब्र पर ग़ौर किया तो देखा कि पत्थर को एक तरफ़ लुढ़काया जा चुका है। यह पत्थर बहुत बड़ा था।
Mark UrduGeoD 16:5  वह क़ब्र में दाख़िल हुईं। वहाँ एक जवान आदमी नज़र आया जो सफ़ेद लिबास पहने हुए दाईं तरफ़ बैठा था। वह घबरा गईं।
Mark UrduGeoD 16:6  उसने कहा, “मत घबराओ। तुम ईसा नासरी को ढूँड रही हो जो मसलूब हुआ था। वह जी उठा है, वह यहाँ नहीं है। उस जगह को ख़ुद देख लो जहाँ उसे रखा गया था।
Mark UrduGeoD 16:7  अब जाओ, उसके शागिर्दों और पतरस को बता दो कि वह तुम्हारे आगे आगे गलील पहुँच जाएगा। वहीं तुम उसे देखोगे, जिस तरह उसने तुमको बताया था।”
Mark UrduGeoD 16:8  ख़वातीन लरज़ती और उलझी हुई हालत में क़ब्र से निकलकर भाग गईं। उन्होंने किसी को भी कुछ न बताया, क्योंकि वह निहायत सहमी हुई थीं।
Mark UrduGeoD 16:9  जब ईसा इतवार को सुबह-सवेरे जी उठा तो पहला शख़्स जिस पर वह ज़ाहिर हुआ मरियम मग्दलीनी थी जिससे उसने सात बदरूहें निकाली थीं।
Mark UrduGeoD 16:10  मरियम ईसा के साथियों के पास गई जो मातम कर रहे और रो रहे थे। उसने उन्हें जो कुछ हुआ था बताया।
Mark UrduGeoD 16:11  लेकिन गो उन्होंने सुना कि ईसा ज़िंदा है और कि मरियम ने उसे देखा है तो भी उन्हें यक़ीन न आया।
Mark UrduGeoD 16:12  इसके बाद ईसा दूसरी सूरत में उनमें से दो पर ज़ाहिर हुआ जब वह यरूशलम से देहात की तरफ़ पैदल चल रहे थे।
Mark UrduGeoD 16:13  दोनों ने वापस जाकर यह बात बाक़ी लोगों को बताई। लेकिन उन्हें इनका भी यक़ीन न आया।
Mark UrduGeoD 16:14  आख़िर में ईसा ग्यारह शागिर्दों पर भी ज़ाहिर हुआ। उस वक़्त वह मेज़ पर बैठे खाना खा रहे थे। उसने उन्हें उनकी बेएतक़ादी और सख़्तदिली के सबब से डाँटा, कि उन्होंने उनका यक़ीन न किया जिन्होंने उसे ज़िंदा देखा था।
Mark UrduGeoD 16:15  फिर उसने उनसे कहा, “पूरी दुनिया में जाकर तमाम मख़लूक़ात को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाओ।
Mark UrduGeoD 16:16  जो भी ईमान लाकर बपतिस्मा ले उसे नजात मिलेगी। लेकिन जो ईमान न लाए उसे मुजरिम क़रार दिया जाएगा।
Mark UrduGeoD 16:17  और जहाँ जहाँ लोग ईमान रखेंगे वहाँ यह इलाही निशान ज़ाहिर होंगे : वह मेरे नाम से बदरूहें निकाल देंगे, नई नई ज़बानें बोलेंगे
Mark UrduGeoD 16:18  और साँपों को उठाकर महफ़ूज़ रहेंगे। मोहलक ज़हर पीने से उन्हें नुक़सान नहीं पहुँचेगा और जब वह अपने हाथ मरीज़ों पर रखेंगे तो शफ़ा पाएँगे।”
Mark UrduGeoD 16:19  उनसे बात करने के बाद ख़ुदावंद ईसा को आसमान पर उठा लिया गया और वह अल्लाह के दहने हाथ बैठ गया।
Mark UrduGeoD 16:20  इस पर शागिर्दों ने निकलकर हर जगह मुनादी की। और ख़ुदावंद ने उनकी हिमायत करके इलाही निशानों से कलाम की तसदीक़ की।