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I SAMUEL
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Chapter 1
I Sa UrduGeoD 1:1  इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े के शहर रामातायम-सोफ़ीम यानी रामा में एक इफ़राईमी रहता था जिसका नाम इलक़ाना बिन यरोहाम बिन इलीहू बिन तूख़ू बिन सूफ़ था।
I Sa UrduGeoD 1:2  इलक़ाना की दो बीवियाँ थीं। एक का नाम हन्ना था और दूसरी का फ़निन्ना। फ़निन्ना के बच्चे थे, लेकिन हन्ना बेऔलाद थी।
I Sa UrduGeoD 1:3  इलक़ाना हर साल अपने ख़ानदान समेत सफ़र करके सैला के मक़दिस के पास जाता ताकि वहाँ रब्बुल-अफ़वाज के हुज़ूर क़ुरबानी गुज़राने और उस की परस्तिश करे। उन दिनों में एली इमाम के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास सैला में इमाम की ख़िदमत अंजाम देते थे।
I Sa UrduGeoD 1:4  हर साल इलक़ाना अपनी क़ुरबानी पेश करने के बाद क़ुरबानी के गोश्त के टुकड़े फ़निन्ना और उसके बेटे-बेटियों में तक़सीम करता।
I Sa UrduGeoD 1:5  हन्ना को भी गोश्त मिलता, लेकिन जहाँ दूसरों को एक हिस्सा मिलता वहाँ उसे दो हिस्से मिलते थे। क्योंकि इलक़ाना उससे बहुत मुहब्बत रखता था, अगरचे अब तक रब की मरज़ी नहीं थी कि हन्ना के बच्चे पैदा हों।
I Sa UrduGeoD 1:6  फ़निन्ना की हन्ना से दुश्मनी थी, इसलिए वह हर साल हन्ना के बाँझपन का मज़ाक़ उड़ाकर उसे तंग करती थी।
I Sa UrduGeoD 1:7  साल बसाल ऐसा ही हुआ करता था। जब भी वह रब के मक़दिस के पास जाते तो फ़निन्ना हन्ना को इतना तंग करती कि वह उस की बातें सुन सुनकर रो पड़ती और खा-पी न सकती।
I Sa UrduGeoD 1:8  फिर इलक़ाना पूछता, “हन्ना, तू क्यों रो रही है? तू खाना क्यों नहीं खा रही? उदास होने की क्या ज़रूरत? मैं तो हूँ। क्या यह दस बेटों से कहीं बेहतर नहीं?”
I Sa UrduGeoD 1:9  एक दिन जब वह सैला में थे तो हन्ना खाने-पीने के बाद दुआ करने के लिए उठी। एली इमाम रब के मक़दिस के दरवाज़े के पास कुरसी पर बैठा था।
I Sa UrduGeoD 1:10  हन्ना शदीद परेशानी के आलम में फूट फूटकर रोने लगी। रब से दुआ करते करते
I Sa UrduGeoD 1:11  उसने क़सम खाई, “ऐ रब्बुल-अफ़वाज, मेरी बुरी हालत पर नज़र डालकर मुझे याद कर! अपनी ख़ादिमा को मत भूलना बल्कि बेटा अता फ़रमा! अगर तू ऐसा करे तो मैं उसे तुझे वापस कर दूँगी। ऐ रब, उस की पूरी ज़िंदगी तेरे लिए मख़सूस होगी! इसका निशान यह होगा कि उसके बाल कभी नहीं कटवाए जाएंगे।”
I Sa UrduGeoD 1:12  हन्ना बड़ी देर तक यों दुआ करती रही। एली उसके मुँह पर ग़ौर करने लगा
I Sa UrduGeoD 1:13  तो देखा कि हन्ना के होंट तो हिल रहे हैं लेकिन आवाज़ सुनाई नहीं दे रही, क्योंकि हन्ना दिल ही दिल में दुआ कर रही थी। लेकिन एली को ऐसा लग रहा था कि वह नशे में धुत है,
I Sa UrduGeoD 1:14  इसलिए उसने उसे झिड़कते हुए कहा, “तू कब तक नशे में धुत रहेगी? मै पीने से बाज़ आ!”
I Sa UrduGeoD 1:15  हन्ना ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने न मै, न कोई और नशा-आवर चीज़ चखी है। बात यह है कि मैं बड़ी रंजीदा हूँ, इसलिए रब के हुज़ूर अपने दिल की आहो-ज़ारी उंडेल दी है।
I Sa UrduGeoD 1:16  यह न समझें कि मैं निकम्मी औरत हूँ, बल्कि मैं बड़े ग़म और अज़ियत में दुआ कर रही थी।”
I Sa UrduGeoD 1:17  यह सुनकर एली ने जवाब दिया, “सलामती से अपने घर चली जा! इसराईल का ख़ुदा तेरी दरख़ास्त पूरी करे।”
I Sa UrduGeoD 1:18  हन्ना ने कहा, “अपनी ख़ादिमा पर आपकी नज़रे-करम हो।” फिर उसने जाकर कुछ खाया, और उसका चेहरा उदास न रहा।
I Sa UrduGeoD 1:19  अगले दिन पूरा ख़ानदान सुबह-सवेरे उठा। उन्होंने मक़दिस में जाकर रब की परस्तिश की, फिर रामा वापस चले गए जहाँ उनका घर था। और रब ने हन्ना को याद करके उस की दुआ सुनी।
I Sa UrduGeoD 1:20  इलक़ाना और हन्ना के बेटा पैदा हुआ। हन्ना ने उसका नाम समुएल यानी ‘उसका नाम अल्लाह है’ रखा, क्योंकि उसने कहा, “मैंने उसे रब से माँगा।”
I Sa UrduGeoD 1:21  अगले साल इलक़ाना ख़ानदान के साथ मामूल के मुताबिक़ सैला गया ताकि रब को सालाना क़ुरबानी पेश करे और अपनी मन्नत पूरी करे।
I Sa UrduGeoD 1:22  लेकिन हन्ना न गई। उसने अपने शौहर से कहा, “जब बच्चा दूध पीना छोड़ देगा तब ही मैं उसे लेकर रब के हुज़ूर पेश करूँगी। उस वक़्त से वह हमेशा वहीं रहेगा।”
I Sa UrduGeoD 1:23  इलक़ाना ने जवाब दिया, “वह कुछ कर जो तुझे मुनासिब लगे। बच्चे का दूध छुड़ाने तक यहाँ रह। लेकिन रब अपना कलाम क़ायम रखे।” चुनाँचे हन्ना बच्चे के दूध छुड़ाने तक घर में रही।
I Sa UrduGeoD 1:24  जब समुएल ने दूध पीना छोड़ दिया तो हन्ना उसे सैला में रब के मक़दिस के पास ले गई, गो बच्चा अभी छोटा था। क़ुरबानियों के लिए उसके पास तीन बैल, मैदे के तक़रीबन 16 किलोग्राम और मै की मशक थी।
I Sa UrduGeoD 1:25  बैल को क़ुरबानगाह पर चढ़ाने के बाद इलक़ाना और हन्ना बच्चे को एली के पास ले गए।
I Sa UrduGeoD 1:26  हन्ना ने कहा, “मेरे आक़ा, आपकी हयात की क़सम, मैं वही औरत हूँ जो कुछ साल पहले यहाँ आपकी मौजूदगी में खड़ी दुआ कर रही थी।
I Sa UrduGeoD 1:27  उस वक़्त मैंने इलतमास की थी कि रब मुझे बेटा अता करे, और रब ने मेरी सुनी है।
I Sa UrduGeoD 1:28  चुनाँचे अब मैं अपना वादा पूरा करके बेटे को रब को वापस कर देती हूँ। उम्र-भर वह रब के लिए मख़सूस होगा।” तब उसने रब के हुज़ूर सिजदा किया।
Chapter 2
I Sa UrduGeoD 2:1  वहाँ हन्ना ने यह गीत गाया, “मेरा दिल रब की ख़ुशी मनाता है, क्योंकि उसने मुझे क़ुव्वत अता की है। मेरा मुँह दिलेरी से अपने दुश्मनों के ख़िलाफ़ बात करता है, क्योंकि मैं तेरी नजात के बाइस बाग़ बाग़ हूँ।
I Sa UrduGeoD 2:2  रब जैसा क़ुद्दूस कोई नहीं है, तेरे सिवा कोई नहीं है। हमारे ख़ुदा जैसी कोई चटान नहीं है।
I Sa UrduGeoD 2:3  डींगें मारने से बाज़ आओ! गुस्ताख़ बातें मत बको! क्योंकि रब ऐसा ख़ुदा है जो सब कुछ जानता है, वह तमाम आमाल को तोलकर परखता है।
I Sa UrduGeoD 2:4  अब बड़ों की कमानें टूट गई हैं जबकि गिरनेवाले क़ुव्वत से कमरबस्ता हो गए हैं।
I Sa UrduGeoD 2:5  जो पहले सेर थे वह रोटी मिलने के लिए मज़दूरी करते हैं जबकि जो पहले भूके थे वह सेर हो गए हैं। बेऔलाद औरत के सात बच्चे पैदा हुए हैं जबकि वाफ़िर बच्चों की माँ मुरझा रही है।
I Sa UrduGeoD 2:6  रब एक को मरने देता और दूसरे को ज़िंदा होने देता है। वह एक को पाताल में उतरने देता और दूसरे को वहाँ से निकल आने देता है।
I Sa UrduGeoD 2:7  रब ही ग़रीब और अमीर बना देता है, वही पस्त करता और वही सरफ़राज़ करता है।
I Sa UrduGeoD 2:8  वह ख़ाक में दबे आदमी को खड़ा करता है और राख में लेटे ज़रूरतमंद को सरफ़राज़ करता है, फिर उन्हें रईसों के साथ इज़्ज़त की कुरसी पर बिठा देता है। क्योंकि दुनिया की बुनियादें रब की हैं, और उसी ने उन पर ज़मीन रखी है।
I Sa UrduGeoD 2:9  वह अपने वफ़ादार पैरोकारों के पाँव महफ़ूज़ रखेगा जबकि शरीर तारीकी में चुप हो जाएंगे। क्योंकि इनसान अपनी ताक़त से कामयाब नहीं होता।
I Sa UrduGeoD 2:10  जो रब से लड़ने की जुर्रत करें वह पाश पाश हो जाएंगे। रब आसमान से उनके ख़िलाफ़ गरजकर दुनिया की इंतहा तक सबकी अदालत करेगा। वह अपने बादशाह को तक़वियत और अपने मसह किए हुए ख़ादिम को क़ुव्वत अता करेगा।”
I Sa UrduGeoD 2:11  फिर इलक़ाना और हन्ना रामा में अपने घर वापस चले गए। लेकिन उनका बेटा एली इमाम के पास रहा और मक़दिस में रब की ख़िदमत करने लगा।
I Sa UrduGeoD 2:12  लेकिन एली के बेटे बदमाश थे। न वह रब को जानते थे,
I Sa UrduGeoD 2:13  न इमाम की हैसियत से अपने फ़रायज़ सहीह तौर पर अदा करते थे। क्योंकि जब भी कोई आदमी अपनी क़ुरबानी पेश करके रिफ़ाक़ती खाने के लिए गोश्त उबालता तो एली के बेटे अपने नौकर को वहाँ भेज देते। यह नौकर सिहशाख़ा काँटा
I Sa UrduGeoD 2:14  देग में डालकर गोश्त का हर वह टुकड़ा अपने मालिकों के पास ले जाता जो काँटे से लग जाता। यही उनका तमाम इसराईलियों के साथ सुलूक था जो सैला में क़ुरबानियाँ चढ़ाने आते थे।
I Sa UrduGeoD 2:15  न सिर्फ़ यह बल्कि कई बार नौकर उस वक़्त भी आ जाता जब जानवर की चरबी अभी क़ुरबानगाह पर जलानी होती थी। फिर वह तक़ाज़ा करता, “मुझे इमाम के लिए कच्चा गोश्त दे दो! उसे उबला गोश्त मंज़ूर नहीं बल्कि सिर्फ़ कच्चा गोश्त, क्योंकि वह उसे भूनना चाहता है।”
I Sa UrduGeoD 2:16  क़ुरबानी पेश करनेवाला एतराज़ करता, “पहले तो रब के लिए चरबी जलाना है, इसके बाद ही जो जी चाहे ले लें।” फिर नौकर बदतमीज़ी करता, “नहीं, उसे अभी दे दो, वरना मैं ज़बरदस्ती ले लूँगा।”
I Sa UrduGeoD 2:17  इन जवान इमामों का यह गुनाह रब की नज़र में निहायत संगीन था, क्योंकि वह रब की क़ुरबानियाँ हक़ीर जानते थे।
I Sa UrduGeoD 2:18  लेकिन छोटा समुएल रब के हुज़ूर ख़िदमत करता रहा। उसे भी दूसरे इमामों की तरह कतान का बालापोश दिया गया था।
I Sa UrduGeoD 2:19  हर साल जब उस की माँ ख़ाविंद के साथ क़ुरबानी पेश करने के लिए सैला आती तो वह नया चोग़ा सीकर उसे दे देती।
I Sa UrduGeoD 2:20  और रवाना होने से पहले एली समुएल के माँ-बाप को बरकत देकर इलक़ाना से कहता, “हन्ना ने रब से बच्चा माँग लिया और जब मिला तो उसे रब को वापस कर दिया। अब रब आपको इस बच्चे की जगह मज़ीद बच्चे दे।” इसके बाद वह अपने घर चले जाते।
I Sa UrduGeoD 2:21  और वाक़ई, रब ने हन्ना को मज़ीद तीन बेटे और दो बेटियाँ अता कीं। यह बच्चे घर में रहे, लेकिन समुएल रब के हुज़ूर ख़िदमत करते करते जवान हो गया।
I Sa UrduGeoD 2:22  एली उस वक़्त बहुत बूढ़ा हो चुका था। बेटों का तमाम इसराईल के साथ बुरा सुलूक उसके कानों तक पहुँच गया था, बल्कि यह भी कि बेटे उन औरतों से नाजायज़ ताल्लुक़ात रखते हैं जो मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर ख़िदमत करती हैं।
I Sa UrduGeoD 2:23  उसने उन्हें समझाया भी था, “आप ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं? मुझे तमाम लोगों से आपके शरीर कामों की ख़बरें मिलती रहती हैं।
I Sa UrduGeoD 2:24  बेटो, ऐसा मत करना! जो बातें आपके बारे में रब की क़ौम में फैल गई हैं वह अच्छी नहीं।
I Sa UrduGeoD 2:25  देखें, अगर इनसान किसी दूसरे इनसान का गुनाह करे तो हो सकता है अल्लाह दोनों का दरमियानी बनकर क़ुसूरवार शख़्स पर रहम करे। लेकिन अगर कोई रब का गुनाह करे तो फिर कौन उसका दरमियानी बनकर उसे बचाएगा?” लेकिन एली के बेटों ने बाप की न सुनी, क्योंकि रब की मरज़ी थी कि उन्हें सज़ाए-मौत मिल जाए।
I Sa UrduGeoD 2:26  लेकिन समुएल उनसे फ़रक़ था। जितना वह बड़ा होता गया उतनी उस की रब और इनसान के सामने क़बूलियत बढ़ती गई।
I Sa UrduGeoD 2:27  एक दिन एक नबी एली के पास आया और कहा, “रब फ़रमाता है, ‘क्या जब तेरा बाप हारून और उसका घराना मिसर के बादशाह के ग़ुलाम थे तो मैंने अपने आपको उस पर ज़ाहिर न किया?
I Sa UrduGeoD 2:28  गो इसराईल के बारह क़बीले थे लेकिन मैंने मुक़र्रर किया कि उसी के घराने के मर्द मेरे इमाम बनकर क़ुरबानगाह के सामने ख़िदमत करें, बख़ूर जलाएँ और मेरे हुज़ूर इमाम का बालापोश पहनें। साथ साथ मैंने उन्हें क़ुरबानगाह पर जलनेवाली क़ुरबानियों का एक हिस्सा मिलने का हक़ दे दिया।
I Sa UrduGeoD 2:29  तो फिर तुम लोग ज़बह और ग़ल्ला की वह क़ुरबानियाँ हक़ीर क्यों जानते हो जो मुझे ही पेश की जाती हैं और जो मैंने अपनी सुकूनतगाह के लिए मुक़र्रर की थीं? एली, तू अपने बेटों का मुझसे ज़्यादा एहतराम करता है। तुम तो मेरी क़ौम इसराईल की हर क़ुरबानी के बेहतरीन हिस्से खा खाकर मोटे हो गए हो।’
I Sa UrduGeoD 2:30  चुनाँचे रब जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, वादा तो मैंने किया था कि लावी के क़बीले का तेरा घराना हमेशा ही इमाम की ख़िदमत सरंजाम देगा। लेकिन अब मैं एलान करता हूँ कि ऐसा कभी नहीं होगा! क्योंकि जो मेरा एहतराम करते हैं उनका मैं एहतराम करूँगा, लेकिन जो मुझे हक़ीर जानते हैं उन्हें हक़ीर जाना जाएगा।
I Sa UrduGeoD 2:31  इसलिए सुन! ऐसे दिन आ रहे हैं जब मैं तेरी और तेरे घराने की ताक़त यों तोड़ डालूँगा कि घर का कोई भी बुज़ुर्ग नहीं पाया जाएगा।
I Sa UrduGeoD 2:32  और तू मक़दिस में मुसीबत देखेगा हालाँकि मैं इसराईल के साथ भलाई करता रहूँगा। तेरे घर में कभी भी बुज़ुर्ग नहीं पाया जाएगा।
I Sa UrduGeoD 2:33  मैं तुममें से हर एक को तो अपनी ख़िदमत से निकालकर हलाक नहीं करूँगा जब तेरी आँखें धुँधली-सी पड़ जाएँगी और तेरी जान हलकान हो जाएगी। लेकिन तेरी तमाम औलाद ग़ैरतबई मौत मरेगी।
I Sa UrduGeoD 2:34  तेरे बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास दोनों एक ही दिन हलाक हो जाएंगे। इस निशान से तुझे यक़ीन आएगा कि जो कुछ मैंने फ़रमाया है वह सच है।
I Sa UrduGeoD 2:35  तब मैं अपने लिए एक इमाम खड़ा करूँगा जो वफ़ादार रहेगा। जो भी मेरा दिल और मेरी जान चाहेगी वही वह करेगा। मैं उसके घर की मज़बूत बुनियादें रखूँगा, और वह हमेशा तक मेरे मसह किए हुए ख़ादिम के हुज़ूर आता जाता रहेगा।
I Sa UrduGeoD 2:36  उस वक़्त तेरे घर के बचे हुए तमाम अफ़राद उस इमाम के सामने झुक जाएंगे और पैसे और रोटी माँगकर इलतमास करेंगे, ‘मुझे इमाम की कोई न कोई ज़िम्मादारी दें ताकि रोटी का टुकड़ा मिल जाए’।”
Chapter 3
I Sa UrduGeoD 3:1  छोटा समुएल एली के ज़ेरे-निगरानी रब के हुज़ूर ख़िदमत करता था। उन दिनों में रब की तरफ़ से बहुत कम पैग़ाम या रोयाएँ मिलती थीं।
I Sa UrduGeoD 3:2  एक रात एली जिसकी आँखें इतनी कमज़ोर हो गई थीं कि देखना तक़रीबन नामुमकिन था मामूल के मुताबिक़ सो गया था।
I Sa UrduGeoD 3:3  समुएल भी लेट गया था। वह रब के मक़दिस में सो रहा था जहाँ अहद का संदूक़ पड़ा था। शमादान अब तक रब के हुज़ूर जल रहा था
I Sa UrduGeoD 3:4  कि अचानक रब ने आवाज़ दी, “समुएल!” समुएल ने जवाब दिया, “जी, मैं अभी आता हूँ।” वह भागकर एली के पास गया और कहा, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आपने मुझे बुलाया?” एली बोला, “नहीं, मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। वापस जाकर दुबारा लेट जाओ।” चुनाँचे समुएल दुबारा लेट गया।
I Sa UrduGeoD 3:5  कि अचानक रब ने आवाज़ दी, “समुएल!” समुएल ने जवाब दिया, “जी, मैं अभी आता हूँ।” वह भागकर एली के पास गया और कहा, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आपने मुझे बुलाया?” एली बोला, “नहीं, मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। वापस जाकर दुबारा लेट जाओ।” चुनाँचे समुएल दुबारा लेट गया।
I Sa UrduGeoD 3:6  लेकिन रब ने एक बार फिर आवाज़ दी, “समुएल!” लड़का दुबारा उठा और एली के पास जाकर बोला, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आपने मुझे बुलाया?” एली ने जवाब दिया, “नहीं बेटा, मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। दुबारा सो जाओ।”
I Sa UrduGeoD 3:7  उस वक़्त समुएल रब की आवाज़ नहीं पहचान सकता था, क्योंकि अभी उसे रब का कोई पैग़ाम नहीं मिला था।
I Sa UrduGeoD 3:8  चुनाँचे रब ने तीसरी बार आवाज़ दी, “समुएल!” एक और मरतबा समुएल उठ खड़ा हुआ और एली के पास जाकर बोला, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आपने मुझे बुलाया?” यह सुनकर एली ने जान लिया कि रब समुएल से हमकलाम हो रहा है।
I Sa UrduGeoD 3:9  इसलिए उसने लड़के को बताया, “अब दुबारा लेट जाओ, लेकिन अगली दफ़ा जब आवाज़ सुनाई दे तो तुम्हें कहना है, ‘ऐ रब, फ़रमा। तेरा ख़ादिम सुन रहा है’।” समुएल एक बार फिर अपने बिस्तर पर लेट गया।
I Sa UrduGeoD 3:10  रब आकर वहाँ खड़ा हुआ और पहले की तरह पुकारा, “समुएल! समुएल!” लड़के ने जवाब दिया, “ऐ रब, फ़रमा। तेरा ख़ादिम सुन रहा है।”
I Sa UrduGeoD 3:11  फिर रब समुएल से हमकलाम हुआ, “देख, मैं इसराईल में इतना हौलनाक काम करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे।
I Sa UrduGeoD 3:12  उस वक़्त मैं शुरू से लेकर आख़िर तक वह तमाम बातें पूरी करूँगा जो मैंने एली और उसके घराने के बारे में की हैं।
I Sa UrduGeoD 3:13  मैं एली को आगाह कर चुका हूँ कि उसका घराना हमेशा तक मेरी अदालत का निशाना बना रहेगा। क्योंकि गो उसे साफ़ मालूम था कि उसके बेटे अपनी ग़लत हरकतों से मेरा ग़ज़ब अपने आप पर लाएँगे तो भी उसने उन्हें करने दिया और न रोका।
I Sa UrduGeoD 3:14  मैंने क़सम खाई है कि एली के घराने का क़ुसूर न ज़बह और न ग़ल्ला की किसी क़ुरबानी से दूर किया जा सकता है बल्कि इसका कफ़्फ़ारा कभी भी नहीं दिया जा सकेगा!”
I Sa UrduGeoD 3:15  इसके बाद समुएल सुबह तक अपने बिस्तर पर लेटा रहा। फिर वह मामूल के मुताबिक़ उठा और रब के घर के दरवाज़े खोल दिए। वह एली को अपनी रोया बताने से डरता था,
I Sa UrduGeoD 3:16  लेकिन एली ने उसे बुलाकर कहा, “समुएल, मेरे बेटे!” समुएल ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
I Sa UrduGeoD 3:17  एली ने पूछा, “रब ने तुम्हें क्या बताया है? कोई भी बात मुझसे मत छुपाना! अल्लाह तुम्हें सख़्त सज़ा दे अगर तुम एक लफ़्ज़ भी मुझसे पोशीदा रखो।”
I Sa UrduGeoD 3:18  फिर समुएल ने उसे खुलकर सब कुछ बता दिया और एक बात भी न छुपाई। एली ने कहा, “वही रब है। जो कुछ उस की नज़र में ठीक है उसे वह करे।”
I Sa UrduGeoD 3:19  समुएल जवान होता गया, और रब उसके साथ था। उसने समुएल की हर बात पूरी होने दी।
I Sa UrduGeoD 3:20  पूरे इसराईल ने दान से लेकर बैर-सबा तक जान लिया कि रब ने अपने नबी समुएल की तसदीक़ की है।
I Sa UrduGeoD 3:21  अगले सालों में भी रब सैला में अपने कलाम से समुएल पर ज़ाहिर होता रहा।
Chapter 4
I Sa UrduGeoD 4:1  यों समुएल का कलाम सैला से निकलकर पूरे इसराईल में फैल गया। एक दिन इसराईल की फ़िलिस्तियों के साथ जंग छिड़ गई। इसराईलियों ने लड़ने के लिए निकलकर अबन-अज़र के पास अपनी लशकरगाह लगाई जबकि फ़िलिस्तियों ने अफ़ीक़ के पास अपने डेरे डाले।
I Sa UrduGeoD 4:2  पहले फ़िलिस्तियों ने इसराईलियों पर हमला किया। लड़ते लड़ते उन्होंने इसराईल को शिकस्त दी। तक़रीबन 4,000 इसराईली मैदाने-जंग में हलाक हुए।
I Sa UrduGeoD 4:3  फ़ौज लशकरगाह में वापस आई तो इसराईल के बुज़ुर्ग सोचने लगे, “रब ने फ़िलिस्तियों को हम पर क्यों फ़तह पाने दी? आओ, हम रब के अहद का संदूक़ सैला से ले आएँ ताकि वह हमारे साथ चलकर हमें दुश्मन से बचाए।”
I Sa UrduGeoD 4:4  चुनाँचे अहद का संदूक़ जिसके ऊपर रब्बुल-अफ़वाज करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है सैला से लाया गया। एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी साथ आए।
I Sa UrduGeoD 4:5  जब अहद का संदूक़ लशकरगाह में पहुँचा तो इसराईली निहायत ख़ुश होकर बुलंद आवाज़ से नारे लगाने लगे। इतना शोर मच गया कि ज़मीन हिल गई।
I Sa UrduGeoD 4:6  यह सुनकर फ़िलिस्ती चौंक उठे और एक दूसरे से पूछने लगे, “यह कैसा शोर है जो इसराईली लशकरगाह में हो रहा है?” जब पता चला कि रब के अहद का संदूक़ इसराईली लशकरगाह में आ गया है
I Sa UrduGeoD 4:7  तो वह घबराकर चिल्लाए, “उनका देवता उनकी लशकरगाह में आ गया है। हाय, हमारा सत्यानास हो गया है! पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ है।
I Sa UrduGeoD 4:8  हम पर अफ़सोस! कौन हमें इन ताक़तवर देवताओं से बचाएगा? क्योंकि इन्हीं ने रेगिस्तान में मिसरियों को हर क़िस्म की बला से मारकर हलाक कर दिया था।
I Sa UrduGeoD 4:9  भाइयो, अब दिलेर हो और मरदानगी दिखाओ, वरना हम उसी तरह इबरानियों के ग़ुलाम बन जाएंगे जैसे वह अब तक हमारे ग़ुलाम थे। मरदानगी दिखाकर लड़ो!”
I Sa UrduGeoD 4:10  आपस में ऐसी बातें करते करते फ़िलिस्ती लड़ने के लिए निकले और इसराईल को शिकस्त दी। हर तरफ़ क़त्ले-आम नज़र आया, और 30,000 प्यादे इसराईली काम आए। बाक़ी सब फ़रार होकर अपने अपने घरों में छुप गए।
I Sa UrduGeoD 4:11  एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी उसी दिन हलाक हुए, और अल्लाह के अहद का संदूक़ फ़िलिस्तियों के क़ब्ज़े में आ गया।
I Sa UrduGeoD 4:12  उसी दिन बिनयमीन के क़बीले का एक आदमी मैदाने-जंग से भागकर सैला पहुँच गया। उसके कपड़े फटे हुए थे और सर पर ख़ाक थी।
I Sa UrduGeoD 4:13  एली सड़क के किनारे अपनी कुरसी पर बैठा था। वह अब अंधा हो चुका था, क्योंकि उस की उम्र 98 साल थी। वह बड़ी बेचैनी से रास्ते पर ध्यान दे रहा था ताकि जंग की कोई ताज़ा ख़बर मिल जाए, क्योंकि उसे इस बात की बड़ी फ़िकर थी कि अल्लाह का संदूक़ लशकरगाह में है। जब वह आदमी शहर में दाख़िल हुआ और लोगों को सारा माजरा सुनाया तो पूरा शहर चिल्लाने लगा। जब एली ने शोर सुना तो उसने पूछा, “यह क्या शोर है?” बिनयमीनी दौड़कर एली के पास आया और बोला,
I Sa UrduGeoD 4:14  एली सड़क के किनारे अपनी कुरसी पर बैठा था। वह अब अंधा हो चुका था, क्योंकि उस की उम्र 98 साल थी। वह बड़ी बेचैनी से रास्ते पर ध्यान दे रहा था ताकि जंग की कोई ताज़ा ख़बर मिल जाए, क्योंकि उसे इस बात की बड़ी फ़िकर थी कि अल्लाह का संदूक़ लशकरगाह में है। जब वह आदमी शहर में दाख़िल हुआ और लोगों को सारा माजरा सुनाया तो पूरा शहर चिल्लाने लगा। जब एली ने शोर सुना तो उसने पूछा, “यह क्या शोर है?” बिनयमीनी दौड़कर एली के पास आया और बोला,
I Sa UrduGeoD 4:15  एली सड़क के किनारे अपनी कुरसी पर बैठा था। वह अब अंधा हो चुका था, क्योंकि उस की उम्र 98 साल थी। वह बड़ी बेचैनी से रास्ते पर ध्यान दे रहा था ताकि जंग की कोई ताज़ा ख़बर मिल जाए, क्योंकि उसे इस बात की बड़ी फ़िकर थी कि अल्लाह का संदूक़ लशकरगाह में है। जब वह आदमी शहर में दाख़िल हुआ और लोगों को सारा माजरा सुनाया तो पूरा शहर चिल्लाने लगा। जब एली ने शोर सुना तो उसने पूछा, “यह क्या शोर है?” बिनयमीनी दौड़कर एली के पास आया और बोला,
I Sa UrduGeoD 4:16  “मैं मैदाने-जंग से आया हूँ। आज ही मैं वहाँ से फ़रार हुआ।” एली ने पूछा, “बेटा, क्या हुआ?”
I Sa UrduGeoD 4:17  क़ासिद ने जवाब दिया, “इसराईली फ़िलिस्तियों के सामने फ़रार हुए। फ़ौज को हर तरफ़ शिकस्त माननी पड़ी, और आपके दोनों बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी मारे गए हैं। अफ़सोस, अल्लाह का संदूक़ भी दुश्मन के क़ब्ज़े में आ गया है।”
I Sa UrduGeoD 4:18  अहद के संदूक़ का ज़िक्र सुनते ही एली अपनी कुरसी पर से पीछे की तरफ़ गिर गया। चूँकि वह बूढ़ा और भारी-भरकम था इसलिए उस की गरदन टूट गई और वह वहीं मक़दिस के दरवाज़े के पास ही मर गया। वह 40 साल इसराईल का क़ाज़ी रहा था।
I Sa UrduGeoD 4:19  उस वक़्त एली की बहू यानी फ़ीनहास की बीवी का पाँव भारी था और बच्चा पैदा होनेवाला था। जब उसने सुना कि अल्लाह का संदूक़ दुश्मन के हाथ में आ गया है और कि सुसर और शौहर दोनों मर गए हैं तो उसे इतना सख़्त सदमा पहुँचा कि वह शदीद दर्दे-ज़ह में मुब्तला हो गई। वह झुक गई, और बच्चा पैदा हुआ।
I Sa UrduGeoD 4:20  उस की जान निकलने लगी तो दाइयों ने उस की हौसलाअफ़्ज़ाई करके कहा, “डरो मत! तुम्हारे बेटा पैदा हुआ है।” लेकिन माँ ने न जवाब दिया, न बात पर ध्यान दिया।
I Sa UrduGeoD 4:21  क्योंकि वह अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने और सुसर और शौहर की मौत के बाइस निहायत बेदिल हो गई थी। उसने कहा, “बेटे का नाम यकबोद यानी ‘जलाल कहाँ रहा’ है, क्योंकि अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने से अल्लाह का जलाल इसराईल से जाता रहा है।”
I Sa UrduGeoD 4:22  क्योंकि वह अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने और सुसर और शौहर की मौत के बाइस निहायत बेदिल हो गई थी। उसने कहा, “बेटे का नाम यकबोद यानी ‘जलाल कहाँ रहा’ है, क्योंकि अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने से अल्लाह का जलाल इसराईल से जाता रहा है।”
Chapter 5
I Sa UrduGeoD 5:1  फ़िलिस्ती अल्लाह का संदूक़ अबन-अज़र से अशदूद शहर में ले गए।
I Sa UrduGeoD 5:2  वहाँ उन्होंने उसे अपने देवता दजून के मंदिर में बुत के क़रीब रख दिया।
I Sa UrduGeoD 5:3  अगले दिन सुबह-सवेरे जब अशदूद के बाशिंदे मंदिर में दाख़िल हुए तो क्या देखते हैं कि दजून का मुजस्समा मुँह के बल रब के संदूक़ के सामने ही पड़ा है। उन्होंने दजून को उठाकर दुबारा उस की जगह पर खड़ा किया।
I Sa UrduGeoD 5:4  लेकिन अगले दिन जब सुबह-सवेरे आए तो दजून दुबारा मुँह के बल रब के संदूक़ के सामने पड़ा हुआ था। लेकिन इस मरतबा बुत का सर और हाथ टूटकर दहलीज़ पर पड़े थे। सिर्फ़ धड़ रह गया था।
I Sa UrduGeoD 5:5  यही वजह है कि आज तक दजून का कोई भी पुजारी या मेहमान अशदूद के मंदिर की दहलीज़ पर क़दम नहीं रखता।
I Sa UrduGeoD 5:6  फिर रब ने अशदूद और गिर्दो-नवाह के देहातों पर सख़्त दबाव डालकर बाशिंदों को परेशान कर दिया। उनमें अचानक अज़ियतनाक फोड़ों की वबा फैल गई।
I Sa UrduGeoD 5:7  जब अशदूद के लोगों ने इसकी वजह जान ली तो वह बोले, “लाज़िम है कि इसराईल के ख़ुदा का संदूक़ हमारे पास न रहे। क्योंकि उसका हम पर और हमारे देवता दजून पर दबाव नाक़ाबिले-बरदाश्त है।”
I Sa UrduGeoD 5:8  उन्होंने तमाम फ़िलिस्ती हुक्मरानों को इकट्ठा करके पूछा, “हम इसराईल के ख़ुदा के संदूक़ के साथ क्या करें?” उन्होंने मशवरा दिया, “उसे जात शहर में ले जाएँ।”
I Sa UrduGeoD 5:9  लेकिन जब अहद का संदूक़ जात में छोड़ा गया तो रब का दबाव उस शहर पर भी आ गया। बड़ी अफ़रा-तफ़री पैदा हुई, क्योंकि छोटों से लेकर बड़ों तक सबको अज़ियतनाक फोड़े निकल आए।
I Sa UrduGeoD 5:10  तब उन्होंने अहद का संदूक़ आगे अक़रून भेज दिया। लेकिन संदूक़ अभी पहुँचनेवाला था कि अक़रून के बाशिंदे चीख़ने लगे, “वह इसराईल के ख़ुदा का संदूक़ हमारे पास लाए हैं ताकि हमें हलाक कर दें!”
I Sa UrduGeoD 5:11  तमाम फ़िलिस्ती हुक्मरानों को दुबारा बुलाया गया, और अक़रूनियों ने तक़ाज़ा किया कि संदूक़ को शहर से दूर किया जाए। वह बोले, “इसे वहाँ वापस भेजा जाए जहाँ से आया है, वरना यह हमें बल्कि पूरी क़ौम को हलाक कर डालेगा।” क्योंकि शहर पर रब का सख़्त दबाव हावी हो गया था। मोहलक वबा के बाइस उसमें ख़ौफ़ो-हिरास की लहर दौड़ गई।
I Sa UrduGeoD 5:12  जो मरने से बचा उसे कम अज़ कम फोड़े निकल आए। चारों तरफ़ लोगों की चीख़-पुकार फ़िज़ा में बुलंद हुई।
Chapter 6
I Sa UrduGeoD 6:1  अल्लाह का संदूक़ अब सात महीने फ़िलिस्तियों के पास रहा था।
I Sa UrduGeoD 6:2  आख़िरकार उन्होंने अपने तमाम पुजारियों और रम्मालों को बुलाकर उनसे मशवरा किया, “अब हम रब के संदूक़ का क्या करें? हमें बताएँ कि इसे किस तरह इसके अपने मुल्क में वापस भेजें।”
I Sa UrduGeoD 6:3  पुजारियों और रम्मालों ने जवाब दिया, “अगर आप उसे वापस भेजें तो वैसे मत भेजना बल्कि क़ुसूर की क़ुरबानी साथ भेजना। तब आपको शफ़ा मिलेगी, और आप जान लेंगे कि वह आपको सज़ा देने से क्यों नहीं बाज़ आया।”
I Sa UrduGeoD 6:4  फ़िलिस्तियों ने पूछा, “हम उसे किस क़िस्म की क़ुसूर की क़ुरबानी भेजें?” उन्होंने जवाब दिया, “फ़िलिस्तियों के पाँच हुक्मरान हैं, इसलिए सोने के पाँच फोड़े और पाँच चूहे बनवाएँ, क्योंकि आप सब इस एक ही वबा की ज़द में आए हुए हैं, ख़ाह हुक्मरान हों, ख़ाह रिआया।
I Sa UrduGeoD 6:5  सोने के यह फोड़े और मुल्क को तबाह करनेवाले चूहे बनाकर इसराईल के देवता का एहतराम करें। शायद वह यह देखकर आप, आपके देवताओं और मुल्क को सज़ा देने से बाज़ आए।
I Sa UrduGeoD 6:6  आप क्यों पुराने ज़माने के मिसरियों और उनके बादशाह की तरह अड़ जाएँ? क्योंकि उस वक़्त अल्लाह ने मिसरियों को इतनी सख़्त मुसीबत में डाल दिया कि आख़िरकार उन्हें इसराईलियों को जाने देना पड़ा।
I Sa UrduGeoD 6:7  अब बैलगाड़ी बनाकर उसके आगे दो गाएँ जोतें। ऐसी गाएँ हों जिनके दूध पीनेवाले बच्चे हों और जिन पर अब तक जुआ न रखा गया हो। गायों को बैलगाड़ी के आगे जोतें, लेकिन उनके बच्चों को साथ जाने न दें बल्कि उन्हें कहीं बंद रखें।
I Sa UrduGeoD 6:8  फिर रब का संदूक़ बैलगाड़ी पर रखा जाए और उसके साथ एक थैला जिसमें सोने की वह चीज़ें हों जो आप क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर भेज रहे हैं। इसके बाद गायों को खुला छोड़ दें।
I Sa UrduGeoD 6:9  ग़ौर करें कि वह कौन-सा रास्ता इख़्तियार करेंगी। अगर इसराईल के बैत-शम्स की तरफ़ चलें तो फिर मालूम होगा कि रब हम पर यह बड़ी मुसीबत लाया है। लेकिन अगर वह कहीं और चलें तो मतलब होगा कि इसराईल के देवता ने हमें सज़ा नहीं दी बल्कि सब कुछ इत्तफ़ाक़ से हुआ है।”
I Sa UrduGeoD 6:10  फ़िलिस्तियों ने ऐसा ही किया। उन्होंने दो गाएँ नई बैलगाड़ी में जोतकर उनके छोटे बच्चों को कहीं बंद रखा।
I Sa UrduGeoD 6:11  फिर उन्होंने अहद का संदूक़ उस थैले समेत जिसमें सोने के चूहे और फोड़े थे बैलगाड़ी पर रखा।
I Sa UrduGeoD 6:12  जब गायों को छोड़ दिया गया तो वह डकराती डकराती सीधी बैत-शम्स के रास्ते पर आ गईं और न दाईं, न बाईं तरफ़ हटीं। फ़िलिस्तियों के सरदार बैत-शम्स की सरहद तक उनके पीछे चले।
I Sa UrduGeoD 6:13  उस वक़्त बैत-शम्स के बाशिंदे नीचे वादी में गंदुम की फ़सल काट रहे थे। अहद का संदूक़ देखकर वह निहायत ख़ुश हुए।
I Sa UrduGeoD 6:14  बैलगाड़ी एक खेत तक पहुँची जिसका मालिक बैत-शम्स का रहनेवाला यशुअ था। वहाँ वह एक बड़े पत्थर के पास रुक गई। लोगों ने बैलगाड़ी की लकड़ी टुकड़े टुकड़े करके उसे जला दिया और गायों को ज़बह करके रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर पेश किया।
I Sa UrduGeoD 6:15  लावी के क़बीले के कुछ मर्दों ने रब के संदूक़ को बैलगाड़ी से उठाकर सोने की चीज़ों के थैले समेत पत्थर पर रख दिया। उस दिन बैत-शम्स के लोगों ने रब को भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ पेश कीं।
I Sa UrduGeoD 6:16  यह सब कुछ देखने के बाद फ़िलिस्ती सरदार उसी दिन अक़रून वापस चले गए।
I Sa UrduGeoD 6:17  फ़िलिस्तियों ने अपना क़ुसूर दूर करने के लिए हर एक शहर के लिए सोने का एक फोड़ा बना लिया था यानी अशदूद, ग़ज़्ज़ा, अस्क़लून, जात और अक़रून के लिए एक एक फोड़ा।
I Sa UrduGeoD 6:18  इसके अलावा उन्होंने हर शहर और उसके गिर्दो-नवाह की आबादियों के लिए सोने का एक एक चूहा बना लिया था। जिस बड़े पत्थर पर अहद का संदूक़ रखा गया वह आज तक यशुअ बैत-शम्सी के खेत में इस बात की गवाही देता है।
I Sa UrduGeoD 6:19  लेकिन रब ने बैत-शम्स के बाशिंदों को सज़ा दी, क्योंकि उनमें से बाज़ ने अहद के संदूक़ में नज़र डाली थी। उस वक़्त 70 अफ़राद हलाक हुए। रब की यह सख़्त सज़ा देखकर बैत-शम्स के लोग मातम करने लगे।
I Sa UrduGeoD 6:20  वह बोले, “कौन इस मुक़द्दस ख़ुदा के हुज़ूर क़ायम रह सकता है? यह हमारे बस की बात नहीं, लेकिन हम रब का संदूक़ किसके पास भेजें?”
I Sa UrduGeoD 6:21  आख़िर में उन्होंने क़िरियत-यारीम के बाशिंदों को पैग़ाम भेजा, “फ़िलिस्तियों ने रब का संदूक़ वापस कर दिया है। अब आएँ और उसे अपने पास ले जाएँ!”
Chapter 7
I Sa UrduGeoD 7:1  यह सुनकर क़िरियत-यारीम के मर्द आए और रब का संदूक़ अपने शहर में ले गए। वहाँ उन्होंने उसे अबीनदाब के घर में रख दिया जो पहाड़ी पर था। अबीनदाब के बेटे इलियज़र को मख़सूस किया गया ताकि वह अहद के संदूक़ की पहरादारी करे।
I Sa UrduGeoD 7:2  अहद का संदूक़ 20 साल के तवील अरसे तक क़िरियत-यारीम में पड़ा रहा। इस दौरान तमाम इसराईल मातम करता रहा, क्योंकि लगता था कि रब ने उन्हें तर्क कर दिया है।
I Sa UrduGeoD 7:3  फिर समुएल ने तमाम इसराईलियों से कहा, “अगर आप वाक़ई रब के पास वापस आना चाहते हैं तो अजनबी माबूदों और अस्तारात देवी के बुत दूर कर दें। पूरे दिल के साथ रब के ताबे होकर उसी की ख़िदमत करें। फिर ही वह आपको फ़िलिस्तियों से बचाएगा।”
I Sa UrduGeoD 7:4  इसराईलियों ने उस की बात मान ली। वह बाल और अस्तारात के बुतों को फेंककर सिर्फ़ रब की ख़िदमत करने लगे।
I Sa UrduGeoD 7:5  तब समुएल ने एलान किया, “पूरे इसराईल को मिसफ़ाह में जमा करें तो मैं वहाँ रब से दुआ करके आपकी सिफ़ारिश करूँगा।”
I Sa UrduGeoD 7:6  चुनाँचे वह सब मिसफ़ाह में जमा हुए। तौबा का इज़हार करके उन्होंने कुएँ से पानी निकालकर रब के हुज़ूर उंडेल दिया। साथ साथ उन्होंने पूरा दिन रोज़ा रखा और इक़रार किया, “हमने रब का गुनाह किया है।” वहाँ मिसफ़ाह में समुएल ने इसराईलियों के लिए कचहरी लगाई।
I Sa UrduGeoD 7:7  फ़िलिस्ती हुक्मरानों को पता चला कि इसराईली मिसफ़ाह में जमा हुए हैं तो वह उनसे लड़ने के लिए आए। यह सुनकर इसराईली सख़्त घबरा गए
I Sa UrduGeoD 7:8  और समुएल से मिन्नत की, “दुआ करते रहें! रब हमारे ख़ुदा से इलतमास करने से न रुकें ताकि वह हमें फ़िलिस्तियों से बचाए।”
I Sa UrduGeoD 7:9  तब समुएल ने भेड़ का दूध पीता बच्चा चुनकर रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर पेश किया। साथ साथ वह रब से इलतमास करता रहा। और रब ने उस की सुनी।
I Sa UrduGeoD 7:10  समुएल अभी क़ुरबानी पेश कर रहा था कि फ़िलिस्ती वहाँ पहुँचकर इसराईलियों पर हमला करने के लिए तैयार हुए। लेकिन उस दिन रब ने ज़ोर से कड़कती हुई आवाज़ से फ़िलिस्तियों को इतना दहशतज़दा कर दिया कि वह दरहम-बरहम हो गए और इसराईली आसानी से उन्हें शिकस्त दे सके।
I Sa UrduGeoD 7:11  इसराईलियों ने मिसफ़ाह से निकलकर बैत-कार के नीचे तक दुश्मन का ताक़्क़ुब किया। रास्ते में बहुत-से फ़िलिस्ती हलाक हुए।
I Sa UrduGeoD 7:12  इस फ़तह की याद में समुएल ने मिसफ़ाह और शेन के दरमियान एक बड़ा पत्थर नसब कर दिया। उसने पत्थर का नाम अबन-अज़र यानी ‘मदद का पत्थर’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “यहाँ तक रब ने हमारी मदद की है।”
I Sa UrduGeoD 7:13  इस तरह फ़िलिस्तियों को मग़लूब किया गया, और वह दुबारा इसराईल के इलाक़े में न घुसे। जब तक समुएल जीता रहा फ़िलिस्तियों पर रब का सख़्त दबाव रहा।
I Sa UrduGeoD 7:14  और अक़रून से लेकर जात तक जितनी इसराईली आबादियाँ फ़िलिस्तियों के हाथ में आ गई थीं वह सब उनकी ज़मीनों समेत दुबारा इसराईल के क़ब्ज़े में आ गईं। अमोरियों के साथ भी सुलह हो गई।
I Sa UrduGeoD 7:15  समुएल अपने जीते-जी इसराईल का क़ाज़ी और राहनुमा रहा।
I Sa UrduGeoD 7:16  हर साल वह बैतेल, जिलजाल और मिसफ़ाह का दौरा करता, क्योंकि इन तीन जगहों पर वह इसराईलियों के लिए कचहरी लगाया करता था।
I Sa UrduGeoD 7:17  इसके बाद वह दुबारा रामा अपने घर वापस आ जाता जहाँ मुस्तक़िल कचहरी थी। वहाँ उसने रब के लिए क़ुरबानगाह भी बनाई थी।
Chapter 8
I Sa UrduGeoD 8:1  जब समुएल बूढ़ा हुआ तो उसने अपने दो बेटों को इसराईल के क़ाज़ी मुक़र्रर किया।
I Sa UrduGeoD 8:2  बड़े का नाम योएल था और छोटे का अबियाह। दोनों बैर-सबा में लोगों की कचहरी लगाते थे।
I Sa UrduGeoD 8:3  लेकिन वह बाप के नमूने पर नहीं चलते बल्कि रिश्वत खाकर ग़लत फ़ैसले करते थे।
I Sa UrduGeoD 8:4  फिर इसराईल के बुज़ुर्ग मिलकर समुएल के पास आए, जो रामा में था।
I Sa UrduGeoD 8:5  उन्होंने कहा, “देखें, आप बूढ़े हो गए हैं और आपके बेटे आपके नमूने पर नहीं चलते। अब हम पर बादशाह मुक़र्रर करें ताकि वह हमारी उस तरह राहनुमाई करे जिस तरह दीगर अक़वाम में दस्तूर है।”
I Sa UrduGeoD 8:6  जब बुज़ुर्गों ने राहनुमाई के लिए बादशाह का तक़ाज़ा किया तो समुएल निहायत नाख़ुश हुआ। चुनाँचे उसने रब से हिदायत माँगी।
I Sa UrduGeoD 8:7  रब ने जवाब दिया, “जो कुछ भी वह तुझसे माँगते हैं उन्हें दे दे। इससे वह तुझे रद्द नहीं कर रहे बल्कि मुझे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि मैं उनका बादशाह रहूँ।
I Sa UrduGeoD 8:8  जब से मैं उन्हें मिसर से निकाल लाया वह मुझे छोड़कर दीगर माबूदों की ख़िदमत करते आए हैं। और अब वह तुझसे भी यही सुलूक कर रहे हैं।
I Sa UrduGeoD 8:9  उनकी बात मान ले, लेकिन संजीदगी से उन्हें उन पर हुकूमत करनेवाले बादशाह के हुक़ूक़ से आगाह कर।”
I Sa UrduGeoD 8:10  समुएल ने बादशाह का तक़ाज़ा करनेवालों को सब कुछ कह सुनाया जो रब ने उसे बताया था।
I Sa UrduGeoD 8:11  वह बोला, “जो बादशाह आप पर हुकूमत करेगा उसके यह हुक़ूक़ होंगे : वह आपके बेटों की भरती करके उन्हें अपने रथों और घोड़ों को सँभालने की ज़िम्मादारी देगा। उन्हें उसके रथों के आगे आगे दौड़ना पड़ेगा।
I Sa UrduGeoD 8:12  कुछ उस की फ़ौज के जनरल और कप्तान बनेंगे, कुछ उसके खेतों में हल चलाने और फ़सलें काटने पर मजबूर हो जाएंगे, और बाज़ को उसके हथियार और रथ का सामान बनाना पड़ेगा।
I Sa UrduGeoD 8:13  बादशाह आपकी बेटियों को आपसे छीन लेगा ताकि वह उसके लिए खाना पकाएँ, रोटी बनाएँ और ख़ुशबू तैयार करें।
I Sa UrduGeoD 8:14  वह आपके खेतों और आपके अंगूर और ज़ैतून के बाग़ों का बेहतरीन हिस्सा चुनकर अपने मुलाज़िमों को दे देगा।
I Sa UrduGeoD 8:15  बादशाह आपके अनाज और अंगूर का दसवाँ हिस्सा लेकर अपने अफ़सरों और मुलाज़िमों को दे देगा।
I Sa UrduGeoD 8:16  आपके नौकर-नौकरानियाँ, आपके मोटे-ताज़े बैल और गधे उसी के इस्तेमाल में आएँगे।
I Sa UrduGeoD 8:17  वह आपकी भेड़-बकरियों का दसवाँ हिस्सा तलब करेगा, और आप ख़ुद उसके ग़ुलाम होंगे।
I Sa UrduGeoD 8:18  तब आप पछताकर कहेंगे, ‘हमने बादशाह का तक़ाज़ा क्यों किया?’ लेकिन जब आप रब के हुज़ूर चीख़ते-चिल्लाते मदद चाहेंगे तो वह आपकी नहीं सुनेगा।”
I Sa UrduGeoD 8:19  लेकिन लोगों ने समुएल की बात न मानी बल्कि कहा, “नहीं, तो भी हम बादशाह चाहते हैं,
I Sa UrduGeoD 8:20  क्योंकि फिर ही हम दीगर क़ौमों की मानिंद होंगे। फिर हमारा बादशाह हमारी राहनुमाई करेगा और जंग में हमारे आगे आगे चलकर दुश्मन से लड़ेगा।”
I Sa UrduGeoD 8:21  समुएल ने रब के हुज़ूर यह बातें दोहराईं।
I Sa UrduGeoD 8:22  रब ने जवाब दिया, “उनका तक़ाज़ा पूरा कर, उन पर बादशाह मुक़र्रर कर!” फिर समुएल ने इसराईल के मर्दों से कहा, “हर एक अपने अपने शहर वापस चला जाए।”
Chapter 9
I Sa UrduGeoD 9:1  बिनयमीन के क़बायली इलाक़े में एक बिनयमीनी बनाम क़ीस रहता था जिसका अच्छा-ख़ासा असरो-रसूख़ था। बाप का नाम अबियेल बिन सरोर बिन बकोरत बिन अफ़ीख़ था।
I Sa UrduGeoD 9:2  क़ीस का बेटा साऊल जवान और ख़ूबसूरत था बल्कि इसराईल में कोई और इतना ख़ूबसूरत नहीं था। साथ साथ वह इतना लंबा था कि बाक़ी सब लोग सिर्फ़ उसके कंधों तक आते थे।
I Sa UrduGeoD 9:3  एक दिन साऊल के बाप क़ीस की गधियाँ गुम हो गईं। यह देखकर उसने अपने बेटे साऊल को हुक्म दिया, “नौकर को अपने साथ लेकर गधियों को ढूँड लाएँ।”
I Sa UrduGeoD 9:4  दोनों आदमी इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े और सलीसा के इलाक़े में से गुज़रे, लेकिन बेसूद। फिर उन्होंने सालीम के इलाक़े में खोज लगाया, लेकिन वहाँ भी गधियाँ न मिलीं। इसके बाद वह बिनयमीन के इलाक़े में घूमते फिरे, लेकिन बेफ़ायदा।
I Sa UrduGeoD 9:5  चलते चलते वह सूफ़ के क़रीब पहुँच गए। साऊल ने नौकर से कहा, “आओ, हम घर वापस चलें, ऐसा न हो कि वालिद गधियों की नहीं बल्कि हमारी फ़िकर करें।”
I Sa UrduGeoD 9:6  लेकिन नौकर ने कहा, “इस शहर में एक मर्दे-ख़ुदा है। लोग उस की बड़ी इज़्ज़त करते हैं, क्योंकि जो कुछ भी वह कहता है वह पूरा हो जाता है। क्यों न हम उसके पास जाएँ? शायद वह हमें बताए कि गधियों को कहाँ ढूँडना चाहिए।”
I Sa UrduGeoD 9:7  साऊल ने पूछा, “लेकिन हम उसे क्या दें? हमारा खाना ख़त्म हो गया है, और हमारे पास उसके लिए तोह्फ़ा नहीं है।”
I Sa UrduGeoD 9:8  नौकर ने जवाब दिया, “कोई बात नहीं, मेरे पास चाँदी का छोटा सिक्का है। यह मैं मर्दे-ख़ुदा को दे दूँगा ताकि बताए कि हम किस तरफ़ ढूँडें।”
I Sa UrduGeoD 9:9  साऊल ने कहा, “ठीक है, चलें।” वह शहर की तरफ़ चल पड़े ताकि मर्दे-ख़ुदा से बात करें। जब पहाड़ी ढलान पर शहर की तरफ़ चढ़ रहे थे तो कुछ लड़कियाँ पानी भरने के लिए निकलीं। आदमियों ने उनसे पूछा, “क्या ग़ैबबीन शहर में है?” (पुराने ज़माने में नबी ग़ैबबीन कहलाता था। अगर कोई अल्लाह से कुछ मालूम करना चाहता तो कहता, “आओ, हम ग़ैबबीन के पास चलें।”)
I Sa UrduGeoD 9:10  साऊल ने कहा, “ठीक है, चलें।” वह शहर की तरफ़ चल पड़े ताकि मर्दे-ख़ुदा से बात करें। जब पहाड़ी ढलान पर शहर की तरफ़ चढ़ रहे थे तो कुछ लड़कियाँ पानी भरने के लिए निकलीं। आदमियों ने उनसे पूछा, “क्या ग़ैबबीन शहर में है?” (पुराने ज़माने में नबी ग़ैबबीन कहलाता था। अगर कोई अल्लाह से कुछ मालूम करना चाहता तो कहता, “आओ, हम ग़ैबबीन के पास चलें।”)
I Sa UrduGeoD 9:11  साऊल ने कहा, “ठीक है, चलें।” वह शहर की तरफ़ चल पड़े ताकि मर्दे-ख़ुदा से बात करें। जब पहाड़ी ढलान पर शहर की तरफ़ चढ़ रहे थे तो कुछ लड़कियाँ पानी भरने के लिए निकलीं। आदमियों ने उनसे पूछा, “क्या ग़ैबबीन शहर में है?” (पुराने ज़माने में नबी ग़ैबबीन कहलाता था। अगर कोई अल्लाह से कुछ मालूम करना चाहता तो कहता, “आओ, हम ग़ैबबीन के पास चलें।”)
I Sa UrduGeoD 9:12  लड़कियों ने जवाब दिया, “जी, वह अभी अभी पहुँचा है, क्योंकि शहर के लोग आज पहाड़ी पर क़ुरबानियाँ चढ़ाकर ईद मना रहे हैं। अगर जल्दी करें तो पहाड़ी पर चढ़ने से पहले उससे मुलाक़ात हो जाएगी। उस वक़्त तक ज़ियाफ़त शुरू नहीं होगी जब तक ग़ैबबीन पहुँच न जाए। क्योंकि उसे पहले खाने को बरकत देना है, फिर ही मेहमानों को खाना खाने की इजाज़त है। अब जाएँ, क्योंकि इसी वक़्त आप उससे बात कर सकते हैं।”
I Sa UrduGeoD 9:13  लड़कियों ने जवाब दिया, “जी, वह अभी अभी पहुँचा है, क्योंकि शहर के लोग आज पहाड़ी पर क़ुरबानियाँ चढ़ाकर ईद मना रहे हैं। अगर जल्दी करें तो पहाड़ी पर चढ़ने से पहले उससे मुलाक़ात हो जाएगी। उस वक़्त तक ज़ियाफ़त शुरू नहीं होगी जब तक ग़ैबबीन पहुँच न जाए। क्योंकि उसे पहले खाने को बरकत देना है, फिर ही मेहमानों को खाना खाने की इजाज़त है। अब जाएँ, क्योंकि इसी वक़्त आप उससे बात कर सकते हैं।”
I Sa UrduGeoD 9:14  चुनाँचे साऊल और नौकर शहर की तरफ़ बढ़े। शहर के दरवाज़े पर ही समुएल से मुलाक़ात हो गई जो वहाँ से निकलकर क़ुरबानगाह की पहाड़ी पर चढ़ने को था।
I Sa UrduGeoD 9:15  रब समुएल को एक दिन पहले पैग़ाम दे चुका था,
I Sa UrduGeoD 9:16  “कल मैं इसी वक़्त मुल्के-बिनयमीन का एक आदमी तेरे पास भेज दूँगा। उसे मसह करके मेरी क़ौम इसराईल पर बादशाह मुक़र्रर कर। वह मेरी क़ौम को फ़िलिस्तियों से बचाएगा। क्योंकि मैंने अपनी क़ौम की मुसीबत पर ध्यान दिया है, और मदद के लिए उस की चीख़ें मुझ तक पहुँच गई हैं।”
I Sa UrduGeoD 9:17  अब जब समुएल ने शहर के दरवाज़े से निकलते हुए साऊल को देखा तो रब समुएल से हमकलाम हुआ, “देख, यही वह आदमी है जिसका ज़िक्र मैंने कल किया था। यही मेरी क़ौम पर हुकूमत करेगा।”
I Sa UrduGeoD 9:18  वहीं शहर के दरवाज़े पर साऊल समुएल से मुख़ातिब हुआ, “मेहरबानी करके मुझे बताइए कि ग़ैबबीन का घर कहाँ है?”
I Sa UrduGeoD 9:19  समुएल ने जवाब दिया, “मैं ही ग़ैबबीन हूँ। आएँ, उस पहाड़ी पर चलें जिस पर ज़ियाफ़त हो रही है, क्योंकि आज आप मेरे मेहमान हैं। कल मैं सुबह-सवेरे आपको आपके दिल की बात बता दूँगा।
I Sa UrduGeoD 9:20  जहाँ तक तीन दिन से गुमशुदा गधियों का ताल्लुक़ है, उनकी फ़िकर न करें। वह तो मिल गई हैं। वैसे आप और आपके बाप के घराने को इसराईल की हर क़ीमती चीज़ हासिल है।”
I Sa UrduGeoD 9:21  साऊल ने पूछा, “यह किस तरह? मैं तो इसराईल के सबसे छोटे क़बीले बिनयमीन का हूँ, और मेरा ख़ानदान क़बीले में सबसे छोटा है।”
I Sa UrduGeoD 9:22  समुएल साऊल को नौकर समेत उस हाल में ले गया जिसमें ज़ियाफ़त हो रही थी। तक़रीबन 30 मेहमान थे, लेकिन समुएल ने दोनों आदमियों को सबसे इज़्ज़त की जगह पर बिठा दिया।
I Sa UrduGeoD 9:23  ख़ानसामे को उसने हुक्म दिया, “अब गोश्त का वह टुकड़ा ले आओ जो मैंने तुम्हें देकर कहा था कि उसे अलग रखना है।”
I Sa UrduGeoD 9:24  ख़ानसामे ने क़ुरबानी की रान लाकर उसे साऊल के सामने रख दिया। समुएल बोला, “यह आपके लिए महफ़ूज़ रखा गया है। अब खाएँ, क्योंकि दूसरों को दावत देते वक़्त मैंने यह गोश्त आपके लिए और इस मौक़े के लिए अलग कर लिया था।” चुनाँचे साऊल ने उस दिन समुएल के साथ खाना खाया।
I Sa UrduGeoD 9:25  ज़ियाफ़त के बाद वह पहाड़ी से उतरकर शहर वापस आए, और समुएल अपने घर की छत पर साऊल से बातचीत करने लगा।
I Sa UrduGeoD 9:26  अगले दिन जब पौ फटने लगी तो समुएल ने नीचे से साऊल को जो छत पर सो रहा था आवाज़ दी, “उठें! मैं आपको रुख़सत करूँ।” साऊल जाग उठा और वह मिलकर रवाना हुए।
I Sa UrduGeoD 9:27  जब वह शहर के किनारे पर पहुँचे तो समुएल ने साऊल से कहा, “अपने नौकर को आगे भेजें।” जब नौकर चला गया तो समुएल बोला, “ठहर जाएँ, क्योंकि मुझे आपको अल्लाह का एक पैग़ाम सुनाना है।”
Chapter 10
I Sa UrduGeoD 10:1  फिर समुएल ने कुप्पी लेकर साऊल के सर पर ज़ैतून का तेल उंडेल दिया और उसे बोसा देकर कहा, “रब ने आपको अपनी ख़ास मिलकियत पर राहनुमा मुक़र्रर किया है।
I Sa UrduGeoD 10:2  मेरे पास से चले जाने के बाद जब आप बिनयमीन की सरहद के शहर ज़िलज़ख़ के क़रीब राख़िल की क़ब्र के पास से गुज़रेंगे तो आपकी मुलाक़ात दो आदमियों से होगी। वह आपसे कहेंगे, ‘जो गधियाँ आप ढूँडने गए वह मिल गई हैं। और अब आपके बाप गधियों की नहीं बल्कि आपकी फ़िकर कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मैं किस तरह अपने बेटे का पता करूँ?’
I Sa UrduGeoD 10:3  आप आगे जाकर तबूर के बलूत के दरख़्त के पास पहुँचेंगे। वहाँ तीन आदमी आपसे मिलेंगे जो अल्लाह की इबादत करने के लिए बैतेल जा रहे होंगे। एक के पास तीन छोटी बकरियाँ, दूसरे के पास तीन रोटियाँ और तीसरे के पास मै की मशक होगी।
I Sa UrduGeoD 10:4  वह आपको सलाम कहकर दो रोटियाँ देंगे। उनकी यह रोटियाँ क़बूल करें।
I Sa UrduGeoD 10:5  इसके बाद आप अल्लाह के जिबिया जाएंगे जहाँ फ़िलिस्तियों की चौकी है। शहर में दाख़िल होते वक़्त आपकी मुलाक़ात नबियों के एक जुलूस से होगी जो उस वक़्त पहाड़ी की क़ुरबानगाह से उतर रहा होगा। उनके आगे आगे सितार, दफ़, बाँसरियाँ और सरोद बजानेवाले चलेंगे, और वह नबुव्वत की हालत में होंगे।
I Sa UrduGeoD 10:6  रब का रूह आप पर भी नाज़िल होगा, और आप उनके साथ नबुव्वत करेंगे। उस वक़्त आप फ़रक़ शख़्स में तबदील हो जाएंगे।
I Sa UrduGeoD 10:7  जब यह तमाम निशान वुजूद में आएँगे तो वह कुछ करें जो आपके ज़हन में आ जाए, क्योंकि अल्लाह आपके साथ होगा।
I Sa UrduGeoD 10:8  फिर मेरे आगे जिलजाल चले जाएँ। मैं भी आऊँगा और वहाँ भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करूँगा। लेकिन आपको सात दिन मेरा इंतज़ार करना है। फिर मैं आकर आपको बता दूँगा कि आगे क्या करना है।”
I Sa UrduGeoD 10:9  साऊल रवाना होने के लिए समुएल के पास से मुड़ा तो अल्लाह ने उसका दिल तबदील कर दिया। जिन निशानों की भी पेशगोई समुएल ने की थी वह उसी दिन पूरी हुई।
I Sa UrduGeoD 10:10  जब साऊल और उसका नौकर जिबिया पहुँचे तो वहाँ उनकी मुलाक़ात मज़कूरा नबियों के जुलूस से हुई। अल्लाह का रूह साऊल पर नाज़िल हुआ, और वह उनके दरमियान नबुव्वत करने लगा।
I Sa UrduGeoD 10:11  कुछ लोग वहाँ थे जो बचपन से उससे वाक़िफ़ थे। साऊल को यों नबियों के दरमियान नबुव्वत करते हुए देखकर वह आपस में कहने लगे, “क़ीस के बेटे के साथ क्या हुआ? क्या साऊल को भी नबियों में शुमार किया जाता है?”
I Sa UrduGeoD 10:12  एक मक़ामी आदमी ने जवाब दिया, “कौन इनका बाप है?” बाद में यह मुहावरा बन गया, “क्या साऊल को भी नबियों में शुमार किया जाता है?”
I Sa UrduGeoD 10:13  नबुव्वत करने के इख़्तिताम पर साऊल पहाड़ी पर चढ़ गया जहाँ क़ुरबानगाह थी।
I Sa UrduGeoD 10:14  जब साऊल नौकर समेत वहाँ पहुँचा तो उसके चचा ने पूछा, “आप कहाँ थे?” साऊल ने जवाब दिया, “हम गुमशुदा गधियों को ढूँडने के लिए निकले थे। लेकिन जब वह न मिलीं तो हम समुएल के पास गए।”
I Sa UrduGeoD 10:15  चचा बोला, “अच्छा? उसने आपको क्या बताया?”
I Sa UrduGeoD 10:16  साऊल ने जवाब दिया, “ख़ैर, उसने कहा कि गधियाँ मिल गई हैं।” लेकिन जो कुछ समुएल ने बादशाह बनने के बारे में बताया था उसका ज़िक्र उसने न किया।
I Sa UrduGeoD 10:17  कुछ देर के बाद समुएल ने अवाम को बुलाकर मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा किया।
I Sa UrduGeoD 10:18  उसने कहा, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं इसराईल को मिसर से निकाल लाया। मैंने तुम्हें मिसरियों और उन तमाम सलतनतों से बचाया जो तुम पर ज़ुल्म कर रही थीं।
I Sa UrduGeoD 10:19  लेकिन गो मैंने तुम्हें तुम्हारी तमाम मुसीबतों और तंगियों से छुटकारा दिया तो भी तुमने अपने ख़ुदा को मुस्तरद कर दिया। क्योंकि तुमने इसरार किया कि हम पर बादशाह मुक़र्रर करो! अब अपने अपने क़बीलों और ख़ानदानों की तरतीब के मुताबिक़ रब के हुज़ूर खड़े हो जाओ’।”
I Sa UrduGeoD 10:20  यह कहकर समुएल ने तमाम क़बीलों को रब के हुज़ूर पेश किया। क़ुरा डाला गया तो बिनयमीन के क़बीले को चुना गया।
I Sa UrduGeoD 10:21  फिर समुएल ने बिनयमीन के क़बीले के सारे ख़ानदानों को रब के हुज़ूर पेश किया। मतरी के ख़ानदान को चुना गया। यों क़ुरा डालते डालते साऊल बिन क़ीस को चुना गया। लेकिन जब साऊल को ढूँडा गया तो वह ग़ायब था।
I Sa UrduGeoD 10:22  उन्होंने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या साऊल यहाँ पहुँच चुका है?” रब ने जवाब दिया, “वह सामान के बीच में छुप गया है।”
I Sa UrduGeoD 10:23  कुछ लोग दौड़कर उसे सामान में से निकालकर अवाम के पास ले आए। जब वह लोगों में खड़ा हुआ तो इतना लंबा था कि बाक़ी सब लोग सिर्फ़ उसके कंधों तक आते थे।
I Sa UrduGeoD 10:24  समुएल ने कहा, “यह आदमी देखो जिसे रब ने चुन लिया है। अवाम में उस जैसा कोई नहीं है!” तमाम लोग ख़ुशी के मारे “बादशाह ज़िंदाबाद!” का नारा लगाते रहे।
I Sa UrduGeoD 10:25  समुएल ने बादशाह के हुक़ूक़ तफ़सील से सुनाए। उसने सब कुछ किताब में लिख दिया और उसे रब के मक़दिस में महफ़ूज़ रखा। फिर उसने अवाम को रुख़सत कर दिया।
I Sa UrduGeoD 10:26  साऊल भी अपने घर चला गया जो जिबिया में था। कुछ फ़ौजी उसके साथ चले जिनके दिलों को अल्लाह ने छू दिया था।
I Sa UrduGeoD 10:27  लेकिन ऐसे शरीर लोग भी थे जिन्होंने उसका मज़ाक़ उड़ाकर पूछा, “भला यह किस तरह हमें बचा सकता है?” वह उसे हक़ीर जानते थे और उसे तोह्फ़े पेश करने के लिए भी तैयार न हुए। लेकिन साऊल उनकी बातें नज़रंदाज़ करके ख़ामोश ही रहा।
Chapter 11
I Sa UrduGeoD 11:1  कुछ देर के बाद अम्मोनी बादशाह नाहस ने अपनी फ़ौज लेकर यबीस-जिलियाद का मुहासरा किया। यबीस के तमाम अफ़राद ने उससे गुज़ारिश की, “हमारे साथ मुआहदा करें तो हम आइंदा आपके ताबे रहेंगे।”
I Sa UrduGeoD 11:2  नाहस ने जवाब दिया, “ठीक है, लेकिन इस शर्त पर कि मैं हर एक की दहनी आँख निकालकर तमाम इसराईल की बेइज़्ज़ती करूँगा!”
I Sa UrduGeoD 11:3  यबीस के बुज़ुर्गों ने दरख़ास्त की, “हमें एक हफ़ते की मोहलत दीजिए ताकि हम अपने क़ासिदों को इसराईल की हर जगह भेजें। अगर कोई हमें बचाने के लिए न आए तो हम हथियार डालकर शहर को आपके हवाले कर देंगे।”
I Sa UrduGeoD 11:4  क़ासिद साऊल के शहर जिबिया भी पहुँच गए। जब मक़ामी लोगों ने उनका पैग़ाम सुना तो पूरा शहर फूट फूटकर रोने लगा।
I Sa UrduGeoD 11:5  उस वक़्त साऊल अपने बैलों को खेतों से वापस ला रहा था। उसने पूछा, “क्या हुआ है? लोग क्यों रो रहे हैं?” उसे क़ासिदों का पैग़ाम सुनाया गया।
I Sa UrduGeoD 11:6  तब साऊल पर अल्लाह का रूह नाज़िल हुआ, और उसे सख़्त ग़ुस्सा आया।
I Sa UrduGeoD 11:7  उसने बैलों का जोड़ा लेकर उन्हें टुकड़े टुकड़े कर दिया। फिर क़ासिदों को यह टुकड़े पकड़ाकर उसने उन्हें यह पैग़ाम देकर इसराईल की हर जगह भेज दिया, “जो साऊल और समुएल के पीछे चलकर अम्मोनियों से लड़ने नहीं जाएगा उसके बैल इसी तरह टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएंगे!” यह ख़बर सुनकर लोगों पर रब की दहशत तारी हो गई, और सबके सब एक दिल होकर अम्मोनियों से लड़ने के लिए निकले।
I Sa UrduGeoD 11:8  बज़क़ के क़रीब साऊल ने फ़ौज का जायज़ा लिया। यहूदाह के 30,000 अफ़राद थे और बाक़ी क़बीलों के 3,00,000।
I Sa UrduGeoD 11:9  उन्होंने यबीस-जिलियाद के क़ासिदों को वापस भेजकर बताया, “कल दोपहर से पहले पहले आपको बचा लिया जाएगा।” वहाँ के बाशिंदे यह ख़बर सुनकर बहुत ख़ुश हुए।
I Sa UrduGeoD 11:10  उन्होंने अम्मोनियों को इत्तला दी, “कल हम हथियार डालकर शहर के दरवाज़े खोल देंगे। फिर वह कुछ करें जो आपको ठीक लगे।”
I Sa UrduGeoD 11:11  अगले दिन सुबह-सवेरे साऊल ने फ़ौज को तीन हिस्सों में तक़सीम किया। सूरज के तुलू होने से पहले पहले उन्होंने तीन सिम्तों से दुश्मन की लशकरगाह पर हमला किया। दोपहर तक उन्होंने अम्मोनियों को मार मारकर ख़त्म कर दिया। जो थोड़े-बहुत लोग बच गए वह यों तित्तर-बित्तर हो गए कि दो भी इकट्ठे न रहे।
I Sa UrduGeoD 11:12  फ़तह के बाद लोग समुएल के पास आकर कहने लगे, “वह लोग कहाँ हैं जिन्होंने एतराज़ किया कि साऊल हम पर हुकूमत करे? उन्हें ले आएँ ताकि हम उन्हें मार दें।”
I Sa UrduGeoD 11:13  लेकिन साऊल ने उन्हें रोक दिया। उसने कहा, “नहीं, आज तो हम किसी भी भाई को सज़ाए-मौत नहीं देंगे, क्योंकि इस दिन रब ने इसराईल को रिहाई बख़्शी है!”
I Sa UrduGeoD 11:14  फिर समुएल ने एलान किया, “आओ, हम जिलजाल जाकर दुबारा इसकी तसदीक़ करें कि साऊल हमारा बादशाह है।”
I Sa UrduGeoD 11:15  चुनाँचे तमाम लोगों ने जिलजाल जाकर रब के हुज़ूर इसकी तसदीक़ की कि साऊल हमारा बादशाह है। इसके बाद उन्होंने रब के हुज़ूर सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके बड़ा जशन मनाया।
Chapter 12
I Sa UrduGeoD 12:1  तब समुएल तमाम इसराईल से मुख़ातिब हुआ, “मैंने आपकी हर बात मानकर आप पर बादशाह मुक़र्रर किया है।
I Sa UrduGeoD 12:2  अब यही आपके आगे आगे चलकर आपकी राहनुमाई करेगा। मैं ख़ुद बूढ़ा हूँ, और मेरे बाल सफ़ेद हो गए हैं जबकि मेरे बेटे आपके दरमियान ही रहते हैं। मैं जवानी से लेकर आज तक आपकी राहनुमाई करता आया हूँ।
I Sa UrduGeoD 12:3  अब मैं हाज़िर हूँ। अगर मुझसे कोई ग़लती हुई है तो रब और उसके मसह किए हुए बादशाह के सामने इसकी गवाही दें। क्या मैंने किसी का बैल या गधा लूट लिया? क्या मैंने किसी से ग़लत फ़ायदा उठाया या किसी पर ज़ुल्म किया? क्या मैंने कभी किसी से रिश्वत लेकर ग़लत फ़ैसला किया है? अगर ऐसा हुआ तो मुझे बताएँ! फिर मैं सब कुछ वापस कर दूँगा।”
I Sa UrduGeoD 12:4  इजतिमा ने जवाब दिया, “न आपने हमसे ग़लत फ़ायदा उठाया, न हम पर ज़ुल्म किया है। आपने कभी भी रिश्वत नहीं ली।”
I Sa UrduGeoD 12:5  समुएल बोला, “आज रब और उसका मसह किया हुआ बादशाह गवाह हैं कि आपको मुझ पर इलज़ाम लगाने का कोई सबब न मिला।” अवाम ने कहा, “जी, ऐसा ही है।”
I Sa UrduGeoD 12:6  समुएल ने बात जारी रखी, “रब ख़ुद मूसा और हारून को इसराईल के राहनुमा बनाकर आपके बापदादा को मिसर से निकाल लाया।
I Sa UrduGeoD 12:7  अब यहाँ रब के तख़्ते-अदालत के सामने खड़े हो जाएँ तो मैं आपको उन तमाम भलाइयों की याद दिलाऊँगा जो रब ने आप और आपके बापदादा से की हैं।
I Sa UrduGeoD 12:8  आपका बाप याक़ूब मिसर आया। जब मिसरी उस की औलाद को दबाने लगे तो उन्होंने चीख़ते-चिल्लाते रब से मदद माँगी। तब उसने मूसा और हारून को भेज दिया ताकि वह पूरी क़ौम को मिसर से निकालकर यहाँ इस मुल्क में लाएँ।
I Sa UrduGeoD 12:9  लेकिन जल्द ही वह रब अपने ख़ुदा को भूल गए, इसलिए उसने उन्हें दुश्मन के हवाले कर दिया। कभी हसूर शहर के बादशाह का कमाँडर सीसरा उनसे लड़ा, कभी फ़िलिस्ती और कभी मोआब का बादशाह।
I Sa UrduGeoD 12:10  हर दफ़ा आपके बापदादा ने चीख़ते-चिल्लाते रब से मदद माँगी और इक़रार किया, ‘हमने गुनाह किया है, क्योंकि हमने रब को तर्क करके बाल और अस्तारात के बुतों की पूजा की है। लेकिन अब हमें दुश्मनों से बचा! फिर हम सिर्फ़ तेरी ही ख़िदमत करेंगे।’
I Sa UrduGeoD 12:11  और हर बार रब ने किसी न किसी को भेज दिया, कभी जिदौन, कभी बरक़, कभी इफ़ताह और कभी समुएल को। उन आदमियों की मारिफ़त अल्लाह ने आपको इर्दगिर्द के तमाम दुश्मनों से बचाया, और मुल्क में अमनो-अमान क़ायम हो गया।
I Sa UrduGeoD 12:12  लेकिन जब अम्मोनी बादशाह नाहस आपसे लड़ने आया तो आप मेरे पास आकर तक़ाज़ा करने लगे कि हमारा अपना बादशाह हो जो हम पर हुकूमत करे, हालाँकि आप जानते थे कि रब हमारा ख़ुदा हमारा बादशाह है।
I Sa UrduGeoD 12:13  अब वह बादशाह देखें जिसे आप माँग रहे थे! रब ने आपकी ख़ाहिश पूरी करके उसे आप पर मुक़र्रर किया है।
I Sa UrduGeoD 12:14  चुनाँचे रब का ख़ौफ़ मानें, उस की ख़िदमत करें और उस की सुनें। सरकश होकर उसके अहकाम की ख़िलाफ़वरज़ी मत करना। अगर आप और आपका बादशाह रब से वफ़ादार रहेंगे तो वह आपके साथ होगा।
I Sa UrduGeoD 12:15  लेकिन अगर आप उसके ताबे न रहें और सरकश होकर उसके अहकाम की ख़िलाफ़वरज़ी करें तो वह आपकी मुख़ालफ़त करेगा, जिस तरह उसने आपके बापदादा की भी मुख़ालफ़त की।
I Sa UrduGeoD 12:16  अब खड़े होकर देखें कि रब क्या करनेवाला है। वह आपकी आँखों के सामने ही बड़ा मोजिज़ा करेगा।
I Sa UrduGeoD 12:17  इस वक़्त गंदुम की कटाई का मौसम है। गो इन दिनों में बारिश नहीं होती, लेकिन मैं दुआ करूँगा तो रब गरजते बादल और बारिश भेजेगा। तब आप जान लेंगे कि आपने बादशाह का तक़ाज़ा करते हुए रब के नज़दीक कितनी बुरी बात की है।”
I Sa UrduGeoD 12:18  समुएल ने पुकारकर रब से दुआ की, और उस दिन रब ने गरजते बादल और बारिश भेज दी। यह देखकर इजतिमा सख़्त घबराकर समुएल और रब से डरने लगा।
I Sa UrduGeoD 12:19  सबने समुएल से इलतमास की, “रब अपने ख़ुदा से दुआ करके हमारी सिफ़ारिश करें ताकि हम मर न जाएँ। क्योंकि बादशाह का तक़ाज़ा करने से हमने अपने गुनाहों में इज़ाफ़ा किया है।”
I Sa UrduGeoD 12:20  समुएल ने लोगों को तसल्ली देकर कहा, “मत डरें। बेशक आपसे ग़लती हुई है, लेकिन आइंदा ख़याल रखें कि आप रब से दूर न हो जाएँ बल्कि पूरे दिल से उस की ख़िदमत करें।
I Sa UrduGeoD 12:21  बेमानी बुतों के पीछे मत पड़ना। न वह फ़ायदे का बाइस हैं, न आपको बचा सकते हैं। उनकी कोई हैसियत नहीं है।
I Sa UrduGeoD 12:22  रब अपने अज़ीम नाम की ख़ातिर अपनी क़ौम को नहीं छोड़ेगा, क्योंकि उसने आपको अपनी क़ौम बनाने का फ़ैसला किया है।
I Sa UrduGeoD 12:23  जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, मैं इसमें रब का गुनाह नहीं करूँगा कि आपकी सिफ़ारिश करने से बाज़ आऊँ। और आइंदा भी मैं आपको अच्छे और सहीह रास्ते की तालीम देता रहूँगा।
I Sa UrduGeoD 12:24  लेकिन ध्यान से रब का ख़ौफ़ मानें और पूरे दिल और वफ़ादारी से उस की ख़िदमत करें। याद रहे कि उसने आपके लिए कितने अज़ीम काम किए हैं।
I Sa UrduGeoD 12:25  लेकिन अगर आप ग़लत काम करने पर तुले रहें तो आप अपने बादशाह समेत दुनिया में से मिट जाएंगे।”
Chapter 13
I Sa UrduGeoD 13:1  साऊल 30 साल का था जब तख़्तनशीन हुआ। दो साल हुकूमत करने के बाद
I Sa UrduGeoD 13:2  उसने अपनी फ़ौज के लिए 3,000 इसराईली चुन लिए। जंग लड़ने के क़ाबिल बाक़ी आदमियों को उसने फ़ारिग़ कर दिया। 2,000 फ़ौजियों की ड्यूटी मिकमास और बैतेल के पहाड़ी इलाक़े में लगाई गई जहाँ साऊल ख़ुद था। बाक़ी 1,000 अफ़राद यूनतन के पास बिनयमीन के शहर जिबिया में थे।
I Sa UrduGeoD 13:3  एक दिन यूनतन ने जिबिया की फ़िलिस्ती चौकी पर हमला करके उसे शिकस्त दी। जल्द ही यह ख़बर दूसरे फ़िलिस्तियों तक पहुँच गई। साऊल ने मुल्क के कोने कोने में क़ासिद भेज दिए, और वह नरसिंगा बजाते बजाते लोगों को यूनतन की फ़तह सुनाते गए।
I Sa UrduGeoD 13:4  तमाम इसराईल में ख़बर फैल गई, “साऊल ने जिबिया की फ़िलिस्ती चौकी को तबाह कर दिया है, और अब इसराईल फ़िलिस्तियों की ख़ास नफ़रत का निशाना बन गया है।” साऊल ने तमाम मर्दों को फ़िलिस्तियों से लड़ने के लिए जिलजाल में बुलाया।
I Sa UrduGeoD 13:5  फ़िलिस्ती भी इसराईलियों से लड़ने के लिए जमा हुए। उनके 30,000 रथ, 6,000 घुड़सवार और साहिल की रेत जैसे बेशुमार प्यादा फ़ौजी थे। उन्होंने बैत-आवन के मशरिक़ में मिकमास के क़रीब अपने ख़ैमे लगाए।
I Sa UrduGeoD 13:6  इसराईलियों ने देखा कि हम बड़े ख़तरे में आ गए हैं, और दुश्मन हम पर बहुत दबाव डाल रहा है तो परेशानी के आलम में कुछ ग़ारों और दराड़ों में और कुछ पत्थरों के दरमियान या क़ब्रों और हौज़ों में छुप गए।
I Sa UrduGeoD 13:7  कुछ इतने डर गए कि वह दरियाए-यरदन को पार करके जद और जिलियाद के इलाक़े में चले गए। साऊल अब तक जिलजाल में था, लेकिन जो आदमी उसके साथ रहे थे वह ख़ौफ़ के मारे थरथरा रहे थे।
I Sa UrduGeoD 13:8  समुएल ने साऊल को हिदायत दी थी कि सात दिन मेरा इंतज़ार करें। लेकिन सात दिन गुज़र गए, और समुएल न आया। साऊल के फ़ौजी मुंतशिर होने लगे
I Sa UrduGeoD 13:9  तो साऊल ने हुक्म दिया, “भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ ले आओ।” फिर उसने ख़ुद क़ुरबानियाँ पेश कीं।
I Sa UrduGeoD 13:10  वह अभी इस काम से फ़ारिग़ ही हुआ था कि समुएल पहुँच गया। साऊल उसे ख़ुशआमदीद कहने के लिए निकला।
I Sa UrduGeoD 13:11  लेकिन समुएल ने पूछा, “आपने क्या किया?” साऊल ने जवाब दिया, “लोग मुंतशिर हो रहे थे, और आप वक़्त पर न आए। जब मैंने देखा कि फ़िलिस्ती मिकमास के क़रीब जमा हो रहे हैं
I Sa UrduGeoD 13:12  तो मैंने सोचा, ‘फ़िलिस्ती यहाँ जिलजाल में आकर मुझ पर हमला करने को हैं, हालाँकि मैंने अभी रब से दुआ नहीं की कि वह हम पर मेहरबानी करे।’ इसलिए मैंने जुर्रत करके ख़ुद क़ुरबानियाँ पेश कीं।”
I Sa UrduGeoD 13:13  समुएल बोला, “यह कैसी अहमक़ाना हरकत थी! आपने रब अपने ख़ुदा का हुक्म न माना। रब तो आप और आपकी औलाद को हमेशा के लिए इसराईल पर मुक़र्रर करना चाहता था।
I Sa UrduGeoD 13:14  लेकिन अब आपकी बादशाहत क़ायम नहीं रहेगी। चूँकि आपने उस की न सुनी इसलिए रब ने किसी और को चुनकर अपनी क़ौम का राहनुमा मुक़र्रर किया है, एक ऐसे आदमी को जो उस की सोच रखेगा।”
I Sa UrduGeoD 13:15  फिर समुएल जिलजाल से चला गया। बचे हुए इसराईली साऊल के पीछे दुश्मन से लड़ने गए। वह जिलजाल से रवाना होकर जिबिया पहुँच गए। जब साऊल ने वहाँ फ़ौज का जायज़ा लिया तो बस 600 अफ़राद रह गए थे।
I Sa UrduGeoD 13:16  साऊल, यूनतन और उनकी फ़ौज बिनयमीन के शहर जिबिया में टिक गए जबकि फ़िलिस्ती मिकमास के पास ख़ैमाज़न थे।
I Sa UrduGeoD 13:17  कुछ देर के बाद फ़िलिस्तियों के तीन दस्ते मुल्क को लूटने के लिए निकले। एक सुआल के इलाक़े के शहर उफ़रा की तरफ़ चल पड़ा,
I Sa UrduGeoD 13:18  दूसरा बैत-हौरून की तरफ़ और तीसरा उस पहाड़ी सिलसिले की तरफ़ जहाँ से वादीए-ज़बोईम और रेगिस्तान देखा जा सकता है।
I Sa UrduGeoD 13:19  उन दिनों में पूरे मुल्के-इसराईल में लोहार नहीं था, क्योंकि फ़िलिस्ती नहीं चाहते थे कि इसराईली तलवारें या नेज़े बनाएँ।
I Sa UrduGeoD 13:20  अपने हलों, कुदालों, कुल्हाड़ियों या दराँतियों को तेज़ करवाने के लिए तमाम इसराईलियों को फ़िलिस्तियों के पास जाना पड़ता था।
I Sa UrduGeoD 13:21  फ़िलिस्ती हलों, कुदालों, काँटों और कुल्हाड़ियों को तेज़ करने के लिए और आँकुसों की नोक ठीक करने के लिए चाँदी के सिक्के की दो तिहाई लेते थे।
I Sa UrduGeoD 13:22  नतीजे में उस दिन साऊल और यूनतन के सिवा किसी भी इसराईली के पास तलवार या नेज़ा नहीं था।
I Sa UrduGeoD 13:23  फ़िलिस्तियों ने मिकमास के दर्रे पर क़ब्ज़ा करके वहाँ चौकी क़ायम की थी।
Chapter 14
I Sa UrduGeoD 14:1  एक दिन यूनतन ने अपने जवान सिलाहबरदार से कहा, “आओ, हम परली तरफ़ जाएँ जहाँ फ़िलिस्ती फ़ौज की चौकी है।” लेकिन उसने अपने बाप को इत्तला न दी।
I Sa UrduGeoD 14:2  साऊल उस वक़्त अनार के दरख़्त के साय में बैठा था जो जिबिया के क़रीब के मिजरोन में था। 600 मर्द उसके पास थे।
I Sa UrduGeoD 14:3  अख़ियाह इमाम भी साथ था जो इमाम का बालापोश पहने हुए था। अख़ियाह यकबोद के भाई अख़ीतूब का बेटा था। उसका दादा फ़ीनहास और परदादा एली था, जो पुराने ज़माने में सैला में रब का इमाम था। किसी को भी मालूम न था कि यूनतन चला गया है।
I Sa UrduGeoD 14:4  फ़िलिस्ती चौकी तक पहुँचने के लिए यूनतन ने एक तंग रास्ता इख़्तियार किया जो दो कड़ाड़ों के दरमियान से गुज़रता था। पहले का नाम बोसीस था, और वह शिमाल में मिकमास के मुक़ाबिल था। दूसरे का नाम सना था, और वह जुनूब में जिबा के मुक़ाबिल था।
I Sa UrduGeoD 14:5  फ़िलिस्ती चौकी तक पहुँचने के लिए यूनतन ने एक तंग रास्ता इख़्तियार किया जो दो कड़ाड़ों के दरमियान से गुज़रता था। पहले का नाम बोसीस था, और वह शिमाल में मिकमास के मुक़ाबिल था। दूसरे का नाम सना था, और वह जुनूब में जिबा के मुक़ाबिल था।
I Sa UrduGeoD 14:6  यूनतन ने अपने जवान सिलाहबरदार से कहा, “आओ, हम परली तरफ़ जाएँ जहाँ इन नामख़तूनों की चौकी है। शायद रब हमारी मदद करे, क्योंकि उसके नज़दीक कोई फ़रक़ नहीं कि हम ज़्यादा हों या कम।”
I Sa UrduGeoD 14:7  उसका सिलाहबरदार बोला, “जो कुछ आप ठीक समझते हैं, वही करें। ज़रूर जाएँ। जो कुछ भी आप कहेंगे, मैं हाज़िर हूँ।”
I Sa UrduGeoD 14:8  यूनतन बोला, “ठीक है। फिर हम यों दुश्मनों की तरफ़ बढ़ते जाएंगे, कि हम उन्हें साफ़ नज़र आएँ।
I Sa UrduGeoD 14:9  अगर वह हमें देखकर पुकारें, ‘रुक जाओ, वरना हम तुम्हें मार देंगे!’ तो हम अपने मनसूबे से बाज़ आकर उनके पास नहीं जाएंगे।
I Sa UrduGeoD 14:10  लेकिन अगर वह पुकारें, ‘आओ, हमारे पास आ जाओ!’ तो हम ज़रूर उनके पास चढ़ जाएंगे। क्योंकि यह इसका निशान होगा कि रब उन्हें हमारे क़ब्ज़े में कर देगा।”
I Sa UrduGeoD 14:11  चुनाँचे वह चलते चलते फ़िलिस्ती चौकी को नज़र आए। फ़िलिस्ती शोर मचाने लगे, “देखो, इसराईली अपने छुपने के बिलों से निकल रहे हैं!”
I Sa UrduGeoD 14:12  चौकी के फ़ौजियों ने दोनों को चैलेंज किया, “आओ, हमारे पास आओ तो हम तुम्हें सबक़ सिखाएँगे।” यह सुनकर यूनतन ने अपने सिलाहबरदार को आवाज़ दी, “आओ, मेरे पीछे चलो! रब ने उन्हें इसराईल के हवाले कर दिया है।”
I Sa UrduGeoD 14:13  दोनों अपने हाथों और पैरों के बल चढ़ते चढ़ते चौकी तक जा पहुँचे। जब यूनतन आगे आगे चलकर फ़िलिस्तियों के पास पहुँच गया तो वह उसके सामने गिरते गए। साथ साथ सिलाहबरदार पीछे से लोगों को मारता गया।
I Sa UrduGeoD 14:14  इस पहले हमले के दौरान उन्होंने तक़रीबन 20 आदमियों को मार डाला। उनकी लाशें आध एकड़ ज़मीन पर बिखरी पड़ी थीं।
I Sa UrduGeoD 14:15  अचानक पूरी फ़ौज में दहशत फैल गई, न सिर्फ़ लशकरगाह बल्कि खुले मैदान में भी। चौकी के मर्द और लूटनेवाले दस्ते भी थरथराने लगे। साथ साथ ज़लज़ला आया। रब ने तमाम फ़िलिस्ती फ़ौजियों के दिलों में दहशत पैदा की।
I Sa UrduGeoD 14:16  साऊल के जो पहरेदार जिबिया से दुश्मन की हरकतों पर ग़ौर कर रहे थे उन्होंने अचानक देखा कि फ़िलिस्ती फ़ौज में हलचल मच गई है, अफ़रा-तफ़री कभी इस तरफ़, कभी उस तरफ़ बढ़ रही है।
I Sa UrduGeoD 14:17  साऊल ने फ़ौरन हुक्म दिया, “फ़ौजियों को गिनकर मालूम करो कि कौन चला गया है।” मालूम हुआ कि यूनतन और उसका सिलाहबरदार मौजूद नहीं हैं।
I Sa UrduGeoD 14:18  साऊल ने अख़ियाह को हुक्म दिया, “अहद का संदूक़ ले आएँ।” क्योंकि वह उन दिनों में इसराईली कैंप में था।
I Sa UrduGeoD 14:19  लेकिन साऊल अभी अख़ियाह से बात कर रहा था कि फ़िलिस्ती लशकरगाह में हंगामा और शोर बहुत ज़्यादा बढ़ गया। साऊल ने इमाम से कहा, “कोई बात नहीं, रहने दें।”
I Sa UrduGeoD 14:20  वह अपने 600 अफ़राद को लेकर फ़ौरन दुश्मन पर टूट पड़ा। जब उन तक पहुँच गए तो मालूम हुआ कि फ़िलिस्ती एक दूसरे को क़त्ल कर रहे हैं, और हर तरफ़ हंगामा ही हंगामा है।
I Sa UrduGeoD 14:21  फ़िलिस्तियों ने काफ़ी इसराईलियों को अपनी फ़ौज में शामिल कर लिया था। अब यह लोग फ़िलिस्तियों को छोड़कर साऊल और यूनतन के पीछे हो लिए।
I Sa UrduGeoD 14:22  इनके अलावा जो इसराईली इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े में इधर उधर छुप गए थे, जब उन्हें ख़बर मिली कि फ़िलिस्ती भाग रहे हैं तो वह भी उनका ताक़्क़ुब करने लगे।
I Sa UrduGeoD 14:23  लड़ते लड़ते मैदाने-जंग बैत-आवन तक फैल गया। इस तरह रब ने उस दिन इसराईलियों को बचा लिया।
I Sa UrduGeoD 14:24  उस दिन इसराईली सख़्त लड़ाई के बाइस बड़ी मुसीबत में थे। इसलिए साऊल ने क़सम खाकर कहा, “उस पर लानत जो शाम से पहले खाना खाए। पहले मैं अपने दुश्मन से इंतक़ाम लूँगा, फिर ही सब खा-पी सकते हैं।” इस वजह से किसी ने रोटी को हाथ तक न लगाया।
I Sa UrduGeoD 14:25  पूरी फ़ौज जंगल में दाख़िल हुई तो वहाँ ज़मीन पर शहद के छत्ते थे।
I Sa UrduGeoD 14:26  तमाम लोग जब उनके पास से गुज़रे तो देखा कि उनसे शहद टपक रहा है। लेकिन किसी ने थोड़ा भी लेकर खाने की जुर्रत न की, क्योंकि सब साऊल की लानत से डरते थे।
I Sa UrduGeoD 14:27  यूनतन को लानत का इल्म न था, इसलिए उसने अपनी लाठी का सिरा किसी छत्ते में डालकर उसे चाट लिया। उस की आँखें फ़ौरन चमक उठीं, और वह ताज़ादम हो गया।
I Sa UrduGeoD 14:28  किसी ने देखकर यूनतन को बताया, “आपके बाप ने फ़ौज से क़सम खिलाकर एलान किया है कि उस पर लानत जो इस दिन कुछ खाए। इसी वजह से हम सब इतने निढाल हो गए हैं।”
I Sa UrduGeoD 14:29  यूनतन ने जवाब दिया, “मेरे बाप ने मुल्क को मुसीबत में डाल दिया है! देखो, इस थोड़े-से शहद को चखने से मेरी आँखें कितनी चमक उठीं और मैं कितना ताज़ादम हो गया।
I Sa UrduGeoD 14:30  बेहतर होता कि हमारे लोग दुश्मन से लूटे हुए माल में से कुछ न कुछ खा लेते। लेकिन इस हालत में हम फ़िलिस्तियों को किस तरह ज़्यादा नुक़सान पहुँचा सकते हैं?”
I Sa UrduGeoD 14:31  उस दिन इसराईली फ़िलिस्तियों को मिकमास से मार मारकर ऐयालोन तक पहुँच गए। लेकिन शाम के वक़्त वह निहायत निढाल हो गए थे।
I Sa UrduGeoD 14:32  फिर वह लूटे हुए रेवड़ों पर टूट पड़े। उन्होंने जल्दी जल्दी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और बछड़ों को ज़बह किया। भूक की शिद्दत की वजह से उन्होंने ख़ून को सहीह तौर से निकलने न दिया बल्कि जानवरों को ज़मीन पर छोड़कर गोश्त को ख़ून समेत खाने लगे।
I Sa UrduGeoD 14:33  किसी ने साऊल को इत्तला दी, “देखें, लोग रब का गुनाह कर रहे हैं, क्योंकि वह गोश्त खा रहे हैं जिसमें अब तक ख़ून है।” यह सुनकर साऊल पुकार उठा, “आप रब से वफ़ादार नहीं रहे!” फिर उसने साथवाले आदमियों को हुक्म दिया, “कोई बड़ा पत्थर लुढ़काकर इधर ले आएँ!
I Sa UrduGeoD 14:34  फिर तमाम आदमियों के पास जाकर उन्हें बता देना, ‘अपने जानवरों को मेरे पास ले आएँ ताकि उन्हें पत्थर पर ज़बह करके खाएँ। वरना आप ख़ूनआलूदा गोश्त खाकर रब का गुनाह करेंगे’।” सब मान गए। उस शाम वह साऊल के पास आए और अपने जानवरों को पत्थर पर ज़बह किया।
I Sa UrduGeoD 14:35  वहाँ साऊल ने पहली दफ़ा रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।
I Sa UrduGeoD 14:36  फिर उसने एलान किया, “आएँ, हम अभी इसी रात फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब करके उनमें लूट-मार का सिलसिला जारी रखें ताकि एक भी न बचे।” फ़ौजियों ने जवाब दिया, “ठीक है, वह कुछ करें जो आपको मुनासिब लगे।” लेकिन इमाम बोला, “पहले हम अल्लाह से हिदायत लें।”
I Sa UrduGeoD 14:37  चुनाँचे साऊल ने अल्लाह से पूछा, “क्या हम फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब जारी रखें? क्या तू उन्हें इसराईल के हवाले कर देगा?” लेकिन इस मरतबा अल्लाह ने जवाब न दिया।
I Sa UrduGeoD 14:38  यह देखकर साऊल ने फ़ौज के तमाम राहनुमाओं को बुलाकर कहा, “किसी ने गुनाह किया है। मालूम करने की कोशिश करें कि कौन क़ुसूरवार है।
I Sa UrduGeoD 14:39  रब की हयात की क़सम जो इसराईल का नजातदहिंदा है, क़ुसूरवार को फ़ौरन सज़ाए-मौत दी जाएगी, ख़ाह वह मेरा बेटा यूनतन क्यों न हो।” लेकिन सब ख़ामोश रहे।
I Sa UrduGeoD 14:40  तब साऊल ने दुबारा एलान किया, “पूरी फ़ौज एक तरफ़ खड़ी हो जाए और यूनतन और मैं दूसरी तरफ़।” लोगों ने जवाब दिया, “जो आपको मुनासिब लगे वह करें।”
I Sa UrduGeoD 14:41  फिर साऊल ने रब इसराईल के ख़ुदा से दुआ की, “ऐ रब, हमें दिखा कि कौन क़ुसूरवार है!” जब क़ुरा डाला गया तो यूनतन और साऊल के गुरोह को क़ुसूरवार क़रार दिया गया और बाक़ी फ़ौज को बेक़ुसूर।
I Sa UrduGeoD 14:42  फिर साऊल ने हुक्म दिया, “अब क़ुरा डालकर पता करें कि मैं क़ुसूरवार हूँ या यूनतन।” जब क़ुरा डाला गया तो यूनतन क़ुसूरवार ठहरा।
I Sa UrduGeoD 14:43  साऊल ने पूछा, “बताएँ, आपने क्या किया?” यूनतन ने जवाब दिया, “मैंने सिर्फ़ थोड़ा-सा शहद चख लिया जो मेरी लाठी के सिरे पर लगा था। लेकिन मैं मरने के लिए तैयार हूँ।”
I Sa UrduGeoD 14:44  साऊल ने कहा, “यूनतन, अल्लाह मुझे सख़्त सज़ा दे अगर मैं आपको इसके लिए सज़ाए-मौत न दूँ।”
I Sa UrduGeoD 14:45  लेकिन फ़ौजियों ने एतराज़ किया, “यह कैसी बात है? यूनतन ही ने अपने ज़बरदस्त हमले से इसराईल को आज बचा लिया है। उसे किस तरह सज़ाए-मौत दी जा सकती है? कभी नहीं! अल्लाह की हयात की क़सम, उसका एक बाल भी बीका नहीं होगा, क्योंकि आज उसने अल्लाह की मदद से फ़तह पाई है।” यों फ़ौजियों ने यूनतन को मौत से बचा लिया।
I Sa UrduGeoD 14:46  तब साऊल ने फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब करना छोड़ दिया और अपने घर चला गया। फ़िलिस्ती भी अपने मुल्क में वापस चले गए।
I Sa UrduGeoD 14:47  जब साऊल तख़्तनशीन हुआ तो वह मुल्क के इर्दगिर्द के तमाम दुश्मनों से लड़ा। इनमें मोआब, अम्मोन, अदोम, ज़ोबाह के बादशाह और फ़िलिस्ती शामिल थे। और जहाँ भी जंग छिड़ी वहाँ उसने फ़तह पाई।
I Sa UrduGeoD 14:48  वह निहायत बहादुर था। उसने अमालीक़ियों को भी शिकस्त दी और यों इसराईल को उन तमाम दुश्मनों से बचा लिया जो बार बार मुल्क की लूट-मार करते थे।
I Sa UrduGeoD 14:49  साऊल के तीन बेटे थे, यूनतन, इसवी और मलकीशुअ। उस की बड़ी बेटी मीरब और छोटी बेटी मीकल थी।
I Sa UrduGeoD 14:50  बीवी का नाम अख़ीनुअम बिंत अख़ीमाज़ था। साऊल की फ़ौज का कमाँडर अबिनैर था, जो साऊल के चचा नैर का बेटा था।
I Sa UrduGeoD 14:51  साऊल का बाप क़ीस और अबिनैर का बाप नैर सगे भाई थे जिनका बाप अबियेल था।
I Sa UrduGeoD 14:52  साऊल के जीते-जी फ़िलिस्तियों से सख़्त जंग जारी रही। इसलिए जब भी कोई बहादुर और लड़ने के क़ाबिल आदमी नज़र आया तो साऊल ने उसे अपनी फ़ौज में भरती कर लिया।
Chapter 15
I Sa UrduGeoD 15:1  एक दिन समुएल ने साऊल के पास आकर उससे बात की, “रब ही ने मुझे आपको मसह करके इसराईल पर मुक़र्रर करने का हुक्म दिया था। अब रब का पैग़ाम सुन लें!
I Sa UrduGeoD 15:2  रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मैं अमालीक़ियों का मेरी क़ौम के साथ सुलूक नहीं भूल सकता। उस वक़्त जब इसराईली मिसर से निकलकर कनान की तरफ़ सफ़र कर रहे थे तो अमालीक़ियों ने रास्ता बंद कर दिया था।
I Sa UrduGeoD 15:3  अब वक़्त आ गया है कि तू उन पर हमला करे। सब कुछ तबाह करके मेरे हवाले कर दे। कुछ भी बचने न दे, बल्कि तमाम मर्दों, औरतों, बच्चों शीरख़ारों समेत, गाय-बैलों, भेड़-बकरियों, ऊँटों और गधों को मौत के घाट उतार दे।’”
I Sa UrduGeoD 15:4  साऊल ने अपने फ़ौजियों को बुलाकर तलायम में उनका जायज़ा लिया। कुल 2,00,000 प्यादे फ़ौजी थे, नीज़ यहूदाह के 10,000 अफ़राद।
I Sa UrduGeoD 15:5  अमालीक़ियों के शहर के पास पहुँचकर साऊल वादी में ताक में बैठ गया।
I Sa UrduGeoD 15:6  लेकिन पहले उसने क़ीनियों को ख़बर भेजी, “अमालीक़ियों से अलग होकर उनके पास से चले जाएँ, वरना आप उनके साथ हलाक हो जाएंगे। क्योंकि जब इसराईली मिसर से निकलकर रेगिस्तान में सफ़र कर रहे थे तो आपने उन पर मेहरबानी की थी।” यह ख़बर मिलते ही क़ीनी अमालीक़ियों से अलग होकर चले गए।
I Sa UrduGeoD 15:7  तब साऊल ने अमालीक़ियों पर हमला करके उन्हें हवीला से लेकर मिसर की मशरिक़ी सरहद शूर तक शिकस्त दी।
I Sa UrduGeoD 15:8  पूरी क़ौम को तलवार से मारा गया, सिर्फ़ उनका बादशाह अजाज ज़िंदा पकड़ा गया।
I Sa UrduGeoD 15:9  साऊल और उसके फ़ौजियों ने उसे ज़िंदा छोड़ दिया। इसी तरह सबसे अच्छी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, मोटे-ताज़े बछड़ों और चीदा भेड़ के बच्चों को भी छोड़ दिया गया। जो भी अच्छा था बच गया, क्योंकि इसराईलियों का दिल नहीं करता था कि तनदुरुस्त और मोटे-ताज़े जानवरों को हलाक करें। उन्होंने सिर्फ़ उन तमाम कमज़ोर जानवरों को ख़त्म किया जिनकी क़दरो-क़ीमत न थी।
I Sa UrduGeoD 15:10  फिर रब समुएल से हमकलाम हुआ,
I Sa UrduGeoD 15:11  “मुझे दुख है कि मैंने साऊल को बादशाह बना लिया है, क्योंकि उसने मुझसे दूर होकर मेरा हुक्म नहीं माना।” समुएल को इतना ग़ुस्सा आया कि वह पूरी रात बुलंद आवाज़ से रब से फ़रियाद करता रहा।
I Sa UrduGeoD 15:12  अगले दिन वह उठकर साऊल से मिलने गया। किसी ने उसे बताया, “साऊल करमिल चला गया। वहाँ अपने लिए यादगार खड़ा करके वह आगे जिलजाल चला गया है।”
I Sa UrduGeoD 15:13  जब समुएल जिलजाल पहुँचा तो साऊल ने कहा, “मुबारक हो! मैंने रब का हुक्म पूरा कर दिया है।”
I Sa UrduGeoD 15:14  समुएल ने पूछा, “जानवरों का यह शोर कहाँ से आ रहा है? भेड़-बकरियाँ ममया रही और गाय-बैल डकरा रहे हैं।”
I Sa UrduGeoD 15:15  साऊल ने जवाब दिया, “यह अमालीक़ियों के हाँ से लाए गए हैं। फ़ौजियों ने सबसे अच्छे गाय-बैलों और भेड़-बकरियों को ज़िंदा छोड़ दिया ताकि उन्हें रब आपके ख़ुदा के हुज़ूर क़ुरबान करें। लेकिन हमने बाक़ी सबको रब के हवाले करके मार दिया।”
I Sa UrduGeoD 15:16  समुएल बोला, “ख़ामोश! पहले वह बात सुन लें जो रब ने मुझे पिछली रात फ़रमाई।” साऊल ने जवाब दिया, “बताएँ।”
I Sa UrduGeoD 15:17  समुएल ने कहा, “जब आप तमाम क़ौम के राहनुमा बन गए तो एहसासे-कमतरी का शिकार थे। तो भी रब ने आपको मसह करके इसराईल का बादशाह बना दिया।
I Sa UrduGeoD 15:18  और उसने आपको भेजकर हुक्म दिया, ‘जा और अमालीक़ियों को पूरे तौर पर हलाक करके मेरे हवाले कर। उस वक़्त तक इन शरीर लोगों से लड़ता रह जब तक वह सबके सब मिट न जाएँ।’
I Sa UrduGeoD 15:19  अब मुझे बताएँ कि आपने रब की क्यों न सुनी? आप लूटे हुए माल पर क्यों टूट पड़े? यह तो रब के नज़दीक गुनाह है।”
I Sa UrduGeoD 15:20  साऊल ने एतराज़ किया, “लेकिन मैंने ज़रूर रब की सुनी। जिस मक़सद के लिए रब ने मुझे भेजा वह मैंने पूरा कर दिया है, क्योंकि मैं अमालीक़ के बादशाह अजाज को गिरिफ़्तार करके यहाँ ले आया और बाक़ी सबको मौत के घाट उतारकर रब के हवाले कर दिया।
I Sa UrduGeoD 15:21  मेरे फ़ौजी लूटे हुए माल में से सिर्फ़ सबसे अच्छी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल चुनकर ले आए, क्योंकि वह उन्हें यहाँ जिलजाल में रब आपके ख़ुदा के हुज़ूर क़ुरबान करना चाहते थे।”
I Sa UrduGeoD 15:22  लेकिन समुएल ने जवाब दिया, “रब को क्या बात ज़्यादा पसंद है, आपकी भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ या यह कि आप उस की सुनते हैं? सुनना क़ुरबानी से कहीं बेहतर और ध्यान देना मेंढे की चरबी से कहीं उम्दा है।
I Sa UrduGeoD 15:23  सरकशी ग़ैबदानी के गुनाह के बराबर है और ग़ुरूर बुतपरस्ती के गुनाह से कम नहीं होता। आपने रब का हुक्म रद्द किया है, इसलिए उसने आपको रद्द करके बादशाह का ओहदा आपसे छीन लिया है।”
I Sa UrduGeoD 15:24  तब साऊल ने इक़रार किया, “मुझसे गुनाह हुआ है। मैंने आपकी हिदायत और रब के हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी की है। मैंने लोगों से डरकर उनकी बात मान ली।
I Sa UrduGeoD 15:25  लेकिन अब मेहरबानी करके मुझे मुआफ़ करें और मेरे साथ वापस आएँ ताकि मैं आपकी मौजूदगी में रब की परस्तिश कर सकूँ।”
I Sa UrduGeoD 15:26  लेकिन समुएल ने जवाब दिया, “मैं आपके साथ वापस नहीं चलूँगा। आपने रब का कलाम रद्द किया है, इसलिए रब ने आपको रद्द करके बादशाह का ओहदा आपसे छीन लिया है।”
I Sa UrduGeoD 15:27  समुएल मुड़कर वहाँ से चलने लगा, लेकिन साऊल ने उसके चोग़े का दामन इतने ज़ोर से पकड़ लिया कि वह फटकर उसके हाथ में रह गया।
I Sa UrduGeoD 15:28  समुएल बोला, “जिस तरह कपड़ा फटकर आपके हाथ में रह गया बिलकुल उसी तरह रब ने आज ही इसराईल पर आपका इख़्तियार आपसे छीनकर किसी और को दे दिया है, ऐसे शख़्स को जो आपसे कहीं बेहतर है।
I Sa UrduGeoD 15:29  जो इसराईल की शानो-शौकत है वह न झूट बोलता, न कभी अपनी सोच को बदलता है, क्योंकि वह इनसान नहीं कि एक बात कहकर बाद में उसे बदले।”
I Sa UrduGeoD 15:30  साऊल ने दुबारा मिन्नत की, “बेशक मैंने गुनाह किया है। लेकिन बराहे-करम कम अज़ कम मेरी क़ौम के बुज़ुर्गों और इसराईल के सामने तो मेरी इज़्ज़त करें। मेरे साथ वापस आएँ ताकि मैं आपकी मौजूदगी में रब आपके ख़ुदा की परस्तिश कर सकूँ।”
I Sa UrduGeoD 15:31  तब समुएल मान गया और साऊल के साथ दूसरों के पास वापस आया। साऊल ने रब की परस्तिश की,
I Sa UrduGeoD 15:32  फिर समुएल ने एलान किया, “अमालीक़ के बादशाह अजाज को मेरे पास ले आओ!” अजाज इतमीनान से समुएल के पास आया, क्योंकि उसने सोचा, “बेशक मौत का ख़तरा टल गया है।”
I Sa UrduGeoD 15:33  लेकिन समुएल बोला, “तेरी तलवार से बेशुमार माएँ अपने बच्चों से महरूम हो गई हैं। अब तेरी माँ भी बेऔलाद हो जाएगी।” यह कहकर समुएल ने वहीं जिलजाल में रब के हुज़ूर अजाज को तलवार से टुकड़े टुकड़े कर दिया।
I Sa UrduGeoD 15:34  फिर वह रामा वापस चला गया, और साऊल अपने घर गया जो जिबिया में था।
I Sa UrduGeoD 15:35  इसके बाद समुएल जीते-जी साऊल से कभी न मिला, क्योंकि वह साऊल का मातम करता रहा। लेकिन रब को दुख था कि मैंने साऊल को इसराईल पर क्यों मुक़र्रर किया।
Chapter 16
I Sa UrduGeoD 16:1  एक दिन रब समुएल से हमकलाम हुआ, “तू कब तक साऊल का मातम करेगा? मैंने तो उसे रद्द करके बादशाह का ओहदा उससे ले लिया है। अब मेंढे का सींग ज़ैतून के तेल से भरकर बैत-लहम चला जा। वहाँ एक आदमी से मिल जिसका नाम यस्सी है। क्योंकि मैंने उसके बेटों में से एक को चुन लिया है कि वह नया बादशाह बन जाए।”
I Sa UrduGeoD 16:2  लेकिन समुएल ने एतराज़ किया, “मैं किस तरह जा सकता हूँ? साऊल यह सुनकर मुझे मार डालेगा।” रब ने जवाब दिया, “एक जवान गाय अपने साथ लेकर लोगों को बता दे कि मैं इसे रब के हुज़ूर क़ुरबान करने के लिए आया हूँ।
I Sa UrduGeoD 16:3  यस्सी को दावत दे कि वह क़ुरबानी की ज़ियाफ़त में शरीक हो जाए। आगे मैं तुझे बताऊँगा कि क्या करना है। मैं तुझे दिखाऊँगा कि किस बेटे को मेरे लिए मसह करके चुन लेना है।”
I Sa UrduGeoD 16:4  समुएल मान गया। जब वह बैत-लहम पहुँच गया तो लोग चौंक उठे। लरज़ते लरज़ते शहर के बुज़ुर्ग उससे मिलने आए और पूछा, “ख़ैरियत तो है कि आप हमारे पास आ गए हैं?”
I Sa UrduGeoD 16:5  समुएल ने उन्हें तसल्ली देकर कहा, “ख़ैरियत है। मैं रब के हुज़ूर क़ुरबानी पेश करने के लिए आया हूँ। अपने आपको रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करें और फिर मेरे साथ क़ुरबानी की ज़ियाफ़त में शरीक हो जाएँ।” समुएल ने यस्सी और उसके बेटों को भी दावत दी और उन्हें अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस करने को कहा।
I Sa UrduGeoD 16:6  जब यस्सी अपने बेटों समेत क़ुरबानी की ज़ियाफ़त के लिए आया तो समुएल की नज़र इलियाब पर पड़ी। उसने सोचा, “बेशक यह वह है जिसे रब मसह करके बादशाह बनाना चाहता है।”
I Sa UrduGeoD 16:7  लेकिन रब ने फ़रमाया, “इसकी शक्लो-सूरत और लंबे क़द से मुतअस्सिर न हो, क्योंकि यह मुझे नामंज़ूर है। मैं इनसान की नज़र से नहीं देखता। क्योंकि इनसान ज़ाहिरी सूरत पर ग़ौर करके फ़ैसला करता है जबकि रब को हर एक का दिल साफ़ साफ़ नज़र आता है।”
I Sa UrduGeoD 16:8  फिर यस्सी ने अपने दूसरे बेटे अबीनदाब को बुलाकर समुएल के सामने से गुज़रने दिया। समुएल बोला, “नहीं, रब ने इसे भी नहीं चुना।”
I Sa UrduGeoD 16:9  इसके बाद यस्सी ने तीसरे बेटे सम्मा को पेश किया। लेकिन यह भी नहीं चुना गया था।
I Sa UrduGeoD 16:10  यों यस्सी ने अपने सात बेटों को एक एक करके समुएल के सामने से गुज़रने दिया। इनमें से कोई रब का चुना हुआ बादशाह न निकला।
I Sa UrduGeoD 16:11  आख़िरकार समुएल ने पूछा, “इनके अलावा कोई और बेटा तो नहीं है?” यस्सी ने जवाब दिया, “सबसे छोटा बेटा अभी बाक़ी रह गया है, लेकिन वह बाहर खेतों में भेड़-बकरियों की निगरानी कर रहा है।” समुएल ने कहा, “उसे फ़ौरन बुला लें। उसके आने तक हम खाने के लिए नहीं बैठेंगे।”
I Sa UrduGeoD 16:12  चुनाँचे यस्सी छोटे को बुलाकर अंदर ले आया। यह बेटा गोरा था। उस की आँखें ख़ूबसूरत और शक्लो-सूरत क़ाबिले-तारीफ़ थी। रब ने समुएल को बताया, “यही है। उठकर इसे मसह कर।”
I Sa UrduGeoD 16:13  समुएल ने तेल से भरा हुआ मेंढे का सींग लेकर उसे दाऊद के सर पर उंडेल दिया। सब भाई मौजूद थे। उसी वक़्त रब का रूह दाऊद पर नाज़िल हुआ और उस की सारी उम्र उस पर ठहरा रहा। फिर समुएल रामा वापस चला गया।
I Sa UrduGeoD 16:14  लेकिन रब के रूह ने साऊल को छोड़ दिया था। इसके बजाए रब की तरफ़ से एक बुरी रूह उसे दहशतज़दा करने लगी।
I Sa UrduGeoD 16:15  एक दिन साऊल के मुलाज़िमों ने उससे कहा, “अल्लाह की तरफ़ से एक बुरी रूह आपके दिल में दहशत पैदा कर रही है।
I Sa UrduGeoD 16:16  हमारा आक़ा अपने ख़ादिमों को हुक्म दे कि वह किसी को ढूँड लाएँ जो सरोद बजा सके। जब भी अल्लाह की तरफ़ से यह बुरी रूह आप पर आए तो वह अपना साज़ बजाकर आपको सुकून दिलाएगा।”
I Sa UrduGeoD 16:17  साऊल ने जवाब दिया, “ठीक है, ऐसा ही करो। किसी को बुला लाओ जो साज़ बजाने में माहिर हो।”
I Sa UrduGeoD 16:18  एक मुलाज़िम बोला, “मैंने एक आदमी को देखा है जो ख़ूब बजा सकता है। वह बैत-लहम के रहनेवाले यस्सी का बेटा है। वह न सिर्फ़ महारत से सरोद बजा सकता है बल्कि बड़ा जंगजू भी है। यह भी उस की एक ख़ूबी है कि वह हर मौक़े पर समझदारी से बात कर सकता है। और वह ख़ूबसूरत भी है। रब उसके साथ है।”
I Sa UrduGeoD 16:19  साऊल ने फ़ौरन अपने क़ासिदों को यस्सी के पास भेजकर उसे इत्तला दी, “अपने बेटे दाऊद को जो भेड़-बकरियों को सँभालता है मेरे पास भेज देना।”
I Sa UrduGeoD 16:20  यह सुनकर यस्सी ने रोटी, मै का मशकीज़ा और एक जवान बकरी गधे पर लादकर दाऊद के हवाले कर दी और उसे साऊल के दरबार में भेज दिया।
I Sa UrduGeoD 16:21  इस तरह दाऊद साऊल की ख़िदमत में हाज़िर हो गया। वह बादशाह को बहुत पसंद आया बल्कि साऊल को इतना प्यारा लगा कि उसे अपना सिलाहबरदार बना लिया।
I Sa UrduGeoD 16:22  साऊल ने यस्सी को इत्तला भेजी, “दाऊद मुझे बहुत पसंद आया है, इसलिए उसे मुस्तक़िल तौर पर मेरी ख़िदमत करने की इजाज़त दें।”
I Sa UrduGeoD 16:23  और जब भी बुरी रूह साऊल पर आती तो दाऊद अपना सरोद बजाने लगता। तब साऊल को सुकून मिलता और बुरी रूह उस पर से दूर हो जाती।
Chapter 17
I Sa UrduGeoD 17:1  एक दिन फ़िलिस्तियों ने अपनी फ़ौज को यहूदाह के शहर सोका के क़रीब जमा किया। वह इफ़स-दम्मीम में ख़ैमाज़न हुए जो सोका और अज़ीक़ा के दरमियान है।
I Sa UrduGeoD 17:2  जवाब में साऊल ने अपनी फ़ौज को बुलाकर वादीए-ऐला में जमा किया। वहाँ इसराईल के मर्द जंग के लिए तरतीब से खड़े हुए।
I Sa UrduGeoD 17:3  यों फ़िलिस्ती एक पहाड़ी पर खड़े थे और इसराईली दूसरी पहाड़ी पर। उनके बीच में वादी थी।
I Sa UrduGeoD 17:4  फिर फ़िलिस्ती सफ़ों से जात शहर का पहलवान निकलकर इसराईलियों के सामने खड़ा हुआ। उसका नाम जालूत था और वह 9 फ़ुट से ज़्यादा लंबा था।
I Sa UrduGeoD 17:5  उसने हिफ़ाज़त के लिए पीतल की कई चीज़ें पहन रखी थीं : सर पर ख़ोद, धड़ पर ज़िरा-बकतर जो 57 किलोग्राम वज़नी था
I Sa UrduGeoD 17:6  और पिंडलियों पर बकतर। कंधों पर पीतल की शमशेर लटकी हुई थी।
I Sa UrduGeoD 17:7  जो नेज़ा वह पकड़कर चल रहा था उसका दस्ता खड्डी के शहतीर जैसा मोटा और लंबा था, और उसके लोहे की नोक का वज़न 7 किलोग्राम से ज़्यादा था। जालूत के आगे आगे एक आदमी उस की ढाल उठाए चल रहा था।
I Sa UrduGeoD 17:8  जालूत इसराईली सफ़ों के सामने रुककर गरजा, “तुम सब क्यों लड़ने के लिए सफ़आरा हो गए हो? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं हूँ जबकि तुम सिर्फ़ साऊल के नौकर-चाकर हो? चलो, एक आदमी को चुनकर उसे यहाँ नीचे मेरे पास भेज दो।
I Sa UrduGeoD 17:9  अगर वह मुझसे लड़ सके और मुझे मार दे तो हम तुम्हारे ग़ुलाम बन जाएंगे। लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आकर उसे मार डालूँ तो तुम हमारे ग़ुलाम बन जाओगे।
I Sa UrduGeoD 17:10  आज मैं इसराईली सफ़ों की बदनामी करके उन्हें चैलेंज करता हूँ कि मुझे एक आदमी दो जो मेरे साथ लड़े।”
I Sa UrduGeoD 17:11  जालूत की यह बातें सुनकर साऊल और तमाम इसराईली घबरा गए, और उन पर दहशत तारी हो गई।
I Sa UrduGeoD 17:12  उस वक़्त दाऊद का बाप यस्सी काफ़ी बूढ़ा हो चुका था। उसके कुल 8 बेटे थे, और वह इफ़राता के इलाक़े के बैत-लहम में रहता था।
I Sa UrduGeoD 17:13  लेकिन उसके तीन सबसे बड़े बेटे फ़िलिस्तियों से लड़ने के लिए साऊल की फ़ौज में भरती हो गए थे। सबसे बड़े का नाम इलियाब, दूसरे का अबीनदाब और तीसरे का सम्मा था।
I Sa UrduGeoD 17:14  दाऊद तो सबसे छोटा भाई था। वह दूसरों की तरह पूरा वक़्त साऊल के पास न गुज़ार सका, क्योंकि उसे बाप की भेड़-बकरियों को सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई थी। इसलिए वह आता जाता रहा। चुनाँचे वह मौजूद नहीं था
I Sa UrduGeoD 17:15  दाऊद तो सबसे छोटा भाई था। वह दूसरों की तरह पूरा वक़्त साऊल के पास न गुज़ार सका, क्योंकि उसे बाप की भेड़-बकरियों को सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई थी। इसलिए वह आता जाता रहा। चुनाँचे वह मौजूद नहीं था
I Sa UrduGeoD 17:16  जब जालूत 40 दिन सुबहो-शाम इसराईलियों की सफ़ों के सामने खड़े होकर उन्हें चैलेंज करता रहा।
I Sa UrduGeoD 17:17  एक दिन यस्सी ने दाऊद से कहा, “बेटा, अपने भाइयों के पास कैंप में जाकर उनका पता करो। भुने हुए अनाज के यह 16 किलोग्राम और यह दस रोटियाँ अपने साथ लेकर जल्दी जल्दी उधर पहुँच जाओ।
I Sa UrduGeoD 17:18  पनीर की यह दस टिक्कियाँ उनके कप्तान को दे देना। भाइयों का हाल मालूम करके उनकी कोई चीज़ वापस ले आओ ताकि मुझे तसल्ली हो जाए कि वह ठीक हैं।
I Sa UrduGeoD 17:19  वह वादीए-ऐला में साऊल और इसराईली फ़ौज के साथ फ़िलिस्तियों से लड़ रहे हैं।”
I Sa UrduGeoD 17:20  अगले दिन सुबह-सवेरे दाऊद ने रेवड़ को किसी और के सुपुर्द करके सामान उठाया और यस्सी की हिदायत के मुताबिक़ चला गया। जब वह कैंप के पास पहुँच गया तो इसराईली फ़ौजी नारे लगा लगाकर मैदाने-जंग के लिए निकल रहे थे।
I Sa UrduGeoD 17:21  वह लड़ने के लिए तरतीब से खड़े हो गए, और दूसरी तरफ़ फ़िलिस्ती सफ़ें भी तैयार हुईं।
I Sa UrduGeoD 17:22  यह देखकर दाऊद ने अपनी चीज़ें उस आदमी के पास छोड़ दीं जो लशकर के सामान की निगरानी कर रहा था, फिर भागकर मैदाने-जंग में भाइयों से मिलने चला गया। वह अभी उनका हाल पूछ ही रहा था
I Sa UrduGeoD 17:23  कि जाती जालूत मामूल के मुताबिक़ फ़िलिस्तियों की सफ़ों से निकलकर इसराईलियों के सामने वही तंज़ की बातें बकने लगा। दाऊद ने भी उस की बातें सुनीं।
I Sa UrduGeoD 17:24  जालूत को देखते ही इसराईलियों के रोंगटे खड़े हो गए, और वह भागकर
I Sa UrduGeoD 17:25  आपस में कहने लगे, “क्या आपने इस आदमी को हमारी तरफ़ बढ़ते हुए देखा? सुनें कि वह किस तरह हमारी बदनामी करके हमें चैलेंज कर रहा है। बादशाह ने एलान किया है कि जो शख़्स इसे मार दे उसे बड़ा अज्र मिलेगा। शहज़ादी से उस की शादी होगी, और आइंदा उसके बाप के ख़ानदान को टैक्स नहीं देना पड़ेगा।”
I Sa UrduGeoD 17:26  दाऊद ने साथवाले फ़ौजियों से पूछा, “क्या कह रहे हैं? उस आदमी को क्या इनाम मिलेगा जो इस फ़िलिस्ती को मारकर हमारी क़ौम की रुसवाई दूर करेगा? यह नामख़तून फ़िलिस्ती कौन है कि ज़िंदा ख़ुदा की फ़ौज की बदनामी करके उसे चैलेंज करे!”
I Sa UrduGeoD 17:27  लोगों ने दुबारा दाऊद को बताया कि बादशाह उस आदमी को क्या देगा जो जालूत को मार डालेगा।
I Sa UrduGeoD 17:28  जब दाऊद के बड़े भाई इलियाब ने दाऊद की बातें सुनीं तो उसे ग़ुस्सा आया और वह उसे झिड़कने लगा, “तू क्यों आया है? बयाबान में अपनी चंद एक भेड़-बकरियों को किसके पास छोड़ आया है? मैं तेरी शोख़ी और दिल की शरारत ख़ूब जानता हूँ। तू सिर्फ़ जंग का तमाशा देखने आया है!”
I Sa UrduGeoD 17:29  दाऊद ने पूछा, “अब मुझसे क्या ग़लती हुई? मैंने तो सिर्फ़ सवाल पूछा।”
I Sa UrduGeoD 17:30  वह उससे मुड़कर किसी और के पास गया और वही बात पूछने लगा। वही जवाब मिला।
I Sa UrduGeoD 17:31  दाऊद की यह बातें सुनकर किसी ने साऊल को इत्तला दी। साऊल ने उसे फ़ौरन बुलाया।
I Sa UrduGeoD 17:32  दाऊद ने बादशाह से कहा, “किसी को इस फ़िलिस्ती की वजह से हिम्मत नहीं हारना चाहिए। मैं उससे लड़ूँगा।”
I Sa UrduGeoD 17:33  साऊल बोला, “आप? आप जैसा लड़का किस तरह उसका मुक़ाबला कर सकता है? आप तो अभी बच्चे से हो जबकि वह तजरबाकार जंगजू है जो जवानी से हथियार इस्तेमाल करता आया है।”
I Sa UrduGeoD 17:34  लेकिन दाऊद ने इसरार किया, “मैं अपने बाप की भेड़-बकरियों की निगरानी करता हूँ। जब कभी कोई शेरबबर या रीछ रेवड़ का जानवर छीनकर भाग जाता
I Sa UrduGeoD 17:35  तो मैं उसके पीछे जाता और उसे मार मारकर भेड़ को उसके मुँह से छुड़ा लेता था। अगर शेर या रीछ जवाब में मुझ पर हमला करता तो मैं उसके सर के बालों को पकड़कर उसे मार देता था।
I Sa UrduGeoD 17:36  इस तरह आपके ख़ादिम ने कई शेरों और रीछों को मार डाला है। यह नामख़तून भी उनकी तरह हलाक हो जाएगा, क्योंकि उसने ज़िंदा ख़ुदा की फ़ौज की बदनामी करके उसे चैलेंज किया है।
I Sa UrduGeoD 17:37  जिस रब ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचा लिया है वह मुझे इस फ़िलिस्ती के हाथ से भी बचाएगा।” साऊल बोला, “ठीक है, जाएँ और रब आपके साथ हो।”
I Sa UrduGeoD 17:38  उसने दाऊद को अपना ज़िरा-बकतर और पीतल का ख़ोद पहनाया।
I Sa UrduGeoD 17:39  फिर दाऊद ने साऊल की तलवार बाँधकर चलने की कोशिश की। लेकिन उसे बहुत मुश्किल लग रहा था। उसने साऊल से कहा, “मैं यह चीज़ें पहनकर नहीं लड़ सकता, क्योंकि मैं इनका आदी नहीं हूँ।” उन्हें उतारकर
I Sa UrduGeoD 17:40  उसने नदी से पाँच चिकने चिकने पत्थर चुनकर उन्हें अपनी चरवाहे की थैली में डाल लिया। फिर चरवाहे की अपनी लाठी और फ़लाख़न पकड़कर वह फ़िलिस्ती से लड़ने के लिए इसराईली सफ़ों से निकला।
I Sa UrduGeoD 17:41  जालूत दाऊद की जानिब बढ़ा। ढाल को उठानेवाला उसके आगे आगे चल रहा था।
I Sa UrduGeoD 17:42  उसने हिक़ारतआमेज़ नज़रों से दाऊद का जायज़ा लिया, क्योंकि वह गोरा और ख़ूबसूरत नौजवान था।
I Sa UrduGeoD 17:43  वह गरजा, “क्या मैं कुत्ता हूँ कि तू लाठी लेकर मेरा मुक़ाबला करने आया है?” अपने देवताओं के नाम लेकर वह दाऊद पर लानत भेजकर
I Sa UrduGeoD 17:44  चिल्लाया, “इधर आ ताकि मैं तेरा गोश्त परिंदों और जंगली जानवरों को खिलाऊँ।”
I Sa UrduGeoD 17:45  दाऊद ने जवाब दिया, “आप तलवार, नेज़ा और शमशेर लेकर मेरा मुक़ाबला करने आए हैं, लेकिन मैं रब्बुल-अफ़वाज का नाम लेकर आता हूँ, उसी का नाम जो इसराईली फ़ौज का ख़ुदा है। क्योंकि आपने उसी को चैलेंज किया है।
I Sa UrduGeoD 17:46  आज ही रब आपको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं आपका सर क़लम कर दूँगा। इसी दिन मैं फ़िलिस्ती फ़ौजियों की लाशें परिंदों और जंगली जानवरों को खिला दूँगा। तब तमाम दुनिया जान लेगी कि इसराईल का ख़ुदा है।
I Sa UrduGeoD 17:47  सब जो यहाँ मौजूद हैं जान लेंगे कि रब को हमें बचाने के लिए तलवार या नेज़े की ज़रूरत नहीं होती। वह ख़ुद ही जंग कर रहा है, और वही आपको हमारे क़ब्ज़े में कर देगा।”
I Sa UrduGeoD 17:48  जालूत दाऊद पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा, और दाऊद भी उस की तरफ़ दौड़ा।
I Sa UrduGeoD 17:49  चलते चलते उसने अपनी थैली से पत्थर निकाला और उसे फ़लाख़न में रखकर ज़ोर से चलाया। पत्थर उड़ता उड़ता फ़िलिस्ती के माथे पर जा लगा। वह खोपड़ी में धँस गया, और पहलवान मुँह के बल गिर गया।
I Sa UrduGeoD 17:50  यों दाऊद फ़लाख़न और पत्थर से फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया। उसके हाथ में तलवार नहीं थी। तब उसने जालूत की तरफ़ दौड़कर उसी की तलवार मियान से खींचकर फ़िलिस्ती का सर काट डाला। जब फ़िलिस्तियों ने देखा कि हमारा पहलवान हलाक हो गया है तो वह भाग निकले।
I Sa UrduGeoD 17:51  यों दाऊद फ़लाख़न और पत्थर से फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया। उसके हाथ में तलवार नहीं थी। तब उसने जालूत की तरफ़ दौड़कर उसी की तलवार मियान से खींचकर फ़िलिस्ती का सर काट डाला। जब फ़िलिस्तियों ने देखा कि हमारा पहलवान हलाक हो गया है तो वह भाग निकले।
I Sa UrduGeoD 17:52  इसराईल और यहूदाह के मर्द फ़तह के नारे लगा लगाकर फ़िलिस्तियों पर टूट पड़े। उनका ताक़्क़ुब करते करते वह जात और अक़रून के दरवाज़ों तक पहुँच गए। जो रास्ता शारैम से जात और अक़रून तक जाता है उस पर हर तरफ़ फ़िलिस्तियों की लाशें नज़र आईं।
I Sa UrduGeoD 17:53  फिर इसराईलियों ने वापस आकर फ़िलिस्तियों की छोड़ी हुई लशकरगाह को लूट लिया।
I Sa UrduGeoD 17:54  बाद में दाऊद जालूत का सर यरूशलम को ले आया। फ़िलिस्ती के हथियार उसने अपने ख़ैमे में रख लिए।
I Sa UrduGeoD 17:55  जब दाऊद जालूत से लड़ने गया तो साऊल ने फ़ौज के कमाँडर अबिनैर से पूछा, “इस जवान आदमी का बाप कौन है?” अबिनैर ने जवाब दिया, “आपकी हयात की क़सम, मुझे मालूम नहीं।”
I Sa UrduGeoD 17:56  बादशाह बोला, “फिर पता करें!”
I Sa UrduGeoD 17:57  जब दाऊद फ़िलिस्ती का सर क़लम करके वापस आया तो अबिनैर उसे बादशाह के पास लाया। दाऊद अभी जालूत का सर उठाए फिर रहा था।
I Sa UrduGeoD 17:58  साऊल ने पूछा, “आपका बाप कौन है?” दाऊद ने जवाब दिया, “मैं बैत-लहम के रहनेवाले आपके ख़ादिम यस्सी का बेटा हूँ।”
Chapter 18
I Sa UrduGeoD 18:1  इस गुफ़्तगू के बाद दाऊद की मुलाक़ात बादशाह के बेटे यूनतन से हुई। उनमें फ़ौरन गहरी दोस्ती पैदा हो गई, और यूनतन दाऊद को अपनी जान के बराबर अज़ीज़ रखने लगा।
I Sa UrduGeoD 18:2  उस दिन से साऊल ने दाऊद को अपने दरबार में रख लिया और उसे बाप के घर वापस जाने न दिया।
I Sa UrduGeoD 18:3  और यूनतन ने दाऊद से अहद बाँधा, क्योंकि वह दाऊद को अपनी जान के बराबर अज़ीज़ रखता था।
I Sa UrduGeoD 18:4  अहद की तसदीक़ के लिए यूनतन ने अपना चोग़ा उतारकर उसे अपने ज़िरा-बकतर, तलवार, कमान और पेटी समेत दाऊद को दे दिया।
I Sa UrduGeoD 18:5  जहाँ भी साऊल ने दाऊद को लड़ने के लिए भेजा वहाँ वह कामयाब हुआ। यह देखकर साऊल ने उसे फ़ौज का बड़ा अफ़सर बना दिया। यह बात अवाम और साऊल के अफ़सरों को पसंद आई।
I Sa UrduGeoD 18:6  जब दाऊद फ़िलिस्तियों को शिकस्त देने से वापस आया तो तमाम शहरों से औरतें निकलकर साऊल बादशाह से मिलने आईं। दफ़ और साज़ बजाते हुए वह ख़ुशी के गीत गा गाकर नाचने लगीं।
I Sa UrduGeoD 18:7  और नाचते नाचते वह गाती रहीं, “साऊल ने तो हज़ार हलाक किए जबकि दाऊद ने दस हज़ार।”
I Sa UrduGeoD 18:8  साऊल बड़े ग़ुस्से में आ गया, क्योंकि औरतों का गीत उसे निहायत बुरा लगा। उसने सोचा, “उनकी नज़र में दाऊद ने दस हज़ार हलाक किए जबकि मैंने सिर्फ़ हज़ार। अब सिर्फ़ यह बात रह गई है कि उसे बादशाह मुक़र्रर किया जाए।”
I Sa UrduGeoD 18:9  उस वक़्त से साऊल दाऊद को शक की नज़र से देखने लगा।
I Sa UrduGeoD 18:10  अगले दिन अल्लाह ने दुबारा साऊल पर बुरी रूह आने दी, और वह घर के अंदर वज्द की हालत में आ गया। दाऊद मामूल के मुताबिक़ साज़ बजाने लगा ताकि बादशाह को सुकून मिले। साऊल के हाथ में नेज़ा था। अचानक उसने उसे फेंककर दाऊद को दीवार के साथ छेद डालने की कोशिश की। लेकिन दाऊद एक तरफ़ हटकर बच निकला। एक और दफ़ा ऐसा हुआ, लेकिन दाऊद फिर बच गया।
I Sa UrduGeoD 18:11  अगले दिन अल्लाह ने दुबारा साऊल पर बुरी रूह आने दी, और वह घर के अंदर वज्द की हालत में आ गया। दाऊद मामूल के मुताबिक़ साज़ बजाने लगा ताकि बादशाह को सुकून मिले। साऊल के हाथ में नेज़ा था। अचानक उसने उसे फेंककर दाऊद को दीवार के साथ छेद डालने की कोशिश की। लेकिन दाऊद एक तरफ़ हटकर बच निकला। एक और दफ़ा ऐसा हुआ, लेकिन दाऊद फिर बच गया।
I Sa UrduGeoD 18:12  यह देखकर साऊल दाऊद से डरने लगा, क्योंकि उसने जान लिया कि रब मुझे छोड़कर दाऊद का हामी बन गया है।
I Sa UrduGeoD 18:13  आख़िरकार उसने दाऊद को दरबार से दूर करके हज़ार फ़ौजियों पर मुक़र्रर कर दिया। इन आदमियों के साथ दाऊद मुख़्तलिफ़ जंगों के लिए निकलता रहा।
I Sa UrduGeoD 18:14  और जो कुछ भी वह करता उसमें कामयाब रहता, क्योंकि रब उसके साथ था।
I Sa UrduGeoD 18:15  जब साऊल ने देखा कि दाऊद को कितनी ज़्यादा कामयाबी हुई है तो वह उससे मज़ीद डर गया।
I Sa UrduGeoD 18:16  लेकिन इसराईल और यहूदाह के बाक़ी लोग दाऊद से बहुत मुहब्बत रखते थे, क्योंकि वह हर जंग में निकलते वक़्त से लेकर घर वापस आते वक़्त तक उनके आगे आगे चलता था।
I Sa UrduGeoD 18:17  एक दिन साऊल ने दाऊद से बात की, “मैं अपनी बड़ी बेटी मीरब का रिश्ता आपके साथ बाँधना चाहता हूँ। लेकिन पहले साबित करें कि आप अच्छे फ़ौजी हैं, जो रब की जंगों में ख़ूब हिस्सा ले।” लेकिन दिल ही दिल में साऊल ने सोचा, “ख़ुद तो मैं दाऊद पर हाथ नहीं उठाऊँगा, बेहतर है कि वह फ़िलिस्तियों के हाथों मारा जाए।”
I Sa UrduGeoD 18:18  लेकिन दाऊद ने एतराज़ किया, “मैं कौन हूँ कि बादशाह का दामाद बनूँ? इसराईल में तो मेरे ख़ानदान और आबाई कुंबे की कोई हैसियत नहीं।”
I Sa UrduGeoD 18:19  तो भी शादी की तैयारियाँ की गईं। लेकिन जब मुक़र्ररा वक़्त आ गया तो साऊल ने मीरब की शादी एक और आदमी बनाम अदरियेल महूलाती से करवा दी।
I Sa UrduGeoD 18:20  इतने में साऊल की छोटी बेटी मीकल दाऊद से मुहब्बत करने लगी। जब साऊल को इसकी ख़बर मिली तो वह ख़ुश हुआ।
I Sa UrduGeoD 18:21  उसने सोचा, “अब मैं बेटी का रिश्ता उसके साथ बाँधकर उसे यों फँसा दूँगा कि वह फ़िलिस्तियों से लड़ते लड़ते मर जाएगा।” दाऊद से उसने कहा, “आज आपको मेरा दामाद बनने का दुबारा मौक़ा मिलेगा।”
I Sa UrduGeoD 18:22  फिर उसने अपने मुलाज़िमों को हुक्म दिया कि वह चुपके से दाऊद को बताएँ, “सुनें, आप बादशाह को पसंद हैं, और उसके तमाम अफ़सर भी आपको प्यार करते हैं। आप ज़रूर बादशाह की पेशकश क़बूल करके उसका दामाद बन जाएँ।”
I Sa UrduGeoD 18:23  लेकिन दाऊद ने एतराज़ किया, “क्या आपकी दानिस्त में बादशाह का दामाद बनना छोटी-सी बात है? मैं तो ग़रीब आदमी हूँ, और मेरी कोई हैसियत नहीं।”
I Sa UrduGeoD 18:24  मुलाज़िमों ने बादशाह के पास वापस जाकर उसे दाऊद के अलफ़ाज़ बताए।
I Sa UrduGeoD 18:25  साऊल ने उन्हें फिर दाऊद के पास भेजकर उसे इत्तला दी, “बादशाह महर के लिए पैसे नहीं माँगता बल्कि यह कि आप उनके दुश्मनों से बदला लेकर 100 फ़िलिस्तियों को क़त्ल कर दें। सबूत के तौर पर आपको उनका ख़तना करके जिल्द का कटा हुआ हिस्सा बादशाह के पास लाना पड़ेगा।” शर्त का मक़सद यह था कि दाऊद फ़िलिस्तियों के हाथों मारा जाए।
I Sa UrduGeoD 18:26  जब दाऊद को यह ख़बर मिली तो उसे साऊल की पेशकश पसंद आई। मुक़र्ररा वक़्त से पहले
I Sa UrduGeoD 18:27  उसने अपने आदमियों के साथ निकलकर 200 फ़िलिस्तियों को मार दिया। लाशों का ख़तना करके वह जिल्द के कुल 200 टुकड़े बादशाह के पास लाया ताकि बादशाह का दामाद बने। यह देखकर साऊल ने उस की शादी मीकल से करवा दी।
I Sa UrduGeoD 18:28  साऊल को मानना पड़ा कि रब दाऊद के साथ है और कि मेरी बेटी मीकल उसे बहुत प्यार करती है।
I Sa UrduGeoD 18:29  तब वह दाऊद से और भी डरने लगा। इसके बाद वह जीते-जी दाऊद का दुश्मन बना रहा।
I Sa UrduGeoD 18:30  उन दिनों में फ़िलिस्ती सरदार इसराईल से लड़ते रहे। लेकिन जब भी वह जंग के लिए निकले तो दाऊद साऊल के बाक़ी अफ़सरों की निसबत ज़्यादा कामयाब होता था। नतीजे में उस की शोहरत पूरे मुल्क में फैल गई।
Chapter 19
I Sa UrduGeoD 19:1  अब साऊल ने अपने बेटे यूनतन और तमाम मुलाज़िमों को साफ़ बताया कि दाऊद को हलाक करना है। लेकिन दाऊद यूनतन को बहुत प्यारा था,
I Sa UrduGeoD 19:2  इसलिए उसने उसे आगाह किया, “मेरा बाप आपको मार देने के मवाक़े ढूँड रहा है। कल सुबह ख़बरदार रहें। कहीं छुपकर मेरा इंतज़ार करें।
I Sa UrduGeoD 19:3  फिर मैं अपने बाप के साथ शहर से निकलकर आपके क़रीब से गुज़रूँगा। वहाँ मैं उनसे आपका मामला छेड़कर मालूम करूँगा कि वह क्या इरादा रखते हैं। जो कुछ भी वह कहेंगे मैं आपको बता दूँगा।”
I Sa UrduGeoD 19:4  अगली सुबह जब यूनतन ने अपने बाप से बात की तो उसने दाऊद की सिफ़ारिश करके कहा, “बादशाह अपने ख़ादिम दाऊद का गुनाह न करें, क्योंकि उसने आपका गुनाह नहीं किया बल्कि हमेशा आपके लिए फ़ायदामंद रहा है।
I Sa UrduGeoD 19:5  उसी ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर फ़िलिस्ती को मार डाला, और रब ने उसके वसीले से तमाम इसराईल को बड़ी नजात बख़्शी। उस वक़्त आप ख़ुद भी सब कुछ देखकर ख़ुश हुए। तो फिर आप गुनाह करके उस जैसे बेक़ुसूर आदमी को क्यों बिलावजह मरवाना चाहते हैं?”
I Sa UrduGeoD 19:6  यूनतन की बातें सुनकर साऊल मान गया। उसने वादा किया, “रब की हयात की क़सम, दाऊद को मारा नहीं जाएगा।”
I Sa UrduGeoD 19:7  बाद में यूनतन ने दाऊद को बुलाकर उसे सब कुछ बताया, फिर उसे साऊल के पास लाया। तब दाऊद पहले की तरह बादशाह की ख़िदमत करने लगा।
I Sa UrduGeoD 19:8  एक बार फिर जंग छिड़ गई, और दाऊद निकलकर फ़िलिस्तियों से लड़ा। इस दफ़ा भी उसने उन्हें यों शिकस्त दी कि वह फ़रार हो गए।
I Sa UrduGeoD 19:9  लेकिन एक दिन जब साऊल अपना नेज़ा पकड़े घर में बैठा था तो अल्लाह की भेजी हुई बुरी रूह उस पर ग़ालिब आई। उस वक़्त दाऊद सरोद बजा रहा था।
I Sa UrduGeoD 19:10  अचानक साऊल ने नेज़े को फेंककर दाऊद को दीवार के साथ छेद डालने की कोशिश की। लेकिन वह एक तरफ़ हट गया और नेज़ा उसके क़रीब से गुज़रकर दीवार में धँस गया। दाऊद भाग गया और उस रात साऊल के हाथ से बच गया।
I Sa UrduGeoD 19:11  साऊल ने फ़ौरन अपने आदमियों को दाऊद के घर के पास भेज दिया ताकि वह मकान की पहरादारी करके दाऊद को सुबह के वक़्त क़त्ल कर दें। लेकिन दाऊद की बीवी मीकल ने उसको आगाह कर दिया, “आज रात को ही यहाँ से चले जाएँ, वरना आप नहीं बचेंगे बल्कि कल सुबह ही मार दिए जाएंगे।”
I Sa UrduGeoD 19:12  चुनाँचे दाऊद घर की खिड़की में से निकला, और मीकल ने उतरने में उस की मदद की। तब दाऊद भागकर बच गया।
I Sa UrduGeoD 19:13  मीकल ने दाऊद की चारपाई पर बुत रखकर उसके सर पर बकरियों के बाल लगा दिए और बाक़ी हिस्से पर कम्बल बिछा दिया।
I Sa UrduGeoD 19:14  जब साऊल के आदमी दाऊद को पकड़ने के लिए आए तो मीकल ने कहा, “वह बीमार है।”
I Sa UrduGeoD 19:15  फ़ौजियों ने साऊल को इत्तला दी तो उसने उन्हें हुक्म दिया, “उसे चारपाई समेत ही मेरे पास ले आओ ताकि उसे मार दूँ।”
I Sa UrduGeoD 19:16  जब वह दाऊद को ले जाने के लिए आए तो क्या देखते हैं कि उस की चारपाई पर बुत पड़ा है जिसके सर पर बकरियों के बाल लगे हैं।
I Sa UrduGeoD 19:17  साऊल ने अपनी बेटी को बहुत झिड़का, “तूने मुझे इस तरह धोका देकर मेरे दुश्मन की फ़रार होने में मदद क्यों की? तेरी ही वजह से वह बच गया।” मीकल ने जवाब दिया, “उसने मुझे धमकी दी कि मैं तुझे क़त्ल कर दूँगा अगर तू फ़रार होने में मेरी मदद न करे।”
I Sa UrduGeoD 19:18  इस तरह दाऊद बच निकला। वह रामा में समुएल के पास फ़रार हुआ और उसे सब कुछ सुनाया जो साऊल ने उसके साथ किया था। फिर दोनों मिलकर नयोत चले गए। वहाँ वह ठहरे।
I Sa UrduGeoD 19:19  साऊल को इत्तला दी गई, “दाऊद रामा के नयोत में ठहरा हुआ है।”
I Sa UrduGeoD 19:20  उसने फ़ौरन अपने आदमियों को उसे पकड़ने के लिए भेज दिया। जब वह पहुँचे तो देखा कि नबियों का पूरा गुरोह वहाँ नबुव्वत कर रहा है, और समुएल ख़ुद उनकी राहनुमाई कर रहा है। उन्हें देखते ही अल्लाह का रूह साऊल के आदमियों पर नाज़िल हुआ, और वह भी नबुव्वत करने लगे।
I Sa UrduGeoD 19:21  साऊल को इस बात की ख़बर मिली तो उसने मज़ीद आदमियों को रामा भेज दिया। लेकिन वह भी वहाँ पहुँचते ही नबुव्वत करने लगे। साऊल ने तीसरी बार आदमियों को भेज दिया, लेकिन यही कुछ उनके साथ भी हुआ।
I Sa UrduGeoD 19:22  आख़िर में साऊल ख़ुद रामा के लिए रवाना हुआ। चलते चलते वह सीकू के बड़े हौज़ पर पहुँचा। वहाँ उसने लोगों से पूछा, “दाऊद और समुएल कहाँ हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “रामा की आबादी नयोत में।”
I Sa UrduGeoD 19:23  साऊल अभी नयोत नहीं पहुँचा था कि अल्लाह का रूह उस पर भी नाज़िल हुआ, और वह नबुव्वत करते करते नयोत पहुँच गया।
I Sa UrduGeoD 19:24  वहाँ वह अपने कपड़ों को उतारकर समुएल के सामने नबुव्वत करता रहा। नबुव्वत करते करते वह ज़मीन पर लेट गया और वहाँ पूरे दिन और पूरी रात पड़ा रहा। इसी वजह से यह क़ौल मशहूर हुआ, “क्या साऊल को भी नबियों में शुमार किया जाता है?”
Chapter 20
I Sa UrduGeoD 20:1  अब दाऊद रामा के नयोत से भी भाग गया। चुपके से वह यूनतन के पास आया और पूछा, “मुझसे क्या ग़लती हुई है? मेरा क्या क़ुसूर है? मुझसे आपके बाप के ख़िलाफ़ क्या जुर्म सरज़द हुआ है कि वह मुझे क़त्ल करना चाहते हैं?”
I Sa UrduGeoD 20:2  यूनतन ने एतराज़ किया, “यह कभी नहीं हो सकता! आप नहीं मरेंगे। मेरा बाप तो मुझे हमेशा सब कुछ बता देता है, ख़ाह बात बड़ी हो या छोटी। तो फिर वह ऐसा कोई मनसूबा मुझसे क्यों छुपाए? आपकी यह बात सरासर ग़लत है।”
I Sa UrduGeoD 20:3  लेकिन दाऊद ने क़सम खाकर इसरार किया, “ज़ाहिर है कि आपको इसके बारे में इल्म नहीं। आपके बाप को साफ़ मालूम है कि मैं आपको पसंद हूँ। ‘वह तो सोचते होंगे, यूनतन को इस बात का इल्म न हो, वरना वह दुख महसूस करेगा।’ लेकिन रब की और आपकी जान की क़सम, मैं बड़े ख़तरे में हूँ, और मौत से बचना मुश्किल ही है।”
I Sa UrduGeoD 20:4  यूनतन ने कहा, “मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ तो मैं उसे करूँगा।”
I Sa UrduGeoD 20:5  तब दाऊद ने अपना मनसूबा पेश किया। “कल नए चाँद की ईद है, और बादशाह तवक़्क़ो करेंगे कि मैं उनकी ज़ियाफ़त में शरीक हूँ। लेकिन इस मरतबा मुझे परसों शाम तक बाहर खुले मैदान में छुपा रहने की इजाज़त दें।
I Sa UrduGeoD 20:6  अगर आपके बाप मेरा पता करें तो उन्हें कह देना, ‘दाऊद ने बड़े ज़ोर से मुझसे अपने शहर बैत-लहम को जाने की इजाज़त माँगी। उसे बड़ी जल्दी थी, क्योंकि उसका पूरा ख़ानदान अपनी सालाना क़ुरबानी चढ़ाना चाहता है।’
I Sa UrduGeoD 20:7  अगर आपके बाप जवाब दें कि ठीक है तो फिर मालूम होगा कि ख़तरा टल गया है। लेकिन अगर वह बड़े ग़ुस्से में आ जाएँ तो यक़ीन जानें कि वह मुझे नुक़सान पहुँचाने का इरादा रखते हैं।
I Sa UrduGeoD 20:8  बराहे-करम मुझ पर मेहरबानी करके याद रखें कि आपने रब के सामने अपने ख़ादिम से अहद बाँधा है। अगर मैं वाक़ई क़ुसूरवार ठहरूँ तो आप ख़ुद मुझे मार डालें। लेकिन किसी सूरत में भी मुझे अपने बाप के हवाले न करें।”
I Sa UrduGeoD 20:9  यूनतन ने जवाब दिया, “फ़िकर न करें, मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा। जब भी मुझे इशारा मिल जाए कि मेरा बाप आपको क़त्ल करने का इरादा रखता है तो मैं ज़रूर आपको फ़ौरन इत्तला दूँगा।”
I Sa UrduGeoD 20:10  दाऊद ने पूछा, “अगर आपके बाप ग़ुस्से में जवाब दें तो कौन मुझे ख़बर पहुँचाएगा?”
I Sa UrduGeoD 20:11  यूनतन ने जवाब में कहा, “आएँ हम निकलकर खुले मैदान में जाएँ।” दोनों निकले
I Sa UrduGeoD 20:12  तो यूनतन ने दाऊद से कहा, “रब इसराईल के ख़ुदा की क़सम, परसों इस वक़्त तक मैं अपने बाप से बात मालूम कर लूँगा। अगर वह आपके बारे में अच्छी सोच रखे और मैं आपको इत्तला न दूँ
I Sa UrduGeoD 20:13  तो रब मुझे सख़्त सज़ा दे। लेकिन अगर मुझे पता चले कि मेरा बाप आपको मार देने पर तुला हुआ है तो मैं आपको इसकी इत्तला भी दूँगा। इस सूरत में मैं आपको नहीं रोकूँगा बल्कि आपको सलामती से जाने दूँगा। रब उसी तरह आपके साथ हो जिस तरह वह पहले मेरे बाप के साथ था।
I Sa UrduGeoD 20:14  लेकिन दरख़ास्त है कि मेरे जीते-जी मुझ पर रब की-सी मेहरबानी करें ताकि मैं मर न जाऊँ।
I Sa UrduGeoD 20:15  मेरे ख़ानदान पर भी हमेशा तक मेहरबानी करें। वह कभी भी आपकी मेहरबानी से महरूम न हो जाए, उस वक़्त भी नहीं जब रब ने आपके तमाम दुश्मनों को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया होगा।”
I Sa UrduGeoD 20:16  चुनाँचे यूनतन ने दाऊद से अहद बाँधकर कहा, “रब दाऊद के दुश्मनों से बदला ले।”
I Sa UrduGeoD 20:17  वह बोला, “क़सम खाएँ कि आप यह अहद उतने पुख़्ता इरादे से क़ायम रखेंगे जितनी आप मुझसे मुहब्बत रखते हैं।” क्योंकि यूनतन दाऊद को अपनी जान के बराबर अज़ीज़ रखता था।
I Sa UrduGeoD 20:18  फिर यूनतन ने अपना मनसूबा पेश किया। “कल तो नए चाँद की ईद है। जल्दी से पता चलेगा कि आप नहीं आए, क्योंकि आपकी कुरसी ख़ाली रहेगी।
I Sa UrduGeoD 20:19  इसलिए परसों शाम के वक़्त खुले मैदान में वहाँ चले जाएँ जहाँ पहले छुप गए थे। पत्थर के ढेर के क़रीब बैठ जाएँ।
I Sa UrduGeoD 20:20  उस वक़्त मैं घर से निकलकर तीन तीर पत्थर के ढेर की तरफ़ चलाऊँगा गोया में किसी चीज़ को निशाना बनाकर मशक़ कर रहा हूँ।
I Sa UrduGeoD 20:21  फिर मैं लड़के को तीरों को ले आने के लिए भेज दूँगा। अगर मैं उसे बता दूँ, ‘तीर उरली तरफ़ पड़े हैं, उन्हें जाकर ले आओ’ तो आप ख़ौफ़ खाए बग़ैर छुपने की जगह से निकलकर मेरे पास आ सकेंगे। रब की हयात की क़सम, इस सूरत में कोई ख़तरा नहीं होगा।
I Sa UrduGeoD 20:22  लेकिन अगर मैं लड़के को बता दूँ, ‘तीर परली तरफ़ पड़े हैं’ तो आपको फ़ौरन हिजरत करनी पड़ेगी। इस सूरत में रब ख़ुद आपको यहाँ से भेज रहा होगा।
I Sa UrduGeoD 20:23  लेकिन जो बातें हमने आज आपस में की हैं रब ख़ुद हमेशा तक इनका गवाह रहे।”
I Sa UrduGeoD 20:24  चुनाँचे दाऊद खुले मैदान में छुप गया। नए चाँद की ईद आई तो बादशाह ज़ियाफ़त के लिए बैठ गया।
I Sa UrduGeoD 20:25  मामूल के मुताबिक़ वह दीवार के पास बैठ गया। अबिनैर उसके साथ बैठा था और यूनतन उसके मुक़ाबिल। लेकिन दाऊद की जगह ख़ाली रही।
I Sa UrduGeoD 20:26  उस दिन साऊल ने बात न छेड़ी, क्योंकि उसने सोचा, “दाऊद किसी वजह से नापाक हो गया होगा, इसलिए नहीं आया।”
I Sa UrduGeoD 20:27  लेकिन अगले दिन जब दाऊद की जगह फिर ख़ाली रही तो साऊल ने यूनतन से पूछा, “यस्सी का बेटा न तो कल, न आज ज़ियाफ़त में शरीक हुआ है। क्या वजह है?”
I Sa UrduGeoD 20:28  यूनतन ने जवाब दिया, “दाऊद ने बड़े ज़ोर से मुझसे बैत-लहम जाने की इजाज़त माँगी।
I Sa UrduGeoD 20:29  उसने कहा, ‘मेहरबानी करके मुझे जाने दें, क्योंकि मेरा ख़ानदान एक ख़ास क़ुरबानी चढ़ा रहा है, और मेरे भाई ने मुझे आने का हुक्म दिया है। अगर आपको मंज़ूर हो तो बराहे-करम मुझे अपने भाइयों के पास जाने की इजाज़त दें।’ यही वजह है कि वह बादशाह की ज़ियाफ़त में शरीक नहीं हुआ।”
I Sa UrduGeoD 20:30  यह सुनकर साऊल आपे से बाहर हो गया। वह गरजा, “हरामज़ादे! मुझे ख़ूब मालूम है कि तूने दाऊद का साथ दिया है। शर्म की बात है, तेरे लिए और तेरी माँ के लिए।
I Sa UrduGeoD 20:31  जब तक यस्सी का बेटा ज़िंदा है तब तक न तू और न तेरी बादशाहत क़ायम रहेगी। अब जा, उसे ले आ, क्योंकि उसे मरना ही है।”
I Sa UrduGeoD 20:32  यूनतन ने कहा, “क्यों? उसने क्या किया जो सज़ाए-मौत के लायक़ है?”
I Sa UrduGeoD 20:33  जवाब में साऊल ने अपना नेज़ा ज़ोर से यूनतन की तरफ़ फेंक दिया ताकि उसे मार डाले। यह देखकर यूनतन ने जान लिया कि साऊल दाऊद को क़त्ल करने का पुख़्ता इरादा रखता है।
I Sa UrduGeoD 20:34  बड़े ग़ुस्से के आलम में वह खड़ा हुआ और चला गया। उस दिन उसने खाना खाने से इनकार किया। उसे बहुत दुख था कि मेरा बाप दाऊद की इतनी बेइज़्ज़ती कर रहा है।
I Sa UrduGeoD 20:35  अगले दिन यूनतन सुबह के वक़्त घर से निकलकर खुले मैदान में उस जगह आ गया जहाँ दाऊद से मिलना था। एक लड़का उसके साथ था।
I Sa UrduGeoD 20:36  उसने लड़के को हुक्म दिया, “चलो, उस तरफ़ भागना शुरू करो जिस तरफ़ मैं तीरों को चलाऊँगा ताकि तुझे मालूम हो कि वह कहाँ हैं।” चुनाँचे लड़का दौड़ने लगा, और यूनतन ने तीर इतने ज़ोर से चलाया कि वह उससे आगे कहीं दूर जा गिरा।
I Sa UrduGeoD 20:37  जब लड़का तीर के क़रीब पहुँच गया तो यूनतन ने आवाज़ दी, “तीर परली तरफ़ है।
I Sa UrduGeoD 20:38  जल्दी करो, भागकर आगे निकलो और न रुको!” फिर लड़का तीर को उठाकर अपने मालिक के पास वापस आ गया।
I Sa UrduGeoD 20:39  वह नहीं जानता था कि इसके पीछे क्या मक़सद है। सिर्फ़ यूनतन और दाऊद को इल्म था।
I Sa UrduGeoD 20:40  फिर यूनतन ने कमान और तीरों को लड़के के सुपुर्द करके उसे हुक्म दिया, “जाओ, सामान लेकर शहर में वापस चले जाओ।”
I Sa UrduGeoD 20:41  लड़का चला गया तो दाऊद पत्थर के ढेर के जुनूब से निकलकर यूनतन के पास आया। तीन मरतबा वह यूनतन के सामने मुँह के बल झुक गया। एक दूसरे को चूमकर दोनों ख़ूब रोए, ख़ासकर दाऊद।
I Sa UrduGeoD 20:42  फिर यूनतन बोला, “सलामती से जाएँ! और कभी वह वादे न भूलें जो हमने रब की क़सम खाकर एक दूसरे से किए हैं। यह अहद आपके और मेरे और आपकी और मेरी औलाद के दरमियान हमेशा क़ायम रहे। रब ख़ुद हमारा गवाह है।” फिर दाऊद रवाना हुआ, और यूनतन शहर को वापस चला गया।
Chapter 21
I Sa UrduGeoD 21:1  दाऊद नोब में अख़ीमलिक इमाम के पास गया। अख़ीमलिक काँपते हुए उससे मिलने के लिए आया और पूछा, “आप अकेले क्यों आए हैं? कोई आपके साथ नहीं।”
I Sa UrduGeoD 21:2  दाऊद ने जवाब दिया, “बादशाह ने मुझे एक ख़ास ज़िम्मादारी दी है जिसका ज़िक्र तक करना मना है। किसी को भी इसके बारे में जानना नहीं चाहिए। मैंने अपने आदमियों को हुक्म दिया है कि फ़ुलाँ फ़ुलाँ जगह पर मेरा इंतज़ार करें।
I Sa UrduGeoD 21:3  अब मुझे ज़रा बताएँ कि खाने के लिए क्या मिल सकता है? मुझे पाँच रोटियाँ दे दें, या जो कुछ भी आपके पास है।”
I Sa UrduGeoD 21:4  इमाम ने जवाब दिया, “मेरे पास आम रोटी नहीं है। मैं आपको सिर्फ़ रब के लिए मख़सूसशुदा रोटी दे सकता हूँ। शर्त यह है कि आपके आदमी पिछले दिनों में औरतों से हमबिसतर न हुए हों।”
I Sa UrduGeoD 21:5  दाऊद ने उसे तसल्ली देकर कहा, “फ़िकर न करें। पहले की तरह हमें इस मुहिम के दौरान भी औरतों से दूर रहना पड़ा है। मेरे फ़ौजी आम मुहिमों के लिए भी अपने आपको पाक रखते हैं, तो इस दफ़ा वह कहीं ज़्यादा पाक-साफ़ हैं।”
I Sa UrduGeoD 21:6  फिर इमाम ने दाऊद को मख़सूसशुदा रोटियाँ दीं यानी वह रोटियाँ जो मुलाक़ात के ख़ैमे में रब के हुज़ूर रखी जाती थीं और उसी दिन ताज़ा रोटियों से तबदील हुई थीं।
I Sa UrduGeoD 21:7  उस वक़्त साऊल के चरवाहों का अदोमी इंचार्ज दोएग वहाँ था। वह किसी मजबूरी के बाइस रब के हुज़ूर ठहरा हुआ था। उस की मौजूदगी में
I Sa UrduGeoD 21:8  दाऊद ने अख़ीमलिक से पूछा, “क्या आपके पास कोई नेज़ा या तलवार है? मुझे बादशाह की मुहिम के लिए इतनी जल्दी से निकलना पड़ा कि अपनी तलवार या कोई और हथियार साथ लाने के लिए फ़ुरसत न मिली।”
I Sa UrduGeoD 21:9  अख़ीमलिक ने जवाब दिया, “जी है। वादीए-ऐला में आपके हाथों मारे गए फ़िलिस्ती मर्द जालूत की तलवार मेरे पास है। वह एक कपड़े में लिपटी मेरे बालापोश के पीछे पड़ी है। अगर आप उसे अपने साथ ले जाना चाहें तो ले जाएँ। मेरे पास कोई और हथियार नहीं है।” दाऊद ने कहा, “इस क़िस्म की तलवार कहीं और नहीं मिलती। मुझे दे दें।”
I Sa UrduGeoD 21:10  उसी दिन दाऊद आगे निकला ताकि साऊल से बच सके। इसराईल को छोड़कर वह फ़िलिस्ती शहर जात के बादशाह अकीस के पास गया।
I Sa UrduGeoD 21:11  लेकिन अकीस के मुलाज़िमों ने बादशाह को आगाह किया, “क्या यह मुल्क का बादशाह दाऊद नहीं है? इसी के बारे में इसराईली नाचकर गीत गाते हैं, ‘साऊल ने हज़ार हलाक किए जबकि दाऊद ने दस हज़ार’।”
I Sa UrduGeoD 21:12  यह सुनकर दाऊद घबरा गया और जात के बादशाह अकीस से बहुत डरने लगा।
I Sa UrduGeoD 21:13  अचानक वह पागल आदमी का रूप भरकर उनके दरमियान अजीब अजीब हरकतें करने लगा। शहर के दरवाज़े के पास जाकर उसने उस पर बेतुके-से निशान लगाए और अपनी दाढ़ी पर राल टपकने दी।
I Sa UrduGeoD 21:14  यह देखकर अकीस ने अपने मुलाज़िमों को झिड़का, “तुम इस आदमी को मेरे पास क्यों ले आए हो? तुम ख़ुद देख सकते हो कि यह पागल है।
I Sa UrduGeoD 21:15  क्या मेरे पास पागलों की कमी है कि तुम इसको मेरे सामने ले आए हो ताकि इस तरह की हरकतें करे? क्या मुझे ऐसे मेहमान की ज़रूरत है?”
Chapter 22
I Sa UrduGeoD 22:1  इस तरह दाऊद जात से बच निकला और अदुल्लाम के ग़ार में छुप गया। जब उसके भाइयों और बाप के घराने को इसकी ख़बर मिली तो वह बैत-लहम से आकर वहाँ उसके साथ जा मिले।
I Sa UrduGeoD 22:2  और लोग भी जल्दी से उसके गिर्द जमा हो गए, ऐसे जो किसी मुसीबत में फँसे हुए थे या अपना क़र्ज़ अदा नहीं कर सकते थे और ऐसे भी जिनका दिल तलख़ी से भरा हुआ था। होते होते दाऊद तक़रीबन 400 अफ़राद का राहनुमा बन गया।
I Sa UrduGeoD 22:3  दाऊद अदुल्लाम से रवाना होकर मुल्के-मोआब के शहर मिसफ़ाह चला गया। उसने मोआबी बादशाह से गुज़ारिश की, “मेरे माँ-बाप को उस वक़्त तक यहाँ पनाह दें जब तक मुझे पता न हो कि अल्लाह मेरे लिए क्या इरादा रखता है।”
I Sa UrduGeoD 22:4  वह अपने माँ-बाप को बादशाह के पास ले आया, और वह उतनी देर तक वहाँ ठहरे जितनी देर दाऊद अपने पहाड़ी क़िले में रहा।
I Sa UrduGeoD 22:5  एक दिन जाद नबी ने दाऊद से कहा, “यहाँ पहाड़ी क़िले में मत रहें बल्कि दुबारा यहूदाह के इलाक़े में वापस चले जाएँ।” दाऊद उस की सुनकर हारत के जंगल में जा बसा।
I Sa UrduGeoD 22:6  साऊल को इत्तला दी गई कि दाऊद और उसके आदमी दुबारा यहूदाह में पहुँच गए हैं। उस वक़्त साऊल अपना नेज़ा पकड़े झाऊ के उस दरख़्त के साय में बैठा था जो जिबिया की पहाड़ी पर था। साऊल के इर्दगिर्द उसके मुलाज़िम खड़े थे।
I Sa UrduGeoD 22:7  वह पुकार उठा, “बिनयमीन के मर्दो! सुनें, क्या यस्सी का बेटा आप सबको खेत और अंगूर के बाग़ देगा? क्या वह फ़ौज में आपको हज़ार हज़ार और सौ सौ अफ़राद पर मुक़र्रर करेगा?
I Sa UrduGeoD 22:8  लगता है कि आप इसकी उम्मीद रखते हैं, वरना आप यों मेरे ख़िलाफ़ साज़िश न करते। क्योंकि आपमें से किसी ने भी मुझे यह नहीं बताया कि मेरे अपने बेटे ने इस आदमी के साथ अहद बाँधा है। आपको मेरी फ़िकर तक नहीं, वरना मुझे इत्तला देते कि यूनतन ने मेरे मुलाज़िम दाऊद को उभारा है कि वह मेरी ताक में बैठ जाए। क्योंकि आज तो ऐसा ही हो रहा है।”
I Sa UrduGeoD 22:9  दोएग अदोमी साऊल के अफ़सरों के साथ वहाँ खड़ा था। अब वह बोल उठा, “मैंने यस्सी के बेटे को देखा है। उस वक़्त वह नोब में अख़ीमलिक बिन अख़ीतूब से मिलने आया।
I Sa UrduGeoD 22:10  अख़ीमलिक ने रब से दरियाफ़्त किया कि दाऊद का अगला क़दम क्या हो। साथ साथ उसने उसे सफ़र के लिए खाना और फ़िलिस्ती मर्द जालूत की तलवार भी दी।”
I Sa UrduGeoD 22:11  बादशाह ने फ़ौरन अख़ीमलिक बिन अख़ीतूब और उसके बाप के पूरे ख़ानदान को बुलाया। सब नोब में इमाम थे।
I Sa UrduGeoD 22:12  जब पहुँचे तो साऊल बोला, “अख़ीतूब के बेटे, सुनें।” अख़ीमलिक ने जवाब दिया, “जी मेरे आक़ा, हुक्म।”
I Sa UrduGeoD 22:13  साऊल ने इलज़ाम लगाकर कहा, “आपने यस्सी के बेटे दाऊद के साथ मेरे ख़िलाफ़ साज़िशें क्यों की हैं? बताएँ, आपने उसे रोटी और तलवार क्यों दी? आपने अल्लाह से दरियाफ़्त क्यों किया कि दाऊद आगे क्या करे? आप ही की मदद से वह सरकश होकर मेरी ताक में बैठ गया है, क्योंकि आज तो ऐसा ही हो रहा है।”
I Sa UrduGeoD 22:14  अख़ीमलिक बोला, “लेकिन मेरे आक़ा, क्या मुलाज़िमों में से कोई और आपके दामाद दाऊद जैसा वफ़ादार साबित हुआ है? वह तो आपके मुहाफ़िज़ दस्ते का कप्तान और आपके घराने का मुअज़्ज़ज़ मेंबर है।
I Sa UrduGeoD 22:15  और यह पहली बार नहीं था कि मैंने उसके लिए अल्लाह से हिदायत माँगी। इस मामले में बादशाह मुझ और मेरे ख़ानदान पर इलज़ाम न लगाए। मैंने तो किसी साज़िश का ज़िक्र तक नहीं सुना।”
I Sa UrduGeoD 22:16  लेकिन बादशाह बोला, “अख़ीमलिक, तुझे और तेरे बाप के पूरे ख़ानदान को मरना है।”
I Sa UrduGeoD 22:17  उसने साथ खड़े अपने मुहाफ़िज़ों को हुक्म दिया, “जाकर इमामों को मार दो, क्योंकि यह भी दाऊद के इत्तहादी हैं। गो इनको मालूम था कि दाऊद मुझसे भाग रहा है तो भी इन्होंने मुझे इत्तला न दी।” लेकिन मुहाफ़िज़ों ने रब के इमामों को मार डालने से इनकार किया।
I Sa UrduGeoD 22:18  तब बादशाह ने दोएग अदोमी को हुक्म दिया, “फिर तुम ही इमामों को मार दो।” दोएग ने उनके पास जाकर उन सबको क़त्ल कर दिया। कतान का बालापोश पहननेवाले कुल 85 आदमी उस दिन मारे गए।
I Sa UrduGeoD 22:19  फिर उसने जाकर इमामों के शहर नोब के तमाम बाशिंदों को मार डाला। शहर के मर्द, औरतें, बच्चे शीरख़ारों समेत, गाय-बैल, गधे और भेड़-बकरियाँ सब उस दिन हलाक हुए।
I Sa UrduGeoD 22:20  सिर्फ़ एक ही शख़्स बच गया, अबियातर जो अख़ीमलिक बिन अख़ीतूब का बेटा था। वह भागकर दाऊद के पास आया
I Sa UrduGeoD 22:21  और उसे इत्तला दी कि साऊल ने रब के इमामों को क़त्ल कर दिया है।
I Sa UrduGeoD 22:22  दाऊद ने कहा, “उस दिन जब मैंने दोएग अदोमी को वहाँ देखा तो मुझे मालूम था कि वह ज़रूर साऊल को ख़बर पहुँचाएगा। यह मेरा ही क़ुसूर है कि आपके बाप का पूरा ख़ानदान हलाक हो गया है।
I Sa UrduGeoD 22:23  अब मेरे साथ रहें और मत डरें। जो आदमी आपको क़त्ल करना चाहता है वह मुझे भी क़त्ल करना चाहता है। आप मेरे साथ रहकर महफ़ूज़ रहेंगे।”
Chapter 23
I Sa UrduGeoD 23:1  एक दिन दाऊद को ख़बर मिली कि फ़िलिस्ती क़ईला शहर पर हमला करके गाहने की जगहों से अनाज लूट रहे हैं।
I Sa UrduGeoD 23:2  दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं जाकर फ़िलिस्तियों पर हमला करूँ?” रब ने जवाब दिया, “जा, फ़िलिस्तियों पर हमला करके क़ईला को बचा।”
I Sa UrduGeoD 23:3  लेकिन दाऊद के आदमी एतराज़ करने लगे, “हम पहले से यहाँ यहूदाह में लोगों की मुख़ालफ़त से डरते हैं। जब हम क़ईला जाकर फ़िलिस्तियों पर हमला करेंगे तो फिर हमारा क्या बनेगा?”
I Sa UrduGeoD 23:4  तब दाऊद ने रब से दुबारा हिदायत माँगी, और दुबारा उसे यही जवाब मिला, “क़ईला को जा! मैं फ़िलिस्तियों को तेरे हवाले कर दूँगा।”
I Sa UrduGeoD 23:5  चुनाँचे दाऊद अपने आदमियों के साथ क़ईला चला गया। उसने फ़िलिस्तियों पर हमला करके उन्हें बड़ी शिकस्त दी और उनकी भेड़-बकरियों को छीनकर क़ईला के बाशिंदों को बचाया।
I Sa UrduGeoD 23:6  वहाँ क़ईला में अबियातर दाऊद के लोगों में शामिल हुआ। उसके पास इमाम का बालापोश था।
I Sa UrduGeoD 23:7  जब साऊल को ख़बर मिली कि दाऊद क़ईला शहर में ठहरा हुआ है तो उसने सोचा, “अल्लाह ने उसे मेरे हवाले कर दिया है, क्योंकि अब वह फ़सीलदार शहर में जाकर फँस गया है।”
I Sa UrduGeoD 23:8  वह अपनी पूरी फ़ौज को जमा करके जंग के लिए तैयारियाँ करने लगा ताकि उतरकर क़ईला का मुहासरा करे जिसमें दाऊद अब तक ठहरा हुआ था।
I Sa UrduGeoD 23:9  लेकिन दाऊद को पता चला कि साऊल उसके ख़िलाफ़ तैयारियाँ कर रहा है। उसने अबियातर इमाम से कहा, “इमाम का बालापोश ले आएँ ताकि हम रब से हिदायत माँगें।”
I Sa UrduGeoD 23:10  फिर उसने दुआ की, “ऐ रब इसराईल के ख़ुदा, मुझे ख़बर मिली है कि साऊल मेरी वजह से क़ईला पर हमला करके उसे बरबाद करना चाहता है।
I Sa UrduGeoD 23:11  क्या शहर के बाशिंदे मुझे साऊल के हवाले कर देंगे? क्या साऊल वाक़ई आएगा? ऐ रब, इसराईल के ख़ुदा, अपने ख़ादिम को बता!” रब ने जवाब दिया, “हाँ, वह आएगा।”
I Sa UrduGeoD 23:12  फिर दाऊद ने मज़ीद दरियाफ़्त किया, “क्या शहर के बुज़ुर्ग मुझे और मेरे लोगों को साऊल के हवाले कर देंगे?” रब ने कहा, “हाँ, वह कर देंगे।”
I Sa UrduGeoD 23:13  लिहाज़ा दाऊद अपने तक़रीबन 600 आदमियों के साथ क़ईला से चला गया और इधर उधर फिरने लगा। जब साऊल को इत्तला मिली कि दाऊद क़ईला से निकलकर बच गया है तो वहाँ जाने से बाज़ आया।
I Sa UrduGeoD 23:14  अब दाऊद बयाबान के पहाड़ी क़िलों और दश्ते-ज़ीफ़ के पहाड़ी इलाक़े में रहने लगा। साऊल तो मुसलसल उसका खोज लगाता रहा, लेकिन अल्लाह हमेशा दाऊद को साऊल के हाथ से बचाता रहा।
I Sa UrduGeoD 23:15  एक दिन जब दाऊद होरिश के क़रीब था तो उसे इत्तला मिली कि साऊल आपको हलाक करने के लिए निकला है।
I Sa UrduGeoD 23:16  उस वक़्त यूनतन ने दाऊद के पास आकर उस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह अल्लाह पर भरोसा रखे।
I Sa UrduGeoD 23:17  उसने कहा, “डरें मत। मेरे बाप का हाथ आप तक नहीं पहुँचेगा। एक दिन आप ज़रूर इसराईल के बादशाह बन जाएंगे, और मेरा रुतबा आपके बाद ही आएगा। मेरा बाप भी इस हक़ीक़त से ख़ूब वाक़िफ़ है।”
I Sa UrduGeoD 23:18  दोनों ने रब के हुज़ूर अहद बाँधा। फिर यूनतन अपने घर चला गया जबकि दाऊद वहाँ होरिश में ठहरा रहा।
I Sa UrduGeoD 23:19  दश्ते-ज़ीफ़ में आबाद कुछ लोग साऊल के पास आ गए जो उस वक़्त जिबिया में था। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि दाऊद कहाँ छुप गया है। वह होरिश के पहाड़ी क़िलों में है, उस पहाड़ी पर जिसका नाम हकीला है और जो यशीमोन के जुनूब में है।
I Sa UrduGeoD 23:20  ऐ बादशाह, जब भी आपका दिल चाहे आएँ तो हम उसे पकड़कर आपके हवाले कर देंगे।”
I Sa UrduGeoD 23:21  साऊल ने जवाब दिया, “रब आपको बरकत बख़्शे कि आपको मुझ पर तरस आया है।
I Sa UrduGeoD 23:22  अब वापस जाकर मज़ीद तैयारियाँ करें। पता करें कि वह कहाँ आता जाता है और किसने उसे वहाँ देखा है। क्योंकि मुझे बताया गया है कि वह बहुत चालाक है।
I Sa UrduGeoD 23:23  हर जगह का खोज लगाएँ जहाँ वह छुप जाता है। जब आपको सारी तफ़सीलात मालूम हों तो मेरे पास आएँ। फिर मैं आपके साथ वहाँ पहुँचूँगा। अगर वह वाक़ई वहाँ कहीं हो तो मैं उसे ज़रूर ढूँड निकालूँगा, ख़ाह मुझे पूरे यहूदाह की छानबीन क्यों न करनी पड़े।”
I Sa UrduGeoD 23:24  ज़ीफ़ के आदमी वापस चले गए। थोड़ी देर के बाद साऊल भी अपनी फ़ौज समेत वहाँ के लिए निकला। उस वक़्त दाऊद और उसके लोग दश्ते-मऊन में यशीमोन के जुनूब में थे। जब दाऊद को इत्तला मिली कि साऊल उसका ताक़्क़ुब कर रहा है तो वह रेगिस्तान के मज़ीद जुनूब में चला गया, वहाँ जहाँ बड़ी चटान नज़र आती है। लेकिन साऊल को पता चला और वह फ़ौरन रेगिस्तान में दाऊद के पीछे गया।
I Sa UrduGeoD 23:25  ज़ीफ़ के आदमी वापस चले गए। थोड़ी देर के बाद साऊल भी अपनी फ़ौज समेत वहाँ के लिए निकला। उस वक़्त दाऊद और उसके लोग दश्ते-मऊन में यशीमोन के जुनूब में थे। जब दाऊद को इत्तला मिली कि साऊल उसका ताक़्क़ुब कर रहा है तो वह रेगिस्तान के मज़ीद जुनूब में चला गया, वहाँ जहाँ बड़ी चटान नज़र आती है। लेकिन साऊल को पता चला और वह फ़ौरन रेगिस्तान में दाऊद के पीछे गया।
I Sa UrduGeoD 23:26  चलते चलते साऊल दाऊद के क़रीब ही पहुँच गया। आख़िरकार सिर्फ़ एक पहाड़ी उनके दरमियान रह गई। साऊल पहाड़ी के एक दामन में था जबकि दाऊद अपने लोगों समेत दूसरे दामन में भागता हुआ बादशाह से बचने की कोशिश कर रहा था। साऊल अभी उन्हें घेरकर पकड़ने को था
I Sa UrduGeoD 23:27  कि अचानक क़ासिद साऊल के पास पहुँचा जिसने कहा, “जल्दी आएँ! फ़िलिस्ती हमारे मुल्क में घुस आए हैं।”
I Sa UrduGeoD 23:28  साऊल को दाऊद को छोड़ना पड़ा, और वह फ़िलिस्तियों से लड़ने गया। उस वक़्त से पहाड़ी का नाम “अलहदगी की चटान” पड़ गया।
I Sa UrduGeoD 23:29  दाऊद वहाँ से चला गया और ऐन-जदी के पहाड़ी क़िलों में रहने लगा।
Chapter 24
I Sa UrduGeoD 24:1  जब साऊल फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब करने से वापस आया तो उसे ख़बर मिली कि दाऊद ऐन-जदी के रेगिस्तान में है।
I Sa UrduGeoD 24:2  वह तमाम इसराईल के 3,000 चीदा फ़ौजियों को लेकर पहाड़ी बकरियों की चटानों के लिए रवाना हुआ ताकि दाऊद को पकड़ ले।
I Sa UrduGeoD 24:3  चलते चलते वह भेड़ों के कुछ बाड़ों से गुज़रने लगे। वहाँ एक ग़ार को देखकर साऊल अंदर गया ताकि अपनी हाजत रफ़ा करे। इत्तफ़ाक़ से दाऊद और उसके आदमी उसी ग़ार के पिछले हिस्से में छुपे बैठे थे।
I Sa UrduGeoD 24:4  दाऊद के आदमियों ने आहिस्ता से उससे कहा, “रब ने तो आपसे वादा किया था, ‘मैं तेरे दुश्मन को तेरे हवाले कर दूँगा, और तू जो जी चाहे उसके साथ कर सकेगा।’ अब यह वक़्त आ गया है!” दाऊद रेंगते रेंगते आगे साऊल के क़रीब पहुँच गया। चुपके से उसने साऊल के लिबास के किनारे का टुकड़ा काट लिया और फिर वापस आ गया।
I Sa UrduGeoD 24:5  लेकिन जब अपने लोगों के पास पहुँचा तो उसका ज़मीर उसे मलामत करने लगा।
I Sa UrduGeoD 24:6  उसने अपने आदमियों से कहा, “रब न करे कि मैं अपने आक़ा के साथ ऐसा सुलूक करके रब के मसह किए हुए बादशाह को हाथ लगाऊँ। क्योंकि रब ने ख़ुद उसे मसह करके चुन लिया है।”
I Sa UrduGeoD 24:7  यह कहकर दाऊद ने उनको समझाया और उन्हें साऊल पर हमला करने से रोक दिया। थोड़ी देर के बाद साऊल ग़ार से निकलकर आगे चलने लगा।
I Sa UrduGeoD 24:8  जब वह कुछ फ़ासले पर था तो दाऊद भी निकला और पुकार उठा, “ऐ बादशाह सलामत, ऐ मेरे आक़ा!” साऊल ने पीछे देखा तो दाऊद मुँह के बल झुककर
I Sa UrduGeoD 24:9  बोला, “जब लोग आपको बताते हैं कि दाऊद आपको नुक़सान पहुँचाने पर तुला हुआ है तो आप क्यों ध्यान देते हैं?
I Sa UrduGeoD 24:10  आज आप अपनी आँखों से देख सकते हैं कि यह झूट ही झूट है। ग़ार में आप अल्लाह की मरज़ी से मेरे क़ब्ज़े में आ गए थे। मेरे लोगों ने ज़ोर दिया कि मैं आपको मार दूँ, लेकिन मैंने आपको न छेड़ा। मैं बोला, ‘मैं कभी भी बादशाह को नुक़सान नहीं पहुँचाऊँगा, क्योंकि रब ने ख़ुद उसे मसह करके चुन लिया है।’
I Sa UrduGeoD 24:11  मेरे बाप, यह देखें जो मेरे हाथ में है! आपके लिबास का यह टुकड़ा मैं काट सका, और फिर भी मैंने आपको हलाक न किया। अब जान लें कि न मैं आपको नुक़सान पहुँचाने का इरादा रखता हूँ, न मैंने आपका गुनाह किया है। फिर भी आप मेरा ताक़्क़ुब करते हुए मुझे मार डालने के दरपै हैं।
I Sa UrduGeoD 24:12  रब ख़ुद फ़ैसला करे कि किससे ग़लती हो रही है, आपसे या मुझ से। वही आपसे मेरा बदला ले। लेकिन ख़ुद मैं कभी आप पर हाथ नहीं उठाऊँगा।
I Sa UrduGeoD 24:13  क़दीम क़ौल यही बात बयान करता है, ‘बदकारों से बदकारी पैदा होती है।’ मेरी नीयत तो साफ़ है, इसलिए मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा।
I Sa UrduGeoD 24:14  इसराईल का बादशाह किसके ख़िलाफ़ निकल आया है? जिसका ताक़्क़ुब आप कर रहे हैं उस की तो कोई हैसियत नहीं। वह मुरदा कुत्ता या पिस्सू ही है।
I Sa UrduGeoD 24:15  रब हमारा मुंसिफ़ हो। वही हम दोनों का फ़ैसला करे। वह मेरे मामले पर ध्यान दे, मेरे हक़ में बात करे और मुझे बेइलज़ाम ठहराकर आपके हाथ से बचाए।”
I Sa UrduGeoD 24:16  दाऊद ख़ामोश हुआ तो साऊल ने पूछा, “दाऊद मेरे बेटे, क्या आपकी आवाज़ है?” और वह फूट फूटकर रोने लगा।
I Sa UrduGeoD 24:17  उसने कहा, “आप मुझसे ज़्यादा रास्तबाज़ हैं। आपने मुझसे अच्छा सुलूक किया जबकि मैं आपसे बुरा सुलूक करता रहा हूँ।
I Sa UrduGeoD 24:18  आज आपने मेरे साथ भलाई का सबूत दिया, क्योंकि गो रब ने मुझे आपके हवाले कर दिया था तो भी आपने मुझे हलाक न किया।
I Sa UrduGeoD 24:19  जब किसी का दुश्मन उसके क़ब्ज़े में आ जाता है तो वह उसे जाने नहीं देता। लेकिन आपने ऐसा ही किया। रब आपको उस मेहरबानी का अज्र दे जो आपने आज मुझ पर की है।
I Sa UrduGeoD 24:20  अब मैं जानता हूँ कि आप ज़रूर बादशाह बन जाएंगे, और कि आपके ज़रीए इसराईल की बादशाही क़ायम रहेगी।
I Sa UrduGeoD 24:21  चुनाँचे रब की क़सम खाकर मुझसे वादा करें कि न आप मेरी औलाद को हलाक करेंगे, न मेरे आबाई घराने में से मेरा नाम मिटा देंगे।”
I Sa UrduGeoD 24:22  दाऊद ने क़सम खाकर साऊल से वादा किया। फिर साऊल अपने घर चला गया जबकि दाऊद ने अपने लोगों के साथ एक पहाड़ी क़िले में पनाह ले ली।
Chapter 25
I Sa UrduGeoD 25:1  उन दिनों में समुएल फ़ौत हुआ। तमाम इसराईल रामा में जनाज़े के लिए जमा हुआ। उसका मातम करते हुए उन्होंने उसे उस की ख़ानदानी क़ब्र में दफ़न किया। उन दिनों में दाऊद दश्ते-फ़ारान में चला गया।
I Sa UrduGeoD 25:2  मऊन में कालिब के ख़ानदान का एक आदमी रहता था जिसका नाम नाबाल था। वह निहायत अमीर था। करमिल के क़रीब उस की 3,000 भेड़ें और 1,000 बकरियाँ थीं। बीवी का नाम अबीजेल था। वह ज़हीन भी थी और ख़ूबसूरत भी। उसके मुक़ाबले में नाबाल सख़्तमिज़ाज और कमीना था। एक दिन नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतरने के लिए करमिल आया। जब दाऊद को ख़बर मिली
I Sa UrduGeoD 25:3  मऊन में कालिब के ख़ानदान का एक आदमी रहता था जिसका नाम नाबाल था। वह निहायत अमीर था। करमिल के क़रीब उस की 3,000 भेड़ें और 1,000 बकरियाँ थीं। बीवी का नाम अबीजेल था। वह ज़हीन भी थी और ख़ूबसूरत भी। उसके मुक़ाबले में नाबाल सख़्तमिज़ाज और कमीना था। एक दिन नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतरने के लिए करमिल आया। जब दाऊद को ख़बर मिली
I Sa UrduGeoD 25:4  मऊन में कालिब के ख़ानदान का एक आदमी रहता था जिसका नाम नाबाल था। वह निहायत अमीर था। करमिल के क़रीब उस की 3,000 भेड़ें और 1,000 बकरियाँ थीं। बीवी का नाम अबीजेल था। वह ज़हीन भी थी और ख़ूबसूरत भी। उसके मुक़ाबले में नाबाल सख़्तमिज़ाज और कमीना था। एक दिन नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतरने के लिए करमिल आया। जब दाऊद को ख़बर मिली
I Sa UrduGeoD 25:5  तो उसने 10 जवानों को भेजकर कहा, “करमिल जाकर नाबाल से मिलें और उसे मेरा सलाम दें।
I Sa UrduGeoD 25:6  उसे बताना, ‘अल्लाह आपको तवील ज़िंदगी अता करे। आप की, आपके ख़ानदान की और आपकी तमाम मिलकियत की सलामती हो।
I Sa UrduGeoD 25:7  सुना है कि भेड़ों के बाल कतरने का वक़्त आ गया है। करमिल में आपके चरवाहे हमेशा हमारे साथ रहे। उस पूरे अरसे में न उन्हें हमारी तरफ़ से कोई नुक़सान पहुँचा, न कोई चीज़ चोरी हुई।
I Sa UrduGeoD 25:8  अपने लोगों से ख़ुद पूछ लें! वह इसकी तसदीक़ करेंगे। आज आप ख़ुशी मना रहे हैं, इसलिए मेरे जवानों पर मेहरबानी करें। जो कुछ आप ख़ुशी से दे सकते हैं वह उन्हें और अपने बेटे दाऊद को दे दें’।”
I Sa UrduGeoD 25:9  दाऊद के आदमी नाबाल के पास गए। उसे दाऊद का सलाम देकर उन्होंने उसका पैग़ाम दिया और फिर जवाब का इंतज़ार किया।
I Sa UrduGeoD 25:10  लेकिन नाबाल ने करख़्त लहजे में कहा, “यह दाऊद कौन है? कौन है यस्सी का बेटा? आजकल बहुत-से ऐसे ग़ुलाम हैं जो अपने मालिक से भागे हुए हैं।
I Sa UrduGeoD 25:11  मैं अपनी रोटी, अपना पानी और कतरनेवालों के लिए ज़बह किया गया गोश्त लेकर ऐसे आवारा फिरनेवालों को क्यों दे दूँ? क्या पता है कि यह कहाँ से आए हैं।”
I Sa UrduGeoD 25:12  दाऊद के आदमी चले गए और दाऊद को सब कुछ बता दिया।
I Sa UrduGeoD 25:13  तब दाऊद ने हुक्म दिया, “अपनी तलवारें बाँध लो!” सबने अपनी तलवारें बाँध लीं। उसने भी ऐसा किया और फिर 400 अफ़राद के साथ करमिल के लिए रवाना हुआ। बाक़ी 200 मर्द सामान के पास रहे।
I Sa UrduGeoD 25:14  इतने में नाबाल के एक नौकर ने उस की बीवी को इत्तला दी, “दाऊद ने रेगिस्तान में से अपने क़ासिदों को नाबाल के पास भेजा ताकि उसे मुबारकबाद दें। लेकिन उसने जवाब में गरजकर उन्हें गालियाँ दी हैं,
I Sa UrduGeoD 25:15  हालाँकि उन लोगों का हमारे साथ सुलूक हमेशा अच्छा रहा है। हम अकसर रेवड़ों को चराने के लिए उनके क़रीब फिरते रहे, तो भी उन्होंने हमें कभी नुक़सान न पहुँचाया, न कोई चीज़ चोरी की।
I Sa UrduGeoD 25:16  जब भी हम उनके क़रीब थे तो वह दिन-रात चारदीवारी की तरह हमारी हिफ़ाज़त करते रहे।
I Sa UrduGeoD 25:17  अब सोच लें कि क्या किया जाए! क्योंकि हमारा मालिक और उसके तमाम घरवाले बड़े ख़तरे में हैं। वह ख़ुद इतना शरीर है कि उससे बात करने का कोई फ़ायदा नहीं।”
I Sa UrduGeoD 25:18  जितनी जल्दी हो सका अबीजेल ने कुछ सामान इकट्ठा किया जिसमें 200 रोटियाँ, मै की दो मशकें, खाने के लिए तैयार की गई पाँच भेड़ें, भुने हुए अनाज के साढ़े 27 किलोग्राम, किशमिश की 100 और अंजीर की 200 टिक्कियाँ शामिल थीं। सब कुछ गधों पर लादकर
I Sa UrduGeoD 25:19  उसने अपने नौकरों को हुक्म दिया, “मेरे आगे निकल जाओ, मैं तुम्हारे पीछे पीछे आऊँगी।” अपने शौहर को उसने कुछ न बताया।
I Sa UrduGeoD 25:20  जब अबीजेल पहाड़ की आड़ में उतरने लगी तो दाऊद अपने आदमियों समेत उस की तरफ़ बढ़ते हुए नज़र आया। फिर उनकी मुलाक़ात हुई।
I Sa UrduGeoD 25:21  दाऊद तो अभी तक बड़े ग़ुस्से में था, क्योंकि वह सोच रहा था, “इस आदमी की मदद करने का क्या फ़ायदा था! हम रेगिस्तान में उसके रेवड़ों की हिफ़ाज़त करते रहे और उस की कोई भी चीज़ गुम न होने दी। तो भी उसने हमारी नेकी के जवाब में हमारी बेइज़्ज़ती की है।
I Sa UrduGeoD 25:22  अल्लाह मुझे सख़्त सज़ा दे अगर मैं कल सुबह तक उसके एक आदमी को भी ज़िंदा छोड़ दूँ!”
I Sa UrduGeoD 25:23  दाऊद को देखकर अबीजेल जल्दी से गधे पर से उतरकर उसके सामने मुँह के बल झुक गई। उसने कहा, “मेरे आक़ा, मुझे ही क़ुसूरवार ठहराएँ। मेहरबानी करके अपनी ख़ादिमा को बोलने दें और उस की बात सुनें।
I Sa UrduGeoD 25:24  दाऊद को देखकर अबीजेल जल्दी से गधे पर से उतरकर उसके सामने मुँह के बल झुक गई। उसने कहा, “मेरे आक़ा, मुझे ही क़ुसूरवार ठहराएँ। मेहरबानी करके अपनी ख़ादिमा को बोलने दें और उस की बात सुनें।
I Sa UrduGeoD 25:25  मेरे मालिक उस शरीर आदमी नाबाल पर ज़्यादा ध्यान न दें। उसके नाम का मतलब अहमक़ है और वह है ही अहमक़। अफ़सोस, मेरी उन आदमियों से मुलाक़ात नहीं हुई जो आपने हमारे पास भेजे थे।
I Sa UrduGeoD 25:26  लेकिन रब की और आपकी हयात की क़सम, रब ने आपको अपने हाथों से बदला लेने और क़ातिल बनने से बचाया है। और अल्लाह करे कि जो भी आपसे दुश्मनी रखते और आपको नुक़सान पहुँचाना चाहते हैं उन्हें नाबाल की-सी सज़ा मिल जाए।
I Sa UrduGeoD 25:27  अब गुज़ारिश है कि जो बरकत हमें मिली है उसमें आप भी शरीक हों। जो चीज़ें आपकी ख़ादिमा लाई है उन्हें क़बूल करके उन जवानों में तक़सीम कर दें जो मेरे आक़ा के पीछे हो लिए हैं।
I Sa UrduGeoD 25:28  जो भी ग़लती हुई है अपनी ख़ादिमा को मुआफ़ कीजिए। रब ज़रूर मेरे आक़ा का घराना हमेशा तक क़ायम रखेगा, क्योंकि आप रब के दुश्मनों से लड़ते हैं। वह आपको जीते-जी ग़लतियाँ करने से बचाए रखे।
I Sa UrduGeoD 25:29  जब कोई आपका ताक़्क़ुब करके आपको मार देने की कोशिश करे तो रब आपका ख़ुदा आपकी जान जानदारों की थैली में महफ़ूज़ रखेगा। लेकिन आपके दुश्मनों की जान वह फ़लाख़न के पत्थर की तरह दूर फेंककर हलाक कर देगा।
I Sa UrduGeoD 25:30  जब रब अपने तमाम वादे पूरे करके आपको इसराईल का बादशाह बना देगा
I Sa UrduGeoD 25:31  तो कोई ऐसी बात सामने नहीं आएगी जो ठोकर का बाइस हो। मेरे आक़ा का ज़मीर साफ़ होगा, क्योंकि आप बदला लेकर क़ातिल नहीं बने होंगे। गुज़ारिश है कि जब रब आपको कामयाबी दे तो अपनी ख़ादिमा को भी याद करें।”
I Sa UrduGeoD 25:32  दाऊद बहुत ख़ुश हुआ। “रब इसराईल के ख़ुदा की तारीफ़ हो जिसने आज आपको मुझसे मिलने के लिए भेज दिया।
I Sa UrduGeoD 25:33  आपकी बसीरत मुबारक है! आप मुबारक हैं, क्योंकि आपने मुझे इस दिन अपने हाथों से बदला लेकर क़ातिल बनने से रोक दिया है।
I Sa UrduGeoD 25:34  रब इसराईल के ख़ुदा की क़सम जिसने मुझे आपको नुक़सान पहुँचाने से रोक दिया, कल सुबह नाबाल के तमाम आदमी हलाक होते अगर आप इतनी जल्दी से मुझसे मिलने न आतीं।”
I Sa UrduGeoD 25:35  दाऊद ने अबीजेल की पेशकरदा चीज़ें क़बूल करके उसे रुख़सत किया और कहा, “सलामती से जाएँ। मैंने आपकी सुनी और आपकी बात मंज़ूर कर ली है।”
I Sa UrduGeoD 25:36  जब अबीजेल अपने घर पहुँची तो देखा कि बहुत रौनक़ है, क्योंकि नाबाल बादशाह की-सी ज़ियाफ़त करके ख़ुशियाँ मना रहा था। चूँकि वह नशे में धुत था इसलिए अबीजेल ने उसे उस वक़्त कुछ न बताया।
I Sa UrduGeoD 25:37  अगली सुबह जब नाबाल होश में आ गया तो अबीजेल ने उसे सब कुछ कह सुनाया। यह सुनते ही नाबाल को दौरा पड़ गया, और वह पत्थर-सा बन गया।
I Sa UrduGeoD 25:38  दस दिन के बाद रब ने उसे मरने दिया।
I Sa UrduGeoD 25:39  जब दाऊद को नाबाल की मौत की ख़बर मिल गई तो वह पुकारा, “रब की तारीफ़ हो जिसने मेरे लिए नाबाल से लड़कर मेरी बेइज़्ज़ती का बदला लिया है। उस की मेहरबानी है कि मैं ग़लत काम करने से बच गया हूँ जबकि नाबाल की बुराई उसके अपने सर पर आ गई है।” कुछ देर के बाद दाऊद ने अपने लोगों को अबीजेल के पास भेजा ताकि वह दाऊद की उसके साथ शादी की दरख़ास्त पेश करें।
I Sa UrduGeoD 25:40  चुनाँचे उसके मुलाज़िम करमिल में अबीजेल के पास जाकर बोले, “दाऊद ने हमें शादी का पैग़ाम देकर भेजा है।”
I Sa UrduGeoD 25:41  अबीजेल खड़ी हुई, फिर मुँह के बल झुककर बोली, “मैं उनकी ख़िदमत में हाज़िर हूँ। मैं अपने मालिक के ख़ादिमों के पाँव धोने तक तैयार हूँ।”
I Sa UrduGeoD 25:42  वह जल्दी से तैयार हुई और गधे पर बैठकर दाऊद के मुलाज़िमों के साथ रवाना हुई। पाँच नौकरानियाँ उसके साथ चली गईं। यों अबीजेल दाऊद की बीवी बन गई।
I Sa UrduGeoD 25:43  अब दाऊद की दो बीवियाँ थीं, क्योंकि पहले उस की शादी अख़ीनुअम से हुई थी जो यज़्रएल से थी।
I Sa UrduGeoD 25:44  जहाँ तक साऊल की बेटी मीकल का ताल्लुक़ था साऊल ने उसे दाऊद से लेकर उस की दुबारा शादी फ़लतियेल बिन लैस से करवाई थी जो जल्लीम का रहनेवाला था।
Chapter 26
I Sa UrduGeoD 26:1  एक दिन दश्ते-ज़ीफ़ के कुछ बाशिंदे दुबारा जिबिया में साऊल के पास आ गए। उन्होंने बादशाह को बताया, “हम जानते हैं कि दाऊद कहाँ छुप गया है। वह उस पहाड़ी पर है जो हकीला कहलाती है और यशीमोन के मुक़ाबिल है।”
I Sa UrduGeoD 26:2  यह सुनकर साऊल इसराईल के 3,000 चीदा फ़ौजियों को लेकर दश्ते-ज़ीफ़ में गया ताकि दाऊद को ढूँड निकाले।
I Sa UrduGeoD 26:3  हकीला पहाड़ी पर यशीमोन के मुक़ाबिल वह रुक गए। जो रास्ता पहाड़ पर से गुज़रता है उसके पास उन्होंने अपना कैंप लगाया। दाऊद उस वक़्त रेगिस्तान में छुप गया था। जब उसे ख़बर मिली कि साऊल मेरा ताक़्क़ुब कर रहा है
I Sa UrduGeoD 26:4  तो उसने अपने लोगों को मालूम करने के लिए भेजा। उन्होंने वापस आकर उसे इत्तला दी कि बादशाह वाक़ई अपनी फ़ौज समेत रेगिस्तान में पहुँच गया है।
I Sa UrduGeoD 26:5  यह सुनकर दाऊद ख़ुद निकलकर चुपके से उस जगह गया जहाँ साऊल का कैंप था। उसको मालूम हुआ कि साऊल और उसका कमाँडर अबिनैर बिन नैर कैंप के ऐन बीच में सो रहे हैं जबकि बाक़ी आदमी दायरा बनाकर उनके इर्दगिर्द सो रहे हैं।
I Sa UrduGeoD 26:6  दो मर्द दाऊद के साथ थे, अख़ीमलिक हित्ती और अबीशै बिन ज़रूयाह। ज़रूयाह योआब का भाई था। दाऊद ने पूछा, “कौन मेरे साथ कैंप में घुसकर साऊल के पास जाएगा?” अबीशै ने जवाब दिया, “मैं साथ जाऊँगा।”
I Sa UrduGeoD 26:7  चुनाँचे दोनों रात के वक़्त कैंप में घुस आए। सोए हुए फ़ौजियों और अबिनैर से गुज़रकर वह साऊल तक पहुँच गए जो ज़मीन पर लेटा सो रहा था। उसका नेज़ा सर के क़रीब ज़मीन में गड़ा हुआ था।
I Sa UrduGeoD 26:8  अबीशै ने आहिस्ता से दाऊद से कहा, “आज अल्लाह ने आपके दुश्मन को आपके क़ब्ज़े में कर दिया है। अगर इजाज़त हो तो मैं उसे उसके अपने नेज़े से ज़मीन के साथ छेद दूँ। मैं उसे एक ही वार में मार दूँगा। दूसरे वार की ज़रूरत ही नहीं होगी।”
I Sa UrduGeoD 26:9  दाऊद बोला, “न करो! उसे मत मारना, क्योंकि जो रब के मसह किए हुए ख़ादिम को हाथ लगाए वह क़ुसूरवार ठहरेगा।
I Sa UrduGeoD 26:10  रब की हयात की क़सम, रब ख़ुद साऊल की मौत मुक़र्रर करेगा, ख़ाह वह बूढ़ा होकर मर जाए, ख़ाह जंग में लड़ते हुए।
I Sa UrduGeoD 26:11  रब मुझे इससे महफ़ूज़ रखे कि मैं उसके मसह किए हुए ख़ादिम को नुक़सान पहुँचाऊँ। नहीं, हम कुछ और करेंगे। उसका नेज़ा और पानी की सुराही पकड़ लो। आओ, हम यह चीज़ें अपने साथ लेकर यहाँ से निकल जाते हैं।”
I Sa UrduGeoD 26:12  चुनाँचे वह दोनों चीज़ें अपने साथ लेकर चुपके से चले गए। कैंप में किसी को भी पता न चला, कोई न जागा। सब सोए रहे, क्योंकि रब ने उन्हें गहरी नींद सुला दिया था।
I Sa UrduGeoD 26:13  दाऊद वादी को पार करके पहाड़ी पर चढ़ गया। जब साऊल से फ़ासला काफ़ी था
I Sa UrduGeoD 26:14  तो दाऊद ने फ़ौज और अबिनैर को ऊँची आवाज़ से पुकारकर कहा, “ऐ अबिनैर, क्या आप मुझे जवाब नहीं देंगे?” अबिनैर पुकारा, “आप कौन हैं कि बादशाह को इस तरह की ऊँची आवाज़ दें?”
I Sa UrduGeoD 26:15  दाऊद ने तंज़न जवाब दिया, “क्या आप मर्द नहीं हैं? और इसराईल में कौन आप जैसा है? तो फिर आपने अपने बादशाह की सहीह हिफ़ाज़त क्यों न की जब कोई उसे क़त्ल करने के लिए कैंप में घुस आया?
I Sa UrduGeoD 26:16  जो आपने किया वह ठीक नहीं है। रब की हयात की क़सम, आप और आपके आदमी सज़ाए-मौत के लायक़ हैं, क्योंकि आपने अपने मालिक की हिफ़ाज़त न की, गो वह रब का मसह किया हुआ बादशाह है। ख़ुद देख लें, जो नेज़ा और पानी की सुराही बादशाह के सर के पास थे वह कहाँ हैं?”
I Sa UrduGeoD 26:17  तब साऊल ने दाऊद की आवाज़ पहचान ली। वह पुकारा, “मेरे बेटे दाऊद, क्या आपकी आवाज़ है?”
I Sa UrduGeoD 26:18  दाऊद ने जवाब दिया, “जी, बादशाह सलामत। मेरे आक़ा, आप मेरा ताक़्क़ुब क्यों कर रहे हैं? मैं तो आपका ख़ादिम हूँ। मैंने क्या किया? मुझसे क्या जुर्म सरज़द हुआ है?
I Sa UrduGeoD 26:19  गुज़ारिश है कि मेरा आक़ा और बादशाह अपने ख़ादिम की बात सुने। अगर रब ने आपको मेरे ख़िलाफ़ उकसाया हो तो वह मेरी ग़ल्ला की नज़र क़बूल करे। लेकिन अगर इनसान इसके पीछे हैं तो रब के सामने उन पर लानत! अपनी हरकतों से उन्होंने मुझे मेरी मौरूसी ज़मीन से निकाल दिया है और नतीजे में मैं रब की क़ौम में नहीं रह सकता। हक़ीक़त में वह कह रहे हैं, ‘जाओ, दीगर माबूदों की पूजा करो!’
I Sa UrduGeoD 26:20  ऐसा न हो कि मैं वतन से और रब के हुज़ूर से दूर मर जाऊँ। इसराईल का बादशाह पिस्सू को ढूँड निकालने के लिए क्यों निकल आया है? वह तो पहाड़ों में मेरा शिकार तीतर के शिकार की तरह कर रहे हैं।”
I Sa UrduGeoD 26:21  तब साऊल ने इक़रार किया, “मैंने गुनाह किया है। दाऊद मेरे बेटे, वापस आएँ। अब से मैं आपको नुक़सान पहुँचाने की कोशिश नहीं करूँगा, क्योंकि आज मेरी जान आपकी नज़र में क़ीमती थी। मैं बड़ी बेवुक़ूफ़ी कर गया हूँ, और मुझसे बड़ी ग़लती हुई है।”
I Sa UrduGeoD 26:22  दाऊद ने जवाब में कहा, “बादशाह का नेज़ा यहाँ मेरे पास है। आपका कोई जवान आकर उसे ले जाए।
I Sa UrduGeoD 26:23  रब हर उस शख़्स को अज्र देता है जो इनसाफ़ करता और वफ़ादार रहता है। आज रब ने आपको मेरे हवाले कर दिया, लेकिन मैंने उसके मसह किए हुए बादशाह को हाथ लगाने से इनकार किया।
I Sa UrduGeoD 26:24  और मेरी दुआ है कि जितनी क़ीमती आपकी जान आज मेरी नज़र में थी, उतनी क़ीमती मेरी जान भी रब की नज़र में हो। वही मुझे हर मुसीबत से बचाए रखे।”
I Sa UrduGeoD 26:25  साऊल ने जवाब दिया, “मेरे बेटे दाऊद, रब आपको बरकत दे। आइंदा आपको बड़ी कामयाबी हासिल होगी।” इसके बाद दाऊद ने अपनी राह ली और साऊल अपने घर चला गया।
Chapter 27
I Sa UrduGeoD 27:1  इस तजरबे के बाद दाऊद सोचने लगा, “अगर मैं यहीं ठहर जाऊँ तो किसी दिन साऊल मुझे मार डालेगा। बेहतर है कि अपनी हिफ़ाज़त के लिए फ़िलिस्तियों के मुल्क में चला जाऊँ। तब साऊल पूरे इसराईल में मेरा खोज लगाने से बाज़ आएगा, और मैं महफ़ूज़ रहूँगा।”
I Sa UrduGeoD 27:2  चुनाँचे वह अपने 600 आदमियों को लेकर जात के बादशाह अकीस बिन माओक के पास चला गया।
I Sa UrduGeoD 27:3  उनके ख़ानदान साथ थे। दाऊद की दो बीवियाँ अख़ीनुअम यज़्रएली और नाबाल की बेवा अबीजेल करमिली भी साथ थीं। अकीस ने उन्हें जात शहर में रहने की इजाज़त दी।
I Sa UrduGeoD 27:4  जब साऊल को ख़बर मिली कि दाऊद ने जात में पनाह ली है तो वह उसका खोज लगाने से बाज़ आया।
I Sa UrduGeoD 27:5  एक दिन दाऊद ने अकीस से बात की, “अगर आपकी नज़रे-करम मुझ पर है तो मुझे देहात की किसी आबादी में रहने की इजाज़त दें। क्या ज़रूरत है कि मैं यहाँ आपके साथ दारुल-हुकूमत में रहूँ?”
I Sa UrduGeoD 27:6  अकीस मुत्तफ़िक़ हुआ। उस दिन उसने उसे सिक़लाज शहर दे दिया। यह शहर उस वक़्त से यहूदाह के बादशाहों की मिलकियत में रहा है।
I Sa UrduGeoD 27:7  दाऊद एक साल और चार महीने फ़िलिस्ती मुल्क में ठहरा रहा।
I Sa UrduGeoD 27:8  सिक़लाज से दाऊद अपने आदमियों के साथ मुख़्तलिफ़ जगहों पर हमला करने के लिए निकलता रहा। कभी वह जसूरियों पर धावा बोलते, कभी जिरज़ियों या अमालीक़ियों पर। यह क़बीले क़दीम ज़माने से यहूदाह के जुनूब में शूर और मिसर की सरहद तक रहते थे।
I Sa UrduGeoD 27:9  जब भी कोई मक़ाम दाऊद के क़ब्ज़े में आ जाता तो वह किसी भी मर्द या औरत को ज़िंदा न रहने देता लेकिन भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, गधों, ऊँटों और कपड़ों को अपने साथ सिक़लाज ले जाता। जब भी दाऊद किसी हमले से वापस आकर बादशाह अकीस से मिलता
I Sa UrduGeoD 27:10  तो वह पूछता, “आज आपने किस पर छापा मारा?” फिर दाऊद जवाब देता, “यहूदाह के जुनूबी इलाक़े पर,” या “यरहमियेलियों के जुनूबी इलाक़े पर,” या “क़ीनियों के जुनूबी इलाक़े पर।”
I Sa UrduGeoD 27:11  जब भी दाऊद किसी आबादी पर हमला करता तो वह तमाम बाशिंदों को मौत के घाट उतार देता और न मर्द, न औरत को ज़िंदा छोड़कर जात लाता। क्योंकि उसने सोचा, “ऐसा न हो कि फ़िलिस्तियों को पता चले कि मैं असल में इसराईली आबादियों पर हमला नहीं कर रहा।” जितना वक़्त दाऊद ने फ़िलिस्ती मुल्क में गुज़ारा वह ऐसा ही करता रहा।
I Sa UrduGeoD 27:12  अकीस ने दाऊद पर पूरा भरोसा किया, क्योंकि उसने सोचा, “अब दाऊद को हमेशा तक मेरी ख़िदमत में रहना पड़ेगा, क्योंकि ऐसी हरकतों से उस की अपनी क़ौम उससे सख़्त मुतनफ़्फ़िर हो गई है।”
Chapter 28
I Sa UrduGeoD 28:1  उन दिनों में फ़िलिस्ती इसराईल से लड़ने के लिए अपनी फ़ौजें जमा करने लगे। अकीस ने दाऊद से भी बात की, “तवक़्क़ो है कि आप अपने फ़ौजियों समेत मेरे साथ मिलकर जंग के लिए निकलेंगे।”
I Sa UrduGeoD 28:2  दाऊद ने जवाब दिया, “ज़रूर। अब आप ख़ुद देखेंगे कि आपका ख़ादिम क्या करने के क़ाबिल है!” अकीस बोला, “ठीक है। पूरी जंग के दौरान आप मेरे मुहाफ़िज़ होंगे।”
I Sa UrduGeoD 28:3  उस वक़्त समुएल इंतक़ाल कर चुका था, और पूरे इसराईल ने उसका मातम करके उसे उसके आबाई शहर रामा में दफ़नाया था। उन दिनों में इसराईल में मुरदों से राबिता करनेवाले और ग़ैबदान नहीं थे, क्योंकि साऊल ने उन्हें पूरे मुल्क से निकाल दिया था।
I Sa UrduGeoD 28:4  अब फ़िलिस्तियों ने अपनी लशकरगाह शूनीम के पास लगाई जबकि साऊल ने तमाम इसराईलियों को जमा करके जिलबुअ के पास अपना कैंप लगाया।
I Sa UrduGeoD 28:5  फ़िलिस्तियों की बड़ी फ़ौज देखकर वह सख़्त दहशत खाने लगा।
I Sa UrduGeoD 28:6  उसने रब से हिदायत हासिल करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब न मिला, न ख़ाब, न मुक़द्दस क़ुरा डालने से और न नबियों की मारिफ़त।
I Sa UrduGeoD 28:7  तब साऊल ने अपने मुलाज़िमों को हुक्म दिया, “मेरे लिए मुरदों से राबिता करनेवाली ढूँडो ताकि मैं जाकर उससे मालूमात हासिल कर लूँ।” मुलाज़िमों ने जवाब दिया, “ऐन-दोर में ऐसी औरत है।”
I Sa UrduGeoD 28:8  साऊल भेस बदलकर दो आदमियों के साथ ऐन-दोर के लिए रवाना हुआ। रात के वक़्त वह जादूगरनी के पास पहुँच गया और बोला, “मुरदों से राबिता करके उस रूह को पाताल से बुला दें जिसका नाम मैं आपको बताता हूँ।”
I Sa UrduGeoD 28:9  जादूगरनी ने एतराज़ किया, “क्या आप मुझे मरवाना चाहते हैं? आपको पता है कि साऊल ने तमाम ग़ैबदानों और मुरदों से राबिता करनेवालों को मुल्क में से मिटा दिया है। आप मुझे क्यों फँसाना चाहते हैं?”
I Sa UrduGeoD 28:10  तब साऊल ने कहा, “रब की हयात की क़सम, आपको यह करने के लिए सज़ा नहीं मिलेगी।”
I Sa UrduGeoD 28:11  औरत ने पूछा, “मैं किस को बुलाऊँ?” साऊल ने जवाब दिया, “समुएल को बुला दें।”
I Sa UrduGeoD 28:12  जब समुएल औरत को नज़र आया तो वह चीख़ उठी, “आपने मुझे क्यों धोका दिया? आप तो साऊल हैं!”
I Sa UrduGeoD 28:13  साऊल ने उसे तसल्ली देकर कहा, “डरें मत। बताएँ तो सही, क्या देख रही हैं?” औरत ने जवाब दिया, “मुझे एक रूह नज़र आ रही है जो चढ़ती चढ़ती ज़मीन में से निकलकर आ रही है।”
I Sa UrduGeoD 28:14  साऊल ने पूछा, “उस की शक्लो-सूरत कैसी है?” जादूगरनी ने कहा, “चोगे में लिपटा हुआ बूढ़ा आदमी है।” यह सुनकर साऊल ने जान लिया कि समुएल ही है। वह मुँह के बल ज़मीन पर झुक गया।
I Sa UrduGeoD 28:15  समुएल बोला, “तूने मुझे पाताल से बुलवाकर क्यों मुज़तरिब कर दिया है?” साऊल ने जवाब दिया, “मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। फ़िलिस्ती मुझसे लड़ रहे हैं, और अल्लाह ने मुझे तर्क कर दिया है। न वह नबियों की मारिफ़त मुझे हिदायत देता है, न ख़ाब के ज़रीए। इसलिए मैंने आपको बुलवाया है ताकि आप मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ।”
I Sa UrduGeoD 28:16  लेकिन समुएल ने कहा, “रब ख़ुद ही तुझे छोड़कर तेरा दुश्मन बन गया है तो फिर मुझसे दरियाफ़्त करने का क्या फ़ायदा है?
I Sa UrduGeoD 28:17  रब इस वक़्त तेरे साथ वह कुछ कर रहा है जिसकी पेशगोई उसने मेरी मारिफ़त की थी। उसने तेरे हाथ से बादशाही छीनकर किसी और यानी दाऊद को दे दी है।
I Sa UrduGeoD 28:18  जब रब ने तुझे अमालीक़ियों पर उसका सख़्त ग़ज़ब नाज़िल करने का हुक्म दिया था तो तूने उस की न सुनी। अब तुझे इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी।
I Sa UrduGeoD 28:19  रब तुझे इसराईल समेत फ़िलिस्तियों के हवाले कर देगा। कल ही तू और तेरे बेटे यहाँ मेरे पास पहुँचेंगे। रब तेरी पूरी फ़ौज भी फ़िलिस्तियों के क़ब्ज़े में कर देगा।”
I Sa UrduGeoD 28:20  यह सुनकर साऊल सख़्त घबरा गया, और वह गिरकर ज़मीन पर दराज़ हो गया। जिस्म की पूरी ताक़त ख़त्म हो गई थी, क्योंकि उसने पिछले पूरे दिन और रात रोज़ा रखा था।
I Sa UrduGeoD 28:21  जब जादूगरनी ने साऊल के पास जाकर देखा कि उसके रोंगटे खड़े हो गए हैं तो उसने कहा, “जनाब, मैंने आपका हुक्म मानकर अपनी जान ख़तरे में डाल दी।
I Sa UrduGeoD 28:22  अब ज़रा मेरी भी सुनें। मुझे इजाज़त दें कि मैं आपको कुछ खाना खिलाऊँ ताकि आप तक़वियत पाकर वापस जा सकें।”
I Sa UrduGeoD 28:23  लेकिन साऊल ने इनकार किया, “मैं कुछ नहीं खाऊँगा।” तब उसके आदमियों ने औरत के साथ मिलकर उसे बहुत समझाया, और आख़िरकार उसने उनकी सुनी। वह ज़मीन से उठकर चारपाई पर बैठ गया।
I Sa UrduGeoD 28:24  जादूगरनी के पास मोटा-ताज़ा बछड़ा था। उसे उसने जल्दी से ज़बह करवाकर तैयार किया। उसने कुछ आटा भी लेकर गूँधा और उससे बेख़मीरी रोटी बनाई।
I Sa UrduGeoD 28:25  फिर उसने खाना साऊल और उसके मुलाज़िमों के सामने रख दिया, और उन्होंने खाया। फिर वह उसी रात दुबारा रवाना हो गए।
Chapter 29
I Sa UrduGeoD 29:1  फ़िलिस्तियों ने अपनी फ़ौजों को अफ़ीक़ के पास जमा किया, जबकि इसराईलियों की लशकरगाह यज़्रएल के चश्मे के पास थी।
I Sa UrduGeoD 29:2  फ़िलिस्ती सरदार जंग के लिए निकलने लगे। उनके पीछे सौ सौ और हज़ार हज़ार सिपाहियों के गुरोह हो लिए। आख़िर में दाऊद और उसके आदमी भी अकीस के साथ चलने लगे।
I Sa UrduGeoD 29:3  यह देखकर फ़िलिस्ती कमाँडरों ने पूछा, “यह इसराईली क्यों साथ जा रहे हैं?” अकीस ने जवाब दिया, “यह दाऊद है, जो पहले इसराईली बादशाह साऊल का फ़ौजी अफ़सर था और अब काफ़ी देर से मेरे साथ है। जब से वह साऊल को छोड़कर मेरे पास आया है मैंने उसमें ऐब नहीं देखा।”
I Sa UrduGeoD 29:4  लेकिन फ़िलिस्ती कमाँडर ग़ुस्से से बोले, “उसे उस शहर वापस भेज दें जो आपने उसके लिए मुक़र्रर किया है! कहीं ऐसा न हो कि वह हमारे साथ निकलकर अचानक हम पर ही हमला कर दे। क्या अपने मालिक से सुलह कराने का कोई बेहतर तरीक़ा है कि वह अपने मालिक को हमारे कटे हुए सर पेश करे?
I Sa UrduGeoD 29:5  क्या यह वही दाऊद नहीं जिसके बारे में इसराईली नाचते हुए गाते थे, ‘साऊल ने हज़ार हलाक किए जबकि दाऊद ने दस हज़ार’?”
I Sa UrduGeoD 29:6  चुनाँचे अकीस ने दाऊद को बुलाकर कहा, “रब की हयात की क़सम, आप दियानतदार हैं, और मेरी ख़ाहिश थी कि आप इसराईल से लड़ने के लिए मेरे साथ निकलें, क्योंकि जब से आप मेरी ख़िदमत करने लगे हैं मैंने आपमें ऐब नहीं देखा। लेकिन अफ़सोस, आप सरदारों को पसंद नहीं हैं।
I Sa UrduGeoD 29:7  इसलिए मेहरबानी करके सलामती से लौट जाएँ और कुछ न करें जो उन्हें बुरा लगे।”
I Sa UrduGeoD 29:8  दाऊद ने पूछा, “मुझसे क्या ग़लती हुई है? क्या आपने उस दिन से मुझमें नुक़्स पाया है जब से मैं आपकी ख़िदमत करने लगा हूँ? मैं अपने मालिक और बादशाह के दुश्मनों से लड़ने के लिए क्यों नहीं निकल सकता?”
I Sa UrduGeoD 29:9  अकीस ने जवाब दिया, “मेरे नज़दीक तो आप अल्लाह के फ़रिश्ते जैसे अच्छे हैं। लेकिन फ़िलिस्ती कमाँडर इस बात पर बज़िद हैं कि आप इसराईल से लड़ने के लिए हमारे साथ न निकलें।
I Sa UrduGeoD 29:10  चुनाँचे कल सुबह-सवेरे उठकर अपने आदमियों के साथ रवाना हो जाना। जब दिन चढ़े तो देर न करना बल्कि जल्दी से अपने घर चले जाना।”
I Sa UrduGeoD 29:11  दाऊद और उसके आदमियों ने ऐसा ही किया। अगले दिन वह सुबह-सवेरे उठकर फ़िलिस्ती मुल्क में वापस चले गए जबकि फ़िलिस्ती यज़्रएल के लिए रवाना हुए।
Chapter 30
I Sa UrduGeoD 30:1  तीसरे दिन जब दाऊद सिक़लाज पहुँचा तो देखा कि शहर का सत्यानास हो गया है। उनकी ग़ैरमौजूदगी में अमालीक़ियों ने दश्ते-नजब में आकर सिक़लाज पर भी हमला किया था। शहर को जलाकर
I Sa UrduGeoD 30:2  वह तमाम बाशिंदों को छोटों से लेकर बड़ों तक अपने साथ ले गए थे। लेकिन कोई हलाक नहीं हुआ था बल्कि वह सबको अपने साथ ले गए थे।
I Sa UrduGeoD 30:3  चुनाँचे जब दाऊद और उसके आदमी वापस आए तो देखा कि शहर भस्म हो गया है और तमाम बाल-बच्चे छिन गए हैं।
I Sa UrduGeoD 30:4  वह फूट फूटकर रोने लगे, इतने रोए कि आख़िरकार रोने की सकत ही न रही।
I Sa UrduGeoD 30:5  दाऊद की दो बीवियों अख़ीनुअम यज़्रएली और अबीजेल करमिली को भी असीर कर लिया गया था।
I Sa UrduGeoD 30:6  दाऊद की जान बड़े ख़तरे में आ गई, क्योंकि उसके मर्द ग़म के मारे आपस में उसे संगसार करने की बातें करने लगे। क्योंकि बेटे-बेटियों के छिन जाने के बाइस सब सख़्त रंजीदा थे। लेकिन दाऊद ने रब अपने ख़ुदा में पनाह लेकर तक़वियत पाई।
I Sa UrduGeoD 30:7  उसने अबियातर बिन अख़ीमलिक को हुक्म दिया, “क़ुरा डालने के लिए इमाम का बालापोश ले आएँ।” जब इमाम बालापोश ले आया
I Sa UrduGeoD 30:8  तो दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं लुटेरों का ताक़्क़ुब करूँ? क्या मैं उनको जा लूँगा?” रब ने जवाब दिया, “उनका ताक़्क़ुब कर! तू न सिर्फ़ उन्हें जा लेगा बल्कि अपने लोगों को बचा भी लेगा।”
I Sa UrduGeoD 30:9  तब दाऊद अपने 600 मर्दों के साथ रवाना हुआ। चलते चलते वह बसोर नदी के पास पहुँच गए। 200 अफ़राद इतने निढाल हो गए थे कि वह वहीं रुक गए। बाक़ी 400 मर्द नदी को पार करके आगे बढ़े।
I Sa UrduGeoD 30:10  तब दाऊद अपने 600 मर्दों के साथ रवाना हुआ। चलते चलते वह बसोर नदी के पास पहुँच गए। 200 अफ़राद इतने निढाल हो गए थे कि वह वहीं रुक गए। बाक़ी 400 मर्द नदी को पार करके आगे बढ़े।
I Sa UrduGeoD 30:11  रास्ते में उन्हें खुले मैदान में एक मिसरी आदमी मिला और उसे दाऊद के पास लाकर कुछ पानी पिलाया और कुछ रोटी,
I Sa UrduGeoD 30:12  अंजीर की टिक्की का टुकड़ा और किशमिश की दो टिक्कियाँ खिलाईं। तब उस की जान में जान आ गई। उसे तीन दिन और रात से न खाना, न पानी मिला था।
I Sa UrduGeoD 30:13  दाऊद ने पूछा, “तुम्हारा मालिक कौन है, और तुम कहाँ के हो?” उसने जवाब दिया, “मैं मिसरी ग़ुलाम हूँ, और एक अमालीक़ी मेरा मालिक है। जब मैं सफ़र के दौरान बीमार हो गया तो उसने मुझे यहाँ छोड़ दिया। अब मैं तीन दिन से यहाँ पड़ा हूँ।
I Sa UrduGeoD 30:14  पहले हमने करेतियों यानी फ़िलिस्तियों के जुनूबी इलाक़े और फिर यहूदाह के इलाक़े पर हमला किया था, ख़ासकर यहूदाह के जुनूबी हिस्से पर जहाँ कालिब की औलाद आबाद है। शहर सिक़लाज को हमने भस्म कर दिया था।”
I Sa UrduGeoD 30:15  दाऊद ने सवाल किया, “क्या तुम मुझे बता सकते हो कि यह लुटेरे किस तरफ़ गए हैं?” मिसरी ने जवाब दिया, “पहले अल्लाह की क़सम खाकर वादा करें कि आप मुझे न हलाक करेंगे, न मेरे मालिक के हवाले करेंगे। फिर मैं आपको उनके पास ले जाऊँगा।”
I Sa UrduGeoD 30:16  चुनाँचे वह दाऊद को अमालीक़ी लुटेरों के पास ले गया। जब वहाँ पहुँचे तो देखा कि अमालीक़ी इधर उधर बिखरे हुए बड़ा जशन मना रहे हैं। वह हर तरफ़ खाना खाते और मै पीते हुए नज़र आ रहे थे, क्योंकि जो माल उन्होंने फ़िलिस्तियों और यहूदाह के इलाक़े से लूट लिया था वह बहुत ज़्यादा था।
I Sa UrduGeoD 30:17  सुबह-सवेरे जब अभी थोड़ी रौशनी थी दाऊद ने उन पर हमला किया। लड़ते लड़ते अगले दिन की शाम हो गई। दुश्मन हार गया और सबके सब हलाक हुए। सिर्फ़ 400 जवान बच गए जो ऊँटों पर सवार होकर फ़रार हो गए।
I Sa UrduGeoD 30:18  दाऊद ने सब कुछ छुड़ा लिया जो अमालीक़ियों ने लूट लिया था। उस की दो बीवियाँ भी सहीह-सलामत मिल गईं।
I Sa UrduGeoD 30:19  न बच्चा न बुज़ुर्ग, न बेटा न बेटी, न माल या कोई और लूटी हुई चीज़ रही जो दाऊद वापस न लाया।
I Sa UrduGeoD 30:20  अमालीक़ियों के गाय-बैल और भेड़-बकरियाँ दाऊद का हिस्सा बन गईं, और उसके लोगों ने उन्हें अपने रेवड़ों के आगे आगे हाँककर कहा, “यह लूटे हुए माल में से दाऊद का हिस्सा है।”
I Sa UrduGeoD 30:21  जब दाऊद अपने आदमियों के साथ वापस आ रहा था तो जो 200 आदमी निढाल होने के बाइस बसोर नदी से आगे न जा सके वह भी उनसे आ मिले। दाऊद ने सलाम करके उनका हाल पूछा।
I Sa UrduGeoD 30:22  लेकिन बाक़ी आदमियों में कुछ शरारती लोग बुड़बुड़ाने लगे, “यह हमारे साथ लड़ने के लिए आगे न निकले, इसलिए इन्हें लूटे हुए माल का हिस्सा पाने का हक़ नहीं। बस वह अपने बाल-बच्चों को लेकर चले जाएँ।”
I Sa UrduGeoD 30:23  लेकिन दाऊद ने इनकार किया। “नहीं, मेरे भाइयो, ऐसा मत करना! यह सब कुछ रब की तरफ़ से है। उसी ने हमें महफ़ूज़ रखकर हमलाआवर लुटेरों पर फ़तह बख़्शी।
I Sa UrduGeoD 30:24  तो फिर हम आपकी बात किस तरह मानें? जो पीछे रहकर सामान की हिफ़ाज़त कर रहा था उसे भी उतना ही मिलेगा जितना कि उसे जो दुश्मन से लड़ने गया था। हम यह सब कुछ बराबर बराबर तक़सीम करेंगे।”
I Sa UrduGeoD 30:25  उस वक़्त से यह उसूल बन गया। दाऊद ने इसे इसराईली क़ानून का हिस्सा बना दिया जो आज तक जारी है।
I Sa UrduGeoD 30:26  सिक़लाज वापस पहुँचने पर दाऊद ने लूटे हुए माल का एक हिस्सा यहूदाह के बुज़ुर्गों के पास भेज दिया जो उसके दोस्त थे। साथ साथ उसने पैग़ाम भेजा, “आपके लिए यह तोह्फ़ा रब के दुश्मनों से लूट लिया गया है।”
I Sa UrduGeoD 30:27  यह तोह्फ़े उसने ज़ैल के शहरों में भेज दिए : बैतेल, रामात-नजब, यत्तीर,
I Sa UrduGeoD 30:28  अरोईर, सिफ़मोत, इस्तिमुअ,
I Sa UrduGeoD 30:29  रकल, हुरमा, बोर-असान, अताक़ और हबरून। इसके अलावा उसने तोह्फ़े यरहमियेलियों, क़ीनियों और बाक़ी उन तमाम शहरों को भेज दिए जिनमें वह कभी ठहरा था।
I Sa UrduGeoD 30:30  रकल, हुरमा, बोर-असान, अताक़ और हबरून। इसके अलावा उसने तोह्फ़े यरहमियेलियों, क़ीनियों और बाक़ी उन तमाम शहरों को भेज दिए जिनमें वह कभी ठहरा था।
I Sa UrduGeoD 30:31  रकल, हुरमा, बोर-असान, अताक़ और हबरून। इसके अलावा उसने तोह्फ़े यरहमियेलियों, क़ीनियों और बाक़ी उन तमाम शहरों को भेज दिए जिनमें वह कभी ठहरा था।
Chapter 31
I Sa UrduGeoD 31:1  इतने में फ़िलिस्तियों और इसराईलियों के दरमियान जंग छिड़ गई थी। लड़ते लड़ते इसराईली फ़रार होने लगे, लेकिन बहुत-से लोग जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर शहीद हो गए।
I Sa UrduGeoD 31:2  फिर फ़िलिस्ती साऊल और उसके बेटों यूनतन, अबीनदाब और मलकीशुअ के पास जा पहुँचे। तीनों बेटे हलाक हो गए
I Sa UrduGeoD 31:3  जबकि लड़ाई साऊल के इर्दगिर्द उरूज तक पहुँच गई। फिर वह तीरअंदाज़ों का निशाना बनकर बुरी तरह ज़ख़मी हो गया।
I Sa UrduGeoD 31:4  उसने अपने सिलाहबरदार को हुक्म दिया, “अपनी तलवार मियान से खींचकर मुझे मार डाल, वरना यह नामख़तून मुझे छेदकर बेइज़्ज़त करेंगे।” लेकिन सिलाहबरदार ने इनकार किया, क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था। आख़िर में साऊल अपनी तलवार लेकर ख़ुद उस पर गिर गया।
I Sa UrduGeoD 31:5  जब सिलाहबरदार ने देखा कि मेरा मालिक मर गया है तो वह भी अपनी तलवार पर गिरकर मर गया।
I Sa UrduGeoD 31:6  यों उस दिन साऊल, उसके तीन बेटे, उसका सिलाहबरदार और उसके तमाम आदमी हलाक हो गए।
I Sa UrduGeoD 31:7  जब मैदाने-यज़्रएल के पार और दरियाए-यरदन के पार रहनेवाले इसराईलियों को ख़बर मिली कि इसराईली फ़ौज भाग गई और साऊल अपने बेटों समेत मारा गया है तो वह अपने शहरों को छोड़कर भाग निकले, और फ़िलिस्ती छोड़े हुए शहरों पर क़ब्ज़ा करके उनमें बसने लगे।
I Sa UrduGeoD 31:8  अगले दिन फ़िलिस्ती लाशों को लूटने के लिए दुबारा मैदाने-जंग में आ गए। जब उन्हें जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर साऊल और उसके तीनों बेटे मुरदा मिले
I Sa UrduGeoD 31:9  तो उन्होंने साऊल का सर काटकर उसका ज़िरा-बकतर उतार लिया और क़ासिदों को अपने पूरे मुल्क में भेजकर अपने बुतों के मंदिर में और अपनी क़ौम को फ़तह की इत्तला दी।
I Sa UrduGeoD 31:10  साऊल का ज़िरा-बकतर उन्होंने अस्तारात देवी के मंदिर में महफ़ूज़ कर लिया और उस की लाश को बैत-शान की फ़सील से लटका दिया।
I Sa UrduGeoD 31:11  जब यबीस-जिलियाद के बाशिंदों को ख़बर मिली कि फ़िलिस्तियों ने साऊल की लाश के साथ क्या कुछ किया है
I Sa UrduGeoD 31:12  तो शहर के तमाम लड़ने के क़ाबिल आदमी बैत-शान के लिए रवाना हुए। पूरी रात चलते हुए वह शहर के पास पहुँच गए। साऊल और उसके बेटों की लाशों को फ़सील से उतारकर वह उन्हें यबीस को ले गए। वहाँ उन्होंने लाशों को भस्म कर दिया
I Sa UrduGeoD 31:13  और बची हुई हड्डियों को शहर में झाऊ के दरख़्त के साय में दफ़नाया। उन्होंने रोज़ा रखकर पूरे हफ़ते तक उनका मातम किया।