Chapter 1
Prov | UrduGeoD | 1:5 | जो दाना है वह सुनकर अपने इल्म में इज़ाफ़ा करे, जो समझदार है वह राहनुमाई करने का फ़न सीख ले। | |
Prov | UrduGeoD | 1:7 | हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। सिर्फ़ अहमक़ हिकमत और तरबियत को हक़ीर जानते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 1:11 | उनकी बात न मान जब वह कहें, “आ, हमारे साथ चल! हम ताक में बैठकर किसी को क़त्ल करें, बिलावजह किसी बेक़ुसूर की घात लगाएँ। | |
Prov | UrduGeoD | 1:12 | हम उन्हें पाताल की तरह ज़िंदा निगल लें, उन्हें मौत के गढ़े में उतरनेवालों की तरह एकदम हड़प कर लें। | |
Prov | UrduGeoD | 1:17 | जब चिड़ीमार अपना जाल लगाकर उस पर परिंदों को फाँसने के लिए रोटी के टुकड़े बिखेर देता है तो परिंदों की नज़र में यह बेमक़सद है। | |
Prov | UrduGeoD | 1:18 | यह लोग भी एक दिन फँस जाएंगे। जब ताक में बैठ जाते हैं तो अपने आपको तबाह करते हैं, जब दूसरों की घात लगाते हैं तो अपनी ही जान को नुक़सान पहुँचाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 1:19 | यही उन सबका अंजाम है जो नारवा नफ़ा के पीछे भागते हैं। नाजायज़ नफ़ा अपने मालिक की जान छीन लेता है। | |
Prov | UrduGeoD | 1:21 | जहाँ सबसे ज़्यादा शोर-शराबा है वहाँ वह चिल्ला चिल्लाकर बोलती, शहर के दरवाज़ों पर ही अपनी तक़रीर करती है, | |
Prov | UrduGeoD | 1:22 | “ऐ सादालौह लोगो, तुम कब तक अपनी सादालौही से मुहब्बत रखोगे? मज़ाक़ उड़ानेवाले कब तक अपने मज़ाक़ से लुत्फ़ उठाएँगे, अहमक़ कब तक इल्म से नफ़रत करेंगे? | |
Prov | UrduGeoD | 1:23 | आओ, मेरी सरज़निश पर ध्यान दो। तब मैं अपनी रूह का चश्मा तुम पर फूटने दूँगी, तुम्हें अपनी बातें सुनाऊँगी। | |
Prov | UrduGeoD | 1:24 | लेकिन जब मैंने आवाज़ दी तो तुमने इनकार किया, जब मैंने अपना हाथ तुम्हारी तरफ़ बढ़ाया तो किसी ने भी तवज्जुह न दी। | |
Prov | UrduGeoD | 1:25 | तुमने मेरे किसी मशवरे की परवा न की, मेरी मलामत तुम्हारे नज़दीक क़ाबिले-क़बूल नहीं थी। | |
Prov | UrduGeoD | 1:26 | इसलिए जब तुम पर आफ़त आएगी तो मैं क़हक़हा लगाऊँगी, जब तुम हौलनाक मुसीबत में फँस जाओगे तो तुम्हारा मज़ाक़ उड़ाऊँगी। | |
Prov | UrduGeoD | 1:27 | उस वक़्त तुम पर दहशतनाक आँधी टूट पड़ेगी, आफ़त तूफ़ान की तरह तुम पर आएगी, और तुम मुसीबत और तकलीफ़ के सैलाब में डूब जाओगे। | |
Prov | UrduGeoD | 1:28 | तब वह मुझे आवाज़ देंगे, लेकिन मैं उनकी नहीं सुनूँगी, वह मुझे ढूँडेंगे पर पाएँगे नहीं। | |
Prov | UrduGeoD | 1:32 | क्योंकि सहीह राह से दूर होने का अमल सादालौह को मार डालता है, और अहमक़ों की बेपरवाई उन्हें तबाह करती है। | |
Chapter 2
Prov | UrduGeoD | 2:7 | वह सीधी राह पर चलनेवालों को कामयाबी फ़राहम करता और बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारनेवालों की ढाल बना रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 2:8 | क्योंकि वह इनसाफ़ पसंदों की राहों की पहरादारी करता है। जहाँ भी उसके ईमानदार चलते हैं वहाँ वह उनकी हिफ़ाज़त करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 2:10 | क्योंकि तेरे दिल में हिकमत दाख़िल हो जाएगी, और इल्मो-इरफ़ान तेरी जान को प्यारा हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 2:16 | हिकमत तुझे नाजायज़ औरत से छुड़ाती है, उस अजनबी औरत से जो चिकनी-चुपड़ी बातें करती, | |
Prov | UrduGeoD | 2:18 | क्योंकि उसके घर में दाख़िल होने का अंजाम मौत, उस की राहों की मनज़िले-मक़सूद पाताल है। | |
Prov | UrduGeoD | 2:19 | जो भी उसके पास जाए वह वापस नहीं आएगा, वह ज़िंदगीबख़्श राहों पर दुबारा नहीं पहुँचेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 2:20 | चुनाँचे अच्छे लोगों की राह पर चल-फिर, ध्यान दे कि तेरे क़दम रास्तबाज़ों के रास्ते पर रहें। | |
Prov | UrduGeoD | 2:21 | क्योंकि सीधी राह पर चलनेवाले मुल्क में आबाद होंगे, आख़िरकार बेइलज़ाम ही उसमें बाक़ी रहेंगे। | |
Chapter 3
Prov | UrduGeoD | 3:2 | क्योंकि इन्हीं से तेरी ज़िंदगी के दिनों और सालों में इज़ाफ़ा होगा और तेरी ख़ुशहाली बढ़ेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 3:3 | शफ़क़त और वफ़ा तेरा दामन न छोड़ें। उन्हें अपने गले से बाँधना, अपने दिल की तख़्ती पर कंदा करना। | |
Prov | UrduGeoD | 3:12 | क्योंकि जो रब को प्यारा है उस की वह तादीब करता है, जिस तरह बाप उस बेटे को तंबीह करता है जो उसे पसंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 3:14 | क्योंकि हिकमत चाँदी से कहीं ज़्यादा सूदमंद है, और उससे सोने से कहीं ज़्यादा क़ीमती चीज़ें हासिल होती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 3:18 | जो उसका दामन पकड़ ले उसके लिए वह ज़िंदगी का दरख़्त है। मुबारक है वह जो उससे लिपटा रहे। | |
Prov | UrduGeoD | 3:19 | रब ने हिकमत के वसीले से ही ज़मीन की बुनियाद रखी, समझ के ज़रीए ही आसमान को मज़बूती से लगाया। | |
Prov | UrduGeoD | 3:20 | उसके इरफ़ान से ही गहराइयों का पानी फूट निकला और आसमान से शबनम टपककर ज़मीन पर पड़ती है। | |
Prov | UrduGeoD | 3:21 | मेरे बेटे, दानाई और तमीज़ अपने पास महफ़ूज़ रख और उन्हें अपनी नज़र से दूर न होने दे। | |
Prov | UrduGeoD | 3:24 | तू पाँव फैलाकर सो सकेगा, कोई सदमा तुझे नहीं पहुँचेगा बल्कि तू लेटकर गहरी नींद सोएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 3:28 | अगर तू आज कुछ दे सके तो अपने पड़ोसी से मत कहना, “कल आना तो मैं आपको कुछ दे दूँगा।” | |
Prov | UrduGeoD | 3:32 | क्योंकि बुरी राह पर चलनेवाले से रब घिन खाता है जबकि सीधी राह पर चलनेवालों को वह अपने राज़ों से आगाह करता है। | |
Chapter 4
Prov | UrduGeoD | 4:4 | तो मेरे बाप ने मुझे तालीम देकर कहा, “पूरे दिल से मेरे अलफ़ाज़ अपना ले और हर वक़्त मेरे अहकाम पर अमल कर तो तू जीता रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 4:5 | हिकमत हासिल कर, समझ अपना ले! यह चीज़ें मत भूलना, मेरे मुँह के अलफ़ाज़ से दूर न होना। | |
Prov | UrduGeoD | 4:6 | हिकमत तर्क न कर तो वह तुझे महफ़ूज़ रखेगी। उससे मुहब्बत रख तो वह तेरी देख-भाल करेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 4:7 | हिकमत इससे शुरू होती है कि तू हिकमत अपना ले। समझ हासिल करने के लिए बाक़ी तमाम मिलकियत क़ुरबान करने के लिए तैयार हो। | |
Prov | UrduGeoD | 4:12 | जब तू चलेगा तो तेरे क़दमों को किसी भी चीज़ से रोका नहीं जाएगा, और दौड़ते वक़्त तू ठोकर नहीं खाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 4:16 | क्योंकि जब तक उनसे बुरा काम सरज़द न हो जाए वह सो ही नहीं सकते, जब तक उन्होंने किसी को ठोकर खिलाकर ख़ाक में मिला न दिया हो वह नींद से महरूम रहते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 4:18 | लेकिन रास्तबाज़ की राह तुलूए-सुबह की पहली रौशनी की मानिंद है जो दिन के उरूज तक बढ़ती रहती है। | |
Prov | UrduGeoD | 4:19 | इसके मुक़ाबले में बेदीन का रास्ता गहरी तारीकी की मानिंद है, उन्हें पता ही नहीं चलता कि किस चीज़ से ठोकर खाकर गिर गए हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 4:25 | ध्यान दे कि तेरी आँखें सीधा आगे की तरफ़ देखें, कि तेरी नज़र उस रास्ते पर लगी रहे जो सीधा है। | |
Chapter 5
Prov | UrduGeoD | 5:3 | क्योंकि ज़िनाकार औरत के होंटों से शहद टपकता है, उस की बातें तेल की तरह चिकनी-चुपड़ी होती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 5:6 | उसके रास्ते कभी इधर कभी इधर फिरते हैं ताकि तू ज़िंदगी की राह पर तवज्जुह न दे और उस की आवारगी को जान न ले। | |
Prov | UrduGeoD | 5:9 | ऐसा न हो कि तू अपनी ताक़त किसी और के लिए सर्फ़ करे और अपने साल ज़ालिम के लिए ज़ाया करे। | |
Prov | UrduGeoD | 5:10 | ऐसा न हो कि परदेसी तेरी मिलकियत से सेर हो जाएँ, कि जो कुछ तूने मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया वह किसी और के घर में आए। | |
Prov | UrduGeoD | 5:12 | कहेगा, “हाय, मैंने क्यों तरबियत से नफ़रत की, मेरे दिल ने क्यों सरज़निश को हक़ीर जाना? | |
Prov | UrduGeoD | 5:14 | जमात के दरमियान ही रहते हुए मुझ पर ऐसी आफ़त आई कि मैं तबाही के दहाने तक पहुँच गया हूँ।” | |
Prov | UrduGeoD | 5:19 | वही तेरी मनमोहन हिरनी और दिलरुबा ग़ज़ाल है। उसी का प्यार तुझे तरो-ताज़ा करे, उसी की मुहब्बत तुझे हमेशा मस्त रखे। | |
Prov | UrduGeoD | 5:20 | मेरे बेटे, तू अजनबी औरत से क्यों मस्त हो जाए, किसी दूसरे की बीवी से क्यों लिपट जाए? | |
Prov | UrduGeoD | 5:21 | ख़याल रख, इनसान की राहें रब को साफ़ दिखाई देती हैं, जहाँ भी वह चले उस पर वह तवज्जुह देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 5:22 | बेदीन की अपनी ही हरकतें उसे फँसा देती हैं, वह अपने ही गुनाह के रस्सों में जकड़ा रहता है। | |
Chapter 6
Prov | UrduGeoD | 6:1 | मेरे बेटे, क्या तू अपने पड़ोसी का ज़ामिन बना है? क्या तूने हाथ मिलाकर वादा किया है कि मैं किसी दूसरे का ज़िम्मादार ठहरूँगा? | |
Prov | UrduGeoD | 6:3 | ऐसा करने से तू अपने पड़ोसी के हाथ में आ गया है, इसलिए अपनी जान को छुड़ाने के लिए उसके सामने औंधे मुँह होकर उसे अपनी मिन्नत-समाजत से तंग कर। | |
Prov | UrduGeoD | 6:4 | अपनी आँखों को सोने न दे, अपने पपोटों को ऊँघने न दे जब तक तू इस ज़िम्मादारी से फ़ारिग़ न हो जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 6:5 | जिस तरह ग़ज़ाल शिकारी के हाथ से और परिंदा चिड़ीमार के हाथ से छूट जाता है उसी तरह सिर-तोड़ कोशिश कर ताकि तेरी जान छूट जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 6:8 | तो भी वह गरमियों में सर्दियों के लिए खाने का ज़ख़ीरा कर रखती, फ़सल के दिनों में ख़ूब ख़ुराक इकट्ठी करती है। | |
Prov | UrduGeoD | 6:10 | तू कहता है, “मुझे थोड़ी देर सोने दे, थोड़ी देर ऊँघने दे, थोड़ी देर हाथ पर हाथ धरे बैठने दे ताकि आराम कर सकूँ।” | |
Prov | UrduGeoD | 6:11 | लेकिन ख़बरदार, जल्द ही ग़ुरबत राहज़न की तरह तुझ पर आएगी, मुफ़लिसी हथियार से लेस डाकू की तरह तुझ पर टूट पड़ेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 6:13 | अपनी आँखों, पाँवों और उँगलियों से इशारा करके तुझे फ़रेब के जाल में फँसाने की कोशिश करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 6:14 | उसके दिल में कजी है, और वह हर वक़्त बुरे मनसूबे बाँधने में लगा रहता है। जहाँ भी जाए वहाँ झगड़े छिड़ जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 6:15 | लेकिन ऐसे शख़्स पर अचानक ही आफ़त आएगी। एक ही लमहे में वह पाश पाश हो जाएगा। तब उसका इलाज नामुमकिन होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 6:17 | वह आँखें जो ग़ुरूर से देखती हैं, वह ज़बान जो झूट बोलती है, वह हाथ जो बेगुनाहों को क़त्ल करते हैं, | |
Prov | UrduGeoD | 6:18 | वह दिल जो बुरे मनसूबे बाँधता है, वह पाँव जो दूसरों को नुक़सान पहुँचाने के लिए भागते हैं, | |
Prov | UrduGeoD | 6:21 | उन्हें यों अपने दिल के साथ बाँधे रख कि कभी दूर न हो जाएँ। उन्हें हार की तरह अपने गले में डाल ले। | |
Prov | UrduGeoD | 6:22 | चलते वक़्त वह तेरी राहनुमाई करें, आराम करते वक़्त तेरी पहरादारी करें, जागते वक़्त तुझसे हमकलाम हों। | |
Prov | UrduGeoD | 6:23 | क्योंकि बाप का हुक्म चराग़ और माँ की हिदायत रौशनी है, तरबियत की डाँट-डपट ज़िंदगीबख़्श राह है। | |
Prov | UrduGeoD | 6:24 | यों तू बदकार औरत और दूसरे की ज़िनाकार बीवी की चिकनी-चुपड़ी बातों से महफ़ूज़ रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 6:26 | क्योंकि गो कसबी आदमी को उसके पैसे से महरूम करती है, लेकिन दूसरे की ज़िनाकार बीवी उस की क़ीमती जान का शिकार करती है। | |
Prov | UrduGeoD | 6:29 | इसी तरह जो किसी दूसरे की बीवी से हमबिसतर हो जाए उसका अंजाम बुरा है, जो भी दूसरे की बीवी को छेड़े उसे सज़ा मिलेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 6:30 | जो भूक के मारे अपना पेट भरने के लिए चोरी करे उसे लोग हद से ज़्यादा हक़ीर नहीं जानते, | |
Prov | UrduGeoD | 6:31 | हालाँकि उसे चोरी किए हुए माल को सात गुना वापस करना है और उसके घर की दौलत जाती रहेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 6:32 | लेकिन जो किसी दूसरे की बीवी के साथ ज़िना करे वह बेअक़्ल है। जो अपनी जान को तबाह करना चाहे वही ऐसा करता है। | |
Chapter 7
Prov | UrduGeoD | 7:2 | मेरे अहकाम के ताबे रह तो जीता रहेगा। अपनी आँख की पुतली की तरह मेरी हिदायत की हिफ़ाज़त कर। | |
Prov | UrduGeoD | 7:5 | यही तुझे ज़िनाकार औरत से महफ़ूज़ रखेंगी, दूसरे की उस बीवी से जो अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से तुझे फुसलाने की कोशिश करती है। | |
Prov | UrduGeoD | 7:7 | तो क्या देखता हूँ कि वहाँ कुछ सादालौह नौजवान खड़े हैं। उनमें से एक बेअक़्ल जवान नज़र आया। | |
Prov | UrduGeoD | 7:8 | वह गली में से गुज़रकर ज़िनाकार औरत के कोने की तरफ़ टहलने लगा। चलते चलते वह उस रास्ते पर आ गया जो औरत के घर तक ले जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 7:18 | आओ, हम सुबह तक मुहब्बत का प्याला तह तक पी लें, हम इश्क़बाज़ी से लुत्फ़अंदोज़ हों! | |
Prov | UrduGeoD | 7:21 | ऐसी बातें करते करते औरत ने नौजवान को तरग़ीब देकर अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से वरग़लाया। | |
Prov | UrduGeoD | 7:22 | नौजवान सीधा उसके पीछे यों हो लिया जिस तरह बैल ज़बह होने के लिए जाता या हिरन उछलकर फंदे में फँस जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 7:23 | क्योंकि एक वक़्त आएगा कि तीर उसका दिल चीर डालेगा। लेकिन फ़िलहाल उस की हालत उस चिड़िया की मानिंद है जो उड़कर जाल में आ जाती और ख़याल तक नहीं करती कि मेरी जान ख़तरे में है। | |
Prov | UrduGeoD | 7:25 | तेरा दिल भटककर उस तरफ़ रुख़ न करे जहाँ ज़िनाकार औरत फिरती है, ऐसा न हो कि तू आवारा होकर उस की राहों में उलझ जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 7:26 | क्योंकि उनकी तादाद बड़ी है जिन्हें उसने गिराकर मौत के घाट उतारा है, उसने मुतअद्दिद लोगों को मार डाला है। | |
Chapter 8
Prov | UrduGeoD | 8:3 | शहर के दरवाज़ों पर जहाँ लोग निकलते और दाख़िल होते हैं वहाँ हिकमत ज़ोरदार आवाज़ से पुकारती है, | |
Prov | UrduGeoD | 8:9 | समझदार जानता है कि मेरी बातें सब दुरुस्त हैं, इल्म रखनेवाले को मालूम है कि वह सहीह हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 8:11 | क्योंकि हिकमत मोतियों से कहीं बेहतर है, कोई भी ख़ज़ाना उसका मुक़ाबला नहीं कर सकता। | |
Prov | UrduGeoD | 8:13 | जो रब का ख़ौफ़ मानता है वह बुराई से नफ़रत करता है। मुझे ग़ुरूर, तकब्बुर, ग़लत चाल-चलन और टेढ़ी बातों से नफ़रत है। | |
Prov | UrduGeoD | 8:14 | मेरे पास अच्छा मशवरा और कामयाबी है। मेरा दूसरा नाम समझ है, और मुझे क़ुव्वत हासिल है। | |
Prov | UrduGeoD | 8:17 | जो मुझे प्यार करते हैं उन्हें मैं प्यार करती हूँ, और जो मुझे ढूँडते हैं वह मुझे पा लेते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 8:19 | मेरा फल सोने बल्कि ख़ालिस सोने से कहीं बेहतर है, मेरी पैदावार ख़ालिस चाँदी पर सबक़त रखती है। | |
Prov | UrduGeoD | 8:21 | जो मुझसे मुहब्बत रखते हैं उन्हें मैं मीरास में दौलत मुहैया करती हूँ। उनके गोदाम भरे रहते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 8:22 | जब रब तख़लीक़ का सिलसिला अमल में लाया तो पहले उसने मुझे ही बनाया। क़दीम ज़माने में मैं उसके दीगर कामों से पहले ही वुजूद में आई। | |
Prov | UrduGeoD | 8:27 | जब उसने आसमान को उस की जगह पर लगाया और समुंदर की गहराइयों पर ज़मीन का इलाक़ा मुक़र्रर किया तो मैं साथ थी। | |
Prov | UrduGeoD | 8:28 | जब उसने आसमान पर बादलों और गहराइयों में सरचश्मों का इंतज़ाम मज़बूत किया तो मैं साथ थी। | |
Prov | UrduGeoD | 8:29 | जब उसने समुंदर की हद्दें मुक़र्रर कीं और हुक्म दिया कि पानी उनसे तजावुज़ न करे, जब उसने ज़मीन की बुनियादें अपनी अपनी जगह पर रखीं | |
Prov | UrduGeoD | 8:30 | तो मैं माहिर कारीगर की हैसियत से उसके साथ थी। रोज़ बरोज़ मैं लुत्फ़ का बाइस थी, हर वक़्त उसके हुज़ूर रंगरलियाँ मनाती रही। | |
Prov | UrduGeoD | 8:34 | मुबारक है वह जो मेरी सुने, जो रोज़ बरोज़ मेरे दरवाज़े पर चौकस खड़ा रहे, रोज़ाना मेरी चौखट पर हाज़िर रहे। | |
Chapter 9
Prov | UrduGeoD | 9:3 | अब उसने अपनी नौकरानियों को भेजा है, और ख़ुद भी लोगों को शहर की बुलंदियों से ज़ियाफ़त करने की दावत देती है, | |
Prov | UrduGeoD | 9:7 | जो लान-तान करनेवाले को तालीम दे उस की अपनी रुसवाई हो जाएगी, और जो बेदीन को डाँटे उसे नुक़सान पहुँचेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 9:8 | लान-तान करनेवाले की मलामत न कर वरना वह तुझसे नफ़रत करेगा। दानिशमंद की मलामत कर तो वह तुझसे मुहब्बत करेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 9:9 | दानिशमंद को हिदायत दे तो उस की हिकमत मज़ीद बढ़ेगी, रास्तबाज़ को तालीम दे तो वह अपने इल्म में इज़ाफ़ा करेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 9:10 | रब का ख़ौफ़ मानने से ही हिकमत शुरू होती है, क़ुद्दूस ख़ुदा को जानने से ही समझ हासिल होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 9:12 | अगर तू दानिशमंद हो तो ख़ुद इससे फ़ायदा उठाएगा, अगर लान-तान करनेवाला हो तो तुझे ही इसका नुक़सान झेलना पड़ेगा। | |
Chapter 10
Prov | UrduGeoD | 10:1 | ज़ैल में सुलेमान की अमसाल क़लमबंद हैं। दानिशमंद बेटा अपने बाप को ख़ुशी दिलाता जबकि अहमक़ बेटा अपनी माँ को दुख पहुँचाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:2 | ख़ज़ानों का कोई फ़ायदा नहीं अगर वह बेदीन तरीक़ों से जमा हो गए हों, लेकिन रास्तबाज़ी मौत से बचाए रखती है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:5 | जो गरमियों में फ़सल जमा करता है वह दानिशमंद बेटा है जबकि जो फ़सल की कटाई के वक़्त सोया रहता है वह वालिदैन के लिए शर्म का बाइस है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:6 | रास्तबाज़ का सर बरकत के ताज से आरास्ता रहता है जबकि बेदीनों के मुँह पर ज़ुल्म का परदा पड़ा रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:7 | लोग रास्तबाज़ को याद करके उसे मुबारक कहते हैं, लेकिन बेदीन का नाम सड़कर मिट जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 10:9 | जिसका चाल-चलन बेइलज़ाम है वह सुकून से ज़िंदगी गुज़ारता है, लेकिन जो टेढ़ा रास्ता इख़्तियार करे उसे पकड़ा जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 10:11 | रास्तबाज़ का मुँह ज़िंदगी का सरचश्मा है, लेकिन बेदीन के मुँह पर ज़ुल्म का परदा पड़ा रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:13 | समझदार के होंटों पर हिकमत पाई जाती है, लेकिन नासमझ सिर्फ़ डंडे का पैग़ाम समझता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:14 | दानिशमंद अपना इल्म महफ़ूज़ रखते हैं, लेकिन अहमक़ का मुँह जल्द ही तबाही की तरफ़ ले जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:15 | अमीर की दौलत क़िलाबंद शहर है जिसमें वह महफ़ूज़ है जबकि ग़रीब की ग़ुरबत उस की तबाही का बाइस है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:16 | जो कुछ रास्तबाज़ कमा लेता है वह ज़िंदगी का बाइस है, लेकिन बेदीन अपनी रोज़ी गुनाह करने के लिए इस्तेमाल करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:17 | जो तरबियत क़बूल करे वह दूसरों को ज़िंदगी की राह पर लाता है, जो नसीहत नज़रंदाज़ करे वह दूसरों को सहीह राह से दूर ले जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:18 | जो अपनी नफ़रत छुपाए रखे वह झूट बोलता है, जो दूसरों के बारे में ग़लत ख़बरें फैलाए वह अहमक़ है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:19 | जहाँ बहुत बातें की जाती हैं वहाँ गुनाह भी आ मौजूद होता है, जो अपनी ज़बान को क़ाबू में रखे वह दानिशमंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:21 | रास्तबाज़ की ज़बान बहुतों की परवरिश करती है, लेकिन अहमक़ अपनी बेअक़्ली के बाइस हलाक हो जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 10:24 | जिस चीज़ से बेदीन दहशत खाता है वही उस पर आएगी, लेकिन रास्तबाज़ की आरज़ू पूरी हो जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 10:25 | जब तूफ़ान आते हैं तो बेदीन का नामो-निशान मिट जाता जबकि रास्तबाज़ हमेशा तक क़ायम रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:26 | जिस तरह दाँत सिरके से और आँखें धुएँ से तंग आ जाती हैं उसी तरह वह तंग आ जाता है जो सुस्त आदमी से काम करवाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:27 | जो रब का ख़ौफ़ माने उस की ज़िंदगी के दिनों में इज़ाफ़ा होता है जबकि बेदीन की ज़िंदगी वक़्त से पहले ही ख़त्म हो जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 10:28 | रास्तबाज़ आख़िरकार ख़ुशी मनाएँगे, क्योंकि उनकी उम्मीद बर आएगी। लेकिन बेदीनों की उम्मीद जाती रहेगी। | |
Chapter 11
Prov | UrduGeoD | 11:2 | जहाँ तकब्बुर है वहाँ बदनामी भी क़रीब ही रहती है, लेकिन जो हलीम है उसके दामन में हिकमत रहती है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:3 | सीधी राह पर चलनेवालों की दियानतदारी उनकी राहनुमाई करती जबकि बेवफ़ाओं की नमकहरामी उन्हें तबाह करती है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:5 | बेइलज़ाम की रास्तबाज़ी उसका रास्ता हमवार बना देती है जबकि बेदीन की बुरी हरकतें उसे गिरा देती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 11:6 | सीधी राह पर चलनेवालों की रास्तबाज़ी उन्हें छुड़ा देती जबकि बेवफ़ाओं का लालच उन्हें फँसा देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:7 | दम तोड़ते वक़्त बेदीन की सारी उम्मीद जाती रहती है, जिस दौलत की तवक़्क़ो उसने की वह जाती रहती है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:9 | काफ़िर अपने मुँह से अपने पड़ोसी को तबाह करता है, लेकिन रास्तबाज़ों का इल्म उन्हें छुड़ाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:10 | जब रास्तबाज़ कामयाब हों तो पूरा शहर जशन मनाता है, जब बेदीन हलाक हों तो ख़ुशी के नारे बुलंद हो जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 11:11 | सीधी राह पर चलनेवालों की बरकत से शहर तरक़्क़ी करता है, लेकिन बेदीन के मुँह से वह मिसमार हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:13 | तोहमत लगानेवाला दूसरों के राज़ फ़ाश करता है, लेकिन क़ाबिले-एतमाद शख़्स वह भेद पोशीदा रखता है जो उसके सुपुर्द किया गया हो। | |
Prov | UrduGeoD | 11:14 | जहाँ क़ियादत की कमी है वहाँ क़ौम का तनज़्ज़ुल यक़ीनी है, जहाँ मुशीरों की कसरत है वहाँ क़ौम फ़तहयाब रहेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 11:15 | जो अजनबी का ज़ामिन हो जाए उसे यक़ीनन नुक़सान पहुँचेगा, जो ज़ामिन बनने से इनकार करे वह महफ़ूज़ रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 11:17 | शफ़ीक़ का अच्छा सुलूक उसी के लिए फ़ायदामंद है जबकि ज़ालिम का बुरा सुलूक उसी के लिए नुक़सानदेह है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:18 | जो कुछ बेदीन कमाता है वह फ़रेबदेह है, लेकिन जो रास्ती का बीज बोए उसका अज्र यक़ीनी है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:22 | जिस तरह सुअर की थूथनी में सोने का छल्ला खटकता है उसी तरह ख़ूबसूरत औरत की बेतमीज़ी खटकती है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:23 | अल्लाह रास्तबाज़ों की आरज़ू अच्छी चीज़ों से पूरी करता है, लेकिन उसका ग़ज़ब बेदीनों की उम्मीद पर नाज़िल होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:24 | एक आदमी की दौलत में इज़ाफ़ा होता है, गो वह फ़ैयाज़दिली से तक़सीम करता है। दूसरे की ग़ुरबत में इज़ाफ़ा होता है, गो वह हद से ज़्यादा कंजूस है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:26 | लोग गंदुम के ज़खीराअंदोज़ पर लानत भेजते हैं, लेकिन जो गंदुम को बाज़ार में आने देता है उसके सर पर बरकत आती है। | |
Prov | UrduGeoD | 11:27 | जो भलाई की तलाश में रहे वह अल्लाह की मंज़ूरी चाहता है, लेकिन जो बुराई की तलाश में रहे वह ख़ुद बुराई के फंदे में फँस जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 11:28 | जो अपनी दौलत पर भरोसा रखे वह गिर जाएगा, लेकिन रास्तबाज़ हरे-भरे पत्तों की तरह फलें-फूलेंगे। | |
Prov | UrduGeoD | 11:29 | जो अपने घर में गड़बड़ पैदा करे वह मीरास में हवा ही पाएगा। अहमक़ दानिशमंद का नौकर बनेगा। | |
Chapter 12
Prov | UrduGeoD | 12:1 | जिसे इल्मो-इरफ़ान प्यारा है उसे तरबियत भी प्यारी है, जिसे नसीहत से नफ़रत है वह बेअक़्ल है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:3 | इनसान बेदीनी की बुनियाद पर क़ायम नहीं रह सकता जबकि रास्तबाज़ की जड़ें उखाड़ी नहीं जा सकतीं। | |
Prov | UrduGeoD | 12:4 | सुघड़ बीवी अपने शौहर का ताज है, लेकिन जो शौहर की रुसवाई का बाइस है वह उस की हड्डियों में सड़ाहट की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:6 | बेदीनों के अलफ़ाज़ लोगों को क़त्ल करने की ताक में रहते हैं जबकि सीधी राह पर चलनेवालों की बातें लोगों को छुड़ा लेती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 12:7 | बेदीनों को ख़ाक में यों मिलाया जाता है कि उनका नामो-निशान तक नहीं रहता, लेकिन रास्तबाज़ का घर क़ायम रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:8 | किसी की जितनी अक़्लो-समझ है उतना ही लोग उस की तारीफ़ करते हैं, लेकिन जिसके ज़हन में फ़ुतूर है उसे हक़ीर जाना जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:9 | निचले तबक़े का जो आदमी अपनी ज़िम्मादारियाँ अदा करता है वह उस आदमी से कहीं बेहतर है जो नख़रा बघारता है गो उसके पास रोटी भी नहीं है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:11 | जो अपनी ज़मीन की खेतीबाड़ी करे उसके पास कसरत का खाना होगा, लेकिन जो फ़ज़ूल चीज़ों के पीछे पड़ जाए वह नासमझ है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:12 | बेदीन दूसरों को जाल में फँसाने से अपना दिल बहलाता है, लेकिन रास्तबाज़ की जड़ फलदार होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:14 | इनसान अपने मुँह के फल से ख़ूब सेर हो जाता है, और जो काम उसके हाथों ने किया उसका अज्र उसे ज़रूर मिलेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 12:15 | अहमक़ की नज़र में उस की अपनी राह ठीक है, लेकिन दानिशमंद दूसरों के मशवरे पर ध्यान देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:16 | अहमक़ एकदम अपनी नाराज़ी का इज़हार करता है, लेकिन दाना अपनी बदनामी छुपाए रखता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:17 | दियानतदार गवाह खुले तौर पर सच्चाई बयान करता है जबकि झूटा गवाह धोका ही धोका पेश करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:18 | गप्पें हाँकनेवाले की बातें तलवार की तरह ज़ख़मी कर देती हैं जबकि दानिशमंद की ज़बान शफ़ा देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:19 | सच्चे होंट हमेशा तक क़ायम रहते हैं जबकि झूटी ज़बान एक ही लमहे के बाद ख़त्म हो जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:20 | बुरे मनसूबे बाँधनेवाले का दिल धोके से भरा रहता जबकि सलामती के मशवरे देनेवाले का दिल ख़ुशी से छलकता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:21 | कोई भी आफ़त रास्तबाज़ पर नहीं आएगी जबकि दुख तकलीफ़ बेदीनों का दामन कभी नहीं छोड़ेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 12:22 | रब फ़रेबदेह होंटों से घिन खाता है, लेकिन जो वफ़ादारी से ज़िंदगी गुज़ारते हैं उनसे वह ख़ुश होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:23 | समझदार अपना इल्म छुपाए रखता जबकि अहमक़ अपने दिल की हमाक़त बुलंद आवाज़ से सबको पेश करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:24 | जिसके हाथ मेहनती हैं वह हुकूमत करेगा, लेकिन जिसके हाथ ढीले हैं उसे बेगार में काम करना पड़ेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 12:25 | जिसके दिल में परेशानी है वह दबा रहता है, लेकिन कोई भी अच्छी बात उसे ख़ुशी दिलाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:26 | रास्तबाज़ अपनी चरागाह मालूम कर लेता है, लेकिन बेदीनों की राह उन्हें आवारा फिरने देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 12:27 | ढीला आदमी अपना शिकार नहीं पकड़ सकता जबकि मेहनती शख़्स कसरत का माल हासिल कर लेता है। | |
Chapter 13
Prov | UrduGeoD | 13:1 | दानिशमंद बेटा अपने बाप की तरबियत क़बूल करता है, लेकिन तानाज़न परवा ही नहीं करता अगर कोई उसे डाँटे। | |
Prov | UrduGeoD | 13:2 | इनसान अपने मुँह के अच्छे फल से ख़ूब सेर हो जाता है, लेकिन बेवफ़ा के दिल में ज़ुल्म का लालच रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:3 | जो अपनी ज़बान क़ाबू में रखे वह अपनी ज़िंदगी महफ़ूज़ रखता है, जो अपनी ज़बान को बेलगाम छोड़ दे वह तबाह हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 13:4 | काहिल आदमी लालच करता है, लेकिन उसे कुछ नहीं मिलता जबकि मेहनती शख़्स की आरज़ू पूरी हो जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:7 | कुछ लोग अमीर का रूप भरकर फिरते हैं गो ग़रीब हैं। दूसरे ग़रीब का रूप भरकर फिरते हैं गो अमीरतरीन हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 13:8 | कभी अमीर को अपनी जान छुड़ाने के लिए ऐसा तावान देना पड़ता है कि तमाम दौलत जाती रहती है, लेकिन ग़रीब की जान इस क़िस्म की धमकी से बची रहती है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:10 | मग़रूरों में हमेशा झगड़ा होता है जबकि दानिशमंद सलाह-मशवरे के मुताबिक़ ही चलते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 13:11 | जल्दबाज़ी से हासिलशुदा दौलत जल्द ही ख़त्म हो जाती है जबकि जो रफ़्ता रफ़्ता अपना माल जमा करे वह उसे बढ़ाता रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 13:12 | जो उम्मीद वक़्त पर पूरी न हो जाए वह दिल को बीमार कर देती है, लेकिन जो आरज़ू पूरी हो जाए वह ज़िंदगी का दरख़्त है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:13 | जो अच्छी हिदायत को हक़ीर जाने उसे नुक़सान पहुँचेगा, लेकिन जो हुक्म माने उसे अज्र मिलेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 13:14 | दानिशमंद की हिदायत ज़िंदगी का सरचश्मा है जो इनसान को मोहलक फंदों से बचाए रखती है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:16 | ज़हीन हर काम सोच-समझकर करता, लेकिन अहमक़ तमाम नज़रों के सामने ही अपनी हमाक़त की नुमाइश करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:18 | जो तरबियत की परवा न करे उसे ग़ुरबत और शरमिंदगी हासिल होगी, लेकिन जो दूसरे की नसीहत मान जाए उसका एहतराम किया जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 13:19 | जो आरज़ू पूरी हो जाए वह दिल को तरो-ताज़ा करती है, लेकिन अहमक़ बुराई से दरेग़ करने से घिन खाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:20 | जो दानिशमंदों के साथ चले वह ख़ुद दानिशमंद हो जाएगा, लेकिन जो अहमक़ों के साथ चले उसे नुक़सान पहुँचेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 13:22 | नेक आदमी के बेटे और पोते उस की मीरास पाएँगे, लेकिन गुनाहगार की दौलत रास्तबाज़ के लिए महफ़ूज़ रखी जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 13:23 | ग़रीब का खेत कसरत की फ़सलें मुहैया कर सकता है, लेकिन जहाँ इनसाफ़ नहीं वहाँ सब कुछ छीन लिया जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 13:24 | जो अपने बेटे को तंबीह नहीं करता वह उससे नफ़रत करता है। जो उससे मुहब्बत रखे वह वक़्त पर उस की तरबियत करता है। | |
Chapter 14
Prov | UrduGeoD | 14:1 | हिकमत बीबी अपना घर तामीर करती है, लेकिन हमाक़त बीबी अपने ही हाथों से उसे ढा देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:2 | जो सीधी राह पर चलता है वह अल्लाह का ख़ौफ़ मानता है, लेकिन जो ग़लत राह पर चलता है वह उसे हक़ीर जानता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:3 | अहमक़ की बातों से वह डंडा निकलता है जो उसे उसके तकब्बुर की सज़ा देता है, लेकिन दानिशमंद के होंट उसे महफ़ूज़ रखते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 14:4 | जहाँ बैल नहीं वहाँ चरनी ख़ाली रहती है, बैल की ताक़त ही से कसरत की फ़सलें पैदा होती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 14:6 | तानाज़न हिकमत को ढूँडता है, लेकिन बेफ़ायदा। समझदार के इल्म में आसानी से इज़ाफ़ा होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:8 | ज़हीन की हिकमत इसमें है कि वह सोच-समझकर अपनी राह पर चले, लेकिन अहमक़ की हमाक़त सरासर धोका ही है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:9 | अहमक़ अपने क़ुसूर का मज़ाक़ उड़ाते हैं, लेकिन सीधी राह पर चलनेवाले रब को मंज़ूर हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 14:10 | हर दिल की अपनी ही तलख़ी होती है जिससे सिर्फ़ वही वाक़िफ़ है, और उस की ख़ुशी में भी कोई और शरीक नहीं हो सकता। | |
Prov | UrduGeoD | 14:13 | दिल हँसते वक़्त भी रंजीदा हो सकता है, और ख़ुशी के इख़्तिताम पर दुख ही बाक़ी रह जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:14 | जिसका दिल बेवफ़ा है वह जी भरकर अपने चाल-चलन का कड़वा फल खाएगा जबकि नेक आदमी अपने आमाल के मीठे फल से सेर हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 14:15 | सादालौह हर एक की बात मान लेता है जबकि ज़हीन आदमी अपना हर क़दम सोच-समझकर उठाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:16 | दानिशमंद डरते डरते ग़लत काम से दरेग़ करता है, लेकिन अहमक़ ख़ुदएतमाद है और एकदम मुश्तइल हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:18 | सादालौह मीरास में हमाक़त पाता है जबकि ज़हीन आदमी का सर इल्म के ताज से आरास्ता रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:19 | शरीरों को नेकों के सामने झुकना पड़ेगा, और बेदीनों को रास्तबाज़ के दरवाज़े पर औंधे मुँह होना पड़ेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 14:21 | जो अपने पड़ोसी को हक़ीर जाने वह गुनाह करता है। मुबारक है वह जो ज़रूरतमंद पर तरस खाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:22 | बुरे मनसूबे बाँधनेवाले सब आवारा फिरते हैं। लेकिन अच्छे मनसूबे बाँधनेवाले शफ़क़त और वफ़ा पाएँगे। | |
Prov | UrduGeoD | 14:23 | मेहनत-मशक़्क़त करने में हमेशा फ़ायदा होता है, जबकि ख़ाली बातें करने से लोग ग़रीब हो जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 14:26 | जो रब का ख़ौफ़ माने उसके पास महफ़ूज़ क़िला है जिसमें उस की औलाद भी पनाह ले सकती है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:28 | जितनी आबादी मुल्क में है उतनी ही बादशाह की शानो-शौकत है। रिआया की कमी हुक्मरान के तनज़्ज़ुल का बाइस है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:29 | तहम्मुल करनेवाला बड़ी समझदारी का मालिक है, लेकिन ग़ुसीला आदमी अपनी हमाक़त का इज़हार करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:31 | जो पस्तहाल पर ज़ुल्म करे वह उसके ख़ालिक़ की तहक़ीर करता है जबकि जो ज़रूरतमंद पर तरस खाए वह अल्लाह का एहतराम करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:32 | बेदीन की बुराई उसे ख़ाक में मिला देती है, लेकिन रास्तबाज़ मरते वक़्त भी अल्लाह में पनाह लेता है। | |
Prov | UrduGeoD | 14:33 | हिकमत समझदार के दिल में आराम करती है, और वह अहमक़ों के दरमियान भी ज़ाहिर हो जाती है। | |
Chapter 15
Prov | UrduGeoD | 15:2 | दानिशमंदों की ज़बान इल्मो-इरफ़ान फैलाती है जबकि अहमक़ का मुँह हमाक़त का ज़ोर से उबलनेवाला चश्मा है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:6 | रास्तबाज़ के घर में बड़ा ख़ज़ाना होता है, लेकिन जो कुछ बेदीन हासिल करता है वह तबाही का बाइस है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:7 | दानिशमंदों के होंट इल्मो-इरफ़ान का बीज बिखेर देते हैं, लेकिन अहमक़ों का दिल ऐसा नहीं करता। | |
Prov | UrduGeoD | 15:8 | रब बेदीनों की क़ुरबानी से घिन खाता, लेकिन सीधी राह पर चलनेवालों की दुआ से ख़ुश होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:10 | जो सहीह राह को तर्क करे उस की सख़्त तादीब की जाएगी, जो नसीहत से नफ़रत करे वह मर जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 15:11 | पाताल और आलमे-अरवाह रब को साफ़ नज़र आते हैं। तो फिर इनसानों के दिल उसे क्यों न साफ़ दिखाई दें? | |
Prov | UrduGeoD | 15:13 | जिसका दिल ख़ुश है उसका चेहरा खुला रहता है, लेकिन जिसका दिल परेशान है उस की रूह शिकस्ता रहती है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:14 | समझदार का दिल इल्मो-इरफ़ान की तलाश में रहता, लेकिन अहमक़ हमाक़त की चरागाह में चरता रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:15 | मुसीबतज़दा के तमाम दिन बुरे हैं, लेकिन जिसका दिल ख़ुश है वह रोज़ाना जशन मनाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:16 | जो ग़रीब रब का ख़ौफ़ मानता है उसका हाल उस करोड़पति से कहीं बेहतर है जो बड़ी बेचैनी से ज़िंदगी गुज़ारता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:17 | जहाँ मुहब्बत है वहाँ सब्ज़ी का सालन बहुत है, जहाँ नफ़रत है वहाँ मोटे-ताज़े बछड़े की ज़ियाफ़त भी बेफ़ायदा है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:18 | ग़ुसीला आदमी झगड़े छेड़ता रहता जबकि तहम्मुल करनेवाला लोगों के ग़ुस्से को ठंडा कर देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:19 | काहिल का रास्ता काँटेदार बाड़ की मानिंद है, लेकिन दियानतदारों की राह पक्की सड़क ही है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:20 | दानिशमंद बेटा अपने बाप के लिए ख़ुशी का बाइस है, लेकिन अहमक़ अपनी माँ को हक़ीर जानता है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:22 | जहाँ सलाह-मशवरा नहीं होता वहाँ मनसूबे नाकाम रह जाते हैं, जहाँ बहुत-से मुशीर होते हैं वहाँ कामयाबी होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:23 | इनसान मौज़ूँ जवाब देने से ख़ुश हो जाता है, वक़्त पर मुनासिब बात कितनी अच्छी होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:24 | ज़िंदगी की राह चढ़ती रहती है ताकि समझदार उस पर चलते हुए पाताल में उतरने से बच जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 15:27 | जो नाजायज़ नफ़ा कमाए वह अपने घर पर आफ़त लाता है, लेकिन जो रिश्वत से नफ़रत रखे वह जीता रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 15:28 | रास्तबाज़ का दिल सोच-समझकर जवाब देता है, लेकिन बेदीन का मुँह ज़ोर से उबलनेवाला चश्मा है जिससे बुरी बातें निकलती रहती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 15:30 | चमकती आँखें दिल को ख़ुशी दिलाती हैं, अच्छी ख़बर पूरे जिस्म को तरो-ताज़ा कर देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 15:32 | जो तरबियत की परवा न करे वह अपने आपको हक़ीर जानता है, लेकिन जो नसीहत पर ध्यान दे उस की समझ में इज़ाफ़ा होता है। | |
Chapter 16
Prov | UrduGeoD | 16:2 | इनसान की नज़र में उस की तमाम राहें पाक-साफ़ हैं, लेकिन रब ही रूहों की जाँच-पड़ताल करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:4 | रब ने सब कुछ अपने ही मक़ासिद पूरे करने के लिए बनाया है। वह दिन भी पहले से मुक़र्रर है जब बेदीन पर आफ़त आएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 16:6 | शफ़क़त और वफ़ादारी गुनाह का कफ़्फ़ारा देती हैं। रब का ख़ौफ़ मानने से इनसान बुराई से दूर रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:7 | अगर रब किसी इनसान की राहों से ख़ुश हो तो वह उसके दुश्मनों को भी उससे सुलह कराने देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:9 | इनसान अपने दिल में मनसूबे बाँधता रहता है, लेकिन रब ही मुक़र्रर करता है कि वह आख़िरकार किस राह पर चल पड़े। | |
Prov | UrduGeoD | 16:10 | बादशाह के होंट गोया इलाही फ़ैसले पेश करते हैं, उसका मुँह अदालत करते वक़्त बेवफ़ा नहीं होता। | |
Prov | UrduGeoD | 16:12 | बादशाह बेदीनी से घिन खाता है, क्योंकि उसका तख़्त रास्तबाज़ी की बुनियाद पर मज़बूत रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:14 | बादशाह का ग़ुस्सा मौत का पेशख़ैमा है, लेकिन दानिशमंद उसे ठंडा करने के तरीक़े जानता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:15 | जब बादशाह का चेहरा खिल उठे तो मतलब ज़िंदगी है। उस की मंज़ूरी मौसमे-बहार के तरो-ताज़ा करनेवाले बादल की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:17 | दियानतदार की मज़बूत राह बुरे काम से दूर रहती है, जो अपनी राह की पहरादारी करे वह अपनी जान बचाए रखता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:19 | फ़रोतनी से ज़रूरतमंदों के दरमियान बसना घमंडियों के लूटे हुए माल में शरीक होने से कहीं बेहतर है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:21 | जो दिल से दानिशमंद है उसे समझदार क़रार दिया जाता है, और मीठे अलफ़ाज़ तालीम में इज़ाफ़ा करते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 16:22 | फ़हम अपने मालिक के लिए ज़िंदगी का सरचश्मा है, लेकिन अहमक़ की अपनी ही हमाक़त उसे सज़ा देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:23 | दानिशमंद का दिल समझ की बातें ज़बान पर लाता और तालीम देने में होंटों का सहारा बनता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:24 | मेहरबान अलफ़ाज़ ख़ालिस शहद हैं, वह जान के लिए शीरीं और पूरे जिस्म को तरो-ताज़ा कर देते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 16:28 | कजरौ आदमी झगड़े छेड़ता रहता, और तोहमत लगानेवाला दिली दोस्तों में भी रख़ना डालता है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:30 | जो आँख मारे वह ग़लत मनसूबे बाँध रहा है, जो अपने होंट चबाए वह ग़लत काम करने पर तुला हुआ है। | |
Prov | UrduGeoD | 16:32 | तहम्मुल करनेवाला सूरमे से सबक़त लेता है, जो अपने आपको क़ाबू में रखे वह शहर को शिकस्त देनेवाले से बरतर है। | |
Chapter 17
Prov | UrduGeoD | 17:1 | जिस घर में रोटी का बासी टुकड़ा सुकून के साथ खाया जाए वह उस घर से कहीं बेहतर है जिसमें लड़ाई-झगड़ा है, ख़ाह उसमें कितनी शानदार ज़ियाफ़त क्यों न हो रही हो। | |
Prov | UrduGeoD | 17:2 | समझदार मुलाज़िम मालिक के उस बेटे पर क़ाबू पाएगा जो शर्म का बाइस है, और जब भाइयों में मौरूसी मिलकियत तक़सीम की जाए तो उसे भी हिस्सा मिलेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 17:3 | सोना-चाँदी कुठाली में पिघलाकर पाक-साफ़ की जाती है, लेकिन रब ही दिल की जाँच-पड़ताल करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:5 | जो ग़रीब का मज़ाक़ उड़ाए वह उसके ख़ालिक़ की तहक़ीर करता है, जो दूसरे की मुसीबत देखकर ख़ुश हो जाए वह सज़ा से नहीं बचेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 17:7 | अहमक़ के लिए बड़ी बड़ी बातें करना मौज़ूँ नहीं, लेकिन शरीफ़ होंटों पर फ़रेब कहीं ज़्यादा ग़ैरमुनासिब है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:8 | रिश्वत देनेवाले की नज़र में रिश्वत जादू की मानिंद है। जिस दरवाज़े पर भी खटखटाए वह खुल जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:9 | जो दूसरे की ग़लती को दरगुज़र करे वह मुहब्बत को फ़रोग़ देता है, लेकिन जो माज़ी की ग़लतियाँ दोहराता रहे वह क़रीबी दोस्तों में निफ़ाक़ पैदा करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:10 | अगर समझदार को डाँटा जाए तो वह ख़ूब सीख लेता है, लेकिन अगर अहमक़ को सौ बार मारा जाए तो भी वह इतना नहीं सीखता। | |
Prov | UrduGeoD | 17:12 | जो अहमक़ अपनी हमाक़त में उलझा हुआ हो उससे दरेग़ कर, क्योंकि उससे मिलने से बेहतर यह है कि तेरा उस रीछनी से वास्ता पड़े जिसके बच्चे उससे छीन लिए गए हों। | |
Prov | UrduGeoD | 17:14 | लड़ाई-झगड़ा छेड़ना बंद में रख़ना डालने के बराबर है। इससे पहले कि मुक़दमाबाज़ी शुरू हो उससे बाज़ आ। | |
Prov | UrduGeoD | 17:16 | अहमक़ के हाथ में पैसों का क्या फ़ायदा है? क्या वह हिकमत ख़रीद सकता है जबकि उसमें अक़्ल नहीं? हरगिज़ नहीं! | |
Prov | UrduGeoD | 17:17 | पड़ोसी वह है जो हर वक़्त मुहब्बत रखता है, भाई वह है जो मुसीबत में सहारा देने के लिए पैदा हुआ है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:19 | जो लड़ाई-झगड़े से मुहब्बत रखे वह गुनाह से मुहब्बत रखता है, जो अपना दरवाज़ा हद से ज़्यादा बड़ा बनाए वह तबाही को दाख़िल होने की दावत देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:20 | जिसका दिल टेढ़ा है वह ख़ुशहाली नहीं पाएगा, और जिसकी ज़बान चालाक है वह मुसीबत में उलझ जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 17:21 | जिसके हाँ अहमक़ बेटा पैदा हो जाए उसे दुख पहुँचता है, और अक़्ल से ख़ाली बेटा बाप के लिए ख़ुशी का बाइस नहीं होता। | |
Prov | UrduGeoD | 17:22 | ख़ुशबाश दिल पूरे जिस्म को शफ़ा देता है, लेकिन शिकस्ता रूह हड्डियों को ख़ुश्क कर देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:24 | समझदार अपनी नज़र के सामने हिकमत रखता है, लेकिन अहमक़ की नज़रें दुनिया की इंतहा तक आवारा फिरती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 17:26 | बेक़ुसूर पर जुरमाना लगाना ग़लत है, और शरीफ़ को उस की दियानतदारी के सबब से कोड़े लगाना बुरा है। | |
Prov | UrduGeoD | 17:27 | जो अपनी ज़बान को क़ाबू में रखे वह इल्मो-इरफ़ान का मालिक है, जो ठंडे दिल से बात करे वह समझदार है। | |
Chapter 18
Prov | UrduGeoD | 18:1 | जो दूसरों से अलग हो जाए वह अपने ज़ाती मक़ासिद पूरे करना चाहता और समझ की हर बात पर झगड़ने लगता है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:2 | अहमक़ समझ से लुत्फ़अंदोज़ नहीं होता बल्कि सिर्फ़ अपने दिल की बातें दूसरों पर ज़ाहिर करने से। | |
Prov | UrduGeoD | 18:3 | जहाँ बेदीन आए वहाँ हिक़ारत भी आ मौजूद होती, और जहाँ रुसवाई हो वहाँ तानाज़नी भी होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:6 | अहमक़ के होंट लड़ाई-झगड़ा पैदा करते हैं, उसका मुँह ज़ोर से पिटाई का मुतालबा करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:7 | अहमक़ का मुँह उस की तबाही का बाइस है, उसके होंट ऐसा फंदा हैं जिसमें उस की अपनी जान उलझ जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:8 | तोहमत लगानेवाले की बातें लज़ीज़ खाने के लुक़मों की मानिंद हैं, वह दिल की तह तक उतर जाती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 18:11 | अमीर समझता है कि मेरी दौलत मेरा क़िलाबंद शहर और मेरी ऊँची चारदीवारी है जिसमें मैं महफ़ूज़ हूँ। | |
Prov | UrduGeoD | 18:12 | तबाह होने से पहले इनसान का दिल मग़रूर हो जाता है, इज़्ज़त मिलने से पहले लाज़िम है कि वह फ़रोतन हो जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 18:13 | दूसरे की बात सुनने से पहले जवाब देना हमाक़त है। जो ऐसा करे उस की रुसवाई हो जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 18:14 | बीमार होते वक़्त इनसान की रूह जिस्म की परवरिश करती है, लेकिन अगर रूह शिकस्ता हो तो फिर कौन उसको सहारा देगा? | |
Prov | UrduGeoD | 18:17 | जो अदालत में पहले अपना मौक़िफ़ पेश करे वह उस वक़्त तक हक़-बजानिब लगता है जब तक दूसरा फ़रीक़ सामने आकर उस की हर बात की तहक़ीक़ न करे। | |
Prov | UrduGeoD | 18:18 | क़ुरा डालने से झगड़े ख़त्म हो जाते और बड़ों का एक दूसरे से लड़ने का ख़तरा दूर हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:19 | जिस भाई को एक दफ़ा मायूस कर दिया जाए उसे दुबारा जीत लेना क़िलाबंद शहर पर फ़तह पाने से ज़्यादा दुश्वार है। झगड़े हल करना बुर्ज के कुंडे तोड़ने की तरह मुश्किल है। | |
Prov | UrduGeoD | 18:20 | इनसान अपने मुँह के फल से सेर हो जाएगा, वह अपने होंटों की पैदावार को जी भरकर खाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 18:23 | ग़रीब मिन्नत करते करते अपना मामला पेश करता है, लेकिन अमीर का जवाब सख़्त होता है। | |
Chapter 19
Prov | UrduGeoD | 19:1 | जो ग़रीब बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारे वह टेढ़ी बातें करनेवाले अहमक़ से कहीं बेहतर है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:2 | अगर इल्म साथ न हो तो सरगरमी का कोई फ़ायदा नहीं। जल्दबाज़ ग़लत राह पर आता रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:4 | दौलतमंद के दोस्तों में इज़ाफ़ा होता है, लेकिन ग़रीब का एक दोस्त भी उससे अलग हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:6 | मुतअद्दिद लोग बड़े आदमी की ख़ुशामद करते हैं, और हर एक उस आदमी का दोस्त है जो तोह्फ़े देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:7 | ग़रीब के तमाम भाई उससे नफ़रत करते हैं, तो फिर उसके दोस्त उससे क्यों दूर न रहें। वह बातें करते करते उनका पीछा करता है, लेकिन वह ग़ायब हो जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 19:8 | जो हिकमत अपना ले वह अपनी जान से मुहब्बत रखता है, जो समझ की परवरिश करे उसे कामयाबी होगी। | |
Prov | UrduGeoD | 19:10 | अहमक़ के लिए ऐशो-इशरत से ज़िंदगी गुज़ारना मौज़ूँ नहीं, लेकिन ग़ुलाम की हुक्मरानों पर हुकूमत कहीं ज़्यादा ग़ैरमुनासिब है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:11 | इनसान की हिकमत उसे तहम्मुल सिखाती है, और दूसरों के जरायम से दरगुज़र करना उसका फ़ख़र है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:12 | बादशाह का तैश जवान शेरबबर की दहाड़ों की मानिंद है जबकि उस की मंज़ूरी घास पर शबनम की तरह तरो-ताज़ा करती है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:14 | मौरूसी घर और मिलकियत बापदादा की तरफ़ से मिलती है, लेकिन समझदार बीवी रब की तरफ़ से है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:16 | जो वफ़ादारी से हुक्म पर अमल करे वह अपनी जान महफ़ूज़ रखता है, लेकिन जो अपनी राहों की परवा न करे वह मर जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 19:18 | जब तक उम्मीद की किरण बाक़ी हो अपने बेटे की तादीब कर, लेकिन इतने जोश में न आ कि वह मर जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 19:19 | जो हद से ज़्यादा तैश में आए उसे जुरमाना देना पड़ेगा। उसे बचाने की कोशिश मत कर वरना उसका तैश और बढ़ेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 19:21 | इनसान दिल में मुतअद्दिद मनसूबे बाँधता रहता है, लेकिन रब का इरादा हमेशा पूरा हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:23 | रब का ख़ौफ़ ज़िंदगी का मंबा है। ख़ुदातरस आदमी सेर होकर सुकून से सो जाता और मुसीबत से महफ़ूज़ रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:25 | तानाज़न को मार तो सादालौह सबक़ सीखेगा, समझदार को डाँट तो उसके इल्म में इज़ाफ़ा होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 19:26 | जो अपने बाप पर ज़ुल्म करे और अपनी माँ को निकाल दे वह वालिदैन के लिए शर्म और रुसवाई का बाइस है। | |
Prov | UrduGeoD | 19:27 | मेरे बेटे, तरबियत पर ध्यान देने से बाज़ न आ, वरना तू इल्मो-इरफ़ान की राह से भटक जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 19:28 | शरीर गवाह इनसाफ़ का मज़ाक़ उड़ाता है, और बेदीन का मुँह आफ़त की ख़बरें फैलाता है। | |
Chapter 20
Prov | UrduGeoD | 20:1 | मै तानाज़न का बाप और शराब शोर-शराबा की माँ है। जो यह पी पीकर डगमगाने लगे वह दानिशमंद नहीं। | |
Prov | UrduGeoD | 20:2 | बादशाह का क़हर जवान शेरबबर की दहाड़ों की मानिंद है, जो उसे तैश दिलाए वह अपनी जान पर खेलता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:3 | लड़ाई-झगड़े से बाज़ रहना इज़्ज़त का तुर्राए-इम्तियाज़ है जबकि हर अहमक़ झगड़ने के लिए तैयार रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:4 | काहिल वक़्त पर हल नहीं चलाता, चुनाँचे जब वह फ़सल पकते वक़्त अपने खेत पर निगाह करे तो कुछ नज़र नहीं आएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 20:5 | इनसान के दिल का मनसूबा गहरे पानी की मानिंद है, लेकिन समझदार आदमी उसे निकालकर अमल में लाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:6 | बहुत-से लोग अपनी वफ़ादारी पर फ़ख़र करते हैं, लेकिन क़ाबिले-एतमाद शख़्स कहाँ पाया जाता है? | |
Prov | UrduGeoD | 20:8 | जब बादशाह तख़्ते-अदालत पर बैठ जाए तो वह अपनी आँखों से सब कुछ छानकर हर ग़लत बात एक तरफ़ कर लेता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:9 | कौन कह सकता है, “मैंने अपने दिल को पाक-साफ़ कर रखा है, मैं अपने गुनाह से पाक हो गया हूँ”? | |
Prov | UrduGeoD | 20:11 | लड़के का किरदार उसके सुलूक से मालूम होता है। इससे पता चलता है कि उसका चाल-चलन पाक और रास्त है या नहीं। | |
Prov | UrduGeoD | 20:13 | नींद को प्यार न कर वरना ग़रीब हो जाएगा। अपनी आँखों को खुला रख तो जी भरकर खाना खाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 20:14 | गाहक दुकानदार से कहता है, “यह कैसी नाक़िस चीज़ है!” लेकिन फिर जाकर दूसरों के सामने अपने सौदे पर शेख़ी मारता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:15 | सोना और कसरत के मोती पाए जा सकते हैं, लेकिन समझदार होंट उनसे कहीं ज़्यादा क़ीमती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 20:16 | ज़मानत का वह लिबास वापस न कर जो किसी ने परदेसी का ज़ामिन बनकर दिया है। अगर वह अजनबी का ज़ामिन हो तो उस ज़मानत पर ज़रूर क़ब्ज़ा कर जो उसने दी थी। | |
Prov | UrduGeoD | 20:17 | धोके से हासिल की हुई रोटी आदमी को मीठी लगती है, लेकिन उसका अंजाम कंकरों से भरा मुँह है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:18 | मनसूबे सलाह-मशवरे से मज़बूत हो जाते हैं, और जंग करने से पहले दूसरों की हिदायात पर ध्यान दे। | |
Prov | UrduGeoD | 20:19 | अगर तू बुहतान लगानेवाले को हमराज़ बनाए तो वह इधर उधर फिरकर बात फैलाएगा। चुनाँचे बातूनी से गुरेज़ कर। | |
Prov | UrduGeoD | 20:22 | मत कहना, “मैं ग़लत काम का इंतक़ाम लूँगा।” रब के इंतज़ार में रह तो वही तेरी मदद करेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 20:25 | इनसान अपने लिए फंदा तैयार करता है जब वह जल्दबाज़ी से मन्नत मानता और बाद में ही मन्नत के नतायज पर ग़ौर करने लगता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:26 | दानिशमंद बादशाह बेदीनों को छान छानकर उड़ा लेता है, हाँ वह गाहने का आला ही उन पर से गुज़रने देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:27 | आदमज़ाद की रूह रब का चराग़ है जो इनसान के बातिन की तह तक सब कुछ की तहक़ीक़ करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 20:28 | शफ़क़त और वफ़ा बादशाह को महफ़ूज़ रखती हैं, शफ़क़त से वह अपना तख़्त मुस्तहकम कर लेता है। | |
Chapter 21
Prov | UrduGeoD | 21:1 | बादशाह का दिल रब के हाथ में नहर की मानिंद है। वह जिधर चाहे उसका रुख़ फेर देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:2 | हर आदमी की राह उस की अपनी नज़र में ठीक लगती है, लेकिन रब ही दिलों की जाँच-पड़ताल करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:5 | मेहनती शख़्स के मनसूबे नफ़ा का बाइस हैं, लेकिन जल्दबाज़ी ग़ुरबत तक पहुँचा देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:7 | बेदीनों का ज़ुल्म ही उन्हें घसीटकर ले जाता है, क्योंकि वह इनसाफ़ करने से इनकार करते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 21:9 | झगड़ालू बीवी के साथ एक ही घर में रहने की निसबत छत के किसी कोने में गुज़ारा करना बेहतर है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:10 | बेदीन ग़लत काम करने के लालच में रहता है और अपने किसी भी पड़ोसी पर तरस नहीं खाता। | |
Prov | UrduGeoD | 21:11 | तानाज़न पर जुरमाना लगा तो सादालौह सबक़ सीखेगा, दानिशमंद को तालीम दे तो उसके इल्म में इज़ाफ़ा होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 21:12 | अल्लाह जो रास्त है बेदीन के घर को ध्यान में रखता है, वही बेदीन को ख़ाक में मिला देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:13 | जो कान में उँगली डालकर ग़रीब की मदद के लिए चीख़ें नहीं सुनता वह भी एक दिन चीख़ें मारेगा, और उस की भी सुनी नहीं जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 21:14 | पोशीदगी में सिला देने से दूसरे का ग़ुस्सा ठंडा हो जाता, किसी की जेब गरम करने से उसका सख़्त तैश दूर हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:17 | जो ऐशो-इशरत की ज़िंदगी पसंद करे वह ग़रीब हो जाएगा, जिसे मै और तेल प्यारा हो वह अमीर नहीं हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 21:18 | जब रास्तबाज़ का फ़िद्या देना है तो बेदीन को दिया जाएगा, और दियानतदार की जगह बेवफ़ा को दिया जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 21:19 | झगड़ालू और तंग करनेवाली बीवी के साथ बसने की निसबत रेगिस्तान में गुज़ारा करना बेहतर है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:20 | दानिशमंद के घर में उम्दा ख़ज़ाना और तेल होता है, लेकिन अहमक़ अपना सारा माल हड़प कर लेता है। | |
Prov | UrduGeoD | 21:22 | दानिशमंद आदमी ताक़तवर फ़ौजियों के शहर पर हमला करके वह क़िलाबंदी ढा देता है जिस पर उनका पूरा एतमाद था। | |
Prov | UrduGeoD | 21:25 | काहिल का लालच उसे मौत के घाट उतार देता है, क्योंकि उसके हाथ काम करने से इनकार करते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 21:28 | झूटा गवाह तबाह हो जाएगा, लेकिन जो दूसरे की ध्यान से सुने उस की बात हमेशा तक क़ायम रहेगी। | |
Prov | UrduGeoD | 21:29 | बेदीन आदमी गुस्ताख़ अंदाज़ से पेश आता है, लेकिन सीधी राह पर चलनेवाला सोच-समझकर अपनी राह पर चलता है। | |
Chapter 22
Prov | UrduGeoD | 22:3 | ज़हीन आदमी ख़तरा पहले से भाँपकर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़कर उस की लपेट में आ जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:5 | बेदीन की राह में काँटे और फंदे होते हैं। जो अपनी जान महफ़ूज़ रखना चाहे वह उनसे दूर रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:8 | जो नाइनसाफ़ी का बीज बोए वह आफ़त की फ़सल काटेगा, तब उस की ज़्यादती की लाठी टूट जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 22:10 | तानाज़न को भगा दे तो लड़ाई-झगड़ा घर से निकल जाएगा, तू तू मैं मैं और एक दूसरे की बेइज़्ज़ती करने का सिलसिला ख़त्म हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 22:11 | जो दिल की पाकीज़गी को प्यार करे और मेहरबान ज़बान का मालिक हो वह बादशाह का दोस्त बनेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 22:12 | रब की आँखें इल्मो-इरफ़ान की देख-भाल करती हैं, लेकिन वह बेवफ़ा की बातों को तबाह होने देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:16 | एक पस्तहाल पर ज़ुल्म करता है ताकि दौलत पाए, दूसरा अमीर को तोह्फ़े देता है लेकिन ग़रीब हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:18 | क्योंकि अच्छा है कि तू उन्हें अपने दिल में महफ़ूज़ रखे, वह सब तेरे होंटों पर मुस्तैद रहें। | |
Prov | UrduGeoD | 22:20 | मैंने तेरे लिए 30 कहावतें क़लमबंद की हैं, ऐसी बातें जो मशवरों और इल्म से भरी हुई हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 22:21 | क्योंकि मैं तुझे सच्चाई की क़ाबिले-एतमाद बातें सिखाना चाहता हूँ ताकि तू उन्हें क़ाबिले-एतमाद जवाब दे सके जिन्होंने तुझे भेजा है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:24 | ग़ुसीले शख़्स का दोस्त न बन, न उससे ज़्यादा ताल्लुक़ रख जो जल्दी से आग-बगूला हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 22:27 | क़र्ज़दार के पैसे वापस न करने पर अगर तू भी पैसे अदा न कर सके तो तेरी चारपाई भी तेरे नीचे से छीन ली जाएगी। | |
Chapter 23
Prov | UrduGeoD | 23:1 | अगर तू किसी हुक्मरान के खाने में शरीक हो जाए तो ख़ूब ध्यान दे कि तू किसके हुज़ूर है। | |
Prov | UrduGeoD | 23:5 | एक नज़र दौलत पर डाल तो वह ओझल हो जाती है, और पर लगाकर उक़ाब की तरह आसमान की तरफ़ उड़ जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 23:7 | क्योंकि यह गले में बाल की तरह होगा। वह तुझसे कहेगा, “खाओ, पियो!” लेकिन उसका दिल तेरे साथ नहीं है। | |
Prov | UrduGeoD | 23:8 | जो लुक़मा तूने खा लिया उससे तुझे क़ै आएगी, और तेरी उससे दोस्ताना बातें ज़ाया हो जाएँगी। | |
Prov | UrduGeoD | 23:10 | ज़मीन की जो हुदूद क़दीम ज़माने में मुक़र्रर हुईं उन्हें आगे पीछे मत करना, और यतीमों के खेतों पर क़ब्ज़ा न कर। | |
Prov | UrduGeoD | 23:17 | तेरा दिल गुनाहगारों को देखकर कुढ़ता न रहे बल्कि पूरे दिन रब का ख़ौफ़ रखने में सरगरम रहे। | |
Prov | UrduGeoD | 23:22 | अपने बाप की सुन जिसने तुझे पैदा किया, और अपनी माँ को हक़ीर न जान जब बूढ़ी हो जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 23:24 | रास्तबाज़ का बाप बड़ी ख़ुशी मनाता है, और दानिशमंद बेटे का वालिद उससे लुत्फ़अंदोज़ होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 23:25 | चुनाँचे अपने माँ-बाप के लिए ख़ुशी का बाइस हो, ऐसी ज़िंदगी गुज़ार कि तेरी माँ जशन मना सके। | |
Prov | UrduGeoD | 23:29 | कौन आहें भरता है? कौन हाय हाय करता और लड़ाई-झगड़े में मुलव्वस रहता है? किस को बिलावजह चोटें लगती, किसकी आँखें धुँधली-सी रहती हैं? | |
Prov | UrduGeoD | 23:31 | मै को तकता न रह, ख़ाह उसका सुर्ख़ रंग कितनी ख़ूबसूरती से प्याले में क्यों न चमके, ख़ाह उसे बड़े मज़े से क्यों न पिया जाए। | |
Prov | UrduGeoD | 23:34 | तू समुंदर के बीच में लेटनेवाले की मानिंद होगा, उस जैसा जो मस्तूल पर चढ़कर लेट गया हो। | |
Chapter 24
Prov | UrduGeoD | 24:2 | क्योंकि उनका दिल ज़ुल्म करने पर तुला रहता है, उनके होंट दूसरों को दुख पहुँचाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 24:6 | क्योंकि जंग करने के लिए हिदायत और फ़तह पाने के लिए मुतअद्दिद मुशीरों की ज़रूरत होती है। | |
Prov | UrduGeoD | 24:7 | हिकमत इतनी बुलंदो-बाला है कि अहमक़ उसे पा नहीं सकता। जब बुज़ुर्ग शहर के दरवाज़े में फ़ैसला करने के लिए जमा होते हैं तो वह कुछ नहीं कह सकता। | |
Prov | UrduGeoD | 24:11 | जिन्हें मौत के हवाले किया जा रहा है उन्हें छुड़ा, जो क़साई की तरफ़ डगमगाते हुए जा रहे हैं उन्हें रोक दे। | |
Prov | UrduGeoD | 24:12 | शायद तू कहे, “हमें तो इसके बारे में इल्म नहीं था।” लेकिन यक़ीन जान, जो दिल की जाँच-पड़ताल करता है वह बात समझता है, जो तेरी जान की देख-भाल करता है उसे मालूम है। वह इनसान को उसके आमाल का बदला देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 24:14 | जान ले कि हिकमत इसी तरह तेरी जान के लिए मीठी है। अगर तू उसे पाए तो तेरी उम्मीद जाती नहीं रहेगी बल्कि तेरा मुस्तक़बिल अच्छा होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 24:16 | क्योंकि गो रास्तबाज़ सात बार गिर जाए तो भी हर बार दुबारा उठ खड़ा होगा जबकि बेदीन एक बार ठोकर खाकर मुसीबत में फँसा रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 24:18 | ऐसा न हो कि रब यह देखकर तेरा रवैया पसंद न करे और अपना ग़ुस्सा दुश्मन पर उतारने से बाज़ आए। | |
Prov | UrduGeoD | 24:22 | क्योंकि अचानक ही उन पर आफ़त आएगी, किसी को पता ही नहीं चलेगा जब दोनों उन पर हमला करके उन्हें तबाह कर देंगे। | |
Prov | UrduGeoD | 24:23 | ज़ैल में दानिशमंदों की मज़ीद कहावतें क़लमबंद हैं। अदालत में जानिबदारी दिखाना बुरी बात है। | |
Prov | UrduGeoD | 24:24 | जो क़ुसूरवार से कहे, “तू बेक़ुसूर है” उस पर क़ौमें लानत भेजेंगी, उस की सरज़निश उम्मतें करेंगी। | |
Prov | UrduGeoD | 24:28 | बिलावजह अपने पड़ोसी के ख़िलाफ़ गवाही मत दे। या क्या तू अपने होंटों से धोका देना चाहता है? | |
Prov | UrduGeoD | 24:29 | मत कहना, “जिस तरह उसने मेरे साथ किया उसी तरह मैं उसके साथ करूँगा, मैं उसके हर फ़ेल का मुनासिब जवाब दूँगा।” | |
Prov | UrduGeoD | 24:31 | हर जगह काँटेदार झाड़ियाँ फैली हुई थीं, ख़ुदरौ पौदे पूरी ज़मीन पर छा गए थे। उस की चारदीवारी भी गिर गई थी। | |
Prov | UrduGeoD | 24:33 | अगर तू कहे, “मुझे थोड़ी देर सोने दे, थोड़ी देर ऊँघने दे, थोड़ी देर हाथ पर हाथ धरे बैठने दे ताकि मैं आराम कर सकूँ” | |
Chapter 25
Prov | UrduGeoD | 25:1 | ज़ैल में सुलेमान की मज़ीद कहावतें दर्ज हैं जिन्हें यहूदाह के बादशाह हिज़क़ियाह के लोगों ने जमा किया। | |
Prov | UrduGeoD | 25:2 | अल्लाह का जलाल इसमें ज़ाहिर होता है कि वह मामला पोशीदा रखता है, बादशाह का जलाल इसमें कि वह मामले की तहक़ीक़ करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:3 | जितना आसमान बुलंद और ज़मीन गहरी है उतना ही बादशाहों के दिल का खोज नहीं लगाया जा सकता। | |
Prov | UrduGeoD | 25:5 | बेदीन को बादशाह के हुज़ूर से दूर करो तो उसका तख़्त रास्ती की बुनियाद पर क़ायम रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 25:6 | बादशाह के हुज़ूर अपने आप पर फ़ख़र न कर, न इज़्ज़त की उस जगह पर खड़ा हो जा जो बुज़ुर्गों के लिए मख़सूस है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:7 | इससे पहले कि शुरफ़ा के सामने ही तेरी बेइज़्ज़ती हो जाए बेहतर है कि तू पीछे खड़ा हो जा और बाद में कोई तुझसे कहे, “यहाँ सामने आ जाएँ।” जो कुछ तेरी आँखों ने देखा उसे अदालत में पेश करने में | |
Prov | UrduGeoD | 25:8 | जल्दबाज़ी न कर, क्योंकि तू क्या करेगा अगर तेरा पड़ोसी तेरे मामले को झुटलाकर तुझे शरमिंदा करे? | |
Prov | UrduGeoD | 25:9 | अदालत में अपने पड़ोसी से लड़ते वक़्त वह बात बयान न कर जो किसी ने पोशीदगी में तेरे सुपुर्द की, | |
Prov | UrduGeoD | 25:12 | दानिशमंद की नसीहत क़बूल करनेवाले के लिए सोने की बाली और ख़ालिस सोने के गुलूबंद की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:13 | क़ाबिले-एतमाद क़ासिद भेजनेवाले के लिए फ़सल काटते वक़्त बर्फ़ की ठंडक जैसा है, इस तरह वह अपने मालिक की जान को तरो-ताज़ा कर देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:14 | जो शेख़ी मारकर तोह्फ़ों का वादा करे लेकिन कुछ न दे वह उन तूफ़ानी बादलों की मानिंद है जो बरसे बग़ैर गुज़र जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 25:15 | हुक्मरान को तहम्मुल से क़ायल किया जा सकता, और नरम ज़बान हड्डियाँ तोड़ने के क़ाबिल है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:16 | अगर शहद मिल जाए तो ज़रूरत से ज़्यादा मत खा, हद से ज़्यादा खाने से तुझे क़ै आएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 25:17 | अपने पड़ोसी के घर में बार बार जाने से अपने क़दमों को रोक, वरना वह तंग आकर तुझसे नफ़रत करने लगेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 25:18 | जो अपने पड़ोसी के ख़िलाफ़ झूटी गवाही दे वह हथौड़े, तलवार और तेज़ तीर जैसा नुक़सानदेह है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:19 | मुसीबत के वक़्त बेवफ़ा पर एतबार करना ख़राब दाँत या डगमगाते पाँवों की तरह तकलीफ़देह है। | |
Prov | UrduGeoD | 25:20 | दुखते दिल के लिए गीत गाना उतना ही ग़ैरमौज़ूँ है जितना सर्दियों के मौसम में क़मीस उतारना या सोडे पर सिरका डालना। | |
Prov | UrduGeoD | 25:22 | क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सर पर जलते हुए कोयलों का ढेर लगाएगा, और रब तुझे अज्र देगा। | |
Prov | UrduGeoD | 25:23 | जिस तरह काले बादल लानेवाली हवा बारिश पैदा करती है उसी तरह बातूनी की चुपके से की गई बातों से लोगों के मुँह बिगड़ जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 25:24 | झगड़ालू बीवी के साथ एक ही घर में रहने की निसबत छत के किसी कोने में गुज़ारा करना बेहतर है। | |
Chapter 26
Prov | UrduGeoD | 26:1 | अहमक़ की इज़्ज़त करना उतना ही ग़ैरमौज़ूँ है जितना मौसमे-गरमा में बर्फ़ या फ़सल काटते वक़्त बारिश। | |
Prov | UrduGeoD | 26:2 | बिलावजह भेजी हुई लानत फड़फड़ाती चिड़िया या उड़ती हुई अबाबील की तरह ओझल होकर बेअसर रह जाती है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:5 | जब अहमक़ अहमक़ाना बातें करे तो उसे जवाब दे, वरना वह अपनी नज़र में दानिशमंद ठहरेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 26:6 | जो अहमक़ के हाथ पैग़ाम भेजे वह उस की मानिंद है जो अपने पाँवों पर कुल्हाड़ी मारकर अपने आपसे ज़्यादती करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:9 | अहमक़ के मुँह में हिकमत की बात नशे में धुत शराबी के हाथ में काँटेदार झाड़ी की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:10 | जो अहमक़ या हर किसी गुज़रनेवाले को काम पर लगाए वह सबको ज़ख़मी करनेवाले तीरअंदाज़ की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:11 | जो अहमक़ अपनी हमाक़त दोहराए वह अपनी क़ै के पास वापस आनेवाले कुत्ते की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:12 | क्या कोई दिखाई देता है जो अपने आपको दानिशमंद समझता है? उस की निसबत अहमक़ के सुधरने की ज़्यादा उम्मीद है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:14 | जिस तरह दरवाज़ा क़ब्ज़े पर घूमता है उसी तरह काहिल अपने बिस्तर पर करवटें बदलता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:15 | जब काहिल अपना हाथ खाने के बरतन में डाल दे तो वह इतना सुस्त है कि उसे मुँह तक वापस नहीं ला सकता। | |
Prov | UrduGeoD | 26:16 | काहिल अपनी नज़र में हिकमत से जवाब देनेवाले सात आदमियों से कहीं ज़्यादा दानिशमंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:17 | जो गुज़रते वक़्त दूसरों के झगड़े में मुदाख़लत करे वह उस आदमी की मानिंद है जो कुत्ते को कानों से पकड़ ले। | |
Prov | UrduGeoD | 26:18 | जो अपने पड़ोसी को फ़रेब देकर बाद में कहे, “मैं सिर्फ़ मज़ाक़ कर रहा था” वह उस दीवाने की मानिंद है जो लोगों पर जलते हुए और मोहलक तीर बरसाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:19 | जो अपने पड़ोसी को फ़रेब देकर बाद में कहे, “मैं सिर्फ़ मज़ाक़ कर रहा था” वह उस दीवाने की मानिंद है जो लोगों पर जलते हुए और मोहलक तीर बरसाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:20 | लकड़ी के ख़त्म होने पर आग बुझ जाती है, तोहमत लगानेवाले के चले जाने पर झगड़ा बंद हो जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:21 | अंगारों में कोयले और आग में लकड़ी डाल तो आग भड़क उठेगी। झगड़ालू को कहीं भी खड़ा कर तो लोग मुश्तइल हो जाएंगे। | |
Prov | UrduGeoD | 26:22 | तोहमत लगानेवाले की बातें लज़ीज़ खाने के लुक़मों जैसी हैं, वह दिल की तह तक उतर जाती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 26:23 | जलनेवाले होंट और शरीर दिल मिट्टी के उस बरतन की मानिंद हैं जिसे चमकदार बनाया गया हो। | |
Prov | UrduGeoD | 26:24 | नफ़रत करनेवाला अपने होंटों से अपना असली रूप छुपा लेता है, लेकिन उसका दिल फ़रेब से भरा रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 26:25 | जब वह मेहरबान बातें करे तो उस पर यक़ीन न कर, क्योंकि उसके दिल में सात मकरूह बातें हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 26:26 | गो उस की नफ़रत फ़िलहाल फ़रेब से छुपी रहे, लेकिन एक दिन उसका ग़लत किरदार पूरी जमात के सामने ज़ाहिर हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 26:27 | जो दूसरों को फँसाने के लिए गढ़ा खोदे वह उसमें ख़ुद गिर जाएगा, जो पत्थर लुढ़काकर दूसरों पर फेंकना चाहे उस पर ही पत्थर वापस लुढ़क आएगा। | |
Chapter 27
Prov | UrduGeoD | 27:1 | उस पर शेख़ी न मार जो तू कल करेगा, तुझे क्या मालूम कि कल का दिन क्या कुछ फ़राहम करेगा? | |
Prov | UrduGeoD | 27:2 | तेरा अपना मुँह और अपने होंट तेरी तारीफ़ न करें बल्कि वह जो तुझसे वाक़िफ़ भी न हो। | |
Prov | UrduGeoD | 27:3 | पत्थर भारी और रेत वज़नी है, लेकिन जो अहमक़ तुझे तंग करे वह ज़्यादा नाक़ाबिले-बरदाश्त है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:4 | ग़ुस्सा ज़ालिम होता और तैश सैलाब की तरह इनसान पर आ जाता है, लेकिन कौन हसद का मुक़ाबला कर सकता है? | |
Prov | UrduGeoD | 27:6 | प्यार करनेवाले की ज़रबें वफ़ा का सबूत हैं, लेकिन नफ़रत करनेवाले के मुतअद्दिद बोसों से ख़बरदार रह। | |
Prov | UrduGeoD | 27:7 | जो सेर है वह शहद को भी पाँवों तले रौंद देता है, लेकिन भूके को कड़वी चीज़ें भी मीठी लगती हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 27:8 | जो आदमी अपने घर से निकलकर मारा मारा फिरे वह उस परिंदे की मानिंद है जो अपने घोंसले से भागकर कभी इधर कभी इधर फड़फड़ाता रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:9 | तेल और बख़ूर दिल को ख़ुश करते हैं, लेकिन दोस्त अपने अच्छे मशवरों से ख़ुशी दिलाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:10 | अपने दोस्तों को कभी न छोड़, न अपने ज़ाती दोस्तों को न अपने बाप के दोस्तों को। तब तुझे मुसीबत के दिन अपने भाई से मदद नहीं माँगनी पड़ेगी। क्योंकि क़रीब का पड़ोसी दूर के भाई से बेहतर है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:11 | मेरे बेटे, दानिशमंद बनकर मेरे दिल को ख़ुश कर ताकि मैं अपने हक़ीर जाननेवाले को जवाब दे सकूँ। | |
Prov | UrduGeoD | 27:12 | ज़हीन आदमी ख़तरा पहले से भाँपकर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़कर उस की लपेट में आ जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:13 | ज़मानत का वह लिबास वापस न कर जो किसी ने परदेसी का ज़ामिन बनकर दिया है। अगर वह अजनबी औरत का ज़ामिन हो तो उस ज़मानत पर ज़रूर क़ब्ज़ा कर जो उसने दी थी। | |
Prov | UrduGeoD | 27:14 | जो सुबह-सवेरे बुलंद आवाज़ से अपने पड़ोसी को बरकत दे उस की बरकत लानत ठहराई जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 27:18 | जो अंजीर के दरख़्त की देख-भाल करे वह उसका फल खाएगा, जो अपने मालिक की वफ़ादारी से ख़िदमत करे उसका एहतराम किया जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 27:19 | जिस तरह पानी चेहरे को मुनअकिस करता है उसी तरह इनसान का दिल इनसान को मुनअकिस करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 27:21 | सोना और चाँदी कुठाली में पिघलाकर पाक-साफ़ कर, लेकिन इनसान का किरदार इससे मालूम कर कि लोग उस की कितनी क़दर करते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 27:22 | अगर अहमक़ को अनाज की तरह ओखली और मूसल से कूटा भी जाए तो भी उस की हमाक़त दूर नहीं हो जाएगी। | |
Prov | UrduGeoD | 27:23 | एहतियात से अपनी भेड़-बकरियों की हालत पर ध्यान दे, अपने रेवड़ों पर ख़ूब तवज्जुह दे। | |
Prov | UrduGeoD | 27:24 | क्योंकि कोई भी दौलत हमेशा तक क़ायम नहीं रहती, कोई भी ताज नसल-दर-नसल बरक़रार नहीं रहता। | |
Prov | UrduGeoD | 27:25 | खुले मैदान में घास काटकर जमा कर ताकि नई घास उग सके, चारा पहाड़ों से भी इकट्ठा कर। | |
Chapter 28
Prov | UrduGeoD | 28:1 | बेदीन फ़रार हो जाता है हालाँकि ताक़्क़ुब करनेवाला कोई नहीं होता, लेकिन रास्तबाज़ अपने आपको जवान शेरबबर की तरह महफ़ूज़ समझता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:2 | मुल्क की ख़ताकारी के सबब से उस की हुकूमत की यगांगत क़ायम नहीं रहेगी, लेकिन समझदार और दानिशमंद आदमी उसे बड़ी देर तक क़ायम रखेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:3 | जो ग़रीब ग़रीबों पर ज़ुल्म करे वह उस मूसलाधार बारिश की मानिंद है जो सैलाब लाकर फ़सलों को तबाह कर देती है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:4 | जिसने शरीअत को तर्क किया वह बेदीन की तारीफ़ करता है, लेकिन जो शरीअत के ताबे रहता है वह उस की मुख़ालफ़त करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:7 | जो शरीअत की पैरवी करे वह समझदार बेटा है, लेकिन ऐयाशों का साथी अपने बाप की बेइज़्ज़ती करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:8 | जो अपनी दौलत नाजायज़ सूद से बढ़ाए वह उसे किसी और के लिए जमा कर रहा है, ऐसे शख़्स के लिए जो ग़रीबों पर रहम करेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:9 | जो अपने कान में उँगली डाले ताकि शरीअत की बातें न सुने उस की दुआएँ भी क़ाबिले-घिन हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 28:10 | जो सीधी राह पर चलनेवालों को ग़लत राह पर लाए वह अपने ही गढ़े में गिर जाएगा, लेकिन बेइलज़ाम अच्छी मीरास पाएँगे। | |
Prov | UrduGeoD | 28:11 | अमीर अपने आपको दानिशमंद समझता है, लेकिन जो ज़रूरतमंद समझदार है वह उसका असली किरदार मालूम कर लेता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:12 | जब रास्तबाज़ फ़तहयाब हों तो मुल्क की शानो-शौकत बढ़ जाती है, लेकिन जब बेदीन उठ खड़े हों तो लोग छुप जाते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 28:13 | जो अपने गुनाह छुपाए वह नाकाम रहेगा, लेकिन जो उन्हें तसलीम करके तर्क करे वह रहम पाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:14 | मुबारक है वह जो हर वक़्त रब का ख़ौफ़ माने, लेकिन जो अपना दिल सख़्त करे वह मुसीबत में फँस जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:15 | पस्तहाल क़ौम पर हुकूमत करनेवाला बेदीन ग़ुर्राते हुए शेरबबर और हमलाआवर रीछ की मानिंद है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:16 | जहाँ नासमझ हुक्मरान है वहाँ ज़ुल्म होता है, लेकिन जिसे ग़लत नफ़ा से नफ़रत हो उस की उम्र दराज़ होगी। | |
Prov | UrduGeoD | 28:17 | जो किसी को क़त्ल करे वह मौत तक अपने क़ुसूर के नीचे दबा हुआ मारा मारा फिरेगा। ऐसे शख़्स का सहारा न बन! | |
Prov | UrduGeoD | 28:18 | जो बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारे वह बचा रहेगा, लेकिन जो टेढ़ी राह पर चले वह अचानक ही गिर जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:19 | जो अपनी ज़मीन की खेतीबाड़ी करे वह जी भरकर रोटी खाएगा, लेकिन जो फ़ज़ूल चीज़ों के पीछे पड़ जाए वह ग़ुरबत से सेर हो जाएगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:20 | क़ाबिले-एतमाद आदमी को कसरत की बरकतें हासिल होंगी, लेकिन जो भाग भागकर दौलत जमा करने में मसरूफ़ रहे वह सज़ा से नहीं बचेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:21 | जानिबदारी बुरी बात है, लेकिन इनसान रोटी का टुकड़ा हासिल करने के लिए मुजरिम बन जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:24 | जो अपने बाप या माँ को लूटकर कहे, “यह जुर्म नहीं है” वह मोहलक क़ातिल का शरीके-कार होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 28:26 | जो अपने दिल पर भरोसा रखे वह बेवुक़ूफ़ है, लेकिन जो हिकमत की राह पर चले वह महफ़ूज़ रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 28:27 | ग़रीबों को देनेवाला ज़रूरतमंद नहीं होगा, लेकिन जो अपनी आँखें बंद करके उन्हें नज़रंदाज़ करे उस पर बहुत लानतें आएँगी। | |
Chapter 29
Prov | UrduGeoD | 29:1 | जो मुतअद्दिद नसीहतों के बावुजूद हटधर्म रहे वह अचानक ही बरबाद हो जाएगा, और शफ़ा का इमकान ही नहीं होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 29:2 | जब रास्तबाज़ बहुत हैं तो क़ौम ख़ुश होती, लेकिन जब बेदीन हुकूमत करे तो क़ौम आहें भरती है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:3 | जिसे हिकमत प्यारी हो वह अपने बाप को ख़ुशी दिलाता है, लेकिन कसबियों का साथी अपनी दौलत उड़ा देता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:4 | बादशाह इनसाफ़ से मुल्क को मुस्तहकम करता, लेकिन हद से ज़्यादा टैक्स लेने से उसे तबाह करता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:6 | शरीर जुर्म करते वक़्त अपने आपको फँसा देता, लेकिन रास्तबाज़ ख़ुशी मनाकर शादमान रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:9 | जब दानिशमंद आदमी अदालत में अहमक़ से लड़े तो अहमक़ तैश में आ जाता या क़हक़हा लगाता है, सुकून का इमकान ही नहीं होता। | |
Prov | UrduGeoD | 29:10 | ख़ूनख़ार आदमी बेइलज़ाम शख़्स से नफ़रत करता, लेकिन सीधी राह पर चलनेवाला उस की बेहतरी चाहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:13 | जब ग़रीब और ज़ालिम की मुलाक़ात होती है तो दोनों की आँखों को रौशन करनेवाला रब ही है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:15 | छड़ी और नसीहत हिकमत पैदा करती हैं। जिसे बेलगाम छोड़ा जाए वह अपनी माँ के लिए शरमिंदगी का बाइस होगा। | |
Prov | UrduGeoD | 29:16 | जब बेदीन फलें-फूलें तो गुनाह भी फलता-फूलता है, लेकिन रास्तबाज़ उनकी शिकस्त के गवाह होंगे। | |
Prov | UrduGeoD | 29:18 | जहाँ रोया नहीं वहाँ क़ौम बेलगाम हो जाती है, लेकिन मुबारक है वह जो शरीअत के ताबे रहता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:20 | क्या कोई दिखाई देता है जो बात करने में जल्दबाज़ है? उस की निसबत अहमक़ के सुधरने की ज़्यादा उम्मीद है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:22 | ग़ज़बआलूद आदमी झगड़े छेड़ता रहता है, ग़ुसीले शख़्स से मुतअद्दिद गुनाह सरज़द होते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 29:24 | जो चोर का साथी हो वह अपनी जान से नफ़रत रखता है। गो उससे हलफ़ उठवाया जाए कि चोरी के बारे में गवाही दे तो भी कुछ नहीं बताता बल्कि हलफ़ की लानत की ज़द में आ जाता है। | |
Prov | UrduGeoD | 29:25 | जो इनसान से ख़ौफ़ खाए वह फंदे में फँस जाएगा, लेकिन जो रब का ख़ौफ़ माने वह महफ़ूज़ रहेगा। | |
Prov | UrduGeoD | 29:26 | बहुत लोग हुक्मरान की मंज़ूरी के तालिब रहते हैं, लेकिन इनसाफ़ रब ही की तरफ़ से मिलता है। | |
Chapter 30
Prov | UrduGeoD | 30:1 | ज़ैल में अजूर बिन याक़ा की कहावतें हैं। वह मस्सा का रहनेवाला था। उसने फ़रमाया, ऐ अल्लाह, मैं थक गया हूँ, ऐ अल्लाह, मैं थक गया हूँ, यह मेरे बस की बात नहीं रही। | |
Prov | UrduGeoD | 30:4 | कौन आसमान पर चढ़कर वापस उतर आया? किसने हवा को अपने हाथों में जमा किया? किसने गहरे पानी को चादर में लपेट लिया? किसने ज़मीन की हुदूद को अपनी अपनी जगह पर क़ायम किया है? उसका नाम क्या है, उसके बेटे का क्या नाम है? अगर तुझे मालूम हो तो मुझे बता! | |
Prov | UrduGeoD | 30:8 | पहले, दरोग़गोई और झूट मुझसे दूर रख। दूसरे, न ग़ुरबत न दौलत मुझे दे बल्कि उतनी ही रोटी जितनी मेरा हक़ है, | |
Prov | UrduGeoD | 30:9 | ऐसा न हो कि मैं दौलत के बाइस सेर होकर तेरा इनकार करूँ और कहूँ, “रब कौन है?” ऐसा भी न हो कि मैं ग़ुरबत के बाइस चोरी करके अपने ख़ुदा के नाम की बेहुरमती करूँ। | |
Prov | UrduGeoD | 30:10 | मालिक के सामने मुलाज़िम पर तोहमत न लगा, ऐसा न हो कि वह तुझ पर लानत भेजे और तुझे इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़े। | |
Prov | UrduGeoD | 30:13 | ऐसी नसल भी है जिसकी आँखें बड़े तकब्बुर से देखती हैं, जो अपनी पलकें बड़े घमंड से मारती है। | |
Prov | UrduGeoD | 30:14 | ऐसी नसल भी है जिसके दाँत तलवारें और जबड़े छुरियाँ हैं ताकि दुनिया के मुसीबतज़दों को खा जाएँ, मुआशरे के ज़रूरतमंदों को हड़प कर लें। | |
Prov | UrduGeoD | 30:15 | जोंक की दो बेटियाँ हैं, चूसने के दो आज़ा जो चीख़ते रहते हैं, “और दो, और दो।” तीन चीज़ें हैं जो कभी सेर नहीं होतीं बल्कि चार हैं जो कभी नहीं कहतीं, “अब बस करो, अब काफ़ी है,” | |
Prov | UrduGeoD | 30:16 | पाताल, बाँझ का रहम, ज़मीन जिसकी प्यास कभी नहीं बुझती और आग जो कभी नहीं कहती, “अब बस करो, अब काफ़ी है।” | |
Prov | UrduGeoD | 30:17 | जो आँख बाप का मज़ाक़ उड़ाए और माँ की हिदायत को हक़ीर जाने उसे वादी के कौवे अपनी चोंचों से निकालेंगे और गिद्ध के बच्चे खा जाएंगे। | |
Prov | UrduGeoD | 30:19 | आसमान की बुलंदियों पर उक़ाब की राह, चटान पर साँप की राह, समुंदर के बीच में जहाज़ की राह और वह राह जो मर्द कुँवारी के साथ चलता है। | |
Prov | UrduGeoD | 30:20 | ज़िनाकार औरत की यह राह है, वह खा लेती और फिर अपना मुँह पोंछकर कहती है, “मुझसे कोई ग़लती नहीं हुई।” | |
Prov | UrduGeoD | 30:23 | वह नफ़रतअंगेज़ औरत जिसकी शादी हो जाए और वह नौकरानी जो अपनी मालिकन की मिलकियत पर क़ब्ज़ा करे। | |
Prov | UrduGeoD | 30:25 | चियूँटियाँ कमज़ोर नसल हैं लेकिन गरमियों के मौसम में सर्दियों के लिए ख़ुराक जमा करती हैं, | |
Prov | UrduGeoD | 30:31 | दूसरे, मुरग़ा जो अकड़कर चलता है, तीसरे, बकरा और चौथे अपनी फ़ौज के साथ चलनेवाला बादशाह। | |
Prov | UrduGeoD | 30:32 | अगर तूने मग़रूर होकर हमाक़त की या बुरे मनसूबे बाँधे तो अपने मुँह पर हाथ रखकर ख़ामोश हो जा, | |
Chapter 31
Prov | UrduGeoD | 31:4 | ऐ लमुएल, बादशाहों के लिए मै पीना मुनासिब नहीं, हुक्मरानों के लिए शराब की आरज़ू रखना मौज़ूँ नहीं। | |
Prov | UrduGeoD | 31:9 | अपना मुँह खोलकर इनसाफ़ से अदालत कर और मुसीबतज़दा और ग़रीबों के हुक़ूक़ महफ़ूज़ रख। | |
Prov | UrduGeoD | 31:15 | वह पौ फटने से पहले ही जाग उठती है ताकि अपने घरवालों के लिए खाना और अपनी नौकरानियों के लिए उनका हिस्सा तैयार करे। | |
Prov | UrduGeoD | 31:16 | सोच-बिचार के बाद वह खेत ख़रीद लेती, अपने कमाए हुए पैसों से अंगूर का बाग़ लगा लेती है। | |
Prov | UrduGeoD | 31:18 | वह महसूस करती है, “मेरा कारोबार फ़ायदामंद है,” इसलिए उसका चराग़ रात के वक़्त भी नहीं बुझता। | |
Prov | UrduGeoD | 31:21 | जब बर्फ़ पड़े तो उसे घरवालों के बारे में कोई डर नहीं, क्योंकि सब गरम गरम कपड़े पहने हुए हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 31:22 | अपने बिस्तर के लिए वह अच्छे कम्बल बना लेती, और ख़ुद वह बारीक कतान और अरग़वानी रंग के लिबास पहने फिरती है। | |
Prov | UrduGeoD | 31:23 | शहर के दरवाज़े में बैठे मुल्क के बुज़ुर्ग उसके शौहर से ख़ूब वाक़िफ़ हैं, और जब कभी कोई फ़ैसला करना हो तो वह भी शूरा में शरीक होता है। | |
Prov | UrduGeoD | 31:24 | बीवी कपड़ों की सिलाई करके उन्हें फ़रोख़्त करती है, सौदागर उसके कमरबंद ख़रीद लेते हैं। | |
Prov | UrduGeoD | 31:28 | उसके बेटे खड़े होकर उसे मुबारक कहते हैं, उसका शौहर भी उस की तारीफ़ करके कहता है, | |
Prov | UrduGeoD | 31:30 | दिलफ़रेबी, धोका और हुस्न पल-भर का है, लेकिन जो औरत अल्लाह का ख़ौफ़ माने वह क़ाबिले-तारीफ़ है। | |